ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – कारण और समाधान

ग्लोबल वार्मिंग पर 500+ शब्द निबंध.

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से अधिकांश के लिए स्पष्ट नहीं है। तो, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वातावरण के समग्र तापमान में क्रमिक वृद्धि को संदर्भित करता है। विभिन्न गतिविधियां हो रही हैं जो धीरे-धीरे तापमान बढ़ा रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है। यह धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है। ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौतीपूर्ण है; हालाँकि, यह असहनीय नहीं है। किसी भी समस्या को हल करने में पहला कदम समस्या के कारण की पहचान करना है। इसलिए, हमें पहले ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को समझने की आवश्यकता है जो हमें इसे हल करने में आगे बढ़ने में मदद करेंगे। ग्लोबल वार्मिंग पर इस निबंध में, हम ग्लोबल वार्मिंग के कारणों और समाधानों को देखेंगे।

essay on impact of global warming on oceans

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन गई है जिस पर अविभाजित ध्यान देने की आवश्यकता है। यह किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई कारणों से हो रहा है। ये कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों हैं। प्राकृतिक कारणों में ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई शामिल है जो पृथ्वी से भागने में सक्षम नहीं हैं, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।

इसके अलावा, ज्वालामुखी विस्फोट भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। यह कहना है कि, इन विस्फोटों से कार्बन डाइऑक्साइड के टन निकलते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं। इसी तरह, मीथेन भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार एक बड़ा मुद्दा है।

Read Essay on Global Warming in English here

उसके बाद, ऑटोमोबाइल और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, खनन और पशु पालन जैसी गतिविधियाँ पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। सबसे आम मुद्दों में से एक है जो तेजी से हो रहा है वनों की कटाई।

इसलिए, जब कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक ही गायब हो जाएगा, तो गैस को विनियमित करने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा। इस प्रकार, यह ग्लोबल वार्मिंग में परिणाम देगा। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और धरती को फिर से बेहतर बनाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।

global warming par hindi mein essay

ग्लोबल वार्मिंग समाधान

जैसा कि पहले कहा गया है, यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन यह पूरी तरह से असंभव नहीं है। जब संयुक्त प्रयास किए जाते हैं तो ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है। इसके लिए, व्यक्तियों और सरकारों, दोनों को इसे प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। हमें ग्रीनहाउस गैस की कमी से शुरू करना चाहिए।

इसके अलावा, उन्हें गैसोलीन की खपत पर नजर रखने की जरूरत है। एक हाइब्रिड कार पर स्विच करें और कार्बन डाइऑक्साइड की रिहाई को कम करें। इसके अलावा, नागरिक सार्वजनिक परिवहन या कारपूल को एक साथ चुन सकते हैं। इसके बाद, रीसाइक्लिंग को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है?

उदाहरण के लिए, जब आप खरीदारी करने जाते हैं, तो अपने कपड़े की थैली ले जाएं। एक और कदम जो आप उठा सकते हैं वह है बिजली के उपयोग को सीमित करना जो कार्बन डाइऑक्साइड की रिहाई को रोक देगा। सरकार के हिस्से पर, उन्हें औद्योगिक कचरे को नियंत्रित करना चाहिए और उन्हें हवा में हानिकारक गैसों को बाहर निकालने से रोकना चाहिए। वनों की कटाई को तुरंत रोका जाना चाहिए और पेड़ों के रोपण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

संक्षेप में, हम सभी को इस तथ्य का एहसास होना चाहिए कि हमारी पृथ्वी ठीक नहीं है। इसका इलाज करने की जरूरत है और हम इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं। वर्तमान पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ियों की पीड़ा को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसलिए, हर छोटा कदम, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैसे छोटा वजन बहुत वहन करता है और ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में काफी महत्वपूर्ण है।

ग्लोबल वार्मिंग पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न Q.1 ग्लोबल वार्मिंग के कारणों की सूची बनाएँ।

A.1 प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारण हैं। प्राकृतिक एक में ग्रीनहाउस गैस, ज्वालामुखी विस्फोट, मीथेन गैस और बहुत कुछ शामिल हैं। अगला, मानव निर्मित कारण वनों की कटाई, खनन, मवेशी पालन, जीवाश्म ईंधन जलाना और अधिक हैं।

Q.2 ग्लोबल वार्मिंग को कोई कैसे रोक सकता है?

A.2 ग्लोबल वार्मिंग को व्यक्तियों और सरकार के संयुक्त प्रयास से रोका जा सकता है। वनों की कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए और पेड़ों को अधिक लगाया जाना चाहिए। ऑटोमोबाइल का उपयोग सीमित होना चाहिए और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Customize your course in 30 seconds

Which class are you in.

tutor

  • Travelling Essay
  • Picnic Essay
  • Our Country Essay
  • My Parents Essay
  • Essay on Favourite Personality
  • Essay on Memorable Day of My Life
  • Essay on Knowledge is Power
  • Essay on Gurpurab
  • Essay on My Favourite Season
  • Essay on Types of Sports

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Download the App

Google Play

HindiKiDuniyacom

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi)

पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीन हाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गर्मी को वापस जाने से रोकता है यह एक प्रकार के प्रभाव है जिसे “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है । इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के फलस्वरूप पर्यावरण प्रभावित होता है अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है।

ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Global Warming in Hindi, Global Warming par Nibandh Hindi mein)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (250 – 300 शब्द).

पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लो पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

जीवाश्म ईंधन के दोहन, उर्वरकों का उपयोग, वनों को कांटना, बिजली की अत्यधिक खपत, फ्रिज में उपयोग होने वाले गैस इत्यादि के कारणवश वातावरण में CO2, CO  का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है।CO2 के स्तर में बढ़ोत्तरी “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” का कारक है, जो सभी ग्रीन हाउस गैस (जलवाष्प, CO2, मीथेन, ओजोन) थर्मल विकरण को अवशोषित करता है, तथा सभी दिशाओं में विकीर्णं होकर और पृथ्वी के सतह पर वापस आ जाते हैं जिससे सतह का तापमान बढ़ कर ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण बनता है।

ग्लोबल वार्मिंग का निवारण

हमें पेड़ो की अन्धाधुन कटाई पर रोक लगाना चाहिए, बिजली का उपयोग कम करना चाहिए, लकड़ी को जलाना बंद करना चाहिए आदि।ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें सदैव के लिए बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए क्योंकी यह CO2, COके स्तर में वृद्धि कर रहा है और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming par Nibandh (400 शब्द)

आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी पर्यावरण समस्या है जिसका हम सब सामना कर रहे हैं, तथा जिसका समाधान स्थायी रूप से करना आवश्यक हो गया है। वास्तव में पृथ्वी के सतह पर निरंतर तथा स्थायी रूप से तापमान का बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग प्रक्रिया है। सभी देशों द्वारा विश्व स्तर पर इस विषय पर व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए। यह दशकों से प्रकृति के संतुलन, जैव विविधता तथा जलवायु परिस्थियों को प्रभावित करता आ रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारक

ग्रीन हाउस गैस जैसे CO 2 , मीथेन, पृथ्वी पर बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग मुख्य कारक हैं। इसका सीधा प्रभाव समुद्री स्तर का विस्तार, पिघलती बर्फ की चट्टाने, ग्लेशियर, अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन पर होता है, यह जीवन पर बढ़ते मृत्यों के संकट का प्रतिनिधित्व करता है। आकड़ों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा है की मानव जीवन के बढ़ते मांग के कारण बीसवीं शताब्दी के मध्य से तापमान में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी आयी है जिसके फलस्वरूप वैश्विक स्तर पर वायुमंडलीय ग्रीन हाउस गैस सांद्रता के मात्रा में भी वृद्धि हुई है।

पिछली सदी के 1983, 1987, 1988, 1989, और 1991 सबसे गर्म छ: वर्ष रहे हैं, यह मापा गया है। इसने ग्लोबल वार्मिंग में अत्यधिक वृद्धि किया जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं का अनपेक्षित प्रकोप सामने आया जैसे- बाढ़, चक्रवात, सुनामी, सूखा, भूस्खलन, भोजन की कमी, बर्फ पिघलना, महामारी रोग, मृत्यों आदि इस कारणवश प्रकृति के घटना चक्र में असंतुलन उत्पन्न होता है जो इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के समाप्ति का संकेत है।

ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण, पृथ्वी से वायुमंडल में जल-वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे बादल में ग्रीन हाउस गैस का निर्माण होता है जो पुनः ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। जीवाश्म ईंधन का जलना, उर्वरक का उपयोग, अन्य गैसों मे वृद्धि जैसे- CFCs, ट्रोपोस्फेरिक ओजोन, और नाइट्रस ऑक्साइड भी ग्योबल वार्मिंग के कारक हैं। तकनीकी आधुनीकरण, प्रदुषण विस्फोट, औद्योगिक विस्तार के बढ़ते मांग, जंगलों की अन्धाधुन कटाई तथा शहरीकरण ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि में प्रमुख रूप से सहायक हैं।

हम जंगल की कटाई तथा आधुनिक तकनीक के उपयोग से प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विक्षुब्ध (Disturb) कर रहे हैं। जैसे वैश्विक कार्बन चक्र, ओजोन के परत में छेद्र बनना तथा UV तंरगों का पृथ्वी पर आगमन जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।

हवा से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने का एक मुख्य स्त्रोत पेड़ है। तथा पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए हमें वनों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा वृक्षारोपड़ किया जाना चाहिए यह ग्लोबल वार्मिंग के स्तर में अत्यधिक कमी ला सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण तथा विनाशकारी प्रोद्यौगिकियों का कम उपयोग भी एक अच्छी पहल है, ग्लोबल वार्मिंग नियंत्रण के लिए।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming per Nibandh (600 शब्द)

ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारक हैं, जिसमें कुछ प्रकृति प्रदत्त हैं तथा कुछ मानव निर्मित कारक हैं, ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के सबसे प्रमुख कारकों में ग्रीन हाउस गैस है जो कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं व मानवीय क्रियाओं से उत्पन्न होता है। बीसवीं शताब्दी में, जनसंख्या वृद्धि, ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग से ग्रीन हाउस गैस के स्तर में वृद्धि हुई है। लगभग हर जरूरत को पूरा करने के लिए आधुनिक दुनिया में औद्योगीकरण की बढ़ती मांग, जिससे वातावरण में विभिन्न तरह के ग्रीन हाउस गैस की रिहाई होती है।

कार्बन डाइऑक्साइड CO 2 तथा सल्फर डाइऑक्साइड SO 2 की मात्रा हाल ही के वर्षों में दस गुना बढ़ गई है। विभिन्न प्राकृतिक, औद्योगिक क्रियाएं जिसमें प्रकाश संश्लेषण और ऑक्सीकरण भी सम्मिलित है, इन सब से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती है। अन्य ग्रीन हाउस गैस मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड (नाइट्रस आक्साइड), हॉलोकार्बन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs), क्लोरीन और ब्रोमीन यौगिक इत्यादि कार्बनिक सामाग्री का अवायवीय अपघटन है। कुछ ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में एकत्र होते है और वायुमंडल के संतुलन को विक्षुब्ध करते हैं। उन में गर्म विकरणों को अवशोंषित करने की क्षमता होती है और इसलिए पृथ्वी के सतह पर तापमान में वृद्धि होती है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के स्त्रोतों में वृद्धि से साफ तौर पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव देखा जा सकता है। US भूगर्भीय सर्वेक्षण (US Geological Survey) के अनुसार मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क पर 150 ग्लेशियर मौजुद थे पर ग्लोबल वार्मिंग के वजह से वर्तमान में मात्र 25 ग्लेशियर बचे हैं। अधिक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन तथा तापमान से ऊर्जा (वायुमंडल के उपरी सतह पर ठंडा तथा ऊष्णकटिबंधीय महासागर के गर्म होने से) लेकर तूफान अधिक खतरनाक, शक्तिशाली और मजबूत बन जाते हैं। 2012 को 1885 के बाद सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया है तथा 2003 को 2013 के साथ सबसे गर्म वर्ष के रूप में देखा गया है।

ग्लोबल वार्मिंग के फलस्वरूप वातावरण के जलवायु में, बढ़ती गर्मी का मौसम, कम होता ठंड का मौसम, बर्फ के चट्टानों का पिघलना, तापमान का बढ़ना, हवा परिसंचरण पैटर्न में बदलाव, बिन मौसम के वर्षा का होना, ओजोन परत में छेद्र, भारी तूफान की घटना, चक्रवात, सूखा, बाढ़ और इसी तरह के अनेक प्रभाव हैं।

ग्लोबल वार्मिंग का समाधान

सरकारी एजेंसियों, व्यवसाय प्रधान, निजी क्षेत्र, NGOs आदि द्वारा बहुत से कार्यक्रम, ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए चलाएं तथा क्रियान्वित किए जा रहे हैं। ग्लोबल वर्मिंग के वजह से पहुचने वाले क्षति में कुछ क्षति ऐसे हैं (बर्फ की चट्टानों का पिघलना) जिसे किसी भी समाधान के माध्यम से पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जो भी हो हमें रूकना नहीं चाहिए और सबको बेहतर प्रयास करना चाहिए ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए। हमें ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम करना चाहिए तथा वातावरण में हो रहे कुछ जलवायु परिवर्तन जो वर्षों से चला आ रहा है उन्हें अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग कम करने के उपाय, हमें बिजली के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा भू-तापिय ऊर्जा द्वारा उत्पादित ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। कोयला, तेल के जलने के स्तर को कम करना चाहिए, परिवहन और ईलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग कम चाहिए इससे ग्लोबल वार्मिंग का स्तर काफी हद तक कम होगा।

Essay on Global Warming in Hindi

सम्बंधित जानकारी:

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

global warming par hindi mein essay

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

global warming par hindi mein essay

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

global warming par hindi mein essay

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

global warming par hindi mein essay

  • Essays in Hindi /

ग्लोबल वार्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है जानिए इन निबंधों के द्वारा

' src=

  • Updated on  
  • जून 6, 2023

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा है। धरती पर गर्मी खतरनाक गति से बढ़ रही है। इसके कारण शताब्दियों से जमे हिमखंड पिघल रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग क्योंकि एक बहुत गंभीर समस्या है इसलिए इस पर निबंध कई SAT , UPSC जैसी कई शैक्षणिक और शैक्षिक परीक्षाओं का एक अभिन्न अंग हैं। निबंध  लिखने में सक्षम होना किसी भी भाषा में महारत हासिल करने का एक अभिन्न अंग है। यह अंग्रेजी दक्षता परीक्षाओं के साथ-साथ IELTS , TOEFL आदि का एक महत्वपूर्ण मूल्यांकनात्मक हिस्सा है। हम कह सकते हैं कि निबंध पूरी दुनिया के आकलन के लिए अपने विचारों को स्पष्ट और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में एक व्यक्ति की मदद करते हैं। वे एक व्यक्ति की विश्लेषणात्मक सोच भी प्रस्तुत करते हैं और एक व्यक्ति को धाराप्रवाह अपनी राय व्यक्त करने में सक्षम बनाते हैं। इस ब्लॉग के जरिए आप ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखना सीखनें के साथ इस विकट समस्या को गहराई से समझ पाएंगे। तो आइए शुरू करते हैं essay on global warming in hindi, global warming essay in hindi या ग्लोबल वार्मिंग निबंध। 

This Blog Includes:

ग्लोबल वार्मिंग क्या होती है, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव, भूमंडलीय तापक्रम में वृद्धि क्या है, ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध के सैम्पल्स, ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 100-150 शब्दों में, 250 शब्दों में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध, ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 500 शब्दों में , ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध यूपीएससी, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग निबंध, ग्लोबल वार्मिंग पर अनुच्छेद, निबंध लिखने की युक्तियाँ.

वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़े हुए समुद्र के वाटर लेवल के फलस्वरूप इनका डेवलपमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन एवं इनके द्वारा निर्मित विभिन्न टोपोग्राफिकल स्ट्रक्चर प्रभावित हो सकती हैं। इसी प्रकार बहुत सी वनस्पतियों तथा जीवों का पलायन धीरे-धीरे ध्रुवीय प्रदेशों या उच्च पर्वतीय प्रदेशों की तरफ हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग पिछली शताब्दी में पृथ्वी की औसत सतह के तापमान में असामान्य रूप से तेजी से वृद्धि है, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलाने वाले लोगों द्वारा जारी ग्रीनहाउस गैसों के कारण। ग्रीनहाउस गैसों में मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओजोन, कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प और क्लोरोफ्लोरोकार्बन शामिल हैं। हर गुजरते साल के साथ मौसम की भविष्यवाणी अधिक जटिल होती जा रही है, मौसम अधिक अप्रभेद्य होते जा रहे हैं और सामान्य तापमान गर्म होता जा रहा है। 21वीं सदी की शुरुआत के बाद से तूफान, चक्रवात, सूखा, बाढ़ आदि की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इन सभी परिवर्तनों के पीछे का पर्यवेक्षक ग्लोबल वार्मिंग है। नाम काफी आत्म-व्याख्यात्मक है; इसका अर्थ है पृथ्वी के तापमान में वृद्धि।

पृथ्वी को गर्मी से बचाएं क्योंकि आप इससे अपनी रक्षा करते हैं!

global warming essay in hindi

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखते समय ग्लोबल वार्मिंग और पॉइंटर को ध्यान में रखने के विचार से परिचित होने के बाद, global warming essay in hindi के सैंपल के लिए आगे पढ़ते हैं। 

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि और पिछली कुछ शताब्दियों से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी चीज है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वैश्विक स्तर पर इस स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। पिछले कुछ वर्षों से औसत तापमान में लगातार 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है। भविष्य में पृथ्वी को होने वाले नुकसान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका, अधिक वनों को काटने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और वनीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अपने घरों और कार्यालयों के पास पेड़ लगाकर शुरुआत करें, आयोजनों में भाग लें, पेड़ लगाने का महत्व सिखाएं। नुकसान को पूर्ववत करना असंभव है लेकिन आगे के नुकसान को रोकना संभव है।

लंबे समय से, यह देखा गया है कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान वन्य जीवन, जानवरों, मनुष्यों और पृथ्वी पर हर जीवित जीव को प्रभावित करता था। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, कई देशों ने पानी की कमी, बाढ़, कटाव शुरू कर दिया है और यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए इंसानों को छोड़कर किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों, परिवहन, वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी और अन्य प्रदूषकों जैसी गैसों में वृद्धि हुई है। मुख्य सवाल यह है कि हम वर्तमान स्थिति को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं। इसकी शुरुआत प्रत्येक व्यक्ति के छोटे-छोटे कदमों से होती है।

खरीदारी के सभी उद्देश्यों के लिए टिकाऊ सामग्री से बने कपड़े के थैलों का उपयोग करना शुरू करें, उच्च वाट की रोशनी का उपयोग करने के बजाय ऊर्जा कुशल बल्बों का उपयोग करें, बिजली बंद करें, पानी बर्बाद न करें, वनों की कटाई को समाप्त करें और अधिक पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं। पृथ्वी को बचाने के लिए एक व्यक्ति जो भी छोटा-मोटा काम करता है, वह बड़ी या छोटी मात्रा में योगदान देगा।

यह महत्वपूर्ण है कि हम सीखें कि 1% प्रयास बिना किसी प्रयास के बेहतर है। प्रकृति की देखभाल करने और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बोलने का संकल्प लें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं। 

इस ग्रह को दर्द होता है, उसे गर्मी से मत दुखाओ।

ग्लोबल वार्मिंग भविष्यवाणी नहीं है, यह हो रहा है। इसे नकारने वाला या इससे अनजान व्यक्ति सबसे सरल शब्दों में उलझा हुआ है। क्या हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह है? दुर्भाग्य से, हमें केवल यह एक ऐसा ग्रह प्रदान किया गया है जो जीवन को बनाए रख सकता है फिर भी वर्षों से हमने अपनी दुर्दशा से आंखें मूंद ली हैं। ग्लोबल वार्मिंग एक अमूर्त अवधारणा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक घटना है जो इस समय भी इतनी धीमी गति से घटित हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जो हर मिनट हो रही है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी की समग्र जलवायु में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। वातावरण में सौर विकिरण को फंसाने वाली ग्रीनहाउस गैसों द्वारा लाया गया, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के पूरे मानचित्र को बदल सकता है, क्षेत्रों को विस्थापित कर सकता है, कई देशों में बाढ़ ला सकता है और कई जीवन रूपों को नष्ट कर सकता है। चरम मौसम ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष परिणाम है लेकिन यह संपूर्ण परिणाम नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग के लगभग असीमित प्रभाव हैं जो पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक हैं।

दुनिया भर में समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 0.12 इंच बढ़ रहा है। ऐसा ग्लोबल वार्मिंग के कारण ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के कारण हो रहा है। इससे कई तराई क्षेत्रों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ गई है और प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुंचा है। आर्कटिक ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। वायु की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और समुद्री जल की अम्लता भी बढ़ गई है जिससे समुद्री जीवों को गंभीर नुकसान हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण गंभीर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिसका जीवन और संपत्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

जब तक मानव जाति ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करती है, ग्लोबल वार्मिंग में तेजी जारी रहेगी। परिणाम बहुत छोटे पैमाने पर महसूस किए जाते हैं जो निकट भविष्य में और भीषण हो जाएंगे। दिन बचाने की ताकत इंसानों के हाथ में है, जरूरत है दिन को जब्त करने की। ऊर्जा की खपत को व्यक्तिगत आधार पर कम किया जाना चाहिए। ऊर्जा स्रोतों की बर्बादी को कम करने के लिए ईंधन कुशल कारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे वायु की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता कम होगी। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी बुराई है जिसे एक साथ लड़ने पर ही हराया जा सकता है।

पहले से कहीं ज्यादा देर हो चुकी है। अगर हम सब आज कदम उठाते हैं, तो कल हमारा भविष्य बहुत उज्जवल होगा। ग्लोबल वार्मिंग हमारे अस्तित्व का अभिशाप है और इससे लड़ने के लिए दुनिया भर में विभिन्न नीतियां सामने आई हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वास्तविक अंतर तब आता है जब हम इससे लड़ने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर काम करते हैं। एक अपरिवर्तनीय गलती बनने से पहले इसके आयात को समझना अब महत्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम में से प्रत्येक इसके लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कि अगले।  

ग्लोबल वार्मिंग निबंध

ग्लोबल वार्मिंग के बारे में हमेशा हर जगह सुना जाता है, लेकिन क्या हम जानते हैं कि यह वास्तव में क्या है? सबसे खराब बुराई, ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जो जीवन को अधिक घातक रूप से प्रभावित कर सकती है। ग्लोबल वार्मिंग से तात्पर्य विभिन्न मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से है। ग्रह धीरे-धीरे गर्म हो रहा है और उस पर जीवन रूपों के अस्तित्व को खतरा है। अथक अध्ययन और शोध किए जाने के बावजूद, अधिकांश आबादी के लिए ग्लोबल वार्मिंग विज्ञान की एक अमूर्त अवधारणा है। यह वह अवधारणा है जो वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग को एक वास्तविक वास्तविकता बनाने में परिणत हुई है, न कि किताबों में शामिल एक कॉन्सेप्ट।

ग्लोबल वार्मिंग केवल एक कारण से नहीं होती है जिस पर अंकुश लगाया जा सकता है। ऐसे कई कारक हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं, जिनमें से अधिकांश व्यक्ति के दैनिक अस्तित्व का हिस्सा हैं। खाना पकाने, वाहनों में और अन्य पारंपरिक उपयोगों के लिए ईंधन जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसी कई अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन होता है जो ग्लोबल वार्मिंग को तेज करता है। बड़े पैमाने पर वनों की कटाई से ग्लोबल वार्मिंग भी होती है क्योंकि कम ग्रीन कवर के परिणामस्वरूप वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति बढ़ जाती है जो एक ग्रीनहाउस गैस है। 

ग्लोबल वार्मिंग का समाधान खोजना तत्काल महत्व का है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जिससे एकजुट होकर लड़ना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर परिणामों को दूर करने की दिशा में अधिक से अधिक पेड़ लगाना पहला कदम हो सकता है। हरित आवरण बढ़ने से कार्बन चक्र को विनियमित किया जा सकेगा। गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से अक्षय ऊर्जा जैसे पवन या सौर ऊर्जा में बदलाव होना चाहिए जो कम प्रदूषण का कारण बनता है और जिससे ग्लोबल वार्मिंग के त्वरण में बाधा उत्पन्न होती है। व्यक्तिगत स्तर पर ऊर्जा की जरूरतों को कम करना और किसी भी रूप में ऊर्जा बर्बाद न करना ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ उठाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

हम जिस शालीनता की गहरी नींद में चले गए हैं, उससे हमें जगाने के लिए चेतावनी की घंटी बज रही है। मनुष्य प्रकृति के खिलाफ लड़ सकता है और अब समय आ गया है कि हम इसे स्वीकार करें। हमारी सभी वैज्ञानिक प्रगति और तकनीकी आविष्कारों के साथ, ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों से लड़ना असंभव है। हमें यह याद रखना होगा कि हमें अपने पूर्वजों से पृथ्वी विरासत में नहीं मिली है, बल्कि इसे अपनी आने वाली पीढ़ी से उधार लेते हैं और जीवन के अस्तित्व के लिए उन्हें एक स्वस्थ ग्रह देने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। 

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दुनिया भर में प्रमुख चिंता के दो मुद्दे हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी, और अन्य प्रदूषक जैसे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है। पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में ब्लैक होल बनने लगे हैं। मानवीय गतिविधियों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है। ग्लोबल वार्मिंग में औद्योगिक कचरे और धुएं का प्रमुख योगदान है। प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारणों में से एक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड और आर्कटिक में पर्वतीय हिमनद सिकुड़ रहे हैं और जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहे हैं। पवन और सौर जैसे ऊर्जा स्रोतों के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग से स्विच करना। कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते समय ऊर्जा बचत वाले सितारों के साथ सर्वोत्तम गुणवत्ता खरीदें। पानी बर्बाद न करें और अपने समुदाय में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें। 

एक शब्द जिसका आज हम आम तौर पर सामना करते हैं, वह है ग्लोबल वार्मिंग। शब्द के साथ हमारा परिचय हमारी पाठ्यपुस्तकों और उन नकारात्मक परिणामों तक सीमित है जिनके बारे में हम पढ़ते हैं। लेकिन क्या ग्लोबल वार्मिंग वास्तव में एक सैद्धांतिक अवधारणा से कहीं अधिक है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण गर्मी के फंसने के कारण पृथ्वी के धीरे-धीरे गर्म होने की घटना को संदर्भित करता है। ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख परिणाम यह है कि इससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होगी जिससे ध्रुवीय बर्फ की टोपियों का पिघलना, चरम जलवायु और इस तरह सामान्य कामकाज में व्यवधान जैसे गंभीर नकारात्मक प्रभाव होंगे। इसके खतरे केवल कुछ पहलुओं तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि सर्वव्यापी हैं और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल सकते हैं। हालांकि ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं, कुछ प्रमुख कारण दूसरों की तुलना में अधिक योगदान करते हैं। ये कारक इसकी दर को तेज करते हैं:

  • मनुष्यों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक जलने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का प्रतिशत कई गुना बढ़ जाता है।
  • वनों की कटाई मानवीय जरूरतों के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है।
  • सतत कृषि और पशुपालन भी मीथेन को पढ़कर ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है जो एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है।
  • रेफ्रिजरेटर और एसी जैसे उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे विभिन्न रसायनों के परिणामस्वरूप भी काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग होती है।

एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए ऐसे कौशल की आवश्यकता होती है जो बहुत कम लोगों के पास हो और उससे भी कम लोग जानते हों कि इसे कैसे लागू किया जाए। एक निबंध लिखते समय एक कठिन काम हो सकता है जो कई बार परेशान करने वाला हो सकता है, एक सफल निबंध का मसौदा तैयार करने के लिए कुछ प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है। इनमें निबंध की संरचना पर ध्यान केंद्रित करना, इसकी अच्छी तरह से योजना बनाना और महत्वपूर्ण विवरणों पर जोर देना शामिल है। नीचे कुछ संकेत दिए गए हैं जो आपको बेहतर संरचना और अधिक विचारशील निबंध लिखने में मदद कर सकते हैं जो आपके पाठकों तक पहुंचेंगे:

  • निरंतरता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए निबंध की रूपरेखा तैयार करें और निबंध की संरचना में कोई व्यवधान न हो।
  • एक थीसिस स्टेटमेंट पर निर्णय लें जो आपके निबंध का आधार बनेगी। यह आपके निबंध का बिंदु होगा और पाठकों को आपके विवाद को समझने में मदद करेगा।
  • परिचय की संरचना, एक विस्तृत निकाय और उसके बाद निष्कर्ष का पालन करें ताकि पाठक बिना किसी असंगति के निबंध को एक विशेष तरीके से समझ सकें।
  • निबंध को व्यावहारिक और पढ़ने के लिए आकर्षक बनाने के लिए अपनी शुरुआत को आकर्षक बनाएं और अपने निष्कर्ष में समाधान शामिल करें।
  • इसे प्रकाशित करने से पहले इसे फिर से पढ़ें और निबंध को और अधिक व्यक्तिगत और पाठकों के लिए अद्वितीय और दिलचस्प बनाने के लिए उसमें अपनी प्रतिभा जोड़ें।  

वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावस्वरूप पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में हुई वृद्धि को  वैश्विक  तापन/ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है ।

ग्लोबल वार्मिंग  या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. विज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेंगी और मौसम का मिज़ाज बुरी तरह बिगड़ा हुआ दिखेगा. इसका असर दिखने भी लगा है. ग्लेशियर पिघल रहे  हैं  और रेगिस्तान पसरते जा रहे  हैं .

वर्ल्ड मिटियोरॉलॉजिकल ऑर्गेनाइज़ेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से सबसे ज़्यादा है. इन गैसों से ही  ग्लोबल वार्मिंग  होती है.

हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग से आपको ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। इसी और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

' src=

रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

global warming par hindi mein essay

Resend OTP in

global warming par hindi mein essay

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

global warming par hindi mein essay

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

  • गर्भधारण की योजना व तैयारी
  • गर्भधारण का प्रयास
  • प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी)
  • बंध्यता (इनफर्टिलिटी)
  • गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
  • प्रसवपूर्व देखभाल
  • संकेत व लक्षण
  • जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
  • प्रसवोत्तर देखभाल
  • महीने दर महीने विकास
  • शिशु की देखभाल
  • बचाव व सुरक्षा
  • शिशु की नींद
  • शिशु के नाम
  • आहार व पोषण
  • खेल व गतिविधियां
  • व्यवहार व अनुशासन
  • बच्चों की कहानियां
  • बेबी क्लोथ्स
  • किड्स क्लोथ्स
  • टॉयज़, बुक्स एंड स्कूल
  • फीडिंग एंड नर्सिंग
  • बाथ एंड स्किन
  • हेल्थ एंड सेफ़्टी
  • मॉम्स एंड मेटर्निटी
  • बेबी गियर एंड नर्सरी
  • बर्थडे एंड गिफ्ट्स

FirstCry Parenting

  • बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Essay On Global Warming In Hindi)

Essay On Global Warming In Hindi

In this Article

ग्लोबल वार्मिंग पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Global Warming In Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on global warming in hindi in 200-300 words), ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on global warming in 400-600 words), ग्लोबल वार्मिंग के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from global warming essay), ग्लोबल वार्मिंग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

दुनिया भर में कई ऐसी गंभीर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनसे मानव जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण, वनों की कटाई आदि हमारी धरती को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इन सब में सबसे गंभीर स्थिति ग्लोबल वार्मिंग की है। इस नाम से ही इससे संबंधित समस्या का अंदाजा आप सभी को जरूर हो गया होगा। हमारी धरती की सतह पर लगातार बढ़ रहे तापमान को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। यह समस्या इंसानों की लापरवाही से बढ़ती जा रही है क्योंकि हम अपनी सुविधाओं के लिए कई ऐसी चीजों का उपयोग कर रहे हैं जिनसे प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रदूषण ही ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। यह समस्या धरती के लिए खतरा बनती जा रही है और इसका समाधान निकालना अनिवार्य हो गया है। कई बार मनुष्य अपने मतलब के लिए पर्यावरण को हानि पहुंचाने से पीछे नहीं हटता और समस्या को अनदेखा कर देता है। ग्लोबल वार्मिंग ज्यादातर ग्रीन हाउस गैसें जैसे सीओ2, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, आदि की वजह से बढ़ता है साथ ही जब पृथ्वी पर पानी अधिक मात्रा में भाप का रूप ले लेता है तो वह यहाँ का तापमान बढ़ाता है और यह भी इसका एक कारण है। ऐसी और भी कई गंभीर स्थितियां मौजूद हैं, जो इंसानों की वजह से उत्पन्न होती हैं। इस लेख में ग्लोबल वार्मिंग का वर्णन निबंध के रूप में किया गया और इसके प्रक्रोप अथवा समाधानों के बारे में भी बताया गया है। अगर आपके बच्चे को स्कूल में इस विषय पर निबंध लिखने को कहा गया है तो यहाँ दिए गए सैंपल निबंध आपके काम आएंगे।

ग्लोबल वार्मिंग का खतरा धरती पर तेजी से बढ़ता जा रहा है और यदि सही वक्त पर इसका समाधान नहीं निकाला गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। यहाँ इस पर 10 लाइन के एक निबंध का प्रारूप है जिससे 100 शब्दों में एक छोटा निबंध भी लिखा जा सकता है।

