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वर्षा ऋतु पर निबंध (Rainy Season Essay in Hindi)

वर्षा ऋतु

वर्ष ऋतु हमारे लिए ढेर सारी खुशियों की बौछार लेके आती है। भारत में वर्षा ऋतु एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतु है। वर्षा ऋतु आषाढ़, श्रावण तथा भादो मास में मुख्य रूप से होती है। वर्षा ऋतु मुझे बहुत पसंद है। ये भारत के चार ऋतुओं में से मेरी सबसे प्रिय ऋतु है। यह गर्मी के मौसम के बाद आती है, जो साल की सबसे गर्म ऋतु होती है। भयंकर गर्मी, गर्म हवाएँ (लू), और तमाम तरह की चमड़े की दिक्कतों की वजह से मैं गर्मी के मौसम में काफी परेशान हो जाता हूँ। हालाँकि, सभी परेशानियाँ वर्षा ऋतु के आने के साथ ही दूर हो जाती है।

Seasons in India Essay in Hindi | 10 Lines on Rainy Season in Hindi

वर्षा ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Rainy Season in Hindi, Varsha Ritu par Nibandh Hindi mein)

वर्षा ऋतु पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मनुष्यों के साथ ही साथ पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ वर्षा ऋतु का इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को गर्मी से राहत और सुकून मिलता है।

वर्षा ऋतु का आगमन

भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहती है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आती है। आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। आकाश में सफेद, भूरे और गहरे काले बादल भ्रमण करते दिखाई देते है।

प्रकृति पर वर्षा ऋतु का प्रभाव

सभी पेड़ और पौधे नयी हरी पत्तियों से भर जाते है तथा बगीचें और मैदान सुंदर दिखाई देने वाले हरे मखमल की घासों से ढक जाते है। जल के सभी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदियां, तालाबें, गड्ढें आदि पानी से भर जाते है। सड़कें और खेल के मैदान भी पानी से भर जाते है और मिट्टी कीचड़ युक्त हो जाती है।

वर्षा ऋतु की विशेषताएं

वर्षा ऋतु, किसानों के लिये फसलों के लिहाज से बहुत फायदेमंद रहती है। वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है। इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है।

वर्षा ऋतु में वातावरण शुद्ध और दर्शनीय हो जाता है। प्रकृति फल और फूलों से लद जाती है। हमें वर्षा ऋतु बहुत पसंद आता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Rainy Season in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द) – वर्षा ऋतु के फायदे व नुकसान

वर्षा ऋतु में आकाश में बादल छा जाते हैं, वे गरजते हैं और सुंदर लगते हैं। हरियाली से धरती हरी-हरी मखमल सी लगने लगती है। वृक्षों पर नये पत्ते फिर से निकलने लगते हैं। वृक्ष लताएँ मानो हरियाली के स्तम्भ लगते हैं। खेत फूले नहीं समाते, वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिये ईश्वर के द्वारा दिया गया एक वरदान है। वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है।

वर्षा ऋतु में इंद्रधनुष

भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहता है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आता है। इंसानों के साथ ही पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ इसका इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को राहत की साँस और सुकून मिलता है।

आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। सामान्यतः मैं हरे-भरे पर्यावरण और दूसरी चीजों की तस्वीर लेता हूँ जिससे ये मेरे कैमरे में यादों की तरह रहे। आकाश में सफेद, भूरा और गहरा काला बादल भ्रमण करता दिखाई देता है।

इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ़ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।

संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर

सभी पेड़ और पौधे नयी हरी पत्तियों से भर जाते है तथा उद्यान और मैदान सुंदर दिखाई देने वाले हरे मखमल की घासों से ढक जाते है। जल के सभी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदियॉ, तालें, तालाबें, गड्ढें आदि पानी से भर जाता है। सड़कें और खेल का मैदान भी पानी से भर जाता है और मिट्टी कीचड़युक्त हो जाती है। वर्षा ऋतु के ढेर सारे फायदे और नुकसान है।

एक तरफ ये लोगों को गरमी से राहत देती तो दूसरी तरफ इसमें कई सारी संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है। यह किसानों के लिये फसलों के लिहाज से बहुत फायदेमंद रहता है लेकिन यह कई सारी संक्रमित बीमारियों को भी फैलाता है। इससे शरीर की त्वचा को काफी असुविधा होती है। इसके कारण डायरिया, पेचिश, टाईफॉइड और पाचन से संबंधित परेशानियाँ सामने आती है।

वर्षा ऋतु में रोगों के संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है और लोग अधिक बीमार पड़ने लगते है। इसलिए इस ऋतु में लोगों को सावधानी से रहना चाहिए और बारिश का मजा लेना चाहिए और जहां तक हो सके बारिश के पानी को संचित करने का उपाय ढूँढना चाहिए।

Rainy Season Essay in Hindi

निबंध 3 (400 शब्द) – वर्षा ऋतु का महत्व

धरती तप रही थी सूर्य आग उगल रहा था। सारे पेड़ पौधे सुख रहे थे। पक्षी-पशु जल बिना बेहाल थे। हर व्यक्ति उत्तेजना से मानसून की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी आश्चर्यजनक रूप से मौसम में बदलाव आया। आकाश बदलो से घिर गया, तेज हवा और गड़गड़ाहट के साथ मध्य वर्षा होने लगी। मिट्टी की सौंधी सुगंध सांसों को महकने लगी। पेड़ पौधों में नया जीवन आ गया।

वर्षा ऋतु हम सभी के लिये प्यारा मौसम होता है। सामान्यतः: ये जुलाई के महीने में आता है और सितंबर के महीने में जाता है। ये प्रचण्ड गर्मी के मौसम के बाद आता है। ये धरती पर मौजूद हर जीव-जन्तु के लिये एक उम्मीद और जीवन लेकर आता है जो सूरज की ताप की वजह से खत्म हो जाता है। यह अपने प्राकृतिक और ठंडे बारिश के पानी की वजह से लोगों को बहुत राहत देता है। गर्मी के कारण जो नदी और तालाब सूख जाते वे फिर से बारिश के पानी से भर जाते है इससे जलचरों को नया जीवन मिल जाता है। यह उद्यानों और मैदानों को उनकी हरियाली वापस देती है। वर्षा हमारे पर्यावरण को एक नयी सुंदरता प्रदान करती है हालाँकि ये दुख की बात है कि ये सिर्फ तीन महीनों के लिये रहती है।

वर्षा ऋतु का सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये

आम जन जीवन के अलावा वर्षा ऋतु का सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये है क्योंकि खेती के लिये पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है जिससे फसलों को पानी की कमी न हो। सामान्यतः: किसान कई सारे गड्ढे और तालाब बनाकर रखते है जिससे वर्षा के जल का जरूरत के समय उपयोग कर सकें। वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिये ईश्वर के द्वारा दिया गया एक वरदान है। बारिश न होने पर वे इन्द्रराज देव से वर्षा के लिये प्रार्थना करते है और अंततः: उन्हें वर्षा का आशीर्वाद मिल जाता है। आसमान में बादल छाये रहते है क्योंकि आकाश में यहाँ और वहाँ काले, सफेद और भूरे बादल भ्रमण करते रहते है। घूमते बादल अपने साथ पानी लिये रहते है और जब मानसून आता है तो बारिश हो जाती है।

वर्षा ऋतु के आने से पर्यावरण की सुंदरता बढ़ जाती है। मुझे हरियाली बेहद पसंद है। वर्षा ऋतु के पलों का आनन्द लेने के लिये मैं सामान्यतः अपने परिवार के साथ बाहर घूमने जाता हूँ। पिछले साल मैं नैनीताल गया था और वह एक अच्छा अनुभव था। कई पानी से भरे बादल कार में हमारे शरीर पर पड़े और कुछ खिड़की से बाहर निकल गये। बारिश बहुत धीमे हो रही थी और हम सभी इसका आनन्द उठा रहे थे। हम लोगों ने नैनीताल में बोटिंग (नौकायन) का भी आनन्द उठाया। हरियाली से भरा नैनीताल बहुत अद्भुत लग रहा था।

ज्यादा बारिश हमेशा खुशियां ही नहीं लाता कभी-कभी जल प्रलय का कारण भी बन जाता है। कई जगह ज्यादा बारिश होने से गांव डूब जाते है और जन-धन की भी हानि होती है। बहुत ज्यादा बारिश के कारण खेते डूब जाते है फसलें भी नष्ट हो जाती और किसानों को बहुत नुकसान भी होता है।

Essay on Rainy Season in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – वर्षा ऋतु के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी है

वर्षा ऋतु को सभी ऋतुओं का रानी कहा जाता है। भारत में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह हर साल गरमी के मौसम के बाद जुलाई से शुरु होकर सितंबर तक रहता है। जब मानसून आता है तो आकाश के बादल बरसते है । गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण पानी के संसाधन जैसे महासागर, नदी आदि वाष्प के रुप में बादल बन जाते है। वाष्प आकाश में इकट्ठा होती है और बादल बन जाते है जो वर्षा ऋतु में चलते है जब मानसून बहता है और बादल आपस में घर्षण करते है। इससे बिजली चमकती और गरजती है और फिर बारिश होती है।

हमारे देश में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह ऐसी ऋतु है जो लगभग सभी लोगों की पसंदीदा होती है क्योंकि झुलसा देने वाली गर्मी के बाद ये राहत का एहसास लेकर आती है। वर्षा ऋतु जुलाई से शुरू होती है अर्थात सावन भादों के महीनों में होती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है।

कड़कड़ाती गर्मी के बाद जून और जुलाई के महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है और लोगों को गर्मी से काफी राहत मिलती है। वर्षा ऋतु एक बहुत ही सुहाना ऋतु है। वर्षा ऋतु आते ही लोगों में खासकर के किसानों में खुशियों का संचार हो जाता है। वर्षा ऋतु सिर्फ गर्मी से ही राहत नहीं देता है बल्कि यह खेती के लिए वरदान है। बहुत सारे फसल अच्छी वर्षा पर निर्भर करता है। अगर अच्छी वर्षा नहीं हुई तो ज्यादा उपज नहीं हो पाएगा, जिससे लोगों को सस्ते में अनाज नहीं मिल पाएगा।

वर्षा ऋतु के दोनों पहलू : फायदे और नुकसान

वर्षा ऋतु के अपने फायदे और नुकसान है। बारिश का मौसम सभी को अच्छा लगता है क्योंकि यह सूरज की तपती गर्मी से राहत देता है। यह पर्यावरण से सभी गर्मी को हटा देता है और एक ठंडक एहसास होता है। यह पेड़, पौधे, घास, फसल और सब्जियों आदि को बढ़ने में मदद करता है। यह मौसम सभी जानवरों और पक्षियों को भी बेहद पसंद होता है क्योंकि उन्हें चरने के लिये ढेर सारी घास और पीने के लिये पानी मिल जाता है। और इससे हमें दिन में दो बार गाय और भैंसों का दूध उपलब्ध हो जाता है। सभी प्राकृतिक संसाधन जैसे नदी और तालाब आदि पानी से भर जाते है।

जब बारिश होती है तो सभी सड़कें, उद्यान तथा खेल के मैदान आदि जलमग्न और कीचड़युक्त हो जाते है। इससे हमें रोज खेलने में बाधा उत्पन्न होती है। सूरज की उपयुक्त रोशनी के बिना सब कुछ बदबू करने लगता है। सूरज की रोशनी की कमी की वजह से बड़े स्तर पर संक्रामक बीमारियों (विषाणु, फफूंदी और बैक्टीरिया से होने वाली) के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वर्षा ऋतु में, भूमि की कीचड़ और संक्रमित वर्षा का पानी धरती के अंदर जाकर पानी के मुख्य स्रोत के साथ में मिलकर पाचन क्रियाओं के तंत्र को बिगाड़ देते है। भारी बारिश के कारण बाढ़ की संभावना भी बनी रहता है।

वर्षा का दृश्य

पृथ्वी को मनोरम और अलौकिक रूप को देखकर बादल भी उसकी ओर आकर्षित होकर प्रेमी नायक की भांति झुकते ही चले आते हैं। और रसमय होकर उसे सरस बना देते हैं।  जैसे ही पृथ्वी पर बूँदें पड़ने लगती है वैसे ही पृथ्वी से अद्भुत भीनी-भीनी सुगंध उठने लगती है। वृक्षों में नया जीवन आ जाता है और वे हरे-भरे हो जाते हैं। पक्षी गण कलरव करने लगते हैं। इस प्रकार वर्षा के आगमन से  वातावरण ही बदल जाता हैं।

आखिरकार सभी के द्वारा वर्षा ऋतु को बहुत पसंद किया जाता है। हर तरफ हरियाली ही दिखाई देती है। पेड़, पौधे और लताओं में नयी पत्तियाँ आ जाती है। फूल खिलना शुरु हो जाते है। हमें आकाश में इन्द्र धनुष देखने का बेहतरीन मौका मिलता है। इस मौसम में सूरज भी लुका-छिपी खेलता है। मोर और दूसरे पक्षी अपने पंखों को फैलाकर झूमने लगते है। हम सभी वर्षा ऋतु का आनन्द स्कूल और घर दोनों जगह लेते है।

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – वर्ष भर में एक बार आने वाली वह ऋतु जिसमें वायुमंडलीय तापमान और आर्द्रता सामान्यतः उच्च रहते हैं, वर्षा ऋतु कहलाती है।

उत्तर – वर्षा ऋतु जून-जुलाई के महीने में आती है।

उत्तर – वर्षा ऋतु में अरहर, चावल, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन आदि फसलें बोई जाती हैं।

उत्तर – वर्षा ऋतु में बोई जाने वाली फसलों को खरीफ फसल कहते हैं।

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बरसात के दिन पर निबंध (Rainy Day Essay in Hindi) – बरसात के दिन प्रकृति के अनुकरणीय गुण हैं। बरसात का दिन मानसून के मौसम में विशिष्ट होता है। यह वास्तव में बच्चों के लिए बहुत खुशी की बात है क्योंकि कई बार भारी बारिश के कारण उनके स्कूलों में छुट्टियां हो जाती हैं। अचानक छुट्टी और आराम करने की अप्रत्याशित गुंजाइश उन्हें बहुत खुशी देती है।

लगभग हम सभी को बारिश के मौसम का इंतजार रहता है। प्लुवियोफाइल के लिए, यह एक इलाज है क्योंकि वे बारिश के हर पहलू का आनंद लेते हैं। एक बरसात का दिन नए जीवन और एक नई शुरुआत का प्रतीक है। कवियों ने अपनी रचनाओं में वर्षा का वर्णन अत्यंत सौंदर्यपूर्ण ढंग से किया है।

आप लेख, घटनाओं, लोगों, खेल, प्रौद्योगिकी के बारे में और अधिक निबंध लेखन पढ़ सकते हैं।

छात्रों को बरसात के दिनों में निबंध लिखने में मदद करने के लिए, हमने इस लेख में एक लंबा और एक छोटा निबंध प्रदान किया है। हमने दस पंक्तियाँ भी प्रस्तुत की हैं ताकि बच्चों को विषय के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल सके।

बरसात के दिन पर 10 लाइनें (10 Lines on Rainy Day in Hindi)

  • 1) बारिश के दिन का आनंद लेने के लिए बच्चे बाहर आते हैं और विभिन्न खेल खेलते हैं।
  • 2) परिवार के लिए बरसात का दिन मतलब चाय के समय पकौड़े जैसे गर्म स्नैक्स खाकर एक साथ क्वालिटी टाइम बिताना।
  • 3) कुछ लोग बरसात के दिन दैनिक दिनचर्या से छुट्टी लेकर संगीत सुनने और उपन्यास पढ़ने में समय व्यतीत करते हैं।
  • 4) लोग बारिश में नहाकर बारिश के दिन का आनंद लेते हैं क्योंकि बारिश का पानी शुद्ध और ताज़ा होता है।
  • 5) बारिश के दौरान युवा लॉन्ग ड्राइव पर जाना पसंद करते हैं क्योंकि मौसम ठंडा और खुशनुमा हो जाता है।
  • 6) बरसात के दिनों में छात्र या कॉलेज के स्नातक मस्ती के लिए लोकप्रिय खेल जैसे फुटबॉल खेलते हैं।
  • 7) बरसात के दिनों में हम क्षितिज में इंद्रधनुष देख सकते हैं जो युवा और वृद्धों को समान रूप से सुखद अनुभूति देता है।
  • 8) सर्दियों के दौरान बरसात के दिनों में मौसम बेहद ठंडा हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • 9) बरसात का दिन लेखकों और कवियों को प्रेरित करता है और उन्हें अपनी कविताओं, गीतों, प्राकृतिक प्रकृति के बारे में कहानियों में रचनात्मक पंक्तियों को जोड़ने का अवसर देता है।
  • 10) बरसात के दिन प्रकृति अधिक लयबद्ध और सुखदायक हो जाती है क्योंकि हम मोर, मेंढकों को बारिश का आनंद मनाने के लिए नाचते और कूदते देखते हैं।

बरसात के दिन पर निबंध 100 शब्द (Rainy day essay 100 words in Hindi)

बरसात के दिन लगभग सभी को प्यारे होते हैं। बच्चों को बारिश में खेलना अच्छा लगता है; बड़े-बुजुर्ग सिर्फ खिड़की के पीछे से इसकी खूबसूरती निहारना पसंद करते हैं। किसान भी इसे पसंद करते हैं, क्योंकि यह उर्वरता और बेहतर उपज लाता है। पशु अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक जल भंडार पर निर्भर हैं। बारिश इन भंडारों को भर देती है, जिससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि जानवरों के लिए पर्याप्त पानी बना रहे।

वर्षा प्रकृति का धरती माता और उसके निवासियों के लिए एक सुंदर उपहार है। बारिश के बिना जीवन नहीं होगा और लोग पानी और भोजन की तलाश में दौड़ेंगे। हालांकि आप इसे महसूस नहीं कर सकते हैं, बारिश की तुलना में यह अधिक महत्वपूर्ण है। बारिश के बिना एक साल की कल्पना करें और परिणाम आपको डरा देंगे। जीवन को बनाए रखने के लिए बारिश इतनी जरूरी है कि बारिश का एक दिन भी जीवन के नए पट्टे की तरह लगता है।

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बरसात के दिन पर निबंध 150 शब्द (Rainy day essay 150 words in Hindi)

बारिश का दिन ठंडी हवा और बारिश की फुहारों के साथ सुहावना मौसम लाता है। बच्चों, वयस्कों और वृद्धों सहित सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा इसका स्वागत किया जाता है। यह हमारे खराब मूड को जल्दी ठीक करता है और हमें उमस भरी गर्मी और उमस भरे मौसम से राहत देता है।

बारिश का दिन भी छात्रों को एक मजेदार ब्रेक प्रदान कर सकता है क्योंकि दुर्घटनाओं की संभावना से बचने के लिए अधिकांश स्कूल भारी बारिश के कारण छुट्टी घोषित करते हैं। यह किसानों के लिए एक आवश्यक भूमिका निभाता है क्योंकि यह उन्हें फसलों के विकास और पोषण में मदद करता है। बरसात का दिन पेड़-पौधों, पक्षियों और जानवरों के लिए भी वरदान है।

