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गुरुपौर्णिमा पर भाषण | Guru purnima Speech

Guru purnima Speech

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥”

भारत, त्योहारों और मेलों का देश है, जो कि अपनी रीति-रिवाज,परंपरा, संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां सभी धर्मों, जाति, संप्रदाय के लोग मिलजुल कर अपने त्योहार को पूरे श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

वैसे ही हिन्दी महीने की आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

भारत के स्कूल, कॉलेज और विद्यापीठो में गुरु पौर्णिमा जैसा पवित्र त्यौहार बड़े उल्हास के साथ मनाया जाता है। गुरु पौर्णिमा धार्मिक और सामाजिक तौर पर मनाया जानेवाला त्यौहार है। हिन्दू धर्मं में ब्रह्मदेव, विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है उसी तरह शिक्षक भी समाज की सेवा करते इसीलिए समाज भी उनके प्रति कृतज्ञ है।

इसका मतलब यह भी निकलता है की जिस तरह हम भगवान की प्रार्थना करते है, उनकी पूजा करते है ठीक उसी तरह का सम्मान समाज के शिक्षक को दिया जाता है।

इसके साथ ही इस दिन वेद व्यास जी का पूजन भी किया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति आदर भाव और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के महत्व को समझने के लिए और उनके प्रति सम्मान का भाव पैदा करने के लिए स्कूल/कॉलेज भाषण और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।

इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट में गुरु पूर्णिमा के आदर्श पर्व पर एक भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जब भी आप गुरु पौर्णिमा विषय पर भाषण देने की सोचेंगे तो यहाँ की जानकारी आपको मदत करेगी और आप किसी के भी सामने अच्छेसे भाषण दे पाएंगे। -तो आइए अब जानते हैं गुरु पूर्णिमा पर शानदार भाषण –

Guru Purnima Speech

गुरुपौर्णिमा पर भाषण – Guru purnima Speech

गुरुपौर्णिमा भारत का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है जिसे हमारे देश में व्यास पौर्णिमा नाम से जाना जाता है। हमारा ऐसा देश है जहा गुरु को भगवान माना जाता है। इसी दिन को सभी शिक्षको के लिए मनाया जाता है और इसी दिन वेद व्यास का जन्म भी हुआ था जिन्होंने चारो वेदों की निर्मिती की थी। इसीलिए भी गुरु पौर्णिमा को व्यास पौर्णिमा और व्यास जयंती भी कहा जाता है।

आषाढ़ महीने के पौर्णिमा के दिन गुरु पौर्णिमा मनाई जाती है और यह त्यौहार हर बार जून जुलाई महीने के बिच में मनाया जाता है। गुरु संस्कृत शब्द है और इसमें का ‘गु’ का मतलब होता है की अँधेरा और ‘रु’का अर्थ होता है दूर करनेवाला। यानि जो इन्सान हमारे जीवन में से अँधेरे को हटा देता है, और उजाला लेकर आता है उसे गुरु कहा जाता है।

मिटटी जब गीली होती है तभी उसे देखकर कोई बता नहीं सकता की उससे क्या बन सकता है। अगर उस मिटटी का सही तरह से इस्तेमाल ना किया जाए तो वह कुछ भी काम की नहीं होती। उसका समाज में कोई महत्व नहीं होता। वह केवल मिटटी ही रह जाती है और केवल लोगो के पैरों के निचे कुचली जाती है।

मगर जब कोई कुम्हार उस मिटटी को गिला करके उसे अपने हातो से कोई आकार देता है तो वही मिटटी एक मटके का रूप लेती है और समय आने पर किसी प्यासे इन्सान की प्यास बुझाने के लिए काम आती है। ठीक उसी तरह का काम हमारे जीवन में गुरु का होता है।

अगर हमारे जीवन में गुरु नहीं तो हमारी जिंदगी कुछ काम की नहीं रहती है। हम अपने जीवन में कुछ भी नहीं बन सकते। लेकिन अगर गुरु मिल जाए तो हमारा जीवन सफल होता है। वह हमें अपने जीवन में हर मोड़पर मार्गदर्शन करता। उसके मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य तक पहुच सकते है। गुरु ही हमें जिंदगी की हर चुनौती का सामना करना सिखाता है। गुरु की वजह से ही हम एक काबिल इन्सान बन सकते है और समाज के लिए कुछ बेहतर दे सकते है। इसी गुरु की महिमा का वर्णन निचे दिया गया है।

गुरु पौर्णिमा को एक अध्यात्मिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते है क्यों की जब भी हम निराश हो उस समय हम खुद को चुनौती दे सके और जीवन में आगे बढ़ सके।

कोई भी गुरु अपने शिष्य को उसके उद्देश्य को पुरा करने के लिए मदत नहीं करता लेकिन जो सच्चा गुरु होता है वह हमेशा अपने शिष्य का मार्गदर्शन करता है, उसे उसके उद्देश्य में सफल बनाने के लिए हर तरह की कोशिश करता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह की वह हमेशा अपने शिष्य का साथ देता है।

गुरु हमें अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिए मार्गदर्शन करता है और जबतक हम अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते तब तक वह हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। कोई साधू या कोई धार्मिक व्यक्ति या कोई पुजारी हमारा गुरु नहीं हो सकता। सच्चा गुरु वह होता है जो हमें कामयाब होने के लिए अपना समय दे सके हमारी हर हालत में मदत कर सके। हमारे सच्चे गुरु कौन होते है उनकी जानकारी निचे दी गयी है।

हमारे माता पिता हमारे पहले गुरु होते है जो हमें बचपन से ही सिखाना शुरू कर देते है। वह हमें बचपन से प्यार करना सिखाते है। वह हमारे बचपन के गुरु होते है और वही हमारी आखिरी तक सहायता करते रहते है और हमें अपने लक्ष्य तक पहुचाने में हर तरह की कोशिश करते है।

स्कूल में जो शिक्षक हमें पढ़ाते है वह हमारे दुसरे गुरु होते है वह हमें समाज और उसकी संस्कृति के बारे में सभी बाते समझाकर बताते है। गणित, विज्ञान, इतिहास सिखाने का काम केवल शिक्षक ही कर सकते है। समाज में रहने के लिए इन सब बातो का जानना बहुत जरुरी होता है। शिक्षक हम में नैतिकता को विकसित करने में काफी मदत करते है जिसकी वजह से हमें भविष्य में बहुत सारे फायदे होते है।

लेकिन कुछ उम्र गुजरने के बाद माता पिता और शिक्षक हमें प्रभावित नहीं कर सकते वह हमारी सोच को बदल नहीं सकते। लेकिन यह सब हमारा मित्र जरुर कर सकता है। हमारा मित्र चाहे कितना भी बुद्धिमान क्यों ना हो लेकिन वह हमारा दोस्त होने की वजह से वह हमारी मदत करता है और हमें हमेशा अच्छे काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसीलिए वह भी एक तरह से हमारा गुरु होता है। युवावस्था के बाद शादी हो जाती है तो उसके बाद पति पत्नी भी एक दुसरे के गुरु बन सकते है।

इसका मतलब यह है की हर किसी के जीवन में कई सारे गुरु होते है और समय के साथ साथ गुरु के रूप बदलते रहते है। कोई भी ऐसा गुरु नहीं की वह जन्म से लेकर मरने तक हमारे साथ रह सके और हमारी मदत कर सके इसीलिए हमने खुद का भी गुरु होना चाहिए।

बहुत पुराने समय से हमारे देश में गुरु शिष्य के रिश्ते को बड़ा उचा स्थान दिया जाता है। वाल्मीकि, वेद व्यास, द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु भारत जैसे पवित्र भूमि में जन्म ले चुके है। अर्जुन, एकलव्य जैसे पराक्रमी शिष्य केवल महान गुरु के मार्गदर्शन के कारण ही बन सके। गुरु पौर्णिमा के दिन सभी वेद व्यास जयंती मनाते है क्यों की इसी दिन वेद व्यास का जन्म हुआ था। महाभारत में वेद व्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने ही हिन्दू धर्म के चारो वेदों की निर्मिती की थी।

गुरुपौर्णिमा पर भाषण – Guru Purnima Speech

सर्वप्रथम सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं !

आदरणीय मान्यवर, सम्मानीय मुख्य अतिथि,प्रधानचार्या जी,सभी शिक्षक गण और यहां पर बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहनों और मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का मैं …. तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं/करता हूं।

बेहद खुशी हो रही है कि, आज मुझे गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के मौके पर  आप लोगों के समक्ष भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। मैं गुरुपूर्णिमा पर अपने भाषण की शुरुआत, गुरु के मूल्यों समझाने पर लिखे गए एक संस्कृत श्लोक के माध्यम से करना चाहती हूं /चाहता हूं

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

अर्थात् गुरु ही ब्रह्मा हैं,जो अपने शिष्यों को नया जन्म देता है, गुरु ही विष्णु हैं जो अपने शिष्यों की रक्षा करता है, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; क्योंकि वह अपने शिष्य के सभी बुराईयों और दोषों को दूर करता है।ऐसे गुरु को मैं बार-बार नमन करता हूँ।

अपनी संस्कृति और विरासत के लिए पहचाने जाने वाले भारत देश  में गुरु पूर्णिमा का पर्व  बेहद महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व गुरुओं को समर्पित एक आदर्श पर्व है।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा, आषाणी पूनम, गुरु पूनम आदि नामों से भी जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ का  पर्व पूरी श्रृद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को कई पुराणों, शास्त्रों, चारों वेदों को विभाजित करने वाले एवं हिन्दू धर्म के महाग्रंथ श्री महा भगवतगीता की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था।

उनकी जयंती के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है और इस पर्व को व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महार्षि वेद व्यास जी को गुरु-शिष्य परंपरा का प्रथम गुरु माना गया है।

गुरु हर किसी के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है गुरु के महत्व और इसके मूल्यों को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। गुरु हमारे जीवन में सभी अंधकारों को मिटाकर हमें प्रकाश की तरफ आगे बढ़ाता है और सही मार्गदर्शन कर हमें सफलता के पथ पर आगे बढ़ाता है।

इसलिए हिन्दू धर्म के शास्त्रों में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। गुरु के बिना कोई भी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है और न ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।

गुरु के बिना के किसी भी व्यक्ति का जीवन बिना नाविक के नाव की तरह होता है। जिस तरह बिना नाविक के नाव दिशाहीन होकर चलती है या फिर बेसहारा भंवर में फंस जाती है,ठीक उसी तरह बिना गुरु के मनुष्य जीवन रूपी भंवर में फंसा रहता है और दिशाहीन हो जाता है, उसे यह कभी ज्ञात नहीं होता है कि उसे जाना किस तरफ है।

गुरु अपनी पूरी जिंदगी अपने शिष्य को योग्य और सफल बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म और शास्त्रों में गुरुओं को विशिष्ट स्थान दिया गया है और गुरु का भगवान का रुप मानकर गुरु पूर्णिमा के दिन उनका पूजन किया जाता है और उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।

वहीं गुरु की अद्भुत महिमा का बखान तो हिन्दी साहित्य के कई महान कवियों ने भी अपने लेखों, दोहों आदि के माध्यम से भी किया है। वहीं महान कवि कबीर दास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से गुरु को भगवान से बढ़कर दर्जा देते हुए कहा है कि –

“गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥”

संत कबीर दास जी ने अपने इस दोहे में यह कहा है कि अगर गुरू और गोबिंद अर्थात भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो हमें किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को? उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में हमें अपने गुरू के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही भगवान तक जाने का रास्ता बताया है, अर्थात मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाया है और गुरु की कृपा से ही भगवान के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

गुरु, सभ्य समाज का निर्माण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं एवं राष्ट्र के विकास में मद्द करते हैं। गुरु, परमात्मा और संसार के बीच एवं शिष्य और ईश्वर के बीच एक सेतु की तरह काम करते हैं।

गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है, और बिना ज्ञान का कोई भी व्यक्ति आत्मसात नहीं कर सकता है। गुरु ही मनुष्य को उसके कर्तव्यों का बोध करवाता है एवं हमारे अंदर धैर्य अथवा धीरज पैदा करता है,ज्ञान का बोध करवाता है,और मोक्ष का मार्ग बताता है। इसलिए किसी विद्धान ने कहा भी है कि –

“गुरु बिना ज्ञान नहीं और ज्ञान बिना आत्मा नहीं, कर्म, धैर्य, ज्ञान और ध्यान सब गुरु की ही देन है।।”

गुरु के महत्व को समझने और अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धाभाव एवं कृतज्ञता प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व एक आदर्श पर्व है, जिसे एक अध्यात्मिक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

गुरुओं को समर्पित इस पर्व का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा के इस शुभ दिन सिर्फ गुरु ही नहीं, बल्कि जिससे भी आपको अपनी जिंदगी में कुछ सीखने को मिला हो और जो भी आपसे बड़ा है,अर्थात माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु के तुल्य समझकर उनका सम्मान करना चाहिए एवं उनका आर्शीर्वाद लेना चाहिए, क्योंकि गुरु के आशीर्वाद से ही जीवन सफल बनता है।

गुरु की महिमा का तो जितना भी बखान किया जाए उतना कम है। मैं अंत में एक दोहे के साथ अपने इस भाषण को विराम देना चाहती हूं/चाहता हूं –

“गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष। गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।”

धन्यवाद एवं शुभ गुरु पूर्णिमा।।

गुरु पूर्णिमा पर भाषण – Speech on Guru Purnima in Hindi

गुरु पूर्णिमा की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ||

और मै हूं … मै कक्षा — का विद्यार्थी हूं। गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के मौके पर यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, आदरणीय अतिथिगण, सम्मानीय प्रधानाध्यपक, समस्त शिक्षकगण, सहपाठी और मेरे सभी छोटे भाई-बहन सभी को मेरा सादर प्रणाम।।

जाहिर है कि हम सभी गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व को मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। मुझे बेहद खुशी हो रही है कि, मुझे इस पावन पर्व के मौके पर भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।

इस मौके पर मै कुछ शब्दों के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति अपनी भावनाओं  को प्रकट करना चाहता हूं/चाहती हूं,इसके साथ ही मै अपने गुरुओं के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता प्रकट करना चाहता हूं/चाहती हूं,जिनकी बदौलत आज मै इस मंच पर कुछ बोलने के काबिल बन सका हूं।

गुरु पूर्णिमा, हिन्दू धर्म का पवित्र त्योहार है। हर साल आषाण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बेहद खुशी और उल्लास के साथ इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के त्योहार के दिन गुरुओं का सम्मान और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही 4 वेदों की निर्मति करने वाले और समस्त 18 पुराणों समेत महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले विद्धानों के विद्धान महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था,उनकी जयंती की उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा के इस पर्व को मनाया जाता है। साथ ही इस पर्व को व्यास पूर्णिमा अथवा व्यास जयंती भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था और इसके साथ ही भगवान शिव ने भी इसी दिन सप्तऋषियों को योग करने का मंत्र दिया था।  इसलिए गुरु पूर्णिमा का बेहद महत्व है।

गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण के इस पवित्र पर्व पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। इस दिन शिष्यों का अपने गुरुओं का आदर कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, क्योंकि गुरु के आशीर्वाद से ही जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।

वहीं आज की युवा पीढ़ी को गुरु के महत्व को समझाने के लिए और गुरु -शिष्य के रिश्ते की डोर और अधिक मजबूत करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व एक आदर्श और श्रेष्ठ पर्व  है।

क्योंकि किताबें पढ़कर ज्ञान तो अर्जित किया जा सकता है,लेकिन उस ज्ञान को गुरु के बिना सही जगह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। वहीं गुरु के महत्व को किसी बड़े संत ने अपने इस दोहे में समझाते हुए कहा कि है –