  • ग्लोबल वार्मिंग का मतलब धरती के तापमान में जरूरत से अधिक वृद्धि होना है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों को माना जाता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें इसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • सीओ2 जैसी गैस का उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रही हैं।
  • 1880 के बाद से हर साल, औसत वैश्विक तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
  • जंगलों में पेड़ों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग में भूमिका निभाती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग की समस्या की वजह से मौसम में कई बदलाव होते हैं।
  • धरती के बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर पिघल रहें और और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
  • इसके कारण मानसून में परिवर्तन आता है और मौसम में गड़बड़ी होती है।
  • ओजोन की परत भी घटती जा रही है, जो हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है।

यदि आपका बच्चा छोटा है और उसे ग्लोबल वार्मिंग के बारे में नहीं पता है तो हमारे द्वारा लिखे गए शॉर्ट एस्से उसे पढ़ाएं ताकि उसे कम और सही शब्दों में विषय की जानकारी हो और एक छोटा और बेहतरीन निबंध लिखने के लिए वह इसे याद भी कर सकता है।

इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग ने एक गंभीर समस्या का रूप ले लिया है और यह समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। वातावरण में जब हानिकारक गैसों की वृद्धि अधिक हो जाती है तो वह धरती की ऊपरी सतह में समा जाती हैं जिसके कारण धरती का तापमान अधिक हो जाता है और इस समस्या को ग्लोबल वार्मिंग का नाम दिया गया है। इस समस्या का मुख्य कारण ग्रीन हॉउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि का बहुत ज्यादा मात्रा में होने वाला उत्सर्जन है। इन गैसों के प्रक्रोप से धरती को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेकिन मनुष्य इस समस्या को उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है। मनुष्यों की लापरवाही से ही धरती में प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रदूषण भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है। यह समस्या किसी एक देश की नहीं है बल्कि पूरे विश्व में फैली है। देशों में औद्योगीकरण और विकास के लिए कई कारखाने, इंडस्ट्रीज स्थापित हो रहे हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले हानिकारक पदार्थ, रसायन, धुआं, प्लास्टिक आदि प्रकृति को प्रभावित कर रहे हैं। जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या काफी गंभीर रूप ले चुकी है। सूरज से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव करने वाली ओजोन लेयर में भी छेद हो रहा है, जो काफी खतरनाक साबित हो सकता है। धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से मौसम पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। गर्मी बढ़ती जा रही है और ठंड में कमी आ गई है। इस गर्मी की वजह से कई ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इनका पानी समुद्र में समा रहा। ऐसे में समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और खतरा भी। यदि ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह बढ़ता रहा तो वह समय दूर नहीं होगा जब धरती की मौजूदगी खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए हमें अभी से ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा और सरकार को भी कई ऐसी योजनाओं का आयोजन करना जिनमें इस समस्या की गंभीरता के बारे में विस्तार से बताया जाए ताकि देश के लोग इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

Short Essay on Global Warming in Hindi

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है और अगर हम प्रकति के साथ छेड़छाड़ करेंगे तो उसका बुरा परिणाम हमें ही भुगतना पड़ेगा। यही हाल ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहा है। यदि आपके बच्चे को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या के बारे में जानकारी चाहिए या फिर वह इस पर निबंध लिखना चाहता है तो नीचे लिखे 400-600 शब्दों में सीमित निबंध की मदद ले सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? (What Is Global Warming?)

जब धरती के वातावरण में मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन आदि ग्रीन हाउस गैसों का प्रक्रोप अधिक होने लगे और जिसकी वजह से तापमान में वृद्धि हो तो इस समस्या को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। आज के समय में इंसान कई नई तकनीकों का इस्तेमाल देश के विकास के लिए कर रहा है। लेकिन इन विकसित कार्यों की वजह से मनुष्य हमारे पर्यावरण को लगातार हानि पहुंचा रहा है। इन समस्याओं की वजह से हमारी प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और कई बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। जैसे अधिक तापमान बढ़ना, मौसम में बदलाव आना, ग्लेशियर पिघलना आदि। इनकी वजह से आने वाले समय में लोगों को पानी की किल्लत अधिक हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया का प्रमुख समस्या बनी हुई है और इसको बढ़ाने के पीछे मनुष्य का हाथ है। अगर समय रहते इस समस्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाली सभी जीवों को जान का खतरा हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Reason of Global Warming)

हमारा वातावरण में कई कारणों की वजह से प्रदूषित हो रहा है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग एक अहम समस्या बन गई है और इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण मौजूद हैं –

प्रदूषण – धरती पर प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा और जिसकी वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। तापमान में वृद्धि होना ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का प्रभाव अधिक बढ़ाता है। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा भूमि प्रदूषण ये सभी कहीं न कहीं हमारी पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इनसे निकलने वाली खतरनाक गैसें धरती के ऊपरी स्तर या वायुमंडल को प्रभावित कर रही हैं, जिनकी वजह से तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है ।

ग्रीन हॉउस गैस – यह साफ है कि ग्रीन हॉउस गैसों के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग जैसी खतरनाक समस्या बढ़ रही है। ये गैसें सूर्य से आने वाली गर्मी को अपने अंदर समा लेती हैं। इन सभी गैसों में सबसे खतरनाक सीओ2 गैस है और यदि यह गैस बाकी अन्य जैसे क्लोरीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, मीथेन गैसों से मिलती हैं तो यह हमारी धरती की ऊपरी सतह के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं क्योंकि इनमें गर्मी को सोखने की क्षमता अधिक होती है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ जाता है।

बढ़ती आबादी – विश्व में बढ़ने वाली आबादी भी इसका अहम कारण है। क्योंकि सीओ2 जैसी गैस मनुष्य ऑक्सीजन लेते वक्त बाहर छोड़ता है, जिसकी वजह से वातावरण में इसकी मात्रा अधिक हो जाती है। इसी कारण ग्लोबल वार्मिंग समस्या बढ़ने लगती है।

जंगलों की कटाई – यह ज्सबको पता है कि इंसान विकास के नाम पर जंगलों की कटाई कर रहा है और प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। हमारे वातावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन इनके कटने से धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है और ग्लेशियर पिघलकर का समुद्र स्तर बढ़ा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कई देश पानी में डूब सकते हैं या फिर इससे काफी तबाही मच सकती है।

औद्योगिक विकास – शहरों के विकास के लिए मानव कई इंडस्ट्रीज और कारखानों का उपयोग कर रहा है। इन्हीं कारखानों से निकलने वाले हानिकारक रसायन, जहरीले पदार्थ, गंदा धुआं और प्लास्टिक आदि पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

ओजोन लेयर का घटना – अंटाकर्टिका में ओजोन की परत घटती जा रही है जो कि ग्लोबल वार्मिंग का अहम संकेत माना गया है और यह क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस के बढ़ जाने की वजह से हो रहा है। यह समस्या भी इंसानों की देन है क्योंकि इंडस्ट्रीज से लेकर घर तक क्लोरो फ्लोरो कार्बन का नियमित उपयोग किया जा रहा है, जिससे की ओजोन को बहुत नुकसान हो रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम (Consequences Of Global Warming)

पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन गयी है जिसकी वजह से हमारी प्रकृति को कई तरह से अनचाहे बदलावों से गुजरना पड़ रहा है। कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं है, जैसे बाढ़, सूखा, तूफान आदि जो पृथ्वी का भयंकर नुकसान पहुंचा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं ग्लोबल वार्मिंग की वजह धरती के लिए सबसे जरूरी ओजोन की परत भी घटती जा रही है। ओजोन लेयर सूरज से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से धरती को बचाता है। लेकिन अब इसमें छेद होने लगे हैं और यदि यह समस्या ऐसे ही बढ़ती गई तो धरती में मनुष्य के साथ किसी भी अन्य जीवों का गुजारा नामुमकिन है। सूरज से आने वाली ये किरणें बेहद हानिकारक होती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है और सर्दी का समय कम होता जा रहा है। बढ़ती गर्मी की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और उसका पानी समुद्र में जा रहा है जिसकी वजह से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जो कि खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय (Ways To Prevent Global Warming)

इस समस्या को रोकने के कई उपाय दिए गए हैं जिनका पालन करने से इसमें कमी आ सकती है –

  • हमें लोगों को इस समस्या के लिए जागरूक करना होगा ताकि वह इसकी गंभीरता को समझ सकें।
  • सरकार को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या के लिए कई योजनाएं बनानी चाहिए जिससे लोगों को इसके दुष्परिणामों की जानकारी हो।
  • जो वस्तु ग्रीन हाउस गैसें का उत्पादन अधिक करती हैं, उनका उपयोग कम करना चाहिए।
  • खुद के निजी वाहन का उपयोग कम कर के सार्वजनिक वाहनों का उपयोग बढ़ा दें।
  • जंगलों को नहीं काटना चाहिए बल्कि जितना हो सके अधिक पेड़-पौधे लगाएं।
  • एयर कंडीशनर का उपयोग जरूरत भर के लिए ही करें।
  • देश की आबादी को नियंत्रित करना जरूरी है।
  • प्लास्टिक की थैलियों की वजह कपड़े के थैले इस्तेमाल करें।
  • गैसोलीन का इस्तेमाल कम से कम करें।

ग्लोबल वार्मिंग के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Global Warming in Hindi)

  • आईपीसीसी 2007 की एक रिपोर्ट के हिसाब से ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस सदी के आखिर तक समुद्र का स्तर 7-23 इंच बढ़ जाएगा।
  • एक स्टडी के अनुसार, 20वीं सदी के आखिर के दो दशक पिछले 400 सालों में सबसे गर्म रहे हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है और ऐसा अनुमान है कि 2040 तक यहाँ पूरी बर्फ पिघल जाएगी।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण के कारण विश्व भर में जंगल की आग, लू और भयंकर तूफानों के प्रभाव बढ़ गए हैं।
  • मनुष्य अपनी रोज की गतिविधियों के कारण साल में लगभग 37 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड निकाल रहा है।
  • इसके कारण दुनिया की ठंडी जगहें गर्म हो रही हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

धरती मनुष्यों के लिए बहुत खूबसूरत तोहफा है और इसको संभालकर रखना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस निबंध को लिखा गया है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी हमारे पर्यावरण के खतरों को समझे और इसकी देखभाल और कदर कर सकें। इस निबंध से बच्चों में जागरूकता फैलेगी और वे आगे आने वाले समय में परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए धरती को कम से कम नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

1. ग्लोबल वार्मिंग की वर्तमान दर क्या है?

पिछले 5 दशकों में वैश्विक तापमान में औसत वृद्धि 1.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक है।

2. पृथ्वी का सबसे गर्म दशक कौन सा रहा है ?

पृथ्वी का सबसे गर्म दशक 2000-2009 तक रहा है।

यह भी पढ़ें:

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi) जल प्रदूषण पर निबंध (Essay On Water Pollution In Hindi)

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

मेरा घर पर निबंध (my house essay in hindi), महात्मा बुद्ध पर निबंध (mahatma buddha essay in hindi), पिता दिवस पर भाषण (father’s day speech in hindi), जलवायु परिवर्तन पर निबंध (essay on climate change in hindi), गंगा नदी पर निबंध (essay on ganga river in hindi), फलों का राजा आम पर निबंध (mango essay in hindi), popular posts, मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी – खुशबू की कीमत | mulla nasruddin and price of fragrance story in hindi, तीन बैल और शेर की कहानी | the lion and three bulls story in hindi, कुएं के पानी की कहानी | water in the well story in hindi, अकबर-बीरबल की कहानी: सारी दुनिया बेईमान | akbar and birbal story: the world is dishonest story in hindi, अकबर-बीरबल की कहानी: जोरू का गुलाम | akbar and birbal story: wife’s slave in hindi, मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी – खुशबू की कीमत | mulla nasruddin..., तीन बैल और शेर की कहानी | the lion and three..., कुएं के पानी की कहानी | water in the well story..., अकबर-बीरबल की कहानी: सारी दुनिया बेईमान | akbar and birbal story:..., अकबर-बीरबल की कहानी: जोरू का गुलाम | akbar and birbal story:....

FirstCry Parenting

  • Cookie & Privacy Policy
  • Terms of Use
  • हमारे बारे में
  • CBSE Class 10th

CBSE Class 12th

  • UP Board 10th
  • UP Board 12th
  • Bihar Board 10th
  • Bihar Board 12th
  • Top Schools
  • Top Schools in India
  • Top Schools in Delhi
  • Top Schools in Mumbai
  • Top Schools in Chennai
  • Top Schools in Hyderabad
  • Top Schools in Kolkata
  • Top Schools in Pune
  • Top Schools in Bangalore

Products & Resources

  • JEE Main Knockout April
  • Free Sample Papers
  • Free Ebooks
  • NCERT Notes

NCERT Syllabus

  • NCERT Books
  • RD Sharma Solutions
  • Navodaya Vidyalaya Admission 2024-25

NCERT Solutions

  • NCERT Solutions for Class 12
  • NCERT Solutions for Class 11
  • NCERT solutions for Class 10
  • NCERT solutions for Class 9
  • NCERT solutions for Class 8
  • NCERT Solutions for Class 7
  • JEE Main 2024
  • MHT CET 2024
  • JEE Advanced 2024
  • BITSAT 2024
  • View All Engineering Exams
  • Colleges Accepting B.Tech Applications
  • Top Engineering Colleges in India
  • Engineering Colleges in India
  • Engineering Colleges in Tamil Nadu
  • Engineering Colleges Accepting JEE Main
  • Top IITs in India
  • Top NITs in India
  • Top IIITs in India
  • JEE Main College Predictor
  • JEE Main Rank Predictor
  • MHT CET College Predictor
  • AP EAMCET College Predictor
  • GATE College Predictor
  • KCET College Predictor
  • JEE Advanced College Predictor
  • View All College Predictors
  • JEE Advanced Cutoff
  • JEE Main Cutoff
  • MHT CET Result 2024
  • JEE Advanced Result
  • Download E-Books and Sample Papers
  • Compare Colleges
  • B.Tech College Applications
  • AP EAMCET Result 2024
  • MAH MBA CET Exam
  • View All Management Exams

Colleges & Courses

  • MBA College Admissions
  • MBA Colleges in India
  • Top IIMs Colleges in India
  • Top Online MBA Colleges in India
  • MBA Colleges Accepting XAT Score
  • BBA Colleges in India
  • XAT College Predictor 2024
  • SNAP College Predictor
  • NMAT College Predictor
  • MAT College Predictor 2024
  • CMAT College Predictor 2024
  • CAT Percentile Predictor 2024
  • CAT 2024 College Predictor
  • Top MBA Entrance Exams 2024
  • AP ICET Counselling 2024
  • GD Topics for MBA
  • CAT Exam Date 2024
  • Download Helpful Ebooks
  • List of Popular Branches
  • QnA - Get answers to your doubts
  • IIM Fees Structure
  • AIIMS Nursing
  • Top Medical Colleges in India
  • Top Medical Colleges in India accepting NEET Score
  • Medical Colleges accepting NEET
  • List of Medical Colleges in India
  • List of AIIMS Colleges In India
  • Medical Colleges in Maharashtra
  • Medical Colleges in India Accepting NEET PG
  • NEET College Predictor
  • NEET PG College Predictor
  • NEET MDS College Predictor
  • NEET Rank Predictor
  • DNB PDCET College Predictor
  • NEET Result 2024
  • NEET Asnwer Key 2024
  • NEET Cut off
  • NEET Online Preparation
  • Download Helpful E-books
  • Colleges Accepting Admissions
  • Top Law Colleges in India
  • Law College Accepting CLAT Score
  • List of Law Colleges in India
  • Top Law Colleges in Delhi
  • Top NLUs Colleges in India
  • Top Law Colleges in Chandigarh
  • Top Law Collages in Lucknow

Predictors & E-Books

  • CLAT College Predictor
  • MHCET Law ( 5 Year L.L.B) College Predictor
  • AILET College Predictor
  • Sample Papers
  • Compare Law Collages
  • Careers360 Youtube Channel
  • CLAT Syllabus 2025
  • CLAT Previous Year Question Paper
  • NID DAT Exam
  • Pearl Academy Exam

Predictors & Articles

  • NIFT College Predictor
  • UCEED College Predictor
  • NID DAT College Predictor
  • NID DAT Syllabus 2025
  • NID DAT 2025
  • Design Colleges in India
  • Top NIFT Colleges in India
  • Fashion Design Colleges in India
  • Top Interior Design Colleges in India
  • Top Graphic Designing Colleges in India
  • Fashion Design Colleges in Delhi
  • Fashion Design Colleges in Mumbai
  • Top Interior Design Colleges in Bangalore
  • NIFT Result 2024
  • NIFT Fees Structure
  • NIFT Syllabus 2025
  • Free Design E-books
  • List of Branches
  • Careers360 Youtube channel
  • IPU CET BJMC
  • JMI Mass Communication Entrance Exam
  • IIMC Entrance Exam
  • Media & Journalism colleges in Delhi
  • Media & Journalism colleges in Bangalore
  • Media & Journalism colleges in Mumbai
  • List of Media & Journalism Colleges in India
  • CA Intermediate
  • CA Foundation
  • CS Executive
  • CS Professional
  • Difference between CA and CS
  • Difference between CA and CMA
  • CA Full form
  • CMA Full form
  • CS Full form
  • CA Salary In India