बरसात के दिन मौसम को खुशनुमा और सुकून भरा बनाकर हमें तरोताजा कर देते हैं। बरसात के दिन तीव्र गर्मी की लहर से एक उष्णकटिबंधीय देश को राहत प्रदान करते हैं। लेकिन इसके कुछ गलत पक्ष भी हैं, क्योंकि अधिक बारिश कई फसलों, फलों को नष्ट कर सकती है और गरीब लोगों के लिए स्थिति को कठिन बना सकती है।

बरसात के दिन पर निबंध 200 शब्द (Rainy day essay 200 words in Hindi)

एक सामान्य दिन में जागना और पानी की छोटी-छोटी बूंदों से लदे घने काले बादलों से घिरे आकाश को देखना एक ऐसी राहत है। तुरंत आप अपने आप से कहते हैं कि यह बारिश का दिन होने वाला है। आप अपने परिवार के सदस्यों को खबर का खुलासा करते हुए खुशी से बारिश शुरू होने का इंतजार करते हैं।

केवल आप ही नहीं, बल्कि सभी आयु वर्ग के कई लोग बारिश को भांप कर उत्साहित हो जाते हैं। लोग बारिश के दिनों को एक से अधिक कारणों से पसंद करते हैं। यह ताज़ा है और गर्मी से राहत देता है; यह खुशी और खुशी आदि लाता है।

 एक बरसात का दिन भी प्रकृति माँ को उसके सबसे अच्छे रूप में प्रकट करता है। यह मिट्टी के नीचे जीवन के रहस्यों को भी उजागर करता है; वे बिना बारिश के मृत खेल रहे हैं। बारिश के बाद अचानक कीड़ों और सरीसृपों की नई प्रजातियां जीवन में आ जाती हैं।

यह लोगों के लिए अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या से एक छोटा ब्रेक लेने और एक कप कॉफी के लिए बारिश को देखने का भी समय है। पृथ्वी पर जीवन के विभिन्न रूपों को बनाए रखने के लिए भी बारिश बहुत महत्वपूर्ण है और किसी स्थान पर वनस्पति और जीव काफी हद तक उस विशेष स्थान पर बारिश के दिनों की संख्या पर निर्भर करते हैं।

बरसात के दिन पर निबंध 250 शब्द (Rainy day essay 250 words in Hindi)

जब भी बारिश का दिन आता है तो वह चेहरे पर मुस्कान ले आता है, खासकर बच्चों के। वे ही हैं जो इसका सबसे अधिक आनंद लेते हैं और शॉवर और ठंडी हवा के एक दिन का अधिकतम लाभ उठाते हैं।

गर्मी से राहत

यह बरसात के दिन के सबसे बड़े फायदों में से एक है। जैसा कि यह आमतौर पर गैर-मानसून महीनों में होता है, यह सूरज की गर्मी से राहत दिलाता है। हवा ठंडी हो जाती है और हर जगह ठंडी हवा का झोंका महसूस किया जा सकता है। लंबे और लगातार धूप वाले दिनों के बाद, ठंडी हवा का अहसास बस स्वर्ग जैसा होता है और एक ऐसा पल जिसे आप छोड़ना नहीं चाहेंगे।

तापमान में बदलाव मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी काफी भरपाई कर रहा है। हर कोई बूंदा बांदी और हवा का आनंद लेने के लिए बाहर आता है।

पुनःपूर्ति प्रकृति

बरसात का दिन प्रकृति की सेहत के लिए एक तरह से बूस्टर डोज का काम करता है। बारिश प्रकृति की हर चीज को छूती है, चाहे वह जीवन से बेजान हो। यह पानी के प्राकृतिक भंडार को भरता है ताकि पानी का उपयोग मनुष्य और जानवरों द्वारा समान रूप से किया जा सके। पशु और पक्षी अपनी पानी की जरूरतों के लिए केवल बारिश पर निर्भर होते हैं और एक बरसात का दिन उनके बहुत जरूरी जल भंडार को फिर से भर देता है। बरसात के दिनों में नए पौधे और वनस्पतियां भी उग आती हैं।

गर्मी और पसीने के बीच बारिश का दिन सबसे अच्छी चीज है जो पृथ्वी और उसके जीवों के लिए हो सकती है। यह वास्तव में सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ पृथ्वी द्वारा भी बहुप्रतीक्षित और स्वागत योग्य है।

बरसात के दिन पर निबंध 300 शब्द (Rainy day essay 300 words in Hindi)

बरसात का दिन सभी के लिए एक संगीतमय आश्चर्य के रूप में आता है, एक सुस्वादु जलवायु और सर्द मौसम लाता है। काले बादल अपने नीचे की धरती पर पानी की बूंदों की बौछार करते हैं। जलवायु सुहावनी हो जाती है – बरसात के दिन न अधिक ठंडी, न अधिक गर्म।

एक बरसात का दिन भूमि पर वनस्पतियों को साफ करता है और सब कुछ नया और ताज़ा दिखता है; नतीजतन, हमारे चारों ओर की हरियाली अपने हरे-भरे रंग को प्रकट करती है। एक बरसात का दिन सिंचाई और उपज बढ़ाने के लिए भी उपयुक्त है, और भविष्य के लिए वर्षा जल के संरक्षण की संभावनाओं को खोलने के लिए भी, क्योंकि यह पृथ्वी के प्राकृतिक जल निकायों को फिर से भरने में मदद करता है।

यह पानी के अभाव में संघर्ष कर रहे जानवरों को नया जीवन देता है। यह पृथ्वी और उस पर जीवन को पुनर्जीवित करने का प्रकृति का तरीका है, जो केवल प्राकृतिक जल संसाधनों पर निर्भर सभी वनस्पतियों और जीवों के लिए ताजे पानी का आशीर्वाद लाता है।

बरसात का दिन कृषि गतिविधियों के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि कई फसलें पूरी तरह बारिश पर निर्भर करती हैं। यह किसानों के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाता है क्योंकि यह उन्हें फसलों के विकास और पोषण में मदद करता है। पानी बहुतायत हो जाता है; बरसात के दिन नदियाँ, नहरें और जलस्रोत उफान पर आ जाते हैं और जीवन से सराबोर हो जाते हैं।

बारिश विभिन्न सरीसृप और उभयचर प्रजातियों को सांप और मेंढक की तरह उनके छिपने से बाहर लाती है। ठंड के मौसम का आनंद लेने के लिए घरों में कई तरह के गर्म व्यंजन बनाए जाते हैं। बरसात का दिन आपके घर की बालकनी पर बैठकर गर्म कॉफी की चुस्की लेते हुए सबसे अच्छा व्यतीत होता है। बरसात का दिन प्रकृति का सबसे अच्छा लाता है लेकिन बारिश में खुश दिखने वाले लोगों को भी। बारिश में सफर करने के लिए लोग छाते का इस्तेमाल करते हैं और सूखे रहते हैं।

लेकिन बरसात के दिन के बुरे पक्ष भी हैं। कभी-कभी, बारिश की एक विस्तृत मात्रा बाढ़ जैसी क्षति का कारण बन सकती है और हमारे काम में बाधा उत्पन्न कर सकती है। यह कम उम्र के लोगों के दैनिक जीवन को भी खराब कर देता है, जिससे उनके लिए दोनों सिरों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।

बरसात के दिन पर निबंध 500 शब्द (Rainy day essay 500 words in Hindi)

Rainy Day बच्चों और बड़ों को बहुत पसंद होता है और यह उनके जीवन को थोड़ा कम उबाऊ बना देता है, भले ही वह केवल एक दिन के लिए ही क्यों न हो। जैसे जल की बूँदें पृथ्वी पर गिरती हैं, वैसे ही जीव जीवन और आनन्द से प्रफुल्लित हो जाते हैं। इस निबंध में हम ग्रामीण और शहरी जीवन पर बारिश के दिनों के प्रभाव, इसके फायदे और इससे होने वाली असुविधाओं के बारे में जानेंगे।

बरसात के दिन के प्रभाव

गांव का जीवन हो या शहरी जीवन; बरसात का दिन उनमें से प्रत्येक को अपने तरीके से प्रभावित करता है। हम संक्षेप में जानेंगे कि बारिश का दिन एक आम ग्रामीण और शहरवासी के जीवन को कैसे प्रभावित करता है।

  • ग्राम जीवन पर

शहरों के मुकाबले गांवों में आम दिनों में थोड़ी नींद आती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ग्रामीणों का मुख्य पेशा कृषि है, इसलिए शहरों की तरह आपके पास समय पर दफ्तर पहुंचने के लिए लोगों की भीड़ नहीं होगी। केवल किसान अपने खेतों की देखभाल कर रहे हैं और छात्रों का एक समूह अपने स्कूल के लिए जा रहा है। अगर बारिश होती है, तो यह एक गांव में सभी को ज्यादा प्रभावित नहीं करती है; हालांकि यह उन्हें थोड़ा विलंबित कर सकता है।

किसान बिना किसी नुकसान के डर के आसानी से बारिश के थमने का इंतजार कर सकते हैं; जब तक बारिश उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत अधिक न हो। इसके अलावा, गांव के निवासी बारिश के दिन को सामान्य गतिविधि के रूप में लेते हैं। बच्चे भी भीगने और शॉवर का आनंद लेने से नहीं डरते। शहरों के बच्चों के विपरीत, गाँव के बच्चों को बारिश में खेलते और बारिश के दिन का आनंद लेते हुए आसानी से देखा जा सकता है।

  • शहरी जीवन पर

बरसात के दिन का प्रभाव, जैसा कि शहरी बस्तियों में महसूस किया जाता है, गांवों से पूरी तरह अलग होता है। यहां के लोगों को अपने कार्यालयों और व्यवसायों में काफी देर हो जाती है। शहरों में समय का अर्थ धन है; इसलिए; बहुत से शहरवासी बरसात के दिन को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। कार्यालय जाने वाले और दुकानदार बेमौसमी बारिश के दिन का स्वागत नहीं करते हैं, क्योंकि इसका मतलब उनके लिए एक लंबा विलंब या नुकसान है।

इसके अलावा, जिन शहरों में बुनियादी ढांचागत योजना खराब है, उन्हें जल जमाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे लोगों को और अधिक असुविधा हो सकती है। साथ ही, जल जमाव और ट्रैफिक जाम के कारण आवश्यक आपातकालीन सेवाओं में देरी होती है। लेकिन, शिकायतों के बावजूद, लोग अभी भी बारिश के दिन की प्रकृति की सुंदरता के लिए प्रशंसा और प्यार करते हैं जो इसे प्रकट करता है।

बरसात के दिन के फायदे

समाज के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ प्रकृति और अन्य जीवित प्राणियों द्वारा महसूस किए गए बरसात के दिन के निम्नलिखित फायदे हैं।

  • यह मिट्टी को भरता है और पौधों को पोषण प्रदान करता है।
  • प्राकृतिक जल भंडार के साथ-साथ भूजल को भी भरता है।
  • इंसानों और जानवरों के लिए भी गर्मी से बहुत स्वागत योग्य राहत प्रदान करता है।
  • बच्चों को स्कूल से एक दिन की छुट्टी और बारिश में खेलने के लिए मिलता है।
  • बारिश के दिन का भी किसानों द्वारा स्वागत किया जाता है क्योंकि यह उनकी वनस्पति को पानी देता है और मिट्टी को भर देता है।
  • यह वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संरक्षण का अवसर प्रदान करता है।
  • प्राकृतिक वनों के अंदर गहरे तालाबों को भरता है, जो वन्यजीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • एक दिन की बारिश भी नए पौधे और वनस्पति उगाने में मदद कर सकती है।
  • पृथ्वी की सतह के साथ-साथ हवा से धूल और गंदगी को धो कर एक प्राकृतिक सफाई एजेंट के रूप में कार्य करता है।
  • गर्मी से राहत देता है और मौसम को और सुहाना बना देता है।
  • तपती गर्मी की तुलना में बरसात के दिन काम करना अधिक आसान और आनंददायक हो जाता है।

बरसात का दिन बच्चों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों के बड़ों को भी पसंद होता है। हालांकि यह कई मोर्चों पर थोड़ी परेशानी का कारण बनता है, फिर भी लोगों को बारिश का दिन लगता है।

बरसात के दिन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्र.1 आकाश में वर्षा के बाद हम क्या देखते हैं.

उत्तर. आसमान में बारिश के बाद हम इन्द्रधनुष देख सकते हैं।

Q.2 हम इंद्रधनुष में कौन से रंग देख सकते हैं?

उत्तर. हम एक इंद्रधनुष में बैंगनी, नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंग देख सकते हैं।

प्र.3 बरसात के दिन जब हम घर से बाहर जाते हैं तो क्या पहनते हैं?

उत्तर. बरसात के दिन हम बाहर जाने के लिए रेनकोट, रेन कैप और गमबूट पहनते हैं।

Q.4 ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु का क्या लाभ है?

उत्तर. गर्मी के मौसम के बाद बारिश के मौसम का आना हमें गर्मी की चिलचिलाती धूप से राहत देता है।

Q.5 भारत के किस राज्य में सबसे अधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है?

उत्तर. सिक्किम भारत का वह राज्य है जहां सबसे अधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है।

Hindi Yatra

वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi

Essay on Rainy Season in Hindi : दोस्तों आज हमने वर्षा ऋतु पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है.

वर्षा ऋतु जन जीवन का आधार है, इस समय मौसम सुहावना हो जाता है सभी जीव जंतुओं और मनुष्यों का मन प्रफुल्लित हो उठता है. बच्चों को बारिश बहुत अच्छी लगती है इसलिए अक्सर परीक्षाओं में वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने को दिया जाता है.

Essay on Rainy Season in Hindi

Get Some Essay on Rainy Season in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.

Best Essay on Rainy Season in Hindi 100 Words

हमारा देश कृषि आधारित देश है इसलिए आप वर्षा का होना बहुत जरूरी है. बारिश के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि बारिश से ही हमें पीने योग्य अमृत समान जल प्राप्त होता है.

भीषण गर्मी और लू चलने के बाद जब मानसून आता है तो चारों ओर खुशहाली और हरियाली छा जाती है. हर तरफ ठंडी-ठंडी हवाएं चलती है, खेतों में फसल लहरा उठती है, किसानों के चेहरे खिल उठते है, बच्चे भी बारिश और ठंडी हवा का आनंद लेते है.

बारिश का मौसम सबसे सुहाना मौसम होता है यह मौसम मुझे सबसे प्रिय और अच्छा लगता है.

Varsha Ritu Essay in Hindi 250 Words

वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.

वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है

गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.

बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है , कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.

मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.

गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.

बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.

Latest Essay on Rainy Season in Hindi 500 Words

भूमिका –

भारत में मुख्य रूप से वर्षा सावन और भादो माह में होती है यह वह समय होता है जब मानसून सबसे सक्रिय रूप में होता है. ग्रीष्म काल की झुलसाती हुई गर्मी से राहत बारिश के कारण ही मिलती है.

गर्मियों के कारण भारत के प्रत्येक प्रांत का तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि दिन में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. हर तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है.

सभी नदी, नालों, तालाबों का पानी सूख जाता है जिसे जीव-जंतुओं का जीवन बहुत कठिन हो जाता है. लेकिन जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है.

ऐसा लगता है मानो बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर अमृत की बौछार कर दी गई हो, बारिश के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है.

वर्षा ऋतु का महत्व –

वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे अच्छे ऋतु मानी जाती है, जब भी वर्षा आती है तब धरती का कण कण उमंग से प्रफुल्लित हो उठता है. जब धरती पर प्रचंड गर्मी के बाद मानसून की पहली बारिश होती है तो धरती से सोंधी सोंधी खुशबू आती है जिसके आगे दुनिया का सबसे खुशबूदार इत्र भी कम पड़ता है.

हमारा देश गर्म प्रांतीय क्षेत्र में आता है इसलिए यहां पर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, नदियों में पानी का अभाव है इसलिए पानी की उपलब्धता कम है. इसीलिए हमारे देश में वर्षा ऋतु का महत्व और भी बढ़ जाता है वर्षा ऋतु जब भी आती है तो सभी के मन को भा जाती है.

हमारा भारत देश के प्रधान देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर खेती ही की जाती है और खेती के लिए पानी की आवश्यकता होती है इस आवश्यकता की पूर्ति सावन और भादो माह में आने वाली बारिश ही करती है. किसानों के लिए तो यह अमृत के समान है क्योंकि उनकी फसल बारिश पर ही निर्भर करती है.

जब बारिश अच्छी होती है तो देश के हर प्रांत में खेतों में फसल लहरा उठती है चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है ऐसा लगता है मानो धरती ने हरी चुनरी ओढ़ ली हो.

बारिश के कारण सभी नदी नाले और तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं को मीठा जल पीने को मिलता है.

और धरती का भू-जल स्तर भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी का प्रकोप कम हो जाता है और चारों तरफ ठंडी ठंडी हवाएं चलती है जो कि प्रत्येक प्राणी की मन को खुशहाली से ओतप्रोत कर देती है.

वर्षा के कारण फसल अच्छी होती है इसलिए सभी को खाने के लिए अनाज मिलता है साथ ही किसानों को इससे अच्छी पूंजी भी मिल जाती है.

जिससे उनका जीवन यापन थोड़ा सरल हो जाता है. बारिश अच्छी होती है तो देश की प्रगति भी तेजी से होती है. वर्तमान में जल की कमी का ज्यादातर भाग मानसून की बारिश से ही पूरा होता है इसलिए बारिश का महत्व हमारे जीवन में अतुल्य है.

निष्कर्ष –

हमारे जीवन में सभी ऋतुओं का महत्व है लेकिन सबसे अधिक महत्व वर्षा ऋतु का है जिसके कारण पृथ्वी की संपूर्ण जीवन प्रणाली चलती है लेकिन कभी-कभी अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ हानि भी हो जाती है लेकिन इसके महत्व के आगे यह नगण्य है.

वर्षा हमारी धरती के लिए बहुत आवश्यक है इसलिए में इसके जल को सहेज कर रखना चाहिए और अधिक वर्षा हो इसलिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Essay on Rainy Season in Hindi

प्रस्तावना –

हमारा भारत देश बहुत सारी विभिन्नताओं वाला देश है इसलिए हमारे देश में ऋतुओं में भी विभिन्नता पाई जाती है. हमारे देश में कुल छ: ऋतुएँ ग्रीष्म, वर्षा, शीत ऋतु, हेमन्त, शिशिर और बसंत है जो कि हर दो महीने के अंतराल में बदल जाती है.

ऋतुओं के नाम के हिसाब से पृथ्वी का वातावरण बदलता रहता है, इन्हीं में से एक वर्षा ऋतु है जोकि संपूर्ण पर्यावरण में जीवन रेखा का काम करती है.