“पंडित यदि पढि गुनि मुये, गुरु बिना मिलै न ज्ञान। ज्ञान बिना नहिं मुक्ति है, सत्त शब्द परमान।।”

अर्थात बड़े-बड़े विद्धान शास्त्रों को पढ़-लिखकर ज्ञानी तो बन सकते हैं, लेकिन गुरु के सही मार्गदर्शन के बिना उन्हें मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता है।

इसलिए हर किसी को अपने जीवन में गुरुओं के महत्व को समझना चाहिए। क्योंकि माता-पिता के बाद गुरु ही होते हैं, जो इस संसार रुपी ज्ञान का बोध करवाकर इस जीवन रुपी भव सागर से पार करवाता है साथ ही ऐसे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है, जिसे कर व्यक्ति मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है।

इसलिए, गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है, वहीं जिस तरह देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर  गुरु को भी पूजा जाता है और उनका आदर-सम्मान किया जाता है।

वहीं आजकल गुरु-शिष्य के रिश्ता काफी कलंकित हो रहा है,न तो आज गुरु द्रोणाचार्य जैसे सच्चे गुरु मिलते हैं,और न ही गुरु के कहने मात्र पर अपना अंगूठा काट देने वाले एकलव्य जैसे शिष्य मिलते हैं। वहीं आज गुरु-शिष्य के रिश्ते की परिभाषा जरूर बदल गई है।

आजकल कुछ शिष्य ऐसे हैं जो अपने घमंड और झूठी शान के चलते अपने गुरुओं का आदर नहीं करते हैं,वहीं कुछ गुरुओं के लिए विद्या देना एक धंधा बन चुका है।

हालांकि आज भी कई ऐसे गुरु हैं अपने शिष्यों न सिर्फ किताबों के पाठ समझाने में मद्द करते हैं बल्कि उनका सही मार्गदर्शन कर अपने शिष्यों के आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं हिन्दी साहित्य के महान कबीर दास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से गुरु के महत्व को बताते हुए कहा है कि –

“हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥”

अर्थात भगवान के रूठने पर तो गुरू की शरण रक्षा कर सकती है, लेकिन गुरू के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना सम्भव नहीं है। इसलिए, हर शिष्य को अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनके बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए तभी उसके जीवन का उद्दार हो सकता है।

गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा का इस पावन पर्व पर सभी शिष्यों को अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें अपने जीवन को सफल और समाज में उठने -बैठने लायक एक सभ्य और योग्य पुरुष बनाने के लिए उनका आभार जताना चाहिए।

वहीं गुरु की महिमा को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। इस बारे किसी महान विद्धान ने भी अपने इस दोहे के माध्यम से कहा है कि –

“सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।।”

अर्थात अगर  पूरी धरती को लपेट कर कागज बना लिया और सभी जंगलों के पेड़ो से कलम बना ली जाए, एवं इस दुनिया के सभी समुद्रों को मथकर स्याही बना ली जाए,तब भी गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है।

गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा यह पावन पर्व गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्तों को और अधिक मजबूत बनाने का काम करता है।

वहीं हिन्दू धर्म के शास्त्रों और हमारी भारतीय संस्कृति में भी गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्ते को दाता-भिखारी का न बनाकर सहयोगी व साझेदारी का बनाया है, जिसमें गुरु अपने प्रेम, स्नेह,मेहनत और तप से शिष्य के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण कर उसे सफल बनाते हैं।

वहीं गुरू की महिमा का बखान करना तो सूरज को दीपक दिखाने की तरह है। फिलहाल, हम सभी को अपने गुरुओं का आदर-सम्मान करना चाहिए,वहीं गुरुओं का भी परम कर्तव्य है कि वे अपने शिष्य को सही दिशा में आगे बढाएं।

इसी के साथ मै महासंत कबीर दास जी के एक दोहें के माध्यम से अपने भाषण को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं।

“यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।”

धन्यवाद।।

गुरु पूर्णिमा पर भाषण – Guru Purnima par Bhashan

सर्वप्रथम सभी को मेरा नमस्कार –

मै …….कक्षा — का विद्यार्थी हूं। गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के उपलक्ष्य में हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं, मैं यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, और शिक्षकगणों को नमन करता हूं।

इस मौके पर मैं गुरुओं को समर्पित इस पर्व में भाषण प्रस्तुत करते हुए खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा हूं कि इस अवसर पर मुझे अपने गुरुओं के प्रति अपनी भावनाओं को प्रकट करने का मौका मिला है –

हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ का पर्व पूरे भारत में पूरी श्रृद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत की रचना करने वाले एवं चार वेदों को विभाजित करने वाले महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा के पर्व को मनाया जाता है।

वेदव्यास जी को  गुरु-शिष्य परंपरा का प्रथम गुरु माना गया है। इसके साथ ही इसी दिन भगवान शंकर ने सप्तऋषियों को भी योग करने का मंत्र दिया था। इसलिए भी गुरु पूर्णिमा के पर्व का हिन्दू धर्म में खास महत्व है।

यह पर्व गुरुओं का पूजन और उनका सम्मान करने का दिन है। गुरु ने ही हमारे अंदर सोचने-समझने की क्षमता विकसित कर हमें सही – गलत की पहचान करवाई है और हमें आपस में प्रेम करना, दूसरे पर दया करना, जरुरतमंदों की मद्द करना,बेजुबानों की रक्षा करना समेत कई ऐसे संस्कारों और भावनाओं का हमारे अंदर विकसित कर  हमें एक सभ्य और शिक्षित पुरुष बनने में हमारी मद्द की है।

जाहिर है कि गुरु, अपने शिष्यों को एक योग्य एवं सफल पुरुष बनाने के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर देते हैं, वहीं गुरुओं की मेहनत, त्याग और समर्पण से ही शिष्यों का उद्दार होता है साथ ही एक सभ्य समाज और शिक्षित राष्ट्र का निर्माण होता है।

वहीं हिन्दी साहित्य के महान संत कबीरदास जी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए अपने इस दोहे में कहा है कि –

“ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति विश्वास। गुरु सेवा ते पाइए, सद् गुरु चरण निवास।।”

अर्थात ज्ञान, सन्त- समागम, सबके प्रति प्रेम, निर्वासनिक सुख, दया, भक्ति सत्य-स्वरुप और सद् गुरु की शरण में निवास – ये सब गुरु की सेवा से ही प्राप्त होता है। इसलिए हम सभी को अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए।

गुरु, मनुष्य के जीवन का मूल आधार होते हैं,क्योंकि गुरु के बिना विद्या और ज्ञान अर्जित नहीं किया जा सकता है और ज्ञान के बिना मनुष्य एक पशु के सामान होता है, क्योंकि मनुष्य के ज्ञान और विवेकशीलता के तर्ज पर ही मानव और पशु में अंतर किया जाता है।

वहीं एक शिक्षित व्यक्ति ही समाज में खुद को साबित कर पाने की क्षमता रखता है। वहीं एक गुरु ही अपने शिष्य के अंदर ऐसे गुणों का विकास करता है जिससे वह अपने कर्मपथ पर आगे बढ़ता है और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के योग्य बनता है।

इसलिए सभी को अपने गुरुओं का आदर करना चाहिए। वहीं गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर हर शिष्य को अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए।

गुरु-शिष्य का रिश्ता निस्वार्थ होता है,जिसमें गुरु निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य को ज्ञान देता है और उसे अपने जीवन में सही पथ पर चलने एवं सही कर्मों को करने की शिक्षा देता है। इसलिए सभी को अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

गुरु की अद्भुत महिमा और उसके महत्व को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। इसी के साथ मै अपने इस भाषण को किसी महान कवि के दोहे द्धारा विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं।

“गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम, गुरु अध्यात्म की ज्योति है,गुरु हैं चारों धाम।।”

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। ( Happy Guru Purnima )

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1 thought on “गुरुपौर्णिमा पर भाषण | Guru purnima Speech”

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That are a very simple and inexpensive speech

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गुरु का महत्व पर भाषण स्पीच निबंध 2024 Speech On Guru Purnima In Hindi

Speech On Guru Purnima In Hindi | गुरु का महत्व पर भाषण स्पीच निबंध 2024 -गुरु पूर्णिमा एक भारतीय पर्व हैं, जो हजारों सालों से मनाते आ रहे हैं, हिन्दू सिख और बोद्ध धर्म अनुयायी इसे हर्षोल्लास से मनाते हैं,   

महाभारत के  रचनाकार और आदि गुरु वेद व्यास जी की जन्म तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आधारित हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता हैं.

प्रत्येक इंसान के जीवन में मार्गदर्शक (शिक्षक, गुरु) का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं, जिन्हें भगवान् के समकक्ष समझा जाता हैं. इसी गुरु शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, अपने गुरुजनों का मान सम्मान कर इस त्यौहार को मनाया जाता हैं.

गुरु पूणिमा 2024  का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा.  गुरु का महत्व पर निबंध में गुरुदेव का व्यक्ति के जीवन में इम्पोर्टेंस को दर्शाया गया हैं.

Speech On Guru Purnima In Hindi | गुरु का महत्व पर भाषण 2024

गुरु का महत्व पर भाषण स्पीच निबंध 2024 Speech On Guru Purnima In Hindi

2024 Guru Purnima Speech, Thoughts, Mahatva, Importance, Poem, Nibandh In Hindi :-

व्यक्ति का जीवन संवारने के लिए गुरु का होना आवश्यक होता है. जीवन के संस्कार और शिक्षा का अनुमान गुरु के होने से ही लगाया जा सकता है. कोई व्यक्ति जीवन में गुरु की कृपा से ही उन्नति कर सकता है. स्वार्थी संसार में आज भी गुरु निस्वार्थ भाव से शिक्षा सभी को बाटते है.

एक गुरु हमारे लिए अपना जीवन न्योछवर कर देता है. इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है, कि हम उनका सम्मान करे. तथा उनका अनुसरण करें. हमें हमेशा जीवन में गुरु की तरह नहीं करना चाहिए, बल्कि गुरु के कहने के अनुसार करना चाहिए.

गुरु शब्द दो शब्दों के संयोग से बना हैं, गु+रु जिनमे गु का अर्थ अन्धकार और रु से आशय उजाला होता हैं. इन्ही पावन शब्दों के मेल से बनने वाला गुरु शब्द हमे अन्धकार रूपी जीवन से निकालकर उजाले की ओर ले जाता हैं. इस दिन देशभर में अलग-अलग तरीके से अपने गुरुजन को सम्मानित किया जाता हैं,

कही पूजा पाठ तो कही मेले. शिक्षण संस्थाओ में नन्हे मुन्ने बालक अपने गुरुजनों के सम्मान में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने गुरूजी को गुरु दक्षिणा में अपने सामर्थ्य के मुताबिक़ उपहार भेट करते हैं.सभी धर्मों में अपने-अपने पूजा स्थल पृथक हो सकते हैं.

मगर गुरु को धर्म की सीमाओं में नही बाधा जा सकता हैं. गुरु किसी भी धर्म से हो सकता हैं. सभी धर्मो से उपर उठकर एकता और भाईचारे का संदेश हमे गुरु ही तो देता हैं. गुरु कोई भी हो सकता हैं.

आपके बड़े भाई पिताजी या प्राथमिक शाला के शिक्षक भी, गुरु का अर्थ मात्र पुस्तक में लिखी बात को सुनाने वाला भर नही, बल्कि गुरु तो वह हैं, जो अपने शिष्य को जीवन में आगे बढ़ने की सही राह बताए. गुरु पुर्णिमा की परम्परा उस समय से चली आ रही हैं,

जब आज कि तरह पढने के लिए विद्यालय नही हुआ करते थे. बालक पढने के लिए गुरुकुल जाया करते थे.

एक निश्चित समयावधि में अपनी शिक्षा पूरी करने बाद वे आज ही के दिन गुरु पुर्णिमा को ही अपनी श्रद्धा के अनुसार गुरु को गुरु दक्षिणा देकर गृह प्रस्थान करते थे.

आज हम सदियों पुरानी एक परम्परा के सारथी हैं, गुरुजी हमारे लिए भगवान , अल्लाह,ईश्वर, रब,गॉड से भी बढ़कर हैं, क्युकि इन्होने ही तो हमे इनकी पहचान कराई हैं. दुनिया के इस ढंग से परिचित करवाया हैं.

गुरु पूर्णिमा 2024 – गुरु पूर्णिमा पर भाषण, निबंध Speech, essays on Guru Purnima In Hindi

21 जुलाई 2024, के दिन गुरु पूर्णिमा को भारत भर में पूर्ण श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा. गुरु के बारे में कहा गया है, साधक को जितनी भक्ति भगवान की करनी चाहिए, उतनी ही श्रद्धा व भक्ति अपने गुरुदेव के प्रति रखनी चाहिए. गुरु ही वों इंसान हैं, जो व्यक्ति को ईश्वर प्राप्ति की सही राह दिखाता हैं.

गुरु के बिना इस संसार में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता, अगर चाणक्य जैसा गुरु मिल जाए तो एक साधारण इंसान भी चक्रवर्ती सम्राट बन सकता हैं.

आज हर एक सफल राजनेता, फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, व्यवसायी अपना गुरु चुनता हैं तथा उनके बताए गये कथनों पर चलकर व्यक्ति सफलता की राह आसान कर लेता हैं.

गुरु पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी हैं, प्राचीनकाल में पढ़ने के लिए छात्र गुरुकुल जाया करते थे, जहाँ अपने गुरु के साथ रहकर विद्यार्जन किया करते थे. इस दिन छात्र अपनी श्रद्धा तथा सामर्थ्य के अनुसार गुरु दक्षिणा दिया करते थे.

भले ही आज हमारी शिक्षा का स्वरूप बदल गया हो, मगर आज भी गुरु शिष्य संबंध वही हैं, जो हमे किताबों में पढ़ने को मिलते है. गुरु पूर्णिमा जैसे अवसर गुरु के महत्व को उजागर करते हुए हमें उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित करते हैं.

इस दिन कई स्थानों पर विशाल मेले तथा भंडारों का आयोजन किया जाता हैं. इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान भी किया जाता हैं, मन्दिरों में पूजा पाठ होते हैं.

विद्यालयों में गुरु के सम्मान में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं. अपने गुरुजनों को सम्मानित कर उनके बारे संदेश, शायरी, भाषण, मैसेज, कविता, निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता हैं.

गुरु पूर्णिमा का अर्थ व महत्व (Meaning and Importance of Guru Purnima In Hindi)

आदि गुरु कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का इस दिन जन्म दिन हैं, उन्होंने महाभारत जैसे ग्रंथ की रचना की थी, इन्ही महापुरुष के जन्म दिन को यादगार बनाने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं.

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसको मिटाने वाला । गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर (अँधेरे) का सच्चे ज्ञान से बाहर निकालता हैं. अर्थात व्यक्ति के भीतर भरे अँधेरे को ज्ञान रूपी रोशनी से मिटाने का कार्य करने वाले पुरुष को गुरु की संज्ञा दी जाती हैं.

गुरु के लिए संस्कृत में एक श्लोक (slogan) बहुत प्रसिद्ध हैं, इससे गुरु का महत्व स्पष्ट हो जाता हैं.

“अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः “

जीवन में गुरु का महत्व

साई बाबा यह नाम तो शायद ही कोई होगा, जो नही जानता. शिर्डी के सच्चे दरबार हर कोई भक्त अपने जीवनकाल में एक बार दर्शन अवश्य करना चाहता हैं. अपने जीवन काल में साईं बाबा मात्र एक फक्कड थे और भगवान् की भक्ति किया करते थे.

