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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Samsung Galaxy A55 के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

Essay in Hindi (Hindi Nibandh) | 200 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – 200 Hindi Essay Topics

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Hindi Essay Topics:निबंध (Nibandh) एक विस्तृत लेख होता है जो किसी विषय के बारे में विस्तार से लिखा जाता है। इसमें आमतौर पर लेखक अपने विषय के बारे में अपने विचार, अनुभव, विश्लेषण और संदर्भ देता है। निबंध लेखन के दौरान लेखक की उद्देश्य होती है कि वह अपने पाठकों को अपनी बात समझाए और उन्हें विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करे। निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण लेखन कौशल होता है जो विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, लेखकों और संवाददाताओं को सीखना चाहिए।

  • 1 निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।
  • 2 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics
  • 3 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 10 Short Hindi Essay Topics
  • 4 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 1 7 Long Hindi Essay Topics
  • 5.1 हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
  • 5.2 दीर्घ निबंध विषय:
  • 5.3 लघु निबंध विषय:
  • 6 हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:
  • 7 हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:

निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।

  • विषय चुनें: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के लिए एक विषय चुनें। आपको उस विषय के बारे में विस्तार से जानना होगा ताकि आप एक संपूर्ण और स्पष्ट निबंध लिख सकें।
  • निबंध का ढांचा बनाएं: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के ढांचा को तैयार करें। आप अपने निबंध के लिए विभिन्न विषयों को एकत्रित कर सकते हैं और उन्हें एक अनुक्रम में रख सकते हैं।
  • विस्तारपूर्वक लिखें: निबंध लिखते समय, अपने विषय को विस्तारपूर्वक विवरण दें। आप अपने निबंध में अधिकतम जानकारी देने का प्रयास करें ताकि आपके पाठक उस विषय को समझ सकें।
  • आकर्षक शीर्षक: अपने निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाने के लिए एक उत्तेजक शीर्षक चुनें। शीर्षक उन शब्दों का एक समूह होता है जो आपके निबंध के मुख्य विषय को सार्थकता से दर्शाते हैं।
  • निष्कर्ष लिखें: अपने निबंध के अंत में एक निष्कर्ष लिखें जिसमें आप अपने विषय के बारे में अपनी मत का विवरण देते हैं।

निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics

  • नरेंद्र मोदी पर निबंध   (Essay on Narendra Modi )
  • डाकिया पर निबंध  ( Essay on Post Man )
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध  (Essay on Road Safety )
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution)
  • कंप्यूटर पर निबंध  ( Computer Essay )
  • ईंधन संरक्षण पर निबंध  (Essay on Fuel Conservation )
  • महा शिवरात्रि पर निबंध (Essay on Maha Shivaratri Festival )
  • ताजमहल पर निबंध ( Essay on Taj Mahal )
  • प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है निबंध (All Love is Expansion and Selfishness )
  • हैप्पी न्यू ईयर पर निबंध (Essay on Happy New Year Celebration )
  • यात्रा पर निबंध ( Essay on Travelling)
  • भारत में जल संकट पर निबंध  (Water Crisis in India )
  • प्यार पर निबंध ( Essay on Love )
  • अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (International Friendship Day (Date, History, Importance, Celebration)
  • गुरु गोबिंद सिंह जयंती ( Guru Gobind Singh Jayanti : Significance, History) लोहड़ी पर्व पर निबंध  ( Essay on Lohri Festival)
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस पर निबंध (Essay on World Health Day )
  • गुरु तेग बहादुर पर निबंध( Essay on Guru Tegh Bahadur )
  • ईमानदारी सबसे अच्छी नीति क्यों है पर निबंध (Essay on Why Honesty is the Best Policy )
  • महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर निबंध  ( Essay on Moral Values and Principles of Mahatma Gandhi )
  • मौलिक कर्तव्यों पर निबंध  ( Essay on Fundamental Duties of India )
  • जितिया पूजा पर निबंध  ( Essay on Jitiya Puja/Jitiya Festival )
  • अजीब सपना पर निबंध  (Essay on Strange Dream )
  • ई-कूटनीति पर निबंध  (Essay on E-Diplomacy )
  • मैंने अपनी सर्दी की छुट्टी कैसे बिताई पर निबंध  (Essay on How I Spent My Winter Vacation )
  • मोर पर निबंध  ( Essay on Peacock)
  • सोशल मीडिया पर निबंध – स्कूल के लिए वरदान या अभिशाप ( Essay on Social Media)
  • सोशल नेटवर्किंग के फायदे और नुकसान ( Advantages and Disadvantages of Social Networking)
  • खराब मूड को कैसे हराया जाए पर निबंध  (Essay on How to Beat Bad Mood )
  • कला और संस्कृति हमें कैसे जोड़ती है पर निबंध  (Essay on How Art and Culture Unifies )
  • विपत्ति कैसे एक व्यक्ति को बदल सकती है पर निबंध  (Essay on How Adversity can Change a Person)
  • प्रदूषण कैसे नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है पर निबंध ( Essay on How Pollution is Negatively Affecting Humanity)
  • किसान क्यों महत्वपूर्ण हैं पर निबंध ( Essay on Why are Farmers Important )
  • निबंध ऐतिहासिक स्मारक का दौरा ( Essay on a Visit to Historical Monument)
  • पशु हमारे लिए कैसे उपयोगी हैं इस पर निबंध  (Essay on How Animals are Useful to us)
  • चिड़ियाघर की यात्रा पर निबंध  (Best 10 Essay on A Visit to Zoo )

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निबंध – Nibandh In Hindi – Best 1 7 Long Hindi Essay Topics

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 स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण कौशल है। निबंध लिखते समय ध्यान रखने वाली बातें हैं:

  • विषय का चयन: सबसे पहले, आपको उस विषय का चयन करना होगा जिसके बारे में आप लिखना चाहते हैं। आपको एक ऐसा विषय चुनना चाहिए जो आपके अध्ययन से संबंधित होता हो। उस विषय के बारे में आपके पास पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आप इसे अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकें।
  • निबंध की योजना बनाएं: निबंध की योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने निबंध के लिए एक तालिका बनाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल हों:
  • शुरुआती अनुच्छेद (जो आपके निबंध का परिचय देता है)
  • मुख्य विषयों की सूची (जो आप अपने निबंध में विस्तार से विश्लेषण करेंगे)
  • निष्कर्ष (जो आप अपने निबंध से निकालेंगे)
  • संरचना: निबंध में संरचना बहुत महत्वपूर्ण होती है।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

दीर्घ निबंध विषय:.

  • भारत का इतिहास
  • स्वतंत्रता संग्राम
  • ग्लोबल वार्मिंग
  • पर्यावरण संरक्षण
  • महिला शिक्षा एवं उनका सम्मान
  • बेरोजगारी की समस्या
  • स्वास्थ्य समस्याएँ और उनका समाधान
  • दुर्घटनाओं की समस्या और समाधान
  • संचार के विकास और इसके प्रभाव
  • राजनीति और नागरिक अधिकार

लघु निबंध विषय:

  • मेरे परिवार का सदस्य
  • मेरे प्रिय शिक्षक
  • मेरी प्रिय फसल
  • मेरा प्रिय खेल
  • मेरी सड़क सुरक्षा
  • मेरा प्रिय त्योहार
  • मेरा स्वच्छ भारत
  • मेरी प्रिय किताब
  • मेरी प्रिय शहर

हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:

  • प्रस्तावना: इसमें निबंध के विषय को परिचय दिया जाता है और पाठक का ध्यान आकर्षित किया जाता है।
  • मुख्य भाग: यहां पर निबंध का मुख्य विषय विस्तार से विवरण दिया जाता है। इसमें विषय के बारे में जानकारी, अभिप्राय और समर्थन के आधार पर अपने विचार प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • निष्कर्ष: इस भाग में निबंध के मुख्य विषय के बारे में संक्षिप्त विचार एवं समाप्ति वाक्य दिए जाते हैं।
  • संदर्भ: इसमें उन सभी स्रोतों का उल्लेख किया जाता है जिनसे निबंध के लिए जानकारी प्राप्त की गई है।
  • संलग्नक: इसमें निबंध में प्रयोग किए गए चित्र, आंकड़े, चार्ट, टेबल, आदि का संलग्न किया जाता है।

इन सभी भागों को स्पष्ट, संगठित एवं अंतर्वस्तृत ढंग से लिखा जाना चाहिए ताकि पाठकों को निबंध का संदेश समझ में आ सके।

हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:

  • “भ्रष्टाचार का उच्चाटन” – विषय: भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई
  • “भारत की संस्कृति” – विषय: भारतीय संस्कृति और उसका महत्त्व
  • “स्वच्छ भारत अभियान” – विषय: स्वच्छता और इसका महत्त्व
  • “जीवन में सफलता के मूल मंत्र” – विषय: सफलता के लिए जरूरी मंत्र
  • “मेरा विद्यालय” – विषय: अपने विद्यालय का वर्णन और महत्त्व
  • “जल ही जीवन है” – विषय: जल के महत्त्व और उसके संरक्षण के उपाय
  • “स्त्री शिक्षा” – विषय: स्त्रियों के लिए शिक्षा के महत्त्व और उसके लिए समाज की जिम्मेदारी
  • “स्वतंत्रता दिवस” – विषय: भारत की स्वतंत्रता का महत्त्व और उसकी अर्थपूर्ण विशेषताएं
  • “विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि” – विषय: भाषा के महत्त्व और विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि

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500+ विषयों पर हिंदी निबंध – Essays in Hindi Topics & Ideas

निबंध लिखते समय, कई कॉलेज और हाई स्कूल के छात्रों को लेखक के ब्लॉक का सामना करना पड़ता है और एक निबंध के लिए विषयों और विचारों के बारे में सोचने का कठिन समय होता है। इस लेख में, हम विभिन्न श्रेणियों जैसे तर्कपूर्ण निबंध, प्रौद्योगिकी पर निबंध, 5 वीं, 6 वीं, 7 वीं, 8 वीं कक्षा के छात्रों के लिए पर्यावरण निबंध जैसे कई अच्छे निबंध विषयों को सूचीबद्ध करेंगे। निबंध विषयों की सूची सभी के लिए है – बच्चों से लेकर कॉलेज के छात्रों तक। हमारे पास निबंधों का सबसे बड़ा संग्रह है। एक निबंध और कुछ नहीं बल्कि एक सामग्री है जो लेखक या लेखक की धारणा से लिखी गई है। निबंध एक कहानी, पैम्फलेट, थीसिस, आदि के समान हैं। निबंध के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आप किसी भी प्रकार की भाषा का उपयोग कर सकते हैं – औपचारिक या अनौपचारिक। यह जीवनी, किसी की आत्मकथा है। निम्नलिखित 100 निबंध विषयों की एक महान सूची है। हम जल्द ही 400 और जोड़ेंगे!

Essays in Hindi Topics & Ideas

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  • रोल मॉडल पर निबंध – Essay on Role Model in Hindi
  • जीवन पर निबंध – Essay on Life in Hindi
  • शिष्टाचार पर निबंध – Essay on Good Manner in Hindi
  • एकता में बल है पर निबंध – Essay on Unity is Strength in Hindi
  • स्वास्थ्य पर निबंध – Essay on Health in Hindi
  • होली पर निबंध – Essay on Holi in Hindi
  • मेक इन इंडिया पर निबंध – Essay on Make in India in Hindi
  • कैरियर पर निबंध – Essay on Career in Hindi
  • फुटबॉल पर निबंध – Essay on Football in Hindi
  • कल्पना चावला पर निबंध – Essay on Kalpana Chawla in Hindi
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  • सूखा या अकाल पर निबंध – Essay on Drought in Hindi
  • इंदिरा गांधी पर हिन्दी निबंध – Indira Gandhi Essay in Hindi
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टेक्नोलॉजी पर निबंध

  • प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) पर निबंध
  • कंप्यूटर पर निबंध
  • विज्ञान का आश्चर्य पर निबंध
  • मोबाइल फोन पर निबंध
  • इंटरनेट पर निबंध
  • अखबार पर निबंध
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घटनाओं पर त्योहारों पर निबंध

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  • होली पर निबंध
  • शिक्षक दिवस पर निबंध
  • गर्मी की छुट्टियां पर निबंध
  • क्रिसमस पर निबंध
  • बाल दिवस पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
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  • शिक्षा पर निबंध
  • शिक्षा का महत्त्व पर निबंध
  • शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए पर निबंध
  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी का योगदान पर निबंध

प्रसिद्ध नेताओं पर निबंध

  • Mahatma Gandhi पर निबंध
  • एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
  • जवाहर लाल नेहरू पर निबंध
  • नेतृत्व पर निबंध
  • स्वामी विवेकानंद पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
  • रविंद्रनाथ टैगोर पर निबंध
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  • सुभाष चंद्र बोस पर निबंध
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पशु और पक्षियों पर निबंध

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निबंध विषय अपने बारे में

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  • मेरा पसंदीदा खेल बैडमिंटन पर निबंध
  • माय फादर माय हीरो पर निबंध
  • मेरा बगीचा पर निबंध
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  • मेरा स्कूल पुस्तकालय पर निबंध
  • मेरा पसंदीदा लेखक पर निबंध
  • गर्मियों की छुट्टी के लिए मेरी योजना पर निबंध
  • मेरा स्कूल पर निबंध
  • मित्रता पर निबंध

पर्यावरण और प्रकृति पर आधारित निबंध विषय

  • प्रदूषण पर निबंध
  • वैश्विक तापमान पर निबंध
  • जंगलों को बचाएं पर निबंध
  • वातावरण पर निबंध
  • पृथ्वी को बचाओ पर निबंध
  • वायु प्रदुषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • जल बचाओ पर निबंध
  • बारिश का मौसम पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • प्रकृति पर निबंध
  • पेड़ पर निबंध
  • वृक्षों का महत्व पर निबंध
  • सर्दियों का मौसम पर निबंध
  • बारिश का दिन पर निबंध
  • वनों की कटाई पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदा पर निबंध
  • बाढ़ पर निबंध
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध
  • गर्मी का मौसम पर निबंध
  • पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त पर निबंध
  • पानी पर निबंध

नीतिवचन पर आधारित निबंध विषय

  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध
  • समय में एक सिलाई नौ बचाता है पर निबंध
  • एक सेब एक दिन डॉक्टर को दूर रखता है पर निबंध
  • जहां इच्छा है, वहां रास्ता है पर निबंध
  • समय और ज्वार किसी का इंतजार नहीं करते पर निबंध

6 वीं, 7 वीं, 8 वीं कक्षा के छात्रों के लिए निबंध विषय

  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
  • देश प्रेम पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • संगीत पर निबंध
  • समय और ज्वार कोई नहीं के लिए प्रतीक्षा करें पर निबंध
  • विज्ञान और तकनीक पर निबंध
  • खेलो का महत्व पर निबंध
  • खेल और क्रीड़ा पर निबंध
  • खेल पर निबंध
  • समय प्रबंधन पर निबंध
  • स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है पर निबंध
  • स्वच्छता पर निबंध
  • रोम एक दिन में नहीं बना था पर निबंध
  • भूकंप पर निबंध
  • फ़ुटबॉल पर निबंध
  • ख़ुशी पर निबंध पर निबंध
  • सफलता पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध
  • स्वच्छ भारत पर निबंध
  • गाय पर निबंध
  • स्वयं का विवरण दें पर निबंध
  • हाथी पर निबंध
  • भारत के त्यौहार पर निबंध
  • जंगल पर निबंध
  • Ganesh Chaturthi पर निबंध
  • स्वस्थ भोजन पर निबंध
  • जल का महत्व पर निबंध
  • जंक फूड पर निबंध
  • जीएसटी पर निबंध
  • प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध
  • फैशन पर निबंध
  • पुस्तकें पर निबंध
  • चिकित्सक पर निबंध
  • आबादी पर निबंध
  • समय का मूल्य पर निबंध
  • ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है पर निबंध
  • Gandhi Jayanti पर निबंध
  • आजादी पर निबंध
  • मानवाधिकार पर निबंध
  • ज्ञान ही शक्ति है पर निबंध
  • समलैंगिक विवाह पर निबंध
  • बचपन की यादें पर निबंध
  • साइबर अपराध पर निबंध
  • राजनीति पर निबंध
  • समय पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • किसान पर निबंध
  • खाना पर निबंध
  • Kalpana Chawla पर निबंध
  • समय की पाबंदी पर निबंध
  • Rani Lakshmi Bai पर निबंध
  • प्रेरणास्रोत पर निबंध
  • वसंत ऋतु पर निबंध
  • पर्यटन पर निबंध
  • अनेकता में एकता पर निबंध
  • कृत्रिम होशियारी पर निबंध
  • ऑनलाइन खरीदारी पर निबंध
  • आदर करना पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध
  • चुनाव पर निबंध
  • डाकिया पर निबंध
  • स्वस्थ जीवनशैली पर निबंध
  • छुट्टी का दिन पर निबंध
  • भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध
  • बचपन पर निबंध
  • आपदा प्रबंधन पर निबंध
  • पर्यावरण के मुद्दें पर निबंध
  • स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध
  • बगीचा पर निबंध
  • दादा दादी पर निबंध
  • बेहतर पर्यावरण के लिए ईंधन बचाओ पर निबंध
  • समाचार पत्र का महत्व पर निबंध
  • Lal Bahadur Shastri पर निबंध
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  • टीम वर्क पर निबंध
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध
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  • जल बचाओ पृथ्वी बचाओ पर निबंध
  • पुनर्चक्रण पर निबंध
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  • भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध
  • सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध
  • मृत्यु दंड पर निबंध पर निबंध
  • कॉलेज का जीवन पर निबंध
  • प्राकृतिक संसाधन पर निबंध
  • साथियों का दबाव पर निबंध
  • प्रेरणा पर निबंध
  • पोषण बनाम प्रकृति पर निबंध
  • रोमियो और जूलियट पर निबंध
  • पीढ़ी का अंतर पर निबंध
  • Makar Sankranti पर निबंध
  • भारत का संविधान पर निबंध
  • बालिका शिक्षा पर निबंध
  • परिवार का महत्व पर निबंध
  • स्वतंत्रता दिवस का महत्व पर निबंध
  • प्रतिभा पलायन पर निबंध
  • अपना वहि जॊ आवे काम पर निबंध
  • काम बोलता है बातें नहीं पर निबंध पर निबंध
  • हर चमकती चीज सोना नहीं होती पर निबंध
  • Bhagat Singh पर निबंध
  • Demonetization पर निबंध
  • कृषि पर निबंध
  • क्रिकेट पर निबंध
  • हॉकी पर निबंध
  • अनुशासन पर निबंध
  • अनुशासन का महत्व पर निबंध
  • जऩ संखया विसफोट पर निबंध
  • दरिद्रता पर निबंध
  • भारत में गरीबी पर निबंध
  • मोबाइल फोन का उपयोग पर निबंध
  • पानी की कमी पर निबंध
  • रेल यात्रा पर निबंध
  • भूमि प्रदुषण पर निबंध पर निबंध
  • पर्यावरण संरक्षण पर निबंध
  • भारतीय सेना पर निबंध
  • इंटरनेट का उपयोग पर निबंध
  • चिड़ियाघर पर निबंध
  • संतुलित आहार पर निबंध
  • रक्त दान पर निबंध
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध
  • दशहरा निबंध पर निबंध
  • ऊर्जा सरंक्षण पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध
  • रेलवे स्टेशन पर निबंध
  • सचिन तेंडुलकर पर निबंध
  • सुनामी पर निबंध
  • स्वास्थ्य और सफ़ाई पर निबंध
  • वन का महत्व पर निबंध
  • Indira Gandhi पर निबंध
  • हंसी बेहतरीन दवा है पर निबंध
  • बास्केटबाल पर निबंध
  • कैरियर के लक्ष्यों पर निबंध
  • शादी पर निबंध
  • मानसिक स्वास्थ्य पर निबंध
  • पानी बचाओ जिंदगी बचाओ पर निबंध
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध
  • छुट्टी पर निबंध
  • बागवानी पर निबंध
  • शीतकालीन अवकाश पर निबंध
  • मिट्टी प्रदूषण पर निबंध
  • आलोचना पर निबंध
  • इंडिया गेट पर निबंध
  • हरेक निराशा में भी एक उम्मीद की किरण होती है पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति और परंपरा पर निबंध
  • एकता में बल है पर निबंध
  • एकता विविधता है पर निबंध
  • वन्यजीव संरक्षण पर निबंध
  • जानवरो के प्रति क्रूरता पर निबंध
  • गूगल पर निबंध
  • नेल्सन मंडेला पर निबंध
  • चूहों और पुरुषों की पर निबंध
  • अंग दान पर निबंध
  • एक बड़े शहर में जीवन पर निबंध
  • आचार विचार पर निबंध पर निबंध
  • भारत में लोकतंत्र पर निबंध
  • सूखा पर निबंध
  • व्यवसाय पर निबंध
  • कचरा प्रबंधन पर निबंध
  • जैव विविधता पर निबंध
  • वनीकरण पर निबंध
  • आर्यभट्ट पर निबंध
  • कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध
  • जंक फूड के हानिकारक प्रभाव पर निबंध
  • बारिश के पानी का संग्रहण पर निबंध
  • बिजली बचाओ पर निबंध
  • सोशल मीडिया पर निबंध
  • सामाजिक नेटवर्किंग साइट पर निबंध
  • अखंडता पर निबंध
  • टालमटोल पर निबंध
  • एक भारतीय गांव में जीवन पर निबंध
  • बड़ा शहर में जीवन पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • कैंसर पर निबंध
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  • आतंक पर निबंध
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  • समाचार पत्र और इसके उपयोग पर निबंध
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  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध
  • व्यावसायिक शिक्षा पर निबंध
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  • ग्रीष्म शिविर पर निबंध
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  • भारत में महिला शिक्षा पर निबंध
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  • यातायात में सड़क पर चालकों द्वारा हिंसक रोष व्यक्त करना पर निबंध
  • जाति व्यवस्था पर निबंध
  • पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध
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  • प्राकृतिक संसाधनों की कमी पर निबंध
  • ईश्वर चंद्र विद्यासागर पर निबंध
  • स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध
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  • स्कूल के बाद का जीवन पर निबंध
  • भारत में भुखमरी पर निबंध
  • Jan Dhan Yojana पर निबंध
  • निजीकरण का प्रभाव पर निबंध
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  • चुनाव और लोकतंत्र पर निबंध
  • ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम पर निबंध
  • जीवन में सिनेमा का प्रभाव पर निबंध
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  • भारत के राष्ट्रीय त्यौहार पर निबंध
  • श्री अरबिंदो पर निबंध
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300+ Hindi Essay And Speech Topics For School and College Students

Tomy Jackson

अगर आप एक विद्यार्थी हैं या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए यह आर्टिकल महत्वपूर्ण साबित होगा । इस आर्टिकल में मैं आपको कुल 300+ Hindi Essay and speech topics की जानकारी दूंगा । सबसे पहले आपको 150 हिंदी निबंध के विषय और फिर 150 हिंदी भाषण के विषय दिया जायेगा ।

जब बात भाषण बोलने या निबंध लिखने की आती है तो कई छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । यह एक आम समस्या है जिसे लगभग हर छात्र सामना करता है चाहे वह स्कूल का छात्र या हो कॉलेज का । इसलिए मैंने आपके लिए कुल 300 Hindi Essay and speech topics तैयार किया है । आप इनमें से किसी भी विषय पर भाषण या निबंध तैयार कर सकते हैं ।

अगर आप निम्नलिखित Keywords इंटरनेट पर खोज रहे हैं तो आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है । आपको इसी आर्टिकल में सबकुछ आसानी से मिल जायेगा:

  • Current Essay Topics in Hindi 2021-2022
  • Hindi Speech Topics for Class 10
  • Hindi Essay Topics for Class 12
  • Hindi Essay Topics for Class 5

150+ Hindi Essay Topics

सबसे पहले मैं आपको 105+ Essay Topics दूंगा जिन्हें आप तैयार कर सकते हैं । मैंने उन्हीं विषयों को जोड़ा है जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं । इस सूची के बाद मैं आपको बढ़िया निबंध लिखने के लिए कुछ Tips भी दूंगा ।

मैंने नीचे जितने भी निबंधों के विषय को सूचीबद्ध किया है, वे सभी महत्वपूर्ण हैं और बड़ी बड़ी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ।

ऊपर दिए गए सभी 150+ Hindi Essay Topics या तो SSC, UPSC , 12th, 10th, 5th की परीक्षाओं में पूछे गए हैं या पूछे जाने की संभावना है । मैंने ऊपर दिए सभी Hindi Essay Topics for students को प्रश्नपत्रों और मॉडल पेपर से उठाया है ताकि आप सही विषयों पर तैयारी करके अच्छे अंक प्राप्त कर सकें ।

Hindi Essay Topics पर लिखते समय सावधानियां

  • अनावश्यक बातें न लिखें ।
  • अपने तर्क को सही साबित करने के लिए साक्ष्यों की जानकारी दें ।
  • कोशिश करें कि आप किसी भी बात को बार बार न दोहराएं ।
  • व्याकरण संबंधित अशुद्धियों से बचने की पूरी कोशिश करें ।
  • वाक्यांश क्रियाओं और मुहावरों का उपयोग उचित स्थान पर करें ।
  • ज्यादा कठिन शब्दावलियों का इस्तेमाल न करें ।
  • पहले से तय शब्द सीमा को ध्यान में रखें ।

150+ Hindi Speech Topics

मैंने ऊपर आपको 150+ Hindi Essay Topics की जानकारी दी है । आप उन विषयों पर निबंध लिखते समय जरूरी सावधानियां बरतते हुए पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं । अब बारी है 150+ Hindi Speech Topics यानि हिंदी भाषण विषयों की । आप इन विषयों पर भाषण की तैयारी कर सकते हैं ।

मैंने इस लिस्ट के बाद भाषण की सही ढंग से प्रस्तुति के लिए कुछ जरूरी tips भी दिया है । आप उन Tips को फॉलो करके एक उत्कृष्ट भाषण दे सकते हैं ।

चाहे आप स्कूल के छात्र हों या कॉलेज के या आप किसी भाषण प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं तो आप इन विषयों में से किसी एक पर तैयारी कर सकते हैं ।

Hindi Speech Topics पर बोलते समय सावधानियां

अगर आप Hindi Speech Topics में से किसी एक को चुनकर, उसपर भाषण देना चाहते हैं तो नीचे दिए tips आपकी मदद करेंगे । आप सभी टिप्स को follow करके एक बेहतरीन भाषण देकर लोगों की तालियां बटोर सकते हैं ।

  • अनावश्यक बातें न बोलें ।
  • भाषण देते समय समसामयिक उदाहरणों का जिक्र करें ।
  • भाषण की पंक्तियों के अनुरूप ही अपना tone को रखें ।
  • शीशे के सामने खड़े होकर बार बार भाषण देने की प्रैक्टिस करें ।
  • पहले से तय शब्द सीमा और समय को ध्यान में रखें ।

Hindi Essay & Speech Topics – Conclusion

Hindi Essay Topics और Speech Topics के इस आर्टिकल में आपने सबसे बेहतरीन हिन्दी निबंध और भाषण के विषयों के बारे में जाना । आप इन विषयों पर निबंध लिख सकते हैं या भाषण दे सकते हैं । आप चाहे कक्षा 5 में हो, 10th में हो या 12th में आप सभी के लिए मैंने महत्वपूर्ण विषयों को आर्टिकल में जोड़ा है । कॉलेज छात्रों के लिए भी कुछ विषयों को जोड़ा गया है ।

  • Deemed University Meaning in Hindi
  • Appearing Student Meaning in Hindi
  • Reporting Time Meaning in Hindi
  • Literature Review कैसे लिखें ?
  • Project File कैसे बनाएं ?
  • What is feedback in Hindi
  • Listening Skills in Hindi
  • Spam Report Meaning in Hindi
  • Autonomous College और Non Autonomous College में अंतर
  • What is aided college in Hindi
  • What is counselling in Hindi

अगर आपके मन में इस विषय से संबंधित अन्य प्रश्न हैं तो आप नीचे कमेंट करके जरूर पूछें । आपको आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।

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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

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निबंध (Nibandh) या हिंदी निबंध (Hindi Essay) हिंदी गद्य का एक अहम और पुराना भाग है। हम लोग पिछले कई वर्षों से हिंदी में निबंध (Hindi Me Nibandh) पढ़ते और लिखते हुए आ रहे हैं। हिंदी निबंध पढ़ने और लिखने की शुरुआत स्कूल से ही हो जाती है। स्कूल और कॉलेज में आज भी विद्यार्थियों को वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है, जिसमें वह निबंध लेखन के विषय को याद करके अपनी समझ से लिखते हैं। लेकिन कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जिन्हें निबंध लिखने में कठिनाई होती है और वह एक अच्छा निबंध हिंदी में (In Hindi Essay) नहीं लिख पाते हैं।

निबंध (Essay In Hindi)

जो विद्यार्थी हिंदी में निबंध नहीं लिख पाते हैं, उनके लिए ये पोस्ट काफी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि इस पोस्ट में हम आपको निबंध हिंदी से जुड़ी सभी जानकारी देंगे, जैसे- निबंध क्या है, निबंध का अर्थ और परिभाषा क्या है, निबंध के कितने प्रकार होते हैं, निबंध की विशेषताएं क्या हैं, निबंध के मुख्य अंग कौन से हैं, निबंध लेखन क्या है, निबंध कैसे लिखते हैंं, निबंध लिखते समय हमें किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए आदि। इसके अतिरिक्त हमने इस पोस्ट में हिंदी निबंध विषय सहित हिंदी के प्रसिद्ध निबंध भी दे रखे हैं, जिन्हें पढ़कर आप निबंध लेखन की कला को आसानी से समझ सकते हैं।

निबंध क्या है?

निबंध हिंदी गद्य लेखन की ही एक विधा या एक प्रकार की गद्य रचना है। निबंध में किसी भी विषय, व्यक्ति या वस्तु के बारे क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है और उसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। दूसरे शब्दों में अगर हम समझें, तो किसी विषय पर विस्तारपूर्वक अपने विचार प्रकट करना निबंध कहलाता है।

ये भी पढ़ें

निबंध का अर्थ

निबंध शब्द दो शब्दों के मेल नि+बंध से बना हुआ एक शब्द है, जिसका सीधा सा अर्थ है अच्छी तरह से बँधा हुआ या जुड़ा हुआ। निबंध को अंग्रेजी में एस्से (Essay) कहा जाता है। अगर हम देखें तो हमारे सामने निबंध के कई अर्थ निकल कर आते हैं, जैसे निबंध का संबंध लेख, अभिलेख, रचना आदि सभी से है, जिसमें अपने विचारों को सरल और रोचक भाषा में एक साथ पिरौकर पाठक के समकक्ष रखा जाता है।

निबंध की परिभाषा

किसी विषय को क्रमबद्ध, सविस्तार और विवरणात्मक तरीके से अपनी भाषा शैली में तथ्यों और विचारों के साथ जोड़ने की क्रिया को निबंध कहते हैं। हिंदी साहित्य जगत के विद्वानों ने निबंध की परिभाषा को अपने-अपने अनुसार लिखा है, जो इस प्रकार है-

बाबू गुलाबराय के अनुसार- ‘‘निबंध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।’’

आचार्य शुक्ल लिखते हैं- ’’यदि गद्य कवियों को कसौटी है, तो निबंध गद्य की।’’

पंडित श्यामसुंदर दास कहते हैं- ’’निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तारपूर्वक और पाण्डित्यपूर्व ढंग से विचार किया गया हो।’

डाॅ. भगीरथ मिश्र ने लिखा है- ’’निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें लेखक किसी भी विषय पर स्वच्छन्दतापूर्वक परन्तु एक विशेष सौष्ठव, संहिति, सजीवता और वैयक्तिकता के साथ अपने भावों, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करता है।’’

निबंध के प्रकार

निबंध के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं- 1. वर्णनात्मक निबंध, 2. विचारात्मक निबंध, 3. भावात्मक निबंध, 4. साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध।

  • वर्णनात्मक निबंध- वर्णनात्मक निबंध में किसी घटना, वस्तु या स्थान का वर्णन होता है जैसे- होली, दीपावली, ताजमहल, यात्रा, खेल आदि।
  • विचारात्मक निबंध- विचारात्मक निबंध में अपने विचारों के माध्यम से किसी विचारात्मक विषय जैसे- अहिंसा, बाल मजदूरी, विधवा-विवाह आदि पर निबंध लिखना होता है, जो काफी कठिन होता है।
  • भावात्मक निबंध- भावनात्मक निबंध का संबंध हमारे मन के भावों से जुड़ा हुआ होता है। भावनात्मक निबंध में वास्तविक और कल्पनात्मक दोनों विषय आते हैं, जैसे- बरसात का पहला दिन वास्तविक विषय है जबकि यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता एक काल्पनिक विषय है।
  • साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध- साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध किसी मशहूर साहित्यकार, साहित्यिक विधा या साहित्यिक कृति पर लिखा जाता है, जैसे- मुंशी प्रेमचंद, आधुनिक हिन्दी कविता आदि।

निबंध के मुख्य अंग

निबंध के मुख्य रूप से चार अंग निर्धारित हैं, जो किसी भी निबंध के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं। निबंध के मुख्य चार अंगों के नाम इस प्रकार हैं-

  • शीर्षक- निबंध का सबसे पहला अंग होता है शीर्षक यानी कि जिस विषय पर आप निबंध लिख रहे हैं उसका नाम। आपका शीर्षक जितना आकर्षक होगा उतना ही लोगों में आपके निबंध को पढ़ने की उत्सुकता बढ़ेगी।
  • प्रस्तावना या भूमिका- प्रस्तावना या भूमिका निबंध का दूसरा अंग होती है, जिसे निबंध की नींव भी कहा जाता है। प्रस्तावना से पता चलता है कि आपके निबंध की भाषा शैली कैसी है। प्रस्तावना हमेशा रोचक, आकर्षक और छोटी होनी चाहिए ताकि जो भी आपके निबंध को पढ़ रहा है उसे पूरा पढ़ने का मन करे। प्रस्तावना इस प्रकार की हो जो यह स्पष्ट कर सके कि आपके निबंध की विषयवस्तु क्या है।
  • विस्तार- विस्तार निबंध का तीसरा व सबसे प्रमुख अंग होता है। विस्तार में लेखक निबंध के विषय के बारे में विस्तारपूर्वक लिखता। वह निबंध के विषय से संबंधित जानकारी को इकट्ठा करके अपनी भाषा व अपने शब्दों में लिखता है। इसके अलावा वह विस्तार में अपने विचारों को भी रखता है और निबंध को संतुलित बनाने का प्रयास करता है। विस्तार में ही निबंधकार के दृष्टिकोण का पता चलता है।
  • उपसंहार या निष्कर्ष- उपसंहार या निष्कर्ष निबंध का चौथा व आखिरी अंग होता है, जिसमें निबंध को समापन की ओर ले जाना होता है। निबंध को समाप्त करने के लिए लेखक अपना दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है और किसी विशेष व्यक्ति के उपदेश, विचार या कविता का भी प्रयोग करता है।

हिंदी निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) हिंदी गद्य लेखन की एक खास कला है। वर्तमान में विभिन्न विषयों पर हिंदी में निबंध (Nibandh In Hindi) लिखे जा रहे हैं। हिंदी निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) मुख्य रूप से स्कूल और कॉलेज में अधिक होता है। यहाँ पर विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में निबंध लेखन होता है और परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों को अलग-अलग विषय पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में हिंदी दिवस जैसे खास अवसर पर हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्र बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। विद्यार्थियों के अलावा अन्य लोगों की भी निबंध लेखन के प्रति रुचि बढ़ रही है, लेकिन हिंदी निबंध लेखन के संबंध में लोगों का एक सवाल हमेशा रहता है कि हिंदी में निबंध कैसे लिखें?, जिसकी चर्चा आगे की गई है।

निबंध कैसे लिखें?