वर्षा ऋतु में बहुत तेज और अधिक बारिश होती है कई बार तो हफ्तों तक लगातार रिमझिम बारिश होती रहती है. वर्षा ऋतु में जुलाई में प्रारंभ होती है और अगस्त माह तक इसका पूरा जोर रहता है.

वर्षा ऋतु का आगमन –

जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ खुशहाली और हरियाली छा जाती है, भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों से जनजीवन को राहत मिलती है. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी में खुशी की लहर दौड़ जाती है. बारिश के समय बच्चे खूब नहाते और खेलते है अपनी कागज की नाव पानी में तैराते है.

किसान भी समय बहुत खुश होता है क्योंकि उसकी फसल लहरा उठती है. वर्षा के समय सूख चुके जंगल के पेड़ पौधे फिर से नव अंकुरित हो उठते है. सूखी काली पहाड़ियों पर हरियाली की चादर बिछ जाती है हर तरफ रंग बिरंगे फूल दिखाई देते है.

नदियां, ताल तलैया, नाले, बांध इत्यादि सभी पानी से भर जाते है, पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है. पशु पक्षियों को खाने के लिए हरी घास और पेड़ पौधे मिल जाते है. वर्षा ऋतु का आगमन पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के लिए खुशियों की चाबी है.

वर्षा का आगमन सभी को भाता है यह प्रकृति की काया पलट कर रख देता है प्रकृति के सारे रंग हमें बारिश के मौसम में देखने को मिल जाते है यह दृश्य किसी स्वर्ग लोक से कम नहीं होता है.

वर्षा ऋतु के लाभ –

वर्षा ऋतु का लाभ संपूर्ण पर्यावरण को मिलता है बारिश के कारण ही पर्यावरण का पूरा चक्कर चल पाता है इसके मुख्य लाभ हमने नीचे पॉइंट के माध्यम से समझाएं है.

(1) किसानों को –

किसानों के लिए तो वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि वर्षा ऋतु से पहले किसान अपने खेतों में निराई गुड़ाई और खाद डालकर फसल के लिए तैयार करते है. यह सब इतना आसान नहीं होता क्योंकि उस समय भयंकर गर्मी और लू चलती है.

किसान प्रचंड गर्मी में दिन भर मेहनत करता है और फिर आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखता रहता है कि कब बादल आए और बारिश होगी. हमारे देश के ज्यादातर किसान मानसून आधारित बारिश पर ही अपनी फसल बोते है.

इसलिए जब बारिश का मौसम आता है तो किसानों के मुंह की मुस्कान देखते ही बनती है. उनके द्वारा लगाई गई फसल, फल, सब्जियां इत्यादि सभी भरपूर मात्रा में होती है.

(2) पर्यावरण –

हमारी पृथ्वी की पर्यावरण के चक्कर को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्षा ऋतु का अहम महत्व है अगर यह रितु नहीं होगी तो संपूर्ण पर्यावरण तंत्र बिगड़ जाएगा. चारों तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी फिर पृथ्वी पर जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.

इसलिए जब बारिश आती है तो जीव जंतुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था हो जाती है और इंसानों के लिए भी पानी और अन्य फसल की व्यवस्था हो जाती है. पृथ्वी का पर्यावरण में फिर से एक बार जान आ जाती है. इसलिए वर्षा ऋतु का हमारे पर्यावरण के लिए अहम महत्व है.

(3) जीव – जंतुओं –

भयंकर गर्मी के कारण सभी पेड़ पौधे और घास सूख जाती है साथ ही पानी के तालाब और नदियां सूख जाती हैं जिससे जीव जंतुओं को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और पीने के लिए पानी भी बहुत कम मिलता है. इसके कारण धीरे-धीरे जीव जंतु और पशु पक्षी पानी और खाने की कमी के कारण मृत्यु के आगोश में चले जाते है.

लेकिन जब वर्षा ऋतु आती है तब फिर से पानी और खाने की कमी दूर हो जाती है इसलिए वर्षा ऋतु जीव जंतुओं के लिए अमृत के समान कार्य करती है.

(4) भू-जल स्तर बढ़ना –

गर्मी और अत्यधिक तापमान के कारण पृथ्वी का जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, और मानव द्वारा भूजल का अत्यधिक दोहन करने के कारण भू-जल स्तर कम हो जाता है जिसके कारण पृथ्वी गरम रहती है और हमें स्वस्थ जल पीने को भी नहीं मिलता है.

जब वर्षा ऋतु आती है तब बारिश के कारण ही भू-जल स्तर बढ़ता है जिससे पृथ्वी के तापमान में भी कमी आती है और स्वच्छ जल भी हमें प्राप्त होता है.

(5) व्यापार में तेजी –

हमारा भारत देश कृषि आधारित देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए जिस साल अच्छी वर्षा नहीं होती उस साल सभी वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है और व्यापार धीमी गति से चलता है.

अगर अच्छी बारिश होती है तो किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है और वे बाजार में आकर नई नई वस्तुएं खरीदते हैं जिससे व्यापार तेजी से बढ़ता है.

(6) देश की प्रगति –

हमारे देश आज भी 70% से अधिक आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए हमारे देश के ज्यादातर लोग आज भी किसान है. इसलिए जिस वर्ष भी अधिक वर्षा होती है और फसल अच्छी हो जाती है तो हर प्रकार के व्यापार में तेजी देखने को मिलती है.

इस कारण सभी को खर्च करने के लिए पैसे मिल जाते है और सभी लोग नई नई वस्तुएं खरीदते है जिससे देश की प्रगति होने लग जाती है.

वर्षा से हानि –

वर्षा ऋतु से कुछ हानियां भी होती है लेकिन ज्यादातर मानव जनित कार्यों के कारण उनके घातक परिणाम देखने को मिलते है. वर्षा ऋतु से होने वाली कुछ प्रमुख हानियां निम्नलिखित है –

(1) बाढ़ – अत्यधिक बारिश होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण फसल जन-धन की हानि होती है. लेकिन बाढ़ भी मानव जनित कार्य से ही आती है क्योंकि मानव द्वारा जंगलों की कटाई कर दी गई है जिससे पानी का बहाव तेजी से होता है.

और जनधन की हानि भी मानव के कारण ही होती है क्योंकि मानव ने अपने रहने का स्थान नदियों के पास बना लिया है और उनके बहने के क्षेत्र को रोक दिया है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर मानव अपनी सीमा में रहे तो बाढ़ की स्थिति इतना भयानक रूप नहीं ले सकती है.

(2) मौसमी बीमारियां –

वर्षा ऋतु में मौसमी बीमारियां बहुत अधिक होती है जैसे हैजा, मलेरिया, त्वचा संबंधी रोग, खांसी जुकाम इत्यादि हो जाती है. लेकिन इनमें से ज्यादातर बीमारियां मानव द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के कारण ही उत्पन्न होती है. अगर मानव पर्यावरण का ख्याल रखें तो वर्षा ऋतु से बीमारियां नहीं होंगी.

(3) भू-कटाव –

अत्यधिक तेज वर्षा के कारण भूमि का कटाव होने लग जाता है जिसे उपजाऊ मिट्टी बह कर चली जाती है. जो कि पर्यावरण और फसलों के लिए अच्छा नहीं होता है.

भू-कटाव की स्थिति वर्तमान में बहुत अधिक देखने को मिलती है क्योंकि मानव द्वारा अत्यधिक पेड़ों की कटाई कर दी गई है जिससे भूमि का कटाव हो रहा है इसलिए मैं अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और भू-कटाव को रोकना होगा.

वर्षा ऋतु के त्योहार –

वर्षा ऋतु आने के बाद भारत देश में जैसे त्योहारों की झड़ी लग जाती है, भारत में वर्षा से वैसे ही सभी को खुशी मिलती हैं और पूरा वातावरण ठंडा और मनमोहक हो जाता है इन खुशियों में चार चांद लगाने के लिए भारत देश के लोग त्योहारों का आयोजन करते है.

अगर ऐसा कहा जाए कि भारत में त्योहारों की शुरुआत वर्षा ऋतु से ही प्रारंभ होती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि ज्यादातर त्यौहार वर्षा ऋतु के बाद ही आते है.

वर्षा ऋतु के बाद प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले त्योहार निम्न है – तीज, रक्षाबंधन, गणगौर, दिवाली इत्यादि है.

उपसंहार –

वर्षा ऋतु के कारण संपूर्ण जन जीवन में हर्षोल्लास की लहर दौड़ जाती है, सच में वर्षा ऋतु पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के प्राण के लिए अमृत का कार्य करती है.

खेतों में लहराती हुई फसल का मनमोहक दृश्य बहुत सुहाना लगता है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखकर सबके मन को शांति मिलती है.

चहु और पशु पक्षी अपना नया राग सुनाते है यह वाक्य में ही बहुत मनोरम दृश्य होता है और वर्षा ऋतु के कारण भयंकर गर्मी से जो राहत मिलती है उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

इसीलिए वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे ऊंचा स्थान रखती है. हमें भी वर्षा ऋतु में जल का संग्रह करके वर्षा ऋतु का आदर करना चाहिए.

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7 thoughts on “वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi”

वर्षा ऋतु पर निबंध

very good letters

Thank you Arnav for appreciation, keep visiting Hindi yatra.

आप का निबंध हमें बहुत अच्छा लगा।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अंशिका जी ऐसे ही और रोचक जानकारी लेने के लिए हिंदी यात्रा पर आते रहे धन्यवाद

आपका निबंध बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद

करन राणा आप का बहुत बहुत आभार

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वर्षा ऋतु पर निबंध – सरल शब्दों में | Essay on Rainy Season in Hindi

क्या आप वर्षा ऋतु पर निबंध लिखना चाहते हैं? अगर आप ढूंढ रहे हैं Essay on Rainy Season in Hindi तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं। इस पोस्ट में हम आपके लिए बरसात के मौसम पर short essay लेकर आये हैं जो की बहुत ही सरल भाषा में लिखे गये हैं। हमें उम्मीद है आपको ये वर्षा ऋतु के बारे में निबंध पसंद आयेंगे। आप इस निबंध को स्कूल-कॉलेज या प्रतियोगिता आदि में लिख सकते हैं।

वर्षा ऋतु पर निबंध – 100 शब्दों में | Short Essay on Rainy Season in Hindi

मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है। यह हर वर्ष जुलाई के महीने में आता है और हमें मई जून की तपती गर्मी से राहत देता है। यह मौसम जुलाई से सितम्बर तक तीन महीने तक रहता है। जब बारिश होती है तो सूखे हुए पेड़-पौधे फिर से हरे-भरे हो जाते हैं।

इस मौसम में हम मीठे-मीठे आम को खाने का आनंद लेते हैं। साथ ही इस ऋतु में हम सभी भारतीय कई सारे त्यौहार जैसे रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश पूजा, ईद-उल-जुहा, मुहर्रम आदि को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं। इसके अलावा लम्बी छुट्टी के बाद इसी महीने में हमारी स्कूल फिर से शुरू होती है। नये कॉपी-किताबों के साथ हम बड़े उत्साह से नई कक्षा में प्रवेश लेते हैं।

Varsha Ritu Par Nibandh – 250 शब्द

मई-जून की तपती हुई गर्मी को शांत करने के लिए हमारे देश में जुलाई महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है। बरसात का यह मौसम पेड़, पौधे, मनुष्य तथा सम्पूर्ण जीव जगत में एक नया उत्साह पैदा कर देती है।

गर्मी से सूखे हुए पेड़ फिर से हरे-भरे हो जाते हैं, तपती हुई धरती में जब पानी की बूँदें पड़ती हैं तो बंजर खाली जमीन में घास और नये पौधे निकल आते हैं।

किसानो के लिए वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नही है। गर्मी के मौसम में सारे खेत-खलिहान सूख जाते हैं। नदी-तालाबों, कुओं और सभी जल स्त्रोतों में पानी की कमी हो जाती है ऐसे में किसान फसल नही उगा सकते इसलिए उन्हें बरसात के मौसम का इन्तजार रहता है ताकि खेती करके अच्छी फसल उगा सकें और साल भर के लिए अनाज का प्रबंध कर सकें।

वर्षा ऋतु का महत्त्व

सभी ऋतुओं में वर्षा ऋतु का अपना एक अलग महत्व है। जैसा की हम सब को पता है की जल के बिना जीवन सम्भव नही है, अगर बरसात नही होगी तो पानी की कमी हो जाएगी और अकाल भी पड़ सकता है इससे जन-जीवन पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता है।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है, और बिना वर्षा के खेती करना बहुत मुश्किल है। यही वजह है की जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो किसान खुश हो जाते हैं क्योंकि इससे खेतों पर पानी की कमी पूरी हो जाती है।

वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है। वर्षा ऋतु के अपने फायदे भी हैं तो कुछ नुकसान भी जैसे इस मौसम में मच्छर, कीड़े-मकोड़े आदि भी पैदा होते हैं और बीमारियाँ फैलने का खतरा भी रहता है। अधिक वर्षा होने पर बाढ़ का खतरा बना रहता है। लेकिन इन सब के बावजूद यह ऋतु सम्पूर्ण जीव जगत के लिए जीवनदायिनी है।

वर्षा ऋतु पर निबंध – 300 शब्द

भारत में ग्रीष्म ऋतु की चिलचिलाती हुई गर्मी जून तक रहती है, इसके बाद वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है और यह सुहाना मौसम सितम्बर रहता है। वर्षा की फुहारें बेहद आनंददायक और सुकून देने वाली होती हैं। इंसानों से लेकर हर जीव जंतु तो इस मौसम का इंतजार रहता है।

इस मौसम में बादलों में काली-भूरी घटायें छा जाती हैं और जब मौसम साफ़ हो जाता है तो पूरा आसमान नीला और मनमोहक दिखाई देने लगता है। और हाँ इन्द्रधनुष को हम कैसे भूल सकते हैं, सात रंगों वाला यह मनमोहक दृश्य सिर्फ सिर्फ इसी मौसम में ही तो दिखाई देते हैं। पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है, मिटटी से सौंधी-सौंधी खुशबू, पक्षियों की चहचाहट मन मोह लेती हैं।

वर्षा ऋतु की विशेषताएं

खेती करने लिए बरसात का मौसम ही अनुकूल होता है क्योंकि गर्मी में जल स्तर कम होने और जलाशय के सूखने के बाद इसी ऋतू में सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध हो पाता है। वर्षा ऋतू सिर्फ इंसानों के लिए ही फायदेमंद नही है इससे सूखे हुए पेड़-पौधों और गर्मी से व्याकुल पशु पक्षियों में भी नई जान आ जाती है।

इस मौसम में जंगलों का नजारा बेहद अनोखा होता है, आपने मयूर के बारे में तो सुना ही होगा काले बादल जब छाते हैं तो ये अपने खूबसूरत पंखों को फैलाकर नृत्य करते हैं, गर्मी में बेहाल और प्यासे जानवर पहली बारिश से ही राहत महसूस करते हैं।

वर्षा ऋतु से लाभ और हानि

वर्षा ऋतु में खेतों में हरियाली आ जाती है, बीजों से अंकुरण निकल आता है, किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। धरती का जल स्तर भी बढ़ जाता है इससे पानी की कम दूर हो जाती है। अगर वर्षा ऋतु न आये तो हमारे पास अनाज की कमी हो जाएगी जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।

बेशक वर्षा ऋतु का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है, लेकिन फायदों के साथ-साथ इस मौसम के कुछ नुकसान भी हैं। अत्यधिक बारिश होने से बाढ़ आ सकता है नदी नालों में उफान आ जाता है। गावों से लेकर शहर तक जलमग्न हो सकते हैं इससे जानमाल की बहुत हानि होती है।

वर्षा ऋतु पर निबंध -400 शब्द | Essay on Rainy Season in Hindi

भारत में छः ऋतुएं आती हैं जिनमे से वर्षा ऋतु का अपना एक खास महत्त्व होता है। वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी भी कहा जाता है। हमारे देश में वर्षा ऋतु का समय जुलाई से सितम्बर तक होता है।

मुख्य रूप से सावन का महिना ऐसा समय होता है जब मानसून सबसे अधिक सक्रिय हो जाता है। जून की झुलसा देने वाली गर्मी और गर्म हवाओं से राहत तभी मिलती है जब वर्षा की फुहारें धरती पर पड़ती हैं। धरती की प्यास बुझ जाती है, सूखे हुए पेड़ पौधों को नया जीवन मिल जाता है, तालाब, नदी नाले और जलाशय पानी से भर जाते हैं।

बरसात का मौसम जब आता है तो चारो ओर हरियाली छा जाती है, चिड़िया चहचहाने लगते हैं, मेंढक टर्राने लगते हैं, जंगली-जानवर भी चैन की सांस लेते हैं मानो सभी जीव-जंतुओं को इसी मौसम का बेसब्री से इन्तजार रहता है। पपीहे की पीहू-पीहू बहुत ही प्यारी लगती है, रात में जुगनू भी दिखाई देते हैं और झींगुर की झंकार भी सुने देती है ऐसा लगता है मानो सम्पूर्ण प्रकृति बोल उठी हो।

वर्षा ऋतु में आने वाले त्योहार

वर्षा ऋतु तीज-त्योहारों का भी मौसम है इस समय भारत में कई सारे त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे:

  • रक्षाबंधन – यह भाई-बहन के प्यार को दर्शाने वाला हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है।
  • तीज – यह हिन्दू महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत है।
  • जन्माष्टमी – कृष्ण जन्मोत्सव का यह त्यौहार हिन्दुओ द्वारा पूरे देश में मनाया जाता है।
  • श्री कृष्ण जयंती – यह भी समूर्ण भारत में मनाया जाता है।
  • ईद उल जुहा – यह मुसलमानों का एक प्रमुख त्यौहार है।
  • प्रकाश वर्ष – पंजाब में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।
  • मुहर्रम – यह सिया मुस्लिमों का प्रमुख त्योहार है।
  • ओणम – यह केरल का प्रमुख त्योहार है।
  • गणेश पूजा – इसे पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है।

वर्षा ऋतु के लाभ

  • ग्रीष्म ऋतु की असहनीय गर्मी को कम करता है और वातावरण में ठंडक आ जाती है।
  • खेती के लिए अनुकूल मौसम बनता है और किसानो को सिंचाई के लिए पानी मिल जाता है।
  • सूखे हुए नदी-नाले, तालाब और पोखर पानी से भर जाते हैं।
  • वर्षा जल का संचयन करके पूरे वर्ष के लिए पानी बचाया जा सकता है।
  • भू-जल स्तर में भी सुधार होता है।
  • पर्यावरण हरा-भरा हो जाता है।
  • गाय-भैंस और जानवरों के लिए हरे चारे का प्रबंध हो जाता है।

वर्षा ऋतु से हानि

  • मिटटी गीली हो जाती है जिससे कीचड और गन्दगी फ़ैल जाती है।
  • अधिक बारिश से आवागमन में परेशानी होती है।
  • बाढ़ का खतरा रहता है।
  • संक्रामक रोग फैलने का खतरा रहता है।
  • छोटे-छोटे गड्ढों में पानी जमा हो जाते हैं जहाँ मच्छर पैदा हो जाते हैं।

आपको यह वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay on rainy season in Hindi) कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताएं। वर्षा ऋतु पर निबंध for class 1, class 2, class 3, class 4, class 5 से class 10 तक के बच्चे इसे लिख सकते हैं। हमने इस आर्टिकल में वर्षा पर 100 शब्द से 400 शब्दों में निबंध लिखें हैं और ये आपके जरुरत के अनुसार अलग-अलग परीक्षाओं और प्रतियोगिताओं में आपके काम आ सकते हैं।

  • सभी ऋतुओं के नाम
  • ग्रीष्म ऋतु पर निबंध
  • 10 Lines on Winter Season in Hindi
  • 10 lines on spring season in Hindi

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It was an incredible essay. Especially, I like the essay on vasra ritu in 250 words.