उनके परिवार वालों को भी साईं से कोई विशेष लगाव नही था. जब साईं बाबा ने योग धारण किया तब वे महाराष्ट्र के शिर्डी नामक गाँव में आकर रस-बस गये. इंतकाल तक वे यही रहे. 15 अक्टूबर 1918 शिर्डी के इस बाबा का देहांत हो गया था.

Shirdi Sai Baba के मन्दिर हर वर्ष आषाढ़ की गुरु पूर्णिमा को विशाल मेला भरता हैं, देश विदेश से लाखों यात्री गुरु पूर्णिमा के ही दिन साईं का दर्शन करते हैं. अपनी म्रत्यु के बाद उन्होंने कई चमत्कार दिखाए.

जिनसे आधुनिक युग के लोगों में भी साईं बाबा के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अटूट भावना पैदा हो गईं. कई दशक पहले राज्य में फैली महाबिमारी से Shirdi Sai Baba ने ही तो असंख्य की जान बचाई थी.

गुरुपूर्णिमा पर भाषण Guru Purnima 2024 Speech in Hindi

सभी को नमस्ते और सुप्रभात, मैं श्याम राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जयपुर शहर का छात्र हूँ आज आप सभी के समक्ष हमारे गुरु पर्व यानि गुरुपूर्णिमा पर भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.

आज हम सभी अपने अपने गुरुजनों के सम्मान में यह पर्व मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं. हिन्दू कलैंडर के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं जो अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार जुलाई माह में आती है इस साल 2024 में यह पर्व आज 21 जुलाई को सम्पूर्ण देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.

गुरु पूर्णिमा का महत्व: बता दें कि गुरु पूर्णिमा त्यौहार का हिंदू धर्म में विश्वास करने वालो का एक बड़ा दिन है ऐसा कहा जाता है. सच्चे मार्गदर्शक गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन पाशविक जीवन की तरह रह जाता है.

मानव को एक सभ्य सामाजिक प्राणी कहा जाता है. मनुष्य में सभ्य बनने, सभी के साथ मिल जुलकर रहने के गुणों का संचार गुरु ही करता हैं. जो एक अज्ञानी जीव को संसार में उपयुक्त तरीके से रहने एवं जीने के तौर तरीको का ज्ञान देता है.

इन्सान गुरु के मार्गदर्शन के बिना समाज का हिस्सा नहीं बन सकता हैं. हम यह नहीं जान पाते है कि हम कौन और क्यों हैं हमारे दायित्व क्या है हमें क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं. इन समस्त शिक्षाओं की शुरुआत हमारे जन्म के बाद से ही शुरू हो जाती हैं.

इस तरह व्यक्ति की पहली गुरु उसकी माँ होती हैं. जो दूध पीना, उठाना, अंगुली पकड़कर चलना, बोलना आदि हमें सिखाती हैं.

वर्षा ऋतू के आगमन में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं. भारत तथा नेपाल में इसे मुख्य रूप से हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म को मानने वाले पारम्परिक रूप से मनाते हैं.

मगर अब तो जहाँ जहाँ संसार में भारतीय रहते है वहां अपने उत्सवो को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. पर्व के अवसर पर मौसम भी सुहाना बन जाता है. इस दिन शिष्य अपने अध्यापकों, गुरुजनों आदि का सम्मान करते हैं.

गुरु कौन है तथा हमारे जीवन में उनका क्या योगदान हैं. संत कबीर ने इसे बेहद सरल तरीके से अपने दोहे में बताया है जो इस प्रकार हैं.

“सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।।”

“गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।”

आषाढ़ पूर्णिमा का दिन यादगार दिवस है इस दिन हम गुरु पूर्णिमा तो मनाते ही है साथ ही महाभारत के रचयिता मुनि वेद व्यास जी का जन्म दिन भी हैं उन्हें आदि गुरु भी कहा जाता हैं.

इसके अलावा आज के दिन कबीर जी के शिष्य घीसादास जी का जन्म भी हुआ था. इससे बढ़कर यह दिन बौद्ध धर्म में भी बड़ा महत्व रखने वाला हैं. गौतम बुद्ध ने आज ही के दिन सारनाथ में पहला उपदेश दिया था. आदिगुरु भगवान शिव ने भी आज ही के दिन सात ऋषियों को योग ज्ञान दिया था.

सिख धर्म में गुरु को ईश्वर से उंचा दर्जा प्राप्त हैं. धर्म के सभी दस गुरुओं को इश्वर के समतुल्य सम्मान दिया जाता हैं उनके प्रत्येक उपदेश व शिक्षा का कठोरता से पालन किया जाता हैं.

साल में गुरुओं के सम्मान के लिए दो दिन बड़े विशिष्ट हैं पहला गुरु पूर्णिमा तथा दूसरा शिक्षक दिवस, जो प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हम मनाते हैं.

भारत में गुरु शिष्य परम्परा बेहद प्राचीन एवं सबसे निकटतम रिश्ते वाली मानी जाती हैं. सदियों से आषाढ़ पूर्णिमा को शिष्य अपने गुरुजनों का सम्मान करते आए हैं.

अब थोडा समय बदल गया हैं हमने गुरु के पर्याय को टीचर्स के साथ जोड़ लिया हैं जबकि सही मायनों में गुरु वही होता हैं जो हमारी आत्मा में अज्ञान रुपी बसे अन्धकार को दूर कर ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित करता हैं.

प्राचीनकाल में हमारे देश में औपचारिक शिक्षा का एकमात्र माध्यम हमारे गुरुकुल हुआ करते थे. जो एकांत में निर्मित आवासीय विद्यालय का ही रूप होते थे.

एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद अभिभावक अपने बच्चें को गुरु की चरण में वहां छोड़ आते थे. छात्र गुरु के पास रहकर ही विद्यार्जन करते थे तथा शिक्षा पूर्ण होने पर घर को लौटते थे.

हमारी आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में हरेक बस्ती में विद्यालय बने हुए हैं जहाँ जाकर हमारे बच्चें ज्ञानार्जन करते है तथा घर लौट आते हैं. शिक्षक उस दौर में भी राजकीय कर्मचारी हुआ करते थे जो आज भी हैं.

समय के इस चक्र बदला है तो समाज का शिक्षक के प्रति रवैया और ठीक उसी तरह शिक्षक भी स्वयं को संविदा पर रखे एक कार्मिक की तरह पाठ्यक्रम को किसी तरह पूर्ण करवाने के प्रयत्न में रहते हैं.

आज शिष्य और गुरु के बीच वह स्नेहिल रिश्ता खत्म होता जा रहा हैं. इसकी एक बड़ी वजह हमारी शिक्षा नीतियाँ तथा शिक्षा का निजीकरण भी हैं. हमें इन्ही परिस्थितियों में गुरु के सम्मान को पुनः बहाल करना होगा.

हमारे गुरुजनों को भी अपने शिष्यों के प्रति पुत्रवत व्यवहार करना चाहिए तथा उन्हें जीवन में सही पथप्रदर्शन करना होगा. वे ही हमारे समाज देश के भविष्य निर्माता है.

यहाँ विराजमान समस्त गुरुजनों के चरणों में कोटि कोटि नमन करते हुए मैं गुरु पूर्णिमा भाषण को यही विराम देना चाहूँगा, जय हिंद.

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[2023] Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण-PDF Download

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Guru Purnima Speech in Hindi :गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो गुरुओं को समर्पित है। इस दिन विद्यार्थी अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करते हैं जो उन्हें ज्ञान और मार्गदर्शन में सहायता करते हैं। यह त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जब चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में दिखाई देता है। इस लेख में, हम गुरु पूर्णिमा पर भाषण ( Guru Purnima Speech in Hindi ) के माध्यम से इस उत्सव के महत्व को समझने का प्रयास करेंगे।

Guru Purnima Speech in Hindi

Table of Contents

Guru Purnima Speech in Hindi

प्रिय सभी गुरुओं और शिक्षकों को नमस्कार।

आज हम सभी मिलकर एक ख़ास अवसर पर इकट्ठे हुए हैं – गुरु पूर्णिमा के इस धार्मिक उत्सव के दिन। यह दिन हमारे जीवन में गुरुओं को समर्पित है, जिन्होंने हमें ज्ञान की प्राप्ति कराई और हमें आदर्शों के मार्ग पर चलने का साथ दिया।

गुरु का शब्द अत्यंत पवित्र है। गुरु हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में बेहतर बनने का रास्ता दिखाते हैं। वे हमें ज्ञान, समझदारी, सच्चाई, धैर्य, और नैतिकता के मूल्यों को सिखाते हैं। हमारे जीवन में गुरु के बिना ज्ञान की कमी होती है और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में समर्थ नहीं होते।

गुरु पूर्णिमा का यह अवसर हमें याद दिलाता है कि हमें अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करना चाहिए। हम उनके अनमोल संबंधों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिनसे हमें न सिर्फ शिक्षा मिली, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर हमारे साथ रहा। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने गुरुओं के प्रति अपने मन की गहराइयों से भावना साझा कर सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हम अपने गुरुओं के सिखाए गए ज्ञान को आगे भी बढ़ाने का प्रयास करें। हमारे गुरु ने हमें ज्ञान का विरासतगार बनाया है, और अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों को भी ज्ञान के मार्ग पर चलने का प्रेरणा दें।

इस गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, हम सभी को अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करने के साथ-साथ उन्हें प्रणाम करना चाहिए। हमें अपने गुरुओं के जीवन की महानता और उनके संघर्षों का भी सम्मान करना चाहिए, क्योंकि उनके बिना हम यहां नहीं होते।

मैं आप सभी से यह भी आग्रह करूँगा कि हम गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर का उपयोग करके अपने गुरुओं के उपकार का ध्यान रखें और उन्हें समर्पित रहें। हम अपने गुरुओं के बिना न तो ज्ञानी बन सकते हैं और न ही समर्थ हो सकते हैं। इसलिए, आओ इस पवित्र दिन को समर्पित करें और अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

धन्यवाद, और गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ!

Guru Purnima Par Speech in Hindi 200 Words

प्रिय सभी साधकों और अनुयायियों को , आप सभी को गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाएं। आज हम सभी गुरुओं को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए धन्यवाद देने का शुभ अवसर मिला है। गुरु पूर्णिमा एक पर्व है जिसमें हम अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करते हैं जो हमें ज्ञान, दर्शन और मार्गदर्शन प्रदान करके हमें अनंत जीवन की शिक्षा देते हैं।

गुरु हमारे जीवन में एक मार्गदर्शक तारा की भूमिका निभाते हैं। वे हमें सही रास्ता दिखाते हैं और हमें समझाते हैं कि कैसे उस रास्ते पर चलना है। गुरु के पदचिह्नों को मानने से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा हमें याद दिलाता है कि हमें अपने गुरुओं के प्रति आभारी रहना चाहिए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अमल में लाना चाहिए। हमें अपने गुरुओं के उज्ज्वल प्रेरणा के साथ अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा मिलती है।

इस गुरु पूर्णिमा पर हम सभी को यह वचन देना चाहिए कि हम अपने गुरुओं के आदर्शों का पालन करेंगे और उनके दिए गए मार्ग पर चलकर सफलता की ओर बढ़ेंगे। आओ मिलकर इस गुरु पूर्णिमा को यादगार बनाएं और अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करें। धन्यवाद ।

Guru Purnima Speech in Hindi 300 Words 

आदरणीय सभी उपस्थित व्यक्तियों को मेरा सादर नमस्कार।

आज मैं यहां गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपके सामने कुछ शब्दों का समारोह करने का सौभाग्य महसूस कर रहा हूँ। गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हम सभी बड़े धार्मिक भाव से मानते हैं। यह एक पर्व है जो गुरुओं के सम्मान में समर्पित है और शिक्षायें देने वाले गुरुओं को सलामी देने का अवसर प्रदान करता है।

गुरु का महत्व शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। गुरु हमारे जीवन में रोशनी की तरह उजाला भरते हैं जो हमें अंधकार से बाहर निकलकर सही राह दिखाते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं होती। हमारे गुरु ही वे प्रेरक होते हैं जो हमें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं।

गुरु पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन हम अपने गुरुओं को विशेष सम्मान देते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं जो हमें अपने जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। इस दिन को समर्पित करके हम भगवान् विष्णु के अवतार परम पूज्य श्री वेद व्यास जी को भी स्मरण करते हैं, जो अपने महानता से समस्त विश्व को ज्ञान की धारा प्रदान करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, हम अपने गुरुओं के आशीर्वाद को प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि गुरु शिष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार रखना चाहिए।

इस अवसर पर, मैं अपने सभी गुरुओं का आभारी हूँ जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया और मुझे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। मैं भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि हमें सभी गुरुओं के आदर्शों का पालन करने की शक्ति मिले और हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकें।

Guru Purnima Par Bashan 500 Words

प्रिय सभी शिक्षकों, माननीय अध्यापकों, विद्यार्थियों और प्रिय छात्रों को नमस्कार।

आज हम सभी इस खास मौके पर एकत्र हुए हैं, जो हर वर्ष हमें अपने गुरुओं के सम्मान में मनाने को मिलता है। हाँ, हम बात कर रहे हैं गुरु पूर्णिमा की, जो शिक्षा के पवित्र महोत्सव के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर हम सभी गुरुओं को धन्यवाद देने के लिए एकत्र हुए हैं जिनके द्वारा हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है।

गुरु पूर्णिमा भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है। यह पर्व पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जिस दिन चंद्रमा पूर्णता विकल्प को प्राप्त होता है। यह पर्व शिक्षा के प्रती समर्पण और गुरु-शिष्य के संबंध का प्रतीक है। इस दिन विद्यार्थियों और छात्रों ने अपने गुरुओं को धन्यवाद देने का सबसे उत्तम मौका होता है।

गुरु और शिष्य का संबंध एक अनमोल रिश्ता होता है। गुरु हमें राह दिखाते हैं, हमें सही दिशा में अग्रसर करते हैं और जीवन में सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। गुरु का महत्व इसलिए है क्योंकि वे हमारे जीवन में एक प्रकाश की तरह होते हैं जो अंधकार को दूर करके हमें ज्ञान की दिशा में ले जाते हैं। वे हमारे ध्येय को समझते हैं और हमें उसे प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु पूर्णिमा इस संबंध को मजबूत करने और विकसित करने का एक शुभ दिन है।

इस पवित्र अवसर पर, हमें गुरुओं के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि गुरु हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं और हमें सही और गलत के बीच अंतर को समझने में मदद करते हैं। वे हमें न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि अच्छे मानसिकता और नैतिकता के साथ एक समृद्ध व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

गुरु पूर्णिमा ने हमें गुरुओं के महत्व को समझाया है और हमें उनके सम्मान में साधारण उपहारों और आभूषणों से बढ़कर गुरुदक्षिणा देने का संदेश दिया है। हम गुरुओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए धन्यवादी होते हैं, लेकिन आज हमें अपने गुरुओं के प्रति अपने कृतज्ञता को दिखाने का सुनहरा अवसर मिलता है। हमें उन्हें धन्यवाद देने के लिए शब्दों में व्यक्त करने की जरूरत है कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के बिना हम कहाँ होते।

आज, हमें गुरु पूर्णिमा के इस खास पर्व को और महत्वपूर्ण बनाने की जरूरत है। हमें अपने गुरुओं के सम्मान में कुछ करना चाहिए, जैसे कि उन्हें शिक्षक दिवस पर उपहार देना, उन्हें ध्यान से सुनना और उनके उपदेशों का पालन करना। हमें गुरुओं के सम्मान में एक समारोह आयोजित करके उन्हें सम्मानित करने का प्रयास करना चाहिए।

हम सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं भेजते हैं। आशा है कि हम सभी इस खास अवसर पर अपने गुरुओं के सम्मान में धन्यवाद व्यक्त करेंगे और उन्हें एक समृद्ध जीवन की कामना करेंगे। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र मौके पर, हमें अपने गुरुओं के आशीर्वाद का सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति अपने कृतज्ञता को प्रकट करना चाहिए। धन्यवाद।

आप सभी को धन्यवाद। जय हिंद।

Guru Purnima Quotes in Hindi

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरु के पास ज्ञान का सागर होता है, जिससे अनंत ज्ञान की धारा बहती है। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, आपको मेरा प्रणाम। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं। आपके चरणों में नित्य श्रद्धा रखते हुए, मैं आपका आभारी हूँ। गुरु की महिमा सबसे ऊंची होती है, वही सृष्टि के रचयिता का साक्षात रूप होता है। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर, आपको भीष्मगति प्राप्त हो। गुरु पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर, आपको गुरुओं का आशीर्वाद मिले। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिले, यही मेरी कामना है। गुरु की शिक्षा ने बनाया आदमी को श्रेष्ठ, उसके दर्शन से ही मिलती है विशेषता। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र अवसर पर, आपको मेरा प्रणाम। गुरु हैं वो स्वर्ग के द्वारवर्ती, जिनके दर्शन से होती है छुट्टी मुक्ति। गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, आपको ढेर सारी शुभकामनाएं। गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ आचार्य देवो भवः, पितृ देवो भवः, आचार्यात्मा देवो भवः। मतिः देवो भवः, श्री गुरुवे नमः॥ गुरु की महिमा सबसे ऊँची, गुरु बिन गति नहीं कोई। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ, आपको मेरी तरफ से हैं सभी॥ आपके प्रेरणा से हैं ये सफलताएँ, आपके आशीर्वाद से हैं ये चमत्कार। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, मेरी भक्ति आपको समर्पित है॥ शिक्षक गुरु हैं, ज्ञान के सागर हैं। उनके बिना जीवन व्यर्थ है, आपको गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ॥ गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, भगवान् आपको खुशियों से भर दे। गुरु के चरणों में अपना सर झुका कर, गुरु पूर्णिमा की बधाई स्वीकारें॥

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यह भी पढ़ें –

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) on ( Guru Purnima Speech in Hindi )

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है.