Top Courses & Careers

  • Bachelor of Commerce (B.Com)
  • Master of Commerce (M.Com)
  • Company Secretary
  • Cost Accountant
  • Charted Accountant
  • Credit Manager
  • Financial Advisor
  • Top Commerce Colleges in India
  • Top Government Commerce Colleges in India
  • Top Private Commerce Colleges in India
  • Top M.Com Colleges in Mumbai
  • Top B.Com Colleges in India
  • IT Colleges in Tamil Nadu
  • IT Colleges in Uttar Pradesh
  • MCA Colleges in India
  • BCA Colleges in India

Quick Links

  • Information Technology Courses
  • Programming Courses
  • Web Development Courses
  • Data Analytics Courses
  • Big Data Analytics Courses
  • RUHS Pharmacy Admission Test
  • Top Pharmacy Colleges in India
  • Pharmacy Colleges in Pune
  • Pharmacy Colleges in Mumbai
  • Colleges Accepting GPAT Score
  • Pharmacy Colleges in Lucknow
  • List of Pharmacy Colleges in Nagpur
  • GPAT Result
  • GPAT 2024 Admit Card
  • GPAT Question Papers
  • NCHMCT JEE 2024
  • Mah BHMCT CET
  • Top Hotel Management Colleges in Delhi
  • Top Hotel Management Colleges in Hyderabad
  • Top Hotel Management Colleges in Mumbai
  • Top Hotel Management Colleges in Tamil Nadu
  • Top Hotel Management Colleges in Maharashtra
  • B.Sc Hotel Management
  • Hotel Management
  • Diploma in Hotel Management and Catering Technology

Diploma Colleges

  • Top Diploma Colleges in Maharashtra
  • UPSC IAS 2024
  • SSC CGL 2024
  • IBPS RRB 2024
  • Previous Year Sample Papers
  • Free Competition E-books
  • Sarkari Result
  • QnA- Get your doubts answered
  • UPSC Previous Year Sample Papers
  • CTET Previous Year Sample Papers
  • SBI Clerk Previous Year Sample Papers
  • NDA Previous Year Sample Papers

Upcoming Events

  • NDA Application Form 2024
  • UPSC IAS Application Form 2024
  • CDS Application Form 2024
  • CTET Admit card 2024
  • HP TET Result 2023
  • SSC GD Constable Admit Card 2024
  • UPTET Notification 2024
  • SBI Clerk Result 2024

Other Exams

  • SSC CHSL 2024
  • UP PCS 2024
  • UGC NET 2024
  • RRB NTPC 2024
  • IBPS PO 2024
  • IBPS Clerk 2024
  • IBPS SO 2024
  • Top University in USA
  • Top University in Canada
  • Top University in Ireland
  • Top Universities in UK
  • Top Universities in Australia
  • Best MBA Colleges in Abroad
  • Business Management Studies Colleges

Top Countries

  • Study in USA
  • Study in UK
  • Study in Canada
  • Study in Australia
  • Study in Ireland
  • Study in Germany
  • Study in China
  • Study in Europe

Student Visas

  • Student Visa Canada
  • Student Visa UK
  • Student Visa USA
  • Student Visa Australia
  • Student Visa Germany
  • Student Visa New Zealand
  • Student Visa Ireland
  • CUET PG 2024
  • IGNOU B.Ed Admission 2024
  • DU Admission 2024
  • UP B.Ed JEE 2024
  • LPU NEST 2024
  • IIT JAM 2024
  • IGNOU Online Admission 2024
  • Universities in India
  • Top Universities in India 2024
  • Top Colleges in India
  • Top Universities in Uttar Pradesh 2024
  • Top Universities in Bihar
  • Top Universities in Madhya Pradesh 2024
  • Top Universities in Tamil Nadu 2024
  • Central Universities in India
  • CUET DU Cut off 2024
  • IGNOU Date Sheet
  • CUET DU CSAS Portal 2024
  • CUET Response Sheet 2024
  • CUET Result 2024
  • CUET Participating Universities 2024
  • CUET Previous Year Question Paper
  • CUET Syllabus 2024 for Science Students
  • E-Books and Sample Papers
  • CUET Exam Pattern 2024
  • CUET Exam Date 2024
  • CUET Cut Off 2024
  • CUET Exam Analysis 2024
  • IGNOU Exam Form 2024
  • CUET PG Counselling 2024
  • CUET Answer Key 2024

Engineering Preparation

  • Knockout JEE Main 2024
  • Test Series JEE Main 2024
  • JEE Main 2024 Rank Booster

Medical Preparation

  • Knockout NEET 2024
  • Test Series NEET 2024
  • Rank Booster NEET 2024

Online Courses

  • JEE Main One Month Course
  • NEET One Month Course
  • IBSAT Free Mock Tests
  • IIT JEE Foundation Course
  • Knockout BITSAT 2024
  • Career Guidance Tool

Top Streams

  • IT & Software Certification Courses
  • Engineering and Architecture Certification Courses
  • Programming And Development Certification Courses
  • Business and Management Certification Courses
  • Marketing Certification Courses
  • Health and Fitness Certification Courses
  • Design Certification Courses

Specializations

  • Digital Marketing Certification Courses
  • Cyber Security Certification Courses
  • Artificial Intelligence Certification Courses
  • Business Analytics Certification Courses
  • Data Science Certification Courses
  • Cloud Computing Certification Courses
  • Machine Learning Certification Courses
  • View All Certification Courses
  • UG Degree Courses
  • PG Degree Courses
  • Short Term Courses
  • Free Courses
  • Online Degrees and Diplomas
  • Compare Courses

Top Providers

  • Coursera Courses
  • Udemy Courses
  • Edx Courses
  • Swayam Courses
  • upGrad Courses
  • Simplilearn Courses
  • Great Learning Courses

जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

जलवायु परिवर्तन पर निबंध: धरती पर जीवन के अनुकूल जलवायु के कारण ही यहां जीवन संभव है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें लगातार हो रहे परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ाई है। जीवाश्म ईंधन जैसे, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। औसत मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज (Climate change) कहा जाता है। दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में जलवायु में बड़े स्तर पर हो रहे परिवर्तन से जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इन दिनों उद्योग और शहरीकरण से इस परिवर्तन में तेजी देखी गई है।

जलवायु परिवर्तन पर लेख (Essay on climate change in hindi) - जलवायु क्या है?

जलवायु परिवर्तन पर लेख (essay on climate change in hindi) - जलवायु परिवर्तन क्या है, जलवायु परिवर्तन पर लेख (essay on climate change in hindi) - जलवायु परिवर्तन के कारण (reasons of climate change), जलवायु परिवर्तन पर लेख (essay on climate change in hindi) - ग्लोबल वार्मिंग के मानवजनित कारण, जलवायु परिवर्तन पर लेख (essay on climate change in hindi) - जलवायु परिवर्तन के परिणाम (effects of climate change), जलवायु परिवर्तन पर निबंध (essay on climate change in hindi) - जलवायु परिवर्तन की दिशा में उठाए जा रहे कदम, जलवायु परिवर्तन पर निबंध (essay on climate change in hindi) - निष्कर्ष.

जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

सामान्यतः जलवायु का मतलब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है। अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं। जलवायु एक ऐसा पहलू है जो दुनिया के हर इंसान के जीवन से जुड़ा हुआ है। जलवायु की दशा हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है। मानवीय तथा कुछ प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जलवायु की दशा बदल रही है। हाल के वर्षों और दशकों में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट गए हैं: यूएन जलवायु रिपोर्ट 2019 इस बात की पुष्टि करती है कि 2010-2019 सबसे गर्म दशक था। वर्ष 2019 में वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसें नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी।

ये भी पढ़ें :

  • होली पर निबंध
  • महात्मा गांधी पर निबंध

इन सब वजहों से जलवायु में परिवर्तन आ रहा है, जिसे जलवायु परिवर्तन की संज्ञा दी जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जलवायु में हो रहे नकारात्मक परिवर्तन (Negative changes in climate) पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए बहुत ही खतरनाक सिद्ध होंगे। हालांकि जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति सरकारें जागरूक हो रही हैं और लोगों को भी जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति आगाह करने की जरूरत है। हमारे देश भारत के लिए राहत की बात है कि वर्ष 2024 में जलवायु प्रदर्शन सूचकांक में सातवें स्थान पर रहा जो बीते वर्ष 2023 में 8वें नंबर पर था। हालांकि इसमें अभी काफी सुधार की जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन पर निबंध (jalvayu parivartan par nibandh) से इस विषय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर एक बेहद गंभीर मुद्दा है जिससे अवगत करवाने के लिए विद्यालयों में छात्रों को भी जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है या फिर कभी-कभी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए जलवायु परिवर्तन पर निबंध (climate change par nibandh) लिखने से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

जलवायु परिवर्तन पर लेख (jalvayu parivartan par lekh) के प्रारंभ में जलवायु क्या है, पहले इस बात को समझने की जरूरत है। एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। यूरोपीय देशों में जहां गर्मी की ऋतु छोटी होती है और कड़ाके की ठंड पड़ती है, जबकि भारत में अधिक गर्मी वाले मौसम की प्रधानता रहती है। सर्दियों के 2-3 महीनों को छोड़ दिया जाए, तो शेष समय जलवायु गर्म ही रहता है। भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में, तो सर्दियों की ऋतु का तापमान औसत स्तर का रहता है। इस तरह किसी क्षेत्र की जलवायु उसकी स्थिति पर निर्भर करती है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • प्रदूषण पर निबंध
  • बाल दिवस पर हिंदी में भाषण
  • कक्षा 11 से नीट की तैयारी कैसे करें
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण

किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है तथा पूरी दुनिया में भी इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व पर इसका असर देखने को मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट (climate report) में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक संकेतों - जैसे भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और बर्फ के पिघलने के अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, खाद्य सुरक्षा और भूमि तथा समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है। जलवायु परिवर्तन को विस्तार से समझने के लिए क्लाइमेटचेंज नॉलेज पोर्टल https://climateknowledgeportal.worldbank.org/overview पर विजिट कर इसे विस्तार से समझ सकते हैं। यह पोर्टल दुनिया भर में सदियों से हो रहे जलवायु परिवर्न को विस्तार से बताता है। जलवायु परिवर्तन में सकारात्मक सुधार के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर संस्थानों, सरकारों को जागरूक करते हुए इस दिशा में व्यापक पैमाने पर काम करने को प्रोत्साहिक किया जाता है।

बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी पृथ्वी के तापमान में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ते तापमान ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को और गंभीर बनाने का कार्य किया है। जलवायु रिपोर्ट के अनुसार 1980 के दशक के बाद आगामी प्रत्येक दशक, 1850 से किसी भी दशक की तुलना में अधिक गर्म रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस के इस कथन से भी यह बात समझी जा सकती है - अब तक का सबसे गर्म साल 2016 था, लेकिन जल्द ही इससे अधिक गर्म वर्ष देखने को मिल सकते हैं। यह देखते हुए कि ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि जारी है, तापमान में वृद्धि (global warming) जारी रहेगी। आगामी दशकों के लिए लगाए जाने एक हालिया पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि आने वाले पांच वर्षों में एक नया वार्षिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड मिलने की आशंका है।

  • दशहरा पर निबंध
  • दिवाली पर निबंध

जिसके कारण के कारणों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- प्राकृतिक और मानवीय। जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी, महासागरीय धाराओं, महाद्वीपों के अलगाव आदि प्रमुख हैं।

ज्वालामुखी- ज्वालामुखी की सक्रियता बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड, जलवाष्प, धूल कण तथा राख को वायुमण्डल में फैलाने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, ज्वालामुखी की सक्रियता कुछ दिनों की ही हो सकती हैं, लेकिन भारी मात्रा में निकलने वाली गैसें तथा राख लंबे समय तक जलवायु के पैटर्न को प्रभावित करती है।

महासागरीय धाराएं- महासागरों की जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। वायुमंडल या भू-सतह की तुलना में दुगुना तापमान इनके द्वारा अवशोषित किया जाता है। महासागरीय प्रवाह चारों ओर तापमान के स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार है। इनकी वजह से हवाओं की दिशा परिवर्तित कर तापमान को प्रभावित किया जाता है। तापमान को अवशोषित करने वाली ग्रीनहाउस गैस का एक अहम हिस्सा समुद्रों जलवाष्प होती है जो कि वायुमंडल में तापमान को अवशोषित करने का काम करती है।

मिथेन गैस का भंडार- आर्कटिक महासागर की बर्फ के नीचे अतल गहराइयों में मेथेन हाइड्रेट के रूप में ग्रीनहाउस गैस मेथेन का विशाल भंडार है जो विशिष्ट ताप और दाब में हाइड्राइट रूप में रहता है। ताप और दाब में परिवर्तन होने पर यह मिथेन मुक्त होती है और वायुमंडल में घुल जाती है। अपने गैसीय रूप में, मिथेन सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में पृथ्वी को बहुत अधिक गर्म करती है।

ग्रीनहाउस प्रभाव गैसें- वायुमंडल में विद्यमान कार्बन डाईऑक्साइड, मेथेन, जलवाष्प आदि के द्वारा सूर्य के प्रकाश की ऊष्मा के एक भाग को अवशोषित कर लिया जाता है, इस घटना को ग्रीनहाउस प्रभाव कहा जाता है।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग- जीवाश्म ईँधन के प्रयोग के कारण ग्रीनहाउस गैसों खासकर कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में बढ़ता जा रहा है। लगभग 33% कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जीवाश्म ईँधनों के प्रयोग को माना जाता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया पर आपदाओं के बादल मंडरा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कुछ परिणाम निम्नलिखित हैं-

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बहुत ही जल्दी-जल्दी और घातक बदलाव होने लगे हैं।

साल 2019 दूसरा सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया।

अब तक का सबसे गर्म दशक 2010- 2019 रिकॉर्ड किया गया।

वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2019 में नए रिकॉर्ड तक पहुंच गया।

बाढ़, सूखा, झुलसा देने वाली लू, जंगल की आग और क्षेत्रीय चक्रवातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में जमी बर्फ के पिघलने की दर बढ़ती जा रही है जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।

मालदीव की समुद्र तल से ऊंचाई कम होने के कारण यह द्वीपीय राष्ट्र विशेष खतरे में है। इस देश का उच्चतम स्थान समुद्र तल से लगभग 7.5 फीट ऊँचा है जिससे मालदीव के समुद्र में डूबने का खतरे बढ़ता जा रहा है।

दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया सहित अधिकांश भू-क्षेत्र हालिया औसत से अधिक गर्म रहे। अमेरिकी राज्य अलास्का भी तुलानात्मक रूप से गर्म था वहीं इसके विपरीत उत्तरी अमेरिका का एक बड़ा क्षेत्र हाल के औसत से अधिक ठंडा रहा।

वर्ष 2019 जुलाई के अंत में आए लू के थपेड़ों से मध्य और पश्चिमी यूरोप का अधिकांश भाग प्रभावित हुआ। इस दौरान नीदरलैंड में 2964 मौतें लू से जुड़ी पाई गईं जो कि गर्मी के सप्ताह में औसतन होने वाली मौतों की तुलना में लगभग 400 अधिक थीं।

लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के चलते उपजे खतरों को देखते हुए ग्लोबल वार्मिंग कारण और निवारण पर साल 2015 में ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अपनाया गया जिसका लक्ष्य इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के स्तर से नीचे रखना है। समझौते का उद्देश्य उपयुक्त वित्तीय प्रवाह, नए प्रौद्योगिकी ढांचे और उन्नत क्षमता निर्माण ढांचे के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए देशों की क्षमता में वृद्धि करना भी है। जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए दुनिया भर में उठाए जा रहे कदमों को मजबूत करने और तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों की रूपरेखा के साथ 4 नवंबर, 2016 को जलवाय परिवर्तन पर पेरिस समझौते को क्रियान्वित किया गया।

जीवन और आजीविका बचाने के लिए महामारी और जलवायु आपातकाल दोनों को संबोधित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। हमारे ग्रह पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व मजबूत कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, पृथ्वी को स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों को एकजुट होकर व पूरी ईमानदारी के साथ काम करना होगा। यह बात ज्ञात हो कि कोई देश अकेले ही ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से निपटने में सक्षम नहीं है। इस खतरे को सभी मिलकर ही दूर कर सकते हैं।

Frequently Asked Question (FAQs)

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। 

किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है और पूरी दुनिया में भी। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दिशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व में इसका असर देखने को मिल रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के अन्य परिणामों के बारे में जानकारी लेख में दी गई है।

  • Latest Articles
  • Popular Articles

Upcoming School Exams

National institute of open schooling 12th examination.

Application Date : 07 June,2024 - 06 July,2024

National Institute of Open Schooling 10th examination

Gujarat board secondary school certificate examination.

Admit Card Date : 15 June,2024 - 06 July,2024

Jammu and Kashmir State Board of School Education 10th Examination

Others : 21 June,2024 - 12 July,2024

Gujarat Board Higher Secondary School Certificate

Exam Date : 24 June,2024 - 06 July,2024

Applications for Admissions are open.