Thank you Piyush

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बारिश के दिन पर निबंध (Rainy Day Essay In Hindi)

हमारे जीवन मे हम कई मौसम को आते – जाते देखते है। कुछ मौसम हमें भाते है, तो कुछ मौसम हमे नहीँ लुभाते। पर इससे कोई फर्क नही पड़ता है। हर एक मौसम हमारे लिए जरूरी है। वैसे ही बारिश के दिन भी हमारे लिए बहुत जरूरी है।

बारीश के दिनों का आगमन

बारिश के मोसम का समय था। में एक दिन सुबह सो कर उठा, तो मैने देखा बहार खिड़की से तो सूर्य देवता केवल कुछ समय के लिए ही प्रकट हुए थे ओर फिर बादलो की आड़ में ना जाने कहा छुप गए।

आप सभी बच्चे जल्दी जल्दी अपने घर चले जाएं। में भी जल्दी से गेट के बहार निकल गया, पर ये क्या बारिश तो बहुत तेजी से बरसने लगी और सड़क पर देखते देखते ही पानी भर गया ओर में छाता होने के बावजूद भीग गया था।

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Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा ऋतु निबंध – Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on rainy season in hindi), बरसात का एक दिन। – a rainy day.

  • प्रस्तावना,
  • वर्षा का आगमन,
  • वर्षा के विविध दृश्य,
  • एक दिन की घटना,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- भारतवर्ष प्रकृति की रमणीय क्रीड़ास्थली है। प्रकृति के जैसे मनोरम दृश्य भारत में देखने को मिलते हैं, वे संसार के किसी अन्य देश में दुर्लभ हैं। यहाँ छ: ऋतुएँ क्रमश: आती और जाती हैं, जबकि संसार के अन्य किसी भी देश में छः ऋतुएँ नहीं होती हैं। इन छ: ऋतुओं में वर्षा ऋतु अपना विशेष स्थान रखती है। दिनकर जी के शब्दों में-

“है बसन्त ऋतुओं का राजा। वर्षा ऋतुओं की रानी॥”

Rainy Season Essay in Hindi

सन्त वर्षा का आगमन- जेठ का महीना बीत रहा था। ग्रीष्म ऋतु अपने पूर्ण उत्कर्ष पर थी। जेठ की दोपहरी ऐसी तपती थी कि संसार के सभी जीव-जन्तु वृक्षों की छाया में हाँपते हुए समय काटते थे। मनुष्य लूओं से बचने के लिए कहीं अँधेरे घरों में छिप जाना चाहते थे। धीरे-धीरे आया आषाढ़ का पहला दिन, आकाश में बादल दिखाई दिया।

यह वही दिन था जिस दिन कालिदास के प्रिया-विरह से संतप्त यक्ष ने मेघ को अपना दूत बनाया था। धीरे-धीरे आकाश बादलों से ढक गया। किसानों की जान में जान आ गयी। बादलो को देखकर उनकी आँखें ठंडी होने लगीं। एक-दो दिन तक बादल जमते गये।

आखिर बादलों ने धरती की प्यास बुझाई। संसार को चैन मिला। चींटी से लेकर हाथी तक, जड़ से लेकर चेतन तक सभी प्राणिय और वनस्पतियों में नवजीवन का संचार हो गया। चारों ओर हर्षोल्लास छा गया।

Essay on Rainy Season in Hindi

वर्षा के विविध दृश्य- वर्षा के विविध दृश्य भी कैसे विचित्र होते हैं? आकाश बादलों से ढका रहता है। कभी-कभी तो कई-कई दिन तक सूर्य के दर्शन नहीं होते। शस्यश्यामला धरती का सौन्दर्य देखते ही बनता है। बादलों को देखकर वन-उपवन में मोर आनन्दमग्न होकर नाचते हैं। नदी-नालों में उफान आ जाता है।

पोखर और सरोवर का पानी सीमा लाँघ जाता है। नदियाँ जल से तटों को डुबाकर घमंड से इतराने लगती हैं। सब ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। मेंढकों की टर्र-टर्र और झींगुरियों की झनकार एक विचित्र समा बाँध देती है।

एक दिन की घटना- वर्षा ऋतु अपने चरम उत्कर्ष पर थी। एक दिन एक विचित्र दृश्य उपस्थित हुआ। यह था-श्रावण का एक दिन! आकाश बादलों से ढका हुआ था। रात बीती, प्रभात हुआ। सूर्य के तो कई दिनों से दर्शन न हुए थे। प्रभात हो जाने पर भी अंधेरा बढ़ता चला आ रहा था।

घड़ी साढ़े छ: बजा रही थी। हम लोग स्कूल जाने की तैयारी में थे कि अचानक वर्षा आरम्भ हो गयी। मूसलाधार वर्षा, रुकने का नाम नहीं। थोड़ी देर में सब ओर पानी ही पानी हो गया। गलियों और सड़कों पर पानी की नदियाँ सी बह रही थीं। कुछ देर बाद तो हमारे घर में भी पानी भर आया।

सहन में पानी, बरामदे में पानी और फिर कमरों में भी पानी। सारे मुहल्ले में शोर मचा था। लगता था जैसे प्रलय आ जायेगी। तीन घंटे की लगातार वर्षा ने सब ओर त्राहि-त्राहि मचा दी। उस दिन स्कूल जाने की किसी में हिम्मत न थी।

सुबह को जलपान हुआ था तत्पश्चात पोखर की तरह जलपूर्ण रसोई में भोजन बनने का प्रश्न ही नही था। उस दिन लाचारी का व्रत हुआ। दिनभर घरों का पानी उलीचते रहे, घरों की सफाई करते रहे। हाँ, वर्षा रुकने पर हम लोग घर से बाहर निकले और पानी में छप-छप करते फिरे।

बाग में गये, आमों के ढेर लगे थे। खूब छक कर आम खाये। तीसरे पहर घर लौट कर आये। उस समय पानी साफ हो गया था। धूप निकल आयी थी। भोजन तैयार था और मम्मी-पापा मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। सबने भोजन किया। धीरे धीरे सूर्य अस्ताचल पर पहुँच गया। इस प्रकार यह बरसात का दिन बीता। आज भी वह दिन मुझे जब याद आता है, देर तक सोचता रहता हूँ।

उपसंहार- वर्षा भारत के लिए वरदान बनकर आती है। कभी-कभी बाढ़ और तूफानों से यह प्रलय का दृश्य भी उपस्थित कर देती है। प्राय: धन-जन की भी क्षति हो जाती है, तथापि वर्षा के द्वारा ही उस विनाश की क्षतिपूर्ति भी हो जाती है। वर्षा अन्न और जल देने वाली शक्ति है। यह जीवनदायिनी सुन्दर ऋतु है। यही मानव जीवन का आधार है। इसके आते ही बच्चे गा उठते हैं-

“जीवन-धन-सूखदाई लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥ पशु-पक्षी मानव हरषाने। जड़-चेतन की प्यास बुझाने॥ सघन घटाएँ संग में लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥”

बारिश का दिन पर निबंध / Rainy Day Essay in Hindi

प्रस्तावना बारिश का मौसम सब लोगो का मन मोह लेती है। गर्मी की वजह से अक्सर मनुष्य और अन्य प्राणी परेशान हो जाते है। सूरज की तेज़ किरणों की वजह से मनुष्य बेहाल रहते है।  दफ्तरों में काम करते समय सभी लोग तपती धूप से बचने के लिए  छाते का इस्तेमाल करते है। लेकिन फिर भी राहत नहीं मिलती। प्रदूषण और लगातार भूमंडलीय ऊष्मीकरण यानी ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है।  गर्मियों में खासकर यह देखने को मिलता है। जैसे ही वर्षा के बादल छा जाते है , लोगो में सुकून सा छा जाता है। वर्षा के आने का आभास हो जाता है जब लोग काले बादलो को देखते है।

वर्षा का इंतज़ार किसान करता है ताकि उसके फसलों को पानी मिल सके। वर्षा अगर देर से आये तो  सभी लोगो का मन बैठ सा जाता है।  वर्षा के आने का इंतज़ार सभी लोग बेसब्री से इंतज़ार करते है। जब वर्षा की फुहारे जुलाई महीने में आरम्भ हो जाती है तो सभी लोग राहत की सांस लेते है।गर्मियों में लोग अनावृष्टि से परेशान रहते है।  सूखे की वजह से फसले बर्बाद हो जाती  है और लोगो को परेशानियां झेलनी पड़ती है। पानी की एक बूँद के लिए लोग छटपटा जाते है।  ऐसे में वर्षा लोगो को राहत की सांस देता है और उनके इन समस्याओं को दूर करता है।

अत्यधिक और प्रचंड गर्मी की वजह से नदियाँ , तालाब सब सूख जाते है। जुलाई के महीने  में  मैं जब कॉलेज से वापस आ रही थी और बारिश शुरू हो गयी। वह बरसात का पहला दिन था। बारिश की छींटे जैसे ही पड़ी।  मैंने पहले बारिश का आनंद भीग कर लिया।

जब बरसात अधिक तेज़ हो गयी तो मैं अपने सहेली के वहाँ रुक गयी। बरसात को देखकर मैं इतनी उत्साहित हो गयी कि मैंने बारिश की एक अच्छी  वीडियो बना ली। पहली बरसात का आनंद कुछ अलग ही होता है। मेरे घर के आस पास कई बच्चो को मैंने बरसात का आनंद लेते हुए देखती हूँ।

जब मैं घर पहुंची तो माँ ने हमारे लिए गरमा गरम समोसे बनाये थे।  जैसे ही हमने समोसे खाये तो पापा घर पर जलेबी लेकर आये।बरसात के दिनों में मैं अपने सहेलियों  के साथ बारिश में भीगती हूँ।  सभी आसपास के लोग बरसात की ठंडी ठंडी हवा का लुफ्त उठाते है।

मम्मी हमें बारिश में ज़्यादा भीगने से मना कर रही थी लेकिन हमने उनकी एक भी बात ना सुनी। लेकिन हम सभी ने खूब नहाया और मौसम के पहली बारिश का आनंद लिया।बरसात के मौसम में सबके थैले या बैग में एक ज़रूरी चीज़ होता है जो लोग हमेशा अपने पास रखते है , वह है छतरी।

जब छोटे छोटे जगहों पर पानी भर जाता है , तो बच्चे वहाँ कागज़ के नाव बनाकर खेलते है।  बचपन में हर किसी ने नाव पानी में चलाई होगी।कुछ लोग बरसात का आनंद लेने के लिए अपने छतो पर जाकर खड़े हो जाते है।कभी कभी ज़्यादा वर्षा होने की वजह से गड्डो में पानी भर जाता है। कई शहरों में सड़को का बुरा हाल हो जाता है।  वर्षा के दिनों में ट्रैफिक जैम अक्सर देखने को मिलता है।  लोगो को एक जगह से दूसरे जगह यात्रा करने में मुश्किल होती है।

कई जगहों पर सड़के खराब होने की वजह से पानी हमारे घुटनो तक आ जाता है। कच्ची सड़को की हालत तो और अधिक बुरी हो जाती है। कई बार लोग वर्षा से बचने के लिए जल्दी में रहते है और कई बार लोग गड्डो में फिसल कर गिर जाते है।  कई तरह की दुर्घटनाएं भी हो जाती है अगर वर्षा रुकने का नाम ना ले तो।

जब वर्षा अतिरिक्त वर्षा होती है , तो सभी पशु पक्षी भाग कर यहां वहां अपनी जगह ढूंढ लेते है।जब कुछ समय पश्चात वर्षा बंद हो गयी ,  तब लोगो ने ठन्डे मौसम का सहारा लिया।

वर्षा आते ही वनो में मोर नाचते है।कई बार वर्षा के कारण बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते है और घर पर ही अपने मित्रो के साथ मौसम का लुफ्त उठाते है। बारिश होने के बाद कभी कभी लोगो को इंद्रधनुष देखने का सौभाग्य मिलता है।सात रंगो से बना यह खूबसूरत इंद्रधनुष प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है। बंजर भूमि पर जैसे ही बारिश की बूंदे पड़ती है तो लोगो की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है ।

वर्षा का पहला दिन सबके लिए खुशियों से भरा होता है। हमें ज़्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए।  वृक्षारोपण अत्यंत ज़रूरी है। बारिश कृषि के लिए बहुत ज़रूरी है। बारिश गर्मियों के दिनों में  सुकून पहुंचाता है।  सर्दियों के दिन में एक दिन की बारिश लोगो की परेशानी बढ़ा देती है।

  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

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Essay on rainy day and rainy season in hindi वर्षा ऋतु पर निबंध.

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Essay on Rainy Season in Hindi

विविध ऋतुओं से परिपूर्ण भारत देश में वर्षा ऋतु का अपना अलग महत्त्व और रंग-रूप है। भारत को कृषि-प्रधान देश माना गया है और यहाँ का कृषि कार्य भी ज्यादातर वर्षा पर ही आश्रित है। वर्षा ऋतु का आगमन देशी महीनों के हिसाब से सावन-भादों में उस समय होता है कि जब ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव अपने चरम पर पहुँच कर ढलान की तरफ अग्रसर होने लगती है। ग्रीष्म का प्रताप पूरी धरती और प्रकृति के स्वरूप को झुलसा कर प्रपीड़ित तो कर देता है, सारी मानवता भी नित्यप्रति बढ़ते उमस और ताप से एक तरह व्याकुल होने लगती है। तब धरती, प्राणी जगत और प्रकृति से ग्रीष्म का प्रकोप मिटाने के लिए एकाएक पुरवाई चलकर बादलों के आगमन का संकेत दे जाती है। पुरवाई के तरल-सरल, ठंडी झोंकों का स्पर्श पाकर मनुष्य जब विह्वल-सा आकाश की तरफ आँख उठाकर देखता है, तो अचानक उमड़-घुमड़ कर आते काले बादलों को देखकर उसका मन मयूर वन-मोर की तरह ही उमंग एवं प्रसन्नता से भरकर नाच उठता है। तब पहले एक बूंद टपकती है और फिर देखते-ही देखते टप टप का संगीत भरती वर्षा की बूंदों की एक निरंतर झड़ी सी लग जाती है। कुछ ही पलों में सोंधी सुगंध तन-मन को भिगों कर आस पास फैलते पानी में समाकर धरती को भी हरी-भरी कर देती है। इस तरह वर्षा ऋतु का आगमन बड़े ही मन भावन तरीके से होता है।

वर्षा ऋतु के आरंभ होते ही मोर, दादुर और पपीहा की रटन तो बढ़ ही जाती है, प्रथम ऋतु ग्रीष्म के कारण हुई रूखी-सूखी धरती भी सजकर हरियाली से भरने लगती है। लू का अंत होकर हवा पुरवाई का रूप ले लेती है। मानों ग्रीष्म का अभिशाप ताप’, एक सुहानी ठिठुरन में परिवर्तित हो जाता है। सभी कुछ बन-संवर कर हरियाली से भर जाता है। झुलसती लताएँ फिर से हरी होकर लहलहा उठती हैं। वृक्षों के छलनी भी नए पत्तों के उगने के कारण एक सघन छाते का-सा स्वरूपाकार धारण कर लिया करती है। ताल तलैया तो भर ही जाते हैं, सूखी पड़ी नदियों का अंतराल भी रेतीली चमक से चौंधिया देने की अपनी विशेषता त्याग कर खाली अहसास जगाने लगता है। यहाँ तक तो ठीक रहता है; पर जब कभी वह गीलापन हरहराती बाढ़ का रूप धारण कर बस्तियों में घुस आता है, तब वर्षा ऋतु का सारा सुहानापन और रोमांच एक तरह से लोमहर्षक बन कर सारा मजा किरकरा कर जाता है।

भारतीय किसानों के लिए वर्षा का आगमन एक सुखद वरदान से कुछ कम महत्त्वपूर्ण नहीं होता। वर्षा, समय पर और उचित मात्रा में होने से, खेत हल चलाकर आसानी से बीज बोने योग्य तो हो ही जाया करते हैं, सिंचाई भी प्राकृतिक रूप से स्वयं ही हो जाया करती है। बोए बीज पानी के अभाव में व्यर्थ न जाकर सहज रूप से अंकुरित होते हैं और भरपूर फसल पैदा करते हैं। सही समय और अनुपात से वर्षा होने पर पीने के पानी की समस्या भी अधिकांशतः हल हो जाती है। केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं पशु-पक्षियों तक के लिए भी पीने के पानी का कमी नहीं रह जाया करती । इस तरह वर्षा ऋतु के अनेक व्यावहारिक महत्त्व एवं उपयोग स्पष्ट हैं और हम सभी उनसे अच्छी तरह परिचित भी हैं।

प्राचीन काल में वर्षा ऋतु के समय किसी भी जगह की यात्रा नहीं की जाती थी, जबकि काफी असुविधापूर्ण रहते हुए भी आज इस तरह का व्यवधान नहीं माना जाता। वर्षा ऋतु अपने साथ कीचड़ आदि की गंदगी तो लेकर आती ही है, यदि स्वास्थ्य और सफ़ाई का विशेष ध्यान न रखा जाए, तो मच्छर, मक्खी आदि तमाम तरह के कीड़े-मकोड़ों के कारण वर्षा ऋतु कई तरह की बीमारियों की संभावना भी अपने में संजोए रखती है। अत: इस दृष्टि से सावधान रहना बहुत जरूरी है। यों वर्षा में नहाना पित्त और गर्मी के प्रकोप को समाप्त करने वाला माना जाता है; पर अधिक नहाना फोड़े-फुन्सियों को निमंत्रण देने वाला भी हो सकता है। आजकल चूंकि वातावरण में प्रदूषक तत्त्वों की अधिकता है, इस कारण समझदार लोग वर्षा स्नान को अच्छा नहीं मानते। वर्षा जल में स्नान करना आजकल वातक सिद्ध हो चुका है।