गुरु पूर्णिमा को शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जो हमें ज्ञान के साथ अध्ययन करने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु पूर्णिमा को कैसे मनाया जाता है?

गुरु पूर्णिमा को लोग अपने गुरुओं के समक्ष आभार व्यक्त करने के लिए विशेष आयोजन करते हैं। वे उन्हें फूल, श्रद्धांजलि और उपहार देकर धन्यवाद देते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या विशेष कार्यक्रम होते हैं?

गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न स्कूल और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे भाषण, संगठन, कविता पाठ, गाना, नाटक आदि।

गुरु का महत्व क्या है?

गुरु हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे हमें ज्ञान का सागर होते हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु पूर्णिमा को विदेश में कैसे मनाया जाता है?

विदेश में भी गुरु पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार, भारतीय व्यापारियों, अध्यापकों, और छात्रों के समूहों ने विदेशों में भी गुरु पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया है।

इस अद्भुत अवसर पर आप सभी से यह आग्रह है कि आप भी अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करें और उन्हें सम्मानित करें। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन को सभी मिलकर धैर्य, समर्पण, और भक्ति के साथ आयोजित करें।

तो यह सब “ Guru Purnima Speech in Hindi | Guru Purnima Quotes in Hindi | Guru Purnima Speech in Hindi 500 Words| Guru Purnima Speech in Hindi 300 Words | Guru Purnima Par Speech in Hindi 200 Words के बारे में है।

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गुरुपूर्णिमा पर भाषण Speech on Guru Purnima in Hindi

गुरुपूर्णिमा पर भाषण Speech on Guru Purnima in Hindi

आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी शिक्षकगण, सहपाठियों और अभीभावकों को मेरा नमस्कार। मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

मेरा नाम…..है. मैं कक्षा… में अध्ययन करता हूं। आज हम सभी “गुरु पूर्णिमा पर्व” मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ (जून- जुलाई) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को  मनाया जाता है। इस अवसर पर मैं एक भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।  

“गुरु पूर्णिमा पर्व” नेपाल में मुख्य रूप से हिन्दू, बुद्ध और जैन धर्म के लोग मनाते है। इस दिन गुरुओ, शिक्षको की पूजा और सम्मान किया जाता है। यह पर्व वर्षा ऋतु की शुरुवात में मनाया जाता है। इस समय तापमान बहुत ही अनुकूल रहता है।

सभी का पढ़ने में बहुत मन लगता है। यह दिन महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाते है। इनको सम्पूर्ण मानव जाति का गुरु माना जाता था। गुरु पूर्णिमा के दिन ही संत कबीर के शिष्य संत घीसादास का जन्मदिवस भी मनाया जाता है।

इस दिन ही भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इस दिन ही भगवान शिव ने सप्तऋषियो को योग का ज्ञान दिया था और प्रथम गुरु बने थे।

महान संत कबीरदास ने गुरु के महत्व को इस तरह बताया है-

गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।

अर्थात यदि भगवान और गुरु दोनों सामने खड़े हो तो मुझे गुरु के चरण पहले छूना चाहिये क्यूंकि उसने ही ईश्वर का बोध करवाया है। सिख धर्म में गुरु का विशेष महत्व है क्यूंकि इस धर्म के लोग 10 सिख गुरु की पूजा करते है। उनके बताये मार्ग पर चलते है।

हमारे देश में हर साल 5 सितम्बर को “शिक्षक दिवस” मनाया जाता है, जिसमे गुरू का सम्मान किया जाता है। इस दिन स्कूल, कॉलेजों में गुरुओ, शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।

उनके सम्मान में सभी लोग भाषण देते है, गायन, नाटक, चित्र, व अन्य प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है। पुराने विदार्थी स्कूल, कॉलेज में आकर अपने गुरुजन को उपहार भेंट करते है और उनका आशीर्वाद लेते है।

नेपाल में “गुरु पूर्णिमा” का पर्व गुहा पूर्णिमा के रूप में मनाते है। छात्र अपने गुरु को स्वादिस्ट व्यंजन, फूल मालाएं, विशेष रूप से बनाई गयी टोपी पहनाकर गुरु का स्वागत करते है। स्कूल में गुरु की मेहनत को प्रदर्शित करने के लिए मेलो का आयोजन किया जाता है।

इस दिवस को मनाकर गुरु-शिष्य का रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है। स्कूल, कॉलेज की शिक्षा के बाद हम सभी को गुरु (टीचर्स) की बहुत जरूरत पड़ती है। विद्यार्थी किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाये इसे पता करना बहुत कठिन होता है।

अनेक विकल्प होते है पर कौन सा विकल्प सही है इसका अनुमान करना बहुत कठिन होता है। प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी करे, इंजीनियरिंग करे, डॉक्टर बने या आई टी सेक्टर में कोर्स करे। होटल मैनजेमेंट करे या एमबीए (MBA) करे।

सेना में जाये या बैंकिंग, SSC, रेलवे, शिक्षक, वकालत जैसा कोर्स करे। कई बार विद्दार्थी बहुत दुविधा में रहते है की कौन सा कोर्स करे। ऐसे में गुरु (टीचर्स) ही हमारी योग्यताओ के अनुसार काउंसलिंग करते है।

आजकल यह बहुत प्रसिद्ध हो गया है। अनेक प्राइवेट संस्थाये बच्चो का टेस्ट और रूचि, रुझान देखकर बताती है की हमे किस कोर्स को करना चाहिये। इसलिए गुरु की जरूरत हमे करियर बनाने में बहुत पड़ती है। इतना ही नही गुरु जीवन भर सही रास्ता दिखाता रहता है।

पी०एच० डी० जैसे कोर्स किसी गुरु की देख रेख में ही किया जाता है। हमारे गुरु न सिर्फ बच्चों को बल्कि प्रौढ़ लोगो को भी शिक्षा देते है। नेत्रहीन बच्चो को शिक्षित करने का काम हमारे गुरु ही करते है।

गुरु ही बच्चों, विद्दार्थियों को सही शिक्षा देकर आदर्श नागरिक बनाता है। गुरु के द्वारा शिक्षा लेकर बच्चे सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे बड़े पद को प्राप्त करते है। कोई बच्चा कुशल डॉक्टर बनता है तो कोई कुशल शिक्षक। कोई IAS, PCS करके जिलाधिकारी, अधिकारी जैसा बड़ा पद प्राप्त करता है।

यह तो बात हो गयी करियर की । पर आगे जैसे जैसे हम जिन्दगी में आगे बढ़ते जाते है हमे अनेक तरह की चिंताएं, परेशानियां, समस्याएँ घेर लेती है। ऐसे में आध्याम्तिक गुरु हमे सही राह दिखाते है।

आज देश में श्री श्री रविशंकर , ओशो, जयगुरुदेव, मोरारजी बापू, बाबा रामदेव जैसे अनेक गुरु है जो समाज कल्याण का काम कर रहे है। आज का समाज अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। देश में आतंकवाद , भ्रष्टाचार, अपराध, दूषित मनोवृति, महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ अपराध, बलात्कार जैसी घटनाये बढ़ रही है।

इसका कही न कही संकेत है की लोग भटक गये है। दूषित अपराधिक मन का शिकार बनकर ऐसे अपराध कर रहे है। ऐसी में अत्यात्मिक गुरु हमे सही राह दिखाते है। श्री श्री रविशंकर लोगो को सुदर्शन क्रिया द्वारा तनाव मुक्त होना सिखाते है।

वो हिंसा एवं तनावमुक्त समाज की स्थापना करना चाहते है। इन्होने “आर्ट ऑफ़ लीविंग” फाउन्डेशन की स्थापना की है। बाबा रामदेव बहुत ही प्रसिद्ध गुरु/बाबा है। इन्होने योग को देश के घर घर में पहुँचाया है। हजारो रोगियों का इलाज अपने योग द्वारा किया है।

बाबा रामदेव निशुल्क रूप से योग सिखाते है। इन्होने इसे देश में ही नही बल्कि विदेशो में बहुत प्रसिद्ध कर दिया है। इसके अतिरिक्त इन्होने “पतंजलि आयुर्वेद” कम्पनी की स्थापना की है जो देश भर में सस्ती आयुर्देविक दवाइयां बनाकर बेचती है। इस तरह हम सबके जीवन में गुरु का सदैव महत्व रहता है।

सब धरती कागज करू , लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु , गुरु गुंण लिखा न जाए।।

अर्थात यदि पूरी धरती को लपेट कर कागज बना लूँ, सभी वनों के पेड़ो से कलम बना लूँ, सारे समुद्रो को मथकर स्याही बना लूँ, फिर भी गुरु की महिमा को नही लिख पाऊंगा। गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत मधुर होता है।

अच्छे गुरुजनों को विद्दार्थी हमेशा याद रखते है और जीवनपर्यन्त उनका सम्मान करते है। इसलिए हम सभी को गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे उल्लास से मनाना चाहिये। आशा है आपको मेरा भाषण पसंद आया होगा। अंत में करूंगा की इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ। धन्यवाद!

2 thoughts on “गुरुपूर्णिमा पर भाषण Speech on Guru Purnima in Hindi”

This very nice speech who write this sppech

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गुरु पूर्णिमा की कहानी – आदियोगी शिव से लेकर आज तक का सफर

कैसे मनाना शुरू किया था हमने गुरु पूर्णिमा का उत्सव? सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि ये दिन सभी धर्मों के आने से पहले से एक उत्सव की तरह मनाया जाता रहा है, और इसी दिन इंसान को मुक्ति की संभावना के बारे में बताया गया था।

Story of Guru Purnima in Hindi - आदियोगी शिव से लेकर आज तक का सफर

सीधा प्रसारण देखें

प्रथम गुरु पूर्णिमा की कहानी

योग संस्कृति में, शिव को भगवान के रूप में नहीं देखा जाता, उन्हें पहले योगी, आदियोगी, के रूप में देखा जाता है। 15000 साल पहले, एक योगी हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में दिखाई दिए थे। कोई भी नहीं जानता था कि वो कहाँ से आए थे, और उनका पिछ्ला जीवन कैसा था। उन्होंने अपना परिचय नहीं दिया था - इसलिए लोगों को उनका नाम भी नहीं पता था। इसलिए उन्हें आदियोगी या पहले योगी कहा जाता है।

वे बस आए और बैठ गए और कुछ भी नहीं किया। जीवन का एकमात्र संकेत उनकी आँखों से बह रहे परमानंद के आँसू थे। उसके अलावा, ऐसा भी नहीं लग रहा था कि वे सांस ले रहे हों। लोगों ने देखा कि वे ऐसा कुछ ऐसा अनुभव कर रहे थे, जिसे वे समझने में असमर्थ थे। लोग आए, इंतजार किया और चले गए क्योंकि वो योगी अन्य लोगों की मौजूदगी से अनजान थे।

केवल सात लोग वहीँ रुके रहे। ये सातों उन योगी से सीखने का निश्चय कर चुके थे। आदियोगी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने अनुरोध किया, "जो आप जानते हैं, वो हम भी जानना चाहते हैं।" उन्होंने उन्हें खारिज कर दिया, "तुम लोग मूर्ख हो, जिस तरह से तुम हो, वैसे तो तुम दस लाख वर्षों में नहीं जान पाओगे। तुम्हें तैयारी करने की जरूरत है। इसके लिए जबरदस्त तैयारी की आवश्यकता है। यह मनोरंजन नहीं है। "

लेकिन वे सीखने के लिए बहुत आग्रह(जोर दे कर कहना) कर रहे थे, इसलिए आदियोगी ने उन्हें कुछ प्रारंभिक साधना दी। फिर उन सातों ने तैयारी शुरू कर दी - दिन सप्ताह में बदले, सप्ताह महीनों में, और महीने वर्षों में - वे तयारी करते रहे। आदियोगी बस उन्हें नजरअंदाज करते रहे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 84 साल तक साधना की थी। फिर, एक पूर्णिमा के दिन, 84 वर्षों के बाद, उस दिन जब सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहा था - जिसे इस परंपरा में दक्षिणायन के रूप में जाना जाता है - आदियोगी ने इन सात लोगों को देखा। वे ज्ञान के चमकदार पात्र बन गए थे। वे प्राप्त करने के लिए बिल्कुल परिपक्व(तैयार) थे। वे अब उन्हें अनदेखा नहीं कर सके।

आदियोगी उन्हें बारीकी से देखते रहे और अगली पूर्णिमा के दिन, उन्होंने एक गुरु बनने का फैसला किया। वो पूर्णिमा का दिन, गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा, वो पूर्णिमा है जब पहले योगी ने खुद को आदिगुरु या पहले गुरु में बदल दिया। वह दक्षिण की ओर मुड़ गए - यही कारण है कि वे दक्षिणामुर्ती के रूप में भी जाने जाते हैं - और सात शिष्यों को योग विज्ञान देना शुरू किया। इस प्रकार, दक्षिणायण की पहली पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा कहलाती है। इस दिन पहले गुरु प्रकट हुए थे।

गुरु पूर्णिमा: पार करने की संभावना

यह संचरण - दुनिया का पहला योग कार्यक्रम - केदारनाथ से कुछ किलोमीटर ऊपर, कान्तिसरोवर झील के किनारे हुआ था। "योग" से हमारा मतलब, शरीर को मोड़ना या अपनी सांस को रोकना नहीं है। हम जीवन की तकनीक की, और सृष्टि के इस टुकड़े - आप खुद - को इसकी परम संभावना तक ले जाने की बात कर रहे हैं। मानव चेतना का यह असाधारण आयाम, या इंसान के ब्रह्माण्ड तक पहुँचाने वाली एक खिड़की बन जाने की संभावना, का खुलासा इस दिन किया गया था।