Aakash iACST Scholarship Test 2024

Aakash iACST Scholarship Test 2024

Get up to 90% scholarship on NEET, JEE & Foundation courses

JEE Main Important Physics formulas

JEE Main Important Physics formulas

As per latest 2024 syllabus. Physics formulas, equations, & laws of class 11 & 12th chapters

JEE Main Important Chemistry formulas

JEE Main Important Chemistry formulas

As per latest 2024 syllabus. Chemistry formulas, equations, & laws of class 11 & 12th chapters

TOEFL ® Registrations 2024

TOEFL ® Registrations 2024

Accepted by more than 11,000 universities in over 150 countries worldwide

PTE Exam 2024 Registrations

PTE Exam 2024 Registrations

Register now for PTE & Save 5% on English Proficiency Tests with ApplyShop Gift Cards

JEE Main high scoring chapters and topics

JEE Main high scoring chapters and topics

As per latest 2024 syllabus. Study 40% syllabus and score upto 100% marks in JEE

Explore on Careers360

  • Board Exams
  • Navodaya Vidyalaya
  • NCERT Solutions for Class 10
  • NCERT Solutions for Class 9
  • NCERT Solutions for Class 8
  • NCERT Solutions for Class 6

NCERT Exemplars

  • NCERT Exemplar
  • NCERT Exemplar Class 9 solutions
  • NCERT Exemplar Class 10 solutions
  • NCERT Exemplar Class 11 Solutions
  • NCERT Exemplar Class 12 Solutions
  • NCERT Books for class 6
  • NCERT Books for class 7
  • NCERT Books for class 8
  • NCERT Books for class 9
  • NCERT Books for Class 10
  • NCERT Books for Class 11
  • NCERT Books for Class 12
  • NCERT Notes for Class 9
  • NCERT Notes for Class 10
  • NCERT Notes for Class 11
  • NCERT Notes for Class 12
  • NCERT Syllabus for Class 6
  • NCERT Syllabus for Class 7
  • NCERT Syllabus for class 8
  • NCERT Syllabus for class 9
  • NCERT Syllabus for Class 10
  • NCERT Syllabus for Class 11
  • NCERT Syllabus for Class 12
  • CBSE Date Sheet
  • CBSE Syllabus
  • CBSE Admit Card
  • CBSE Result
  • CBSE Result Name and State Wise
  • CBSE Passing Marks

CBSE Class 10

  • CBSE Board Class 10th
  • CBSE Class 10 Date Sheet
  • CBSE Class 10 Syllabus
  • CBSE 10th Exam Pattern
  • CBSE Class 10 Answer Key
  • CBSE 10th Admit Card
  • CBSE 10th Result
  • CBSE 10th Toppers
  • CBSE Board Class 12th
  • CBSE Class 12 Date Sheet
  • CBSE Class 12 Admit Card
  • CBSE Class 12 Syllabus
  • CBSE Class 12 Exam Pattern
  • CBSE Class 12 Answer Key
  • CBSE 12th Result
  • CBSE Class 12 Toppers

CISCE Board 10th

  • ICSE 10th time table
  • ICSE 10th Syllabus
  • ICSE 10th exam pattern
  • ICSE 10th Question Papers
  • ICSE 10th Result
  • ICSE 10th Toppers
  • ISC 12th Board
  • ISC 12th Time Table
  • ISC Syllabus
  • ISC 12th Question Papers
  • ISC 12th Result
  • IMO Syllabus
  • IMO Sample Papers
  • IMO Answer Key
  • IEO Syllabus
  • IEO Answer Key
  • NSO Syllabus
  • NSO Sample Papers
  • NSO Answer Key
  • NMMS Application form
  • NMMS Scholarship
  • NMMS Eligibility
  • NMMS Exam Pattern
  • NMMS Admit Card
  • NMMS Question Paper
  • NMMS Answer Key
  • NMMS Syllabus
  • NMMS Result
  • NTSE Application Form
  • NTSE Eligibility Criteria
  • NTSE Exam Pattern
  • NTSE Admit Card
  • NTSE Syllabus
  • NTSE Question Papers
  • NTSE Answer Key
  • NTSE Cutoff
  • NTSE Result

Schools By Medium

  • Malayalam Medium Schools in India
  • Urdu Medium Schools in India
  • Telugu Medium Schools in India
  • Karnataka Board PUE Schools in India
  • Bengali Medium Schools in India
  • Marathi Medium Schools in India

By Ownership

  • Central Government Schools in India
  • Private Schools in India
  • Schools in Delhi
  • Schools in Lucknow
  • Schools in Kolkata
  • Schools in Pune
  • Schools in Bangalore
  • Schools in Chennai
  • Schools in Mumbai
  • Schools in Hyderabad
  • Schools in Gurgaon
  • Schools in Ahmedabad
  • Schools in Uttar Pradesh
  • Schools in Maharashtra
  • Schools in Karnataka
  • Schools in Haryana
  • Schools in Punjab
  • Schools in Andhra Pradesh
  • Schools in Madhya Pradesh
  • Schools in Rajasthan
  • Schools in Tamil Nadu
  • NVS Admit Card
  • Navodaya Result
  • Navodaya Exam Date
  • Navodaya Vidyalaya Admission Class 6
  • JNVST admit card for class 6
  • JNVST class 6 answer key
  • JNVST class 6 Result
  • JNVST Class 6 Exam Pattern
  • Navodaya Vidyalaya Admission
  • JNVST class 9 exam pattern
  • JNVST class 9 answer key
  • JNVST class 9 Result

Download Careers360 App's

Regular exam updates, QnA, Predictors, College Applications & E-books now on your Mobile

student

Certifications

student

We Appeared in

Economic Times

Drishti IAS

  • मासिक मैगज़ीन
  • इंटरव्यू गाइडेंस
  • ऑनलाइन कोर्स
  • कक्षा कार्यक्रम
  • दृष्टि वेब स्टोर
  • नोट्स की सूची
  • नोट्स बनाएँ
  • माय प्रोफाइल
  • माय बुकमार्क्स
  • माय प्रोग्रेस
  • पासवर्ड बदलें
  • संपादक की कलम से
  • नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
  • डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
  • बिगनर्स के लिये सुझाव

एचीवर्स कॉर्नर

  • टॉपर्स कॉपी
  • टॉपर्स इंटरव्यू

हमारे बारे में

  • सामान्य परिचय
  • 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
  • दृष्टि पब्लिकेशन
  • दृष्टि मीडिया
  • प्रबंध निदेशक
  • इंफ्रास्ट्रक्चर
  • प्रारंभिक परीक्षा
  • प्रिलिम्स विश्लेषण
  • 60 Steps To Prelims
  • प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
  • डेली एडिटोरियल टेस्ट
  • डेली करेंट टेस्ट
  • साप्ताहिक रिवीज़न
  • एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
  • आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
  • सीसैट टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन टेस्ट
  • योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
  • डाउन टू अर्थ टेस्ट
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
  • सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
  • मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
  • मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
  • 2018 प्रारंभिक परीक्षा
  • टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
  • फ्री मॉक टेस्ट
  • मुख्य परीक्षा
  • मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
  • निबंध उपयोगी उद्धरण
  • टॉपर्स के निबंध
  • साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
  • सामान्य अध्ययन
  • हिंदी साहित्य
  • दर्शनशास्त्र
  • हिंदी अनिवार्य
  • Be Mains Ready
  • 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
  • ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
  • मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश

टेस्ट सीरीज़

  • UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़

करेंट अफेयर्स

  • डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
  • डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
  • संसद टीवी संवाद
  • आर्थिक सर्वेक्षण

दृष्टि स्पेशल्स

  • चर्चित मुद्दे
  • महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
  • मैप के माध्यम से अध्ययन
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
  • पीआरएस कैप्सूल्स
  • एनसीईआरटी बुक्स
  • एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
  • इग्नू स्टडी मैटिरियल
  • योजना और कुरुक्षेत्र
  • इन्फोग्राफिक्स
  • मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह

वीडियो सेक्शन

  • मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
  • मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
  • करेंट न्यूज़ बुलेटिन
  • मॉक इंटरव्यू
  • टॉपर्स व्यू
  • सरकारी योजनाएँ
  • ऑडियो आर्टिकल्स
  • उत्तर लेखन की रणनीति
  • कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
  • दृष्टि आईएएस के बारे में जानें

सिविल सेवा परीक्षा

  • परीक्षा का प्रारूप
  • सिविल सेवा ही क्यों?
  • सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
  • वैकल्पिक विषय
  • परीक्षा विज्ञप्ति
  • डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

Make Your Note

जलवायु परिवर्तन: चुनौतियाँ और समाधान

  • 31 Mar 2020
  • 21 min read
  • सामान्य अध्ययन-III
  • जलवायु परिवर्तन
  • पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में जलवायु परिवर्तन व उससे उपजी चुनौतियाँ और समाधान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

वर्ष 2100 तक भारत समेत अमेरिका, कनाडा, जापान, न्यूजीलैंड, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएँ जलवायु परिवर्तन के असर से अछूती नहीं रहेंगी। कुछ समय पूर्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की एक शोध टीम ने 174 देशों के वर्ष 1960 के बाद जलवायु संबंधी आँकड़ों का अध्ययन किया है। अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान की स्थिति में विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ मानव के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इंच की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीँ संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UN Office for Disaster Risk Reduction-UNDRR) के अनुसार, भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण हुई प्राकृतिक आपदाओं से वर्ष 1998-2017 के बीच की समयावधि के दौरान लगभग 8,000 करोड़ डॉलर की आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा है। यदि पूरी दुनिया की बात की जाए तो इसी समयावधि में तकरीबन 3 लाख करोड़ डॉलर की क्षति हुई है। हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के तत्वावधान में आयोजित COP-25 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये विभिन्न दिशा-निर्देश ज़ारी किये गए।         

इस आलेख में जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन के कारण, उससे उत्पन्न चुनौतियों पर विश्लेषण किया जाएगा। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

क्या है जलवायु परिवर्तन?

  • जलवायु परिवर्तन को समझने से पूर्व यह समझ लेना आवश्यक है कि जलवायु क्या होता है? सामान्यतः जलवायु का आशय किसी दिये गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है।
  • अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन को किसी एक स्थान विशेष में भी महसूस किया जा सकता है एवं संपूर्ण विश्व में भी। यदि वर्तमान संदर्भ में बात करें तो यह इसका प्रभाव लगभग संपूर्ण विश्व में देखने को मिल रहा है।
  • पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान बीते 100 वर्षों में 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ गया है। पृथ्वी के तापमान में यह परिवर्तन संख्या की दृष्टि से काफी कम हो सकता है, परंतु इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन का मानव जाति पर बड़ा असर हो सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा, परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है।

जलवायु परिवर्तन के कारण

जलवायु परिवर्तन के कारणों का बेहतर विश्लेषण करने के लिये इसे दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।

प्राकृतिक गतिविधियाँ 

मानवीय गतिविधियाँ.

  • महाद्वीपीय संवहन- सृष्टि के प्रारम्भ में सभी महाद्वीप एक ही बड़े धरातल के रूप में पृथ्वी पर विद्यमान थे, किंतु सागरों के कारण धीरे-धीरे वे एक दूसरे से दूर होते गए और आज उनके अलग-अलग खंड बन गए हैं। महाद्वीपीय संवहन अर्थात महाद्वीपों का खिसकना अब भी जारी है जिसकी वजह से समुद्री धाराएँ तथा हवाएँ प्रभावित होती हैं और इनका सीधा प्रभाव पृथ्वी की जलवायु पर पड़ता है। हिमालय पर्वत की श्रृंखला प्रतिवर्ष एक मिलीमीटर की दर से ऊँची हो रही है, जिसका मुख्य कारण भारतीय उपखंड का धीरे-धीरे एशियाई महाद्वीप की ओर खिसकना माना जाता है।  
  • ज्वालामुखी विस्फोट- ज्वालामुखी विस्फोट होने पर बड़ी मात्रा में विभिन्न गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि तथा धूलकण वायुमंडल में उत्सर्जित होते हैं, जो कि वायुमंडल की ऊपरी परत, समतापमंडल में जाकर फैल जाते हैं तथा पृथ्वी पर आने वाले सूर्य प्रकाश की मात्रा घटा देते हैं। जिससे पृथ्वी का तापमान कम हो जाता है। एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 100 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस ज्वालामुखी विस्फोट द्वारा वायुमंडल में फैल जाती है। वर्ष 1816 में इंग्लैंड, अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोपीय देशों में ग्रीष्म ऋतु में जो अचानक ठंड आई थी, जिसे ‘‘Killing Summer Frost’’ कहा गया, उसका कारण वर्ष 1815 में इंडोनेशिया में हुए अनेक ज्वालामुखी विस्फोटों को माना जाता है।  
  • पृथ्वी का झुकाव- पृथ्वी के झुकाव के कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है। अधिक झुकाव अर्थात अधिक गर्मी तथा अधिक सर्दी और कम झुकाव अर्थात कम गर्मी तथा कम सर्दी का मौसम। इस प्रकार पृथ्वी के झुकाव के कारण जलवायु प्रभावित होती है।
  • समुद्री धाराएँ- जलवायु को संतुलित रखने में सागरों का बड़ा योगदान रहता है। पृथ्वी के 71% भाग में समुद्र व्याप्त है, जो कि वातावरण तथा ज़मीन की तुलना में दोगुना सूर्य का प्रकाश का अवशोषण करते हैं। सागरों को कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा सिंक कहा जाता है। वायुमंडल की अपेक्षा 50 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस समुद्र में होती है। समुद्री बहाव में बदलाव आने से जलवायु प्रभावित होती है।
  • शहरीकरण- उन्नीसवीं सदी में हुई औद्योगिक क्रांति की ओर सभी का ध्यान आकर्षित हुआ। रोज़गार पाने के लिये गाँवों में स्थित आबादी शहरों की तरफ प्रस्थान करने लगी और शहरों का आकार दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगा। मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई जैसे महानगरों में उनकी क्षमता से कई गुना अधिक आबादी निवास कर रही है, जिससे शहरों के संसाधनों का असीमित दोहन हो रहा है। जैसे-जैसे शहर बढ़ रहे हैं, वहाँ पर उपलब्ध भू-भाग दिन-प्रतिदिन ऊँची-ऊँची इमारतों से ढँकता जा रहा है, जिससे उस स्थान की जल संवर्धन क्षमता कम हो रही है तथा बारिश के पानी से प्राप्त होने वाली शीतलता में भी कमी हो रही है, जिससे वहाँ के पर्यावरण तथा जलवायु पर निरंतर प्रभाव पड़ रहा है।

औद्योगिकीकरण- जलवायु परिवर्तन में औद्योगिकीकरण की बड़ी भूमिका है। विभिन्न प्रकार की मिलें वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अनेक प्रकार की अन्य ज़हरीली गैसें और धूलकण हवा में छोड़ती हैं, जो वायुमंडल में काफी वर्षों तक विद्यमान रहती है। यह ग्रीन हाउस प्रभाव, ओज़ोन परत का क्षरण तथा भूमंडलीय तापमान में वृद्धि जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। वायु, जल एवं भूमि प्रदूषण भी औद्योगिकीकरण की ही देन हैं।

  • वनोन्मूलन- निरंतर बढ़ती हुई आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वृक्ष काटे जा रहे हैं। आवास, खेती, लकड़ी और अन्य वन संसाधनों की चाह में वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे पृथ्वी का हरित क्षेत्र तेजी से घट रहा है और साथ ही जलवायु के परिवर्तन में तेजी आ रही है। 
  • रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग- पिछले कुछ दशकों में रासायनिक उर्वरकों की माँग इतनी तेजी से बढ़ी है कि आज विश्व भर में 1000 से भी अधिक प्रकार की कीटनाशी उपलब्ध हैं। जैसे-जैसे इनका उपयोग बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे वायु, जल तथा भूमि में इनकी मात्रा भी बढ़ती जा रही है, जो कि पर्यावरण को निरंतर प्रदूषित कर घातक स्थिति में पहुँचा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से प्रभाव 