निबंध लिखना कोई कठिन कार्य नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि निबंध लिखना बहुत आसान है, लेकिन लिखने से पहले ज़रूरी है पढ़ना। आप जितना ज़्यादा पढ़ेंगे उताना ज़्यादा ही अच्छा लिख पाएंगे, क्योंकि पढ़ना भरना है और लिखना झलकना। पढ़ने से आपका बौद्धिक विकास होगा, आपको नए शब्द सीखने को मिलेंगे, आपको दूसरों के विचारों के बारे में पता चलेगा, आप जिस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं उस विषय की जानकारी आपके पास होगी और तब आप एक अच्छा निबंध लिख पाएंगे।

निबंध लिखने के 10 आसान टिप्स

निबंध लिखने के 10 ज़रूरी टिप्स इस प्रकार हैं-

  • निबंध लिखने की शुरुआत करने से पहले उस निबंध से जुड़े विषय के अन्य निबंधों को पढ़ें।
  • निबंध को अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करें।
  • निबंध को सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखें।
  • निबंध को उसके मुख्य अंगों शीर्षक, प्रस्तावना, विस्तार और निष्कर्ष के साथ ही लिखें।
  • निबंध लिखते समय छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करें।
  • निबंध को क्रमबद्ध तरीके से लिखें।
  • निबंध में एक बार कही गई बात को दोबारा दोहराने से बचें।
  • निबंध में अपने विचार अवश्य जोड़ें।
  • निबंध पूरा होने के बाद उसे कम से कम दो से तीन बार ज़रूर पढ़ें।
  • निबंध में गलतियां मिलने पर उन्हें सुधारें।

अच्छे निबंध की विशेषताएं

एक अच्छे निबंध की विशेषताएं या अच्छे निबंध के गुण इस प्रकार हैं-

  • संक्षिप्तता
  • प्रभावोत्पादकता
  • स्वच्छन्दता
  • गद्यात्मकता

निबंध लेखन के विषय

नीचे हमने हिंदी में निबंध के लिए विषय (Topic For Essay In Hindi) दिए हुए हैं। आप हमारे द्वारा दिए गए Essay Topic In Hindi में अलग-अलग हिंदी के प्रसिद्ध निबंध पढ़ सकते हैं और निबंध लेखन की शैली को समझ सकते हैं।

धार्मिक त्योहार

राष्ट्रीय त्योहार, मौसमी त्योहार, भारत के प्रमुख दिवस, अन्य विषयों पर निबंध.

प्रश्न- हिंदी में निबंध कैसे लिखें?

उत्तरः हिंदी में निबंध आसान और स्पष्ट भाषा में लिखें।

प्रश्न- निबंध क्या है in Hindi?

उत्तरः निबंध हिंदी गद्य की एक विधा है।

प्रश्न- निबंध के कुल कितने अंग है?

उत्तरः निबंध के कुल चार अंग हैं, 1. शीर्षक, 2. प्रस्तावना, 3. विस्तार, 4. निष्कर्ष।

प्रश्न- निबंध में प्रस्तावना में क्या लिखते हैं?

उत्तरः निबंध में प्रस्तावना में पूरे निबंध की विषयवस्तु के बारे में लिखा जाता है।

प्रश्न- निबंध की तीन विशेषताएं क्या हैं?

उत्तरः नवीनता, रोचकता और मौलिकता।

प्रश्न- निबंध के मुख्य दो प्रकार कौन से हैं ?

उत्तरः वर्णनात्मक और विचारात्मक।

प्रश्न- निबंध के अंत में हमें क्या लिखना चाहिए?

उत्तरः निबंध के अंत में हमें उपसंहार लिखना चाहिए।

प्रश्न- लेख और निबंध में क्या अंतर है?

उत्तरः लेख छोटे और कम शब्दों के होते हैं जबकि निबंध बड़े और ज़्यादा शब्दों के होते हैं।

1 thought on “70+विषयों पर निबंध (Essay In Hindi) | Nibandh”

शुक्रिया सर, आपने बहुत ही बेहतरीन तरीके से “निबंध लिखने के नियम” को प्रस्तुत किया है? इसकी सहायता से आज मै दुसरे साइटो के लिये निबंध लिखकर पैसे कमा पा रहा हू। धन्यवाद

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रैगिंग पर निबंध- Essay on Ragging in Hindi Language

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छोटा परिवार सुखी परिवार निबंध- Small Family Essay in Hindi Language

विविधता में एकता निबंध- Unity in Diversity Essay in Hindi Language

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Essay on My Favorite Book in Hindi

मेरी कक्षा पर निबंध- My Classroom Essay in Hindi Language

झरने पर निबंध- Essay on Waterfall in Hindi

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1 thought on “हिन्दी निबंध लेखन | Hindi Nibandh | Hindi Essay Topics”

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Hindi Essay Topics | Hindi Nibandh | 100+ विषयों पर निबंध लेखन हिंदी

यदि आप स्कूल प्रतियोगिताओं, भाषणों या कार्यक्रमों के लिए हिंदी में निबंध लेखन के लिए विषय तलाश रहे हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। यहा हमने विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिए लंबे और छोटे दोनों रूपों में निबंध विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान की है। चाहे आप कक्षा 10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, या 1 में हों, आपको यहां अपने निबंधों के लिए उपयुक्त विषय मिलेंगे।

100+ विषयों पर निबंध लेखन हिंदी | Hindi Essay Topics | Hindi Nibandh

  • पर्यावरण प्रदूषण
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ
  • राष्ट्रीय एकता
  • मारा राष्ट्रीय ध्वज
  • स्वतंत्रता दिवस
  • गणतंत्र दिवस
  • प्रदर्शनी का वर्णन
  • साप्ताहिक बाजार
  • रेलवे स्टेशन पर एक घंटा
  • चिड़ियाघर की सैर
  • एक मंदिर का वर्णन
  • विज्ञान के चमत्कार
  • टेलीविजन (दूरदर्शन )
  • सिनेमा या चलचित्र
  • मेरा देश : भारत
  • मेरा अपना नगर : दिल्ली
  • मेरी आत्मकथा ( मैं एक लड़का)
  • मेरी आत्मकथा ( मैं एक लड़की)
  • मेरे पिताजी
  • मेरे चाचाजी
  • मेरा जन्मदिन
  • मेरा प्रिय शौक
  • मेरा पालतू कुत्ता
  • मेरी महत्वाकांक्षा
  • मेरा प्रिय मित्र
  • मैं सर्कस देखने गया
  • मेरा प्रिय फल : आम
  • मेरा प्रिय खेल
  • मेरे पड़ोसी
  • मेरा घर परिवार
  • विद्यालय में मेरा पहला दिन
  • मेरा विद्यालय
  • मेरी कक्षा की शिक्षिका
  • मेरा मन – पसंद विषय
  • मेरे विद्यालय का पुस्तकालय
  • मेरी प्रिय पुस्तक
  • अध्यापक दिवस
  • विद्यार्थी और अनुशासन
  • आदर्श नागरिक
  • आदर्श विद्यार्थी
  • डाकिया (पत्रवाहक)
  • बरसात का एक दिन
  • परिश्रम का महत्व
  • भारतीय किसान
  • प्रातः कालीन सैर
  • हमारे विद्यालय का चपरासी
  • श्रीमती इन्दिरा गांधी
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर
  • सरदार भगत सिंह
  • नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
  • जगदीशचन्द्र बोस
  • चन्द्रशेखर वेंकटरमण
  • बीरबल साहनी
  • सत्येन्द्र नाथ बोस
  • भगवान महावीर
  • गुरु नानकदेव
  • महात्मा बुद्ध
  • स्वामी विवेकानन्द
  • राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल

essays topics in hindi

हिंदी में Essay topics | Essays topics in hindi

Hindi में निबंध, Essays  in hindi, कैसे लिखे निबंध, [Essays hindi topics], 500+ words essays in hindi, 300+ words के essays, hindi में essays. 

निबंध (Essays) लिखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। अधिकांश छात्रों को लिखना शुरू करने में कठिनाई होती है। निबंधों को आसान बनाया जा सकता है यदि छात्र या तो विचार-मंथन के माध्यम से विषय के बारे में सोचना शुरू कर दें या उन्हें एक कागज़ की शीट पर रख दें। विचारों को प्राप्त करने के बाद, उन्हें यह जानना होगा कि निबंध बनाने के लिए उन्हें कैसे व्यवस्थित किया जाए। इसके लिए उन्हें विभिन्न विषयों पर निबंधों का अभ्यास करना होगा। यहां, हमने विभिन्न विषयों पर निबंधों की एक सूची तैयार की है।

ये सामान्य निबंध विषय हैं जिनके परीक्षा में पूछे जाने की सबसे अधिक संभावना है। इनमें से कुछ निबंध विषय पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों से भी चुने गए हैं। कक्षा 6 से 10 के छात्र इन निबंधों को पढ़ सकते हैं और एक आदर्श निबंध बनाने के लिए अपने विचार व्यक्त करने का सही तरीका जान सकते हैं।

Table of Contents

एक अच्छे निबंध के लक्षण (Characteristics of a Good Essays)

एक विशेष विषय पर एक से अधिक पैराग्राफ वाली रचना एक निबंध होती है। और एक अच्छे निबंध की विशेषताएं हैं –

  • Proportion – इसमें महत्वपूर्ण विचारों को अधिक स्थान दें।
  • Relevance – इसमें महत्वहीन और बिना काम की जानकारी शामिल नहीं की जानी चाहिए।
  • Unity –  निबंध को मुख्य विषय से संबंधित होना चाहिए, और उसके सभी भागों को उस विषय से स्पष्ट रूप से जोड़ा जाना चाहिए।
  • Coherence – विचार का तार्किक क्रम होना चाहिए। इसके लिए विचारों, वाक्यों और अनुच्छेदों के बीच तार्किक संबंध की आवश्यकता होती है।

निबंध के प्रकार (Types of Essays)

निबंध मुख्य रूप से किसी के विचारों को व्यक्त करने के तरीके हैं। निबंध अलग-अलग होते हैं, कि कोई व्यक्तिगत अनुभव कैसे बताता है, किसी मुद्दे का वर्णन या व्याख्या करता है, या पाठक को एक निश्चित दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए मनाता है। इसलिए, निबंधों को मुख्य रूप से चार प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है, जैसा कि नीचे बताया गया है –

कथा निबंध (Narrative Essays) : एक कहानी सुनाना

एक कथा निबंध लिखते समय, छात्रों को इस विषय पर ऐसे विचार करना चाहिए जैसे कि कोई एक कहानी कह रहा हो। इन निबंधों के माध्यम से वे स्वयं को रचनात्मक तरीके से अभिव्यक्त कर सकते हैं। ये निबंध आमतौर पर first person में लिखे जाते हैं, ताकि पाठकों को आकर्षित किया जा सके।

वर्णनात्मक निबंध (Descriptive Essays) : शब्दों के साथ चित्र बनाना

एक वर्णनात्मक निबंध में, छात्रों को शब्दों के साथ एक चित्र बनाना होता है। उन्हें कुछ वर्णन करना होगा। यह कोई वस्तु, व्यक्ति, स्थान, अनुभव, भावना, स्थिति या कुछ भी हो सकता है। ये निबंध छात्रों को कलात्मक स्वतंत्रता का एक बड़ा सौदा करने की अनुमति देते हैं।

प्रेरक निबंध (Persuasive Essays) : मुझे समझाएं

एक प्रेरक निबंध वह है जिसमें एक लेखक पाठक को उसके दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश करता है। यह तर्क के सभी पक्षों को प्रस्तुत करता है, लेकिन लेखक की व्यक्तिगत राय को भी स्पष्ट रूप से संप्रेषित करता है।

एक्सपोजिटरी निबंध ( Expository Essays ) : तथ्यों की प्रस्तुति

एक एक्सपोजिटरी निबंध लेखन का एक सूचनात्मक टुकड़ा है, जो किसी विषय का संतुलित विश्लेषण प्रस्तुत करता है। एक अच्छा व्याख्यात्मक निबंध लिखने के लिए, छात्रों को विषय की जांच करने, साक्ष्य का मूल्यांकन करने, विचार व्यक्त करने और स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से एक तर्क निर्धारित करने की आवश्यकता होती है। यह तुलना और इसके विपरीत, परिभाषा, उदाहरण, कारण और प्रभाव का विश्लेषण आदि द्वारा किया जा सकता है।

Essay topics in hindi (हिंदी में एस्से)

Faq (frequently asked questions), छात्रों को निबंध लेखन का अभ्यास कैसे करना चाहिए.

1. इसके लिए लगातार लिखित अभ्यास की आवश्यकता होती है। 2. छात्र को विभिन्न विषयों पर ज्ञान होना चाहिए। 3. और साथ उनकी शब्दावली भी अच्छी होनी चाहिए।

निबंध लेखन में उच्च अंक कैसे प्राप्त करें?

1. निबंध में पाठ का प्रवाह बनाए रखें। 2. वाक्यांश निबंध भी इसका एक संबंधित तरीका है। 3. इसके लिए रचनात्मक बनें। 4. निबंध को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करें। 5. साथ ही इसे लिखते वक़्त अति आत्मविश्वासी न हों।

किसी अज्ञात या अपरिचित विषय पर निबंध कैसे लिखें?

यदि कोई निबंध विषय अपरिचित है तो छात्र सामान्य रूप से उन विषयों के बारे में लिखने का प्रयास कर सकते हैं, जो मुख्य विषय से उस विषय से संबंधित हैं। पत्रिकाओं, पुस्तकों को पढ़ने से भी विभिन्न विषयों में ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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हमारे इस पोस्ट को, हिंदी खोजी की एडिटोरियल टीम द्वारा पूरी रिसर्च करने के बाद लिखा गया है, ताकि आपलोगों तक सही और नई जानकारियों को सरलता से पहुचाया जा सके। साथ ही हम यह आशा करेंगे की, आपलोगों को इन आर्सेटिकल्स के माध्यम से सही और सटीक जानकारी मिल सके, जिनकी आपको तलाश हो | धन्यवाद।

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तथा भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

  • 10वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

  • केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
  • नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
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जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया तथा इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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100+ हिंदी निबंध – List of Hindi essay topics

List of Hindi essay topics: हेलो, दोस्तों आज हम ऐसा एक लेख लेकर आये हैं जो की class 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 से लेकर कॉलेज छात्रों के लिए फायदामंद होगा. ये लेख फायदेमंद होने का कारण यही होगा की, हर निबंध विषय के निचे headings दिया हुआ है. जिससे आपको निबंध लिखने में आसान होगा. तो आज हम आपके लिए लेकर आये हैं 100+ Hindi essay topics . तो चलिए लेख की ओर बढ़ते हैं.

हिंदी निबंध विषय – List of Hindi essay topics   

  • खेलकूद का महत्व पर निबंध

खेलकूद का महत्व – स्वास्थ्य ही सच्ची संपत्ति है – खेलों से हम क्या सीखते हैं

  • बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

बेरोजगारी के प्रकार – बेरोजगारी की समस्या को कैसे हल किया जाए

  • भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता – भारत में स्थिति – भ्रष्टाचार के कारण – समस्या का समाधान

  • इंटरनेट पर निबंध

इंटरनेट क्या है – इंटरनेट का महत्व – इंटरनेट का दुरूपयोग

  • शिक्षक दिवस पर निबंध

भारत के प्राचीन गुरुकुल – आधुनिक शिक्षा – शिक्षक दिवस का पालन – अफसोस की बात

  • मेरा देश पर निबंध

सभ्यता – विदेशी हमला – धर्म – प्राकृतिक संसाधन और आकर्षण

  • क्रिकेट पर निबंध

लोकप्रियता – खेल का मैदान, उपकरण और नियम – टेस्ट मैच – एक दिवसीय मैच – टी ट्वेंटी – प्रशिक्षण प्रणाली – खेल प्रबंधन – मैच फिक्सिंग – बल्ला निर्माण – खेल और खिलाडी – महिला क्रिकेट टीम – खेल की सफलता के लिए पुरस्कार

  • फुटबॉल पर निबंध

संक्षिप्त इतिहास – खेल के मैदान – खेल के तरीके

  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला का सही परिचय – नारी पर अत्याचार – महिला विकास

  • मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध

मेरे प्रिय शिक्षक के आदर्श गुण – शिक्षा प्रदान – पढ़ने में रूचि – कक्षा में मेरे प्रिय शिक्षक – व्यक्तित्व

  • मेरा स्कूल पर निबंध

स्थान – कक्षाएं और छात्रों – स्कूल के घर – स्थापना और प्रबंधन – शिक्षक और अन्य कर्मचारी – समारोह – बगीचा – पुस्तकालय – खेल क्षेत्र – पत्रिका – छात्रावास – कपड़े – परीक्षा परिणाम

  • मोबाइल फोन पर निबंध

मोबाइल फोन का इतिहास – फोन का निर्माण – मोबाइल फोन का उपयोग और लाभ – दुष्प्रयोग – मोबाइल के बारे में जानकारी

  • टेलीविजन पर निबंध

कार्यप्रणाली – विभिन्न चैनल – विभिन्न पेशेवर कार्यक्रम – स्वास्थ्य जानकारी – लाइव और स्ट्रीमिंग – समाचार कवरेज – धारावाहिक – विज्ञापन प्रसारण – टीवी पर फिल्में – लाभ – दुष्प्रयोग

  • गणतंत्र दिवस पर निबंध

दिवस का उद्देश्य – राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस  – राज्य स्तर पर गणतंत्र दिवस  – शिक्षण संस्थानों में गणतंत्र दिवस  – पुरस्कार और सम्मान

  • दिवाली पर निबंध

दिवाली का अर्थ – दिवाली के बारे में पौराणिक तथ्य – दिवाली का ऐतिहासिक महत्व – दिवाली उत्सव – दिवाली का आंकलन

  • दशहरा पर निबंध         

त्योहार की पौराणिक पृष्ठभूमि – भारत के विभिन्न क्षेत्र में दशहरा – मनोरंजन

  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

स्वतंत्रता दिवस का महत्व – राष्ट्रीय स्तर पर समारोह – राज्य स्तर पर समारोह – शिक्षण संस्थानों में स्वतंत्रता दिवस समारोह – सांस्कृतिक आयोजन

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  • रक्षाबंधन पर निबंध

रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व – इतिहास में रक्षाबंधन – भारत में राखी का भिन्नता – रक्षाबंधन में अन्य समारोह – रक्षाबंधन के पालन का उद्देश्य

  • भारतीयों त्योहारों पर निबंध

दीवाली – रामनवमी और जन्माष्टमी – दशहरा – होली – रथ यात्रा – ईद – क्रिसमस

  • नशा मुक्ति पर निबंध

नशा सेवन का कारण – नशीली द्रव्यों का उपयोग और नुकसान – नशा मुक्ति के लिए प्रयास

  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

प्रधान मंत्री के विचार और राय – देश के स्वच्छ भारत अभियान का इतिहास – स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य – अभियान का कार्यक्रम – स्वच्छता – स्वच्छता के लिए जागरूकता

  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण के विभिन्न कारण और परिणाम – प्रदूषण कम करने के तरीके

  • वायु प्रदूषण पर निबंध

वायु प्रदूषण क्या है – वायु प्रदूषण के कारण – वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव – वायु प्रदूषण को नियंत्रित कैसे करें

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हमारे समाज में महिलाओं की भूमिका – प्राचीन भारत में महिलाओं की शिक्षा – मध्य युग में महिलाओं की शिक्षा – आधुनिक युग में महिलाओं की शिक्षा – आवश्यकता

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छात्रों के भविष्य के लक्ष्य – शिक्षक बनने का लक्ष्य – देशभक्त बनने का लक्ष्य – डॉक्टर होने का लक्ष्य – शास्त्र के अनुसार, जीवन का लक्ष्य

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दहेज का रूप और इतिहास – विदेश में दहेज – दहेज एक सामाजिक बीमारी है – दहेज फैलने का कारण – सुधार की जरुरत – दहेज को कैसे कैसे खत्म करें – दहेज को खत्म करने के लिए उठाये गए कदम

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भारत में अतीत में विद्यार्थी जीवन – वर्तमान विद्यार्थी जीवन – विद्यार्थी जीवन के विभिन्न आदर्श

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ईश्वर की रचना में अनुशासन – विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता और प्रभाव – अनुशासन की कमी के कारण नुकसान – अनुशासन के तरीके

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छात्र असंतोष के परिणाम – छात्र असंतोष के कारण – प्रतिकार

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नेतृत्व की इच्छा – राजनीतिक दलों के बुरे प्रभाव – छात्र की कर्त्तव्य

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नैतिक शिक्षा का रूप – साधारण शिक्षा और नैतिक शिक्षा – नैतिक शिक्षा की आवश्यकता – लाभ – माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका – पाठ्यक्रम

  • शारीरिक शिक्षा पर निबंध

आवश्यकता – पहुंच – लक्ष्य – कार्रवाई के दौरान – इतिहास

  • एड्स पर निबंध

एड्स का सृष्टि और प्रसार – एड्स का संक्रमण – रोग के लक्षण – उपचार और निदान – आतंक का कारण                        

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आवश्यकता – तकनीकी शिक्षा और वर्तमान शिक्षा – विभिन्न दृष्टिकोण – देश के निर्माण में सहायता – समस्या

  • सर्व शिक्षा अभियान पर निबंध

स्वतंत्रता के बाद सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के लिए कदम – भारत में सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य और आवश्यकताएं – सर्व शिक्षा अभियान की कार्यक्रम की रूपरेखा – कार्यक्रम के बारे में राय – अभियान की सफलता के लिए सलाह

  • साक्षरता अभियान पर निबंध

साक्षरता की उपयोगिता – अशिक्षा का कारण – साक्षरता की स्थिति और प्रगति – साक्षरता का इतिहास – साक्षरता कार्यक्रम का स्तर

  • पुस्तकालय पर निबंध

वर्ग विभाग – पुस्तकालय प्रबंधन प्रणाली – शिक्षक और छात्रों के सहयोग

  • राष्ट्रीय कैडेट कोर पर निबंध

उद्देश्य – सेवा का काम – प्रशिक्षण और शिविर – राष्ट्रीय सुरक्षा में NCC की भूमिका – ग्रामीणों के लिए NCC का कार्य

  • रेड क्रॉस पर निबंध

भारत में रेड क्रॉस – कनाडा में रेड क्रॉस – जूनियर रेड क्रॉस

  • मातृभाषा पर निबंध

शिक्षण प्रणाली – मातृभाषा का महत्व – चर्चा का चक्र – प्रयास – अनुसंधान

  • राष्ट्रीय भाषा पर निबंध

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी – हिंदी राष्ट्रभाषा होने का कारण – विरुद्ध राय

  • साहित्य और समाज पर निबंध

परिवर्तनशील – साहित्यिक – साहित्य और जीवन – साहित्यिक समाज – निर्माता – आदर्शवाद – समाज पर प्रभाव

  • भारतीय संस्कृति पर निबंध

एकीकृत संस्कृति – संस्कार से संस्कृति – भारतीय संस्कृति की विशेषताएं – मुक्ति – त्याग ही सुख है – सामाजिक वर्ग – विश्व परिवार नियोजन, धर्मनिरपेक्षता – दान, सेवा

  • विज्ञान पर निबंध

संरक्षण – चिकित्सा में विज्ञान – परिवहन- घर पर विज्ञान – शिक्षा और मनोरंजन – कृषि विकास – पुस्तकों और पत्रिकाओं का प्रकाशन – प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता – अंतरिक्ष अनुसंधान – दुष्प्रभाव

  • रेडियो पर निबंध

स्कूल का कार्यक्रम – कॉलेज और विश्वविद्यालय के कार्यक्रम – युवाओं के लिए कार्यक्रम – कृषि कार्यक्रम – महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम – प्राकृतिक आपदाओं और आपात स्थितियों में रेडियो की भूमिका – मनोरंजन – विवरण – विज्ञापन कार्यक्रम – अन्य कार्यक्रम

  • कंप्यूटर पर निबंध

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – प्रकार – कंप्यूटर की भाषा – लाभ – नुकसान

  • चलचित्र पर निबंध

फिल्म का विकास – भारत में फिल्म का प्रसार – फिल्म के प्रकार – लाभ – नुकसान

  • बिजली पर निबंध

आविष्कार – महत्त्व – बिजली के कुछ मुख्य उपयोग

Hindi essay topics

  • विज्ञान प्रदर्शनी पर निबंध

तैयारी बैठक – विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन – विज्ञान प्रदर्शनियों की प्रभावशीलता – प्रोत्साहन प्रणाली

  • दूरसंचार पर निबंध

दूरसंचार दिवस – संबंध वृद्धि में मदद – लाभ – भारत में दूरसंचार – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूरसंचार

  • अंतरिक्ष में भारत पर निबंध

अंतरिक्ष कार्यक्रमों में विभिन्न राष्ट्रों की भूमिका – भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम – भारत का मंगल अभियान

  • वृक्षारोपण पर निबंध

वनों की कटाई का कारण – वनों की कटाई के परिणाम – वृक्षारोपण की आवश्यकता – वृक्षारोपण कार्यक्रम – वन संरक्षण

  • समाज सेवा पर निबंध

समाज सेवा की आवश्यकता – इसका दायरा – विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन – समाजसेवी का आदर्श – छात्र और सामाजिक सेवाएं

  • सामाजिक वनीकरण पर निबंध

वर्तमान जंगल – सामाजिक वनीकरण के लक्ष्य – सामाजिक वनीकरण विभाग – कृषि वनीकरण – ग्रामीण वनीकरण – शहरी वनीकरण – सफलता के लिए कदम

  • वन्य जीव संरक्षण पर निबंध

विभिन्न वन्य जीव – वन्य जीव संरक्षण की आवश्यकता – वन्य जीव संरक्षण की व्यवस्था

  • पिकनिक पर निबंध

समय – आयोजन – पिकनिक का आनंद – एक पिकनिक का विवरण

  • कृषि पर निबंध

हमारे देश में कृषि – प्राचीन पद्धति – आधुनिक पद्धति – कृषि के लिए उपाय

  • हरित क्रांति पर निबंध

खाद्यान्न पर निर्भरता हानिकारक है – कृषि भारतीयों की राष्ट्रीय आजीविका – अनाज में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता – हरित क्रांति के विभिन्न पहलू – सरकार की कदम – हरित क्रांति की सफलता के लिए सलाह

  • भारत की पंचवर्षीय योजना पर निबंध

पंचवर्षीय योजना का आधार – पहली पंचवर्षीय योजना – दूसरी पंचवर्षीय योजना – तीसरी पंचवर्षीय योजना – चौथी पंचवर्षीय योजना – पांचवीं पंचवर्षीय योजना – छठी पंचवर्षीय योजना – सातवीं पंचवर्षीय योजना – आठवीं पंचवर्षीय योजना – नौवां पंचवर्षीय योजना – दसवीं पंचवर्षीय योजना – ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना

  • ग्रामीण विकास पर निबंध

प्राचीन भारतीय गाँव की विशेषताएं – आजादी से पहले और बाद में ग्रामीण विकास के कदम – ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न सुधार

  • पंचायती राज पर निबंध

पंचायती राज स्थापित करने के लक्ष्य – त्रिस्तरीय पंचायती नियम – पंचायती शासन की दोष

  • लोकतंत्र पर निबंध

लोकतंत्र का वर्ग – सरकार का गठन – लोकतंत्र के लाभ – लोकतंत्र शासन का दोष – भारत में लोकतंत्र

  • चुनाव पर निबंध

चुनाव प्रक्रिया और उसका प्रबंधन – चुनाव प्रक्रिया – चुनाव प्रचार – मतदान केंद्र और मतदान प्रणाली – वास्तविक मतदान के लिए क्या बाधाएं हैं?

  • संयुक्त राष्ट्र संघ पर निबंध

संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थापना और लक्ष्य – संगठन का प्रबंधन – विश्व शांति दिवस – बाधाओं

  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

भारत में जनसंख्या वृद्धि का कारण – जनसंख्या वृद्धि के परिणाम – उपाय

  • खाद्य समस्या पर निबंध

भारत खाद्य समस्याओं का कारण – प्रभाव – समस्याओं का समाधान

  • महंगाई की समस्या पर निबंध

कीमतों में वृद्धि का कारण – जनता पर प्रभाव – समस्या

  • सामाजिक पूर्वाग्रह पर निबंध

विभिन्न पूर्वाग्रह – उपाय

  • महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पर निबंध

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के कारण – उत्पीड़न के उन्मूलन के प्रयास – उत्पीड़न को मिटाने के लिए सरकार की कार्रवाई – महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अंत के लिए कुछ सुझाव

  • छुआछूत पर निबंध

प्रसार – जाति व्यवस्था – सामाजिक उत्पीड़न – विभिन्न कदम – सरकार के प्रयास

  • सड़क दुर्घटना पर निबंध

कारण – ठीक करने के तरीके

  • आतंकवाद पर निबंध

आतंकवाद के रूप – आतंकवाद के कारण – दुनिया में आतंकवाद का प्रचलन – भारत में आतंकवाद – आतंकवाद के परिणाम और प्रभाव – आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत की भूमिका

  • भूकंप पर निबंध

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप – उपाय – जागरूकता – मदद

  • सुनामी पर निबंध

सुनामी क्या है और क्यों है – सुनामी का इतिहास – हाल का सुनामी के प्रभाव – सुनामी का अनुभव – सुनामी पीड़ितों को सहायता – सुनामी की चेतावनी – दुनिया में सुनामी

  • खेल पर निबंध   

खेल का विभाग – विभिन्न क्षेत्रों में खेल – भारत में खेल – खेल प्रतियोगिता – प्रभावोत्पादकता – प्रयास – सफलता

  • ओलंपिक खेल पर निबंध

ओलंपिक खेलों का निर्माण – वर्तमान ओलंपिक खेलों की शुरुआत – ओलंपिक का लक्ष्य – ओलंपिक संस्थान का प्रबंधन – ओलंपिक के बारे में कुछ तथ्य – विभिन्न स्थानों पर ओलंपिक खेल – ओलंपिक खेलों में भारत – लंदन ओलंपिक – लंदन ओलंपिक में पदक – उद्घाटन समारोह

  • हॉकी पर निबंध

संक्षिप्त इतिहास – मैदान – खेल का उपकरण – खेल विधि – हॉकी खेल में भारत की सफलता – भारतीय महिला हॉकी टीम – महिला हॉकी विश्व कप

  • रथ यात्रा पर निबंध

रथ यात्रा की उत्पत्ति और प्रचलन – रथयात्रा की तैयारी – रथ की पहचान – यात्रा विवरण – सार्वजनिक सुरक्षा और अनुशासन – रथ यात्रा की विशेषताएं

  • ईद पर निबंध

अर्थ – रमजान का महीना – ईद उल फितर

  • सर्दी के मौसम पर निबंध

समय और सौंदर्य – सर्दियों की सुबह – दोपहर – सर्दी की रात – शीतकालीन त्योहार

  • वसंत ऋतु पर निबंध  

प्राकृतिक सौंदर्य – वसंत ऋतु के त्योहार और सार्वजनिक जीवन पर इसका प्रभाव

  • ग्रीष्म ऋतु पर निबंध

ग्रीष्मकालीन प्रकृति और स्थिति – उत्सव

  • वर्षा ऋतु पर निबंध

प्राकृतिक सौंदर्य – वर्षा ऋतु के त्योहार

  • बाल दिवस पर निबंध

बाल दिवस मनाने के उद्देश्य – बाल दिवस समारोह – राष्ट्रीय स्तर पर बाल दिवस

  • मातृ दिवस पर निबंध

मातृ दिवस का संक्षिप्त इतिहास – मातृत्व का महत्व – माँ का प्रभाव और प्रेरणा – आज के समाज में मातृत्व – कुछ योग्य माताओं के महान बच्चे

  • अहिंसा परमो धर्म पर निबंध

अहिंसा के रूप – अहिंसा परमो धर्म क्यों है – अहिंसा का सफल प्रयोग

  • आवश्यकता आविष्कार की जननी पर निबंध

आविष्कार का उद्देश्य – आविष्कार के लिए बुद्धि और प्रतिभा – आविष्कार का उदाहरण

  • परिश्रम पर निबंध

परिश्रम की आवश्यकता – छात्र जीवन में परिश्रम की भूमिका – परिश्रम का उदाहरण

  • आत्मनिर्भरता पर निबंध

दूसरे पर निर्भर करने का नुकसान – आत्मनिर्भरता का लाभ

  • कर्म ही पूजा है पर निबंध

कर्म क्या है – लाभ – नुकसान – व्यवधान – सहायक गुण

  • चरित्र पर निबंध

वैशिष्ट्य – चरित्र निर्माण – चरित्रहीन

  • जनगणना पर निबंध

जनगणना का उद्देश्य – भारत की जनगणना – जनगणना की तैयारी और कार्यान्वयन – 2001 जनगणना – 2011 की जनगणना का एक दृश्य

  • राष्ट्रीय युवा दिवस पर निबंध

राष्ट्रीय युवा दिवस, क्यों? – राष्ट्रीय युवा दिवस की सच्चाई

  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

राष्ट्रीय एकता के लिए बाधाएं – राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने के तरीके

  • जीवन बीमा पर निबंध

जीवन बीमा का इतिहास – कार्यालय – कर्मचारी – जीवन बीमा क्या है? – लाभ – नुकसान

  • पर्यटन पर निबंध

यात्रा का उद्देश्य – अतीत और वर्तमान पर्यटन के बीच का अंतर – पर्यटन की तैयारी – यात्रा के लाभ – वर्तमान पर्यटन के साथ समस्याएं

  • परोपकार पर निबंध

परोपकार की आवश्यकता – प्रकृति का दान – परोपकार का रूप – आदर्श परोपकारी

  • ग्रामीण जीवन पर निबंध

ग्रामीण जीवन का आकर्षण – ग्रामीण जीवन में मौसमी अवस्थाएँ – गाँव का सामाजिक जीवन – ग्राम जीवन की मीठी यादें – ग्रामीण जीवन में गिरावट

  • मित्रता पर निबंध        

मित्रता बनाने की आवश्यकता – मित्रता एक कला है – आदर्श मित्र का उदाहरण – बेईमान मित्र

  • मानव अधिकार पर निबंध

मानवाधिकार दिवस – अधिकार – समानता – शोषण से छुटकारा – स्वर्ण जयंती

  • समयनिष्ठ पर निबंध

आवश्यकता – समय का सदुपयोग – लाभ

  • शिष्टाचार पर निबंध

शिष्टाचार शिक्षा – शिष्टाचार की सीमा – शिष्टाचार महत्व – शिष्टाचार और अनुशासन – शिष्टाचार की उपयोगिता – देश की प्रगति में शिष्टाचार –

  • समाचार पत्र पर निबंध

समाचार पत्र प्रकाशन – समाचार पत्र की आवश्यकता

  • रक्तदान महादान पर निबंध        

आवश्यकता – रक्त संग्रह – स्वैच्छिक रक्तदान दिवस – विशेष सरकारी उपाय – सावधान – रक्त अभाब – जागरूकता और जन समर्थन

  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 

ध्वनि प्रदूषण का कारण – ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव – ध्वनि प्रदूषण को कम करने का उपाय

  • जल प्रदूषण पर निबंध

जल प्रदूषण का कारण – जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव – जल प्रदूषण को कम करने का उपाय

  • मुहर्रम पर निबंध

दुःख और शोक का पर्व – मुहर्रम मनाने के नियम

ये था हमारा लेख100+ list of Hindi essay topics . उम्मीद है यह लेख आपके लिए सहायक हुआ होगा. अगर आपको और कुछ topics के बारे में पता है, तो हमे कमैंट्स में जरूर बताएं. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.    