गुरु पूर्णिमा मानवता के जीवन के सबसे महान क्षणों में से एक है। यह ऊपर उठने और मुक्ति पाने के बारे में है, जो कि एक ऐसी संभावना है जिसके बारे में मनुष्य कभी नहीं जानते थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका वंश क्या है, आपके पिता कौन थे, या आप किन सीमाओं के साथ पैदा हुए थे या आपने खुद पर लगा दी हैं, यदि आप प्रयास करने के इच्छुक हैं, तो आप उन सभी चीज़ों से ऊपर उठ सकते हैं। मानव इतिहास में पहली बार उन्होंने घोषणा की थी, कि मनुष्य के लिए चेतन होकर विकास करना संभव है।

कुछ साल पहले, मैंने एक अमेरिकी पत्रिका के साथ इंटरव्यू में हिस्सा लिया था। उन्होंने मुझसे एक प्रश्न पूछा, "पश्चिम में मानव चेतना के लिए काम करने वाले सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन हैं?" बिना किसी हिचकिचाहट के, मैंने कहा, "चार्ल्स डार्विन"। उन्होंने कहा, "लेकिन चार्ल्स डार्विन तो एक जीवविज्ञानी है।" मैंने हाँ कहा, लेकिन वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लोगों को बताया कि विकास करना संभव है। आप अभी जो हैं, उससे कुछ ज्यादा बनना संभव है।

पश्चिमी जगत के वे समाज जो विकासवाद को मानते हैं, आज आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए खुलापन रखते हैं। जो लोग मानते हैं कि भगवान ने हमें ऐसा ही बनाया है और इसके अलावा और कुछ भी नहीं मानते - वे ऐसी किसी भी संभावना के लिए खुले नहीं हैं।

डार्विन ने दो सौ साल पहले जैविक विकास की बात की थी। आदियोगी ने पंद्रह हज़ार साल पहले आध्यात्मिक विकास की बात की थी। उनकी शिक्षा का सार यह है कि इस अस्तित्व में प्रत्येक परमाणु, यहाँ तक कि सूर्य और धरती की अपनी चेतना है; लेकिन उनके पास समझदार मन नहीं है। जब चेतना के साथ एक समझदार मन भी जुड़ जाता है, तो ये सबसे शक्तिशाली संभावना होती है। यही चीज़ मानव जीवन को इतना असाधारण बनाती है।

गुरु पूर्णिमा की कहानी में मानसून की भूमिका

Story of Guru Purnima in Hindi -   मानसून की भूमिका

आदियोगी ने जब योग विज्ञान को सातों ऋषियों तक पहुंचा दिया, तब वे दुनिया भर में योग विज्ञान को फैलाने के लिए तैयार हुए। उनमें से एक, अगस्त्य मुनी, दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़ गए। अगस्त्य मुनी ने एक ऐसा जीवन जीया, जिसे लगभग अतिमानवी(सुपरह्यूमन) माना जा सकता है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हिमालय के दक्षिण में जहां भी लोग रह रहे हैं, वहां एक आध्यात्मिक प्रक्रिया हो। कई मायनों में, आज हम जो कुछ भी करते हैं, जिसे हम ईशा योग कहते हैं, वो अगस्त्य के काम का एक छोटा सा विस्तार है।

अगस्त्य मुनि के दक्षिण की ओर जाने की वजह से, योगियों और आध्यात्मिक साधकों के मौसमों के बदलने के साथ-साथ, हिमालयी क्षेत्र से दक्षिण की ओर जाकर वापस आने की परम्परा शुरू हुई। यह निरंतर चक्र हजारों सालों से चला आ रहा है। गर्मियों के दौरान, वे हिमालयी गुफाओं में होते हैं, और सर्दियों में वे दक्षिण आ जाते हैं। उनमें से कई रामेश्वरम तक यात्रा करते हैं, जो कि महाद्वीप की दक्षिणी नोक है, और फिर से हजारों किलोमीटर चलकर उत्तर जाते हैं।

दक्षिण आने और फिर से उत्तर तक यात्रा करने की यह परंपरा अगस्त्य के समय से एक वार्षिक चक्र के रूप में चली आ रही है। आज, संख्याएं घट गई हैं, लेकिन एक समय था जब योगी सैकड़ों और हजारों की संख्या में यात्रा करते थे। उन दिनों, बड़ी संख्याओं में यात्राएं होने की वजह से, मानसून का यह महीना एक चुनौती था।

हमें अब इसका अधिक अनुभव नहीं होता, लेकिन मानसून परंपरागत रूप से एक बहुत ही प्रचंड प्रक्रिया रही है। मानसून शब्द अपने आप में एक निश्चित गति और प्रचंडता का अहसास दिलाता है। जब प्रकृति इतनी प्रचंड हो जाती थी, तब पैर से यात्रा करना मुश्किल हो जाता था। आम तौर पर यह निर्णय लिया जाता था, कि इस महीने के लिए, हर कोई जहां भी संभव हो सके, आश्रय ले लेगा।

काफी समय बाद, गौतम बुद्ध ने भी इस महीने के लिए अपने भिक्षुओं के लिए आराम निर्धारित किया - बस उन्हें मौसम की स्थिति से आराम दिलाने के लिए, क्योंकि लोगों के लिए यात्रा करना बहुत कठिन हो जाता था। उन्हें एक ही जगह रहना होता था, इसलिए ये तय किया गया कि ये महीना गुरु की निरंतर याद में बिताया जाए।

गुरु पूर्णिमा की कहानी सभी धर्मों से पुरानी है

हजारों सालों से, गुरु पूर्णिमा को उस दिन के रूप में हमेशा पहचाना और मनाया जाता था, जब मानव जाति के लिए नई संभावनाएं खुली थीं। आदियोगी की ये भेंट सभी धर्मों से पुरानी है। इससे पहले कि लोग मानवता में इस तरह फुट डालने के विभाजनकारी तरीके तैयार करते कि उसे जोड़ना असंभव लगता, मानव चेतना को ऊपर उठाने के लिए आवश्यक सबसे शक्तिशाली उपकरणों को तैयार करके लोगों तक पहुंचाया जा चुका था। हजारों साल पहले, आदियोगी ने हर संभव तरीके से खोज की जिससे आप मानव तंत्र को रूपांतरित करके परम संभावना तक ले जा सकते हैं।

ये तरीके इतने रिफाइंड और जटिल हैं, कि विश्वास करना मुश्किल है। ये सवाल करना कि क्या उस समय लोग इतने रिफाइंड थे, कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि यह एक निश्चित सभ्यता या विचार प्रक्रिया से नहीं आया था। यह एक भीतरी बोध से आया था। उनके आस-पास क्या हो रहा था उसके साथ इसका कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने सिर्फ खुद को सभी के साथ बांटा था। उन्होंने बहुत विस्तार से, मानव सिस्टम के हर बिंदु का अर्थ और उससे जुड़ी संभावना बताई।

आप आज भी एक भी चीज़ नहीं बदल सकते, क्योंकि वो हर बात जो बताई जा सकती है, उन्होंने बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान तरीकों से बताई। आप बस उसे समझने की कोशिश में अपना पूरा जीवन लगा सकते हैं।

हम आजकल गुरु पूर्णिमा क्यों नहीं मना रहे हैं?

गुरु पूर्णिमा ऊपर उठने और मुक्ति पाने के बारे में है - जो कि ऐसी संभावनाएं हैं जिनके बारे में मनुष्य कभी नहीं जानते थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका वंश क्या है, आपके पिता कौन थे, या आप किन सीमाओं के साथ पैदा हुए थे, या आपने खुद पर लगा दी हैं, यदि आप प्रयास करने के इच्छुक हैं, तो आप उन सभी चीज़ों से ऊपर उठ सकते हैं। इस दिन को इस रूप में पहचाना गया था और ये दिन हजारों वर्षों तक इस संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक था।

लेकिन पिछले 300 वर्षों में इस देश पर शासन करने वाले लोगों की अपनी योजना थी। उन्होंने देखा कि जब तक लोग आध्यात्मिक रूप से स्थिर और मजबूत होते हैं, तब तक आप उन पर शासन नहीं कर सकते। गुरु पूर्णिमा के दिन छुट्टी क्यों नहीं है? रविवार को अवकाश क्यों होना चाहिए? रविवार को आप क्या करते हैं - आलू चिप्स खाते हैं और टेलीविजन देखते हैं। आपको यह भी नहीं पता कि क्या करना है! लेकिन अगर पूर्णिमा या अमावस्या के दिन छुट्टी हो, तो हम जानते हैं कि क्या करना है।

मैं चाहता हूं कि आप सभी ऐसा कीजिए। इस गुरु पूर्णिमा पर ऑफिस मत जाइए। छुट्टी के लिए अप्लाई कीजिए और कहिए, "उस दिन गुरु पूर्णिमा है, इसलिए मैं नहीं आ रहा हूं।" अपने सभी दोस्तों को छुट्टी के लिए अप्लाई करने के लिए कहिए, क्योंकि उस दिन गुरु पूर्णिमा है। उस दिन आपको क्या करना चाहिए? उस दिन को अपने भीतरी कल्याण के लिए समर्पित कीजिए, हल्का भोजन कीजिए, संगीत सुनिए, ध्यान कीजिए, चंद्रमा को देखिए - यह आपके लिए शानदार होगा क्योंकि यह संक्रांति के बाद पहली पूर्णिमा है। कम से कम दस अन्य लोगों को बताइए कि ये एक महत्वपूर्ण दिन है।

अब समय आ गया है, कि एक महत्वपूर्ण दिन ही छुट्टी का दिन हो। कम से कम, गुरु पूर्णिमा के दिन छुट्टी होनी चाहिए ताकि लोग इसका महत्व जान सकें। जब मानव जाति के साथ इतनी जबरदस्त घटना घटी तो इसे बर्बाद नहीं होना चाहिए।

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Guru Purnima Speech - 10 Lines, Short and Long Speech

  • Speech on Guru Purnima -

Guru Purnima is a traditional Hindu festival dedicated to an enlightened spiritual master, also known as a Guru. This auspicious day falls on the first full moon after the summer solstice in the Hindu month of Ashad (July to his August).

  • 10 lines on Guru Purnima

Short Speech on Guru Purnima

Guru Purnima Speech - 10 Lines, Short and Long Speech

The guru purnima is the festival of a teacher and his student.

The day is celebrated by Hindu and Buddhist peoples from India.

The day is celebrated to show gratitude to our teachers.

It is celebrated by Hindus, Jains and Buddhists in India, Nepal and Bhutan.

As per hindu calendar it is observed in the full moon of the Ashadh month.

This festival is also known as Vyas Purnima, as the Hindu religious writer Maharshi Vyas is believed to be born on this day.

Teachers lead us to success and prepare us for future challenges.

In India, Guru Purnima is celebrated in schools, colleges, temples and monasteries.

On this occasion people worship their gurus. Students then touch their feet and accept the teacher's blessing.

The relationship between teacher and student has been of great importance since ancient times.

Good morning everyone. Today I stand here to talk to you about the celebration of Guru Purnima.

Guru Purnima is a day to honor and celebrate the teachings of our spiritual masters or gurus. It is celebrated on the full moon day of the Hindu lunar month of Ashadha, which falls in June or July. Gurupurnima is a day to remember the divine service of our spiritual masters. It is a day to thank them for the guidance and wisdom they have provided us with.

Guru Purnima is an auspicious day to pray for our gurus and seek their blessings. Prayers should be done with a pure heart and with gratitude.

The celebration of Guru Purnima does not just involve praying and offering gratitude to our gurus. It also involves celebrating their teachings and following their example. We should strive to live in harmony with nature and other human beings, just as our gurus have taught us.

So, let us all take this special day to honor and celebrate our spiritual masters and the teachings they have provided us with. Let us strive to live our lives in a way that reflects the values and principles they have taught us.

Long Speech on Guru Purnima

Guru Purnima is celebrated as a festival by Hindus, Jains and Buddhists in India, Nepal and Bhutan and is dedicated to all academic and spiritual gurus or teachers.

Traditionally, Guru Purnima is celebrated by Buddhists to commemorate Gautam Buddha's first sermon to his five disciples at Sarnath in Uttar Pradesh, but is also celebrated by Hindus and Jains. People celebrate this festival to honour their teachers. Guru purnima is the festival of joy and happiness.

Meaning of Guru Purnima

Guru Purnima is an important religious holiday celebrated in Hinduism, Buddhism, and Jainism. It is celebrated on the full moon day of the Hindu month of Ashadha (July–August). It is the day to honor and pay respect to one’s spiritual teachers or gurus.

In Hinduism, Guru Purnima is a day to honor and pay respect to the teacher who has guided one’s spiritual journey. It is believed that on this day, the god Shiva, who is considered to be a great spiritual teacher, appeared on earth. Hindus offer prayers and perform special rituals to express their gratitude towards their teachers.

In Buddhism, Guru Purnima is a day to honor the Buddha and his teachings. Buddhists perform special rituals to pay homage to the Buddha and express their gratitude for his teachings.

In Jainism, Guru Purnima is a day to honor the Jain saints and teachers. Jains offer prayers, perform special rituals and make offerings to their teachers.

The meaning of Guru Purnima is to recognise and appreciate the contribution of teachers in one’s life. It is a day to express gratitude for the guidance and advice given by the teachers and to thank them for their support and encouragement. It is also a day to remember the teachings of the teachers and to strive to live according to them.

Guru Purnima Celebration

Guru Purnima is an auspicious festival that honors spiritual and academic teachers and is celebrated in the Hindu, Jain and Buddhist religions. It is celebrated on the full moon day of the Hindu lunar month of Ashadha (June–July).

To celebrate Guru Purnima, you can:

1. Offer Prayers: Start the day by offering prayers to your guru. Light a diya (lamp) in front of a picture or idol of your guru, offer flowers and incense, and chant mantras or verses of gratitude.

2. Participate in Puja: Participate in a special puja (ceremony) with your guru or at your home. Offer sweets and fruits to the gods and goddesses and seek blessings for everyone.

3. Express Gratitude: Express your gratitude to your guru by writing a letter or poem or simply verbally expressing your appreciation. Offer them gifts or donations if you can.

4. Give Back: Take this opportunity to give back to society in the name of your guru. Volunteer at a local charity, make a donation to a cause, or help someone in need.

5. Visit Temples: Visit temples dedicated to your guru and offer prayers to seek their blessings.

6. Celebrate: Celebrate this day with your family and friends. Enjoy festivities such as special musical performances, cultural programs, and lectures by spiritual leaders.

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  • Updated on September 11, 2020

Speech on Guru Purnima 2021 : English, Hindi Marathi

by Omkar Dixit

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speech on guru purnima

India has always been a land of spiritual masters. We have an ancient tradition of rishis, yogis and gurus as they were the one who used to deliver knowledge and wisdom to students accumulated over generations. We all know that the festival holds immense importance in the Hindu culture. It is a day that’s observed to revere your spiritual and academic teachers. Students organize function on the day to pay respects to the teachers in their college or schools. If you are too looking for making this day memorable for your respected teachers, we are here to help you. Nothing can make this day more beautiful than a beautiful and short Guru Purnima speech.

You don’t have to go anywhere looking for content, we have collected Guru Purnima speech in 100 words that are brilliant, and your teachers would love it.

Guru Purnima Speech for Students

A lot of times students get confused, as they don’t know how to prepare a speech on guru in my life. So they either end up not participating altogether or go on the stage with a mediocre one. Both are bad, in our opinion.