  • वर्षा पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के मानसूनी क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि होगी जिससे बाढ़, भूस्खलन तथा भूमि अपरदन जैसी समस्याएँ पैदा होंगी। जल की गुणवत्ता में गिरावट आएगी तथा पीने योग्य जल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। जहाँ तक भारत का प्रश्न है, मध्य तथा उत्तरी भारत में कम वर्षा होगी जबकि इसके विपरीत देश के पूर्वोत्तर तथा दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में अधिक वर्षा होगी। परिणामस्वरूप वर्षा जल की कमी से मध्य तथा उत्तरी भारत में सूखे जैसी स्थिति होगी जबकि पूर्वोत्तर तथा दक्षिण पश्चिमी राज्यों में अधिक वर्षा के कारण बाढ़ जैसी समस्या होगी।
  • समुद्री जल स्तर पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप ग्लेशियरों के पिघलने के कारण विश्व का औसत समुद्री जल स्तर इक्कीसवीं शताब्दी के अंत तक 9 से 88 सेमी. तक बढ़ने की संभावना  है, जिससे दुनिया की आधी से अधिक आबादी जो समुद्र से 60 कि.मी. की दूरी पर रहती है, पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप भारत के उड़ीसा, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और पश्चिम बंगाल राज्यों के तटीय क्षेत्र जलमग्नता के शिकार होंगे। परिणामस्वरूप आसपास के गाँवों व शहरों में 10 करोड़ से भी अधिक लोग विस्थापित होंगे जबकि समुद्र में जल स्तर की वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत के लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार द्वीपों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से मीठे जल के स्रोत दूषित होंगे परिणामस्वरूप पीने के पानी की समस्या होगी।
  • कृषि पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि पैदावार पर पड़ेगा। संयुक्त राज्य अमरीका में फसलों की उत्पादकता में कमी आएगी जबकि दूसरी तरफ उत्तरी तथा पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व देशों, भारत, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा मैक्सिको में गर्मी तथा नमी के कारण फसलों की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होगी। वर्षा जल की उपलब्धता के आधार पर धान के क्षेत्रफल में वृद्धि होगी। भारत में जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप गन्ना, मक्का, ज्वार, बाजरा तथा रागी जैसी फसलों की उत्पादकता दर में वृद्धि होगी जबकि इसके विपरीत मुख्य फसलों जैसे गेहूँ, धान तथा जौ की उपज में गिरावट दर्ज होगी। आलू के उत्पादन में भी अभूतपूर्व गिरावट दर्ज होगी।
  • जैव विविधता पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जैवविविधता पर भी पड़ेगा। किसी भी प्रजाति को अनुकूलन हेतु समय की आवश्यकता होती है। वातावरण में अचानक परिवर्तन से अनुकूलन के प्रभाव में उसकी मृत्यु हो जाएगी। जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव समुद्र की तटीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली दलदली क्षेत्र की वनस्पतियों पर पड़ेगा जो तट को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ समुद्री जीवों के प्रजनन  का आदर्श स्थल भी होती हैं। दलदली वन जिन्हें ज्वारीय वन भी कहा जाता है, तटीय क्षेत्रों को समुद्री तूफानों में रक्षा करने का भी कार्य करते हैं। जैव-विविधता क्षरण के परिणामस्वरूप पारिस्थितिक असंतुलन का खतरा बढ़ेगा।
  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु में उष्णता के कारण श्वास तथा हृदय संबंधी  बीमारियों में वृद्धि होगी। जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप न सिर्फ रोगाणुओं में बढ़ोत्तरी होगी अपितु इनकी नई प्रजातियों की भी उत्पत्ति होगी जिसके परिणामस्वरूप फसलों की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।  मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते एक बड़ी आबादी विस्थापित होगी जो ‘पर्यावरणीय शरणार्थी’ कहलाएगी। इससे स्वास्थ्य संबंधी और भी समस्याएँ पैदा होंगी।

जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैश्विक प्रयास

  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, इसके प्रभाव और भविष्य के संभावित जोखिमों के साथ-साथ अनुकूलन तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने हेतु नीति निर्माताओं को रणनीति बनाने के लिये नियमित वैज्ञानिक आकलन प्रदान करना है। IPCC आकलन सभी स्तरों पर सरकारों को वैज्ञानिक सूचनाएँ प्रदान करता है जिसका इस्तेमाल जलवायु के प्रति उदार नीति विकसित करने के लिये किया जा सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है। वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।  
  • पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के साथ संपन्न 32 पृष्ठों एवं 29 लेखों वाले पेरिस समझौते को ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिये एक ऐतिहासिक समझौते के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • COP-25 सम्मेलन में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों ने उन गरीब देशों की मदद करने के लिये एक घोषणा का समर्थन किया जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहे हैं। इसमें पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप पृथ्वी पर वैश्विक तापन के लिये उत्तरदायी ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के लिये "तत्काल आवश्यकता" का आह्वान किया गया।

जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भारत के प्रयास

  • राष्ट्रीय सौर मिशन
  • विकसित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन
  • सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन
  • राष्ट्रीय जल मिशन
  • सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन
  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन
  • सुस्थिर कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन
  • जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा से संपन्न देशों का एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन (Treaty-Based International Intergovernmental Organization) है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्रांस ने 30 नवंबर, 2015 को पेरिस जलवायु सम्‍मेलन के दौरान की थी। ISA के प्रमुख उद्देश्यों में वैश्विक स्तर पर 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्राप्त करना और वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग 1000 बिलियन डॉलर की राशि को जुटाना शामिल है।

प्रश्न- जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का उल्लेख करते हुए इससे निपटने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा कीजिये ।

global warming par hindi mein essay

Hindi Essay on “Global Warming”, “ग्लोबल वार्मिंग”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

ग्लोबल वार्मिंग

Global Warming

‘ग्लोबल वार्मिंग’ का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोत्तरी  वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ने लगा है। इसके परिणामस्वरूप ओजोन परत में छेद होने के कारण  तापमान में वृधि हुई है। ओजोन परत कछुए के कवच की भाँति पृथ्वी के लिए एक कवच का कार्य करती है जो सूर्य। की पराबैंगनी किरणों को धरती पर आने से रोकती है। परंतु ओजोन परत में छेद होने के कारण धरती का तापमान बढ़ने लगा जिससे अनेक रोगों का खतरा बढ़ने लगा है और कई प्राकृतिक आपदाएँ भी मुँहबाए खड़ी हैं, जैसे- बाढ़, सूखा, हिमक्षरण आदि। ग्लोबल वार्मिंग से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे है। बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे हैं जिससे धरती का जल स्तर बढ़ने लगा है। इसी के परिणामस्वरूप एक समय में समुद्र के किनारे बसने वाले नगर जलमग्न हो जाएँगे । इस समस्या से निपटने के लिए जीवाश्म ईधनों का प्रयोग कम करना होगा। वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत तलाशने होंगे। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स की मात्रा पर रोक लगानी होगी। वृक्षारोपण को बढ़ावा  देना होगा, वन-संरक्षण के लिए सभी देशों को मिल-जुल कर कार्य करना होगा।

Related Posts

Hindi-Essays

Absolute-Study

Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • DownToEarth
  • Print Edition

Logo

  • साक्षात्कार

क्या होती हैं ग्रीनहाउस गैसें, धरती पर बढ़ते तापमान के लिए कैसे हैं जिम्मेवार?

क्या होती हैं ग्रीनहाउस गैसें, धरती पर बढ़ते तापमान के लिए कैसे हैं जिम्मेवार?

जलवायु परिवर्तन की इस श्रंखला के पिछले भाग में हमने इस बारे में जानने का प्रयास किया था कि  जलवायु परिवर्तन क्या होता है और किस तरह वो इंसानों को प्रभावित कर रहा है। इस भाग में हम जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ और तथ्यों को जानने की कोशिश करेंगे।

क्या होती है ग्रीनहाउस गैसें?

ग्रीनहाउस गैसें जिन्हें जीएचजी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। यह गैसें तापमान में हो रही वृद्धि के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार होती हैं। यदि वातावरण में मौजूद 6 प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों को देखें तो उनमें कार्बनडाइऑक्साइड (सीओ 2), मीथेन (सीएच 4), नाइट्रस ऑक्साइड (एन 2ओ), हाइड्रोफ्लूरोकार्बन (एचएफसी), परफ्लूरोकार्बन (पीएफसी), सल्फर हेक्साफ्लोराइड (एसएफ 6) शामिल हैं।  यह गैसें तापीय अवरक्त सीमा के भीतर के विकिरण को अवशोषित और करती हैं जो ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेवार होता है।

जलवायु परिवर्तन के लिए कैसे जिम्मेवार हैं यह ग्रीनहाउस गैसें

जैसे-जैसे वातावरण में इन ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ रही है या यह कहें की इन गैसों का आवरण और मोटा होता जा रहा है वो जरुरत से ज्यादा ऊष्मा को रोक रहीं हैं। जिस वजह से धरती पर गर्मी और तापमान बढ़ रहा है। (अधिक जानकारी के लिए देखें इस श्रंखला का पिछला भाग )

जब वातावरण में पहले से मौजूद हैं यह गैसें तो आखिर समस्या कहां है?

औद्योगिक क्रांति के बाद से इंसान बहुत अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन और अन्य स्रोतों से इन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर रहा है। हम मनुष्यों ने बहुत ही कम अवधि में बहुत ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर दिया है जिसकी प्राकृतिक तरीके से सफाई नहीं की जा सकती। इससे गैसों के उत्सर्जन और उसे हटाने के बीच का जो संतुलन था वो बिगड़ गया है। वही असंतुलन जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेवार है।  

क्या होती है कार्बन डाइऑक्साइड? किस स्तर पर पहुंच चुकी है यह गैस? 

कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2), एक महत्वपूर्ण हीट-ट्रैपिंग, ग्रीनहाउस गैस है, जो मानव गतिविधियों जैसे वनों की कटाई और जीवाश्म ईंधन के जलने के साथ-साथ सांस छोड़ने और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं के जरिए वातावरण में फैलती है।

global warming par hindi mein essay

यदि 15 फरवरी 2021 तक जारी आंकड़ों को देखें तो इसका स्तर 415.88 पार्टस प्रति मिलियन पर पहुंच चुका है, जोकि पिछले 6.5 लाख वर्षों में सबसे ज्यादा है। पिछले 171 वर्षों मानवीय गतिविधियों के चलते वातावरण में मौजूद इसके स्तर में 1850 की तुलना में करीब 48 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। यह वृद्धि कितनी ज्यादा है इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इतनी वृद्धि तो पिछले 20000 वर्षों में प्राकृतिक रूप भी नहीं हुई है।

Related Stories

  • Choose your language
  • मुख्य ख़बरें
  • अंतरराष्ट्रीय
  • उत्तर प्रदेश
  • मोबाइल मेनिया

टी-20 विश्वकप

  • बॉलीवुड न्यूज़
  • मूवी रिव्यू
  • खुल जा सिम सिम
  • आने वाली फिल्म
  • बॉलीवुड फोकस
  • श्री कृष्णा
  • व्रत-त्योहार
  • श्रीरामचरितमानस
  • दैनिक राशिफल
  • आज का जन्मदिन
  • आज का मुहूर्त
  • वास्तु-फेंगशुई
  • टैरो भविष्यवाणी
  • पत्रिका मिलान
  • रत्न विज्ञान

लाइफ स्‍टाइल

  • वीमेन कॉर्नर
  • नन्ही दुनिया
  • धर्म संग्रह

लोकसभा चुनाव

  • स्पेशल स्टोरीज
  • लोकसभा चुनाव इतिहास
  • चर्चित लोकसभा क्षेत्र
  • भारत के प्रधानमंत्री
  • climate change causes
  • 104 शेयरà¥�स

हिन्दी निबंध : जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण

global warming par hindi mein essay

  • वेबदुनिया पर पढ़ें :
  • महाभारत के किस्से
  • रामायण की कहानियां
  • रोचक और रोमांचक

उमस भरे मौसम से कैसे बचें? बारिश में क्या खाएं और क्या नहीं, डॉक्टर से जानें सभी जानकारी

उमस भरे मौसम से कैसे बचें? बारिश में क्या खाएं और क्या नहीं, डॉक्टर से जानें सभी जानकारी

ये 3 जापानी सीक्रेट हमेशा रखेंगे मोटापे से दूर, शरीर रहेगा जवान

ये 3 जापानी सीक्रेट हमेशा रखेंगे मोटापे से दूर, शरीर रहेगा जवान

इन 5 Brain Game से बच्चे का पढ़ाई में बढ़ाएं फोकस, जानें कुछ टिप्स

इन 5 Brain Game से बच्चे का पढ़ाई में बढ़ाएं फोकस, जानें कुछ टिप्स

ऐसे बढ़ाएं अपना Patience Level, नहीं करेंगी छोटी छोटी चीज़ें परेशान

ऐसे बढ़ाएं अपना Patience Level, नहीं करेंगी छोटी छोटी चीज़ें परेशान

इन 11 जगहों पर रहना चाहिए मौन, वर्ना पड़ सकता है पछताना

इन 11 जगहों पर रहना चाहिए मौन, वर्ना पड़ सकता है पछताना

और भी वीडियो देखें

global warming par hindi mein essay

सेहत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं जामुन, जानें 10 फायदे

सेहत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं जामुन, जानें 10 फायदे

बारिश के मौसम में ऐसे करें अपने पालतू की देखभाल, जानें ये 7 टिप्स

बारिश के मौसम में ऐसे करें अपने पालतू की देखभाल, जानें ये 7 टिप्स

बारिश में ऐसे करें फल और सब्जियों की सफाई, जानें ये 10 उपाय

बारिश में ऐसे करें फल और सब्जियों की सफाई, जानें ये 10 उपाय

पैरों में खुजली और इन्फेक्शन से हैं परेशान तो आजमाएं ये 7 घरेलू उपाय

पैरों में खुजली और इन्फेक्शन से हैं परेशान तो आजमाएं ये 7 घरेलू उपाय

बारिश में अब नहीं होगा डेंगू मलेरिया का खतरा, मच्छर भगाने के 10 उपाय जानें

बारिश में अब नहीं होगा डेंगू मलेरिया का खतरा, मच्छर भगाने के 10 उपाय जानें

  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन दें
  • हमसे संपर्क करें
  • प्राइवेसी पालिसी

Copyright 2024, Webdunia.com

global warming par hindi mein essay

भूमंडलीय ऊष्मीकरण पर निबंध – An Essay on Global Warming in Hindi –  Reason, Result and How to Stop Global Warming (Important Topic for All Classes)

Essay on Global warming in Hindi  – हमारी दुनिया को अभी प्रभावित करने वाले सबसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक भूमंडलीय ऊष्मीकरण है, जिसे आमतौर पर जलवायु परिवर्तन के रूप में जाना जाता है। वैश्विक तापमान वास्तव में लगातार बढ़ रहा है , पिघलती बर्फ की टोपियां और समुद्र का स्तर कार्बन डाइऑक्साइड , जैसे कि ग्रीनहाउस गैसों में तेजी से वृद्धि के परिणामस्वरूप बढ़ रहा है। गंभीर मौसम पैटर्न, प्राकृतिक आपदाएं, और पर्यावरणीय गिरावट इन परिवर्तनों से मजबूर हो रही हैं, जो संवेदनशील पारिस्थितिक संतुलन को परेशान कर रहे हैं। ध्रुवीय भालू ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित होने वाले जानवरों में से एक हैं, और यह उनके अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा है। इस संकट को दूर करने के लिए अक्षय ऊर्जा के स्रोतों पर स्विच करना और सतत विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। बढ़ते तापमान के मुद्दे के कारण, निहितार्थ और संभावित समाधान इस निबंध में शामिल किए जाएंगे ।

इस ग्‍लोबल वॉर्मिंग पर निबंध में हम आज की सबसे जटिल समस्याओं में से एक भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्‍लोबल वॉर्मिंग के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को साँझा कर रहे हैं। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्‍लोबल वॉर्मिंग एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। अतः आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारियाँ आपके लिए सहायक सिद्ध होगी।

  • भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग की परिभाषा

भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग का अर्थ

भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण.

  • भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव

भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के घातक परिणाम

भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के रोकथाम के उपाय, भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रति जागरूकता.