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हिंदी निबंध का संग्रह (List Of Hindi Essays)

हिंदी निबंध (Hindi Essays), List Of 300+ Essays Topics In Hindi

निबंध लिखना हर किसी के लिए जरुरी हो गया है। आज स्कूल हो या कॉलेज, हर जगह हमे निबंध लिखने की कभी ना कभी जरूरत पड़ती है। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमने आपके लिए कही हिंदी निबंध (Hindi Essay) लिखे है। आपको जिस भी विषय से जुड़ा निबंध चाहिए, उसे आपको देने की हमने पूरी कोशिश की है।

हमने class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थीयो को ध्यान में रखकर निबंध लिखे है। इस लेख में हमने 100 से भी अभिक विषयो पर लिखे निबंध की लिस्ट बनाई है, जिसे आप निचे देख सकते है। हमने हमारे वेबसाइट पर लिखे निबंध की कोई विशेष शब्दों की सिमा नहीं रखी है। लेकिन हमने सभी निबंध को points में लिखा है।

जिससे अगर आप सिर्फ 200, 500 या 1000 शब्दों में निबंध लिखना चाहे, तो आप निबंध से अपने मन मुताबिक पॉइंट्स को चुन कर अपने इच्छा के शब्द सिमा का निबंध लिख सकते है। इससे आपको निबंध के शब्द सिमा का चयन और निबंध के विषय से सम्बंधित पॉइंट्स का चयन करने में आसानी होगी।

अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।

हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi

निबंध का अर्थ क्या है?

निबंध को हम बहुत छोटे अर्थ में कहेंगे विचारपूर्ण लेख। जिसका तात्प्रय है की किसी विषय पर गम्भीरता से सोच विचार कर लेखक के मन की सटीक बातो का तालमेल निबंध कहलाता है। निबंध शब्द नि + बंध शब्द से मिलकर बना होता है। जिसका अर्थ है अच्छी तरह से बंधा हुआ।

इसकी भाषा विषय के अनुकूल होती है और अच्छी भाषा के प्रयोग से ही विषय को ओर अधिक रुचिपूर्ण ओर प्रभावशाली बनाया जा सकता है। अच्छी भाषा के प्रयोग से ही अपने भावों, विचारों ओर अपने अनुभव को प्रभावशाली तरीके से पड़ने वाले के दिमाग मे एक अमीठ छाप छोड़ता है।

निबंध की परिभाषा

निबंध गद्ध रचना होती है। किसी भी विषय की एक छोटी सी क्रमबद्ध सरचना को निबंध कहते है। इस परिभाषा से यही सिद्ध होता हैं कि निबंध छोटा और सरल होना चाहिए। निबंध पड़ने में सरल और समझने में आसान होना चाहिए।

अर्थात इसमे जो बात कहि गयी हो, वो विषय से हट कर नहीँ होनी चाहिए और उसमें ना ही बेतुकी बाते लिखी होनी चाहिए, जिसका निबंध से कोई तालमेल नहीँ बैठता।

निबंध के अंग और संरचना

निबंध के मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण अंग होते है। जिसमे पहला है भूमिका, दूसरा अंग है विस्तार और तीसरा अंग है उपसंहार।

किसी भी निबंध को लिहने से पहले हमे उसके पहले अंग यानि उसकी भूमिका लिखनी होती है। आप इसे प्रस्तावना भी कह सकते है। इसमें सबसे पहले आपको अपने निबंध के विषय पर कुछ जानकारी देनी होती है। भूमिका में आपको निबंध के विषय का परिचय देना होता है। आप जो भी विषय पर निबंध लिख रहे है उसका छोटा सा परिचय आपको इस अंग में देना होगा।

(2) विस्तार

यह किसी भी निबंध को लिखने का दूसरा अंग है। यहाँ आपको निबंध से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी लिखनी है। इस अंग में आपको निबंध के विषय से जुडी बातो को विस्तार से लिखना होता है। जैसे उदहारण के लिए अगर आप प्रदुषण पर निबंध लिखे तो आपको यहाँ उसकी परिभाषा, प्रकार, नुकसान, कारन और उपाय के बारे में लिख सकते है।

(3) उपसंहार

निबंध का आखरी अंग होता है उपसंहार। इसे आप निष्कर्ष भी कह सकते है। इस अंग में आपको अपने विचारो को और निबंध से मिली सिख को लिखना होता है। इस अंग में हम निबंध का अंत करते है। यहाँ आपको अपने विचार कुछ शब्दों में लिखना होता है जो निबंध के विषय को सम्बंधित हो।

निबंध के प्रकार

वर्णात्मक निबंध

  • विचरात्मक निबंध

भावात्मक निबंध

साहित्यक निबंध

वस्तुओ और द्र्श्यो के वर्णन को घटनाओ के विवरण से प्रस्तुत समझना चाहिए। घटनाओ का विवरण विवरणात्मक निबंधों में होता है। वर्णात्मक निबंध की भाषा सरल होती है और इसके लिखने की शैली सरल होती है। ऐसे निबंध को पढ़कर उस निबंध की वस्तु, घटना और स्थान आखो के सामने आ जाते है।

उदाहरण :- दीपावली, होली, क्रिसमस, गणतंत्र दिवस की परेड, ताजमहल आदि पर लिखे गए निबंध वर्णात्मक निबंध कहलाते है।

विचारात्मक निबंध

जैसा की नाम से ही ज्ञात हो रहा है की जिस विषय का विचार, चिंतन किया जाता है, उसे विचरात्मक निबंध कहा जाता है। इस प्रकार के निबंध लिखना कठिन होते है।

उदाहरण :- अहिंसा परमो धर्म, विधवा विवाह, राष्टीय एकता, राजनितिक तथा ईश्वर आत्मा जैसे दर्शनिक निबंध जिसको लिखने से पहले हमे कई बार सोचना समझना पड़ता है। ऐसे निबंध को विचारात्मक निबंध कहा जाता है।

भावनात्मक निबंध उसे कहते है, जिसमे अपनी भावनाओ को प्रस्तुत किया जाता है। जैसे वसंतोत्सव, चांदनी रात, बुढ़ापा, बरसात का पहला दिन, मेरे सपनो का भारत आदि इन्हे कलात्मक निबंध भी कहते है। जो कल्पना के सरोकार रहे ओर जिसमे विषय से समन्धित भावनाओ का समावेश होता हैं।

उदाहरण :- यदि में प्रधान मंत्री होता हैं, नदी की आत्मकथा ये सभी भावनात्मक निबंध है।

इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।

धारा शैली में भावों की धारा प्रवाह रहती है। तरंग शैली में भाव लहराते प्रतीत होते है ओर विशेष शैली में साहित्य कुछ उखड़े उखड़े रहते है। जिस प्रकार मुंशी प्रेमचंद और तुलसीदासजी की लेखन शैली इसी प्रकार की है।

निबंध के फायदे (लाभ)

कोई भी व्यक्ति अपनी बातों को ओर अपने विचारों को मौखिक या लिखत रूप में ही सबके सामने पेश करता हैं। जिस बात को बोलकर अभिव्यक्त करते हैं उसे मौखिक अभिव्यक्ति कहते हैं। जबकि अपने विचारों को लिखकर व्यक्त करने की कला को लेखन कौशल कहा जाता है।

इन्ही कला की बजह से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। ये जरूरी नहीं होता कि कोई व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति में माहिर हो। क्योंकि एक वक्ता भी बहुत अच्छा लेखक हो सकता है। इसलिए निबंध एक तरह से वो कला है, जिसमे व्यक्ति लिखित ओर मौखिक दोनों ही रूप में माहिर हो सकता है।

बस इससे बोलना ओर समझना दोनों में ही वक्ता की काबलियत झलकती है। इसलिए ये जरूरी नही की एक लेखक अच्छा वक्ता भी हो, यह कोई जरूरी नही है मगर सामान्य तौर पर एक व्यक्ति से यही अपेक्षा की जाती है कि वो भले ही एक अच्छा वक्ता या लेखक ना हो, पर मौखिक ही नहीं अपितु लिखित रूप में भी अपने विचारो को अभिव्यक्त कर सके।

निबंध को लिखने से किसी भी व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच और भावना का पता लगाया जा सकता है। बल्कि साथ साथ उनके लेखन कौशल के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।इस प्रकार निबंध लिखने से निबंध लिखने वाले के व्यक्तित्व के बारे में पता कर सकते है।

क्योंकि लिखने वाले कि शैली में ही उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। निबंध से ज्ञान तो बढ़ता ही है। साथ ही निबंध स्कूल, प्रतियोगिता परीक्षा, आदि में बहुत काम आता है। निबंध तो विद्यार्थी की परीक्षा में मूल्यांकन करने में काफी मद्त करता है।

निबंध से व्यक्ति को एक ही विषय की सभी जानकारी उस निबंध में मिल जाती है। उसे इधर-उधर उस विषय की खोज करने की जरूरत नहीं पड़ती। निबंध समझने में भी सरल होता है, क्योंकि उसकी भाषा सरल और सामान्य होती है।

एक अच्छे निबंध की विशेषता

एक अच्छे निबंध में निम्नलिखित विशेषता होनी चाहिए।

  • निबंध सरल और सुबोध होना चाहिए, जो आसानी से समझ आये ऐसी भाषा मे होना चाहिए।
  • निबंध की भाषा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
  • विचारों में परस्पर समानता होनी चाहिए।
  • विषय से सम्बंधित सभी पहलुओं पर चर्चा होनी चाहिए।
  • निबंध की वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए तथा उनमें विराम चिन्हों का ध्यान रखना चाहिए।
  • निबंध में शब्दसीमा का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
  • निबंध का जो अंतिम अनुच्छेद हो, उसमे निबंध के सभी बातों का सारांश होना चाहिए।
  • निबंध बहुत अधिक बड़ा नहीँ होंना चाहिए।
  • निबंध लिखने वाले लेखक का व्यक्तिव प्रतिफल होना चाहिए।
  • प्रत्येक निबंध एक धारा में होना चाहिए। अतः निबंध का एक अच्छा और निश्चित परिणाम होना चाहिए।

प्रमुख हिंदी निबंधकार

  • भरतेन्दु हरिश्चन्द्र
  • बालकृष्ण भट्ट
  • प्रतापनारायण मिश्र
  • सरदार पुर्ण सिंह
  • बालमुकुंद गुप्त

इस प्रकार अन्य बहुत से निबंधकार है, जिनकी निबंध कला अविश्वशनिय है। जिसे पड़ कर मन उनके विषय की सम्पूर्ण जानकारी लेने के लिए बाध्य हो जाता है।

इस प्रकार हम देखते है कि निबन्धकला अत्यधिक अविश्वसनीय कला हैं। जिसकी जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को नहीँ होती। इसके जानकार अपने बौद्धिक ज्ञान की झलक एक निबंध में दिखा देते है, जो एक विषय मे सम्पूर्ण ज्ञान देते है।

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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay In Hindi Language)

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List of Hindi Essay With Topic & Example हिंदी निबंध | निबंध लेखन

हेलो दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की हमने हिंदी निबंध बहुत सारे लिखे लेकिन वो सब एक जगह पर उपलब्ध नहीं है इसलिए आज इस आर्टिकल में आप सभी के लिए hindi essay को एक जगह लिख कर आपका काम बहुत आसान कर दूंगा। जैसा की आप सभी जानते है की इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी हो सकते है | सारे essay बहुत ही आसान भाषा में लिखे गए है। ताकि हर कोई आसानी से इनको समज सके। आईये पढ़ते है List of Hindi Essay With Topic के साथ।

  • List of Hindi Essay With Topic
  • डॉक्टर पर निबंध
  • भारत (इंडिया) पर निबंध 
  • माता पिता पर निबंध 
  • विज्ञापन पर निबंध
  • बेरोजगारी की समस्या पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध 
  • भारत में ग्रामीण जीवन पर अनुच्छेद
  •  कुतुब मीनार पर निबंध
  •  बिड़ला मंदिर पर निबंध
  •  लाल किला पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध
  • भारत में महिला शिक्षा पर निबंध
  • राजनीति पर निबंध 
  • एकता का महत्व पर निबंध 
  • देश प्रेम पर निबंध 
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  •  परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • विद्या का महत्व 
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  •  भारत की जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • आत्मविश्वास का महत्व
  • त्योहारों पर निबंध (Essay On Festivals In Hindi) :
  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध
  • शिक्षा पर निबंध 
  • दिवाली पर निबंध
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
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  • दिवसों पर निबंध (Essay On Days In Hindi) :
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  • चिड़ियाघर की सैर पर निबंध 
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  • Essay on Raksha Bandhan in Hindi with Heading रक्षाबंधन पर सरल हिन्दी निबंध
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  • स्वास्थ्य और खेल संबंधी निबंध (Essay On Sports In Hindi) :
  • मेरा प्रिय खेल कबड्डी पर निबंध 
  • क्रिकेट पर निबंध 
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  • कंप्यूटर पर निबंध 
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ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay in Hindi Language – निबंध

December 12, 2017 by essaykiduniya

Essay in Hindi –   These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.

ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।

हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने  इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं। 

ESSAY IN HINDI – निबंध

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निबंध – Essay in Hindi

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हिंदी निबंध – Hindi Essay

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2023 हिंदी के प्रसिद्ध निबंध-famous Hindi essay, Long & Short essay in Hindi. Current Essay topics in Hindi 2023 1

2023 हिंदी के प्रसिद्ध निबंध-famous Hindi essay, Long & Short essay in Hindi. Current Essay topics in Hindi 2023

कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के सभी छात्र के लिए निबंध लेखन की एक संग्रह जहाँ पर आपको कई सारे अलग-अलग विभिन्न विषयों पर निबंध लेखन मिलेंगे। निचे दिए गए निबंध कक्षा 1 से लेकर 12 class तक लिए कुछ निबंध प्रस्तुत है। सीधे निबंध ढूंढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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#short essay: हमारा प्रिय कवि : तुलसीदास.

प्रस्तावना : भारत महानताओं का देश है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहाँ हमारी कीर्ति की पताका न फहरायी हो। चाहे वह क्षेत्र वीरता का रहा हो या साहित्य का। यहाँ यदि महाराणा प्रताप, सुभाषचंद्र बोस तथा अब्दुल हमीद जैसे वीर पैदा हुए हैं। तो साहित्य के क्षेत्र में रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, सूर, कबीर और तुलसी जैसे महान् लेखकों और कवियों ने जन्म लिया। साहित्यकारों में मुझे सबसे अधिक प्रेरणा महात्मा तुलसीदास से मिली है।

जीवन-वृत्त : कहा जाता है कि तुलसीदास को जन्म देते ही इनकी माता हुलसी की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता आत्माराम दुबे ने इन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने कहा कि ‘इसके नक्षत्र परिवार एवं गाँव वालों के लिए अमंगलकारी हैं। यह जहाँ भी रहेगा, नाश ही उपस्थित करेगा।’ घर की दासी ने इनका लालन-पालन किया। जन्म के समय वे रोये नहीं थे, अपितु उन्होंने अपने मुख से ‘राम’ शब्द का उच्चारण किया था। इस आधार पर इनका नाम ‘रामबोला’ रख दिया गया।

बड़ा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ। वे उसकी सुंदरता पर अत्यधिक मोहित थे। एक दिन रत्नावली अपने मायके चली गयी। इस पर वे उसके लिए बेचैन हो उठे और आँधी, वर्षा तथा रात्रि की परवाह न करते हुए रत्नावली के पास जा पहुँचे। रत्ना ने मधुर फटकार दी। मगर तुलसीदास के मन में उनके शब्द गढ़ गए।

सब कुछ त्यागकर वे घर से निकल पड़े। स्वामी नरहरिदास के संपर्क से इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। बनारस के पंडों ने इस ग्रंथ का घोर विरोध किया। उन्होंने तुलसीदास जी को जान से मार डालने के लिए गुंडे लगवाए। मगर वे सफल न हो सके। धीरे-धीरे तुलसीदास का यश फैलता चला गया। उनकी राम-कथा को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे।

उपसंहार : तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली तथा रामचरितमानस अत्यधिक प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। तुलसीदास के महान् ग्रंथ रामचरितमानस को तो घर-घर में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जब तक भारत में हिंदू-धर्म जीवित रहेगा, तुलसीदास का नाम अमर रहेगा।

#short Essay: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

प्रस्तावना : भारतभूमि पर जब-जब भी विपत्ति आयी, तब-तब यहाँ, किसी-न-किसी महान् विभूति का उदय हुआ। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उन्हीं विभूतियों में से एक हैं। यह उसी संत की तपस्या का एवं साधना का प्रतिफल है कि हम आज स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं।

जीवन-परिचय : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक नगर में हुआ। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। वे राजकोट रियासत में दीवान थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था। वह धर्मपरायण महिला थीं। गांधी जी पर प्रारंभ से ही सत्यता और कर्त्तव्यपरायणता का प्रभाव पड़ा।

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में हुई। अपने बचपन में उन्होंने मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार’ एवं ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक पढ़े।

वे उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। तभी से उन्होंने माता-पिता की सेवा एवं सत्य को अपनाने का व्रत ले लिया। अठारह वर्ष की आयु में गांधी जी ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और वे वकालत की शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वकालत की शिक्षा पूरी करके वे स्वदेश लौटे। एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ पर आंदोलन आरंभ कर दिया। उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। अंत में वे प्रवासी भारतीयों को गोरों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में सफल हुए।

राजनीति में प्रवेश : जब गांधी जी अफ्रीका से लौटे, उससे पूर्व ही देश में स्वतंत्रता आंदोलन आरंभ हो चुका था। गांधी जी ने अफ्रीका में पर्याप्त ख्याति प्राप्त की थी। इस कारण भारतवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी। गांधी जी ने पूर्ण विश्वास के साथ स्वतंत्रता-आंदोलन का संचालन किया। उनके नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता के विरोध में बड़े-बड़े आंदोलन चलाए गए। गांधी जी ने सभी आंदोलन अहिंसात्मक रूप से चलाए। उनके इन्हीं सिद्धांतों पर अंग्रेजों को झुकना पड़ा। उनके अथक् प्रयासों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को देश स्वतंत्र हुआ।

अपने चारित्रिक गुणों के बल पर महात्मा गांधी विश्व में प्रसिद्ध हुए। वे केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं थे। वे आध्यात्मिक एवं सामाजिक नेता भी थे। जीवनभर वे अछूतों के उद्धार, विदेशी वस्तुओं के परित्याग, चर्खा आंदोलन, सत्याग्रह जैसे महान् कार्यों में लगे रहे।

स्वर्गवास : देश को स्वतंत्र हुए एक वर्ष भी नहीं हुआ था। 30 जनवरी 1948 का दिन था। शाम के समय जब गांधी जी अपने सहयोगियों के साथ प्रार्थना-स्थल पर जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने उन पर रिवाल्वर से गोलियां चला दीं। स्वतंत्रता के अग्रणी दूत गांधी जी हमसे हमेशा के लिए विदा हो गए। उपसंहार : गांधी जी इस युग के सबसे महान् युग-पुरूष थे।

उन्होंने भारतवासियों को जाग्रत किया। उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दी। हमें सत्य और अहिसा के मार्ग पर चलकर देश को विकास की ओर अग्रसर करना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

#short Essay: पंडित जवाहरलाल नेहरू

प्रस्तावना : भारत के लाल जवाहरलाल से संपूर्ण विश्व परिचित है। उनका जन्म 14 नवंबर सन् 1889 में इलाहाबाद के आनंदभवन में हुआ। नेहरू जी के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू उस समय के प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी था। वे नेहरू जी को असीम प्यार करती थीं। नेहरू जी के परिवार पर लक्ष्मी की महान् कृपा थी। इसलिए नेहरू जी का लालन-पालन राजकुमारों के समान हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा मौलवी, पंडित एवं एक अंग्रेज पादरी की देख-रेख में घर पर ही हुई।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उच्च शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की। लंदन के हैरो एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा पूर्ण कर के वे सन् 1912 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। राजनीति में प्रवेश : सन् 1916 में नेहरू जी का विवाह कमलादेवी के साथ हुआ। कमलादेवी देशभक्त महिला थीं। लंदन से लौटने के बाद से ही नेहरू जी राजनीति की ओर खिंचते गए। सन् 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया। नेहरू जी भी उसमें सम्मिलित हुए। फलस्वरूप उन्हें बंदी बना लिया गया।

सन् 1929 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उस समय उन्होंने रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की। तभी से वे भारतीय जनता के हृदय-सम्राट् बन गए। नेहरू जी ने अनेक बार जेल-यात्राएँ की। उन्होंने अपने जीवन के चौदह वर्ष जेलों में व्यतीत किए।

स्वतंत्रता आंदोलन के बीच में ही उनकी पत्नी कमला नेहरू बीमार पड़ गयीं। परंतु कमला जी को बचाया नहीं जा सका। वहीं पर उनकी मृत्यु हो गयी। वे अपनी एकमात्र संतान इंदिरा को लंदन के एक स्कूल में दाखिला दिलाकर भारत लौट आए। वे फिर से देश-सेवा के काम में लग गए।

प्रधानमंत्री के रूप में : 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हुआ। देश में नये सूर्य का उदय हुआ। जनता ने दीप जलाकर खुशियाँ मनायीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे लगातार सत्तरह वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति की।

उपसंहार : नेहरू जी सदैव विश्व-शांति के समर्थक रहे। हमारा देश आज भी पंडित जी के बताये मार्ग पर अग्रसर है। 27 मई सन् 1964 को अचानक इस महान् पुरुष का निधन हो गया। उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलें और अपने देश को विश्व में श्रेष्ठ बनाएँ।

#Short Essay: देश के प्रिय नेता राजीव गांधी

प्रस्तावना : स्वर्गीय राजीव गांधी विश्वप्रसिद्ध नेता थे। वे आज हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने अपने कार्यों के द्वारा थोड़े समय में ही बड़ी ख्याति अर्जित की। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी के कंधों पर प्रधानमंत्री पद का भार आया। उनके लिए यह बड़ी मुश्किल का समय था। तब वे न हँस सकते थे, न खुश हो सकते थे और न ही रो सकते थे। एक ओर विशाल देश के प्रधानमंत्री का पद था तो दूसरी ओर माँ की अकाल मृत्यु का दु:ख। ऐसे समय में उन्होंने बड़े धैर्य, साहस एवं संयम का परिचय दिया।

जीवन-परिचय : राजीव गांधी का जनम 20 अगस्त 1944 को बंबई में हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी एवं पिता का नाम श्री फिरोज गांधी था। इंदिरा गांधी ने राजनीति में रहते हुए माँ का पूर्ण दायित्व निभाया। देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद संभाला। तब राजीव गांधी अपनी माता के साथ दिल्ली में रहे। उनके पिता फिरोज गांधी लखनऊ से बराबर उनके पास आते रहते थे।

राजीव गांधी ने किण्डर गार्टन के बाद दून स्कूल से आई. एस. सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहाँ पर उन्होंने तकनीकी शिक्षा भी प्राप्त की। स्वदेश लौटकर उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की सदस्यता ग्रहण की। विमान-चालक का काम सीखने के बाद राजीव गांधी विमान-चालक बन गए।

राजनीति में प्रवेश : अपने छोटे भाई संजय गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। सन् 1981 के चुनाव में वे पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। 30 अक्टूबर 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।

उपसंहार : राजीव गांधी के मन में राष्ट्र के विकास और देशवासियों के जीवन-स्तर को सुधारने की प्रबल इच्छा थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने वायदों को पूरा करने का प्रयास किया। उन्होंने अपने शासनकाल के पाँच वर्ष पूरे किए। सन् 1989 के चुनाव में काँग्रेस दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस कारण वे विपक्ष के नेता रहे। 21 मई 1991 को वे पेरम्बुदूर में जनसभा को सम्बोधित करने के लिए जा रहे थे। तभी कुछ देशद्रोहियों ने मानव-बम द्वारा उनकी जघन्य हत्या कर दी। देश से उसका युवा एवं प्रिय नेता छिन गया। निश्चय ही इस अभाव की पूर्ति असंभव है। राजीव गांधी की मृत्यु से भारतीय राजनीति को बहुत बड़ी हानि पहुंची।

#Short Essay: श्रीमती इंदिरा गांधी

जीवन परिचय : श्रीमती गांधी भारत की ही नहीं, विश्व की लोकप्रिय महिला नेता थीं। संपूर्ण विश्व उनकी प्रतिभा एवं उनके गुणों का प्रशंसक रहा है। उनका जन्म 19 नवंबर सन् 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ।

उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रसिद्ध नेता थे। इंदिरा जी को बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय वातावरण मिला। . उनके बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने बच्चों की वानर सेना का गठन किया। उनकी वानर सेना स्वतंत्रता सेनानियों को सूचनाएँ पहुँचाने का कार्य करती थी।

श्रीमती गांधी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इतिहास उनका प्रिय विषय था। सन् 1944 में फिरोज गांधी से उनका विवाह हुआ। उनके दो पुत्र राजीव गांधी एवं संजय गांधी हुए। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद वह नेहरू जी के साथ ही रहती रहीं। वह उनके कार्यों में पूरा सहयोग करती थीं। इस प्रकार बचपन से ही उन्होंने राजनीति को समझने का प्रयास किया।सन् 1955 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 19 जनवरी 1966 को वे देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं।

प्रधानमंत्री के रूप में : प्रधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। समाज में समानता का नियम लागू किया। अमीर-गरीब की खाई को समाप्त करने के प्रयास किए। उन्होंने बंगलादेश को पाकिस्तान की बर्बर शासन-नीति से छुटकारा दिलाया। इससे विश्वस्तर पर भारत को गौरव मिला। उन्होंने सन् 1975 में देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इसका दुरुपयोग होने के कारण सन् 1917 के चुनाव में वे चुनाव हार गयीं। किंतु ढाई वर्ष बाद देश में पुनः चुनाव हुए।

चुनाव में श्रीमती गांधी की जीत हुई। वह फिर से देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं। 12 जनवरी 1982 में उन्होंने देश में बीस सूत्री कार्यक्रम लागू किया। सन् 1983 में देश में उन्होंने एशियाई खेल आयोजित करवाए। 1983 में निर्गुट देशों का सम्मेलन बुलाया। श्रीमती गांधी द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों से विश्वस्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ी।

31 अक्टूबर सन् 1984 को उनके अंगरक्षकों ने ही उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। देश ने अपने एक महान् नेता को खो दिया।

उपसंहार : श्रीमती गांधी हमारे देश की महान् विभूति थीं। वे विश्वस्तर की महिला नेता थीं। वास्तव में श्रीमती गांधी के अनुपम बलिदान, राष्ट्रभक्ति, उत्तरदायित्वपूर्ण आचरण, शासनपटुता, नेतृत्व एवं लोकप्रियता आदि को भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व नतमस्तक होकर स्वीकार करता है।

#Short Essay: क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस

प्रस्तावना : भारत की आजादी के लिए अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। सुभाषचंद्र बोस भी महान् नेता और देश-भक्त पुरुष थे। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया था।

जीवन-परिचय : सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ई. में कटक में हुआ। बोस के पिता का नाम जानकीदास बोस तथा माता जी का नमा प्रभावती था। उनके पिता उस समय कटक के प्रसिद्ध वकील थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि से विभूषित किया था। सुभाष बचपन से ही तेज बुद्धि के थे। प्रथम श्रेणी में बी०ए० करने के पश्चात् वे इंग्लैंड गए। वहाँ से आई०सी०एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर सन् 1920 में स्वदेश लौटे।

राजनीति में प्रवेश : महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन संपूर्ण देश में फैल चुका था। लोग ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी उपाधियों का त्याग कर रहे थे। ऐसे समय में बोस चुपचाप सरकारी नौकरी नहीं कर सके। उन्होंने सरकारी नौकरी को त्याग दिया। उन्होंने देश के स्वतंत्रता-संग्राम में भाग लेना उचित समझा। उस समय बंगाल की राजनीति में देशबंधु चितरंजनदास सर्वोच्च स्थान पर थे।

सुभाष बोस ने उनसे भेंट की और उन्हें अपना गुरु बनाया। धीरे-धीरे सभाष बंगाल के राजनीतिक क्षेत्र में उन्नति करते गए। वे लोकप्रिय कार्यकर्ता और नेता माने जाने लगे। उन्हें अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी। धीरे-धीरे वे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में आ खड़े हुए।

सुभाष बोस दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वे यथाशक्ति विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते थे। भारत से अचानक बाहर जाकर वे दूसरे महायुद्ध के समय वर्मा पहुँचे। वहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों को इकट्ठा कर ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया। इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र कराना था।

उपसंहार : 18 अगस्त 1945 ई. में जापान जाते हुए फारमोसा में एक वायुयान दुर्घटना में सुभाष की मृत्यु हो गयी। वीर क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की देशभक्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

#Short Essay: वैशाखी

प्रस्तावना : वैशाखी का पवित्र त्योहार वैशाख मास (अप्रैल माह) में हिंदू माह के अनुसार पहली तिथि को मनाया जाता है। यह हिन्दुओं के नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। गुरु गोविंदसिंह ने इसी दिन सन् 1699 ई. में खालसा पंथ की नींव डाली। तबसे सिक्ख जाति में वैशाखी का पर्व एक धार्मिक पर्व बन गया है। इस दिन सभी सिक्ख गुरुद्वारे में जाकर गुरुग्रंथ-साहब का पाठ सुनते हैं।

मनाने का कारण : वैशाखी का पर्व पूरे उत्तरी भारत में मनाया जाता है। यह पूर्वोत्तर राज्यों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पंजाब में इसका बहुत अधिक महत्त्व है। इस पर्व को यहाँ पर अधिक’ धूम-धाम से मनाया जाता है। सिक्खों के दसवें गुरु गोविंदसिंह ने वैशाखी पर्व को एक ऐसे कार्य के लिए चुना, जिसने सिक्ख धर्म का रूप ही बदल दिया। उन्होंने वैशाखी को खालसा दिवस का नाम भी दिया। अर्थात् ऐसा दिवस, जब गुरु गोविंदसिंह के हाथों सिक्ख धर्म का रूप निखर गया। वह सभी कमजोरियों से मुक्त हो गया।