Don’t worry if you are afraid to speak in English, we have got you covered. We have Guru Purnima speech in Hindi as well as Marathi. So you can be comfortable while speaking and yet make a lasting impression in front of the crowd.

Here are the three speeches that are going to help you in English, Hindi and Marathi.

Short Guru Purnima Speech in English Language for Students

So this was shortest English speech which you can deliver on the occasion of Guru Purnima 2019.

Guru Purnima 2019 Speech in Hindi

Don’t forget to share this Guru purnima Speech in Hindi language with your friends.

Best Guru Purnima Speech in Marathi Language for Students

You can download this speech on guru purnima in marathi language. This is very easy to learn and deliver on the guru purnima festival.

Final Words

Now that we have provided you short Guru Purnima speech in English , Hindi and Marathi Language. You are all set to make the day memorable for everyone.

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Guru Purnima Speech in Hindi

Guru Purnima Speech in Hindi: गुरु पूर्णिमा पर भाषण

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Guru Purnima Speech in Hindi

यहां हम आपको “Guru Purnima Speech in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Guru Purnima Par Speech in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Guru Purnima Par Speech in Hindi 200 Words (Guru Purnima speech For 2nd Standards)

आज हम सभी यहां गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक साथ इस पर्व को मानने के लिए एकत्रित हुए हैं। गुरु की महिमा पर जितना भी कहा जाए कम ही है। कबीर दास जी ने इस विषय पर कुछ इस प्रकार से कहा है की, “सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय। सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥” अर्थात अगर पूरी धरती को कागज कर दिया जाय, सभी वनों को कलम और सातों समुद्र को स्याही बना दिया जाए तो भी गुरु के गुणों को लिखा नहीं जा सकता है।

गुरुओं का अस्तित्व धरती के सृजन के साथ ही माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के त्योहार का पौराणिक महत्व है। महान गुरु ऋषि वेद व्यास जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था। भगवान शिव जिन्हें ऋषियों का गुरु माना जाता है, उन्होंने भी आज ही के दिन सप्त ऋषियों को ज्ञान दिया था। वेदों और अन्य धार्मिक पुस्तकों में गुरुओं की महिमा का इस प्रकार से वर्णन किया गया है, की लगता है शब्दकोश के शाब्दिक अर्थ इनके गुणों का गुणगान करने में सक्षम नहीं हैं। गुरुओं की महिमा तो स्वयं भगवान ने भी गई है। इन्हीं शब्दों के साथ आज की स्पीच को विराम देती हूं। एक बार फिर से सभी गुरूओं को मेरा प्रणाम!

गुरु पूर्णिमा पर निबंध 200 शब्द गुरु पूर्णिमा पर निबंध 300 शब्द गुरु पूर्णिमा पर निबंध 500 शब्द गुरु पूर्णिमा पर निबंध 800 शब्द

Speech on Guru Purnima in Hindi 300 Words 

जल बिना जीवन नहीं, गुरु बिना नहीं है ज्ञान। जल धोए तन का मैल, गुरु मिटाएं अज्ञान। पानी से केवल तन का मैल धोया जा सकता है लेकीन एक सच्चा गुरु साबुन और पानी की तरह शिष्य के अंधकार रूपी मैल को धोकर उसे उज्जवल ज्ञान प्रदान करता है। गुरुओं का स्थान भगवान से भी ऊंचा बताया गया है। कबीर दास जी कहते हैं, की अगर गुरु और भगवान दोनों में से किसी एक को चुनना हो या एक को पहले नमन करना हो तो सबसे पहले गुरु को ही चुनना चाहिए क्योंकि गुरू ने ही संसार से उन्हें अवगत करवाया है। हिंदू परंपरा के साथ गुरुओं बौद्ध और सिख आदि धर्म में भी गुरुओं को भगवान का दर्जा दिया है।

भारत में गुरु और शिष्य की परंपरा आज से नहीं बल्कि श्रष्टि के सृजन के समय से है। भगवान शिव को सब गुरुओं का गुरु माना जाता है। उन्होंने ही सर्वप्रथम सप्त ऋषियों को गुरु पूर्णिमा के ही दिन ज्ञान दिया था। भारत का इतिहास गुरु और शिष्य परंपरा से भरा पड़ा है। जिसे आज भी पढ़कर लोगों को प्रेरणा मिलती है। स्वामी विवेकानंद जी जिनके आचरण का शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता वे भी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के प्रभाव के कारण एक भारत के एक महान विभूति के रूप में जाने जाते हैं। इस संस्कृति में मनुष्य तो मनुष्य, देवताओं और राक्षसों के भी गुरु रहे हैं, जो उन्हें प्रेरित करते थे और यह रीति आज तक चली आ रही है। गुरु और शिष्य की यह परंपरा कल भी थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। बस इन्हीं शब्दों के साथ आज के भाषण को विराम देना चाहूंगी। एक बार फिर यहां उपस्थित सभी गुरुओं को मेरा प्रणाम और गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। 

Guru Purnima Par Bashan 500 Words

गुरु के लिए यूं तो कोई एक दिन नहीं होता है। सभी दिन गुरुओं की महिमा का गायन किया जाना चाहिए। लेकिन आज के दिन का पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व है, इसलिए हम सभी आज यहां गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इस पर्व को मानने के लिए एकत्रित हुए हैं। आज के दिन का महत्व पौराणिक कथाओं में भी बताया गया है। कहा जाता है की धरती के पालनकर्ता भगवान हैं, इसलिए वे पूजनीय हैं, जिन्होंने मुझे और आप सबको बनाया है। लेकिन गुरु वे होते हैं, जिन्होंने हमारा परिचय भगवान से करवाया है। इसलिए गुरुओं का दर्जा भगवान से भी ऊपर का बताया गया है। गुरु शब्द संस्कृत भाषा से लिए गया है। जिसमें ‘गु’ का अर्थ है, अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है दूर करने वाला। गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से महर्षि वेदव्यास से जुड़ा हुआ है गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं में वेदव्यास जी और गुरु पूर्णिमा के बारे में काफी कुछ बताया गया है, जैसे कि ऋषि वेदव्यास को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि वह विष्णु भगवान का अंश है। ऋषि वेदव्यास बचपन से ही बड़े विद्वान थे। उनसे जुड़ी एक छोटी सी कहानी कुछ इस तरह है की, उन्होंने छोटी सी उम्र में भगवान की भक्ति कर उनसे मिलने की इच्छा अपने माता-पिता के सामने रखी। उन्होंने माता-पिता से तपस्या करने के लिए वन में जाने की आज्ञा भी मांगी लेकिन माता-पिता ने उन्हें पहले तो, मना कर दिया लेकिन बाद में उन्हें तपस्या करने के लिए आज्ञा दे दी। ऐसा कहा जाता है कि करोड़ों वर्ष की तपस्या के बाद तपस्या के फलस्वरूप उन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त हुआ वे संस्कृत के प्रचंड विद्वान बने। महर्षि वेदव्यास पहले ऋषि थे जिन्होंने चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त किया और उसके बाद चारों वेदों की व्याख्या भी की। महर्षि वेदव्यास द्वारा चार वेद 18 पुराण और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की गई थी। वेदव्यास जी ने इन सभी महान ग्रंथों की रचना पूर्णिमा के दिन ही की थी इसलिए पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में तो गुरुओं को भगवान का दर्जा दिया गया है इसके अलावा गुरुओं के प्रति अपार श्रद्धा हमें सिख धर्म में भी देखने को मिलती। सिख धर्म में भी 10 गुरु हुए हैं, जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना करने से लेकर धर्म के संचालन तक के नियम स्थापित किए हैं। आज सारे विश्व में सिख धर्म के लोगों द्वारा अपने गुरुओं की वाणी को भगवान की वाणी की तरह माना जा रहा है और गुरुओं के उपदेश अनुसार मानव सेवा की जा रही है। गुरुद्वारा ही व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान किया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं हमने भी बचपन से ही गुरु का सहारा लेकर अपना जीवन जीना शुरु किया। व्यक्ति अपने जीवन में कई सारे सारे गुरु बनाता है गुरु उसे कहते हैं, जिससे व्यक्ति कुछ सीखता है, या उस व्यक्ति की राय आपको आगे बढ़ने में मदद करती है। देखिए अंत में मैं बस यही कहना चाहता हूं, कि गुरु की जरूरत सभी व्यक्तियों को होती है। हमें अपने जीवन में किसी ना किसी व्यक्ति को गुरु जरूर बनना चाहिए एवं सच्चे शिष्य की तरह उनकी सेवा भी करनी चाहिए।

Guru Purnima Quotes in Hindi

“समय भी सिखाता है और गुरु भी! पर दोनों मे फर्क सिर्फ इतना है कि गुरु लिखाकर परीक्षा लेता है, और समय परीक्षा लेकर सिखाता है!

Happy Guru Purnima Wishes

आप से सीखा है सब, आप से है जाना आप ही गुरु है मेरे, आपको ही सब माना सीखा है सब आपसे ही हमने  कलम का मतलब भी आपसे जाना

Happy Guru Purnima Wishes

गुरु से सिखा, गिरना संभलन  हार मुश्किल में आगे बढ़ना.. राह में थक कर रुक ना जाना, आगे बढ़कर मंजिल को पाना..

Happy Guru Purnima Wishes

गुरु आपके उपकारों का, चुकाऊँ मैं कैसे मोल, लाख कीमती धन भला है गुरु मेरा अनमोल।।

Happy Guru Purnima Wishes

उनके बारे में क्या लिखूं जिन्होंने मुझे लिखना सिखाया

happy guru purnima image

खुली आंखों से देखे हुए सपने सच हो सकते हैं आपने सिखाया है, किसी की जुबान से निकले हुए अल्फाज भी सच हो सकते है, आपने सिखाया है,

guru purnima quotes in hindi

Guru Purnima Wishes in Hindi

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु शिष्य स्टेटस hindi

सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नहीं, गुरु ने सिखाया जीवन ज्ञान। गुरुमंत्र को कर लो आत्मसात हो जाओ भवसागर पार।

guru purnima quotes in hindi

अक्षर-अक्षर हमें पढ़ते हर शब्द का अर्थ बताते कभी डांटकर कभी प्यार से, जीवन जीने का पाठ पढ़ाते।

guru purnima quotes in hindi

जिनकी डांट में एक अद्भुत ज्ञान होता है, जिनके लिए मन में सम्मान होता है जो जन्म देते हैं, कई महान शख्सियतों को वे गुरु ही तो सबसे महान होते हैं।

guru purnima status images

इस संसार में गुरु की महिमा है अगम, जिसको गाकर तरता है, शिष्य। गुरु कल का अनुमान कर, है आज गढ़ता भविष्य।
हमें शांति का पाठ पढ़ाकर मिटाया मन का अंधकार गुरु ने ही सिखाया हमें नफरत पर जीत है प्यार।।

Happy Guru Purnima Wishes

तुम गुरु पर ध्यान दो, गुरु तुम्हें ज्ञान देंगे, तुम गुरु को सम्मान दो, गुरु तुम्हें ऊंची उड़ान देंगे।।

guru purnima status images

माता-पिता ने हमें जन्म दिया, गुरु ने पढ़ना सिखाया है, शिक्षा देकर हम सब को अपने जीवन में आगे बढ़ाया है।
जीवन में जो झुक जाता है इनके आगे, वो सबसे ऊपर उठ जाता है, गुरु की छत्र छाया में, सबका जीवन सुधर जाता है।
जीवन पथ जहाँ से आरंभ होता है, उस को राह दिखाने वाला गुरु ही होता है।।
मन्दिर है विद्यालय मेरा, गुरु मेरे भगवान हैं हमारे मन में नित्य उनके लिए सम्मान है।।

guru purnima quotes in hindi

Guru Purnima Par Speech Hindi Mein

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Guru Purnima Speech in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Guru Purnima Par Speech in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Guru Purnima Speech in Hind कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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हिंदी कोना

Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण

आज हम “गुरु पूर्णिमा पर भाषण” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप ’ Guru Purnima Speech in Hindi ’ में पढ़ेंगे। स्कूल या कॉलेज मे गुरु पूर्णिमा से शुभ अवसर पर अपने गुरुओ का धन्यवाद करने के लिए मंच पर भाषण देने की परम्परा है आप निचे दिए गए भाषण का प्रयोग अपने शिक्षकों को धन्यवाद देने के लिए प्रयोग कर सकते है।

Guru Purnima Speech in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकों, अभिभावकों, और मेरे प्रिय साथियो,

आज, गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, हम यहां अपने गुरुओं को धन्यवाद और उनका सम्मान करने के लिए एकत्रित हुए हैं, जिन्होंने हमें ज्ञान और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। गुरु पूर्णिमा एक विशेष दिन है जो हमारे शिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के लिए समर्पित है, जो हमारे जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एक गुरु केवल एक शिक्षक नहीं है जो ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि एक प्रकाश स्तम्भ है जो हमारे मार्ग को रोशन करता है, मूल्यों को स्थापित करता है और हमारे भीतर सीखने के जुनून को प्रज्वलित करता है। शिक्षक जीवन के मूल्यवान शिक्षा को प्रदान करने के लिए पाठ्यपुस्तकों और कक्षाओं से परे जाते हैं और जीवन की शिक्षा एक दोस्त एक सहपाठी बन कर समझते है जो हमेशा हमारे साथ रहती हैं। हमारे गुरु हमें न केवल विषय पढ़ाते हैं बल्कि हमारे चरित्र, नैतिकता और मूल्यों का भी पोषण करते हैं।

शिक्षक हमें गंभीर रूप से सोचने, सवाल करने और सतह से परे ज्ञान की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे हमें बड़े सपने देखने, लक्ष्य निर्धारित करने और जो भी हम करते हैं उसमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे हमें चुनौतियों से उबरने और अपनी वास्तविक क्षमता का आंकलन करके लक्ष्य कैसे प्राप्त करे इसका मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

इस गुरु पूर्णिमा पर, आइए हम अपने गुरुओं के अपार योगदान पर विचार करें। शिक्षण जो ज्ञान के साथ हमें सशक्त बनाने के लिए अपना समय, ऊर्जा और विशेषज्ञता समर्पित करते हैं। वे हम पर विश्वास करते हैं जब हम खुद पर संदेह करते हैं और हमारी यात्रा के दौरान अटूट समर्थन प्रदान करते हैं।

उनके प्रयासों को स्वीकार करना और उनकी सराहना करना हमारा कर्तव्य और जिम्मेदारी है। आइए हम अपने गुरुओं के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, समर्पण और प्रेम के लिए आभार व्यक्त करें। उनका प्रभाव कक्षाओं और पाठ्यपुस्तकों की सीमाओं से बहुत आगे तक फैला हुआ है। वे मार्गदर्शक सितारे हैं जो हमारे भीतर जिज्ञासा और जुनून की आग को प्रज्वलित करते हैं।

मैं उन सभी शिक्षकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा जिन्होंने हमारे जीवन मे एक मार्गदर्शक होने की भूमिका निभाई। हमारे सभी गुरु का हमारे मार्गदर्शक और हमारी प्रेरणा बनने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं! हम सीखते रहें, बढ़ते रहें और अपने गुरुओं को गौरवान्वित करें। धन्यवाद।

हमें आशा है आप सभी को Guru Purnima Day Speech in Hindi पसंद आया होगा। आप इस लेख को speech on Guru Purnima in Hindi के लिए भी प्रयोग कर सकते है।

Guru Purnima in Hindi ( RSS ) – गुरु पूर्णिमा

Today we will get knowledge on One of the famous Hindu Festival Guru Purnima in Hindi. परम पवित्र भगवा ध्वज , श्रद्धेय आद्य सरसंघचालक जी , गुरुजी , अध्यक्ष महोदय तथा छोटे-बड़े स्वयंसेवक बंधु। श्री गुरु पूर्णिमा के पावन बेला में आप सभी का हार्दिक अभिनंदन एवं स्वागत है।