ऋतुराज वसंत और ऋतुरानी शरद् के समान सामान्यतया वर्षा ऋतु को भी सुखद, सुन्दर एवं मनमोहक माना जाता है। उन्हीं के समान वर्षा ऋतु हरियाली लाकर प्रकृति का श्रृंगार भी करती है। पहाड़ी स्थानों पर वर्षा ऋतु का दृश्य सामान्य से कहीं अधिक मनमोहक हो जाता है। वहाँ बादलों का उमड़-घुमड़ कर खिड़की की राह भीतर घुस आना वास्तव में एक चमत्कार से कम नहीं लगता है। वर्षा से पेड़ पौधे, पहाड़ियाँ, वनस्पतियाँ एवं प्रत्येक प्राकृतिक उपादान नहाकर साफ सुथरा एवं तरो ताजा सा प्रतीत होने लगता है। ग्रीष्म की हवा और आंधी झक्खड़ से धूल भरी प्रकृति, वर्षा ऋतु में नवस्राता दुलहिन-सी मनभावन लगती है। सचमुच सावन में वर्षा और उमड़ते-घुमड़ते बादलों का दृश्य मन को मोह लेता है।

Essay on Rainy Day in Hindi

(समरूपी विषय – जब मैं बारिश में भीगा, जीवन का अविस्मरणीय अनुभव, रिमझिम आई बरखारानी)

वर्षा काल मेघ नभ छाए, गरजत लागत परम सुहाए

अनेक कवियों ने सुहानी वर्षा ऋतु का वर्णन भाँति-भाँति कर इसे ऋतुओं की रानी कहा है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रचंड किरणों से धरती तपती प्रतीत होती है, प्रत्येक जीव गरमी से व्याकुल होकर त्राहि-त्राहि करने लगता है और आकाश की ओर टकटकी लगाकर बादलों के लिए लालायित हो उठता है। ऐसी ही ज्येष्ठ मास का आग उगलती दोपहर में पशु-पक्षी, जीव-जंतु, बालक-वृद्ध सभी इंद्र देव से वर्षा की प्रार्थना करने लगते हैं।

वर्षा का स्वागत

ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूल का पहला दिन था। नए उल्लास और उमंग के साथ हम सभी विद्यालय आए थे, किंतु गरमी की भीषणता से सब बेचैन थे। विद्यालय की छुट्टी होने ही वाली थी कि अचानक आकाश काले-काले बादलों से भर गया। काली घटा ने सूरज को पूरी तरह ढक लिया था। पुरवैया हवा चलने लगी थी और बीच-बीच में बादलों की गर्जना भी सुनाई पड़ रही थी। वर्षा की संभावना देखकर तत्काल हमारी छुट्टी कर दी गई। अभी हम थोड़ी दूर ही गए थे कि हल्की बूंदाबाँदी शुरू हो गई। मैंने अपने मित्रों से खुश होते हुए कहा-“लगता है आज खूब जमकर वर्षा होगी। बड़ा मज़ा आएगा।” मेरे मित्रों ने भी मेरी बात का समर्थन किया और सचमुच देखते-ही-देखते तेज़ वर्षा होने लगी। आसपास कहीं वर्षा से बचने की जगह नहीं थी। हम खुली सड़क पर चल रहे थे, तभी हम सबने बारिश में भीगने और उसका पूरा आनंद लेने का निश्चय किया। आसपास और भी बहुत-से लोग भीगकर मानो वर्षा का स्वागत कर रहे थे। छोटे बच्चे भी किलकारी मारते हुए अलौकिक सुख का अनुभव कर रहे थे।

वर्षा का सर्वव्यापी प्रभाव – कुछ समय तक सब कुछ ठीक रहा, परंतु फिर एकाएक बारिश ने रौद्र रूप धारण कर लिया। तेज़ मूसलाधार वर्षा होने लगी। हमें पास ही बस-स्टैंड दिखाई दिया, वहाँ खड़े होकर हम बारिश से बचने का असफल प्रयास करने लगे। लगभग दो घंटे इसी प्रकार वर्षा होती रही। सड़कों पर पानी-ही-पानी भर गया। जल-थल सभी मिलकर एकाकार हो गए थे। कुछ लोग बरसाती पहने जा रहे थे तो कुछ केवल छाते से ही अपनी रक्षा कर रहे थे। कुछ ऐसे भी थे, जो पूरी तरह भीगते हुए जा रहे थे। मानो उन्हें वर्षा की बिलकुल परवाह ही न हो। अचानक बहुत तेज़ हवा चलने लगी। ऐसा लग रहा था, तूफ़ान ही आ जाएगा। चाय की दुकान का टीन का टुकड़ा उड़कर कहीं दूर जा गिरा। आसपास के कई पेड़ टूटकर गिर गए। सड़क पर पानी का स्तर बहुत बढ़ गया था। पानी के ऊपर अनेक बरतन, जूते-चप्पल आदि तैरते हुए दिखाई दे रहे थे। हम बारिश में पूरी तरह भीग चुके थे। ठंड और भय के कारण हमारा हाल बहुत बुरा हो रहा था। मैं जल्दी-से-जल्दी घर पहुँचना चाह रहा था, लेकिन दूर-दूर तक बस का नामोनिशान तक न था। तभी मैंने देखा, दो आदमी पूरी तरह भीगे हुए किसी प्रकार घुटनो तक आ चुके पानी में चल रहे थे। अचानक उनमें से एक का पैर फिसला और वह लगभग गिरने ही वाला था कि उसके साथी ने उसे किसी प्रकार सँभाल लिया। शायद वहाँ कोई गड्ढा आ गया था, जिसे वे पानी के कारण देख नहीं पाए थे। इस दृश्य को देखकर न चाहते हुए भी हमारे मुँह से बरबस ही हँसी निकल गई और वे बेचारे शर्म के मारे गरदन नीची करके वहाँ से चले गए।

धीरे धीरे वर्षा का वेग रुका। आसपास खड़े हुए लोग यही प्रतीक्षा कर रहे थे। सभी अपने-अपने गंतव्य की और चल दिए। तभी सामने से हमारी बस आती दिखाई दी। में अत्यंत सावधानीपूर्वक बस-स्टैंड से नीचे उतरकर बस में चढ़ने की कोशिश कर ही रहा था कि मेरा भी पैर फिसल गया और में पानी में गिर गया। मेरे मित्रों ने मुझे उठाया और बस में चढ़ने में मेरी मदद की। घर तक पहुँचते-पहुँचते शाम घिर आई थी। घर पर सभी मुझे लेकर चिंतित थे। मुझे सकुशल देखकर सबकी जान में जान आई। बारिश में भीगने का यह मेरे जीवन का पहला अवसर था। मुझे बहुत तेज़ सरदी लग रही थी। मम्मी ने झटपट मेरे कपडे बदलवाए, मेरे बस्ते का सामान हवा में फैलाया। और मेरे लिए गरमागरम कडक चाय बनाकर लाई। चाय और माँ के ममता भरे स्पर्श की गरमी से मुझे जल्द ही नाद आ गई। जब मैं सोकर उठा, आसमान बिलकुल स्वच्छ हो चूका था। बादलों का कहीं नामोनिशान तक न था किंतु मेरे मनोमस्तिष्क पर तो उस दिन का अनुभव स्थायी रूप से अंकित हो चुका है।

उपसंहार – निस्संदेह वर्षा हमारे खेतों, बाग-बगीचों को हरा-भरा करती है, गरमी से तप्त प्राणियों को शीतल करती है, किंतु अतिवृष्टि से बाढ़ आ जाती है जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बहुत-सा नुकसान होता है। अतः ईश्वर से यही कामना है कि समय पर वर्षा ज़रूर करें किंतु संतुलन में। बारिश सबके लिए आनंददायक हो, मंगलकारी हो। जब-जब वर्षा होती है, उस अनोखे अनुभव की स्मृति ताज़ा हो जाती है और मेरा मन-मयूर वर्षा के आनंद के लिए मचल उठता है।

वर्षा ऋतु में उमड़ते-उफ़नते नदी-नालों का दृश्य

लगता था, इस बार भी वर्षा ऋतु आकर वैसे ही बिना बरसे ही गुजर जाएगी। पर नहीं, उस दिन जब आँख खुली तो आकाश काले-काले घने बादलों से आच्छादित हो रहा था। सोचा, ऐसा न हो कि वर्षा आरंभ हो जाए और फिर घर से निकल ही न पाऊँ। इसलिए जल्दी-जल्दी सुबह के दैनिक कार्यों से निवृत्त होने का प्रयास करने लगा। ताकि यमुना पार स्थित अपने कार्यालय पहुँच सकें। स्नान आदि के बाद नाश्ता करके घर से निकलने ही वाला था कि रिमझिम-रिमझिम फुहार शुरू हो गई। मैं वर्षा के रुकने की प्रतीक्षा करने लगा; पर वह तो जैसे आज न रुकने का निश्चय करके, निरंतर तेजी से बरसती ही जा रही थी। एक घण्टा _ _ _ दो और तीन घण्टे व्यतीत हो जाने पर भी जब बारिश ने थमने का नाम नहीं लिया, वरन् अपनी रफ्तार पहले से कहीं अधिक तेज कर दी, तो मैंने कपड़े बदलकर, चादर ओढ़े भीतर चारपाई पर लम्बायमान हो गया। शाम चार बजे केकरीब आँख खुलने पर देखा कि बरसात अब भी निरंतर हुए जा रही है। खिड़की की राह बाहर झाँक कर देखा, तो गली-बाज़ार में पानी के प्रवाह के अलावा और कुछ भी नज़र न आ रहा था।

वह दिन व्यतीत हुआ, अगले दिन भी वर्षा ने थमने का नाम नहीं लिया। तीसरे दिन भी कहीं आधी रात के बाद ऐसा महसूस हुआ कि अब पानी बरसना बंद हो गया है। लेकिन उस समय उठकर बाहर बारिश की तेजी को देखने का साहस न बटोर सका। सो सुबह होने तक सोया ही रहा। तीन-चार दिनों बाद एक सुबह चिड़ियों-कौओं के स्वर सुन कर जागा, तो देखा सूर्य देवता अपनी पीली मुस्कान में प्रखरता लाने का प्रयत्न कर रहे थे। खिड़की से बाहर झाँका, तो गलियों और बाज़ारों में पानी उतर चुका था; पर आस-पास की नालियों में पानी बहने की शाँय-शाँय आवाज़ निरंतर गुंज कर उसकी गति की तीव्रता का सहज आभास करा रही थी। नहा-धोकर जल्दी ही घर से निकल पड़ने को तैयार हो गया। नाश्ता किया और निकल पड़ा। बाहर कई परिचितों ने मिलने पर इस वर्षा पर अपने अनुभव सुनाए। उन्हें सुनता-सुनाता मैं जल्दी जल्दी बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगा।

बस स्टॉप और हमारे घर के रास्ते के मध्य एक गहरा नाला पड़ता था। वह नाला प्राय: अपने भीतर अथाह कीचड़ और गंदगी लिए हमेशा बदबू फैलाता रहता था। लेकिन आज वह लबालब भर कर किनारों के बाहर निकल भागने का प्रयत्न कर रहा था। उसमें कीचड़ या गंदगी कतई दिखाई नहीं देती थी और बदबू भी नहीं थी। पीछे से बढ़ रहे पानी के दबाव के कारण रह-रह कर उसकी धारा उछलती-कूदती हुई स्पष्ट हो रही थी। लगता था, कि जैसे आज वह अपने किनारों की सारी मर्यादाएं तोड़ कर गलियों, बाजारों और घरों तक में घुस जाएगा। उसका सन्नाता पानी मटमैला जरूर था; पर दुर्गचिंत और कीचड़ से सना कतई नहीं था। कुछ आगे जाने पर ज्ञात हुआ कि नाले में बहता बरसात का पानी कई जगह किनारों की मर्यादा तोड़ कर बस्तियों में प्रवेश कर चुका है। नाले की इस खरमस्ती और उलटवासी देख कर कुछ लोग बातचीत में कल्पना करने लगे थे कि इस स्थिति में यमुना नदी का रूप तो और भी भयंकर हो उठा होगा।

यमुना नदी का नाम सुनते ही मेरा मन उसके समीपस्थ पुश्ते पर पहुँचकर उसके उफान और उछल-कूद को नजदीक से देखने के लिए मचल उठा। सो बस पकड़ने की बजाय मैं अपने तेज़ कदम यमुना के पुश्ते की ओर बढ़ाने लगा। जैसे-जैसे उधर बढ़ता गया, देखा कि मार्ग में पड़ने वाले छोटे-बड़े सभी नाले अपनी मर्यादाएँ तोडकर, अथवा फिर अपनी औकात से बढ़-चढ़ कर पानी ढोते बह रहे हैं। कई जगह पर पैंट घुटनों से ऊपर करके पानी में से भी गुजरना पड़ा। बड़ी ही अजीब स्थिति हो रही थी। खैर, पुश्ते पर पहुँच कर देखा, वहाँ पहले से ही एकत्रित होकर हज़ारों लोग उफ़नती-उमड़ती यमुना नदी का दृश्य देखकर आश्चर्यचकित हो रहे हैं। पुश्ते के नीच उगे काई के झाड़ छोटे-मोटे पेड़-पौधे आदि, कहीं कुछ भी तो नजर नहीं आ रहा था। बस, सभी जगह ठाठे मारता, लपटता-झपड़ता और शेषनाग के फनों सा लहरें उछालता पानी-ही-पानी दृष्टिगोचर हो रहा था। उसे देखकर लोग परस्पर तरह-तरह की बातें कर रहे थे।

वहाँ मौजूद लोगों से कुछ हट कर खड़ा मैं दूर-दूर तक फैल रहे यमुना नदी के पाट को देखने लगा। पानी का प्रवाह इतना तेज था कि उसमें कुछ भी ठहर पाना कतई संभव नहीं था। पानी का उफान आता और गहरी भंवरें बना, बह कर आ रहे पेड़-पौधों तथा अन्य पदार्थों को भीतर समाहित कर चला जाता। कई बार कोई तीव्र लहर आती और उससे टकराकर किनारे भुरभुरा कर पानी में बह जाते। एक बार तो मैं बड़ी कठिनता से नीचे गिर जाने से बच पाया। यमुना नदी पर बना सेतु भी वहाँ से नजदीक ही था। उस तरफ देखने पर प्रतीत होता कि जैसे उफनती-उछलती यमुना की लहरें उस सेतु तक को भी झकझोर कर गिरा देना चाहती हैं। वहाँ पर जो पानी की गहराई बताने वाला पोल लगा हुआ था, वह लगातार पानी में नीचे-ही-नीचे उतरता जा रहा था। लगता था कि कुछ ही देर में ही पानी उसके ऊपर से बहने लगेगा।

इस प्रकार इस नदी और नाले के पानी को लगातार उफ़नते-उछलते हुए देखकर आसानी से आभास हो रहा था कि जो नदी-नालें, पहाड़ी घाटियों एवं अन्य स्थानों पर बहते हैं, उनकी वर्षा कालीन स्थिति कितनी उफ़नती-उछलती हुई होगी।

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rainy day essay for class 7 in hindi

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वर्षा ऋतु पर निबंध – Rainy Season Essay In Hindi

Rainy Season Essay In Hindi

Rainy Season Essay In Hindi : भारत में प्रमुख छ: ऋतुएं हैं, जिसमें से एक ऋतु वर्षा ऋतु भी है। वर्षा ऋतु को मॉनसून का मौसम भी कहा जाता है, और इस मौसम में भारत के कई हिस्सो में खूब बारिश होती है। इस ऋतु में बारिश के आनंद के साथ-साथ कई तरह के त्यौहार भी आते हैं, जैसे – रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी।

Varsha Ritu की शुरूआत जून महीने से होती है और लगभग सितंबर महीने तक चलती है। यह मौसम सिर्फ इंसानों को नही बल्कि पशु-पक्षियों को भी राहत देता है। वर्षा ऋतु में कई जगहों पर मनोहर दृश्य देखने को मिलते है। इस मौसम में प्रकृति अपने पूरे रंगों में सज जाती है।

वर्षा ऋतु शुरू होते है ही स्कूलों में बच्चों को वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha Ritu Par Nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। क्योंकि निबंध से बच्चे वर्षा ऋतु के आगमन, वर्षा ऋतु के महत्व, वर्षा ऋतु से उत्पन्न सौंदर्य, और वर्षा ऋतु के लाभ एवं हानि के बारे में जान पाते है। चलिए मैं आपको Varsha Ritu Essay in Hindi लिखने का तरीका बताता हूँ।

वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha Ritu Par Nibandh)

इस आर्टिकल में, मैं आपको अलग-अलग सीमा पर बरसात के मौसम पर निबंध (Rainy Season Essay In Hindi) लिखकर दूंगा। इस लेख से आप किसी भी कक्षा के लिए Varsha Ritu Par Nibandh लिख सकते है।

वर्षा ऋतु पर निबंध 200 शब्द (Rainy Season Essay In Hindi)

वर्षा ऋतु प्रकृति का एक बहुत बड़ा और अद्भुत उपहार है, क्योंकि इसके बिना धरती पर जीवन संभव नही है। इस ऋतु में आसमान काले बादलों से ढ़क जाता है, और बिजली चमकने लगती है। इसके बाद धरती पर पानी के फुहारें पड़ने लगते है, जिससे पेड़-पौधे, जीव-जंतु और खेत-खलिहान सभी पानी से तृप्त हो जाते है।

Varsha Ritu का आगमन श्रावण मास से होता है और भाद्रपद मास तक रहती है। इस ऋतु में खेतों में फसलों की बुवाई और रोपाई की जाती है। सभी किसान वर्षा के पानी का भरपूर उपयोग करते हैं, ताकि सुंदर और अच्छी फसल उग सके। इसके अलावा वर्षा के पानी से नदियां और तालाब भी भर जाते हैं।

इस ऋतु के अनेक फायदे हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ नुकसान भी है, जैसे- डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया प्रकार के गंभीर रोग। इसलिए बरसाती मौसम में सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। इसके अलावा वर्षा ऋतु में बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी खतरा होता है।

वर्षा ऋतु एक सुंदर और मनमोहक ऋतु है, जिससे पूरी प्रकृति को काफी फायदे मिलेते हैं। Rainy Season Essay In Hindi से हमें इस ऋतु के बारे में काफी कुछ जानने को मिलता है।

वर्षा ऋतु पर निबंध 300 शब्द (Varsha Ritu Par Nibandh)

प्रस्तावना.