खालिस अथवा शुद्ध हो गया। गुरु गोविंदसिंह से पूर्व सिक्ख धर्म शांति एवं अहिंसा का समर्थक था। गुरु नानकदेत ने उन्हें यही शिक्षा दी थी। नानकदेव का कहना था कि किसी को कष्ट देना पाप है। गुरु नानकदेव एवं गुरु तेगबहादुर ने बड़े-बड़े कष्ट सहे। उन्होंने हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। शांति एवं सहनशीलता का मार्ग नहीं त्यागा। गुरु गोविंदसिंह ने मानवता, शांतिप्रियता एवं सद्भाव को तो स्वीकार किया; किंतु उन्होंने कहा कि अत्याचार के सामने सिर झुकाना, अत्याचार का समर्थन करना कायरता का सूचक है।

इन विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने सिक्ख-संप्रदाय को एक नया रूप दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और अत्याचारों का विरोध किया। इस प्रकार वैशाखी का पर्व पंथ को और भी अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए मनाया जाता है।

इस. पर्व को मनाने का एक कारण और भी है। सन् 1919 ई. में वैशाखी पर्व मनाने के लिए लोग जलियाँवाला बाग में एकत्रित हुए। उन निहत्थे लोगों पर ब्रिटिश शासक जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दी थीं। इस गोलीकांड में सैकड़ों निर्दोष बच्चे, बूढ़े, स्त्री व पुरुष मौत के मुँह में चले गए। उनकी आत्मा की शांति के लिए भी इस दिन प्रार्थना की जाती है।

उपसंहार : इस प्रकार वैशाखी का पर्व नववर्ष के आगमन एवं अत्याचारों के विरोध का पर्व है। यह सभी को शिक्षा देता है कि वे सदैव मानवता, शांति एवं सद्भावना का समर्थन करें। अत्याचारों को किसी भी स्थिति में सहन न करें।

#Short Essay: विजयादशमी

प्रस्तावना : विजयादशमी हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व है। यह प्रतिवर्ष क्वार सदी दशमी को मनाया जाता है। इसलिए इसको दशहरा भी कहते हैं। मनाने का कारण : हमारे देश में विजयादशमी पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में यह ऋतु-परिवर्तन की सूचना देने वाला पर्व है। यह पर्व बताता है कि वर्षा ऋतु बीत गई है और सुहावनी शरद् ऋतु आ गई है।

विजयादशमी पर्व के विषय में यह मान्यता है कि इसी तिथि को श्री रामचंद्र जी ने राक्षसराज रावण को पराजित करके उसका वध किया था। इस प्रकार एक बड़े अन्यायी से संसार को मुक्त करके उन्होंने धर्म और न्याय की प्रतिष्ठा की थी।

वर्णन : विजयादशमी का सबसे बड़ा आकर्षण ‘रामलीला’ है। कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा, जिसने कभी-न-कभी और कहीं-न-कहीं रामलीला न देखी हो। राम की कथा का प्रचार हमारे देश में ही नहीं, बाहर के भी अनेक देशों में है। उन देशों में भी रामलीला के प्रदर्शन हर साल होते हैं। इस सिलसिले में इंडोनेशिया का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार है कि छोटे-बड़े शहरों, नगरों के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से इसका आयोजन करते हैं। नगरों में कई स्थानों पर एक साथ रामलीला होती है। राम-जन्म, सीता-स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम-संवाद, सीता-हरण, हनुमान द्वारा लंका-दहन, लक्ष्मण-मेघनाद-युद्ध आदि के दिन तो दर्शकों की अपार भीड़ रामलीला-मंडप में दिखाई देती है। सचमुच रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने-योग्य होती है। रात-भर दर्शकों का तांता लगा रहता है।

रामलीला का प्रदर्शन प्रायः तुलसीदास जी के संसार-प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ के आधार पर होता है। मंच के एक ओर बैठे व्यास जी ‘मानस’ की पंक्तियाँ गाते जाते हैं और उन्हीं के अनुसार पात्र अभिनय करके कथा आगे बढ़ाते हैं।

अंतिम दिन की रामलीला रंगमंच पर न होकर खुले मैदान में होती है। जहाँ राम-रावण युद्ध होता है और राम रावण का वध करते हैं। उसके तुरंत बाद रावण का पुतला जलाया जाता है। इस पुतले को बनाने में कई दिन लगते हैं। विजयादशमी के दूसरे दिन भरत-मिलाप का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन का दृश्य बड़ा हृदयहारी होता है।

नंगे पैरों भागते हुए भरत बड़े भाई राम के चरणों पर गिर पड़ते हैं। श्रीराम अपने भाई को बीच में ही रोककर उन्हें अपनी विशाल भुजाओं में ले लेते हैं। इस दृश्य को देखकर सभी की आँखें आँसुओं से भर जाती हैं।

उपसंहार : विजयादशमी का पर्व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है। इसके माध्यम से हम राम के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

#Short Essay: रक्षाबंधन

प्रस्तावना : रक्षाबंधन भारत का बहुत ही प्राचीन और महत्त्वपूर्ण त्योहार है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है- रक्षा बंधन। अतः रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा के लिए किया गया प्रण। इस दिन भाई अपनी बहिन की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं। होली, दीपावली, दशहरा आदि त्योहारों की भाँति इस त्योहार का भी विशेष महत्त्व है।

समय : रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी, सलूनों आदि नामों से भी पुकारा जाता है। यह वर्षा ऋतु का प्रमुख त्योहार माना जाता है।

मनाने का कारण : रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इस विषय में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक बार देवताओं और राक्षसों में युद्ध प्रारंभ हो गया, जिसमें देवताओं की हार होने लगी। यह जानकर इंद्र को बड़ी चिंता हुई। युद्ध में विजय पाने के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इंद्र की पत्नी ने इंद्र के हाथ में रक्षा का बंधन बाँधा था, जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षसों की हार हुई। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।

रक्षाबंधन को मनाने के विषय में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। एक समय चित्तौड़ की रानी कर्मावती पर गुजरात के राजा ने आक्रमण कर दिया। कर्मावती ने सम्राट् हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कमवती को अपनी धर्म की बहिन मानकर उसकी रक्षा की। वास्तव में रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहिन के पावन प्रेम को प्रकट करता है।

मनाने की विधि : रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कई दिन पूर्व से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाज़ार से सुंदर-सुंदर राखियाँ खरीदी जाती हैं। जो भाई बाहर रहते हैं उनके लिए बहिनें राखियाँ डाक द्वारा भेजती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन प्रात:काल से ही एक निराली प्रसन्नता सी छाई रहती है। सफाई आदि के बाद दीवारों पर चित्र बनाए जाते हैं। इस दिन घरों में खीर, सेवइयाँ आदि बनाई जाती हैं। राखी की पूजा होती है। बहिन-भाई नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। बहिनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं तथा दक्षिणा में रुपये भी देते हैं।

इस दिन घरों में भी लोग राखी देने के लिए आते हैं तथा दक्षिणा पाते हैं। वास्तव में यह त्योहार भाई-बहिन के असीम स्नेह का प्रतीक है। इस प्रकार पूरे दिन प्रसन्नता का वातावरण रहता है।

उपसंहार : वास्तव में रक्षाबंधन भारत का बड़ा पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार से व्यक्तियों में स्नेह एवं कर्तव्यपालन की भावना जाग्रत होती है। हम सभी को इस त्योहार की पावनता एवं शुद्धता को बनाए रखना चाहिए।

#Short Essay: जन्माष्टमी

प्रस्तावना : हमारे देश में अनेक महान् आत्माओं ने जन्म लिया। उन्होंने अपने जीवन में अनेक लोकहितकारी कार्य किए। इसलिए आज भी उनका स्मरण किया जाता है। हम श्रद्धापूर्वक उनको नमन करते हैं। श्रीकृष्ण भी ऐसे ही अवतारी पुरुष थे। श्रीकृष्ण देवकी-वसुदेव के पुत्र थे। उनका जन्म भादो मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। अत: यह पर्व प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण की महानता : कृष्ण के जन्म के समय मथुरा में क्रूर एवं अत्याचारी कंस का शासन था। वह श्रीकृष्ण का मामा था। ज्योतिषियों ने उसे बताया था कि तेरा भानजा ही तेरा वध करेगा। अपने प्राणों के भय से उसने अपनी बहिन देवकी और बहनोई वसुदेव को बंदी बना लिया था। देवकी और वसुदेव के बंदी जीवन में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। श्रीकृष्ण ने आततायी कंस से जनता को मुक्ति दिलायी। श्रीकृष्ण एक चतुर राजनीतिज्ञ थे।

वे योगीराज, विद्वान्, वीर योद्धा, देश-उद्धारक, सच्चे मित्र, अनुपम दानी और सेवा-भाव के आदर्श परुष थे। दुर्योधन की पराजय, कंस, जरासंघ, शिशुपाल आदि आततायियों का वध, अर्जुन को गीता का उपदेश, गरीब ब्राह्मण सुदामा की सहायता आदि कार्य श्रीकृष्ण की महानता को प्रकट करते हैं।

वर्णन : जन्माष्टमी के दिन लोग दिन-भर उपवास करते हैं। मंदिर में सजावट की जाती है। रासलीलाएँ होती हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की झाँकियाँ भी निकाली जाती हैं। मूर्तियाँ बनायी जाती हैं। सायंकाल लोग झाँकियों को देखने जाते हैं। मंदिरों एवं बाजारों में काफी चहल-पहल होती है। जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण के जन्मस्थान गोकुल एवं वृदावन में बहुत. धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य स्थानों की तुलना में यहाँ कुछ अधिक ही उत्साह दिखायी देता है। भक्तजन दिनभर उपवास के बाद अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के समय मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। प्रसाद बाँटा जाता है। इसके बाद भक्तगण भोजन करके अपना उपवास समाप्त करते हैं।

उपसंहार : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने, बिना किसी इच्छा के कर्म करने एवं समाज में उच्चादर्श स्थापित करने की शिक्षा देता है। कृष्ण की भाँति हमें भी सच्चा मित्र और लोकहितकारी बनना चाहिए। हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

#Short Essay: स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)

प्रस्तावना : गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’ अर्थात् पराधीन को स्वप्न में भी सुख नहीं मिलता है। सुख स्वाधीनता में ही निहित है। पराधीनता नरक के समान है। स्वतंत्रता हमारे बलिदानी वीरों का अमूल्य उपहार है।

महत्त्व : स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए हमारे अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। अनेक ललनाओं के सुहाग मिट गए। माताओं की गोदें सूनी हो गयीं। वीर सेनानियों ने अंग्रेजों के द्वारा दी गयी शारीरिक एवं मानसिक यातनाओं को सहन किया। आखिकार हमारी सभी पीड़ाओं का अंत हुआ। देश को अपना गौरव, स्वाभिमान एवं स्वामित्व प्राप्त हुआ। वह मंगलमय दिन 15 अगस्त 1947 था। तभी से यह दिन देशवासियों के लिए महत्त्वपूर्ण पर्व बन गया। उसी दिन से भारत के निवासी प्रतिवर्ष अपनी स्वतंत्रता की वर्षगाँठ बड़ी धूमधाम एवं अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

दिवस का वर्णन : स्वतंत्रता दिवस देश का पवित्र पर्व है। इसे प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने में बड़ी धूम-धाम से एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक है। 15 अगस्त के समारोह प्रात:काल से सायंकाल तक चलते हैं। इसका मुख्य समारोह राजधानी दिल्ली में होता है। प्रात:काल लालकिले की प्राचीर पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। वे देश को संबोधित करते हैं। प्रांतों की राजधानियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। विद्यालयों में छात्र एवं शिक्षक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। प्रात:काल प्रभातफेरियाँ निकलती हैं। राष्ट्रीय गीत गाए जाते हैं। वातावरण में चारों ओर शहीदों की जय के नारे गूंज उठते हैं।

उपसंहार : इस पावन पर्व पर हमें अपनी कमजोरियों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। आज देश में भाषा, प्रांत, जाति के कारण अनेक झगड़े हो रहे हैं। अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। इससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुंच रहा है। इन सभी बुराइयों को दूर करने के लिए हमें पूरा प्रयत्न करना चाहिए। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुँचे।

हिन्दी निबंध संग्रह – विभिन्न विषयों पर निबंध

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Nibandh books

Good Topics for an Essay in Hindi

Diverse friends talking together at home.

I should say that writing essays in Hindi language can be a challenge for any student. Even if you have always been good at writing essays, and you know everything about college essay formats, it may not work so well with your essay in Hindi. The main skill that you have to possess is a sufficient amount of knowledge of Hindi.

Some students study Hindi for quite a long time, but even these students can face numerous problems with writing essays in Hindi Language. So, the first thing you have to do, before you start writing your own essay in Hindi, is to revise all the materials you have. Check all grammar, spelling and other basic rules. These are going to be the primary points, which will be assessed in essays in Hindi language. The second significant aspect of the essay in Hindi is a topic, of course. Since we are not able to write all the rules of the Hindi language in one article, we are going to provide you with some topics for your essay in Hindi.

Actually, the essay topics can be divided into two parts:

  • Truth and its significance;
  • Natural disasters – how we can protect ourselves;
  • Social security – who is responsible;
  • Media and its influence.
  • Classical music in India and the impact of the British colonialism;
  • Gandhi – the main principles that led to success;
  • Indian culinary traditions;
  • Kashmir – the reasons for the conflict;
  • Punjab – the peculiarities of the culture.

So, if your knowledge of the language is on high level, you can choose more challenging topics for your essay in Hindi.

यूपीएससी मेन्स से पिछले 09 वर्षों के विषय-वार निबंध प्रश्न (2013 - 2021)

UPSC सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का पेपर-I निबंध होता है। इसमें आईएएस मुख्य परीक्षा के उम्मीदवारों को कुछ दिए गए विषयों में से दो विषयों पर निबंध लिखने होते हैं। यह पेपर कुल 250 अंकों का होता है और इसके अंकों को अंतिम मेरिट सूची के लिए ध्यान में रखा जाता है। इस लेख में, हमने 2013 से 2021 तक UPSC mains exam में पूछे गए सभी निबंध विषयों को सूचीबद्ध किया है। हमने आपकी तैयारी को आसान बनाने के लिए पिछले 09 वर्षों के निबंध प्रश्नों को भी विषयों में वर्गीकृत किया है।

यूपीएससी मेन्स से पिछले 09 वर्षों के विषय-वार निबंध प्रश्न (2013 – 2021)- Download PDF Here

UPSC 2023

यूपीएससी निबंध विषय

  • “सर्वोत्तम कार्यप्रणाली” से बेहतर कार्यप्रणालियाँ भी होती हैं । (2021)
  • क्या यह नीति – गतिहीनता थी या कि क्रियान्वयन – गतिहीनता थी, जिसने हमारे देश की संवृद्धि को मंथर बना दिया था ? (2014)

आर्थिक विकास और विकास

  • व्यक्ति के लिए जो सर्वश्रेष्ठ है, वह आवश्यक नहीं कि समाज के लिए भी हो | (2019)
  • भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन – निर्वाह का एक सक्षम स्रोत नहीं रही है। (2017)
  • नवप्रवर्तन आर्थिक संवृद्धि और सामाजिक कल्याण का अपरिहार्य निर्धारक है |
  • क्‍या पूंजीवाद द्वारा समावेशित विकास हो पाना संभव है ? (2015)
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ-साध सकल घरेलू खुशहाली (GDH) देश की सम्पन्नता के मूल्यांकन के सही सूचकांक होगे । (2013)

संघवाद, विकेंद्रीकरण

  • भारत में संघ और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंधों पर नए आर्थिक उपायों का प्रभाव । (2017)
  • संघीय भारत में राज्यों के बीच जल-विवाद | (2016)
  • सहकारी संघवाद : मिथक अथवा यथार्थ | (2016)

भारतीय संस्कृति और समाज

  • जो हम हैं, वह संस्कार; जो हमारे पास है, वह सभ्यता | (2020)
  • पितृ-सत्ता की व्यवस्था नजर में बहुत कम आने के बावजूद सामाजिक विषमता की सबसे प्रभावी संरचना है | (2020)
  • वे सपने जो भारत को सोने न दें । (2015)
  • क्या औपनिवेशिक मानसिकता भारत की सफलता में बाधक हो रही है ? (2013)

सामाजिक न्याय/गरीबी

  • बिना आर्थिक समृद्धि के सामाजिक न्याय नहीं हो सकता, किन्तु बिना सामाजिक न्याय के आर्थिक समृद्धि निरर्थक है | (2020)
  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की उपेक्षा भारत के पिछड़ेपन के कारण हैं | (2019)
  • कहीं पर भी गरीबी, हर जगह की समृद्धि के लिए खतरा है | (2018)
  • जो समाज अपने सिद्धान्तों के ऊपर अपने विशेषाधिकारों को महत्त्व देता है, वह दोनों से हाथ थो बैठता है | (2018)
  • क्या प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर युवाओं के हित में है ? (2014)

मीडिया और समाज

  • पक्षपातपूर्ण मीडिया भारत के लोकतंत्र के समक्ष एक वास्तविक खतरा है | (2019)

पर्यावरण/शहरीकरण

  • जलवायु परिवर्तन के प्रति सुनम्य भारत हेतु वैकल्पिक तकनीकें | (2018)
  • हम मानवीय नियमों का तो साहसपूर्वक सामना कर सकते हैं, परंतु प्राकृतिक नियमों का प्रतिरोध नहीं कर सकते। (2017)

आर्थिक क्षेत्र / बहुराष्ट्रीय कंपनियां

  • भारत में लगभग रोजगार विहीन संवृद्धि : आर्थिक सुधार की विसंगति या परिणाम | (2016)
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था : एक समताकारी या आर्थिक असमता का स्रोत | (2016)
  • पर्यटन : क्या भारत के लिए यह अगला बड़ा प्रेरक हो सकता है ? (2014)
  • राष्ट्र के भाग्य का स्वरूप – निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है। (2017)
  • मूल्यों से वंचित शिक्षा, जैसी अभी उपयोगी है, व्यक्ति को अधिक चतुर शैतान बनाने जैसी लगती है । (2015)
  • अधिकार (सत्ता) बढ़ने के साथ उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है । (2014)
  • क्या मानकीकृत परीक्षण शैक्षिक योग्यता या प्रगति का बढ़िया माप है ? (2014)
  • भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है। (2017)
  • स्त्री-पुरुष के समान सरोकारों को शामिल किए बिना विकास संकटग्रस्त है | (2016)

उद्धरण – आधारित/दर्शन

  • इच्छारहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श (युटोपिया) है, जबकि भौतिकता माया है। (2021)
  • सत्‌ ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत्‌ है। (2021)
  • पालना झूलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है। (2021)
  • शोध क्‍या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात ! (2021)
  • मनुष्य होने और मानव बनने के बीच का लम्बा सफर ही जीवन है | (2020)
  • जहाज अपने चारों तरफ के पानी के वजह से नहीं डूबा करते, जहाज पानी के अंदर समा जाने की वजह से डूबते हैं | (2020)
  • सरलता चरम परिष्करण है | (2020)
  • विवेक सत्य को खोज निकालता है | (2019)
  • मूल्य वे नहीं जो मानवता है, बल्कि वे हैं जैसा मानवता को होना चाहिए | (2019)
  • स्वीकारोक्ति का साहस एवं सुधार करने की निष्ठा सफलता के दो मंत्र हैं | (2019)
  • एक अच्छा जीवन प्रेम से प्रेरित तथा ज्ञान से संचालित होता है | (2018)
  • किसी को अनुदान देने से, उसके काम में हाथ बँटाना बेहतर है। (2015)
  • शब्द दो – धारी तलवार से अधिक तीक्ष्ण होते हैं । (2014)
  • जो बदलाव आप दूसरों में देखता चाहते हैं- पहले स्वयं में लाइए – गॉंधीजी । (2013)
  • आप की मेरे बारे में धारणा, आपकी सोच दर्शाती है; आपके प्रति मेरी प्रतिक्रिया, मेरा संस्कार है। (2021)
  • विचारपरक संकल्प स्वयं के शांतचित्त रहने का उत्प्रेरक है | (2020)
  • यथार्थ आदर्श के अनुरूप नहीं होता है, बल्कि उसकी पुष्टि करता है | (2018)
  • आवश्यकता लोभ की जननी है तथा लोभ का आधिक्य नस्‍लें बर्बाद करता है | (2016)
  • फुर्तीला किन्तु संतुलित व्यक्ति ही दौड़ में विजयी होता है । (2015)
  • किसी संस्था का चरित्र चित्रण, उसके नेतृत्त्व में प्रतिबिम्बित होता है। (2015)
  • क्या गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) एक बहुध्रुवीय विश्व में अपनी प्रासंगिकता को खो बैठा है ? (2017)

विज्ञान और तकनीक

  • इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी के रूप में, दूसरी बार एक प्रहसन के रूप में। (2021)
  • आत्म-संधान की प्रक्रिया अब तकनीकी रूप से बाह्मय स्रोतों को सौंप दी गई है। (2021)
  • प्रौद्योगिकी, मानवशक्ति को विस्थापित नहीं कर सकती । (2015)
  • राष्ट्र के विकास व सुरक्षा के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलाजी) सर्वोपचार हैं । (2013)

इंटरनेट/आईटी

  • कृत्रिम बुद्धि का उत्थान : भविष्य में बेरोजगारी का खतरा अथवा पुनःकौंशल और उच्चकौशल के माध्यम से बेहतर रोजगार के सृजन का अवसर | (2019)
  • “सोशल मीडिया” अंतर्निहित रूप से एक स्वार्थपरायण माध्यम है। (2017)
  • साइबरस्पेस और इंटरनेट : दीर्घ अवधि में मानव सभ्यता के लिए वरदान अथवा अभिशाप | (2016)

अंतर्राष्ट्रीय संगठन / संबंध

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मौन कारक के रूप में प्रौद्योगिकी | (2020)
  • भारत के सीमा विवादों का प्रबन्धन – एक जटिल कार्य | (2018)
  • दक्षिण एशियाई समाज सत्ता के आस-पास नहीं, बल्कि अपनी अनेक संस्कृतियों और विभिन्न पहचानों के ताने-बाने से बने हैं | (2019)
  • रूढ़िगत नैतिकता आधुनिक जीवन की मार्गदर्शक नहीं हो सकती है | (2018)
  • ‘अतीत’ मानवीय चेतना तथा मूल्यों का एक स्थायी आयाम है | (2018)
  • हर्ष कृतज्ञता का सरलतम रूप है। (2017)
  • भारत के सम्मुख संकट – नैतिक या आर्थिक | (2015)
  • क्या स्टिंग ऑपरेशन निजता पर एक प्रहार है ? (2014)
  • ओलंपिक में पचास स्वर्ण पदक : क्या भारत के लिए यह वास्तविकता हो सकती है ? (2014)

आईएएस मेन्स की तैयारी करते समय, उम्मीदवारों को UPSC Mains Answer Writing Practise पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आपकी गति, दक्षता और लेखन कौशल में सुधार होगा। यह स्वतः ही निबंध लेखन में भी मदद करेगा।

UPSC मेंस के लिए UPSC निबंध विषयों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मैं upsc में एक अच्छा निबंध कैसे लिख सकता हूँ, क्या upsc में लिखावट मायने रखती है.

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Hindi Essays for Class 10: Top 20 Class Ten Hindi Essays

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List of Popular Essays for Class 10 students written in Hindi Language !

Hindi Essay Content:

1. डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

2. डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

3. सी.एन.जी. पर निबन्ध | Essay on Compressed Natural Gas (C.N.G.) in Hindi

4. दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

5. कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | Essay on Computer : Demand of the Modern Age in Hindi

6. इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

7. कल्पना चावला पर निबन्ध | Essay on Kalpana Chawla in Hindi

8. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

ADVERTISEMENTS:

9. पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

10. युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

11. भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Bharat Ratna : Srimati Indira Gandhi in Hindi

12. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

13. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

14. शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

15. डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

16. कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

17. स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

18. गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

19. महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

20. नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

Hindi Nibandh (Essay) # 1

डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

प्रस्तावना:

भारतवर्ष की भूमि महापुरुषों की भूमि है, परन्तु यहाँ की स्त्रियाँ भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है । भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री का गौरव यदि श्रीमती इन्दिरा गाँधी को प्राप्त हुआ, तो पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को प्राप्त हुआ है ।

जन्म-परिचय एवं शिक्षा:

श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसम्बर,1934 को महाराष्ट्र के ‘नन्दगाँव’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम श्री नारायण राव था । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जलगाँव (महाराष्ट्र) के आर.आर. स्कूल में हुई ।

मूलजी सेठ (छ:) कालेज जलगाँव से स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के पश्चात् आपने गवर्नमेन्ट ली कालेज, मुम्बई से कानून की उपाधि प्राप्त की । श्रीमती प्रतिभा देवी की प्रारम्भ से ही खेलकूद में रुचि थी और आपने अपने समय में कालेज प्रतियोगिताओं में कई पदक तथा सम्मान प्राप्त किए ।

शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् आपने जलगाँव कोर्ट में बतौर अधिवक्ता व्यवसायिक जीवन व्यतीत करना प्रारम्भ किया तथा साथ-साथ जनकल्याणकारी कार्यों में भी रुचि लेने लगी । सामाजिक कार्यों में भी आपका ध्यान विशेष रूप से महिलाओं की बहुमुखी समस्याओं तथा उनके समाधानों के प्रति रहा ।

वैवाहिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का परिणय डी. देवीसिंह, रामसिंह शेखावत से साथ हुआ था । उन्होंने मुम्बई हॉफकीन इंस्टीट्‌यूट से रसायन विज्ञान से पी.एच.डी. की । शेखावत जी अमरावती निगम के ‘मेयर’ रहे हैं तथा उसी क्षेत्र के विधायक भी रहे हैं । श्रीमती पाटिल के दो सन्ताने हैं- पुत्री ज्योति राठौर एवं पुत्र रामेन्द्र सिंह ।

राजनीतिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का राजनीतिक जीवन सत्ताईस वर्ष की आयु में ही प्रारम्भ हो गया था । सर्वप्रथम आप जलगाँव विधानसभा क्षेत्र से चुनी गयी । तत्पश्चात इलाहाबाद (मुकताई नगर) का बतौर बिधायक चार बार प्रतिनिधित्व किया । 1985 से 1990 तक आप राज्यसभा से सांसद रही ।

1991 में दसवीं लोकसभा के लिए अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन आप पराजित हो गई । श्रीमती पाटिल ने अपना अधिकांश जीवन महाराष्ट्र के लिए ही समर्पित किया । आप लोकस्वास्थ्य विभाग, मधनिषेध मन्त्री, पर्यटन मन्त्री, संसदीय एवं आवास मन्त्री भी रह चुकी हैं । आपका यह कार्यकाल 1967-1972 तक रहा ।

श्रीमती पाटिल ने अनेक विभागों में केबिनेट मन्त्री का पद भी सम्भाला जैसे- 1972 में महाराष्ट्र सरकार में समाज कल्याण विभाग, 1974-1975 तक समाज कल्याण तथा लोकस्वास्थ्य विभाग, 1975-76 तक मधनिषेध, पुर्नवास, सांस्कृतिक कार्य विभाग, 1977 में शिक्षा मन्त्री, 1982-85 में असैनिक आपूर्ति एवं समाज कल्याण विभाग ।

1979 से फरवरी 1980 तक आप प्रदेश सरकार में विपक्ष की नेता भी रहीं । आप डी. वेंकटरमन के कार्यकाल में राज्यसभा की अध्यक्ष रह चुरकी हैं एवं 1988 में राज्यसभा के दौरान व्यवसायिक सलाहकार समिति की सदस्य बनी ।

सामाजिक कार्यक्षेत्र:

श्रीमती पाटिल लोक कल्याण के कार्यों से सदैव जुड़ी रही तथा अनेक संस्थानों के उत्थान हेतु कार्य किए । आप महाराष्ट्र प्रांत में जलप्राधिकरण की अध्यक्ष रहीं । 1982-85 तक महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं, अर्बन सहकारी बैंक एवं क्रेडिट सोसायटी, संघीय समिति के निदेशक पद पर कार्यरत रही । आप सदा ही सामाजिक कल्याण के कार्यों में भी रुचि लेती रही हैं ।

इस सम्बन्ध में आपकी धारणा विश्व-बन्धुत्व पर आधारित है इसीलिए आपने देश विदेश में आयोजित होने वाले सामाजिक कल्याण के सम्मेलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है । 1985 में बुल्गारिया में आयोजित सभा को बतौर प्रतिनिधि सम्बोधित किया । 1985 में लन्दन की कमेटी ऑफ आफिसर्स कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया ।

सितम्बर 1995 में चीन में ‘वर्ल्ड वोमेन्स कोऑपरेटिव’ नामक सेमिनार की प्रतिनिधि रही । आपने पिछड़ी जाति के बच्चों के विकास के लिए विशेष योगदान दिया । ग्रामीण युवाओं के लिए जलगाँव में इंजिनियरिंग कॉलेज खुलवाया, रोजगार दिलाने के लिए जिलेवार पुणे संस्थान खुलवाए ।

अमरावती और महाराष्ट्र में अनुवांशिक संस्था , संगीत कॉलेज , फैशन डिजाइनिंग , ब्यूटिशियन कोर्स तथा व्यवसायिक कोर्स से सम्बन्धित संस्थाओं की स्थापना करवाई । 1962 में आपने महाराष्ट्र के महिला कोषांग की स्थापना करवाई ।

राष्ट्रपति के रूप में :

राजनीतिक गलियारों में जब राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही थी तथा राजनीतिक दलों के बीच विवाद गहरा रहा था तभी नए राष्ट्रपति के रूप में श्रीमति पाटिल के नाम का प्रस्ताव सभी विवादों को शान्त कर गया । United progressive Alliance के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की ओर से श्रीमती प्रतिभा पाटिल के नाम की उद्‌घोषणा की गई ।

आपने अपने प्रतिद्वन्द्वी श्री भैरोसिंह शेखावत जी को 3,06,810 मतों से पराजित कर राष्ट्रपति पद का गौरव अपने नाम कर लिया । 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती पाटिल को राष्ट्रपति पद की गरिमा एवं गोपनीयता की शपथ सर्वोच्च न्यायाधीश आर.जी. बालकृष्ण द्वारा दिलाई गई ।

श्रीमती पाटिल के शपथ ग्रहण करते ही केन्द्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । इस अवसर पर उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई । इस समारोह में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, यू.पी.ए. की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी कई देशों के राजदूत, विपक्ष सहित तमाम दलों के वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के गवर्नर तथा मुख्यमन्त्रियों सहित तीनों सेनाओं के सेनापति व कई गढ़मान्य व्यक्ति शामिल थे ।

राष्ट्रपति पद सम्भालने के बाद अपने प्रथम भाषण में श्रीमती पाटिल ने बच्चों तथा स्त्रियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्वता व्यक्त करते हुए आधुनिक शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक बनाने की आवश्यकता जताई ।

आपने सामाजिक कुरीतियों, कुपोषण, बाल मृत्यु एवं कन्या भूण हत्या के अपराधों को जड से समाप्त करने की अपील की । पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम अपने कार्यकाल में भारतीय सविधान के ‘रबर स्टाम्प’ को पच्छिक प्रापर्टी के रूप में बहुत लोकप्रिय बना चुके हैं ।

उनकी उसी छवि को ऊँचाईयों तक पहुँचाना निःसन्देह बख्य मुस्किल कार्य है । परन्तु श्रीमती पाटिल भी गम्भीर, धैर्यवान, सुशिक्षित तथा समझदार महिला के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं । श्रीमती पाटिल ने कृषि तथा किसानों की समस्याओं पर भी विशेष जोर दिया है । उनका बस एक ही सपना है कि भारत बहुमुखी विकास करें तथा पूरे विश्व में प्रथम स्थान पा सके ।

इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति अपनी कानूनी जिम्मेदारियों की सीमा में रहते हुए भारत सरकार को प्रोत्साहित करती रहती हैं । वे चाहती हैं कि हमारा देश सशक्त राष्ट्र बने, आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो तथा सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्णतया आत्मनिर्भर हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि श्रीमती पाटिल ने सदा ही अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है । वे अपनी सभी जिम्मेदारियाँ बहुत सूझ-बूझ से निभा रही हैं और बहुत कम समय में भारतीय जनता के दिलो में घर बना चुकी है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 2

डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

विशाल गणराज्य भारत देश बहुत महान तथा विशाल है । जहाँ एक ओर ऋषियों, मुनियों तथा तपस्वियों ने अनेक साधनाएँ की हैं वही दूसरी ओर अनेक वैज्ञानिकों ने भारत को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया । हमारे देश में प्रजातन्त्रीय प्रणाली के अनुसार संसद का चुनाव होता है तथा चुनाव के उपरान्त देश को प्रधानमन्त्री की भी आवश्यकता होती है ।

स्वतन्त्र भारत में अब तक संसद को प्रधानमन्त्री के रूप में पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गाँधी, मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह, राजीव गाँधी, वी.पी. सिंह, चन्द्र शेखर, पी.वी. नरसिम्हाराव, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिले ।

इसी बीच संसद में दो बार तेरह-तेरह दिन के लिए गुलजारी लाल नन्दा को कार्यकारी प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जा चुका है । चौदहवीं लोकसभा में डा.मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री बने हैं पंद्रहवीं लोकसभा में पुन: डा. मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं आपने 22 मई, 2009 को सायं 5.30 बजे माननीय राष्ट्रपति तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा:

डा. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर, 1932 को पंजाब (पाकिस्तान) में ‘गाह’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम सरदार गुरुमुख सिंह तथा माता को नाम अमरूत कौर था । आपकी केवल तीन बहने हैं । मनमोहन सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा एक स्थानिय तथा निकटवर्ति क्षेत्रीय स्कूल में हुई थी ।

सन् 1952 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1954 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की । सेंट जोंस कॉलेज कैम्बिज ने 1957 में पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन के लिए आपको पुरस्कृत किया ।

तत्पश्चात् आपने 1957 में पी.एच.डी. का शोध कार्य ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से किया ।  डा. मनमोहन सिंह को अनेक यूनिवर्सिटीयों ने डी.लिट् की उपाधियाँ प्रदान की । पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़; गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर; दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली; चौधरी चरणसिंह, हरियाणा; एग्रीकल्वर यूनिवर्सिटी, हिसार; श्री वैंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति, यूनिवर्सिटी ऑफ बोहोगा, इटली आदि इनमें प्रमुख हैं ।

डा. मनमोहन सिंह ने लेक्चरर तथा रीडर के रूप में 1957 से 1965 तक पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया । 1969 में डी. सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में नियुक्त हो गए । आपने सन् 1971 तक वहाँ सेवा कीं । आपने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी अपनी अवैतनिक सेवाएँ दी । डा. मनमोहन सिंह का विवाह 14 दिसम्बर, 1958 को गुरुशरन कौर से हुआ था; जिनसे इनकी तीन पुत्रियाँ हुई ।

व्यक्तित्व की बिशेषताएँ:

डा. मनमोहन सिंह उच्च कोटि के शिक्षित व्यक्ति हैं । उन्होंने अर्थशास्त्र में अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जो देशवासियों का मार्गदर्शन करती हैं । आपने वित्तीय सलाहकार, प्रमुख अर्थशास्त्र सलाहकार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विदेश नीति सलाहकार के रूप में राष्ट्र की सेवाएँ की हैं ।

आपने भारतीय आणविक ऊर्जा आयोग, योजना आयोग, अन्तरिक्ष आयोग, ऐशियन बैंक विकास क्षेत्रों में भी कार्य किया है । आपने वित्त (कैबिनेट) मन्त्री के रूप में भी देश की अनूठी सेवा की है । आप राज्य सभा के लिए भी निर्वाचित हो चुके हैं ।

हमारे सुयोग्य प्रधानमन्त्री अत्यन्त साधारण, सहयोगी तथा सुशिक्षित है । इन सभी गुणों के उपरान्त भी आपमें लेशमात्र भी घमंड या अहंकार नहीं है । डा. मनमोहन सिंह को अनेक डिग्रियाँ तथा पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।

आपकी गम्भीरता तथा कठोर परिश्रमी स्वभाव को देखते हुए आपके पिता गुरमुख सिंह जी ने एक बार अपने आशीर्वाद के रूप में कहा था, ”मोहन, तू एक दिन भारत का प्रधानमन्त्री अवश्य बनेगा ।”  इस आशीर्वाद को फलीभूत होने में भले ही तीस वर्ष का समय लग गया, परन्तु उनका यह आशीर्वाद उस समय पूर्ण हुआ जब 21 मई, 2004 को टी.टी.जी.पी. की अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी ने प्रधानमन्त्री पद को अस्वीकार करते हुए डा. मनमोहन सिंह के नाम की सिफारिश की ।

डा. मनमोहन सिंह ने शनिवार 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ ग्रहण की । आपके साथ मन्त्रीमंडल में 67 मन्त्रियों को भी शपथ दिलाई गई ।

डा. मनमोहन सिंह को उनकी अनगिनत सेवाओं के लिए भारत सरकार की ओर से सन् 1987 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पदम बिक्या’ प्रदान किया गया । 1993 में आपको यूरोमनी अवार्ड फाइनेंस ‘मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया ।

निःसन्देह डा. मनमोहन सिंह एक नेक, विनीत तथा ईमानदार व्यक्ति हैं । राष्ट्र ने उनसे जो भी आशाएँ रखी थी, उन कसौटियों पर वे खरे उतरे हैं । अभी जनवरी 2009 में डा. मनमोहन सिंह को दिल की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके कारण वे ‘अखिल भारतीय अनुसंधान आयोग’ में दाखिल रहे । ऐसे कठिन समय में सभी देशवासियों ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाएँ की । हमारी तो ईश्वर से बस यही कामना है कि वह उन्हें लम्बी आयु दें ।

Hindi Nibandh (Essay) # 3

सी.एन.जी. पर निबन्ध | essay on compressed natural gas (c.n.g.) in hindi, प्रस्ताबना:.

सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या के परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण तथा वायुप्रदूषण उत्पन्न होते हैं । वाहनों के धुएँ को हम सभी प्रत्यक्ष रूप से अन्तःश्वसन करते हैं, जिससे अनेक घातक बीमारियाँ पैदा होती है ।

दिल्ली को अत्यन्त प्रदूषणकारी महानगर मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसों में 31 मार्च, 2001 तक ईंधन के रूप में डीजल तथा पेट्रोल के स्थान पर कम प्रदूषणकारी कँम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सी.एन.जी.) का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

सी.एन.जी. तथा यू.एल.एस.डी:

टाटा ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने अच्छा लो सल्फर डीजल (यू.एल.एस.डी.) को भी सी.एन.जी. के ही समान कम प्रदूषणकारी बताकर उसे सी.एन.जी. के विकल्प की घोषणा की । कई विशेषज्ञ सी.एन.जी. को डीजल की अपेक्षा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानते हैं ।

हालाँकि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में दो-तिहाई ईंधन के रूप में डीजल का ही उपयोग होता है परन्तु विश्वभर के ईंधनों का सर्वेक्षण करने पर डीजल को ही सबसे खतरनाक माना गया है । दिल्ली में 65 प्रतिशत ख्स कण केवल डीजल से ही उत्सर्जित होते हैं, जिनसे कैंसर होता है । डीजल की सर्वोत्तम तकनीक भी सी.एन.जी, से दस गुनी खतरनाक होती है । अल्ट्रा लो सहर डीजल में भी सामान्य डीजल से केवल 15 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है जब कि सी.एन.जी. में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाता है ।

सी.एन.जी. की रचना:

सी.एन.जी. पृथ्वी की धरातल के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोजन कार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा मेलथेक गैस की होती है तथा यह गैस पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा कार्बन मोनो ऑक्साइड 70 प्रतिशत, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87 प्रतिशत तथा जैविक गैस लगभग 89 प्रतिशत कम उत्सर्जित करती है ।

सी.एन.जी. गैस रंगहीन, गन्धहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली है । इसको जलाने के लिए एल.पी.जी. की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आग पकड़ने का खतरा भी कम होता है । इन सब विशेषताओं के कारण ही वर्तमान समय में भारत में प्रतिदिन लगभग 650 करोड़ घनमीटर सी.एन.जी. का उत्पादन हो रहा है जबकि इसकी माँग 1100 करोड़ घनमीटर है ।

आज सी.एन.जी. का प्रयोग बिजली:

धरो, उर्वरक कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहनों में ईंधन के रूप में हो रहा है ।

सी.एन.जी. :

एक सर्वोत्तम ईंधन-आरम्भ में सी.एन.जी. बसों में पैसा अधिक अवश्य लगता है परन्तु उनका परिचालक व्यय कम होता है । इसके विपरीत सामान्य डीजल को अस्ट्रा लो सल्कर डीजल में परिवर्तित करने पर रिफाइनडरियो के व्यय बहुत अधिक हो जाएँगे । डीजल की तुलना में सी.एन.जी. में कार्बन-डाई-ऑक्साइड में उत्सर्जन की मात्रा कम है इसलिए यह डीजल से कम जहरीली है । विशेषज्ञों ने भी इसे सबसे साफ सुथरा ईंधन माना है जो शीघ्रता से प्रदूषण को समाप्त करता है ।

विस्वभर में सी.एन.जी. का प्रयोग:

इस समय विश्वभर में लगभग 20 लाख वाहन सीएनजी चालित हैं । जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले य वर्षों से सभी टैक्सियाँ सी.एन.जी. चालित हैं । दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यह प्रयोग पिछले 25 वर्षों से जारी है ।

इसके अतिरिक्त नेपाल, बैंकॉक, ताइवान तथा आस्ट्रेलिया में भी अधिकतर वाहन सी.एन.जी, चालित है । वाहनों में प्राकृतिक गैस का प्रयोग 1930 से प्रारम्भ हुआ था । तभी से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, थाईलैंड, न्यूजीलैंड तथा ईरान जैसे देशों में सी.एन.जी. का प्रयोग होने लगा है ।

सी.एन.जी. की हानियाँ:

सी.एन.जी. बसे जल्दी गर्म हो जाती है या रूक जाती हैं । डेनमार्क तथा अमरीकी विशेषज्ञों ने अपने निजी अनुभव के आधार पर यह घोषणा की है कि परिवर्तित वाहन पूर्णरूपेण सफल नहीं है क्योंकि वे सुरक्षा को खतरा पहुँचा सकते हैं ।

इसके अतिरिक्त इसमें ठोस परिवर्तन तकनीक की आवश्यकता है जो भारत में प्रारम्भिक चरण में है । सी.एन.जी. पैट्रोल तथा डीजल की तुलना में गतिक ऊर्जा है, इसी कारण ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह विफल है । आज सी.एन.जी. किट बड़ी मात्रा मैं उपलब्ध नहीं है और उनकी रिफलिंग में भी समय लगता है । हमारे देश में पर्याप्त भरोसेमन्द सिलेंडर भी नहीं हैं और जो है भी उनकी कोई गुणवता नहीं है ।

विश्व के किसी भी बड़े शहूर में सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से सीएनजी चालित नहीं है, वरन् उनके साथ सक्कर डीजल तथा अन्य तरह के ईधन पर आधारित वाहन भी चल रहे हैं । परन्तु सी.एन.जी. के आने से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है ।

डीजल प्रयोग के कारण ही आज हम अस्थमा, मधुमेह, हृदयरोग, श्वाँसरोग, बहरापन आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं । ऐसी आशा की जाती है कि भविष्य में सीएनजी किट आसानी से उपलब्ध हो सकेगे तथा हम प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पा सकेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 4

दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

‘मेट्रो’ शब्द का प्रयोग दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए किया जाता है । छोटी एवं लम्बी दूरी तय करने का यह एकदम प्रदूषण रहित माध्यम है ।

विश्व में अब तक जापान, कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी तथा फ्रांस में मेट्रो रेल परिचालित हैं ।  मेट्रो रेलवे की सेवाओं को प्रयोग करने वाले भारतीय शहरों में कोलकाता शिखर पर है तथा राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा आरम्भ हो चुकी है ।

दिल्ली मेट्रो के आगमन का कारण:

दिल्ली भारत के सर्वाधिक आबादी वाले नगरों में से एक है । वर्तमान समय में राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या चालीस लाख के करीब है ।

वाहनों की यह संख्या देश के तीन महानगरों:

कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई के कुल वाहनों से कही अधिक है । इनमें से नब्बे प्रतिशत निजी वाहन है । राजधानी में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ चालीस किलोमीटर हैं । इस प्रकार दिल्ली महानगर के लगभग बीस प्रतिशत हिस्से पर सड़के फैली हैं ।

इसके बावजूद भी राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा है । इस रफ्तार को बढ़ाने तथा यातायात की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘मेट्रो रेलवे परियोजना’ लागू की गई है ।

दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ एवं विकास कार्य:

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी से विभिन्न चरणों के आधार पर मेट्रो रेल शुरू करने की योजना बनाई है । इसके पहले चरण में शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू की गई । इसका उद्‌घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर, 2002 को किया । मेट्रो रेल के दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से केन्द्रीय सचिवालय तक सेवा शुरू की गई ।

तीसरे चरण में राजीव चौक से द्वारिका तक तथा चौथे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 कि.मी.) वाराखम्बा रोड से इन्द्रप्रस्थ नोएडा (1.5 कि.मी.), कीर्ति नगर से द्वारिका (16 कि.मी.) तक का कार्य पूरा हो चुका है ।

शीध्र ही मेट्रो रेल अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी नगर, आनंदविहार (बस अड्‌डा) तथा गाजियाबाद तक भी पहुँच जाएगी । आज कई स्थानों पर भूमिगत मेट्रो भी चल रही है । ऐसा माना जा रहा है कि 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के समय तक पूरी दिल्ली की सड़कों पर मेट्रो रेल चलने लगेगी ।

दिल्ली मेट्रो रेल की विशेषताएँ:

मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियन्त्रण प्रणाली से सुसज्जित है । कोच एकदम आधुनिक तकनीक पर आधारित तथा वातानुकूलित हैं । यहीं पर टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है । यहाँ पर रेल की क्षमता के आधार पर ही टिकट वितरित किए जाते हैं । यदि रेल में जगह नहीं होती तो मशीन टिकट देना स्वयं बन्द कर देती है । स्टेशन में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा भी अत्याधुनिक है ।

यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं । इसमें विकलांगों के लिए विशेष सुविधा हैं । मेट्रो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है, जिसके लिए मेट्रो स्टेशन से मुख्य सड़क या बस स्टैण्ड तक फीडर बसे भी चलाई जा रही हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सके ।

इसके लिए किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखा गया है । मेट्रो रेल में यात्रा करने से समय तथा पैसे दोनों की ही बचत होती है । भीड़-भाड़ भरी सड़कों, धुएँ व धूल मिट्टी से बचकर वातानुकूलित रेल में यात्रा करने का आनन्द ही कुछ और है ।

मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचालित हैं । इसमें आगमन प्रस्थान तथा आगे वाले स्टेशनों के विषय में पूरी जानकारी रेल में सवार यात्रियों को सूचना प्रदर्शन पटल तथा सम्बोधन प्रणाली के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है । इसमें यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकते है । मेट्रो रेल में कोई भी यात्री अधिकतम पन्द्रह किलोग्राम वजन ले जा सकता है ।

मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशी प्रशिक्षण प्राप्त है । दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल भी स्थापित क्रिया गया है, जिससे ड्राइवरों तथा परिचालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी दी जाती है ।

मेट्रो रेल को प्रारम्भ करने का सबसे अधिक श्रेय हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को जाता है । उनके द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है क्योंकि मेट्रो रेल के चलने से यात्रियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही प्रदूषण की मात्रा में भी काफी गिरावट आई है । अब यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम इस रेल की सफाई की ओर पूरा ध्यान दे तथा मेट्रो रेल का पूरा लाभ उठाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 5

कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | essay on computer : demand of the modern age in hindi.

आज का युग विज्ञान का युग है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कारों ने क्रान्ति ला दी है । यह बात हम सभी जानते हैं । विज्ञान की ही महान देन ‘कम्प्यूटर’ आधुनिक युग की एक, महत्वपूर्ण आवश्यकता है । इसने हमारे जीवन को सरल व सुखद बना दिया है । यद्यपि कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क की ही उपज है, किन्तु कार्यक्षेत्र में यह मानव की सोच से भी परे है ।

कम्प्यूटर का अस्तित्व:

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जिसमें अनेक ऐसे मस्तिष्कों का रुपात्मक एवं समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व होता है, जो अति तीव्र गति से बहुत कम समय में एकदम सही गणना करता है ।

वैज्ञानिकों ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक यन्त्रों जैसे ‘अवेकस’ तथा ‘कैलकुलेटर’ आदि का आविष्कार किया है, किन्तु कम्प्यूटर की बराबरी कोई भी मशीन नहीं कर सकती ।

कम्प्यूटर मुख्यतया जोड़, घटा, गुणा तथा भाग जैसी गणितीय क्रियाएँ बड़ी सरलता तथा शीघ्रता के साथ कर सकता है । कम्प्यूटर निर्देशों का क्रमबद्ध संकलन भी करता है, इसके लिए यह सर्वप्रथम निर्देशों को पढ़कर अपनी स्मृति में बिठा लेता है तथा पुन: निर्देशों के अनुरूप कार्य करता है ।

कम्प्यूटर की सफलता का यही रहस्य है कि यह साधारण निर्देशों को एक उचित क्रम देने पर बड़ी से बड़ी जटिल गणना को भी बड़ी सरलता से त्रुटिहीन रूप से सम्पन्न करता है ।

कम्प्यूटर का आविष्कार:

आज से लगभग 25 हजार वर्ष पूर्व मनुष्य ने अंकों का अन्वेषण किया था । धीरे-धीरे ये अंक विकसित होते गए तथा विभिन्न लिपियों में प्रयुक्त होने लगे । मनुष्य के विकास के साथ-साथ लिपियाँ भी विकसित होती गयी । प्रारम्भ में मनुष्य कंकडों, उँगलियों की लाइनों या दीवार आदि पर लाइन खींचकर गिनने का कार्य करता था ।

फिर मशीनी युग के साथ ही अंकों तथा लिपि को टंकण के माध्यम से प्रेस तथा टाइप मशीनों में अंकित किया गया । सन् 1642 ई. में फ्रांस के कुशल वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने विश्व का पहला कम्प्यूटर बनाया, जिसकी विधि बहुत सरल थी ।

तब से तरह-तरह की तकनीके खोजी जाने लगी तथा नए-नए कम्प्यूटर बनाए गए । सन् 1833 ई. में इंग्लैंड के ‘चार्ल्स बाबेज’ ने एक मशीन का आविष्कार किया तथा वह उस मशीन को कम्प्यूटर का रूप देने का प्रयास करता रहा, परन्तु असफल रहा ।

सही अर्थों में आधुनिक कम्प्यूटर बनाने का श्रेय वियुत अभियन्ता पी. इकरैट, भौतिक शास्त्री जोहन, डक्यू मैकली तथा गणितज्ञ जी.वी. न्यूमैन को जाता है । इन सभी के पारस्परिक सहयोग के बल पर सन् 1944 ई. में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया गया, जिसको ‘इलैक्ट्रानिक एण्ड कम्प्यूटर’ नाम दिया गया । कम्प्यूटर का सुधरा हुआ रूप सन् 1952 ई. में बाजार में आया ।

भारतवर्ष में सबसे पहला कम्प्यूटर सन् 1961 ई. में आया था । तब से आज तक भारत अनेक उन्नत देशों जैसे अमेरिका, रुस, जर्मनी आदि से कम्प्यूटर आयात कर चुका है । इन देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है ।

अमेरिका, स्वीडन, फ्रांस, हालैण्ड, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों में तो इसे ‘मानव मस्तिष्क’ की संज्ञा दे दी गई है । आज भारत में भी कम्प्यूटर विज्ञान का तीव्रगामी विकास हो रहा है । कम्प्यूटर की स्मरण-शक्ति असीमित तथा अद्वितीय है । जो काम बहुत कुशाग्र बुद्धि का मानव भी नहीं कर पाता, कम्प्यूटर वह कार्य बड़ी सरलता से कर दिखाता है । आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह पेपर पैन लेकर सारे हिसाब-किताब रख सके, क्योंकि आज का मानव बहुत व्यस्त जीवन जी रहा है ।

ऐसे में कम्प्यूटर उसका सच्चा साथी बनकर सभी कार्य तीव्र गति से बड़ी कुशलतापूर्वक कर देता है । नाम, तिथि, स्थल आदि बड़ी सरलतापूर्वक याद किए जा सकते हैं । आज सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है ।

वेतन बिल, बिजली, पानी, टेलीफोन के बिल बनाने, टिकट वितरण करने, बैंक, एल. आई.सी. के दफ्तरों आदि सभी में सारा कार्य कच्छसे की मदद से ही हो रहा है । इनके अतिरिक्त सभी शिक्षण संस्थाओं, बड़े-बड़े स्टोरों आदि में भी ये सहायक सिद्ध हो रहे हैं ।

डाक छाँटने, रेल मार्ग का संचालन करने, परिवहन व्यवस्था, मौसम की जानकारी, चिकित्सा, व्यापार, आदि अनगिनत क्षेत्रों में आज कम्प्यूटर का ही बोलबाला है । परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले अनेक विद्यार्थियों की अंकतालिका जाँचने, रोल नम्बर तैयार करने के कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा आसानी से हो रहा है ।

इसके अतिरिक्त प्रकाशन के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर मील का पत्थर साबित हुआ है । किक कार्यों के करने की गति तथा इलेक्ट्रानिक्स की प्रगति में कम्प्यूटर प्रणाली का सर्वाधिक योगदान है । निःसन्देह जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रह गया है जहाँ कम्प्यूटर ने अपनी उपयोगिता साबित न की हो । आज के बच्चे भी कम्प्यूटर का प्रयोग करने से ही बहुत तेज दिमाग वाले हो रहे हैं ।

कम्प्यूटर के जितने भी लाभ गिनाए जाए वे सभी कम हैं । आज कम्प्यूटर ने मनुष्य के जीवन में रोटी, कपड़ा तथा मकान जैसा महत्त्वपूर्ण स्थान ले लिया है । इसीलिए आज के युग में कम्प्यूटर के महत्त्व को समझते हुए प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है ।

कभी-कभी हमारी लापरवाही से ही कम्प्यूटर बड़ी-बड़ी गलतियाँ भी कर देता है तथा बच्चे भी इसका अधिक प्रयोग करने के कारण अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं, परन्तु ये सभी दुष्प्रभाव हमारे पैदा किए हुए हैं । हमें कम्प्यूटर के साथ-साथ अपने मस्तिष्क का भी प्रयोग करना चाहिए वरना हम पंगु ही बन जाएँगे ।

निष्कर्ष रूप में यदि हम यह कहें कि कम्प्यूटर के लाभों के साथ उसकी हानियाँ नगण्य हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । कम्प्यूटर आज के युग की माँग है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ेगी क्योंकि आज कम्प्यूटर हमारा शगुल नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुका है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 6

इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

आज मनुष्य प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है । जीवन के हर क्षेत्र में हमें जीवन की सभी सुविधाएँ तथा आराम प्राप्त हो रहे हैं । विज्ञान का एक आधुनिकतम एवं क्रान्तिकारी आविष्कार इन्टरनेट है, जो एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना माध्यम है ।

इन्टरनेट प्रणाली का अर्थ:

इन्टरनेट एक अत्यन्त महत्वपूर्ण, गतिशील तथा बलशाली सूचना का माध्यम है । यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल होता है जो उपग्रहों, केवल तन्तु प्रणालियों, लैन एवं वैन प्रणालियों एवं दूरभाषों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं ।

आज सूचना प्रसारण के इस तेज गति के दौर में इन्टरनेट की उपयोगिता चरम सीमा पर है । आज का कोई भी व्यक्ति, देश अथवा वर्ग ‘इन्टरनेट’ प्रणाली से अकह नहीं है । सभी इसके महत्त्व के कायल हो चुके हैं ।

इन्टरनेट की बर्तमान स्थिति:

इन्टरनेट का शुभारम्भ सन् 1969 में ‘एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्रस एजेंसिस’ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी । इसका विकास मुख्यतया शिक्षा, प्राप्त संस्थाओं के लिए किया गया था । इसके पश्चात् कुछ पुस्तकालय तथा कुछ निजी संस्थान भी इससे जुड़े गए ।

इन्टरनेट का जाल फैलाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ‘बैल लैब्स’ (Bell labs) का है और उसमें इससे सम्बन्धी अनुसन्धान अभी तक जारी है । वर्तमान समय में भारत में लगभग 1,50,000 इन्टरनेट कनैक्शन है तथा लगभग 21.59 मिलियन टेलीफोन लाइने कार्यरत हैं ।

एक टेलीफोन को लगभग 10 व्यक्ति प्रयुक्त करते हैं । 2.159 मिलियन लोगों को इन्टरनेट कनैक्शन लगवाने की उम्मीद है ।

इन्टरनैट के प्रमुख भाग:

इन्टरनेट के कुछ प्रमुख भाग इस प्रकार है – मुख्य सूचना कम्प्यूटंर (server), मोडम (modem), टेलीफोन, क्षेत्रीय नैटवर्क (LAN) अथवा वृहत नैटवर्क (WAN) उपग्रह संचार एवं केवल नैटवर्क । आज ज्यादातर मुख्य सूचना कम्प्यूटर (server) अमरीका में स्थापित है तथा पूरे संसार के उपग्रहों के माध्यम से जुड़े हैं ।

इन्टरनेट को देखने अथवा सूचना इकट्‌ठा करने के कार्य को ‘सर्फिग’ कहते हैं । इन्टरनेट पर ‘सर्फिग’ कार्य कोई मुश्किल काम नहीं है किन्तु सूचनाएं इन्टरनेट पर डालने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का कार्य बेहद जटिल है ।

इन्टरनेट के लाभ:

इन्टरनेट द्वारा वैब संरचना (Web Designing), इलेक्ट्रानिक मेल (E-mail) तथा इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स (E-com) जैसे कार्य किए जाते हैं । आज इन्टरनेटों के कार्यक्रमों की बेहद माँग है तथा अनेक भारतीय युवा विदेशों में इन्टरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में संलग्न हैं ।

आज इन्टरनेट द्वारा बिजली, पानी, राशन, LIC सभी के बिल जमा किए जा रहे हैं । इन्टरनेट से विज्ञान, शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में सभी कार्य होने लगे हैं जिससे काफी हद तक युवाओं के बीच बेकारी की समस्या का समाधान हो रहा है ।

आज इन्टरनेट की मदद से ही कई लोग घर बैठे अच्छा पैसा कमा रहे हैं । आज यूरोप तथा अमेरिका में SOHO (Small office home office) की तकनीक प्रयोग की जा रही है तथा राशन तक का सामन खरीदने के लिए भी इन्टरनेट प्रयोग किया जा रहा है । भारत में भी यह तकनीक जल्द ही पूर्णतया विकसित हो जाएगी ।

इन्टरनेट सेवाओं का मूल्यांकन:

इन्टरनेट व्यवस्था प्रदान करने वाली व्यवस्था को ‘इन्टरनेट सर्विसेज प्रोवाईडर’ (ISP) कहते हैं । भारतवर्ष में बी.एस.एन.एन. नामक आई.एस.पी. को अप्रैल 1986 में प्रारम्भ किया गया था । आज सत्यम्, आई.एस.पी., मुन्ना ऑन लाइन आदि भी ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।

महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भी सस्ते दामों पर इन्टरनेट सेवाएँ प्रदान कर रहा है । इसके अतिरिक्त देश के दूसरे जिलों व प्रान्तों में भी इन्टरनेट गेटवे खुल रहे हैं । इन्टरनेट के दुष्परिणाम-हर वस्तु की भाँति इन्टरनेट के लाभों के साथ हानियाँ भी जुड़ी हैं ।

सर्वप्रथम अधिक देर तक नैट पर सर्फिंग करने से आँखों की रोशनी धीमी पड़सकती है । इन्टरनेट में 1 जनवरी 2000 से जीवाणु (Virus) क्रियाशील हो चुके हैं जो अधिक ‘नैट’ प्रयोग में लाने से कम्प्यूटर सिस्टम को भी खराब कर सकते हैं ।

दूसरी तरफ आज का युवा वर्ग बैटर पर ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हासिल करने के स्थान पर अश्तील बातें ज्यादा देख रहा है, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है । इन्टरनेट द्वारा व्यवसाय करना अभी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि जरा सी रू होने पर काफी नुकसान हो सकता है ।

निःसन्देह आज का युग विज्ञान के नवीन चमत्कारों का युग हे । आज अनेक समाचार-यत्र व. पत्रिकाएँ भी ‘इन्टरनेट’ पर आ चुके हैं । अब तो सरकारें भी इस क्षेत्र में आगे आ रही है तथा भारत सरकार के अतिरिक्त कई राज्य सरकारें एवं विदेशी सरकारों की चेबसाइट इन्टरनेट पर प्राप्त की जा सकती है ।

आज नैट ‘कार्यकुशलता, सूचना एवं व्यवसाय का पर्याय बन चुका है । यदि इन्टरनेट का प्रयोग सीमित तथा संयमित रूप में किया जाए तो इसके लाभ ही लाभ हैं हानियाँ तो हमारी स्वयं की पैदा की हुई है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 7

कल्पना चावला पर निबन्ध | essay on kalpana chawla in hindi.

“मैं किसी भी देश या क्षेत्र विशेष से बाधित नहीं हूँ । इन सबसे हटकर मैं तो मानव जाति का गौरव बनना चाहती हूँ ।” यह कथन भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का था । उनकी लगन, प्रतिभा तथा उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा ।

इस महान विभूति का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 8 जुलाई, 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था । उन्होंने टेगोर बाल विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की । अपने शैशवकाल से ही वह एक होनहार छात्रा थी ।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में वैमानिकी (ऐअरोनॉटिक्स) में प्रवेश लिया । उस समय इस क्षेत्र में कोई दूसरी छात्रा नहीं थी । विज्ञान में कल्पना की तीन रूचि थी, जिसकी प्रशंसा उनके अध्यापक भी करते थे । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह विदेश भी गई । आपने 1984 में अमेरिका में स्थित Texas विश्वविद्यालय से वायु-आकाश (Aero-Space) इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात् कल्पना ने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की ।

तत्पश्चात् कल्पना ने अमेरिका के एक्स में फ्यूड डायानामिक का कार्य सीनियर प्रारम्भ किया । वहाँ पर सफलता प्राप्त करने के पश्चात् कल्पना ने 1993 में केलिफोर्निया के ओवरसैट मैथडस इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारम्भ किया ।

1994 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित कर लिया । लगभग एक बर्ष के प्रशिक्षण के पश्चात् कल्पना कों रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी । एस.टी.एस. 87 अमेरिकी की मास्कोग्रेबिवई पेलोड पाइलट थी, जिसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था । अन्तरिक्ष में जाना कल्पना की इच्छा भी थी । चन्द्रमा पर पर्दापण करने की उनकी तीव्र डच्छा थी ।

लगभग पांच वर्षो के अन्तराल के पश्चात् 16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला को अन्तरिक्ष में जाने का पुन: अवसर प्राप्त ह्मा । यह शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं बिभिन्न कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन व्हे किए गए थे ।

उस यान में कल्पना के साथ उनके सात साथी थे । कल्पना ने अन्तरिक्ष का कार्यबीरता से पूर्ण किया और वह पृथ्वी पर लौट रही थी । दुर्भाग्यवश, 2 लाख फुट की ऊँचाई पर कोलम्बिया नामक उनका अन्तरिक्ष शटल बिस्फोट हो गया ।

देखते ही देखते कल्पना अतीत बन गई । उनकी मृत्यु के ददय विदारक संदेश से उनके अध्यापक, स्कूली साथी, परिवारजन, विशेषकर उनके नासा के स्टॉफ मेंबर स्तब्ध रह गए । पूरा विश्व जेसे शोक के गहरे सागर में ख गया । कल्पना उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थी, जो अन्तरिक्ष में जाना चाहती हैं ।

Hindi Nibandh (Essay) # 8

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

समय-समय पर भारत माता की गोद में अनेक महान विभूतियों ने आकर अपने अद्‌भुत प्रभाव से सशूर्ण विश्व को आलोकित किया है । राम , कृष्णन, महावीर, नानक, दयानन्द, विवेकानन्द आदि ऐसी ही महान बिभूतियीं हैं जिनमे से महात्मा गाँधी का नाम सर्वोपरि आता है ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार तथा सच्चे अर्थों में स्वतन्त्रता सेनानी थे । युद्ध एवं क्रान्ति के इस युग में भारतवर्ष ने दुनिया के रास्ते से अलग रहकर गाँधी जी के नेतृत्व में सत्य एवं अहिंसा रुपी अस्त्रों के साथ स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा ब्रिटिश शासन को भारत से समूलोच्छेद कर दिया ।

इन चारित्रिक विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक भारतवासी उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहता है । विश्व-विख्यात वैज्ञानिक आइस्टीन के शब्दों में ”आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि ऐसा विलक्षण व्यक्ति देह रूप में कभी इस पृथ्वी पर रंल्ला था ।” राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी ने उन्हें ‘युगस्रष्टा’ तथा ‘युग्धष्टा’ कहा है ।

जन्म परिचय व शिक्षा-दीक्षा:

महात्मा गाँधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचन्द गाँधी’ था । गाँधी जी का जन्म 2 अक्तुबर, सन् 1869 ई. को गुजरात राज्य के ‘पोरबन्दर’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता श्री करमचन्द गाँधी किसी समय पोरबन्दर के दीवान थे फिर वे राजकोट के दीवान भी बने । आपकी माता श्रीमति पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । गाँधी जी के चरित्र निर्माण में उनकी धर्म परायण माता का विशेष योगदान है ।

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी । विद्यालय में गाँधी जी एक साधारण छात्र थे तथा लजीले स्वभाव वाले थे । हाई न्क्र में अध्ययन करते समय ही लगभग तेरह वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हो गया ।

सन् 1885 में उनके पिता का देहान्त हो गया । सन् 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के पश्चात् आप उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए ‘भावनगर’ गए । वहाँ से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कानूनी शिक्षा प्राप्त करने गाँधी जी इंग्लैण्ड गए ।

सन् 1891 में आप बैरिस्ट्री पास करके भारत लौट आए । उनकी अनुपस्थिति में उनकी माता जी का भी देहावसान हो गया ।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के कार्य:

स्वदेश लौटकर गाँधी जी ने मुम्बई में वकालत शुरू कर दी । पोरबन्दर की एक व्यापारिक संस्था ‘अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी’ के मुकदमे की पैरवी करने गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा । वहाँ उन्होंने देखा कि गोरे अंग्रेज भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उनको अपना गुलाम मानते थे ।

यह सब देखकर गाँधी जी का मन क्षुब्ध हो उठा । वहाँ पर गाँधी जी को भी अनेक अपमान सहने पड़े । एक बार उन्हें रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे उतार दिया गया, जबकि उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था । अदालत में जब वे केस की पैरवी करने गए तो जज ने उनसे पगड़ी उतारने के लिए कहा किन्तु गाँधी जी जैसा आत्मसम्मानी व्यक्ति बिना पगड़ी उतारे बाहर चले गए ।

गाँधी जी का राजनीति में प्रवेश:

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गाँधी जई ने राजनीति में भाग लेना आरम्भ कर दिया । सन् 1914 के प्रथम युद्ध में गाँधी जी ने अंग्रेजों का साथ इसलिए दिया क्योंकि अंग्रेजों ने गाँधी से वादा किया था कि यदि वे युद्ध जीत गए तो भारत को आजाद कर देंगे, मरन्तु अंग्रेज अपनी जुबान से मुकर गए ।

युद्ध में बिजयी होने पर अंग्रेजों ने स्वतन्त्रता के स्थान पर भारतीयों को ‘रोलट एक्ट’ तथा ‘जलियांवाला बाग काण्ड’ जैसी विध्वंसकारी घटनाएँ पुरस्कारस्वरूप प्रदान की । सन् 1919 तथा 1920 में गाँधी जी ने आन्दोलन आरम्भ किया ।

सन् 1930 में गाँधी जी ने ‘नमक कानून का विरोध किया । उन्होंने 24 दिन पैदल यात्रा करके दाण्डी पहुँचकर स्वयं अपने हाथों से नमक बनाया । गाँधी जी के स्वतन्त्रता संग्राम में देश के प्रत्येक कोने से देशभक्तों ने जन्म भूमि भारत की गुलामी की बेडियो को तोड़ने के लिए कमर कस ली ।

बालगंगाधर तिलक , गोखले, लाला लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस आदि ने गाँधी जी का पूरा साथ दिया । सन् 1931 ई. में वायरसराय ने लंदन में आपको गोलमेज कांफ्रेन्स में आमन्त्रित किया । वहाँ आपने बड़ी विद्धता से भारतीय पक्ष का समर्थन किया ।

गाँधी जी ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए सत्याग्रह की बात प्रारम्भ की । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ तथा गाँधी जी सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । सन् 1944 में इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया । समस्त वातावरण केवल आजादी की ध्वनि से गूँजने लगा । अंग्रेज सरकार के पाँव उखड़ने लगे । अंग्रेज सरकार ने जब अपने शासन को समाप्त होते देखा तो अंतत: 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता सौंप दी ।

गाँधीवादी सिद्धान्त:

गाँधी जी सत्य तथा अहिंसा जैसे सिद्धान्तों के पुजारी थे । ये गुण उनमें बचपन से ही विद्यमान थे । गाँधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था । बे चरखा कातकर स्वयं अपने लिए वस्त्र तैयार करते थे । गाँधी जी ने मानव को मानव से प्रेम करना सिखाया ! उन्होंने इसीलिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाई थी ।

इसके अतिरिक्त दलित तथा निम्न वर्गीय लोगों के लिए भी गाँधी जी के मन में विशेष प्रेम था । उन्होंने छूआछुत का कड़ा विरोध किया था तथा अनूसूचित जातियों के लिए मन्दिरों तथा दूसरे पवित्र स्थानों में प्रवेश पर रोक को समाप्त करने पर विशेष बल दिया था । इस प्रकार गाँधी जी सच्चे अर्थों में एक परोपकारी व्यक्ति थे ।

उनके सम्बन्ध में किसी कवि की पंक्तियों द्रष्टव्य हैं:

”चल पड़े जिधर दो पग डग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर पड गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गए कोटिदृग उसी ओर ।”

मृत्यु-30 जनवरी, 1948 ई. को संध्या के समय प्रार्थना-सभा में नाधूराम गोडसे ने उन पर गोलियाँ चला दी । तीन बार ‘राम, राम, राम’ कहने के बाद गाँधी जी ने इस नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया । इस दुखःद अवसर पर नेहरू जी ने कहा था, ”हमारे जीवन से प्रकाश का अन्त हो चुका है । हमारा प्यास बापू, हमारा राष्ट्रपिता अब हमारे बीच नहीं है ।

हमारे ‘बापू’ मानवता की सच्ची मूर्ति थे ऐसे विरले इंसान सदियों में एक बार पैदा होते हैं । गाँधी जी ने तो मानवता की सेवा की थी । वे नरम दल के नेता थे । हरिजनों के उद्धार के लिए उन्होंने ‘हरिजन संद्य की स्थापना की थी ।

मद्य-निषेध, हिन्दी-प्रसार, शिक्षा-सुधार के अतिरिक्त अनगिनत रचनात्मक कार्य किए थे । महात्मा गाँधी, नश्वर शरीर से नहीं, अपितु यशस्वी शरीर से अपने अहिंसावादी सिद्धान्तों, मानवतावादी दृष्टिकोणों तथा समतावादी विचारों से आज भी हमारा सही मार्गदर्शन कर रहे हैं ।

गाँधी जी के अद्‌भुत व्यक्तित्व का चित्रांकन कविवर सुमित्रानन्दन पन्त ने इस प्रकार किया है:

”तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष । तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केबल हे चिर पुराण । तुम चिर नबीन ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 9

पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

शान्ति के अग्रदूत, अहिंसा के संवाहक, आधुनिक भारतवर्ष निर्माता एवंस्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू आधुनिक युग की एक महान विभूति है ।

वे सच्चे कर्मयोगी एवं मानवता के प्रबल समर्थक थे । राजसी परिवार में जन्म लेकर एवं सभी सुख-सुविधाओं पूर्ण वातावरण में बड़े होकर भी आपने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता एवं देश की आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा-विश्व-बत्सुत्व की भावना के प्रबल समर्थक पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 ई. को प्रयाग (इलाहाबाद) के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । आपके पिताश्री पं. मोतीलाल नेहरू भारतवर्ष के एक सम्मानित बैरिस्टर थे । आपकी माता जी श्रीमती स्वरूप रानी एक धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थीं । अपने माता-पिता का इकलौता लाडला पुत्र होने के कारण आपका लालन-पालन बड़े लाड़-प्यार में हुआ था ।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई थी । 15 वर्ष की आयु में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आप इंग्लैण्ड चले गए । आपने ‘हैरी विश्वविद्यालय’ तथा ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । अपने पिता की इच्छानुसार आप सन् 1912 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे ।

भारत आकर आप अपने पिता के साथ ही प्रयाग में वकालत करने लगे । आप ‘मेरेडिथ’ के राजनीति चिन्तन से बहुत प्रभावित थे 1 सन् 1915 ई. में ‘रोलट एक्ट’ के विरुद्ध होने वाली मुम्बई कांफ्रेन्स में नेहरू जी ने भी हिस्सा लिया और यहीं से आपके राजनीतिक जीवन की प्रारम्भिक अवस्था आरम्भ हुई थी ।

पारिवारिक जीवन:

जवाहर लाल नेहरू का शुभ विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला नेहरू के साथ हुआ । सन् 1917 में 9 नवम्बर को आपके यहाँ इन्दिरा ‘प्रियदर्शिनी’ नामक सुन्दर सी पुत्री ने जन्म लिया । सरोजिनी नायडू इन्दिरा को ‘क्रान्ति की सन्तान’ कहती थी । आगे चलकर इन्दिरा गाँधी ने भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनने का गौरव प्राप्त किया ।

सन् 1931 ई. में नेहरूजी के पिता जी श्री माती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पली कमला नेहरू का भी स्वर्गवास हो गया । राजनीतिक जीवन-महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर नेहरू जी ने उनके राजनैतिक आदर्शों को अपनाने का निश्चय किया । नेहरू जी ने राजसी वेशभूषा को छोड़कर खादी का कुर्ता धारण कर लिया एवं एक सच्चे सत्याग्रही की भाँति प्रकट हुए ।

सन् 1919 के किसान आन्दोलन एवं 1921 ई. के असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण पं. नेहरू को जेल जाना पड़ा । आपकी अनवरत सेवाओं के लिए सन् 1923 में ‘आल इंडिया कांग्रेस’ ने आपको जनरल सेक्रेटरी चुन लिया तथा इसके बाद आप इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे ।

उन्हीं की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लक्ष्य सम्बन्धी प्रस्ताव को पारित किया । इसके पश्चात् भी आप अनेक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे । कई बार आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए ।

सन् 1930 ई. में शान्तिमय शासनावज्ञा के कारण आपको कारावास जाना पड़ा । सन् 1927 ई. में रूस सरकार के निमन्त्रण पर आप रूस गए और वहाँ की साम्यवादी विचारधारा का आप पर विशेष प्रभाव पड़ा । देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आपने अथक प्रयास किए ।

31 दिसम्बर सन् 1930 ई. में पं. नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्षीय भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर यह घोषणा की थी कि हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे । इस घोषणा से स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष तीब्रतर हो गया । तत्पश्चात् ‘नमक-सत्याग्रह’ में भी आपने अपना अपार योगदान दिया ।

सन् 1942 ई. के गाँधी जी के ‘भारत छीड़ा आन्दोलन’ में भी आपने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । अनेक महापुरुषों के अथक प्रयासों से आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतन्त्र हो गया । प्रथम प्रधानमन्त्री के रूप में-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वसम्मति से आप स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री निर्वाचित हुए तथा मृत्युपर्यन्त इसी पद पर आसीन रहे ।

इस काल में आपने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश का विभाजन होने पर हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई थी । शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या, साम्प्रदायिक दंगों की समस्या, काश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण तथा राज्यों के पुनर्गठन आदि समस्याओं का नेहरू जी ने अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के आधार पर उचित हल निकाला ।

आपके नेतृत्व में सगर्व देश के लिए अनेक बहुमुखी योजनाएँ बनाई गई । जल ब विधुत शक्ति के लिए बाँध बनाए गए, देश में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए गए तथा कृषि के क्षेत्र में भी देश ने अद्‌भुत प्रगति की । ट्राम्बे (मुम्बई) में अगुचालित रीऐक्टर संस्थान आपके सुनियोजित प्रयासों का ही परिणाम है ।

नेहरू जी की सैद्धान्तिक विशेषताएँ:

नेहरू जी ने विश्व को शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं गुट निरपेक्षता के महत्त्वपूर्ण विचार दिए । उन्होंने उपनिवेशवाद, नवउपनिबेशवाद साम्राज्यवाद, रंगभेद एवं किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की और एशिया, अफ्रीका एवं लेटिन अमेरिका के लगभग य देशों को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराया ।

एक महान चिन्तक के रूप में नेहरू जी का मानब में अटूट बिश्वास था और उनकी प्रतिभा, प्रकृति तथा चरित्र का सबसे मस्लपूर्ण पक्ष उनका वैज्ञानिक मानवतावाद था । उन्होंने आत्मा, परमात्मा एवं रहस्यवाद को महत्त्व न देते हुए मानवता व सामाजिक सेवा को ही अपना धर्म बनाया ।

सभा महान विभूतियां की भाँति नेहरू जी भी सत्य के खोजी थे । किन्तु वे सत्य के प्रति विशुद्ध सैद्धान्तिक पहुँच में विश्वास नहीं रखते थे । महात्मा गाँधीजी की भांति उन्होंने सत्य को ईश्वर का पर्याय न समझकर सत्य की खोज विज्ञान, ज्ञान एवं अनुभव द्वारा अनुप्राश्रित की ।

जहाँ तक साध्य एवं साधन के मध्य सम्बन्ध का प्रश्न है; नेहरू जी गाँधी जी के विचारों वाले थे । जैसा साधन होगा, साध्य भी वैसा ही होगा । साधन की तुलना बीज से एवं साध्य की तुलना वृक्ष से की जा सकती है ।

नेहरू जी लोकतन्त्र के कट्टर समर्थक थे । उनके लिए लोकतन्त्र स्थिर बस्तु न खेकर एक गतिशील एबै विकासशील वस्तु थी । उनके अनुसार सच्चा लोकतन्त्र बंही है जहाँ लोगों के कल्याण एवं सुख का ध्यान रखा जाए । वे लोकतन्त्र को जनता की स्वतन्त्रता, जनता की समानता, जनता का भ्रातृत्व एवं जनता की सर्वोच्चता मानते थे ।

अन्तिम समय:

अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी नेहरू जी ने देश-सेवा के अपने व्रत को नहीं त्यागा और कठिन परिश्रम करते रहें । एक ओर कश्मीर समस्या थी तो दूसरी ओर चीन का खतरा । परन्तु सभी समस्याओं का आपने साहसपूर्वक सामना किया ।

27 मई, 1964 ई. को आप काल का ग्रास बन गए तथा सम्पूर्ण विश्व शान्ति के इस अग्रदूत की अन्तिम विदाई पर बिलख उठा । आधुनिक भारत का प्रत्येक नागरिक सदा आपका ऋणी रहेगा । शायद आपकी कमी को कोई भी पूर्ण न कर सके । मृत्यु के पश्चात् आपकी वसीयत के अनुसार आपकी भस्म भारत के खेतों में बिखेर दी गई क्योंकि आपको भारत की मिट्टी से अटूट प्यार था ।

नेहरू जी ने अपने जीवनकाल में जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने तथा शिक्षा प्रसार करने जैसे अनेक सराहनीय कार्य किए । युद्ध की कगार पर खड़े विश्व को आपने शान्ति का मार्ग दिखाया । नेहरूजी उच्चकोटि के चिन्तक, विचारक एवं लेखक थें ।

उनकी लिखित मेसई क्खनी’, ‘भारत की कहानी’, ‘विश्व इतिहास की झलक’, ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ आदि जन-प्रसिद्ध हैं । बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते हैं क्योंकि नेहरूजी को ‘बच्चों’ से एवं गुलाक से बहुत प्यार था । हर वर्ष 14 नबम्बर को उनका जनमदिन ‘बाल दिबस’ के रूप में मनाया जाता है ।

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यह अनूठा व्यक्तित्व भारत के लोगों का ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया के लोगों का प्यार एवं सम्मान पा सका । भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था । निःसन्देह उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा ।

Hindi Nibandh (Essay) # 10

युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

कभीकभी साधारण परिवार व साधारण परिस्थितियों में पला बड़ा इन्सान भी अपने असाधारण कृत्यों से सभी को आस्वर्यचफ्रइत कर देने की क्षमता रखता है । ऐसे ही चमत्कारिक व्यक्ति थे । युग पुरुष श्री लाल बहादुर शास्त्री ।

29 मई, 1964 को पं. जवाहरलाल नेहरू जी के आकस्मिक निधन के उपरान्त 2 जून, 1964 को कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा सर्वसम्मति से लाल बहार शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री चुना गया । 9 जून, 1964 ई. को आपने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ग्रहण की तथा केवल 18 माह तक प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य कर सबका हृदय जीत लिया ।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अकबर, 1904 ई. में वाराणसी के भुगलसराय नामक ग्राम में हुआ था । आपके पिता श्री शारदा प्रसाद एक शिक्षक थे । जब लालबहादुर मात्र डेढ़, वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहावसाज हो गया ।

आपकी माता श्रीमति रामदुलारी देवी जी ने आपका लालन पालन किया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी के ही एक क्ख में हुई । लाल बहष्र का बचपन बहुत निर्धनता तथा तंगी में व्यतीत हुआ तभी तो उन्हें विद्यालय जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता था । नाव वाले को देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे ।

यद्यपि लाल बहादुर जी के पिता जी उन्हें अपनी स्नेह-छाया में पाल-पोसकर बड़ा नहीं कर पाए थे तथापि वे उन्हें ऐसी दिव्य प्रेरणाओं की विभूति प्रदान कर गए जिसके सहारे शास्त्री जी एक सेनानी की भाँति जीवन के समस्त कष्टों को अपने चरित्रम्बल से पदन्दलित करते चलते गए ।

एक बार सन् 1921 में महात्मा गाँधी अपने ‘असहयोग आन्दोलग के सिलसिले में वाराणसी आए हुए थे तो एक सभा को सम्बोधित करते हुए गाँधी जी ने कहा था,

”भारत माता दासता लई कड़ी बेडियों में जकड़ी हुई है । आज हमें जरूरत है उन नौजवानों की जो इन बेडियों को काट देने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार ह्मे । ”

तभी एक सोलह-सत्रह वर्ष का नौजवान भीड़ में से आगे आया, जिसके माथे पर तेज तथा हृदय में देशप्रेम था । यह लड़का लाल बहादुर ही था । स्कूली शिक्षा छोड़कर लाल बहादुर स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े । साम्राज्यवादी सरकार ने उन्हें जेल में डलवा दिया तथा शास्त्री जी को ढाई वर्षों तक कारावास में रहना पड़ा ।

जेल की सजा काटने के बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ में प्रवेश ले लिया तथा पढ़ाई आरम्म कर दी । सौभाग्य से लाल बहादुर को काशी विद्यापीठ में महान ब योग्य शिक्षकों, जैसे-डी. भगवानदास, आचार्य जे.बी. कृपलानी, सक्तर्घनन्द तथा श्री प्रकाश आदि से शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ ।

यहीं से उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त हुई एवं तभी से वे ‘लाल बहादुर शास्त्री’ कहलाने लगे । यहाँ पर चार वर्ष तक लगातार शास्त्री जी ने फैख्व तथा ‘दर्शन’ का अध्ययन किया । शिक्षा समाप्ति के पश्चात् शास्त्री जी का विवाह क्षलिता देवी के साथ हुआ, जो शास्त्री जी के ही समान सरल व सीधे स्वभाव की जागरुक नारी थी ।

देश-सेवा के कार्य व राजनीति में प्रवेश:

शास्त्री जी का समुर्ण जीवन कड़े-संघषों की लम्बी कहानी है । शास्त्री जी के हृदय में निर्धनों, दलितों तथा हरिजनों के लिए बहुत दया ब करुणा भाव थे तथा वे इन पिछड़े तथा उपेक्षित वर्ग को सदा ऊपर उठाना चाहते थे । हरिजनोद्वार में शास्त्री जी का अभूतपूर्व योगदान रहा हे । उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए शास्त्री जी को लोक सेवा संघ का सदस्य बनाया गया और उन्होंने इलाहाबाद को अपनी कार्यवाहियों का केन्द्र बनाया ।

शास्त्री जी सात सालों तक इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के सदस्य रहे तथा चार वर्ष तक इलाहाबाद इखूबमेंट ट्रस्ट के महासचिव तथा सन् 1930 से 1936 तक अध्यक्ष रहे । सन् 1937 ई. में शास्त्री जी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निवाचित किए गए ।

शास्त्री जी ने सन् 1942 में भारतछफ्रौ आन्दोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा कारावास का दण्ड भोगा । सन् 1937 में सात प्रान्तों में कांग्रेस की अन्तरिम सरकार बनी । इस समय उत्तर प्रदेश में पंडित गोविन्द बल्लभपंत ने इन्हें अपना सभा सचिव नियुक्त किया तथा अगले ही वर्ष शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश का गृहमन्त्री नियुक्त किया गया ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सन् 1952 ई. में जब आम चुनाब हुए तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें चुनाव तैयारियों के लिए दिल्ली बुलवा लिया तथा चुनाव के पश्चात् इन्हें स्वतन्त्र भारत का प्रथम रेलमन्त्री नियुक्त किया, किन्तु दुर्भाग्यवश इनके कार्यकाल में एक रेल दुर्घटना हो गई जिसका नैतिक दायित्व वहन करते हुए इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया ।

तत्पश्चात् सन् 1956-57 में वे देश के संचार व परिवहन मन्त्री बने तथा इसके बाद वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्री भी बने । सन् 1961 के अप्रैल मास में उन्हें स्वराष्ट्र मन्त्रालय का कार्यभार सौंपा गया । शास्त्री जी ने सभी पदों का कार्य भार बड़ी कुशलता तथा निष्ठा से सम्माला ।

धनी व्यक्तित्व के स्वामी-लाल बहादुर शास्त्री जी एकदम सरल एवं सादे स्वभाव के व्यक्ति थे । इसी कारण जब उन्होंने प्रधानमन्त्री का पदभार ग्रहण किया तो लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि शास्त्री जी प्रधानमन्त्री पद की जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकेंगे ।

किन्तु केवल 18 माह के कार्यकाल ने शास्त्री जी को भारतीय इतिहास की महान विभूतियों में से एक के रूप में पहचान दिलवाई । शास्त्री जी का स्वभाव शान्त, गम्भीर, मृदु व संकोच किस्म का था, इसी कारण वे जनता के दिलों में राज्य कर सके थे । उनकी अद्वितीय योग्यता तथा महान नेतृत्व का परिचय हमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय देखने को मिला ।

पाकिस्तानी आक्रमण के समय सभी भारतीय अत्यन्त चिन्तित थे, किन्तु शास्त्री जी ने बड़ी बहादुरी से इस परिस्थिति का आकलन किया तथा देश का नेतृत्व किया । उन्होंने इस युद्ध में भारत को जीत दिलाई तथा पाकिस्तानियों को मुँह की खानी पड़ी ।

उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से वीर सैनिकों तथा देश की आम जनता का मनोबल बढ़ाया । एक बार जब भारत में आने वाले अनाज के जहाजों को रोक दिया गया, तब इन्होंने देश के सामने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया ।

उन्होंने सप्ताह में एक दिन का अन्न छोड़ दिया तथा देश की जनता को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया । इसके अतिरिक्त शास्त्री जी ने असम भाषा समस्या, नेपाल के साथ सम्बन्ध सुधार व स्वरत बल से चोरी की समस्या आदि समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान किया ।

भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ के ताशकन्द में 11 जनवरी, सन् 1966 ई. में समझौते के दौरान शास्त्री जी का निधन हो गया । श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की संगठनात्मक शक्ति और लगन ने भारत को सर्वोच्च गौरव प्रदान किया ।

आज शास्त्री जी तन से हमारे साथ न होते हुए भी हमारे मन व हृदय में निवास करते हें । निःसन्देह वे एक ऐसे युग पुरुष थे जिन्होंने साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण कार्य किए तथा प्रत्येक क्षेत्र में अपने चातुर्थ तथा कुशलता के प्रमाण प्रस्तुत किए ।

Hindi Nibandh (Essay) # 11

भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | essay on bharat ratna : srimati indira gandhi in hindi.

हमारी भारत भूमि पर सदा ही श्रेष्ठ महापुरुषों एवं महान स्त्रियों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने गौरवपूर्ण व महान् कार्यों से न केवल भारतवर्ष को, अपितु पूरे विश्व को अचंभित किया है ।

ऐसी ही एक वीरांगना, महान तथा श्रेष्ठ नारी थी श्रीमति इन्दिरा गाँधी । इन्दिरा गाँधी का वास्तविक नाम ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी’ थी । वह अपार दूरदर्शिनी तथा साहसी नारी थी । वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री थी, जिन्होंने हर विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना किया तथा देश के विकास के लिए नई दिशाओं को खोज निकाला ।

जीवन-परिचय एवं शिक्षा:

भारतवर्ष की तृतीय प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी जी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद के ‘आनन्द भबन’ में हुआ था । पिता पं. जवाहरलाल नेहरू तथा माता कमला नेहरू के अतिरिक्त दादा मोतीलाल नेहरू तथा दादी स्वरूप रानी भी ‘इन्दिरा’ के जन्म पर बहुत प्रसन्न हुए ।

सभी प्यार से उन्हें ‘इन्दु’ पुकारते थे । इन्दिरा जी के व्यक्तित्व में अपने दादाजी जैसी दृढ़ता, पिताजी जैसा धैर्य तथा माता जी जैसी संवेदनशीलता थी । इन्दिरा जी की प्रारम्भिक शिक्षा स्विट्‌जरलैण्ड में हुई । इसके पश्चात् वे अपने अध्ययन के लिए भारत लौट आई तथा ‘शान्ति निकेतन’ में ही पढ़ने लगी । इसके पश्चात् वह ऑक्सफोर्ड के समशवइले कॉलेज गई तथा वही पर शिक्षा प्राप्त की ।

पं. नेहरू अपनी बेटी की सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखते थे वही विस्तृत ज्ञानवर्धन भी उनको परम अभीष्ट था । पं नेहरू जी ने कारावास से ही अपनी प्यारी इनु’ को अनेक पत्र लिखे । बाद में ये पत्र ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित भी हुए ।

दस वर्ष की आयु में ही इन्दिरा जी ने ‘बानर सेना’ का गठन किया था जो कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सहायता पहुँचाया करती थी । सन् 1937 में आपकी माता जी का देहावसान हो गया ।

इन्दिरा जी का सामाजिक जीवन:

ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज में अध्ययन करते समय ही आपने ब्रिटिश मजदूर दल के आन्दोलन में भाग लिया । सन् 1938 ई. में आप भारतीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गई । सन् 1942 ई. में इन्दिरा जी का विवाह एक सुयोग्य पत्रकार एवं विद्वान लेखक फिरोज गाँधी से हुआ। पति-पत्नी दोनों ही स्वतन्त्रता-संक्रम में सक्रियता से हिस्सा लेने लगे । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में भाग लेने के कारण दोनों को करीब 15 मास कारावास में गुजारने पड़े । इन्दिरा जी ने दो पुत्रों राजीव व संजय को जन्म दिया ।

जब 15 अगस्त सन् 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तो पं. जवाहरलाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत का प्रथम प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया । तभी से इन्दिरा जी का अधिकतर समय अपने पिता के साथ बीतता था ।

उनके साथ रहते-रहते इन्दिरा जी को राजनीति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हुई । उन्होंने पिता के साथ देश-विदेश का भ्रमण किया तथा विश्व राजनीति के बारे में भी जानकारी हासिल की ।

इन्दिरा जी सन् 1955 ई. में कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्या बनी तथा सन् 1959 में अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई । कांग्रेस अध्यक्ष बनकर आपने सारे देश का दौरा किया तथा कुछ ऐसे सराहनीय कार्य किए, जिन्हें देखकर वामपन्धी कांग्रेसी कृष्णा मेनन आदि भी अचम्भित रह गए । सन् 1960 में इन्दिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी का देहान्त हो गया तो इन्दिरा जैसे टूट सी गई ।

प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य:

27 मई, सन् 1964 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू के निधन पर तो जैसे इन्दिरा जी एकदम टूट कर ढेर सी हो गई थी । ऐसे समय में लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया तो उन्होंने इन्दिरा जी को अपने मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री के रूप में चयनित कर लिया, जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया ।

सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हुई तब इन्दिरा जी देश की तीसरी तथा प्रथम महिलारप्रधानमन्त्री बनी । मारग्रेट थैचर (इंग्लैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री) के बाद इन्दिरा जी ऐसी महिला हैं जो किसी लोकतान्त्रिक देश की प्रधानमन्त्री बनी हैं ।

तत्कालीन राष्ट्रपति डी. शंकरदयाल शर्मा ने जब इन्दिरा जी को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलाई तो भारत की प्रत्येक नारी का सिर गर्व से ऊँचा हो गया । इसके बाद पूरे देश में सन् 1967 को आम चुनाव हुए तथा अपने असाधारण व्यक्तित्व, लगन तथा निष्ठा के बल पर आप दूसरी बार सर्वसम्मति से देश की प्रधानमन्त्री नियुक्त की गई ।

अपने प्रधानमन्त्री काल में आपने अनेक प्रकार के सुधार तथा विकास कार्य किए हैं । जिस समय इन्दिरा जी प्रधानमन्त्री बनी थी, उस समय देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या थी क्योंकि औद्योगिकरण एवं वैज्ञानिक प्रगति अपने आरम्भिक दौर में थी ।

इन्दिरा जी ने गरीबी को दूर करने के लिए सन् 1969 में एक सशक्त नीति की घोषणा की, जिसमें निजी आय, निजी आमदनी तथा लाभों पर सीमा से ऊपर आय होने पर सरकार सम्पत्ति एवं आय का अधिग्रहण कर लेती थी । आपने कई सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा गाँवों में कई बेंकों की शाखाएँ भी खोली ।

इसके अतिरिक्त बांग्लादेश के पुन: निर्माण के लिए आपने अपने देश से विशेष सहायता प्रदान की । 25 जून, 1975 की आधी रात को आपने देशभर में आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी । ‘आसुका’ (आन्तरिक सुरक्षा कानून) तथा डी.आई.आर. कानूनों के अन्तर्गत देश के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया ।

इसके कारण ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस आदि देशों ने इन्दिरा सरकार की घोर निन्दा की । सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में आपने ऐसे साहस व धैर्य का परिचय दिया कि विरोधियों ने आपको दुर्गा माँ का अवतार कहना प्रारम्भ कर दिया । 24 मार्च सन् 1977 ई. तक आप प्रधानमन्त्री बनी रही ।

सन् 1977 के आम चुनावों में आपको भारी पराजय का सामना करना पड़ा जनता सरकार ने सत्ता में आने पर आपको जेल में भेजा । सन् 1980 में पुन: लोकसभा चुनाव हुए तथा आपने फिर विजयश्री प्राप्त की तथा आपके नेतृत्व में कांग्रेस पुन: सत्ता में आ गई ।

वे पुन: प्रधानमन्त्री बन बैठी । विश्व-इतिहास में यह पहली घटना थी कि चुनाव हारने के ढाई वर्ष पश्चात् ही कोई राजनीतिज्ञ पुन: भारी बहुमत से देश की बागडोर सम्भाल पाया था ।

इन्दिरा जी विलक्षण प्रतिभा की धनी महिला थी, जिनमें अदम्य साहस तथा दूरदृष्टिता छूट-कूट कर भरे थे । 23 जून, 1980 में अपने प्रिय पुत्र संजय गाँधी की आकस्मिक मृत्यु ने आपको बुरी तरह से तोड़ दिया, फिर भी आपने हिम्मत नहीं हारी । आप अपने जीवन की आखिरी सांस तक निर्धनता, रंग-भेद तथा जाति-भेद के विरुद्ध संघर्षशील रही ।

जिस समय आप भारत राष्ट्र को उन्नति की पराकाष्ठा पर ले जानी जाने वाली थी, उसी समय 31 अक्तूबर सन् 1984 को प्रात: 9 बजे आपके दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह तथा बेअंत सिंह ने आपको गोलियों से भून डाला । पूरा विश्व जैसे ठगा सा रह गया ।

भारत राष्ट्र अनाथ हो गया तथा दुनिया के राजनीतिक मंच का एक मुखर स्वर शान्त हो गया । आज आप अपनी समाधि ‘शक्ति स्थल’ में आराम से विश्राम कर रही हैं और पूरा विश्व आपके सराहनीय कार्यों को याद कर आपको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 12

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

शैशवकाल से ही जिसके कोमल मून में विद्रोह की ज्वाला प्रज्वलित हो उठी थी, किशोरावस्था में ही जिसका उर्वर मस्तिष्क विप्लव के झंझावात से दुखी समुद्र की भांति अशान्त हो उठा था, युवावस्था में ही जिसने समस्त भोग-विलासों एवं नश्वर ऐश्वर्य को त्याग दिया था, ऐसे विद्रोही, विप्लवी एवं त्यागी सुभाषचंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन विद्रोह तथा वैराग्य का आग्नेयगिरि बना रहा, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात हो सकती है ।

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ – ऐसी गर्जना करने वाले भारत माता के वीर सपूत सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राजनीति के क्षितिज पर ध्रुव तारे ही भाँति निश्चल, काल की भांति निर्भीक एवं हिमालय की भांति अटल रहे । भारत माता के इस महान सपूत ने सहस्रों भारतीयों को स्वाधीनता की दीपशिखा पर परवानों की भांति जलना सिखाया ।

सुभाषचन्द्रबोस का जन्म उड़ीसा राज्य के ‘कटक’ शहर में 23 जनवरी सन् 1897 ई. को हुआ था । आपके पिताजी श्री रायबहादुर जानकी नाथ बोस कटक खुनिसिपैलिटी तथा जिला बोर्ड के प्रधान थे तथा नगर के एक सुप्रसिद्ध वकील थे ।

आपके भाई श्री शरतचन्द्र बोस एक महान देशभक्त तथा स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी थे । सुभाष चन्द्रकी आरम्भिक शिक्षा एकयूरोपियन स्कूल से हुई थी । सन् 1913 में आपने मैट्रिक की परीक्षा में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया था ।

इसके पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आपने ‘प्रेजीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश ले लिया । वहाँ ‘ओटेन’ नाम का अंग्रेज प्रोफेसर सदैव भारतीयों की निन्दा करता था, जो सुभाषचन्द्र से जरा भी सहन नहीं होता था इसीलिए उन्होंने उस अध्यापक की पिटाई कर दी ।

उस दिन से उसने भारतीयों का अपमान करना तो बन्द कर दिया, परन्तु सुभाष को भी कॉलेज से निलम्बित कर दिया गया । फिर आपने ‘स्कॉटिश चर्च’ कॉलेज में दाखिला लिया तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए, आनर्स किया ।

सन् 1919 में इंग्लैण्ड से आईसीएस. की परीक्षा पास करके भारत लौट आए । परन्तु आई.सी.एस. की परीक्षा पास करके भी उन्होंने उसे त्याग दिया क्योंकि वे अंग्रेजों के अधीन रहकर सेवा करना अपने देश का अपमान समझते थे । देशबत्र चितरंजनदास का प्रभाव-सुभाष चन्द्र बोस के जीबन पर देशबमृ चितरंजन दास का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा ।

वे उनके द्वारा स्थापित की गई ‘स्वराज पार्टी’ में काम करने लगे तथा उनके द्वारा निकाले गए ‘अग्रगामी पत्र’ का सम्पादन भार ले लिया । प्रिन्स ऑफ बेल्ट के आगमन पर उन्होंने बंगाल में उनके बहिष्कार आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वर्मा के मांडले जेल भेज दिया, किन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें 17 मार्च, 1927 को रिहा कर दिया गया ।

राजनीतिक जीबन:

सुभाष चन्द्र बोस भारतीय नेताओं के औपनिवेशिक साम्राज्य की माँग से पूर्णतया सहमत नहीं थे वे तो पूर्ण स्वतन्त्रता के अभिलाषी थे । अग्रिम वर्ष के कांग्रेस अधिवेशन में यही प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया । कांग्रेस में गरम ब नरम दो दल थे । सुभाष चन्द्र बोस गरम दल के नेता थे तथा महात्मा गाँधी नरम दल के ।