Table of Contents

गुरु पूर्णिमा – Guru Purnima in Hindi

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में छह प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं , जिसमें से यह एक प्रमुख पर्व है। पूर्व सभी कार्यक्रमों में श्री गुरु पूर्णिमा तथा श्री गुरु दक्षिणा कार्यक्रम एक साथ किया जाता था किंतु इस चुनौती के दौर में दोनों कार्यक्रम अलग-अलग मनाने का प्रयत्न किया गया है।

आज हम श्री गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के निमित्त उपस्थित हुए हैं।

भारतीय जीवन शैली में गुरु का विशेष महत्व है। बालक के प्रथम गुरु के रूप में जहां माता-पिता माने जाते हैं , वहीं उनके संस्कारों और जीवन के मूल्यों को स्थापित करने के लिए पारंपरिक गुरु की आवश्यकता होती है।

वर्तमान समय में गुरु को विभिन्न नामों से जाना जाता है

जैसे – शिक्षक , टीचर , अध्यापक। जबकि गुरु इन सभी से ऊपर होता है समझने का प्रयास ना करें तो –

  • जहां सीखना होता है वहां शिक्षक की आवश्यकता होती है।
  • जहां टॉक है संवाद है वहां टीचर की आवश्यकता होती है
  • जहां अध्ययन किया जाता है वहां अध्यापक की आवश्यकता होती है

जबकि गुरु को विशाल रूप में माना गया है , यही भारतीय परंपरा की खासियत है। गुरु का संबंध द्विपक्षीय नहीं है , जैसे आपने उपरोक्त समझा।  गुरु एक अवस्था है , वह तुल्य मान है , वह एक स्थिति है।  गुरु का शाब्दिक अर्थ – बड़ा , विशाल , भारी होता है। जिसका सीधा संबंध उस विशाल और सर्वोच्च स्थिति से है , जिस से बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता।

अष्टावक्र का उदाहरण ले तो , उन्होंने अपने जीवन में आठ गुरु माने हैं। यह गुरु कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक स्थिति या अवस्था है। जैसे उनके प्रमुख गुरु थे – कुत्ता , गधा , बगुला।

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उन्होंने ऐसे- ऐसे आठ गुरु बनाए , उन गुरुओं से उन्होंने सीख लिया।

१ कुत्ते से उन्होंने एकाग्रता स्वामी भक्ति आदि को ग्रहण किया।

२ वही गधे से बढ़कर सहनशील कोई और नहीं हो सकता।  वह कितने भी मार-पिटाई के बाद भी प्रतिक्रिया नहीं करता। वह उग्र नहीं होता ऐसी अवस्था को उन्होंने स्वीकार किया और उसे गुरु के रूप में ग्रहण किया। वर्तमान समय में गुरु की वह महत्ता लगभग समाप्त होती जा रही है। आज विद्यालय का समय है , विद्यालय में बालक को गुरु चयन करने स्वतंत्रता नहीं होती है। वहां एक परिपाटी होता है , यह विषय वह शिक्षक पढ़ायेगा।  दूसरा विषय कोई और शिक्षक पढ़ायेगा।  इस प्रकार से पूर्व निर्धारित होता है , ऐसे में गुरु स्वीकार करना और उनके प्रति समर्पित होना , प्रत्येक विद्यार्थी के अनुरूप नहीं है।

श्री गुरु पूर्णिमा की परिकल्पना

आदि गुरु के रूप में वेदव्यास जी का स्थान है , जिन्होंने समाज में ऐसे साहित्य भागवत कथा को उपलब्ध किया। जिससे सर्वश्रेष्ठ मानव जीवन शैली को जिया जा सकता है। उन्होंने कृष्ण के जीवन को , उनके आदर्शों को उद्घाटित करके समाज में , उच्च आदर्श स्थापित करने का प्रयत्न किया।

आज के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म दिन भी माना जाता है। श्री गुरु पुर्णिमा उन्हीं को समर्पित आज के दिन की महत्ता है। श्री गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा , देवशैनी पूर्णिमा , चतुर्मासि , व्यास पूर्णिमा आदि के नामों से भी जाना जाता है।

भारतीय संस्कृति में कोई भी त्यौहार मनाने के पीछे उसकी महत्ता छुपी होती है। पुराने समय में लोग समय , मौसम और आवश्यकता के अनुरूप त्यौहार को मनाया करते थे। हिंदू संस्कृति में पेड़-पौधे , सूर्य , चंद्रमा , जल  ,वृक्ष आदि सभी स्रोतों की पूजा की जाती है जो मानव जीवन के लिए आवश्यक है।

श्री गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम को मनाने के पीछे भी एक कारण मुख्य रूप से है। पूर्व समय में यातायात के साधन इस मौसम में अवरुद्ध हो जाते थे।  संत-महात्मा एक स्थान से दूसरे स्थान यात्रा नहीं कर पाते थे। जिसके कारण उन्हें लगभग चार महीने एक ही जगह रुक कर व्यतीत करना होता था। ऐसे में समाज के लोग इन गुरुओं के पास जाकर उनका सानिध्य पाते , उनके विचारों से परिचय कर पाते। अपने जीवन को जीने की शिक्षा लेते , यह समाज के उत्थान का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।  जिसमें सामान्य लोग भी गुरु से साक्षात्कार कर सकते थे।

मानव के विषय में कहे तो मानव समाज से सीखता है वह अनुभव से सीखता है।  अनुभव मानव को शिक्षा प्रदान करती है , जबकि जीव-जंतुओं में ऐसा नहीं है। जीव-जंतु जन्म से पूर्व ही सीख कर आते हैं। उन्हें चलना-फिरना-बोलना उस प्रकार की आवाज निकलना आदि सभी जन्म से पूर्व ही मिला होता है। जबकि मनुष्य समाज और अनुभव के माध्यम से सीखता है। समाज में जैसा आचरण होता है वह आचरण को मनुष्य ग्रहण करता है। जैसा की अनेकों उदाहरण देखने को मिले बालक जन्म से जंगल में रहा तो वह जंगली व्यवहार करता। जानवरों की आवाज निकालता , उस प्रकार के क्रियाकलाप करता। यह उसके अनुभव और समाज का उस पर प्रभाव होता है।

संघ का गुरु कौन ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जब पहला गुरु पूजन कार्यक्रम होना तय हुआ , सभी यह विचार कर रहे थे आखिर किसको गुरु माना जाए ? स्वयंसेवकों ने मंत्रणा किया और गुरु के रूप में माननीय हेडगेवार जी को पूजने का मन बना लिया। किंतु हेडगेवार जी यह जानते थे कि उनका शरीर सदैव के लिए नहीं रहेगा। यह संघ अनेकों-अनेक साल तक फलता-फूलता रहेगा , किंतु कोई भी व्यक्ति लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकता। इसलिए संघ का गुरु कोई ऐसा होना चाहिए जो , संघ में गुरु के रूप में सदैव , सर्वत्र विद्यमान रहे।

आदि काल से गुरुओं की स्थिति देखी गई तो समझ आया , किस प्रकार गुरु को मारकर उनके विचारों को दबाया जाता रहा है। सिख धर्म में कितने ही गुरु की शहादत देखने को मिली है। उसके उपरांत सिख धर्म के लोग अपने गुरु को पुस्तक के रूप में स्वीकार करते हैं। उनका गुरु ग्रंथ साहिब ही उनका गुरु है , वह किसी व्यक्ति को गुरु नहीं मानते।

काफी चिंतन मनन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भगवा ध्वज को गुरु के रूप में स्वीकार किया गया। भगवा ध्वज दो रंगों से मिलकर बना है लाल तथा पीला

  • लाल रंग तेज , उत्साह , क्रांति , उग्रता को प्रदर्शित करता है।
  • वही पीला रंग सहनशीलता का परिचायक है।

इन दोनों के मिश्रण से भगवा रंग तैयार होता है। जिसमें तेज , क्रांति , उग्रता के साथ-साथ सहनशीलता भी विद्यमान है।  जहां जिसकी आवश्यकता होती है उसका प्रयोग किया जाता है। आपने देखा होगा यज्ञ की ज्वाला उसकी शिखा को। ध्यान से देखें तो आभास होता है वह भगवा रंग का है। यह ज्वाला , यह तेज बुराइयों का नाश कर उसके सभी पापों को जलाकर भस्म कर देता है।  इस रंग को पवित्र माना गया है। संघ में भगवा ध्वज को स्वीकार करने और व्यक्ति को गुरु के रूप में स्वीकार न करने के पीछे एक कारण और है। व्यक्ति का जीवन नश्वर है , उसके जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते है। उसके निजी जीवन में अनेकों कमियां होती है। उसमें उग्रता , कटुता , दया भाव की कमी , यहां तक कि कई बार व्यक्ति पथभ्रष्ट भी हो जाता है।

प्राचीन समय में विश्वामित्र प्रसिद्ध तपस्वी हुए , उन्होंने जीवन भर तप किया। किंतु मेनका के क्षण भर आकर्षण में उनका संपूर्ण तप व्यर्थ हो गया। साधारण शब्दों में कहें तो वह पथभ्रष्ट हो गए। इस प्रकार सामान्य व्यक्तियों में भी अनेकों अनेक कमियां होती है। उनकी कमियों के कारण संघ बदनाम ना हो , उस पर किसी प्रकार का दाग न लगे , किसी एक व्यक्ति के कृत्य से संघ की छवि खराब ना हो , इस विचार को ध्यान में रखते हुए भगवा ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।

भगवा ध्वज भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से देखने को मिलता है। यह ध्वज हिंदू धर्म ही नहीं सभी धर्म के लोग होते हैं बौद्ध , जैन आदि धर्म के लोग तथा सहिष्णु लोग इस ध्वज की पूजा करते हैं। हमारे महापुरुष शिवाजी , महाराणा प्रताप , लक्ष्मी बाई यहां तक की हमारी संस्कृति में श्री राम , अर्जुन और श्री कृष्ण आदि के रथ पर भी इस ध्वज को देखा जा सकता है।

संघ में प्रयोग किए जाने वाले भगवा ध्वज की आकृति अखंड भारत को प्रदर्शित करती है। साथ ही साथ वह समर्पण और प्रोत्साहन को भी प्रदर्शित करती है। आप भगवा ध्वज को देखें तो नीचे का भाग बड़ा है , और ऊपर का भाग छोटा। यह प्रदर्शित करता है कि संघ में बड़े लोग सदैव छोटे को उत्साहित करते हैं , उन को प्रोत्साहित करते हैं।  स्वयं को नीचे रखते हुए अपने से छोटे को ऊपर उठाने का प्रयत्न करते हैं।  अर्थात बड़े अपने से छोटों के लिए नींव का काम करते हैं।

गुरु दक्षिणा

गुरु दक्षिणा की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। गुरु अपने शिष्य को जो शिक्षा देता है , उसके बदले वह दक्षिणा प्राप्त करता है। गुरु दक्षिणा को अर्थ रूप में प्राप्त करता है या फिर वचन रूप में। जो  शिक्षा गुरु से प्राप्त की है , वह समाज के लिए लाभकारी हो। इस प्रकार का वचन भी गुरु दक्षिणा के रूप में लिया जाता है। संघ में गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम वर्ष में एक बार किया जाता है। यह गुरु दक्षिणा स्वयंसेवक अपने समर्पण भाव से देता है। यह समर्पण मात्र एक  दिन का नहीं वरन 365 दिन का होता है।  स्वयंसेवक वर्ष भर अपना समर्पण जमा करता है और गुरु दक्षिणा के दिन भगवा ध्वज को समर्पित कर देता है।

समर्पण केवल द्रव्य , पैसे का नहीं उसके भावों का उसके विचारों का तथा उसके त्याग का समर्पण भी गुरु दक्षिणा होता है। जो स्वयंसेवक गरीब , अक्षम  होता है , जो सामर्थ्य नहीं होता। वह एक पुष्प के रूप में भी अपना समर्पण भगवा ध्वज को समर्पित करता है। संघ का कार्य बड़े व्यापक तौर पर चलता है , उसको अपने कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है। इस धन की आवश्यकता पूर्ति गुरु दक्षिणा में प्राप्त राशि से किया जाता है।

इस राशि के माध्यम से

आदिवासी कल्याण योजना

आपदा सहायता

संस्कृति बचाओ

पूर्णकालिक समर्पित प्रचारक

वनवासी कल्याण

आदि अनेकों-अनेक ऐसे समाज के लिए किया जाता है , जिससे भारत सशक्त और मजबूत हो सके।

गुरु दक्षिणा की राशि का प्रयोग जाति , धर्म , पंथ आदि को देखकर नहीं किया जाता। बल्कि यह सभी के हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है। जम्मू कश्मीर में अनेकों ऐसे बच्चे अनाथ हो जाते हैं जिनके माता-पिता आतंकवादी हमले में मारे जाते हैं। उन बच्चों को स्वयंसेवक अपनाता है और उनके शिक्षा और भोजन की व्यवस्था करता है। ऐसा एक वाक्य देखने को मिला , एक आतंकवादी को सेना मार गिराती है। उसके बच्चे की परवरिश के लिए आर एस एस (RSS) को सौंपा जाता है। उस बच्चे से दाखिले के समय प्रश्न किया जाता है। वह भविष्य में क्या बनेगा ? तब वह बताता है वह बड़ा होकर आतंकवादी बनेगा।

कुछ वर्षों बाद जब उसे पुनः पूछा जाता है , तब वह कहता है बड़ा होकर वह सैनिक बनेगा। बड़ा होकर वह आतंकवादियों का नाश कर देगा। उसे पूछा गया एक  वर्ष पूर्व तुमने आतंकवादी बनने की बात कही थी। तब उस लड़के ने बताया वह अज्ञानता वश उसने कहा था। वह नहीं जानता था उसके पिता आतंकवादी थे , वह समाज के लिए हानिकारक है , वह निर्दोष लोगों की हत्या करते थे।  सैनिकों ने मार कर पुण्य का काम किया। मैं ऐसा ही सैनिक बनूंगा जिससे समाज की रक्षा हो सके।

इस प्रकार समाज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवर्तन का कार्य करता है।  उनके उत्थान का कार्य करता है। किसी भी प्रकार की आपदा में बिना सरकारी मदद हुआ सबसे पहले पहुंच जाता है। यह सभी कार्य गुरु दक्षिणा में प्राप्त राशि से ही संभव हो पाता है। ग्रामीण और वनवासी क्षेत्र में ईसाई मिशनरी तथा अनेकों धर्म के लोग पूंजी का झांसा देकर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं। ऐसे गरीब और असहाय लोगों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा और उनके जरूरत की वस्तुओं को पहुंचाता है।  उन्हें सम्मान की जिंदगी बनाए रखने का भाव जागृत करता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दान , भिक्षा आदि का भाव रखने वालों से राशि नहीं ली जाती।

यह समर्पण और त्याग की भावना रखने वाले स्वयंसेवकों से ही दिया जाता है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी अन्य व्यक्ति से भी इस प्रकार की राशि प्राप्त नहीं। करता वह चंदा या अन्य माध्यम से भी राशि को नहीं लेता। जो व्यक्ति स्वयंसेवक हो और वह वर्ष भर में एक बार गुरु दक्षिणा करता हो उसी स्वयंसेवक से गुरु दक्षिणा की राशि ली जाती है। समर्पण का भाव इस प्रकार का होना चाहिए। जैसे एक स्वयंसेवक रिक्शा चलाते हैं उन्होंने प्रण ले रखा है वह प्रथम सवारी से प्राप्त राशि को समर्पण गुरु दक्षिणा के लिए वर्ष भर में एकत्रित करते हैं।  गुरु दक्षिणा के दिन भगवा ध्वज को समर्पित करते हैं। इस प्रकार के समर्पण की भावना यही गुरु दक्षिणा में स्वीकार की जाती है।