वर्षा ऋतु भारत की अन्य ऋतुओं में से सबसे अधिक प्रिय ऋतु है। जब बारिश का मौसम आता है तो प्रकृति में अनेक मनोहर बदलाव देखने को मिलते है। यह मौसम हमें जून-जुलाई के समय की तेजी गर्मी से राहत देता है। इस मौसम में बच्चे-बुढ़े सभी आनंदित हो जाते हैं। सच में Rainy Season (बरसात का मौसम) काफी मनमोहक है।

वर्षा ऋतु का आगमन

दुनिया में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग समय पर वर्षा ऋतु का आगमन होता है। लेकिन अगर भारत की बाते करें तो भारत में गर्मी के मौसम के बाद यानी जून महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है। यह ऋतु लगभग सितंबर महीने तक रहती है।

भारत में वर्षा ऋतु अरब सागर से होते हुए पहले केरल राज्य की ओर बढ़ती है, और फिर उत्तरी भारत की तरफ आती है। वर्षा ऋतु आते ही प्रकृति अपना संकेत देना शुरू कर देती है, और किसान खेती की तैयारीयां शुरू कर देते है।

प्रकृति के लिए वर्षा ऋतु का महत्व

Varsha Ritu प्रकृति के लिए काफी महत्वपूर्ण ऋतु है, क्योंकि इस ऋतु के बिना प्रकृति नष्ट हो जाएगी। बारीश के मौसम की वजह से ही यह प्रकृति जीवित है। यह ऋतु मानव जीवन के साथ-साथ सभी जीव-जंतु के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि वर्षा ऋतु की वजह से ही पेड़-पौधे जीवत है।

इस वर्षा ऋतु से ही सूखी नदिया और तालाब दोबार भरते है। और सभी जीव-जंतुओं को पानी मिलता है। इसी ऋतु की वजह से फसले उगती है, जिसे खाकर हर जीव-जंतु जीवित रहता है। इसलिए वर्षा ऋतु इस प्रकृति के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

उपसंहार

हम सब जानते है कि जल ही जीवन है, और बिना वर्षा ऋतु के जल का अस्तित्व खतरें में आ जाएगा। और अगर धरती से जल खत्म हो जाए तो पूरी पृथ्वी सुनसान हो जाएगी। मतलब कोई भी जीव-जंतु या पेड-पोधा नही बचेगा। इसलिए हमें प्रकृति को बचाना है और वर्षा ऋतु को संतुलित रखना है।

Varsha Ritu Essay in Hindi से हमें बहुत कुछ जानने को मिलता है।

वर्षा ऋतु पर निबंध 500 शब्द (Rainy Season Essay In Hindi)

बारिश प्रकृति की एक महत्वपूर्ण देन है। जब धरती पर पहली बार बारिश गिरती है तो मिट्टी की अलग ही खुशबू होती है, जिससे सूंघने से मन खुश हो जाता है। गांवों में वर्षा ऋतु के बाद अनेक मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं। वर्षा के आने से चारों तरफ हरियाली छा जाती है।

वर्षा ऋतु क्या है

वर्षा ऋतु को भारत में बरसात का मौसम भी कहा जाता है, क्योंकि इस ऋतु में भारत की कई जगहों पर अच्छी बारिश होती है। यह ऋतु अक्सर जून से सितंबर माह तक रहती है। इस ऋतु में आसमान में काले बादल छा जाते है और बिजली कड़कने लगती है। तेज हवाएं चलती है और फिर बूँद-बूँद बारिश होने होती है।

और जब बारिश धरती पर पहुंचती है तो प्रकृति में एक नई ऊर्जा संचरित होती है, जिससे पेड़-पौधे हरे भरे हो जाते है और फूल खिल जाते है। पक्षी मुधर स्वर निकालते है और बच्चे-बूढ़े सभी वर्षा का आनंद लेते है।

वर्षा ऋतु का महत्व

वर्षा ऋतु प्रकृति और पृथ्वी के हर जीव-जंतु के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह ऋतु प्रकृति को नयी ऊर्जा देती है जिससे सभी को नया जीवन मिलता है। वर्षा के पानी से ही खेत हरे-भरे होते है। और साथ ही नदियाँ और तालाब भर जाते है, जिससे पशु-पक्षि सभी पानी पीते है।

यह ऋतु तेजी गर्मी के मौसम के बाती है जिससे सभी जीव-जंतुओं को गर्मी से राहत मिलती है, और मौसम ठंडा हो जाता है। इस ऋतु के बाद प्रकृति एक नए मनमोहक रूप में आ जाती है।

वर्षा ऋतु के फायदे और नुकसान

वर्षा ऋतु का सबसे बड़ा फायदा यही है कि यह प्रकृति को नया जीवन देती है। इस ऋतु से फसलों की वुबाई और रोपाई हो पाती है। बारिश से फसले अच्छी होती है और अकाल की संभावना भी कमा होती है। इस ऋतु से पशु-पक्षियों को पीने के लिए पानी मिलता है। इसके अलावा इस ऋतु से भीषण ग्रमी के बाद मौसम ठंडा भी होता है।

इस ऋतु के लाभ के साथ कुछ हानियां हैं, जैसे- मौसमी रोग (डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि), बाढ़ व भूस्खलन जैसी आपदाएं, बिजली गिरना। आप बारिश के इन नुकसानों से बच भी सकते है, लेकिन इसके लिए आपको सावधानी रखनी होगी।

वर्षा ऋतु सभी जीव-जंतु के लिए आनंद और उत्साह का सूचक है। इस ऋतु के आगमन से प्रकृति में भी अनेक मनमोहक बदलाव देखने को मिलते है। यह ऋतु केवल मानव जाति नही बल्कि सभी जीव-जंतु पेड़-पौधे में नई ऊर्जा का संचार कर देती है।

Varsha Ritu बहुत ही महत्वपूर्ण ऋतु है क्योंकि इस ऋतु के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। बारिश के मौसम में प्रकृति का एक नया रूप देखने को मिलता है। Rainy Season Essay In Hindi में समझना काफी महत्वपूर्ण है।

वर्षा ऋतु पर निबंध 1000 शब्द (Varsha Ritu Par Nibandh)

वर्षा ऋतु भारत की 6 ऋतुओं में से एक लोकप्रिय ऋतु है, जिसका आगमन मई महीने में होने लग जाता है, और यह ऋतु सितंबर महीने तक चलती है। पृथ्वी के अलग-अलग जगहों पर वर्षा ऋतु का आगमन अलग-अलग समय पर होता है।

यह ऋतु गर्मी के मौसम के बाद आती है और सभी जगह ठंडक कर देती है, इसलिए मौसम का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह ऋतु हमें गर्मी से राहत देती है और साथ ही हमें एक अलग तरह का उत्साह भी देती है। बरसात के मौसम का आनंद बच्चे से बूढ़े तक सभी लोग लेते है।

इस Rainy Season Essay In Hindi में वर्षा ऋतु के आगमन, वर्षा ऋतु के महत्व, वर्षा ऋतु में आने वाले त्योहार, और इसके फायदे एवं नुकसान के बारे में बताया है।

वर्षा ऋतु के आगमन का समय

भारत देश में, वर्षा ऋतु जून महीने से शुरू होती है और सितंबर महीने तक चलती है। यह ऋतु हमारे देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन से शुरू होती है। मानसून, मौसमी हवाएं है जो हिंद महासागर से आर्द्र हवा लाती है। यह आर्द्र हवा भारत के तटीय क्षैत्रो में आती है और फिर उत्तर की ओर चली जाती है।

वर्षा ऋतु के आगमन पर पूरा मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है। बारिश के मौसम में भारत के अनेक जगहों पर भारी और लगातार बारिश होती है। भारत में यह बारिश कुछ जगहों पर कम होती है तो कुछ जगहों पर बहुत ज्यादा होती है। और कुछ जगहों पर मौसम कुछ महीने तक गीला ही रहता है।

वर्षा कैसे होती है

वर्षा संघनन प्रकार की एक प्रक्रिया द्वारा बनती है। जब वायु में मौजूद जलवाष्प ठंडी होकर पानी की बूंदो या बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाती है, तो इसे संघनन कहा जाता है। और फिर यह पानी की बूंदे बादलों का रूप लेती है।

वर्षा का निर्माण कुछ इस प्रकार होता है:

1. सबसे पहले धरती का जल सूर्य की गर्मी से गर्म होकर जलवाष्प में बदलता है और फिर यह जलवाष्प ऊपर की तरफ जाती है।

2. जब जलवाष्प ऊपर जाती है तो वायु का तापमान धीरे-धीरे कम होता है। और फिर कम तापमान से जलवाष्प संघनित हो जाती है। इसके बाद पानी की बूदें बादलों में एकत्रित हो जाती है।

3. इसके बाद जब बादल भारी हो जाते है तो यह टूटते है, जिससे पानी की बूंधे धरती पर गिरती है। कभी-कभी बादल एक-दूसरे से टकराकर भी बारिश के रूप बरसते है।

4. वर्षा का पानी दोबार सूर्य की गर्मी से वाष्प में बदलता है। और फिर यह वापिस एक चक्र के रूप में चलता रहता है।

वर्षा ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य

वर्षा ऋतु के समय प्रकृति का सौंदर्य कई गुना अधिक बढ़ जाता है। इस ऋतु के आगमने के बाद प्रकृति में एक नयी ऊर्जा भर जाती है। इस ऋतु में पेड़-पौधे हर-भरे हो जाते है। इनके पत्ते नए और चमकीले हो जाते है। सभी फूल खिल जाते है और वातारण में सुगंद फैल जाती है।

इस ऋतु में पूरा आसमान काले बादलों से ढ़क जाता है और मौसम ठंडा होने लग जाता है। और जब बारिश होती है तो धरती सुगंधित हो जाती है। हवाओं में एक अलग ही खुशबु फैल जाती है, जो मन को काफी खुश करती है।

बारिश से सभी सड़के, उद्यान और खेल के मैदान आदि जलमग्न हो जाते है। इससे सभी तालाब और नदिया भर जाती है, जिसका फायदा सभी जीवों को मिलता है।

वर्षा ऋतु का महत्व प्रकृति के लिए काफी ज्यादा होता है। क्योंकि जब वर्षा ऋतु आती है तो प्रकृति में नयी ऊर्जा से नवजीवन का संचार होता है। इस ऊर्जा पर सभी जीव-जंतु और पैड़-पौधे आश्रित होते हैं।

किसानों के लिए इस ऋतु का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि किसान इसी ऋतु में फसलों की बुवाई और रोपाई करते है। इससे फसले काफी अच्छी उगती है और अकाल की संभावना भी कम हो जाती है।

यह ऋतु पशु-पशी और जीव-जंतु के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस ऋतु में नदियां और तालाब भर जाते है। जिससे सभी जीव पानी पीते है और अपनी प्यास बुझाते है। इसके अलावा बरसात के मौसम की वजह से मौसम ठंडा हो जाता है और लोगों गर्मी से राहत मिलती है।

वर्षा ऋतु के फायदे या लाभ

वर्षा ऋतु से हमें कई लाभ मिलते हैं, जैसे-

  • प्रकृति को एक नया जीवन मिलता है, जिससे वातावरण स्वच्छ और ताजा हो जाता है।
  • बरसात से अच्छी फसले उगती है और अकाल की समस्या खत्म हो जाती है।
  • वर्षा ऋतु से भूमि में नमी रहती है, और इससे भूमि उपजाऊ बनती है।
  • बारिश के पानी से नदिया और तालाब भर जाते हैं, जिससे पशु-पक्षियों को पीने के लिए पानी मिलता है।
  • तेज गर्मी के मौसम के बाद जब वर्षा ऋतु आती है तो मौसम पूरा ठंडा हो जाता है और लोगों को गर्मी से राहत मिलती है।

इस तरह वर्षा ऋतु के अनेक फायदे हैं।

वर्षा ऋतु के नुकसान और इसके उपाय

वर्षा ऋतु के फायदों के साथ-साथ कुछ नुकसान भी है। ये नुकसान निम्नलिखित प्रकार से हैं-

  • बारिश की वजह से मौसमी रोग फैलते हैं, जैसे- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि।
  • तेजी बारिश से कई बार बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भी आती हैं।
  • अधिक बारिश होने से कई बार फसले खराब हो जाती है।
  • बारिश की वजह से जगह-जगह पर कीचड़ भी होता है।
  • बारिश के मौसम में बिजली गिरने का भी खतरा रहता है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।

वर्षा ऋतु के ये कुछ नुकसान है, लेकिन इस ऋतु में सावधानी रखकर इन नुकसान से बचा जा सकता है। बारिश के मौसम में हम छाता या रेनकोट का इस्तेमाल करके और घर के आसपास पानी को जमा न होने देकर बीमारियों से बच सकते है।

बाढ़ व भूस्खलन से बचने के लिए संभावित क्षैत्रों से दूर रहना चाहिए, और चेतावनी मिलने पर तुरंत सुरक्षित स्थानों पर चले जाना चाहिए। इसके अलावा बिज़ली से बचने के लिए हमें तेजी बारिश के दोरान घर से बाहर नही निकलना चाहिए। और घर से बाहर निकलना आवश्यक हो तो गीले स्थानों से बचकर चलना चाहिए।

वर्षा ऋतु के समय आने वाले त्यौहार

वर्षा ऋतु के दौरान भारत में कई तरह के त्यौहार मनाते जाते हैं, जो मई से सितंबर के बीच जाते हैं। ये त्योहार निम्नलिखित हैं- होली, बसंत पंचमी, राम नवमी, हरियाली तीज, और रक्षाबंधन। हालांकि इसके अलावा और भी अन्य त्यौहार मनाते जाते हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समुदायों में मनाए जाते है।

वर्षा ऋतु इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिना वर्षा के पृथ्वी पर पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। इस ऋतु का प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि के लिए बारिश बहुत जरूरी है। इसलिए हम सभी को बारिश के पानी का सदुपयोग करना चाहिए और पर्यावरण को प्रदुषण से बचाए रखना होगा।

उम्मीद है कि Varsha Ritu Essay in Hindi , आपके लिए काफी फायदेमंद रहा होगा।

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Essay on Rain in Hindi Language – वर्षा पर निबंध

June 12, 2018 by essaykiduniya

Get information about Rain in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Rain in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में वर्षा पर निबंध मिलेगा।

Essay on Rain in Hindi Language – वर्षा पर निबंध

Essay on Rain in Hindi Language

Short Essay on Rain in Hindi Language – वर्षा पर निबंध ( 200 words )

वर्षा एक संघनन है। जब समुंद्र और नदियों का पानी वाष्प बनकर उड़ता है तब वह उपर जाकर ठंडा होता है और वर्षा के रूप में जमीन पर गिरता है। वर्षा के बहुत से नाम है जैसे बारिश, बरसात इत्यादि। बारिश को इंच या सैन्टीमिटर में मापा जाता है। वर्शा को मापनो वाले यंत्र को वर्षामापी कहते हैं। वर्षा सभी को बहुत ही मन मोहक लगती है। वर्षा के समय में बच्चे काग्ज की कश्ती बारिश के पानी में बहाते है।

वर्षा सभी के लिए बहुत ही उपयोंगी है। फसलों और पेड़ पौधों को उगने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है जो कि उन्हें बारिश से प्राप्त होता है। कुछ नदियाँ जो कि गर्मी के कारण सूख जाती है उन्हें बारिश के कारण दोबारा जीवन मिलता है। तपती धरती को भी बारिश की ही जरूरत होती है। आज के समय में प्रदुषण से बारिश दुषित हो चुकी है जो कि धरती पर आकर नुकसान पहुँचाती हैं। हमें बारिश के पानी को शुद्ध रखने के लिए पर्यायवरण को साफ रखना होगा। बारिश के पानी को एकत्रित करने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि पानी का अभाव न हो। बारिश पानी का स्तर ऊँचा रखने में भी सहायता करती है।

Essay on Rain in Hindi Language – वर्षा पर निबंध ( 400 words )

समुंद्र नदियों में जो जल होता है उस पर धुप पड़ने से वह वाष्प में बदल जाता है और नहीं वाष्प उपर जाकर ठंडे हो जाते है और वर्षा के रूप में जमीन पर आ जाते हैं। यह प्रिक्रिया ऐसे ही चलती रहती है। वर्षा को अनेकों नाम से बुलाया जाता है जैसे कि बारिश बरसात आदि। वर्षा के देवता को इंद्रदेव कहते हैं। जिस प्रकार मनुष्य को प्यास बुझाने के लिए जल की जरूरत होती है ठीक उसी प्रकार तपती धरती को भी बारिश की जरूरत होती है।

बारिश के तीन प्रकार हैं। संवाहनीय वर्षा ज्यादातर भुमध्य रेखा के नजदीक होती है जिसमें समुंद्र का पानी वाष्प बनकर उपर उठता है और वर्षा के रूप में नीचे आता है। पर्वरतक वर्षा ज्यादातर पहाड़ो के आस पास होती है जहाँ पर गरम हवा उपर उठती है और फैलने से ठंडी हो जाती है और वहाँ पर वर्षा होती है। चक्रवातीय वर्षा वह होती है जब गरम और शरद हवा आपस में मिलती है और गर्म हवा उपर उठती है और ठंडी हवा नीचे रह जाती है जिससे कि गरम हवा ठंडी हो जाती है और बारिश आ जाती है।

वर्षा मापने के लिए जो यंत्र प्रयोग किया जाता है उसे वर्षामापी कहते हैं। वर्षा प्रायः इंच या सैन्टीमिटर में मापी जाती है। कई देश ऐसे है जहाँ पर पूरा साल बारिश होती है। धुल मिले होने के कारण आजकल रंगीन बारिश भी होने लगी है। वर्षा मनुष्य से लेकर पेड़ पौधों और पशुओं के लिए बहुत ही उपयोगी है। बारिश के पानी को इंवरटेर की बैट्री में डाला जाता है। वर्षा का पानी फसलों को बढ़ने में मदद करता है। यह पेढ़ पौधो और फसलों की सिंचाई का सबसे अच्छा माध्यम है। बहुत से समुंद्र गर्मी के कारण सुख जाते है और उसमें रहने वाले जीव जंतुओं का जीवन संकट में आ जाता है लेकिन बारिश के कारण वह जी पाते हैं।

पहले समय में लोग छतों पर खुली टंकी में बारिश का पानी एकत्रित करते थे ताकि पानी का अभाव न हो और उस समय वर्षा का पानी शुद्ध भी होता था। आज के युग में प्रदुषण के कारण वर्षा दुषित होती जा रही है और अम्लीय वर्षा बनती जा रही है जो कि बहुत ही हानिकारक है। वर्षा हमारे जीवन में बहुत महत्व रखती है यह गर्मी को दूर भगाती है। हमें वर्षा के पानी को शुद्ध रखने के लिए पर्यायवरण को स्वच्छ रखना होगा।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Rain in Hindi Language – वर्षा पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Essay on Rainy days for Students and Children

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Essay on Rainy Days – Rainy days are different from any other day. They hold great importance for everyone differently. People have different reasons to wait for the Rainy Season eagerly. After all, it brings a sigh relief for everyone. No matter what the weather may be, a rainy day relaxes and soothes our soul. There is no age limit to enjoy rainy days people of almost every age enjoy it equally. Thus, rainy days are very important for a number of reasons.

Essay on Rainy Days

Importance of Rainy Days

As stated earlier, rainy days are enjoyed by people of all ages. The kids are probably the most excited lot of all. Rainy days bring pleasant weather and uplift the moods of kids. Moreover, it gives them a chance to step out and play in the rain, jump in the puddles and make paper boats.

Similarly, for students, a rainy day means a break from school. It gives them a break from their monotonous routine as the school declares a holiday. The joy of going to school on a rainy day enjoying the weather and then realizing the school is closed is one of a kind experience. The students become relaxed and spend their day doing other activities like going out with friends and more.