बे गाँधी जी के विचारों से सहमत नहीं थे । उनका मानना था कि केबल सत्य तथा अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं की जा सकती है वरन् हमें अंग्रेजों से अपने अधिकार पाने के लिए लड़ना पड़ेगा और यदि इसके लिए खून की नदियाँ भी बहानी पड़े, तो कोई गलत कार्य नहीं होगा ।

परन्तु बिचारों में मतभेद होते हुए भी वे गाँधी जी का पूर्ण सम्मान करते थे तथा उनके साथ मिलकर काम करते थे । सन् 1929 ई. के ‘नमक कानून तोड़ो आन्दोलन’ का नेतृत्व सुभाष जी ने ही किया था । सन् 1938 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए ।

बाद में नेताजी ने विचार न मिलने के कारण कांग्रेस दल से इस्तीफा दे दिया तथा ‘फॉरबर्ड ल्लॉक’ की स्थापना की, जिसका लक्ष्य ‘पूर्ण स्वराज्य’ तथा हिनू-मुस्तिम एक्ता था । आजाद हिन्द फौज का गठन तथा मृत्यु-सन् 1940 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत रक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया, किन्तु जेल में नेता जी ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी ।

तब सरकार ने उन्हें जेल से मुक्त कर घर में ही नजरबन्द कर दिया । एक रात सबकी आँखों में धूल झोंककर एक मौलवी के वेष में आप घर से बाहर निकल आए । वहाँ से वे पहले कलकत्ता तथा फिर पेशावर पहुँच कर । पेशावर में सुभाषचन्द्र, उत्तमचन्द्र नामक व्यक्ति की मदद से एक गूँगे मुसलमान का वेष धारण कर काबुल पहुँच गए और फिर वहाँ से जर्मनी गए ।

जर्मनी में ही आपने ‘आजाद हिन्द फौज’ की नींव रखी । नेता जी का विचार था कि अहिंसक आन्दोलनों से ब्रिटिश सरकार भारत नहीं छोड़ेगी, अपितु हमें तो उन्हें मारकर भगाना होगा । इसी उद्‌देश्य से उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ बनाई थी ।

उन्होंने नवयुवकों को देश भक्तिके लिए लड़ना सिखाया । परिणामस्वरूप सैकड़ों नवयुवक ने अपने खून से हस्ताक्षर कर एक पत्र नेताजी को दिया । विश्व के 19 राष्ट्रो ने ‘आजाद हिन्द फौज’ को स्वीकार कर लिया । ‘जय हिन्द’ तथा ‘दिल्ली चलो’ नारी से ‘इम्फाल’ तथा ‘अरामान’ की पहाड़ियों गूँज उठी ।

आजाद हिन्द फौज ने जापान की मदद से मलाया तथा वर्मा के अंग्रेजों को मार गिराया तथा पूर्वोत्तर में भारतभूमि पर तिसौ लहरा दिया, किन्तु द्वितीय विश्बयुद्ध में जापान की हार के कारण आपकी सारी योजनाओं पर पानी फिर गया ।

23 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो से यह शोक समाचार प्रकाशित हुआ कि नेता जी एक विमान दुर्धटना में मारे गए । किसी को भी नेता जी का शव नहीं प्राप्त हुआ इसलिए किसी ने भी इस बात पर विश्वास नहीं किया । परिणामत: नेता जी की मृउ आज भी एक रहस्य बनी हुई है ।

सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र विश्वास तथा सम्मान के साथ ‘नेताजी’ की उपाधि प्राप्त करने बाले सुभाष चन्द्र बोस की देशभक्ति आज भी हम भारतीयों के लिए प्रेरणा-स्रोत है । आज भी उनके गाए गीत ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ हमारे कानो में गूँज रहे हैं । बे तो अद्‌भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे तभी तो सभी उनकी वाणी के आकर्षण में फँस जाते थे तथा उन्हें अपना आदर्श मानते थे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 13

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति का गौरव प्राप्त करने वाले डी. राजेन्द्र प्रसाद सादगी, सत्यनिष्ठा, पवित्रता, योग्यता तथा विद्वता की पूर्ति थे । आपने ही भारतीय ऋषि परम्परा को पुनर्जीवित किया तथा सादगी तथा सरलता के कारण किसान जैसा व्यक्तित्व पाकर भी पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया ।

राजेन्द्र बाबू जैसे महान व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1884 ई. को बिहार राज्य के सरना जिले के एक सुप्रतिष्ठित एवं संभ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था । आपके पूर्वज तत्कालीन हधुआ राज्य के दीवान रह चुके थे ।

आरम्भिक शिक्षा ‘उर्दू’ भाषा में प्राप्त करने के पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आप कोलकाता आ गए । प्रारम्म से अन्त तक आपने प्रत्येक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । इसके बाद आप वकालत करने लगे तथा कुछ ही दिनों में आपकी गणना उच्च श्रेणी के उच्चतम वकीलों में की जाने लगी ।

देश प्रेम की भावना-रोलट एक्त से आहत होकर आपका स्वाभिमानी मन देश की स्वतन्त्रता के लिए बेचैन हो उठा तथा गाँधी जी द्वारा चलाए गए ‘असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेकर आप देश सेवा में जुट गए । प्रारम्भ में आप राष्ट्रीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले से बहुत प्रभावित थे तथा उसके बाद महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व की सादगी ने तो जैसे आपको पूर्णरूपेण अपने वश में कर लिया था ।

आपको महान बनाने में इन दोनों महापुरुषों का विशेष योगदान रहा है । सन् 1905 ई. पूना में स्थापित सर्वेण्ट्स ऑफ इण्डिया सोसायटी की ओर आकर्षित होते हुए भी राजेन्द्र बाबू अपनी अन्तः प्रेरणा से गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति समर्पित हो गए तथा आजीवन गाँधी जी द्वारा बताए पथ पर ही चलते रहे ।

राजेन्द्र प्रसाद न केबल बिनम्र तथा विद्वान ही थे, वरन् अपूर्व सूझ-बूझ एवं संगठन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति थे । अपनी लगन एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से शीघ्र ही आप गाँधीजी के प्रिय पात्रों के साथ-साथ शीर्षस्थ राजनेताओं में भी महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुके थे ।

प्रारम्भ में आपका कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा । आपने सदैव बिहार के किसानों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया । सन् 1934 में बिहार राज्य में आने वाले भूकम्प के कारण उत्पन्न विनाशलीला के मौके पर आपने पूरी लगन तथा कुशलता से पीड़ित जनता को राहत पहुँचाई जिससे पूरा बिहार राज्य आपका अनुयायी बन गया ।

डी. राजेन्द्र प्रसाद अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के साथ आजीवन जुड़े रहें । उन्होंने सदा ही गाँधी जी का समर्थन किया । एक निष्ठावान कार्यकर्ता एवं उच्चकोटि के राजनेता होने के कारण आप दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस दल के सर्वोच्च पद अध्यक्ष पक पर भी निर्वाचित किए गए ।

कांग्रेस के समर्थकों का मत है कि जैसा सौहार्दपूर्ण वातावरण कांग्रेस दल में राजेन्द्र बाबू के समय में था, उससे पहले या बाद में आज तक कभी भी नहीं रहा । आप छोटे बड़े सभी कार्यकर्त्ताओं की समस्या ध्यानपूर्वक सुनते थे तथा उसका समाधान भी निकाल लेते थे ।

राष्ट्रपति पद पर सुशोभित:

लगातार अनगिनत संघर्षों के परिणामस्वरूप सन् 1947 ई. को जब भारतवर्ष स्वतन्त्र हुआ, तब देश का संविधान तैयार करने वाले दल का अध्यक्ष डी. राजेन्द्र प्रसाद को ही चुना गया । भारत का सविधान बन जाने के पश्चात् 26 जनवरी, सन् 1950 को जब उसे लागू और घोषित किया गया, तब उसकी माँग के अनुसार स्वतन्त्र गणतन्त्र का प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव डी. राजेन्द्र प्रसाद को भी प्राप्त हुआ ।

निःसन्देह आप ही इस पद के लिए सर्वाधिक सक्षम एवं उचित अधिकारी थे । सन् 1957 में पुन: आपने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया ।

राष्ट्रपति भवन के वैभवपूर्ण वातावरण में रहकर भी आपने अपनी सादगी तथा पवित्रता को कभी भी नहीं छोड़ा । यद्यपि हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने जैसे कुछ विषयों पर आपका तत्कालीन प्रधानमन्त्री से कुछ मतभेद भी अवश्य हुआ परन्तु आपने अपने पद की गरिमा को सदैव बनाए रखा ।

दूसरी बार का राष्ट्रपति काल समाप्त कर आप बिहार के ‘सदाकत’ आश्रम में जाकर रहने लगे । सन् 1962 में उत्तर-पूर्वी सीमांचल पर चीनी आक्रमण का सामना करने का उद्‌घोष करने के पश्चात् आप अस्वस्थ रहने लगे तथा आपका देहावसान हो गया । मरणोपरान्त आपको ‘भारत रल’ से विभूषित किया गया । हम भारतीय सदा आपके समक्ष नतमस्तक रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 14

शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

भारत माता के स्वतन्त्रता के इतिहास को जिन शहीदों ने अपने रक्त से लिखा है, जिन शूरवीरों के बलिदानों ने भारतीय जनमानस को सर्वाधिक उद्धिग्न किया है, जिन्होंने अपनी रणनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवा दिए, जिन्होंने परतन्त्रता की बेड़ियों को चकनाचूर कर स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन देश भक्तों पर मातृभूमि को गर्व है, उनमें भगतसिंह का नाम सर्वोपरि है ।

भगतसिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था । आपके पिता सरदार किशनसिंह एवं उनके दो चाचा स्वर्णसिंह तथा अजीत सिंह अंग्रेजों के विरोधी होने के कारण जेल में बन्द थे ।

संयोगवश, जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए थे, उसी दिन उनके चाचा जेल से रिहा हो गए थे । इस शुभ घड़ी के मौके पर भगतसिंह के घर में दोहरी खुशी मनाई गई । उसी समय उनकी दादी ने उनका नाम भगत (अच्छे भाग्यवाला) रख दिया था । बाद में अऊाप ‘भगतसिंह’ कहलाने लगे ।

स्कूल के तंग कमरों में बैठना आपको अच्छा नहीं लगता था । आप कक्षा छोड्‌कर खुले मैदानों में घूमने निकल पड़ते थे तथा आजादी चाहते थे । प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् भगतसिंह को 1916 में लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में भरती करा दिया गया । वहाँ आप लाला लाजपतराय तथा सूफी अम्बा प्रसाद जैसे देशभक्तों के सम्पर्क में आए ।

देशभक्ति की भावना:

एक देशभक्त परिवार में जन्म लेने के कारण भगतसिंह को देशभक्ति तथा स्वतन्त्रता का पाठ विरासत में मिला था । 3 अप्रैल 1919 में ‘रोलट एक्ट’ के विरोध में सम्पूर्ण भारत में प्रदर्शन हो रहे थे तथा इन्हीं दिनों जलियाँबाला बाग काण्ड भी हुआ ।

इनका समाचार सुन भगतसिंह लाहौर से अमृतसर पहुंचे । वहाँ उन्होंने शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की तथा रक्त से भीगी मिट्टी को एक बोतल में रख लिया जिससे सदा यह बात स्मरण रहे कि उन्हें अपने देश तथा देशवासियों के अपमान का बदला लेना है ।

1920 के ‘असहयोग आन्दोलन’ से प्रभावित होकर 1921 में आपने ष्फ छोड़ दिया । उसी समय लाला लाजपतराय ने लाहौर में ‘नेशनल कॉलेज’ की स्थापना की थी । भगतसिंह ने भी इसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया । वहाँ आप यशपाल, सुखदेव, तीर्थराम आदि क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आए ।

सन् 1928 को ‘साईमन कमीशन’ का विरोध करने के लिए लाला लाजपतराय के नेतृत्व में एक जुलूस कमीशन का विरोध शान्तिपूर्वक कर रहा था । किन्तु यह विरोध अंग्रेजों से सहन नहीं हुआ और उन्होंने लाठी चार्ज करवा दिया ।

इस लाठी चार्ज में लालपतराय घायल हो गए तथा 17 नवम्बर, 1928 को लालाजी चल बसे । यह सब देखकर भगतसिंह के मन में विद्रोह की ज्वाला और भी तीब्र हो गई । लालाजी की हत्या का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपत्विकन एसोसिएशन ने भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जय गोपाल तथा आजाद को यह कार्य सौंपा । इन क्रान्तिकारियों ने साठडर्स को मारकर लालाजी की मौत का बदला लिया तथा इस घटना से भगतसिंह और भी अधिक लोकप्रिय हो गए ।

हिन्दुस्तान समाजवादी गणतन्त्र संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की सभा में पन्तिक ‘सेफ्टी बिल’ तथा ‘डिज्ब बिल’ पर चर्चा हुई । इसका विरोध करने के लिए भगतसिंह ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने का प्रस्ताव रखा । इस कार्य को करने के लिए भगतसिंह अड गए कि यह कार्य वह स्वयं करेंगे, हालांकि आजाद इसके विरुद्ध थे ।

इस कार्य में ‘बटुकेश्वर दत्त’ ने भगतसिंह का साथ दिया । 12 जून, 1929 को सेशन जज ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अन्तर्गत उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई । इन दोनों देशभक्तों ने सेशन जज के निर्णय के विरुद्ध लाहौर हाईकोर्ट में भी अपील की । यहाँ भगतसिंह ने भाषण दिया, परन्तु हाईकोर्ट के सेशन जज ने भी उनकी सजा को मान्यता दी ।

आजाद ने भगतसिंह को छाने की पूरी कोशिश की । तीन महीनों तक अदालत की कार्यवाही चलती रही । अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 129 के अन्तर्गत उन्हें अपराधी घोषित करते हुए 7 अक्तूबर सन् 1930 को 68 पृष्ठीय निर्णय दिया, जिसमें भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फाँसी की सजा सुनाई गई ।

इस निर्णय के विरुद्ध नवम्बर 1930 में प्रिवी परिषद् में अपील भी की गई, परन्तु यह अपील 10 जनवरी, 1931 को रह कर दी गई । फाँसी की सजा-फाँसी का समय प्रातः काल 24 मार्च, 1931 को निश्चित हुआ था पर सरकार ने प्रातःकाल के स्थान पर संध्या समय तीनों देशभक्त क्रान्तिकारियों को एक साथ फाँसी देने का निर्णय लिया ।

फाँसी लगाने से पूर्व जेल अधीक्षक ने भगत सिंह से कहा, ”सरदार जी । फाँसी का समय हो गया है , आप तैयार हो जाइए ।” उस समय भगतसिंह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे । वे बोले, “ठहरो । एच्छ क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है” और वे जेल अधीक्षक के साथ चल पड़े ।

जब सुखदेव तथा राजगुरु को भी फाँसी स्थल पर लाया गया तो तीनों ने अपनी आएँ एक दूसरे के साथ बाँध दी । तीनों एक साथ गुनगुनाए-

”दिल से निकलेगी, नमस्कार भी वतनकी उलफत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-एवतन आएगी ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 15

डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

समाज के नियम कानून सभी कुछ परिवर्तनशील होता है । इन परिवर्तनों में कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाते हैं । समाज में ये परिवर्तन हमारे महापुरुष ही ला पाते हैं । इस प्रकार की महान विभूतियों में डी. भीमराव अम्बेडकर का नाम सर्वोपरि है ।

तभी तो उन्हें अपनी योग्यता तथा सक्रिय कार्यशक्ति के आधार पर उनकी जन्म शताब्दी पर सन् 1990 में ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया था । डी. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारतवर्ष के प्रमुख विधिवेता राष्ट्रीय नेता तथा महान समाज-सुधारक थे । वे मानब-जाति की सेवा करना ही अपना परम लक्ष्य मानते थे क्योंकि दलितों, शोषितों तथा पीडितों की दर्दनाक आवाज उन्हें बेचैन कर देती थी ।

डी. भीमराव अम्बेडकर का जन्म महाराष्ट्र के महूं छावनी में 14 अप्रैल सन् 1891 ई. को अनुसूचित जाति के एक निर्धन परिवार में हुआ था । आपका बचपन का नाम ‘भीम सकपाल’ था तथा आप अपने माता-पिता की चौदहवीं सन्तान थे । आपके पिता श्री राम जी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यपक थे ।

उन्हें गणित, अंग्रेजी तथा मराठी आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त था । आपके घर का वातावरण धार्मिक था । आपकी माताजी का नाम श्रीमती भीमाबाई था । बचपन में भीमराव बहुत ही तार्किक तथा शरारती स्वभाव वाले बालक थे, किन्तु पढ़ाई में भी आप बहुत मेधावी थे ।

आपने 1907 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष आपका विवाह ‘रामबाई’ के साथ हो गया । सन् 1912 ई. में आपने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की उसके पश्चात् जब आपको बड़ौदा नरेश से आर्थिक सहायता मिलने लगी तो सन् 1913 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने न्यूयार्क चले गए ।

इसके पश्चात् लन्दन, अमेरिका, जर्मनी आदि में रहकर भी आपने अध्ययन किया । सन् 1923 ई. तक आप एमए, पी.एच.डी. तथा बैरिस्टर बार एट ली बन चुके थे । इसके अतिरिक्त आपने अर्थशास्त्र, कानून तथा राजनीति शास्त्र का गहन अध्ययन किया था ।

सामाजिक कार्य :

डी भीमराव अम्बेडकर ने बचपन से ही जातिगत असमानता तथा ख्याछूत को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए उनके मन में एक विद्रोह भावना ने जन्म ले लिया था । 1923 से 1931 तक का समय डी. भीमराव के लिए संघर्ष एवं सामाजिक अभुदय का समय था । वे तो दलित वर्गका उद्धार करने वाले प्रथम नेता थे । दलितों में अपना विश्वास पैदा करने के लिए आपने ‘मूक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया, जिससे दलितों का बिश्वास डी. अम्बेडकर के प्रति जागने लगा ।

आपने ‘गोलमेज’ सम्मेलन लन्दन में भाग लेकर पिछड़ी जातियों के लिए अलग चुनाव पद्धति तथा कुछ विशेष माँगे अंग्रेजी शासकों से स्वीकार करवायी । आप तो सदा ही दलितों से यह अनुरोध करते थे- ”शिक्षित बनकर संघर्ष करो तथा संगठित होकर कार्य कसे ।”

यह सब वे इसलिए कहते थे क्योंकि वे सदा सोचते थे कि जब उन जैसे पड़े लिखे लोगों को भी दलित जाति के नाम पर इतना अपमान सहना पड़ता है तो फिर अनपढ़ लोगों को क्या-क्या नहीं सहना पड़ेगा । 27 मई, 1935 ई. में आपकी धर्मपली रामबाई का स्वर्गवास हो गया, जिसने आपको अन्दर तक झकझोर दिया ।

बिधिवेता तथा संविधान निर्माता-स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू की मुलाकात डी. भीमराव अम्बेडकर से हुई । उन्होंने 3 अगस्त, 1947 को उन्हें स्वतन्त्र भारत के प्रथम मन्त्रिमंडल में विधिमन्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया तथा 21 अगस्त, 1947 को भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष चयनित किया गया ।

डी. अम्बेडकर की अध्यक्षता में ही भारत के लोकतान्त्रिक, धर्म निरपेक्ष एवं समाजवादी संविधान की रचना हुई थी, जिसमें प्रत्येक मनुष्य के मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की सुरक्षा की गई 126 जनवरी, 1950 को भारत का वह संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया ।

बौद्ध धर्म एवं डा. अम्बेडकर:

3 अकतुबर, सन् 1935 को डी. भीमराव ने अपने धर्मान्तरण की घोषणा की तथा बौद्ध धर्म अपना लिया । उन्होंने दलितों तथा श्रमिकों में नवीन चेतना जाग्रत करने तथा उन्हें सुसंगठित करने के लिए अगस्त, 1936 में स्वतन्त्र मजदूर दल की स्थापना की थी ।

वे प्रत्येक दलित को शिक्षित एवं जागरुक बनाना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित किए बिना उनमें जाति लाना असम्भव है । 20 जून, 1946 को आपने सिद्धार्थ महाविद्यालय की स्थापना की । दिसम्बर, 1954 में डी अम्बेडकर विश्व बौद्ध परिषद में हिस्सा लेने ‘रंगून’ गए तथा बौद्ध धर्म के नेता के रूप में ‘नेपाल भी गए । 14 अक्तुबर, सन् 1956 को डी. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । आपने भगवान बुद्ध तथा उनका धर्थ नामक ग्रन्ध की भी रचना की जिसका समापन दिसम्बर, 1956 में हुआ ।

तत्कालीन समाज:

डा. अम्बेडकर का जन्म उस वर्ग में हुआ था जिसे अइन्धविस्वार्सी के कारण हिन्दू समाज में निम्न वर्गीय माना जाता था । इसके लिए हरिजनों को पग-पग पर अपमानित किया जाता था । दलित वर्ग का व्यक्ति चाहे शिक्षित हो या अनपढ़, उसे अछूत ही समझा जाता था ।

उसे कोई छू ले तो वह तुरन्त स्नान करता था । धार्मिक स्थानों पर उनका आना-जाना वर्जित था । परन्तु डा. अम्बेडकर जैसा जागरुक व्यक्ति इस सामाजिक भेदभाव, विषमता तथा निन्दा से भी झुका नहीं । उन्होंने तो स्वयं को इतना शिक्षित बनाया कि वे किसी भी व्यक्ति का सामना निडर होकर कर सके ।

डा. भीमराव अम्बेडकर जैसा दलितों का मसीहा 6 दिसम्बर, 1956 को इस संसार से चला गया । सन् 1990 में देश के प्रत्येक कोने में उनकी जन्म शताब्दी पर अनेक समारोह किए गए तथा उन्हें मरणोपरांत ‘भारत-रत्न’ से विभूषित किया गया ।

युग को परिवर्तित कर देने वाले ऐसे महापुरुष यदा-कदा ही जन्म लेते हैं जो मरकर भी लोगों के हृदयों में जीवित रहते हैं । हम सब भारतीयों का यह कर्त्तव्य है कि हम डी. भीमराव अम्बेडकर के बताए पथ पर चले तथा छुआछूत, जाति-प्रथा आदि के भेदभाव को भूलकर मैत्रीभाव अपनाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 16

कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत माता की गोद में जन्म लेने वाले उन महान व्यक्तियों में गिने जाते हैं, जिन्हें अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए विश्व का सर्वाधिक चर्चित ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म भारत में अवश्य हुआ था, परन्तु उन्होंने स्वयं को किसी एक देश की सीमा में नहीं बँधने दिया । वे तो विश्वैव सुश्वकर के सिद्धान्त के अनुयायी थे । वे प्रत्येक जीक में उसी परमात्मा के अंश को विद्यमान देखते थे, जो उनमें है ।

उनके लिए न कोई मित्र था, न शत्रु, न कोई अपना था, न पराया । वे तो अच्छाई से प्यार करते थे और सभी को समान दृष्टि से देखते थे । तभी तो लोग उन्हें श्रद्धावश ‘गुरुदेव’ कहकर पुकारते थे । जन्मन्दरिचय एवं शिक्षा-इस महान आत्मा का प्रादुर्भाव 7 मई, 1861 को कलकत्ता में देवेन्द्रनाथ ठाकुर के यहाँ हुआ था ।

इनके पिताश्री बेहद धार्मिक एवं समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । इनके दादा जी द्वारिकानाथ राजा के उपाधिकारी थे । जब आप मात्र 14 वर्ष के थे, तभी आपकी माता जी का निधन हो गया था । रवीन्द्रनाथ बँधी-बँधाई शिक्षा पद्धति के विरुद्धे थे ।

यही कारण था कि जब बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल भेजा गया तो हर बार श्व में मन न लगने के कारण स्कूल छोड़कर आ गए । घरवाले यह सोचकर निराश रहने लगे कि शायद यह बालक अनपढ़ ही रह जाएगा । परन्तु नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था कि जो बालक स्कूली शिक्षा में मन न लगा सका, वह उच्चकोटि का अध्ययनशील हो ।

वे ज्ञानप्राप्ति के लिए खूब स्वाध्याय करते थे । उन्हें अखाड़े में पहलवानी करना तथा बंग्ला, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, विज्ञान की पुस्तकों का स्वयं अध्ययन करना तथा संगीत एवं चित्रकला में विशेष रुचि थी । उन्होंने अंग्रेजी का विशेष अध्ययन किया । स्वाध्याय के लिए वे 11 बार विदेश गए ।

पहली बार 17 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड गए तथा वहाँ रहकर उन्होंने कुछ समय तक यूनीवर्सिटी कॉलेज लन्दन में ‘हेनरी मार्ले’ से अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान अर्जित किया । उन्होंने अपने अनुभव के सम्बन्ध में जो पत्र लिखे, उन्हें उन्होंने यूरोप प्रवासेर पत्र के नाम से प्रकाशित किया ।

एक बार वे अपने पिता के साथ हिमालय की यात्रा पर भी गए जहाँ उन्होंने अपने पिता जी से संस्कृत, ज्योतिष, अंग्रेजी तथा गणित का ज्ञान प्राप्त किया । संगीत की शिक्षा उन्होंने अपने भाई ज्योतिन्द्रनाथ’ से प्राप्त की थी ।

वैवाहिक जीवन-सन् 1883 ई. में जब रवीन्द्रनाथ जी 22 वर्ष के थे, तो उनका विवाह एक शिक्षित महिला मृणालिनी के साथ हुआ । मृणालिनी सदैव उनके कार्यों में सहयोग देती थी । उनके पाँच बच्चे-हुए, परन्तु दुर्भागयवश 1902 में उनकी पत्नी का देहान्त हो गया ।

1903 और 1907 के मध्य उनकी बेटी शम्मी तथा पिता भी उन्हें छोड्‌कर चल बसे । इस दुख ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को अन्दर तक झकझोर दिया । उनका सबसे छोटा स्मैं समीन्द्रनाथ की भी अल्पायु में मृत्यु हो गई थी । सन् 1910 में अमेरिका से लौटने पर वे स्वयं को एकदम अकेला महसूस कर रहे थे, तभी उन्होंने प्रतिमा देवी नामक एक प्रौढ़ महिला से विवाह कर लिया ।

पूरे परिवार में पहली बार किसी ने सामाजिक परम्पराओं को तोड़कर एक विधवा नारी से विवाह करने का साहस्र किया था । तभी से रवीन्द्रनाथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के कार्यों में जुट गए ।

महत्त्वपूर्ण रचनाएँ:

ठाकुर साहब का साहित्य सृजन तो बाल्यकाल से ही आरम्भ हो गया था । उनकी सर्वप्रथम कविता सन् 1874 में तत्त्वभूमि पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । वे नाटकों में अभिनय भी किया करते थे । उनकी प्रमुख रचनाएँ ये हैं:

1 . कहानी संग्रह:

‘गल्प समूह’ (सात भागों मे), ‘गल्प गुच्छ’ (तीन भागों में) । इसके अतिरिक्त काबुलीवाला, दृष्टिदान, पोस्ट मास्टर, अन्धेरी कहाँ, छात्र परीक्षा, अनोखी चाह, डाक्टरी, पत्नी का पत्र आदि भी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ।

2. नाटक साहित्य:

‘चित्रांगदा, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन मायेरखेला, श्यामा, पूजा, रक्तखी, अचलायतन, फाल्गुनी, राजाओं रानी, शारदोत्सव, राजा आदि कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं ।

3. काव्य संग्रह:

कडिओ कोमल प्रभात संगीत, संध्या संगीत, मानसी, चित्रा नैवेध, बनफूल कविकाहिनी, छवि ओगान, गीतांजलि इत्यादि ।

4. उपन्यास साहित्य:

नौका डूबी, करुणा (चार अध्याय), गोरा, चोखेर वाली (आँख की किरकिरी) ।

‘ सर’ की उपाधि से उलंकृत :

रवीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक प्रतिभा से कोई भी अनजान नहीं । उनकी इसी प्रतिभा को ध्यान में रखकर ‘बंगीय साहित्य परिषद’ ने उनका अभिनन्दन किया था । इसी बीच टैगोर ने अपनी प्रमुख कृति गतिघ्रलि का भी अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया ताकि यह महान रचना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके ।

‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी में अनुवाद होने पर अंग्रेजी साहित्य मण्डल में एक सनसनी फैल गई । स्वीडिश अकादमी ने सर 1913 में ‘गीतांजली’ को ‘नोबल पुरस्कार’ के लिए चयनित किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर की ख्याति ब्रिटिश सम्राट पंचम जार्ज तक पहुँच चुकी थी इसीलिए सम्राट ने टैगोर साहब को सर की उपाधि से सम्मानित किया ।

इसके कुछ समय पश्चात् अंग्रेजों की कूरता का प्रमाण जलियाबाला बाग हत्याकांड के रूप में सामने आया । रवीन्द्रनाथ जैसा संवेदनशील तथा साहित्यिक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति भला इस दुखद घटना से अछूता कैसे रह पाता इसलिए बहुत दुखी मन से रवीन्द्रनाथ ने अंग्रेजों की दी हुई ‘सर’ की उपाधि उन्हें वापिस कर दी ।

दुर्भाग्यवश 7 अगस्त 1941 को यह साहित्यिक आत्मा हमें सदा के लिए छोड़कर चली गई । हर भारतीय को बहुत क्षति हुई । निःसन्देह रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने समय के साहित्य के जनक थे । वे सदैव भारतवासियों को अपनी उच्चकोटि की रचनाओं द्वारा प्रेरित करते रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 17

स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

भारतभूमि योगियों, ऋषियों, मुनियों तथा त्यागियों की भूमि है, तभी तो हमारे देश की धरती का गौरव सर्वत्र हैं । महापुरुषों का उदय अपने देश को ही गौरान्वित नहीं करता, अपितु पूरे विश्व को अपने प्रकाश से प्रकाशवान कर देता है । देश को प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानन्द का नाम बड़े आदर से लिया जाता है ।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 फरवरी सन् 1863 ई. को कलकत्ता में हुआ था । आपके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था । आपके पिता श्री विश्वनाथ दत्त, पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्कृति के पुजारी थे । आपकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी संस्कारवान महिला थी, जिनका प्रभाव किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त पर पड़ा था ।

स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही प्रतिभाशाली तथा विबेकी थे । आपको पाँच वर्ष की आयु में अध्ययनार्थ मेट्रोपोलिटन इप्सीट्‌यूट विद्यालय भेजा गया, लेकिन पढ़ाई में अधिक रुचि न होने के कारण बालक नरेन्द्रनाथ का अधिकतर समय खेलने-कूदने में ही बीतता था ।

सन् 1879 में आपने ‘जनरल असेम्बली कॉलेज’ में प्रवेश लिया । व्यक्तित्व की विशेषताएँ-स्वामी जी पर अपने पिता के पश्चिमी संस्काद्यें का प्रभाव न पड़कर अपनी माता के धार्मिक आचार-विचारों का प्रभाव पड़ा था । यही कारण था कि स्वामी जी अपने आरम्भिक जीवन से ही धार्मिक प्रवृत्ति में ढलते गए तथा धर्म के प्रति आश्वस्त होते रहे । उनका जिज्ञासु मन सदैव ही ईश्वरीय ज्ञान की खोज में लगा रहता था ।

जब उनकी जिज्ञासा का प्रवाह अति तीव्र हो गया, तो वे अपने अशांत मन की शान्ति के लिए तत्कालीन सन्त रामकृष्ण परमहंस की छत्रछाया में चले गये । परमहंस जी पहली दृष्टि में ही विवेकानन्द की योग्यता और कार्यक्षमता को पहचान गए तथा उनसे बोले , ”तू कोई साधारण मानव नहीं है । ईश्वर ने तुझे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए ही इस धरती पर भेजा है । ”

नरेन्द्रनाथ भी स्वामी परमहंस जी के उत्साहवर्द्धक भाषण से बहुत प्रभावित हुए तथा उनकी आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्त्तव्य समझने लगे ।

पिताजी की मृत्यु के पश्चात् विवेकानन्द घर:

गृहस्थी को छोड़कर संन्यास लेना चाहते थे, किन्तु स्वामी परमहंस ने उन्हें समझाते हुए कहा, ”नरेन्द्र तू भी स्वार्थी मनुष्यों की भांति केवल अपनी मुक्ति की कामना करते हुए संन्यास चाहता है । संसार तो दुखी इन्सानों से भरा पड़ा है ।

उनका दुख दूर करने यदि तेरे जैसा व्यक्ति नहीं जाएगा, तो और कौन जाएगा । इसलिए निराशा से बाहर निकलकर मानव-जाति के कल्याण के बारे में सोचना तेरा कर्त्तव्य है ।” इन उपदेशों का नरेन्द्र के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने मानव-जाति को यह उपदेश दिया- ”संन्यास का वास्तविक अर्थ मुक्त होकर लोक सेवा करना है । अपने ही मोक्ष की चिन्ता करने वाला संन्यासी स्वार्थी होता हे । साधारण संन्यासियों की भांति एकान्त में केवल चिन्तन करते रहना जीवन नष्ट करना है । ईस्वर के साक्षात दर्शन तो मानव सेवा द्वारा ही हो सकते हैं । ”

नरेन्द्रनाथ ने स्वामी परमहंस जी की मृत्यु के उपरान्त शास्त्रों का विधिवत् गहन अध्ययन किया तथा ज्ञानोपदेश तथा ज्ञान प्रचारार्थ अमेरिका, ब्रिटेन आदि अनेक देशों का भ्रमण भी किया । सन् 1881 में नरेन्द्रनाथ संन्यास ग्रहण करके स्वामी विवेकानन्द बन गए ।

31 मई सन् 1883 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुए सर्वधर्म सम्मेलन में आपने भी भाग लिया तथा अपनी अद्‌भुत विवेक क्षमता से सबको चकित कर दिया । 11 सितम्बर सन् 1883 को आरम्भ हुए इस सम्मेलन में जब आपने सभी धर्माचार्यो को भाइयों तथा बहनों कह कर सम्बोधित किया तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से आपका जोरदार स्वागत किया ।