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आरएसएस। हेडगेवार जी का संघर्ष। करांतिकारी विचारधारा। keshawrao | hedgewaar

संघ की प्रार्थना। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे।आरएसएस।  

वैश्विक महामारी के कारण आज हमें इस कार्यक्रम को ऑनलाइन करना पड़ रहा है। यह हमारे लगन को प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम है। आज से पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई कार्यक्रम ऑनलाइन नहीं होता था। किंतु इस चुनौती के दौर में हमने उन सभी माध्यमों को भी अपना कर अपने कार्य को निरंतर जारी रखा। इस समय विद्यार्थी जीवन में भी अनेकों चुनौतियां देखने को मिल रही है।

अभावग्रस्त विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। इस चुनौती को स्वयंसेवकों ने दूर करने का भरसक प्रयास किया। अपने पास उपस्थित , पुराने साल की पुस्तकों को एकत्रित करके , उन सभी अभावग्रस्त विद्यार्थियों तथा समाज के लोगों तक पहुंचाने का प्रयत्न किया जिन्हें नितांत आवश्यकता थी।

पैर में चक्कर , मुंह में शक्कर

दिल में आग और शीश पर फाग। ।

स्वयंसेवकों में यह गुण अवश्य देखने को मिलता है।  क्योंकि वह अपने कार्य के प्रति इतने संलग्न रहते हैं समर्पित होते हैं कि वह शांत नहीं बैठते।  उनके वाणी में मधुरता होती है , मिठास होती है , जिससे समाज का कोई भी व्यक्ति प्रभावित होता है। उनके दिल में किसी भी कार्य को करने के प्रति एक लगन रहती है , एक आग रहती है। अपने शीश पर भगवा वस्त्र धारण करते हैं। अर्थात तेज को धारण करते हैं , उस दिव्य विचार को धारण करते हैं जो उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाता है।

गुरु पूर्णिमा पर लिखी इस पोस्ट का समापन यही होता है।

4 thoughts on “Guru Purnima in Hindi ( RSS ) – गुरु पूर्णिमा”

काफी प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक लेख लिखा है आपने. मुझे पढ़कर बहुत कुछ समझ में आया. भारत माता कि जय

आपके बहुत सुन्दर लेखन से ज्ञान की वृद्धि हुई, भारत माता की जय

बहोत सतिक विश्लेषण किया हैं| यदी यह भाव सभी संस्थानो मे आये तो भारत जलदी ही विश्र्वगुरू होगा

आपकी बात बिलकुल सही है

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Guru Purnima speech in Hindi to wish your teachers

Updated July 4th, 2020 at 23:00 IST

Guru Purnima is a day wherein students get a chance to express their love and respect towards their teachers. Here is a Guru Purnima Speech in Hindi for you.

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Guru Purnima is a day wherein students get a chance to express their love and respect towards their teachers. According to the Hindi calendar, it is celebrated on the full moon day of the Ashadh month. Guru Purnima 2020 falls on July 5, this year.

Like every year, the festival will be celebrated with great gust and galore throughout the nation. Although many won’t be able to greet their teachers in person due to the outbreak of coronavirus. However, one can read out a speech to them via digital media to tell their teachers how important their role is in one’s life. Here is a Guru Purnima Speech in Hindi to wish your teacher.

Guru Purnima speech in Hindi

मेरा नाम…..है. मैं कक्षा… में अध्ययन करता हूं। आज हम सभी “गुरु पूर्णिमा पर्व” मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ (जून- जुलाई) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को  मनाया जाता है। इस अवसर पर मैं एक भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।  “गुरु पूर्णिमा पर्व” नेपाल में मुख्य रूप से हिन्दू, बुद्ध और जैन धर्म के लोग मनाते है। इस दिन गुरुओ, शिक्षको की पूजा और सम्मान किया जाता है। यह पर्व वर्षा ऋतु की शुरुवात में मनाया जाता है। इस समय तापमान बहुत ही अनुकूल रहता है। सभी का पढ़ने में बहुत मन लगता है। यह दिन महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाते है। इनको सम्पूर्ण मानव जाति का गुरु माना जाता था। गुरु पूर्णिमा के दिन ही संत कबीर के शिष्य संत घीसादास का जन्मदिवस भी मनाया जाता है। इस दिन ही भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इस दिन ही भगवान शिव ने सप्तऋषियो को योग का ज्ञान दिया था और प्रथम गुरु बने थे।

  • महान संत कबीरदास ने गुरु के महत्व को इस तरह बताया है-
गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।

अर्थात यदि भगवान और गुरु दोनों सामने खड़े हो तो मुझे गुरु के चरण पहले छूना चाहिये क्यूंकि उसने ही ईश्वर का बोध करवाया है। सिख धर्म में गुरु का विशेष महत्व है क्यूंकि इस धर्म के लोग 10 सिख गुरु की पूजा करते है। उनके बताये मार्ग पर चलते है। हमारे देश में हर साल 5 सितम्बर को “शिक्षक दिवस” मनाया जाता है, जिसमे गुरू का सम्मान किया जाता है। इस दिन स्कूल, कॉलेजों में गुरुओ, शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। उनके सम्मान में सभी लोग भाषण देते है, गायन, नाटक, चित्र, व अन्य प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है। पुराने विदार्थी स्कूल, कॉलेज में आकर अपने गुरुजन को उपहार भेंट करते है और उनका आशीर्वाद लेते है। नेपाल में “गुरु पूर्णिमा” का पर्व गुहा पूर्णिमा के रूप में मनाते है। छात्र अपने गुरु को स्वादिस्ट व्यंजन, फूल मालाएं, विशेष रूप से बनाई गयी टोपी पहनाकर गुरु का स्वागत करते है। स्कूल में गुरु की मेहनत को प्रदर्शित करने के लिए मेलो का आयोजन किया जाता है।

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इस दिवस को मनाकर गुरु-शिष्य का रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है। स्कूल, कॉलेज की शिक्षा के बाद हम सभी को गुरु (टीचर्स) की बहुत जरूरत पड़ती है। विद्यार्थी किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाये इसे पता करना बहुत कठिन होता है। अनेक विकल्प होते है पर कौन सा विकल्प सही है इसका अनुमान करना बहुत कठिन होता है। प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी करे, इंजीनियरिंग करे, डॉक्टर बने या आई टी सेक्टर में कोर्स करे। होटल मैनजेमेंट करे या एमबीए (MBA) करे। सेना में जाये या बैंकिंग, SSC, रेलवे, शिक्षक, वकालत जैसा कोर्स करे। कई बार विद्दार्थी बहुत दुविधा में रहते है की कौन सा कोर्स करे। ऐसे में गुरु (टीचर्स) ही हमारी योग्यताओ के अनुसार काउंसलिंग करते है। आजकल यह बहुत प्रसिद्ध हो गया है। अनेक प्राइवेट संस्थाये बच्चो का टेस्ट और रूचि, रुझान देखकर बताती है की हमे किस कोर्स को करना चाहिये। इसलिए गुरु की जरूरत हमे करियर बनाने में बहुत पड़ती है। इतना ही नही गुरु जीवन भर सही रास्ता दिखाता रहता है।

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पी०एच० डी० जैसे कोर्स किसी गुरु की देख रेख में ही किया जाता है। हमारे गुरु न सिर्फ बच्चों को बल्कि प्रौढ़ लोगो को भी शिक्षा देते है। नेत्रहीन बच्चो को शिक्षित करने का काम हमारे गुरु ही करते है। गुरु ही बच्चों, विद्दार्थियों को सही शिक्षा देकर आदर्श नागरिक बनाता है। गुरु के द्वारा शिक्षा लेकर बच्चे सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे बड़े पद को प्राप्त करते है। कोई बच्चा कुशल डॉक्टर बनता है तो कोई कुशल शिक्षक। कोई IAS, PCS करके जिलाधिकारी, अधिकारी जैसा बड़ा पद प्राप्त करता है। यह तो बात हो गयी करियर की। पर आगे जैसे जैसे हम जिन्दगी में आगे बढ़ते जाते है हमे अनेक तरह की चिंताएं, परेशानियां, समस्याएँ घेर लेती है। ऐसे में आध्याम्तिक गुरु हमे सही राह दिखाते है।

आज देश में श्री श्री रविशंकर, ओशो, जयगुरुदेव, मोरारजी बापू, बाबा रामदेव जैसे अनेक गुरु है जो समाज कल्याण का काम कर रहे है। आज का समाज अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। देश में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अपराध, दूषित मनोवृति, महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ अपराध, बलात्कार जैसी घटनाये बढ़ रही है। इसका कही न कही संकेत है की लोग भटक गये है। दूषित अपराधिक मन का शिकार बनकर ऐसे अपराध कर रहे है। ऐसी में अत्यात्मिक गुरु हमे सही राह दिखाते है। श्री श्री रविशंकर लोगो को सुदर्शन क्रिया द्वारा तनाव मुक्त होना सिखाते है।

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वो हिंसा एवं तनावमुक्त समाज की स्थापना करना चाहते है। इन्होने “आर्ट ऑफ़ लीविंग” फाउन्डेशन की स्थापना की है। बाबा रामदेव बहुत ही प्रसिद्ध गुरु/बाबा है। इन्होने योग को देश के घर घर में पहुँचाया है। हजारो रोगियों का इलाज अपने योग द्वारा किया है। बाबा रामदेव निशुल्क रूप से योग सिखाते है। इन्होने इसे देश में ही नही बल्कि विदेशो में बहुत प्रसिद्ध कर दिया है। इसके अतिरिक्त इन्होने “पतंजलि आयुर्वेद” कम्पनी की स्थापना की है जो देश भर में  सस्ती आयुर्देविक दवाइयां बनाकर बेचती है। इस तरह हम सबके जीवन में गुरु का सदैव महत्व रहता है।

सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।।

अर्थात यदि पूरी धरती को लपेट कर कागज बना लूँ, सभी वनों के पेड़ो से कलम बना लूँ, सारे समुद्रो को मथकर स्याही बना लूँ, फिर भी गुरु की महिमा को नही लिख पाऊंगा। गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत मधुर होता है। अच्छे गुरुजनों को विद्दार्थी हमेशा याद रखते है और जीवनपर्यन्त उनका सम्मान करते है। इसलिए हम सभी को गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे उल्लास से मनाना चाहिये। आशा है आपको मेरा भाषण पसंद आया होगा। अंत में करूंगा की इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ। धन्यवाद!

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Published July 4th, 2020 at 23:00 IST

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speech in hindi guru purnima

Kanhaiya Kumar's attackers say slap was for 2016 JNU speech: ‘No link to party’

The attackers of north east delhi congress candidate kanhaiya kumar said their actions were not linked to any political party and that they planned to slap him due to his 2016 speech at jawaharlal nehru university..

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  • Congress candidate Kanhaiya Kumar was attacked by two men on Friday
  • Accused cited Kanhaiya Kumar's 'anti-national' speech at JNU as reason for assault
  • Attackers claim they had no political affiliation

The two men -- Daksh and Annu Chaudhary -- who attacked Congress candidate Kanhaiya Kumar, defended their actions and said they wanted to slap the latter after they heard his 2016 speech in which he allegedly raised "anti-national slogans" when he was a student at Delhi's Jawaharlal Nehru University (JNU). The attackers added they had no link to any political party.

During his election campaign on Friday, Kanhaiya Kumar, the candidate from North East Delhi, was slapped by Daksh and Annu under the pretext of garlanding him. The accused threw ink at him and also assaulted an AAP councillor, Chhaya Gaurav Sharma.

In an exclusive interview with India Today TV, the accused said, "We decided to slap Kanhaiya Kumar the day we heard his speech (at JNU). What slogan did he raise at JNU? Everyone had seen that he raised slogans in support of Afzal Guru and against the Indian Army."

"Kanhaiya raised the slogan ' Bharat tere tukde honge ' (India will be broken into pieces). He also said that soldiers rape women in Kashmir. We then decided that we should teach a lesson to such a person," they said.

Daksh and Annu, who are cow vigilantes, said they attacked Kanhaiya Kumar as per the plan. They also said they had no regrets and claimed that the attack was done to "protect the country" and to teach "such traitors a lesson".

"We went there as planned. We had gone only to slap and throw ink on him. We have nothing to do with any party nor have we worked on anyone's advice. Attacking Kanhaiya is not breaking the law," they claimed.

The accused also said they would themselves surrender in front of the police.

Defending their attack on Kanhaiya Kumar, they said, "Will the one who raised ' tukde tukde ' slogans and insulted the army go to Parliament? We have not done all this to get any limelight. If you don't believe it, look at our social media handles. We have many followers."

Daksh has nearly four lakh followers on Instagram while Annu has 12,400 followers on the social media platform. The accused said they have been running cow shelters for the past three to four years.

While Daksh has an online clothing business, Annu is unemployed.

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    The Guru is the only person who will be able to remove the darkness in a person. This is the main reason why there are so much celebrations all around India one this day. Here are some Guru Purnima Hindi Doha. A - "Yaha tan bish ki belri, guru amrit ki khan. Sish dio jo guru mile, toh bhi sasta jaan". B - "Guru lobhi shish lalchi dono ...

  14. Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima

    Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima Speechwelcome friends to "NR Hindi Secret Diary"आप सब का तहदिल ...

  15. Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण

    आज हम "गुरु पूर्णिमा पर भाषण" लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप 'Guru Purnima Speech in Hindi' में पढ़ेंगे। स्कूल या कॉलेज मे गुरु पूर्णिमा से शुभ अवसर

  16. Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima

    Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima Speechआप सब का तहदिल से धन्यवाद आप सब ...

  17. Guru Purnima in Hindi ( RSS )

    4 thoughts on "Guru Purnima in Hindi ( RSS ) - गुरु पूर्णिमा" संजीव कुमार ठाकुर 05/07/2020 at 2:52 am

  18. Republic World

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  19. गुरु पूर्णिमा पर भाषण हिंदी में/10 Lines Speech On Guru Purnima In

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  20. Guru Purnima Speech in Hindi

    Guru Purnima Speech in Hindi: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है.यह दिन गुरुओं को समर्पित है. इस दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने से बहुत लाभ ...

  21. Guru Purnima 2023: 2 Mins Short Speech in English For Students

    Guru Purnima (Poornima) is a day to honour the sacred bond between the guru and 'shishya' (disciple). It is celebrated as a festival in India, Nepal and Bhutan by Hindus, Jains and Buddhists. It ...

  22. Guru Purnima Speech In Hindi || Guru purnima par bhashan || Guru

    Guru Purnima Speech In Hindi - Guru purnima par bhashan - Guru purnima speechNamskar dosto-Guru is the ulimate source of knowledge and wishdom on this planet...

  23. Kanhaiya Kumar's attackers say slap was for 2016 JNU speech: 'No link

    The two men -- Daksh and Annu Chaudhary -- who attacked Congress candidate Kanhaiya Kumar, defended their actions and said they wanted to slap the latter after they heard his 2016 speech in which he allegedly raised "anti-national slogans" when he was a student at Delhi's Jawaharlal Nehru University (JNU). The attackers added they had no link ...

  24. Speech On Guru Purnima Celebration

    Speech On Guru Purnima Celebration | Guru Purnima Speech In Hindi | Few Lines On Guru PurnimaHi, Welcome to our YouTube channel Poetess TUrvisha#GuruPurnima#...

  25. Guru Purnima

    Guru Purnima - South Indian Full Movie Dubbed In Hindi 2024 | Stylish Star Allu Arjun & Anupama P |#alluarjun #anupamaparameswaran #southmovie #newletestmovi...