आज के युग में मनुष्य दिनों-दिन कई तरह की नई-नई तकनीकें विकसित करता आ रहा है। विकास के लिए मनुष्य कई तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसकी वजह से प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में बहुत मुश्किल हो रही है। इन सब के कारण धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनमें से ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत ही भयंकर समस्या है। ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या है । सूरज की रोशनी को लगातार ग्रहण करते हुए हमारी पृथ्वी दिनों-दिन गर्म होती जा रही है, जिससे वातावरण में कॉर्बनडाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। इस समस्या से ना केवल मनुष्य, बल्कि धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुँच रहा है

और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है परंतु यह ग्लोबल वार्मिंग घटने की बजाय निरंतर बढ़ ही रहा है। इस समस्या से निपटने के लिये लोगों को इसका अर्थ, कारण और प्रभाव पता होना चाहिये जिससे जल्द से जल्द इसके समाधान तक पहुँचा जा सके। इससे मुकाबला करने के लिये हम सभी को एक साथ आगे आना चाहिए और धरती पर जीवन को बचाने के लिये इसका समाधान करना चाहिए।

ग्लोबल वॉर्मिंग की परिभाषा – Definition of Global warming

धरती के वातावरण में तापमान के लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। दूसरे शब्दों में – जब वायुमंडल में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तो वायुमंडल के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। तापमान में हुए इस बदलाव को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

Related – Essays in Hindi

ग्लोबल का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और वॉर्मिंग का अर्थ है ‘गर्म’। भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’। पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं।

ग्रीन हाउस गैस

ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसें हैं । ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं, जो सूर्य से मिल रही गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं । ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसे हम जीवित प्राणी अपनी सांस के साथ उत्सर्जन करते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। दूसरी ग्रीनहाउस गैसें हैं – नाइट्रोजन ऑक्साइड, CFCs क्लोरिन और ब्रोमाईन कम्पाउंड आदि। ये सभी वातावरण में एक साथ मिल जाते हैं और वातावरण के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं। उनके पास गर्म विकीकरण को सोखने की क्षमता है जिससे धरती की सतह गर्म होने लगती है।

वायुमंडल के तापमान में होने वाली लगातार वृद्धि के कारणों में प्रदूषण भी एक कारण है । प्रदूषण कई तरह का होता है – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कई तरह की गैसें बनती जा रही है। ये गैसें ही तापमान वृद्धि का मुख्य कारण है और प्रदुषण इन गैसों को बनने में मदद करता है। See Essay on Pollution in Hindi 

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि भी वायुमंडल के तापमान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 90 प्रतिशत योगदान मानवजनित कार्बन उत्सर्जन का है।

शहरीकरण को बढ़ावा देते हुए शहरी इलाकों में कारखाने और कम्पनियाँ लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। जिनसे विषैले पदार्थ, पलास्टिक, रसायन, धुआँ आदि निकलता है। ये सभी पदार्थ वातावरण को गर्म करने का कार्य बखूबी निभाते हैं।

जंगलों की कटाई

मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता रहता है। मनुष्य ने धरती के वातावरण को संतुलित बनाए रखने वाले पेड़-पौधों को काट कर वातावरण को अत्याधिक गर्म कर दिया है , जिसके कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है, समुद्र के इस तरह जल-स्तर बढ़ने से दुनिया के कई हिस्से जल में लीन हो जाएंगे भारी तबाही मचेगी यह किसी विश्व युद्ध या किसी “एस्टेरॉयड” के पृथ्वी से टकराने से होने वाली तबाही से भी ज्यादा भयानक तबाही होगी।यह हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगा।

ओजोन परत में कमी आना

अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है। CFC गैस के बढ़ने से ओजोन परत में कमी आ रही है। ये ग्लोबल वार्मिंग का मानव जनित कारण है। CFC गैस का इस्तेमाल कई जगहों पर औद्योगिक तरल सफाई में एरोसॉल प्रणोदक की तरह और फ्रिज में होता है, जिसके नियमित बढ़ने से ओजोन परत में कमी आती है।

ओजोन परत का काम धरती को नुकसान दायक किरणों से बचाना है। जबकि, धरती के सतह की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना इस बात का संकेत है कि ओजोन परत में क्षरण हो रहा है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वॉइलेट किरणें जीवमंडल में प्रवेश कर जाती है और ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा उसे सोख लिया जाता है जिससे अंतत: ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी होती है।

उर्वरक और कीटनाशक

खेतों में फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उर्वरक और कीटनाशक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। ये केवल मिट्टी को ही प्रदूषित नहीं करते बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों को छोड़ते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार हैं।

Related – Bhumi Pradushan par nibandh in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

(i) ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं । (ii) बड़े जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है । तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जा रहे है। 1895 के बाद से साल 2012 को सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया है और साल 2003 के साथ 2013 को 1880 के बाद से सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया। (iii) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए है जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ौतरी, ठंडी के मौसम में कमी,तापमान में वृद्धि, वायु-चक्रण के रुप में बदलाव, जेट स्ट्रीम, बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि। (iv) अगर इस तरह से ग्लोबल वार्मिंग बढती रहेगी तो जो भी बर्फीले स्थान है वो पिघल कर अपना अस्तित्व खो देंगे। आजकल गर्मी और अधिक बढती जा रही है और सर्दियों में ठंड कम होती जा रही है। जब हम सर्वे को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। (v) कार्बन-डाइऑक्साइड गैस के बढने की वजह से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है। (vi) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रेगिस्तान का विस्तार होने के साथ-साथ पशु-पक्षियों की कई प्रजातियाँ भी विलुप्त हो रही हैं। (vii) ग्लोबल वार्मिंग के अधिक बढने की वजह से आक्सीजन की मात्रा भी कम होती जा रही है जिसकी वजह से ओजोन परत कमजोर होती जा रही है।

Related – Vayu pradushan par nibandh in Hindi

ग्रीन हाउस गैसें वो गैसें होती हैं, जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे। दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्व युद्ध या किसी ‘ऐस्टेराइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी। हमारे ग्रह पृथ्वी के साथ-साथ मानवीय जीवन के लिये भी यह स्थिति बहुत हानिकारक होगी।

(i) सरकारी एजेंसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, जागरुकता अभियान चलाए जाने चाहिए। जागरूकता के अभियान का काम किसी भी एक राष्ट्र के करने से नहीं होगा इस काम को हर राष्ट्र के द्वारा करना जरूरी है। (ii) ग्लोबल वार्मिंग से बहुत तरह की हानियाँ हुई हैं जिन्हें ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को बढने से रोका जा सकता है जिससे बर्फीले इलाकों को पिघलने से बचाया जा सके। (iii) वाहनों और उद्योगों में हानिकारक गैसों के लिए समाधान किये जाने चाहिए जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सके। (iv) जो चीज़ें ओजोन परत को हानि पहुँचाती हैं उन सभी चीजों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। हमें कुछ उपायों के द्वारा इसे बढने से रोकना होगा। (v) जिन वाहनों से प्रदूषण होता है उन पर रोक लगानी चाहिए। जितना हो सके प्रदूषण करने वाले वहनों का कम प्रयोग करना चाहिए जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। (vi) घर और ऑफिस में कम-से-कम एयर-कंडीशनर का प्रयोग करना चाहिए। एयर-कंडीशनर से निकलने वाली CFC गैसें वायुमंडल को गर्म करती हैं। (vii) पेड़ों की कटाई को रोककर अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने चाहिए। (viii) सामान्य बल्बों की जगह पर कम ऊर्जा की खपत वाले बल्बों का प्रयोग करना चाहिए। (ix) जिन वस्तुओं को नष्ट नहीं किया जा सकता हैं उन्हें रिसाइक्लिंग की सहायता से दुबारा प्रयोग में लाना चाहिए। (x) लाईटों का कम प्रयोग करना चाहिए जब आवश्यकता हो तभी लाईटों का प्रयोग करना चाहिए। बिजली के साधनों का कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए। (xi) गर्म पानी का बहुत ही कम प्रयोग करना चाहिए। (xii) पैकिंग करने वाले प्लास्टिक के साधनों का कम प्रयोग करना चाहिए। (xiii) जितना हो सके स्वच्छ ईंधन का प्रयोग करना चाहिए। (xiv) जल संरक्षण और वायु संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। (xv) हमें वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का कम से कम उत्सर्जन करना चाहिए और उन जलवायु परिवर्तनों को अपनाना चाहिये जो वर्षों से होते आ रहे है। (xvi) बिजली की ऊर्जा के बजाए शुद्ध और साफ ऊर्जा के इस्तेमाल की कोशिश करनी चाहिये अथवा सौर, वायु और जियोथर्मल से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिये। (xvii) तेल जलाने और कोयले के इस्तेमाल, परिवहन के साधनों, और बिजली के सामानों के स्तर को घटाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को घटाया जा सकता है। (xviii) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी देशों को एक-जुट हो कर कानून पारित करना चाहिए। लोगों को इसके परिणामों से अवगत करवाने के लिए सेमीनार करवाने चाहिए, ताकि सभी व्यक्ति इसके घातक परिणामों को जान सके और जागरूक हो सके। ये समस्या किसी एक की नहीं है बल्कि उन सभी की हैं जो धरती पर सांस ले रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे लड़ा जा सकता है। हमें अपनी पृथ्वी को सही मायनों में ‘ग्रीन’ बनाना होगा। अपने ‘कार्बन फुटप्रिंट्स’(प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन को मापने का पैमाना) को कम करने के लिए जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा। हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएँगे।

ग्लोबल वार्मिंग मानव के द्वारा ही विकसित प्रक्रिया है क्योंकि कोई भी परिवर्तन बिना किसी चीज को छुए अपने आप नहीं होता है। यदि ग्लोबल वार्मिंग को नहीं रोका गया तो इसका भयंकर रूप हमें आगे देखने को मिलेगा, जिसमें शायद पृथ्वी का अस्तित्व ही ना रहे इसलिए हम मानवों को सामंजस्य, बुद्धि और एकता के साथ मिलकर इसके बारे में सोचना चाहिए या फिर कोई उपाय ढूँढना अनिवार्य है, क्योंकि जिस ऑक्सीजन को लेकर हमारी साँसें चलती है, इन खतरनाक गैसों की वजह से कहीं वही साँसें थमने ना लगे। इसलिए तकनीकी और आर्थिक आराम से ज्यादा अच्छा प्राकृतिक सुधार जरूरी है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए जितने हो सकें उतने प्रयत्न ज़रूर करने चाहिए।

वृक्षारोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो सके और प्रदूषण को कम किया जा सके।

Top Recommended Read –

  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • बसंत ऋतु पर निबंध
  • भारत में साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • भारत में चुनावी प्रक्रिया पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • स्टार्टअप इंडिया पर निबंध
  • फिट इंडिया पर निबंध
  • द्रौपदी मुर्मू पर निबंध
  • क्रिकेट पर निबंध
  • क्रिप्टो करेंसी पर निबंध
  • सौर ऊर्जा पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students
  • शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध
  • टेलीविजन पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध 
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध 
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध
  • टीचर्स डे पर निबंध
  • वैश्वीकरण पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध
  • मेक इन इंडिया पर निबंध
  • भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध
  • वेस्ट नील वायरस पर निबंध
  • पीएसयू का निजीकरण पर निबंध
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध
  • आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध
  • सोशल मीडिया की लत पर निबंध
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • मृदा प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • गाय पर हिंदी में निबंध
  • वन/वन संरक्षण पर निबंध
  • हिंदी में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • चंद्रयान पर निबंध
  • हिंदी में इंटरनेट पर निबंध
  • बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध
  • ताजमहल पर निबंध
  • हिंदी में अनुशासन पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
  • हिंदी में दिवाली पर निबंध
  • होली पर निबंध
  • नोट-बंदी या विमुद्रीकरण पर निबंध
  • निबंध लेखन, हिंदी में निबंध
  • World Environment Day 2024 Slogans, Quotes, and Sayings

Hindi Essays

  • असंतुलित लिंगानुपात पर निबंध
  • परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर निबंध
  • चंद्रयान 3 पर निबंध
  • मुद्रास्फीति पर निबंध
  • युवाओं  पर निबंध
  • अक्षय ऊर्जा: संभावनाएं और नीतियां पर निबंध
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध
  • सच्चे धर्म पर निबंध
  • बैंकिंग संस्थाएं और उनका महत्व पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति के प्रमुख लाभ पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार पर निबंध
  • समय के महत्व पर निबंध
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध
  • सामाजिक न्याय के महत्व पर निबंध
  • छात्र जीवन पर निबंध
  • स्वयंसेवी कार्यों पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • आधुनिक विज्ञान और मानव जीवन पर निबंध
  • भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है
  • दूरस्थ शिक्षा पर निबंध
  • प्रधानमंत्री पर निबंध
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता
  • हमारे राष्ट्रीय चिन्ह पर निबंध
  • नक्सलवाद पर निबंध
  • आतंकवाद पर निबंध
  • भारत के पड़ोसी देश पर निबंध
  • पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी पर निबंध
  • किसान आंदोलन पर निबंध
  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध
  • डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध

Hindi Writing Skills

  • Formal Letter Hindi
  • Informal Letter Hindi
  • ई-मेल लेखन | Email Lekhan in Hindi Format
  • Vigyapan Lekhan in Hindi
  • Suchna lekhan
  • Anuched Lekhan
  • Anuchchhed lekhan
  • Samvad Lekhan
  • Chitra Varnan
  • Laghu Katha Lekhan
  • Sandesh Lekhan

HINDI GRAMMAR

  • 312 हिंदी मुहावरे अर्थ और उदाहरण वाक्य
  • Verbs Hindi
  • One Word Substitution Hindi
  • Paryayvaachi Shabd Class 10 Hindi
  • Anekarthi Shabd Hindi
  • Homophones Class 10 Hindi
  • Anusvaar (अनुस्वार) Definition, Use, Rules, 
  • Anunasik, अनुनासिक Examples
  • Arth vichaar in Hindi (अर्थ विचार), 
  • Adverb in Hindi – क्रिया विशेषण हिंदी में, 
  • Adjectives in Hindi विशेषण, Visheshan Examples, Types, Definition
  • Bhasha, Lipiaur Vyakaran – भाषा, लिपिऔरव्याकरण
  • Compound words in Hindi, Samaas Examples, Types and Definition
  • Clauses in Hindi, Upvakya Examples, Types 
  • Case in Hindi, Kaarak Examples, Types and Definition
  • Deshaj, Videshaj and Sankar Shabd Examples, Types and Definition
  • Gender in Hindi, Ling Examples, Types and Definition
  • Homophones in Hindi युग्म–शब्द Definition, Meaning, Examples
  • Indeclinable words in Hindi, Avyay Examples, Types and Definition
  • Idioms in Hindi, Muhavare Examples, Types and Definition
  • Joining / combining sentences in Hindi, Vaakya Sansleshan Examples, Types and Definition
  • संधि परिभाषा, संधि के भेद और उदाहरण, Sandhi Kise Kehte Hain?
  • Noun in Hindi (संज्ञा की परिभाषा), Definition, Meaning, Types, Examples
  • Vilom shabd in Hindi, Opposite Words Examples, Types and Definition
  • Punctuation marks in Hindi, Viraam Chinh Examples, Types and Definition
  • Proverbs in Hindi, Definition, Format, मुहावरे और लोकोक्तियाँ
  • Pronoun in Hindi सर्वनाम, Sarvnaam Examples, Types, Definition
  • Prefixes in Hindi, Upsarg Examples, types and Definition
  • Pad Parichay Examples, Definition
  • Rachna ke aadhar par Vakya Roopantar (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) – Types , Example
  • Suffixes in Hindi, Pratyay Examples, Types and Definition
  • Singular and Plural in Hindi (वचन) – List, Definition, Types, Example
  • Shabdo ki Ashudhiya (शब्दों की अशुद्धियाँ) Definition, Types and Examples
  • Shabdaur Pad, शब्द और पद Examples, Definition, difference in Shabd and Pad
  • Shabd Vichar, शब्द विचार की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Hindi Vyakaran Shabad Vichar for Class 9 and 10
  • Tenses in Hindi (काल), Hindi Grammar Tense, Definition, Types, Examples
  • Types of sentences in Hindi, VakyaVishleshan Examples, Types and Definition
  • Voice in Hindi, Vachya Examples, Types and Definition
  • Verbs in Hindi, Kirya Examples, types and Definition
  • Varn Vichhed, वर्ण विच्छेद Examples, Definition
  • Varn Vichar, वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण
  • Vaakya Ashudhhi Shodhan, वाक्य अशुद्धिशोधन Examples, Definition, Types
  • List of Idioms in Hindi, Meaning, Definition, Types, Example