If we look at rainy days from the perspective of a common man, we see how it brings them relief from the heat. It changes their mood and also their dull routine. In other words, rainy days give them a chance for rejuvenation amidst the stress.

Most importantly, we see rainy days are of utmost importance for farmers. It is quite essential for the production of crops. It provides them with adequate water to make their crops flourish which will eventually benefit them.

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My Rainy Day Experience

When I think of rainy days, it brings back very special memories for me. However, one memory is such which is the closest to my heart. I remember our teacher scheduled a test for us when it started raining heavily.

rainy day essay for class 7 in hindi

I woke up in the morning with the fear of taking the test for which I was not prepared. I prayed to God for the cancellation of the test. As I was getting ready, it started raining heavily. I got dressed up and went to school with my father, and to my surprise, we came to know the school was closed that day due to a rainy day.

I was on top of the world when I came to know about it. I returned with my father and came back then undressed. Immediately, I changed into my home clothes to go f\and bathe in the rain on my terrace. I played with my siblings a lot in the rain; we made paper boats as well. After we were done, we saw that my mother was making onion fritters. She served them burning hot with chili chutney. We relished the fritters as we watched the rainfall. It was truly one of the most memorable rainy days of mine.

{ “@context”: “https://schema.org”, “@type”: “FAQPage”, “mainEntity”: [{ “@type”: “Question”, “name”: “How do rainy days benefit farmers?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”: “Rainy days benefit farmers the most. They bring a sigh of relief for them. As it waters their crops free of cost and helps them flourish. They give them good produce which, in turn, benefits them eventually.” } }, { “@type”: “Question”, “name”: “How can one enjoy rainy days?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”:”There are various ways to enjoy their rainy days. You can sit in your balcony and sip on tea while enjoying the weather. Moreover, you may go out in the garden or terrace and bathe in it. Make paper boats and take a long drive on the road as well.”} }] }

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A Rainy Day Essay In 100, 200, 300, And 500 Words

A rainy day essay: On a day shrouded in clouds, the skies weep, heralding a transformation. Streets become rivulets; trees dance in the rain’s melody. This spectacle, a common marvel in India, invites us to pause and ponder. Through this essay, let’s embark on a journey, exploring the myriad hues and emotions a rainy day unfurls. Will you join me in unraveling this liquid mystery?

In this article, we have provided 100, 200, 300, and 500-word essays on a rainy day topic.

A Rainy Day Essay For Class 5: 100 Words

A rainy day brings magic, transforming our world. Streets glisten, and plants dance, inviting us to explore.

As clouds gather, a hush falls over the city. The first drops patter softly, then grow into a rhythmic drumming on rooftops. Children, unfazed by the downpour, jump in puddles, their laughter blending with the rain’s song. Meanwhile, peacocks spread their vibrant feathers, performing nature’s dance. The air smells fresh, cleansed of dust, carrying a promise of renewal. This day pauses life’s hustle, offering moments of joy and reflection.

Rainy days wrap us in a watery embrace, reminding us of nature’s simple pleasures and wonders.

A Rainy Day Essay For Class 7: 200 Words

A rainy day unveils a tapestry of life, draped in myriad hues of nostalgia and freshness. The earth, thirsty for affection, embraces each drop, weaving a tale of renewal and bliss that captivates every heart.

As the sky turns a somber grey, a serene hush blankets the world. Trees dance gracefully, their leaves shimmering with silver droplets, performing a ballet to the rhythm of the rain. Puddles mirror the sky, creating ephemeral worlds for those who dare to dream. Children, undeterred by the downpour, splash joyfully, their laughter blending with the rain’s melody. The air, fresh and fragrant with petrichor, whispers secrets of the earth reborn. Streets, now glistening pathways, guide the wanderer to unseen wonders, as nature sketches scenes of tranquil beauty. Amidst this, the soul finds solace, in a quiet corner in the heart of chaos. Rainy days bring communities together, sharing stories under sheltered roofs while the rain creates a backdrop of serenity and introspection.

A rainy day, with its simple charms, offers a pause from life’s rush. It reminds us of nature’s cycles, of beginnings, and renewals. In its embrace, we find moments of peace, a treasure trove of memories to cherish.

A Rainy Day Essay For Class 8: 300 Words

Imagine waking up to the gentle pitter-patter of raindrops against your window. Such mornings bring a unique calmness, washing away the mundane with each drop. A rainy day unfolds its own enchanting story, distinct in essence, inviting us to pause and relish in its simple yet profound joys.

The arrival of rain transforms the landscape, cloaking the world in a veil of mist and mystery. Grey skies and a cool breeze herald a time of peace and introspection, as raindrops fall in a rhythmic melody, soothing the soul. Streets glisten under the rain’s tender caress, while the earth releases a fresh, petrichor scent, rejuvenating the senses. Trees and plants don a more vibrant shade of green as if nature itself is celebrating the rain’s arrival with a fresh coat of paint. Amidst this natural spectacle, children find joy in the simplest of activities, splashing in puddles with unbridled enthusiasm, their laughter echoing through the air. Adults, too, find solace in the cozy comfort of their homes, watching the rain dance from behind windows or enjoying the warmth of a hot beverage. The entire world seems to slow down, granting us a precious moment to appreciate the beauty and serenity of the present. The rain, acting as nature’s refresh button, not only transforms the landscape but also our perspective, reminding us of the cyclic beauty of life and the opportunities for renewal and growth that come with it.

As the rain eventually subsides and the clouds part, leaving behind a cleansed world, there’s a palpable sense of renewal and hope in the air. A rainy day, with its simple pleasures and moments of tranquility, serves as a gentle reminder of nature’s magic and its ability to inspire awe and gratitude in our hearts. It encourages us to slow down, breathe deeply, and appreciate the beauty in the world around us.

A Rainy Day Essay For Class 10: 500 Words

Imagine waking up to a symphony of raindrops. The sky is a canvas of grey, painting the world in hues of tranquility. A rainy day is upon us, promising a break from the ordinary. Such days bring a mix of emotions and experiences, crafting memories that linger. They offer a pause, an invitation to slow down and savor the moment.

The morning begins with the gentle pitter-patter of rain against the windowpane. It’s a sound that soothes the soul, a melody crafted by nature itself. Outside, the once-parched earth revels in the rain’s embrace. Each droplet, a lifeline, rejuvenates the ground, coaxing the hidden seeds to sprout. The air is fresh, washed clean of dust, carrying the scent of wet soil—a fragrance both earthy and invigorating.

Streets transform into rivulets, and children, armed with umbrellas and raincoats, become adventurers navigating through a newfound world. They splash in puddles, laughter echoing, undeterred by the downpour. The rain is not merely water; it’s a playmate, inviting everyone to forget their worries and indulge in pure joy. People huddle under shelters, sharing spaces and stories, the rain fostering a sense of community among strangers.

Nature, too, partakes in this celebration. Trees sway in the cool breeze, their leaves shimmering with raindrops, each one reflecting the world in miniature. Flowers bloom with renewed vigor, their colors more vibrant against the grey backdrop. Birds seek refuge, their chirping subdued, creating a serene ambiance. This harmony between nature and rain is a mesmerizing spectacle, a reminder of the earth’s natural beauty and resilience.

As the day progresses, the rain’s intensity wanes, giving way to a tranquil evening. The setting sun peeks through the clouds, casting a golden glow that illuminates the rain-soaked world. Rainbows arc across the sky, a splendid display of colors promising hope and renewal. The day’s end brings a reflective calm, a time to cherish the simple pleasures that a rainy day brings.

As dawn breaks, the rhythmic tapping of raindrops against the window serves as a soothing alarm, a natural melody that calms the mind and soothes the heart. The world outside is awash in a muted palette, where every hue seems to carry a deeper resonance, a sharper clarity. The rain, relentless in its mission, rejuvenates the thirsty earth, giving life to the dormant and the weary. Trees dance gracefully in the breeze, their leaves glistening with countless droplets, each one a tiny prism reflecting the subdued light.

Children, undaunted by the weather, don their raincoats like armor, ready to conquer the newly transformed landscape. They splash and play in puddles, their laughter a beacon of joy in the grey expanse. The streets, now shimmering ribbons of water, mirror the overcast sky, blurring the lines between earth and heaven. Amidst this, people find shelter and camaraderie under awnings and in doorways, sharing stories and smiles, a testament to the rain’s power to unite and uplift.

A rainy day is a gift, a chance to pause and reflect. It reminds us to appreciate the beauty in the small things and the importance of slowing down.

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10 Lines on Rainy Season in Hindi | वर्षा ऋतू पर 10 लाइन निबंध

In this article, we are providing 10 Lines on Rainy Season in Hindi & English. In these few / some lines on Rainy Season, you get to know full information about Rainy Season in Hindi. A Short Rainy Season Essay in Hindi . हिंदी में वर्षा रितु पर 10 लाइनें

10 Lines on Rainy Season in Hindi

10 lines on Rainy Season in Hindi

( Set-1 ) 10 Lines Rainy Season in Hindi for kids

1. वर्षा ऋतु का मौसम बहुत ही सुवाहना होता है।

2. इस मौसम मे चारो और हरियाली आ जाती है।

3. सभी पेड़ और पौधों पे नये पाते आ जाते है।

4. शीतल हवा चलती है।

5. इस ऋतु मे लोग छाता और रैन कोट का प्रयोग करते है।

6. वर्षा होने के कारण पुरा वातावरण ठण्डा हो जाता है।

7. वर्षा ऋतु को मौनसून के नाम से भी जाना जाता है।

8. वर्षा से सभी सूखे तालाब और नदिया पानी से भर जाते है।

9. इस ऋतु मे आकाश मे इंद्रधनुष भी धिकाई देता है।

10. सभी को वर्षा ऋतु का बहुत इंतजार रहता है।

जरूर पढ़े-

10 Lines on Winter Season in Hindi

10 Lines on Summer Season in Hindi

10 Lines on Spring Season in Hindi

( Set-2 ) Varsha Ritu Par 10 Line Nibandh | Sentences About Rainy Season in Hindi

1. वर्षा ऋतू, 6 ऋतुओं में से एक ऋतू है।

2. वर्षा ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।

3. वर्षा ऋतू की शुरुआत जून महीने से शुरू होकर सितम्बर महिने तक रहती है।

4. वर्षा ऋतू के मौसम में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली हो जाती है।

5. वर्षा ऋतू के मौसम में बहुत ज्यादा बारिश होती है।

6. इस मौसम में सारे सूखे हुए तालाबों और कुओ में वापिस पानी आ जाता है।

7. वर्षा ऋतू के मौसम से किसानों को बहुत फायदा होता है क्योंकि इस मौसम में फसलें बहुत अच्छी होती हैं।

8. इस मौसम में सबसे ज्यादा चावल और मक्का की फसलें बोई जाती हैं।

9. इस मौसम की वजह से लोगो को गरमी से राहत मिलती हैं।

10. वर्षा ऋतू का मौसम बहुत ही प्यारा और सुहाना होता है।

( Set-3 ) 10 lines on Rainy Season in Hindi | वर्षा ऋतू पर 10 लाइन निबंध

1. वर्षा रितु ग्रीष्म रितु के पश्चात आती है और भारत की चार मुख्य रितुओं में से एक है।

2. वर्षा रितु आषाढ़ श्रावण और भादों में मुख्य रूप से होती है।

3. वर्षा रितु का आगमन जुलाई में होता है और यह तीन महीने तक रहती है।

4. वर्षा रितु के आगमन से लोग प्रसन्नता से भर जाते हैं।

5. वर्षा रितु का इंतजार किसानों को बहुत रहता है क्योंकि वर्षा रितु फसलों को बढ़ने में सहायता करती है।

6. वर्षा रितु में बहुत बार इंद्रधनुष दिखाई देता है।

7. वर्षा रितु अपने साथ बहुत से त्योहार लेकर आती है।

8. प्रकृति पर भी वर्षा रितु का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।

9. वर्षा रितु के दौरान पूरा आसमान चमकदार होता है और पेड़ो पर भी नए पत्ते आने लगते हैं और फूल खिलने लगते हैं।

10. वर्षा रितु हमें गर्मी से राहत का अहसास करवाती है।

Few Lines on Rainy Season in English

1. Rainfall comes after the Summer season and is one of the four main seasons of India.

2. Rainfall is mainly in Ashutra Shravan and Bhadon.

3. Rainfall season arrives in July and it lasts for up to three months.

4. With the advent of the Rainfall season, people are filled with happiness.

5. Farmers are very much waiting for the rainy season because the rainy season helps in growing crops.

6. Rainbows appear many times in the rainy season.

7. Rainfall brings many festivals along with you.

8. Rainfall also has a very good effect on nature.

9. During the rainy season, the whole sky is shiny and new leaves begin to appear on the trees and the flowers start blooming.

10. Rainfall makes us feel relief from the heat.

10 Lines on Importance of Trees in Hindi

इस article के माध्यम से हमने Ten lines on Rainy Season in Hindi Essay का वर्णन किया है और आप यह article को नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

Varsha Ritu Hindi 10 lines Rainy Season 10 lines nibandh ten lines essay on Rainy Season paragraph on rainy season in Hindi

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों 10 Lines on Rainy Season in Hindi (article) आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

2 thoughts on “10 Lines on Rainy Season in Hindi | वर्षा ऋतू पर 10 लाइन निबंध”

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Bahut hi Badhiya Essay on Rainy Season

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Hindi Essays for Class 7: Top 10 Hindi Nibandhs

rainy day essay for class 7 in hindi

List of popular essays for class 7 students in Hindi language!

स्वावलंबन (आत्म-निर्भरता) पर निबन्ध | Essay on Essay on Self Independent in Hindi

बालक-बालिका एक समान पर निबन्ध | Essay on Boys and Girls are Equal in Hindi

परोपकार पर निबन्ध | Essay on Beneficence in Hindi

ग्रीष्म ऋतु (गरमी की ऋतु) पर निबन्ध | Essay on Summer Season in Hindi

सत्संगति पर निबन्ध | Essay on Good Company in Hindi

छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबन्ध | Essay on Small Family is a Happy Family In Hindi

बसंत ऋतु पर निबन्ध | Essay on The Spring Season in Hindi

समाज सेवा पर निबन्ध | Essay on Social Service in Hindi

वर्षा ऋतु पर निबन्ध | Essay on Rainy Season in Hindi

ADVERTISEMENTS:

एकता ही बल है पर निबन्ध | Essay on Unity is Strength in Hindi

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 1

स्वावलंबन का अर्थ है – अपने ऊपर आश्रित या निर्भर होना । वे बड़े भाग्यवान हैं जो अपने ऊपर आश्रित हैं । दूसरों की दया पर निर्भर होकर जीने में आनंद नहीं है । पराधीनता में जीना कष्टप्रद है इसमें दुख ही दुख है ।

कहा भी गया है – ‘पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं ।’ पराधीनता स्वप्न में भी सुखदायी नहीं है । जेल की चारदीवारी में कैदियों को कोई खास काम नहीं करना पड़ता । उन्हें भोजन भी मुफ्त का और ठीक-ठाक मिलता है । पर कैदी कैदखाने में नहीं रहना चाहता क्योंकि वहाँ किसी प्रकार की आजादी नहीं है ।

पिंजड़े में बद पक्षी की भी यही दशा है – ‘कहीं भली है कटुक निबोरी, कनक कटोरी की मैदा से ।’ अर्थात् दूसरों की अधीनता में सुख की कल्पना भी बेकार है । इसीलिए हम लोग स्वावलंबी होना चाहते हैं आ स्वावलंबन आत्मा की पुकार है ।

यह मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाता ही है उसे जीवन में कुछ नेक कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है । गाँधी जी इसीलिए चाहते थे कि भारत के गाँव स्वावलंबी बनें । ग्रामवासी अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए शहरों की ओर कातर दृष्टि से न देखें ।

परंतु यह न हो सका । नतीजे में भारत के गाँव अभी भी पिछड़े हुए हैं । ग्रामवासियों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है । व्यक्ति और गाँव की तरह देश का भी स्वावलंबी होना आवश्यक है । स्वतंत्रता के बाद दो-तीन दशकों तक राष्ट्र अपने लोगों के लिए खाने भर अनाज भी पैदा नहीं कर सकता था ।

कृषि प्रधान देश भारत की इस दीन-हीन दशा का दुनिया में मजाक उड़ाया जाता था । आज हम खाद्यान्नों के मामले में आत्म-निर्भर हैं । आज हमारे देश में इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा तकनीकी पेशे से जुड़े विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है ।

हम अनेक क्षेत्रों में स्वावलंबी हैं । हम दुनिया के परमाणु शक्ति-संपन्न अग्रणी राष्ट्रों में से एक हैं । सूई से लेकर हवाई जहाज तक कुदाल से लेकर हैक्टर तक हम अपने ही देश में बना सकते हैं । स्वावलंबन का गुण मनुष्य को महान बनाता है । यह गुण अपने साथ धैर्य, संतोष, आत्मविश्वास, साहस आदि गुणों को भी समाविष्ट करता है ।

प्रत्येक कार्य में दूसरों पर निर्भरता बुरी चीज है । इससे आत्मा का नाश होता है । वे व्यक्ति जो स्वावलंबन के गुण का महत्व नहीं समझते वे अपनी स्थिति दयनीय बना लेते हैं । स्वावलंब हमें सुख शांति और समृद्धि प्रदान करता है कर्महीन यह नहीं जानते ।

स्वावलंबी व्यक्ति समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है । वह आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों की मदद कर सकता है । उसका आत्म-विश्वास उसे किसी भी स्थिति को अपने मनोनुकूल बनाने की प्रेरणा देता रहता है । स्वावलंबन का अर्थ यह नहीं कि हम सब काम अपने हाथों से ही करें ।

समाज में श्रम-विभाजन के बिना काम नहीं चलाया जा सकता श्रम-विभाजन आवश्यक है । स्वावलंबन से तात्पर्य इतना ही है कि हम दूसरों पर उस हद तक आश्रित न हों कि हमारे दैनिक कार्य ही रुक जाएँ । अपने ऊपर इतना विश्वास होना चाहिए कि प्रतिबंधात्मक स्थितियों में भी हमारा काम नहीं रुक सकता ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 2

किसी भी देश या प्रांत में प्रति हजार लड़कों के अनुपात में कितनी लड़कियाँ हैं, इसी को लिंगानुपात कहा जाता है । यह अनुपात लगभग समान होना चाहिए । परंतु प्रति हजार बालकों पर यदि बालिकाओं की संख्या नौ सौ या इससे कम हो जाए तो मामला चिंताजनक स्तर तक पहुँच जाता है ।

हमारे देश में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति बन गई है । हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और देश के कई प्रांतों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या चिंताजनक सीमा से भी काफी कम है । आखिर ऐसा क्यों है कि बालिकाओं की तुलना में बालकों की संख्या अधिक है ? इसके कारण स्पष्ट हैं ।

हमारे समाज में बालकों को बालिकाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है । अभिभावक सोचते हैं कि लड़का होगा तो बुढ़ापे में सेवा करेगा जीवन भर सुख देगा । हिंदुओं की धारणा है कि पुत्र माता-पिता को संसार से तारता है मोक्ष प्रदान करवाता है । दूसरी ओर बालिकाओं के बारे में यह धारणा है कि ये पराया धन होती हैं ।

बालिकाओं की शादी में दिया जाने वाला दहेज भी माता-पिता को लड़कियों को एक बोझ मानने पर विवश कर देता है । अभिभावकों के मन में बेटों की चाह इतनी होती है कि कई लड़कियाँ गर्भ में ही मार दी जाती हैं । अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीकों से गर्भ के लिंग के बारे में पता चल जाता है और लड़कियाँ गलत धारणाओं की भेंट चढ़ जाती हैं ।

आज का युग पहले जैसा नहीं रह गया है । आज बालिकाएँ भी पट्ट-लिखकर बूढ़े माँ-बाप का सहारा बन सकती हैं । ऐसा भी देखा गया है कि बेटों द्वारा परित्यक्त माँ-बाप की सेवा-सुश्रुषा बेटियाँ करती हैं । आज की लड़कियाँ धार्मिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को भली-भांति पूरा कर सकती हैं ।

आज की शिक्षित नारियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, आरक्षी, वकील, अंतरिक्ष यात्री, खिलाड़ी, समाज सेविका, नर्स, राजनीतिज्ञ, अभिनेत्री आदि कुछ भी बन सकती हैं । नर्स और अध्यापिका के रूप में तो उनका विकल्प ही नहीं है । फिर क्यों यह भेद-भाव और लैंगिक असमानता ? क्यों वह समाज में उपेक्षित है ?