वहाँ पर स्वामी जी ने कहा- “पूरे विश्व का एक ही धर्म है-मानव धर्म । इसके प्रतिनिधि विश्व में समय-समय पर परमहंस, रहीम, राम, क्राइस्ट आदि नामों से जाने जाते रहे हैं । जब ये ईश्वरीय ह मानव धर्म के संदेशवाहक बनकर धरती पर अवतरित है ? तो आज पूरा संसार अलग-अलग धर्मो में विभक्त कयों है ? धर्म का उद्‌गम तो प्राणी मात्र की शान्ति के लिए हुआ है, परशु आज चारों ओर अशान्ति के बादल मँडरा रहे हैं । अत: आज विश्व शान्ति के लिए सभी को मिलकर मानव-धर्म स्थापना कर उसे सुदृढ़ करने का प्रयत्न करना चाहिए ।”

स्वामी जी के इन व्याख्यानों से पूरा पश्चिमी विश्व अचम्भित भी हुआ तथा प्रभावित भी हुआ । इसके पश्चात् अमेरिकी धर्म संस्थानों ने स्वामी जी को कई बार अपने यहाँ आमन्त्रित किया । परिणामस्वरूप वहाँ अनेक स्थानों पर वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान भी खुलते गए ।

आज इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि अनेक शहरों में वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान निर्मित हैं । स्वामी विवेकानन्द ने अनेक आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रन्धों की रचना की है, जो आठ भागों में संकलित है । जीवन के अन्तिम क्षणों में आप ‘बेलूर मठ’ में रहने लगे थे । आपका देहावसान 5 जुलाई, 1908 को रात 9 बजे हुआ था ।

आज भी स्वामी जी के दिए उपदेश हर किसी को याद हैं- ”भारत का जीवन उनकी आध्यात्मिकता में अन्तर्निहित है । बाकी समस्त प्रश्न इसी के साथ जुड़े हैं । भारत की मुक्ति सेवा तथा त्याग द्वारा ही सम्भव है । दरीदों की उपेक्षा करना राष्ट्रीय पाप है तथा यही पतन का कारण है । ईश्वर तो इन दलितों में ही बसता है इसलिए ईश्वर के बदले इन्हीं की सेवा करना हमास राष्ट्रीय धर्म है ।”

स्वामी विवेकानन्द इस देश की वह ज्योति है जो अनन्तकाल तक भारतीयों को प्रकाशवान करती रहेगी । स्वामी जी कहे ये शब्द- ‘उठो, जागो और अपने लस्थ प्राप्ति से पहले मत रुको ‘, आज भी अकर्मण्य मानव को पुरुषार्थी बनाने में सक्षम है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 18

गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

संसार भर में समय-समय पर अनेक साहसी, वीर तथा मानवता की उखड़ती हुई जड़ों को पुर्नस्थापित करने वाले महापुरुषों ने जन्म लिया है । ऐसे विरले महापुरुषों में गुरु नानक देव का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । गुरु नानक जी का मत था कि न मैं हिन्दू हूँ और न ही मुसलमान । मैं तो पाँच तत्त्वों के मेल से बना मनुष्य मात्र हूँ और मेरा नाम नानक है ।

जन्म तथा वंश परिचय:

चमत्कारी महापुरुषों एवं महान् धर्म प्रवर्त्तकों में अपना प्रमुख स्थान रखने वाले सिख धर्म के प्रवर्त्तक गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिया संवत् 1526 को लाहौर जिले के ‘तलवंडी’ नामक ग्राम में हुआ था, जो आजकल ‘ननकाना साहब’ के नाम से जाना जाता है ।

यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर से लगभग ख मील दूर स्थित है । आपके पिता श्री कालूचन्द वेदी तलबंदी के पटवारी थे । आपकी माता श्रीमती तृप्ता एक बेहद साध्वी, दयातु, शान्त तथा कर्त्तव्यपराण प्रकृति की महिला थी । माता-पिता ने उन्हें शिक्षा-दीक्षा के लिए गोपाल पण्डित की पाठशाला में भेजा ।

बचपन से ही आप अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि बालक थे । आप एकान्त प्रिय तथा मननशील बालक थे । यही कारण था कि आपका मन शिक्षा या खेलकूद से कही अधिक आध्यात्मिक विषयों की ओर लगता था । तभी तो वे पण्डित गोपाल जी से मिलने पर पूछ बैठे, ”आप मुझे क्या पढ़ायेगें?” पण्डित जी ने कहा, ”गणित या हिन्दी” । इस पर गुरुनानक ने कहा, ”गुरु जी, मुझे तो करतार का नाम पढ़ाइने , इनमें मेरी रुख नहीं है ।” इस प्रकार ये बड़े ही तेजस्वी तथा असांसारिक व्यक्ति के रूप में सामने आए लेकिन उनकी इस वैराग्य भावना से उनके माता-पिता चिन्तित रहते थे ।

सच्चा सौदा-एक बार उनके पिता जी ने धन लेकर कार्य व्यापार करने के लिए उन्हें शहर भेजा, परन्तु गुरु नानक ने वह सारा धन साधुओं की एक टोली के भोजन-पानी पर खर्च कर दिया और पिताजी के पूछने पर घर आकर कह दिया कि वह ‘सच्चा सौदा’ कर आए हैं । उनके पिता ने इस बात पर बहुत क्रोध किया परन्तु गुरुनानक की दृष्टि में तो दूसरों की सेवा ही सच्चा व्यापार था ।

इसके पश्चात् उनके पिता ने उन्हें बहन नानक के पास नौकरी करने भेज दिया । वहीं पर उनके जीजा ने नानक को नवाव दौलत खाँ के गोदाम में नौकरी दिलवा दी । वहाँ पर भी नानक ने गोदाम में रखा सारा अनाज दीन-दुखियों तथा साधुओं में वितरित करवा दिया ।

गृहस्थ जीवन एवं धर्म-प्रचार:

जब नानक के माता-पिता उनकी आदतों से परेशान रहने लगे तो उन्होंने नानक को घर गृहस्थी के जाल में बाँधने के लिए उनका विवाह करवा दिया । उनके दो पुत्र श्री चन्द्र तथा लक्ष्मी चन्द्र हुए परन्तु पली तथा पुत्रों का मोह भी उन्हें अपने जाल में नहीं फँसा पाया ।

एक दिन आप घर छोड़कर जंगल की ओर चले गए तथा लापता हो गए । वहाँ पर लौटने पर लोगों ने देखा कि नानक के मुँह के चारों ओर प्रकाश चमक रहा है । ऐसा मत है की इसी दिन गुरुनानक का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था । आगे जाकर उन्होंने ‘बाला’ व ‘मरदाना’ नामक शिष्यों के साथ सारे भारत का भ्रमण किया ।

जगह-जगह पर साधु सन्तों से ज्ञान की बातें की तथा जन साधारण को अमृतवाणी का सन्देश दिया । भ्रमण करते समय आपने जगह-जगह धर्मशालाएं बनवाई । आज भी प्रयाग, बनारस, रामेश्वरम् आदि में निर्मित धर्मशालाएँ इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं । गुरुनानक देव के अमृत उपदेश ‘गुरु ग्रन्य साहब’ में संकलित हैं ।

उपदेश एवं यात्राएँ:

सर्वप्रथम गुरुनानक ने पंजाब का भ्रमण किया । वे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम चारों दिशाओं में घूमते रहे । वे इन यात्राओं के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे तथा लोगों को सुधारना भी चाहते थे । एक बार वे हरिद्वार की यात्रा पर गए जहाँ के अन्धविश्वासों का उन्होंने बलपूर्वक खण्डन किया ।

उत्तर भारत के सभी नगरों का भ्रमण कर वे रामेश्वरम् तथा सिंहल द्वीप तक पहुँचे, जिसे आज लंका कहते हैं । दक्षिण भारत से लौटकर आपने हिमालय प्रदेश का भी भ्रमण किया । टेहरी, गढ़वाल, हेमकूट, सिक्किम, भूटान तथा तिब्बत तक की यात्राएं भी आपने धर्म प्रचार के लिए की । यात्राएँ करते-करते एक बार वे मुसलमानों के तीर्थ स्थान ‘मक्का-मदीना’ तक पहुंच गए । इस बीच उनकी ख्याति सब ओर फैलने लगी तथा उनके शिष्यों की संख्या भी बढ़ने लगी ।

जीवन भर भ्रमण करते हुए तथा विभिन्न धर्मावलम्बियों के संसर्ग में रहते हुए आपने यह जान लिया था कि बाहर से चाहें सभी धर्मों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो, अलग-अलग नामों वाले देवी-देवता हो, परन्तु सभी धर्मों का सार एक ही है । सभी धर्म सेवा, त्याग, सच्चरित्रता तथा ईश्वर की अपार भक्ति की शिक्षा देते हैं ।

कोई भी धर्म हमें मिथ्याचार, आडम्बर या संकीर्णता नहीं सिखाता । ये तो मानव मात्र की पैदा की गई कुरीतियाँ हैं, जिन्हें हम अपने-अपने धर्म के साथ जोड़कर दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं । गुरुनानक का कहना था कि पाखण्ड को छोड़कर, आडम्बर से दूर भाग कर तथा भगवान से सच्ची लगन लगाकर ही शान्ति प्राप्त हो सकती है ।

भारतवासी उन्हें ‘हिन्द का पीर’ कहते थे । भ्रमण करते हुए जब नानक बगदाद से अपने देश पहुँचे तो उन्होंने पंजाब में ‘करतारपुर’ गाँव बसाया । सन् 1538 ई. में 70 वर्ष की आयु में गुरुनानक देव की मृत्यु हो गई । यूँ तो गुरु नानक देव की शिक्षा विविध प्रकार की है, फिर भी उनकी मुख्य शिक्षा यह थी हमें प्रत्येक परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए ।

अहंकार को पालने से ही सांसारिकता पैदा होती है तथा मानव मोह-माया के जाल में फँसता है । परिश्रम करके रोटी कमाना तथा दूसरों की सच्ची निस्वार्थ सेवा करना ही असली तप है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 19

महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

धर्म प्रधान वसुधा भारत पर अनेकानेक धर्म-प्रवर्तकों तथा महापुरुषों ने जन्म लिया है । योगी राज श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, धर्मपरायण युधिष्ठिर, महात्मा गौतम बुद्ध, गुरु नानक देव आदि ने भारत माता को ही सुशोभित किया है ।

ऐसे ही महान अवतारों में क्षमामूर्ति, अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर स्वामी का नाम सर्वोपरि हैं । जन्म-परिचय तथा बंश-जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व बिहार राज्य के वैशाली नगर के कुण्ड ग्राम में लिच्छवी वंश में हुआ था ।

आपकी माता का नाम त्रिशलादेवी तथा पिता का नाम श्री सिद्धार्थ था । महावीर स्वामी का जन्म उस समय हुआ था जब यज्ञों का महत्त्व बढ़ने के कारण केवल ब्राह्मणों की ही समाज में प्रतिष्ठा होती थी । पशुओं की बलि देने से यज्ञ विधान महँगे हो रहे थे इससे हर तरफ ब्राह्मणों का ही वर्चस्व बढ़ रहा था तथा वे अन्य जातियों को हीन तथा मलिन समझने लगे थे ।

इसी समय वृक्षोंने कृपा से महावीर स्वामी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझाने के लिए तथा परस्पर भेदभाव की खाई को भरने के लिए सत्यस्वरूप में इस पावन धरती पर अवतरित हुए थे । शैशवकाल में आपका नाम वर्धमान रखा गया । युवावस्था में एक भयंकर नाग तथा एक मस्त हाथी को वश में कर लेने के कारण सभी आपको ‘महावीर’ कहने लगे ।

युवावस्था में आपका विवाह यशोधरा नामक एक सुन्दर व सुशील कन्या से हुआ । फिर भी आप अपनी पली के प्रेमाकर्षण में नहीं बँध सके, अपितु आपका मन सांसारिक सुख-सुविधाओं से और अधिक दूर होता चला गया । आपका मन संसार से और भी अधिक तब उचट गया, जब आपके पिताजी का निधन हो गया ।

मायावी संसार को त्यागने के विचार आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन के समक्ष रखे । सभी प्रकार का सुख-वैभव होने पर भी आपका मन संसार में नहीं लग रहा था । आप घंटों एकान्त में बैठकर सांसारिक पदार्थों की नश्वरता के विषय में सोचते रहते थे ।

आप तो संसार से संन्यास लेने ही बाले थे, परन्तु अपने बड़े भाई के आग्रह पर दो वर्ष ग्रहस्थ जीवन के और काट दिए । इन दो वर्षों के अन्दर आपने दिल खोलकर दान-पुण्य किया तथा अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटने दिया ।

वैराग्य एवं साधना:

30 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी सभी राज-पाट, सुख-वैभव तथा पली तथा सन्तान का मोह छोड़कर घर से निकल पड़े तथा वनों में जाकर तपस्या करने लगे । अपने इस पथ के लिए आपने गुरुवर पार्श्वनाथ का अनुयायी बनकर लगभग बारह वर्षों तक अनवरत कठोर तप-साधना की थी ।

इस विकट तपस्या के फलस्वरूप आपको सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ । अब आप जंगलों की साधना को छोड़कर शहर में अपने साधनारत कर्मों का विस्तार करने लगे । लगभग 40 वर्ष तक आपने बिहार प्रान्त के उत्तर तथा दक्षिण भागों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया । आपका सबसे पहला प्रवचन राजगृह नगरी के समीप विपुलांचल पर्वत पर हुआ था ।

धीरे-धीरे आपके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई तथा दूर-दूर से लोग आपके प्रवचन सुनने आने लगे । आपने लोगों को अच्छा आचरण खान-पान में पवित्रता तथा प्राणीमात्र पर दया करने की शिक्षा दी । आपने अपने प्रवचनों में सत्य, अहिंसा तथा प्रेम पर विशेष बल दिया ।

जैन धर्म के सिद्धान्त:

महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर के रूप में आज भी सश्रद्धा तथा ससम्मान पूज्य एवं आराध्य हैं । जैन धर्म को मानने वाले ‘जैनी’ कहलाते हैं । जैन धर्म की दो शाखाएँ हैं-दिगम्बर तथा श्वेताम्बर । जो लोग निर्वस्त्र रहने लगे तथा जिन्होंने सब कुछ त्याग दिया, वे ‘दिगम्बर जैन’ कहलाए तथा जिन्होंने वस्त्र नहीं त्यागे वे ‘श्वेताम्बर जैन’ कहलाने लगे । जैन धर्म का मुख्य सार इन पाँच सिद्धान्तों में निहित हैं- सत्य , अहिंसा चोरी न करना, आवश्यता से अधिक कुछ भी संग्हित न करना तथा शुद्धाचरण ।

आज जैन धर्म के मानने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं । आज हर जगह जैन धर्म के मन्दिर, धर्मशालाएं, पुस्तकालय, औषधालय विद्यालय आदि निशुल्क मानव सेवा कर रहे हैं ।

महाबीर स्वामी की शिक्षाएँ:

महावीर स्वामी ने लोगों से सत्य, अहिंसा तथा प्रेम से रहने को कहा । इसके अतिरिक्त सम्यकज्ञान, समयकदमन तथा सम्यक चरित्र ये तीनों मुक्ति के मार्ग बताए हैं । इन मार्गो पर चलकर ही मानव सांसारिक बन्धनों से मुक्ति पा सकता है ।

कभी भी अपनी आवशकता से अधिक धन संचय मत करो । ऐसा करना पाप है क्योंकि एक के पास अधिक धन दूसरे को निर्धन बनाता है । इस प्रकार समाज में असन्तुलन बढ़ता है । महावीर स्वामी ने जाति प्रथा को भी समाप्त करने पर बल दिया ।

उनका मत था कि ऊँची जाति में जन्म लेकर ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता, वरन् कर्म करने से ही मनुष्य समाज में उच्च स्थान तथा सम्मान पाता है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात जिओ और जीने दो, अर्थात् इस दुनिया में सभी को जीवित रहने का अधिकार है । इसलिए मानव को एक छोटे से पतंगे का भी वध नहीं करना चाहिए ।

ईश्वर ही जन्मदाता तथा गुत्युदाता है, इसलिए इन्सान को किसी को भी मारने का अधिकार नहीं है । जो व्यवहार तुम अपने लिए चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम्हें दूसरों के साथ भी करना चाहिए । यही जीवन का सार है तथा यही मोक्ष का रास्ता है ।

निर्वाण प्राप्ति:

कार्तिक मास की अमावस्या को बिहार प्रान्त के पावापुरी में भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में अपने नाशवान शरीर को छोड्‌कर निर्वाण प्राप्त कर लिया तथा जन्म, जरा, आधि तथा व्याधि के बन्धनों से मुक्त होकर अमर हो गए ।

क्षमा, त्याग, प्रेम, दया, करुणा की मूर्ति भगवान महावीर की अभूतपूर्व शिक्षाएँ आज भी मानव-जाति का पथ-प्रदर्शन कर रही हैं । सच्चे अर्थों में मानव तथा फिर भगवान स्वरूप में आकर महावीर भगवान ने पूरी जन-जाति का उद्धार किया है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 20

नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

दुनिया भर में योग्यताओंको प्रोत्साहितकरनेकेलिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘नोबेल पुरस्कार’ विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है । यह विश्व की सर्वोत्तम रचना अथवा सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को दिया जाता है ।

यह पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है । इस दृष्टि से हमारा देश बहुत महत्त्वपूर्ण है । हमारे देश की महान विभूतियोंनुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, हरगोबिन्द खुराना, सीबीरमन, सुबस्रणयम् चन्द्रशेखर, मदर टेरेसा आदि को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

वर्ष 1998 का नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रो. अमर्त्य सेन को प्रदान किया गया है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो.अमर्त्य सेन प्रथम भारतीय ही नहीं, अपितु पूरे एशिया के प्रथम व्यक्ति हैं ।

जीबन परिचय एवं शिक्षा:

प्रो. अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर, 1933 को शान्ति निकेतन (पश्चिमी बंगाल) में हुआ था । ‘शान्ति निकेतन’ नामक संस्था की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी । अमर्त्य सेन ने स्नातक की परीक्षा कोलकत्ता के ‘प्रेसिडेन्सी कॉलेज’ से सन् 1953 ई. में पास की थी ।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए आप यूरोप चले गए । वहाँ ‘कैम्ब्रिज विश्बबिद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । वहाँ से लौटकर सन् 1956-58 ई. में जटिवपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू कर दिया । यहीं पर आपको डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया गया ।

कुछ समय के पश्चात् आपने सन् 1963-1968 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स विभाग में अध्यापन कार्य किया । इसके पश्चात् ऑक्सफोर्ड , हारवर्ड तथा कैम्ब्रिज आदि विश्वविद्यालयों में कई उच्च पदों पर आसीन रहे ।

प्रो. अमर्त्य सेन बहुत बड़े लेखक हैं । उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने 200 से भी अधिक अध्ययन-पत्र लिखे हैं । प्रो. अमर्त्य सेन के कार्य अत्यंत महान एवं सराहनीय हैं । उन्हें स्टॉकहोम के एक समारोह में 10 दिसम्बर, 1998 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इसके लिए उन्हें एक पदक तथा 76 लाख स्वीडिश क्रोनर (लगभग 4 करोड़) रुपए प्रदान किए गए । यह पुरस्कार उनके द्वारा कल्याणकारी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अनूठे योगदान के लिए दिया गया है । वास्तव में प्रो. सेन ने सामाजिक सिद्धान्त के चयन कल्याण तथा गरीबी की परिभाषा तथा अकाल के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

प्रो. अमर्त्य सेन को जब यह नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया तब उनसे किसी पत्रकार ने पूछा:

”नोबेल पुरस्कार प्राप्त करके आप कैसा महसूस कर रहे हैं । निःसन्देह यह आपके लिए अति हर्ष का क्षण है ।”

इसके जवाब में प्रो. सेन ने कहा, ”मैं वास्तव में बेहद खुश हूँ, क्योंकि जिस विषय पर मैं और बिश्व के अनेक अर्थशास्त्री कार्य कर रहे थे तथा अभी भी कर रहे है उस बिषय को आज मान्यता मिली है । यह बिषय केवल उन लोगों के लिए ही प्रासंगिक नहीं , जो सुखी तथा सम्पन्न जीवन जीना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें न तो भर पेट भोजन उपलब्ध है और न खई तन ढकने का कपड़ा तथा जीबन की न्यूनतम सुविधाएँ जैसे पीने का खन्स पानी , सिर के ऊपर छत व चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध नही हैं ।”

प्रो. अमर्त्य सेन की उपलब्धियाँ:

वे सही अर्थों में गरीबों के मसीहा है । उन्होंने निर्धनता को दूर करने तथा निर्धनता के कारणों जैसे अकाल के बारे में बहुत गहन अध्ययन किया है । उन्होंने उन सिद्धान्तों का खंडन किया है जो अन्न की कमी को ही ‘अकाल’ का कारण बताते हैं ।

इसके विरोध में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, ”अकाल ऐसे समय में हुए, जब अन्न की आपूर्ति पिछले अकाल रहित वर्षो से ज्यादा कम नहीं थी । यह सब प्रशासनिक व्यवस्था की असफलता के कारण ही हुआ था । उन्होंने आगे इसे इस प्रकार स्पष्ट है कि सन् 1944 ई. के बंगाल अकाल में 30 लाख से अधिक लोग अन्न के अभाव में नहीं मरे थे , अपितु सरकारी तन्त्र की अयोग्यता के कारण काल का ग्रास बने थे । ”

वास्तव में प्रो. अमर्त्य सेन हमारे देश की महान विभूति हैं । उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर हम सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है ।

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Top Hindi college essay topics for classes 6 to 12

Essay writing is a skill that you are expected to pick up during your academic career. practicing essay writing for languages such as hindi can be a wonderful way to develop your written abilities. here are the top hindi essay topics for classes 6 to 12, table of contents, college essay topics | here’s everything you should know, what are the top hindi essay topics for class 6 , what are the top hindi essay topics for class 7 , what are the top hindi essay topics for class 8 , what are the top hindi essay topics for class 9 .

  • What are the top Hindi essay topics for class 10? 

What are the top Hindi essay topics for classes 11 and 12? 

Key takeaways.

Hindi is a language that is spoken as a native tongue by more than 260 million people! As a result, Hindi has been incorporated into the syllabi of middle and high schools across the country. A core skill associated with language learning is writing clear and concise essays.

Essay writing is the stepping stone to developing your written abilities and language comprehension skills. If you are looking for interesting college essay topics from classes 6 to 12 to practice with, keep reading! 

Hindi essay topics for class 6 students are largely generic and easy to write. Some of the most popular topics for Hindi essay writing can range from technology to entertainment & festivals. 

Here are some interesting Hindi essay topics for class 6 students to practice writing with- 

  • Why is science important? 
  • The benefits of reading newspapers. 
  • The benefits of the internet. 
  • A brief essay on India’s Independence Day. 
  • What is the importance of education? 
  • What is your favorite subject in school? 
  • Who is Mahatma Gandhi ? 
  • Write an essay on your favorite animal. 
  • Write an essay about your family. 
  • Who is your favorite teacher? 

Each of the above Hindi essay topics is designed to allow you the room to explore your creativity and basic Hindi vocabulary. In almost all cases, teachers will give students prompts to help them write essays in Hindi.  

What is a good college essay topic?

In classes 7th and above, you will be encouraged to explore your creativity and connect your thoughts with basic Hindi grammar and sentence formation. While the degree of complexity of the Hindi essay topics is relatively similar to class 6, they may have a larger word count. 

Some of the best Hindi essay topics for class 7 include- 

  • Who is the Missile Man of India? 
  • What are the benefits of yoga? 
  • Write an essay on water pollution. 
  • Write an essay on Christmas.
  • How do you celebrate your birthday? 
  • What is your aim in life? 
  • What is the importance of trees? 
  • Write an essay on your father. 
  • Which is your favorite book and why? 
  • Who is your best friend?

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From class 8 onwards, Hindi essay topics get slightly more challenging and stimulating. 

Here are some of the top Hindi essay topics for class 8 students- 

  • Write an essay on sports. 
  • Write an essay on your favorite holiday. 
  • What is global warming? 
  • How can pollution be managed? 
  • What is your favorite school field trip?
  • Why is exercise important? 
  • Write about your visit to the Taj Mahal. 
  • What are the benefits of yoga?
  • Why are you proud to be an Indian? 

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Some of the best Hindi essay topics for class 9 students are as follows- 

  • Why are examinations important? 
  • Write an essay on nature? 
  • Who is your favorite celebrity and why? 
  • Where did you travel last summer? 
  • Write an essay about yourself. 
  • What are the most important moral values students should learn? 
  • How is life living in the city? 
  • Where do you want to study in the future? 
  • Write an essay on global warming. 

What are the top Hindi essay topics for class 10?  

From class 10 onwards, the Hindi essay topics become slightly more complex. This is primarily because by now, students have a clear understanding and strong vocabulary of the language. 

The top Hindi essay topics for class 10 students are as follows- 

  • Write an essay on raising environmental awareness. 
  • Which is your favorite sport and why? 
  • What are the different monuments in India? 
  • Why are friendships important? 
  • What are the major festivals celebrated in India? 
  • Why is physical fitness important?
  • Who is the ‘Father of Science’? 
  • What pet would you like to adopt? 
  • What do you like about your school?
  • Which is your favorite event conducted in school? 

Depending on the school and board of education, different higher secondary institutions across India focus on refining Hindi language skills further. This is done with intensive training; you will be expected to write essays on different ‌topics. 

Some of the best Hindi essay topics to work on for classes 11th and 12th include- 

  • What is the importance of family? 
  • India – A land of culture and diversity 
  • What are the benefits of technology? 
  • What are the disadvantages of mobile phones? 
  • What are mangroves?
  • What are the causes of pollution ? 
  • Write an essay on National Flag Adoption Day. 
  • Cleanliness is next to Godliness – Explain. 
  • Who is Lal Bahadur Shastri? 
  • Write an essay on Narendra Modi. 
  • Essay writing is an important part of learning a new language, such as Hindi. 
  • Writing an essay in Hindi necessitates a good vocabulary and a strong understanding of the discussed topic. 
  • The above list of popular Hindi essay topics will help you practice your writing skills to the best of your abilities. 

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Liked this blog? Read next: My hobby essay | How to write an amazing one!

Q1. What is the basic structure of an essay? 

Answer – The basic structure of an essay includes the introduction, body, and conclusion. 

Q2. How do I deal with writer’s block when writing an essay?

Answer – If you are faced with writer’s block, you can take a quick 5-minute break to reassess your thoughts before trying to write again!  Q3. How many words is a typical essay in Hindi?

Answer – Essays in Hindi typically do not exceed 500 to 600 words.

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I have a rudimentary RAG POC. I had chunked and embedded lots of essays on 21st Century skills. I posted a question to it in Hinglish, not at all expecting a useful answer! My question: kya critical thinking jaroori nahin hai - naye jobs ke liye? hinglish mein answer deejiye.

The response: Critical thinking naye jobs ke liye bilkul jaroori hai. AI aur automation ke samay mein, analytical thinking aur problem-solving skills ka mahatva badh raha hai. Kisi bhi dynamic workplace mein critical thinking ke bina kaam karna mushkil ho sakta hai. Isliye, critical thinking ek essential skill hai jo aaj ke naye jobs ke liye zaroori hai.

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It’s working so well because it is not using the text for searching a best match, it is using the semantic meaning behind that text, which while different in different languages still carries a close semantic similarity, the embedding model support code then computes the distance between your search term and the other entries and finds those closest.

I ran a few tests comparing cosine similarity text-embedding-ada-002 Cosine Similarity: 0.9200497187734469

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    50 Hindi Essay Topics -निबंध लिखने के लिए 20 मजेदार टॉपिक्स ... Not good topics . Newer Post. Older Post. Home. ad5 Powered by Blogger. Popular Posts. 100+ Debate Topics in Hindi for School Debate Competition 2017. आज इस आर्टिकल मे Debate Topics in Hindi के ...

  5. 300+ Hindi Essay And Speech Topics For School and College Students

    Current Essay Topics in Hindi 2021-2022 Essay topics in hindi Hindi Essay Topics for Class 12 Speech topics in hindi निबंध विषय भाषण विषय सूची. Share. Tomy Jackson. I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies.

  6. 70+विषयों पर निबंध (Essay In Hindi)

    नीचे हमने हिंदी में निबंध के लिए विषय (Topic For Essay In Hindi) दिए हुए हैं। आप हमारे द्वारा दिए गए Essay Topic In Hindi में अलग-अलग हिंदी के प्रसिद्ध निबंध

  7. निबंध लेखन Hindi Essay Writing on current topics for class 9, 10

    Essay Writing in Hindi | Nibandh Lekhan | List of Hindi Essay Topics for Class 9, 10 | Hindi Vyakaran. Nibandh Lekhan - Essay Writing in Hindi for Class 9 and 10 on Current National and International Topics. Essay in Hindi for Competitive Exams like UPSC, Bank PO, and other Government Exams.

  8. हिन्दी निबंध लेखन

    1 Comment / Essay / By saini. In this article, we are providing 300+ Hindi Essay Topics | Hindi Nibandh. हिन्दी निबंध. ३०० से अधिक विभिन्न विषयों पर निबंध शेयर कर रहे है, Essay writing in Hindi, Hindi essays for school children, essay in Hindi ...

  9. Hindi Essay Topics

    100+ विषयों पर निबंध लेखन हिंदी | Hindi Essay Topics | Hindi Nibandh पर्यावरण प्रदूषण संयुक्त राष्ट्रसंघ

  10. हिंदी में Essay topics

    Hindi में निबंध, Essays in hindi, कैसे लिखे निबंध, [Essays hindi topics], 500+ words essays in hindi, 300+ words के essays, hindi में essays. ... एक अच्छे निबंध के लक्षण (Characteristics of a Good Essays)

  11. हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi)

    कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तथा भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए ...

  12. 100+ हिंदी निबंध

    जिससे आपको निबंध लिखने में आसान होगा. तो आज हम आपके लिए लेकर आये हैं 100+ Hindi essay topics. तो चलिए लेख की ओर बढ़ते हैं. हिंदी निबंध विषय - List of Hindi essay topics

  13. हिंदी निबंध (Hindi Essays)

    यहाँ आपको हिंदी निबंध (Hindi Essay) का सबसे पड़ा संग्रह मिलेगा। यहाँ आपको 300+ विषयो पर हिंदी निबंध (Hindi Essays On 100+ topics) मिलेंगे।

  14. List of Hindi Essay With Topic & Example हिंदी निबंध

    सारे essay बहुत ही आसान भाषा में लिखे गए है। ताकि हर कोई आसानी से इनको समज सके। आईये पढ़ते है List of Hindi Essay With Topic के साथ।

  15. Essay in Hindi Language

    Essay in Hindi - निबंध : 200 + Latest and Easy Hindi Essays for Students of all Classes. in 100, 150, 200, 250, 300, 350, 400, 450, 500, 600, 700, 800, 900 ...

  16. निबंध लेखन, हिंदी में निबंध| Hindi Essay Writing topics

    निबंध के विषय (Essay topics in Hindi) साधारण रूप से निबंध के विषय परिचित विषय होते हैं, यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे ...

  17. मॉडल निबंध

    Reach Us 12, Main AB Road, Bhawar Kuan, Indore, Madhya Pradesh, 452007 641, 1 st Floor, Mukherjee Nagar, Delhi-110009 ; 21, Pusa Rd, WEA, Karol Bagh, Delhi-110005

  18. 2023 हिंदी के प्रसिद्ध निबंध-famous Hindi essay, Long & Short essay in

    Current Essay topics in Hindi 2023. कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के सभी छात्र के लिए निबंध लेखन की एक संग्रह जहाँ पर आपको कई सारे अलग-अलग विभिन्न विषयों पर ...

  19. Good Topics for an Essay in Hindi

    Actually, the essay topics can be divided into two parts: General topics for essays in Hindi language: such topics can be devoted to some general issues, and you will just need to develop them in Hindi. Truth and its significance; Natural disasters - how we can protect ourselves; Social security - who is responsible; Media and its influence.

  20. पिछले 09 वर्षों से यूपीएससी निबंध विषय

    यूपीएससी निबंध विषय - नवीनतम 2023 आईएएस मेन्स निबंध विषय। आपकी ias की तैयारी को आसान बनाने के लिए, हमने 2013 से 2021 तक upsc मुख्य परीक्षा में पूछे गए सभी निबंध ...

  21. Hindi Essays for Class 10: Top 20 Class Ten Hindi Essays

    List of Popular Essays for Class 10 students written in Hindi Language ! Hindi Essay Content: 1. डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi 2. डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi 3. सी.एन.जी. पर निबन्ध | Essay on Compressed ...

  22. Top Hindi college essay topics for classes 6 to 12

    Hindi essay topics for class 6 students are largely generic and easy to write. Some of the most popular topics for Hindi essay writing can range from technology to entertainment & festivals. Here are some interesting Hindi essay topics for class 6 students to practice writing with-. Why is science important?

  23. Tips To Write Essay In Hindi

    Tips To Write Essay In Hindi . Tips To Write Essay In Hindi (निबंध लिखने का तरीका) By 02nd Aug, 2018 | 03:05 pm. Share

  24. How is this Hindi + English language retrieval working?

    I have a rudimentary RAG POC. I had chunked and embedded lots of essays on 21st Century skills. I posted a question to it in Hinglish, not at all expecting a useful answer! My question: kya critical thinking jaroori nahin hai - naye jobs ke liye? hinglish mein answer deejiye. The response: Critical thinking naye jobs ke liye bilkul jaroori hai. AI aur automation ke samay mein, analytical ...

  25. The death of Iran's president will spark a high-stakes power struggle

    And Mr Raisi's death could also throw Iran's looming struggle into chaos, by removing one of the two leading candidates for Mr Khamenei's job. Much is still unclear, starting with why Mr ...