Latest Posts

  • Our Runaway Kite Summary, Explanation, Difficult Words | WBBSE Class 10 English Lesson 5
  • My Own True Family Question Answers WBBSE Class 10 English Bliss Book
  • My Own True Family Summary, Explanation, Difficult Words | WBBSE Class 10 English Lesson 4
  • Our Runaway Kite Question Answers WBBSE Class 10 English Bliss Book
  • BSEB Class 10 English word meanings
  • Poetic Devices in ICSE Class 10 English Poems
  • ICSE Class 10 English word meanings
  • Poetic Devices in BSEB Class 10 English Poems
  • Birthday Wishes in Hindi
  • Anniversary Wishes in Hindi
  • Father’s Day Quotes and Messages
  • Father’s Day quotes in Hindi
  • International Yoga Day Slogans, Quotes and Sayings
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस Slogans, Quotes and Sayings
  • Good Morning Messages in Hindi
  • Good Night Messages in Hindi | शुभ रात्रि संदेश

global warming par hindi mein essay

ग्लोबल वार्मिंग और मौसम का बदलाव (Global Warming and Climate Change in Hindi)

global warming par hindi mein essay

ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन का विषय शिक्षित समाज पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों मीडिया कर्मियों और कतिपय जनप्रतिनिधियों के बीच धीरे-धीरे चर्चा का मुद्दा बन रहा है। इस विषय की चर्चाओं में जलवायु परिवर्तन की संभावनाओं के मद्देनज़र उसके मानव सभ्यता एवं समस्त जीवधारियों पर संभावित प्रभाव की भी चर्च होने लगी है। पर्यावरणविदों एवं कतिपय वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाये तो अनेक जीवधारियों के जीवन पर असर पड़ेगा और कुछ जीव जन्तुओं का नामोनिशान मिट जायेगा। वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ने को ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन का कारण माना जाता है। वातावरण की मुख्य ग्रीन हाउस गैसें पानी की भाप, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन मुख्य हैं। इन गैसों द्वारा सूरज से धरती पर आने वाले रेडियेशन की कुछ मात्रा सोखने के कारण धरती के वातावरण का तापमान बढ़ जाता है। इस तापमान बढ़ने को ग्रीन हाउस गैसों का असर कहते हैं। अवलोकनों से पता चलता है कि वातावरण को कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है। वातावरण के तापमान में एक डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के बढ़ने के फलस्वरूप लगभग 7 प्रतिशत से अधिक वाष्पीकरण होता है। ‘इंटरगवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेन्ज (आईपीसीसी)’ के अनुसार ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावों से समुद्रों का पानी धीरे-धीरे अम्लीय हो रहा है और मौसमी दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। जीवन शैली में हो रहे बदलावों एवं औद्योगीकरण के कारण कोयले और पेट्रोलियम पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है। इन्हेें जलाने के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ती है। इसी तरह चावल के खेतों की मिट्टी में ऑक्सीजन विहीन वातावरण में होने वाली सड़ण को जानवरों के पेट में पैदा होने वाली गैसों के कारण मीथेन गैस वातावरण में उत्सर्जित होती है। हार्ड-कोयले की माइनिंग, प्राकृतिक गैस के अन्वेषण तथा परिवहन, जल-मल निपटान (सीवर) संयंत्र एवं नगरीय अपशिष्टों के भूमिगत निपटान के कारण मीथेन एवं अन्य गैसें उत्पन्न होती हैं। समुद्र सहित अन्य जल संरचनाओं से मीथेन का योगदान उल्लेखनीय है। यह योगदान बाढ़ के साथ बह कर आने वाले कार्बनिक उल्लेखनीय है। यह योगदान बाढ़ के साथ बह कर आने वाले कार्बनिक पदार्थों और जल संरचनाओं में पैदा वनस्पतियों के उसकी तली के ऑक्सीजन विहीन वातावरण में सड़ने के कारण होता है। धरती के इतिहास की समझ रखने वाले भूवैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के भूवैज्ञानिक प्रमाण खोजने का प्रयास किया है। उनको ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के प्रमाण धरती के जन्म के बाद से, आदमी के धरती पर अस्तित्व में आने के करोड़ों साल पहले से लगातार मिल रहे हैं इसलिये भूवैज्ञानिकों की नजर में ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन की घटना सामान्य है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर ग्लेसियल युग (हिमयुग) एवं इन्टरग्लेसियल युग (दो हिमयुगों के बीच का गर्म समय) आते जाते रहते हैं। हिमयुग के दौरान धरती पर तापमान कम हो जाता है, ठंडे इलाकों में बर्फ की चादर और ग्लेसियरों का विस्तार हो जाता है और समुद्र का जलस्तर नीचे उतर जाता है। इन्टरग्लेसियल युग में धरती के तापमान में वृद्धि होती है। तापमान बढ़ने के कारण बर्फ की चादरें पिघलती हैं, हिम नदियाँ पीछे हटती हैं और समुद्र का जलस्तर ऊपर उठता है। जलवायु के इस बदलाव के कारण समर्थ जीव-जन्तु और वनस्पतियाँ बच जाती हैं तथा असमर्थ जीव-जन्तु नष्ट हो जाते हैं। भूवैज्ञानिकों की नजर में ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन को खगोलीय शक्तियाँ नियंत्रित करती हैं। यह प्रकृति का अनवरत चक्र है। जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता को समझने के लिये बर्फ के सबसे बड़े भंडारों की परिस्थितियों को देखना और समझना होगा। दुनिया में बर्फ के सबसे बड़े भंडार अन्टार्कटिका और ग्रीनलैंड में हैं। इनका पर्यावरण ही दुनिया की जलवायु परिवर्तन का सूचक है। आंकड़े बताते हैं कि हाल के सालों में ग्रीनलैंड का औसत तापमान 5 डिग्री बढ़ा है। यहाँ सन 2006 की तुलना में सन 2007 में लगभग 30 प्रतिशत अधिक बर्फ पिघली है और अन्टार्कटिका में पिछले 10 सालों में बर्फ की चादर के टूटकर समुद्र में गिरने की घटनाओं में 75 प्रतिशत की तेजी आई है। अनुमान है कि यदि ग्रीनलैंड की पूरी बर्फ पिघली तो समुद्र स्तर में 7 मीटर की बढ़ोत्तरी होगी। मालद्वीप, बम्बई जैसे अनेक शहर समुद्र के पानी में डूब जायेंगे। सन 2100 तक 23 डिग्री अक्षांस/देशांस पर स्थित समुद्रों के पानी के तापमान में 03 डिग्री सेन्टीग्रेड की वृद्धि होगी। तापमान की वृद्धि के कारण सन 2080 तक पश्चिमी पैसिफिक महासागर, हिन्दमहासागर, पर्शिया की खाड़ी, मिडिल ईस्ट और वेस्ट इंडीज द्वीप समूहों की कोरल-रीफ के 80 से 100 प्रतिशत तक लुप्त होने का खतरा रहेगा। अम्लीय पानी के असर से ठंडे पानी की कोरल-रीफ और खोल वाले समुद्री जीवों के अस्तित्व को खतरा बढ़ेगा। समुद्र में ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रों की संख्या बढ़ रही है। यह संख्या 149 से बढ़कर 200 हो गई है। यह बदलाव सन 2003 से सन 2006 के बीच हुआ है और इस बदलाव के कारण इन क्षेत्रों में मछलियों की पैदावार कम हो चुकी है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन का असर होगा। अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आयेगी। इसके अलावा समुद्र के जलस्तर में बदलाव के कारण लगभग 10 करोड़ लोगों का विस्थापन होगा। सूखे के इलाकों में पाँच गुना वृद्धि होगी और लाखों लोग सूखे के कारण शरणार्थी बनेंगे। हर छठवाँ व्यक्ति जल कष्ट से पीड़ित होगा। जंगली जानवरों के जीवन पर गंभीर खतरा होगा और अनुमान है कि लगभग 40 प्रतिशत प्रजातियाँ हमेशा-हमेशा के लिये धरती पर से लुप्त होंगी। गौरतलब है कि धरती पर पिछले 1000 साल तक तापमान स्थिर रहा है। सन 1800 से उसमें तेजी से बदलाव हुये हैं। पिछले 250 सालों में वातावरण में कार्बन डाइआक्साइड गैस की मात्रा 280 पीपीएम से बढ़कर 379 पीपीएम हो गई है। सन 2007 में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा 430 पीपीएम पाई गई है। क्योटो में हुई अन्तरराष्ट्रीय बैठक में लिये फैसलों के कारण सन 2012 तक ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में 5.2 प्रतिशत की कमी करना है। वर्तमान में ग्रीन हाउस गैसों के वायुमंडल में छोड़ने के मामले में एक अमेरिकी लगभग 8150 भारतीयों के बराबर है। क्योटो में ग्रीन हाउस गैसों को कम करने वाले फैसले के बाद यूएसए, कनाडा और आस्ट्रेलिया के गैस उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी हुई है। यह बढ़ोत्तरी अमेरिका में 16 प्रतिशत, कनाडा और आस्ट्रेलिया में 25-30 प्रतिशत है। उल्लेखनीय है कि अकेले कनाडा और अमेरिका मिलकर दुनिया की लगभग दो तिहाई मीथेन का उत्सर्जन करते हैं। सन 2007 में आईपीसीसी ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी चौथी रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट के अनुसार सन 2100 तक कठोर कदम उठाने की हालत में वातावरण में संभावित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा 420 पीपीएम, कुछ कदम उठाने की हालत में 600 पीपीएम और कोई कदम नहीं उठाने की हालत में 1,250 पीपीएम संभावित है। जिसके कारण तापमान में वृद्धि क्रमशः 0.6, 1.8 डिग्री और 3.4 डिग्री सेन्टीग्रेड संभावित है। डी. टेरा और पीटरसन (1939) ने भारत में हिमयुग का अध्ययन किया है। इन वैज्ञानिकों को सिन्ध और कश्मीर की लिदर घाटी में चार से पाँच हिमयुगों एवं उनके बीच तीन इन्टरग्लेसियल युगों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। इन प्रमाणों के अनुसार कश्मीर में सबसे पहला हिमयुग लगभग दस लाख साल पहले और दूसरा हिमयुग लगभग पाँच लाख साल पहले आया। इन दोनों हिमयुगों के बीच का इन्टरग्लेसियल युग लगभग आठ लाख साल पहले हुआ है। तीसरा और चौथा हिमयुग क्रमशः 03 लाख और 1.5 लाख साल पहले रिकार्ड किया गया था। पाँचवां हिमयुग लगभग तीस हजार साल पहले वजूद में था। उसका अन्त लगभग पन्द्रह हजार साल पहले हुआ है। वर्तमान इन्टरग्लेसियल कालखंड गर्म जलवायु का है। आज से 3000 से 4000 साल पहले थार मरुस्थल की जलवायु आर्द्र थी। राजस्थान के जंगलों में हाथी पाये जाते थे। लगभग 2500 साल पहले हुये जलवायु परिवर्तनों ने थार को मरुस्थल में बदला है। पूना के अध्ययन दल ने भारत में बरसात के बदलाव का अनुमान लगाया है। इन अनुमानों के अनुसार भारत के बारह प्रतिशत इलाके में बरसात की मात्रा में बढ़ोत्तरी हुई है। लगभग दस प्रतिशत इलाके में स्थिति यथावत है। भारत के समुद्र तटीय पूर्वी मैदानों, पूर्वी घाट, उत्तर की पहाड़ियों, पश्चिमी घाट और उत्तर पूर्व की पहाड़ियों में बरसात का औसत सुधरा है। महाराष्ट्र के अधिकांश भाग में बरसात की मात्रा में बदलाव नहीं है। लद्दाख और नार्थ ईस्ट को छोड़कर बाकी भारत के 68 प्रतिशत भूभाग में बरसात घटी है। शेष 10 प्रतिशत इलाके के बारे में आंकड़े अनुपलब्ध हैं। मुम्बई की 2005 की, बाड़मेर तथा गुजरात की 2006 की और बिहार की 2008 की अति वर्षा तथा बिहार और असम की 2006 की अल्प वर्षा जलवायु परिवर्तन का परिणाम लगता है। वैज्ञानिकों के अनुसार पूरी दुनिया में पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों की फ्यूल-दक्षता बढ़ानी होगी। वाहनों में बायोडीजल और एथीनाल का अधिकाधिक उपयोग करना होगा। सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान का अकेला बाड़मेर ब्लॉक बिजली की सारी जरूरतें पूरी करने में सक्षम है। इसी तरह वाहनों में सोलर बैटरी का उपयोग बढ़ाना होगा और बिजली बनाने में विन्ड इनर्जी का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा। सुरक्षित विकास व्यवस्था द्वारा ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा का सन्तुलन बनाकर वातावरण में मौजूद कार्बन को सोखने के लिये वनीकरण करना होगा। मीथेन गैस से बिजली बनाने के लिये प्रयास करना होगा। पूरी दुनिया को बिना कार्बन के ऊर्जा पैदा करने वाली अर्थनीति अपनानी होगी और अमीर देशों द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करना होगा तथा गरीब देशों को विकास के लिये ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में छूट देना होगा। अन्त में, पिछले सभी जलवायु परिवर्तन खगोलीय शक्तियों से नियंत्रित थे। वर्तमान जलवायु परिवर्तन में औद्योगीकरण और मानवीय हस्तक्षेप जुड़ गये हैं। पिछले और वर्तमान युग के जलवायु परिवर्तन में यही बुनियाद फर्क है जिसके कारण, जलवायु परिवर्तन की अन्तिम परिणति क्या होती तो कहना कठिन है पर यह तय है कि भाग्यशाली प्रजातियाँ ही धरती पर राज करेंगी।

के.जी. व्यास 73, चाणक्यपुरी, चूना भट्टी, कोलार रोड, भोपाल-16

global warming par hindi mein essay

COMMENTS

  1. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

    Read Essay on Global Warming in English here. उसके बाद, ऑटोमोबाइल और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, खनन ...

  2. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi)

    ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Global Warming in Hindi, Global Warming par Nibandh Hindi mein) ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (250 - 300 शब्द)

  3. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in hindi)

    ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (100 Words Essay on Global Warming in hindi) पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। ग्लोबल वार्मिंग अधिकतर ...

  4. Global Warming Par Nibandh: जानिए ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

    Global Warming Par Nibandh 100 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है: ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है जो मानव गतिविधियों के कारण वायुमंडल ...

  5. ग्लोबल वार्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है जानिए इन निबंधों के द्वारा

    ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखते समय ग्लोबल वार्मिंग और पॉइंटर को ध्यान में रखने के विचार से परिचित होने के बाद, global warming essay in hindi के सैंपल ...

  6. Hindi Essay on "Global Warming ke Khatre", "ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

    ग्लोबल वार्मिंग के खतरे . Global Warming ke Khatre Essay No. 1. आज विश्वभर में ग्लोबल वार्मिंग पर बहस चल रही है। पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे ग्लेशियर (हिमनद) व ...

  7. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Essay On Global Warming In Hindi)

    ग्लोबल वार्मिंग पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Global Warming In Hindi) ग्लोबल वार्मिंग का खतरा धरती पर तेजी से बढ़ता जा रहा है और यदि सही वक्त पर इसका समाधान नहीं निकाला गया ...

  8. जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

    जलवायु परिवर्तन पर निबंध (jalvayu parivartan par nibandh) से इस विषय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर एक बेहद गंभीर मुद्दा है ...

  9. जलवायु परिवर्तन: चुनौतियाँ और समाधान

    इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में जलवायु परिवर्तन व उससे उपजी चुनौतियाँ और समाधान से संबंधित ...

  10. ग्लोबल वार्मिंग कारण और उपाय

    ग्लोबल वार्मिंग के बारे में विस्तार से जानें और इसके नियंत्रण के उपायों को समझें। Know about global warming and understand the measures to control it in hindi.

  11. ग्लोबल वार्मिंग क्या है? हम पर इसका क्या असर होता है?

    ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक मौसम, तूफान, लू, सूखे और बाढ़ से क्या लेना-देना है? वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा ...

  12. ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता खतरा और उपाय

    TAGS. hindi nibandh on global warming, quotes global warming in hindi, global warming hindi meaning, global warming hindi translation, global warming hindi pdf, global warming hindi, hindi poems global warming, quotations global warming hindi, global warming essay in hindi font, health impacts of global warming hindi, hindi ppt on global warming, global warming the world, essay on global ...

  13. Hindi Essay on "Global Warming", "ग्लोबल वार्मिंग", for Class 10, Class

    Hindi Essay on "Global Warming", "ग्लोबल वार्मिंग", for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations. Absolute-Study December 10, 2018 Hindi Essays No Comments

  14. क्या होती हैं ग्रीनहाउस गैसें, धरती पर बढ़ते तापमान के लिए कैसे हैं

    ग्रीनहाउस गैसें जिन्हें जीएचजी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। यह गैसें तापमान में हो रही वृद्धि के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार ...

  15. हिन्दी निबंध : जलवायु परिवर्तन-क्या, क्यों और कैसे

    हिन्दी निबंध : जलवायु परिवर्तन के घातक असर. जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं ...

  16. हिन्दी निबंध : जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण

    रोचक और रोमांचक. जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण वैश्विक तपन है जो हरित गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इफेक्ट) का परिणाम है। हरित गृह प्रभाव वह ...

  17. ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming in Hindi)

    ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming in Hindi) ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming in Hindi) ग्रीनहाऊस गैसों का वृद्धि से पृथ्वी का तापमान कैसे बढ़ता है और इसके ...

  18. ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध । Global Warming ke Parinam par

    ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध । Essay on Consequences of Global Warming in Hindi, Global Warming ke Parinam par Nibandh Hindi mein ...

  19. Essay on Global Warming in Hindi, भूमंडलीय ऊष्मीकरण पर निबंध

    भूमंडलीय ऊष्मीकरण पर निबंध - An Essay on Global Warming in Hindi - Reason, Result and How to Stop Global Warming (Important Topic for All Classes) Essay on Global warming in Hindi - हमारी दुनिया को अभी प्रभावित करने वाले ...

  20. ग्लोबल वार्मिंग कम करने में आप भी कर सकते हैं मदद, जानें 10 उपाय

    11.रीसाइकिल. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रिसाइकलिंग एक अहम कदम है. जब हम पुरानी वस्तुओं का नए रूप में इस्तेमाल करते हैं, तो धरती से ...

  21. ग्लोबल वार्मिंग और मौसम का बदलाव (Global Warming and Climate Change in

    ग्लोबल वार्मिंग और मौसम का बदलाव (Global Warming and Climate Change in Hindi) कृष्ण गोपाल 'व्यास'. 9 अग॰ 2017. •. 9 mins read. Global Warming. ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन का ...

  22. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध । Essay on Global Warming in Hindi । Global

    ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध । Essay on Global Warming in Hindi, Global Warming par Nibandh Hindi mein, Essay on Global Warming in Hindi in 250 - 300 words ...