लड़कियों का अनुपात घटना यह सिद्ध करता है कि शिक्षित समाज भी अपने संकीर्ण मानसिक दायरे से नहीं निकल पाया है । यह असंतुलन भविष्य के लिए खतरे की घंटी है । इसका दुष्प्रभाव अभी से दिखाई पड़ रहा है । कई प्रांतों के युवक इसलिए कुँवारे हैं क्योंकि विवाह योग्य युवतियाँ नहीं मिल रही हैं ।

आज की लड़कियाँ ही तो कल बड़ी होकर माँ बनती हैं । क्या हम ऐसी दुनिया या समाज की कल्पना कर सकते हैं जहाँ केवल लड़के हों, लड़कियाँ नहीं ? बालक और बालिका में किसी भी तरह का भेदभाव अमानवीय है । हमें दोनों को एक समान समझना चाहिए ।

इसी से लिंगानुपात को सुधारा जा सकेगा । हमें गर्भ में ही लड़कियों को मारने की कुप्रथा को दंडात्मक नीति अपनाकर समाप्त करना होगा । यदि इस स्थिति को अभी न सँभाला गया तो भविष्य की परेशानियाँ कहीं बड़ी होंगी ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 3

दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है । अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसामान्य के कल्याण के लिए किया गया कार्य परोपकार मैं ।

अपनी छोटी-छोटी समस्याओं एवं दु:खों की परवाह न करते हुए नमूह की हित-चिंता करना परोपकार है । परोपकार के कार्यों से ही मनुष्य समाज में प्रशंसित एव सम्मानित होता है । परोपकार यह लोक ही नहीं परलोक भी सुधारता है ।

ऐसे कार्य जो परहित को ध्यान में रखकर किए जाते हैं वे मनुष्य को महान् वनाते हैं । परोपकारी व्यक्ति हर युग में होते हैं । समाज इनका ऋणी होता है । मनुष्य ही नहीं अन्य जीव समुदाय एवं जड़ वस्तु भी परोपकार की भावना से कार्य करते हैं । इन पंक्तियों से इस तथ्य का खुलासा होता है:

”वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर । परमारथ के कारणे साधुन धरा शरीर ।। ”

वृक्ष अपना फल स्वय नहीं खाता, अर्थात् दूसरों के लिए उत्पन्न करता है । नदी कभी भी अपना जल इकट्ठा करके नहीं रखती । प्राणियों के हित के लिए हमेशा प्रवाहमान् रहती है । इसी तरह, परमार्थ के कारण, परोपकार के हेतु साधु पुरुष जन्म ग्रहण करते हैं ।

दुनिया में एक से बढ़कर एक परोपकारी मनुष्य हुए हैं । महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण हेतु अपना शरीर त्याग दिया और अपनी हड्डियाँ दान में दे दीं । गिद्धराज जटायु ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए रावण से सीता को छुड़ाने का प्रयत्न किया ।

सुकरात ने प्याले में भरा विष पी लिया । भगवान कृष्ण ने आजीवन परोपकार की दृष्टि से अनेक कार्य किए । राम ने राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की । ईसा मसीह जनहितार्थ सूली पर चढ़ गए । परोपकारी व्यक्तियों के कारण ही सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सकी है ।

जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो परोपकार की दृष्टि से किए जाते हैं । पहले धनी-मानी लोग कुएँ-तालाब खुदवाते थे, राहगीरों के लिए छायादार वृक्ष लगवाते थे । स्थान-स्थान पर धर्मशालाएँ बनवाई जाती थीं ताकि यात्रियों को ठहरने में सुविधा हो ।

आज भी लोग परोपकार के कार्यों में अपना योगदान देते हैं । प्राकृतिक विपत्तियों में फँसे लोगों की मदद के लिए आगे आना परोपकार ही है । भयंकर लू में लोगों के लिए पेय जल की व्यवस्था करना परोपकार ही है । निरक्षरों को शिक्षित बनाना, पेड़-पौधे लगाना, आस-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना, भूखों को भोजन कराना आदि कार्य परोपकार की श्रेणी में आते हैं ।

परंतु परोपकार किसी लाभ की प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए । उपकार करके प्रत्युपकार की आशा न रखना ही सही मायने में परोपकार है । आजकल परोपकारी व्यक्तियों की संख्या में कमी आ गई है । इसका कारण समाज में स्वार्थ भावना में वृद्धि है ।

यही कारण है कि सड़क पर पड़े घायल व्यक्ति की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आना चाहता । पड़ोसी के घर चूल्हा जले न जले, अपने घर पकवान जरूर बनना चाहिए, यह भावना हमारा उद्धार नहीं कर सकती । जिस शरीर से लोगों का कल्याण न हुआ, वह बेकार और अनुपयोगी है ।

कबीरदास जी कहते हैं:

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर ।”

बड़े खजूर से कहीं अच्छा वह तृण है जिसे खाकर पशु अपना पेट भरते हैं । परोपकार की भावना से ओत-प्रोत कवि तुलसीदास जी कहते है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई , पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।

परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है । अर्थात् परोपकार सबसे बड़ा धर्म है और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई पाप, कोई दुष्टता नहीं है । अत: हमें परोपकार की भावना को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 4

मौसम कभी भी एक जैसा नहीं रहता है । यह परिवर्तित होता रहता है । मौसम के साथ-साथ ऋतुएँ भी बदलती हैं । शीत ऋतु के बाद बसंत की सुहानी ऋतु आती है ।

बसंत ऋतु के बाद प्रचंड गरमी की ऋतु ग्रीष्म ऋतु आती है । हालाँकि कुछ हद तक यह कष्टदायक ऋतु है परंतु इस ऋतु का भी अपना एक आनंद, एक अलग सौंदर्य है । ग्रीष्म ऋतु अप्रैल माह से आरंभ होकर जून-जुलाई तक चलती है । इस ऋतु में पर्णपाती वृक्षों की पत्तियाँ गिर जाती हैं ।

इसलिए इसे पतझड़ ऋतु भी कहते हैं । गरमी इतनी पड़ती है कि दोपहर में घर से निकलना कठिन हो जाता है । जैसे-जैसे दिन अत्मे बढ़ता है प्रखर सूर्य रश्मियों क्य प्रकोप बढ़ता जाता है । दोपहर के तीन-चार घंटे बड़े कष्टदायक प्रतीत होते हैं । लोग घर से बाहर सिर पर टोपी, पगड़ी डालकर या छाता लेकर निकलते हैं ।

त्वचा झुलसने लगती है । शारीरिक श्रम करने वाले पसीने से नहा जाते हैं । इस ऋतु में संध्या क्य समय कुछ सुखदायी होता है । लोग घर, आँगन, छत में जल छिड़ककर राहत महसूस करते हैं । रात्रिकाल में भी काफी उमस होती है । सभी खुली छत पर या कमरे में पंखा-कूलर चला कर सोते हैं ।

गरमियों के दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं । ऐसे में कष्टदायक दिन काम बहुतों के लिए कठिन होता है । इसीलिए घरों, दुकानों तथा दफ्तरों में पंखा, कूलर या वातानुकूलित संयंत्र लगाए जाते हैं । इस ऋतु में पानी को ठंडा रखने के लिए हम घड़ा, सुराही, फ्रिज आदि का प्रयोग करते हैं ।

ठंडे पेय पदार्थ, लस्सी, शरबत आदि अत्यंत प्रिय लगते हैं । इस ऋतु में आम, लीची, खीरा, ककड़ी आदि फल-सब्जियाँ तृप्तिदायक होती हैं । ग्रीष्म ऋतु को गरीबों की ऋतु कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में बहुत कम वस्त्रों से भी काम चल जाता है ।

इस ऋतु में सूती वस्त्र बहुत उपयोगी होते हैं जो हमें लू के थपेड़ों से बचाते हैं । कभी-कभी आँधी तूफान भी आते हैं और धूल-भरी हवाएँ आसमान में छा जाती हैं । आसमान लोहित हो जाता है । पर जब वायु जरा भी हिलती-दुलती नहीं तो उमस बढ़ जाती है ।

ग्रीष्म ऋतु में जल का महत्त्व बढ़ जाता है । प्यासे लोग, प्यासी भूमि, प्यासे पशु-पक्षी और झुलसे हुए पेड़-पौधे सभी जल की माँग करते हैं । धन्य है वह किसान जो इस ऋतु में भी फसलों की सिंचाई करता है । वे स्त्रियाँ भी धन्य हैं जो मटके लेकर मीलों जल भरने जाती हैं । सरोवर ताल-तलैया, कुएँ, बावड़ियों, झील, नदियाँ सभी इस ऋतु में सूखने लगती हैं ।

भूमि का जल-स्तर काफी नीचे चला जाता है । प्यासी धरती, आकुल लोग, पशु-पक्षी सब आसमान की ओर निहारने लगते हैं । मयूर भी यह आस लगाए रहता है कि वर्षा हो और मैं नृत्य करूँ । कवि ने कविता के माध्यम से ग्रीष्म ऋतु का वर्णन इस प्रकार किया है:

”सूरज तपता धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती । तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता । आ रे बादल काले बादल लो घनघोर घटा रे बादल । ”

लोगों की आकांक्षा रहती है कि बादल छाए, बरसे और राहत दे । पर ग्रीष्म ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं । जब धरती तपेगी ताप से समुद्र का जल सुखेगा तभी तो वर्षा होगी । अच्छा मानसून आए इसके लिए अच्छी गरमी आवश्यक है ।

सब्जियों एवंग फलों की विविधता की दृष्टि से भी यह उत्तम ऋतु है । लौकी, खीरा, तरबूज, बेल, आम, पुदीना, भिंडी, करेला, परवल, हरे शाक आदि कितनी ही प्रिय वस्तुएँ ग्रीष्म ऋतु की देन हैं । हमें हर मौसम हर ऋतु का आनंद उठाना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 5

सत्संगति का अर्थ है – अच्छी संगति । अच्छे लोगों का साथ सत्संगति है । बुरे लोगों का साथ कुसंगति है । भले लोगों की संगति में जो सुख और आनद है वह कुसंगति में नहीं है ।

विद्वानों, संतों, साधुओं और सदाचारी व्यक्तियों के संपर्क में रहना सत्संगति है । अच्छी संगति में रहने के बहुत से लाभ हैं । यदि हमारा साथ अच्छे लोगों से है तो इससे हमारा चारित्रिक विकास होगा । हम सज्जनों के गुणों का अनुसरण करके आत्म-कल्याण की ओर प्रवृत्त होंगे ।

उनके आचरण का प्रभाव हमारे ऊपर अवश्य पड़ेगा । इसीलिए तो लोग साधु-संतों की शरण में जाते हैं उनके प्रवचन सुनते हैं उनके गुणों का अनुशीलन करते हैं । सत्संगति के प्रभाव से दुर्जन व्यक्ति भी सज्जन बन जाता है । जब अंगुलिमाल नामक दुर्दांत हत्यारा भगवान् बुद्ध के संपर्क में आया तो वह सुधर गया । तुलसीदास जी कहते हैं –

सठ सुधरहिं सत्संगति पाई । पारस परसि कुधातु सुहाई ।

अर्थात् जिस प्रकार पारसमणि के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार सत्संगति के प्रभाव से दुष्ट मनुष्य सुधर जाता है । इसलिए समझदार लोग सज्जनों के संपर्क में रहते हैं । जब व्यक्ति कुसंगति में पड़ता है तो उसका पतन निश्चित हो जाता है ।

कुसंगति काजल की कोठरी के समान है जहाँ से गुजरने पर कालिख लग ही जाती है । नशे की लत कुसंगति के कारण ही लगती है । शराबी जुआरी अपराधी आदि जन्म से ही नीच कार्य नहीं करते, बुरे लोगों का साथ ही उन्हें इन कार्यों को करने के लिए विवश करता है । गंदे नालों से जुड़कर ही नदियाँ अपवित्र और प्रदूषित होती हैं ।

अत: हमें कुसंगति से बचना चाहिए और महापुरुषों, विद्वानों और भले व्यक्तियों की संगति में रहना चाहिए । सत्संगति से बुद्धि का विकास होता है, गलत धारणाएं मिटती हैं । मन-प्राणों में सुगंध उठती है वाणी में मधुरता और निष्कपटता आती है । सत्संगति उन्नति का द्वार खोल देती है । यह आत्म-शुद्धि का सरल मार्ग है ।

अच्छे लोगों की संगति मनुष्य को महान बनाती है । बूँद समुद्र में मिलकर अपार जलराशि का रूप ले लेती है । क्षुद्र नदी-नाले गंगा जी में मिलकर अपनी मलिनता खो देते हैं । रामकृष्ण परमहंस की संगति में साधारण से व्यक्ति नरेंद्र स्वामी विवेकानंद बन गए ।

वानर-भालू, प्रभु राम से मित्रता कर इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम लिखा गए । बालक चद्रगुप्त नीति निपुण चाणक्य का शिष्य बनकर महान् सम्राट बन गया । गाँधी जी के संपर्क में आकर हजारों व्यक्तियों ने आत्म-सुधार की दिशा में अपने कदम बढ़ाने आरंभ कर दिए ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अच्छे या बुरे लोगों के साथ में रहना ही पड़ता है । हमें चाहिए कि हम अच्छे लोगों को अपना साथी बनाएँ । यदि हमारा साथ भले लोगों से होगा तो हम कुसंगति से बचे रह सकते हैं ।

जिस प्रकार कि एक सड़ा आम या सेब पूरी टोकरी के फलों सड़ाने लगता है उसी प्रकार एक असज्जन कई सज्जनों को भी अपने जैसा बनाने का प्रयास करता है । अत: व्यक्ति को हमेशा श्रेष्ठ मनुष्यों का ही संग करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 6

युग सदैव एक-सा नहीं रहता । युग के अनुसार लोगों की आवश्यकताएँ एवं मान्यताएँ बदल जाती हैं । परिवार का आकार छोटा हो या बड़ा इस संबंध में भी युग के अनुसार विचार करना पड़ता है ।

किसी समय बड़े परिवार की कल्पना की गई थी क्योंकि देश की आबादी कम थी । आज छोटे परिवार को आदर्श माना जाता है क्योंकि हमारे देश की आबादी आवश्यकता से कहीं अधिक है । आज लगभग जनसख्या विस्फोट की स्थिति है । सन् 1950 में भारत की आबादी लगभग तीस करोड़ थी ।

आज हम सौ करोड़ का कड़ा पार कर चुके हैं । सन् 2011 तक हमारी आबादी एक सौ पद्रह करोड़ के आस-पास हो जाएगी । सन् 2035 तक हम चीन से भी आगे निकल सकते हैं । ऐसे में छोटे परिवार की महत्ता काफी बढ़ गई है । छोटे परिवार की कल्पना अब संभव है क्योंकि आज महामारियों पर नियंत्रण पाया जा सका है ।

दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है । बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी आती जा रही है । आज एक या दो संतानों वाला परिवार अधिक सुखी है क्योंकि अभिभावक अपनी एक या दो संतानों को शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर सकते हैं ।

यदि परिवार बड़ा हो तो उपलब्ध साधनों का बँटवारा हो जाता है, हरेक सदस्य को थोड़ा-थोड़ा ही मिल पाता है । ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ के बारे में लोगों के विचार सकारात्मक होने लगे हैं । समझदार और शिक्षित व्यक्ति अपने परिवार को सीमित रखने का प्रयास करता है । वह जानता है कि अधिक बच्चे हुए तो उनके लालन-पालन में कठिनाई आएगी ।

अधिक संतानों के लिए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा आएगी । वह समझता है कि अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँएँ कमजोर हो जाती हैं, उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । आज की शिक्षित स्त्रियाँ छोटे परिवार की खूबियों के प्रति जागरूक हैं ।

छोटे परिवार की महत्ता समझने पर भी हमारे देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है । इसका प्रमुख कारण अशिक्षा और निर्धनता है । अशिक्षित व्यक्ति अपना भला नहीं सोच पाता । धर्म की रूढ़ियाँ भी प्रमुख अवरोधक तत्व हैं । गरीबी का दुश्चक्र भी लोगों को बड़े परिवार की ओर उम्मुख करता है ।

समाज और राष्ट्र की खुशहाली इसी में है कि वह छोटे परिवार का महत्व समझे । आज प्रति व्यक्ति आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं । सभी को बिजली, पानी, स्वास्थ्यप्रद आवास, क्रीड़ा स्थल, रोजगार और शिक्षा चाहिए । दूध, फल, अनाज और सब्जियों की भी प्रति व्यक्ति उपलब्धता बनाए रखना आवश्यक है ।

दूसरी ओर वन पेड़-पौधे जल भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता जा रहा है । अत: समझदारी इसी में है कि हम अपना परिवार छोटा रखें । परिवार का छोटा आकार हमारी खुशहाली के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 7

भारत में प्रमुखतया तीन ऋतुएँ वसंत, शीत और ग्रीष्म हैं । इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज कहा जाता है । दुनिया के बहुत कम देशों में बसंत ऋतु के दर्शन होते हैं । भारत एक ऐसा देश है जहाँ ऋतुराज बसंत की अपूर्व छटा के दर्शन होते हैं ।

बसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति का रंग-रूप पूरी तरह निखरा होता है । इसका आगमन कड़ाके की शीत ऋतु के बाद होता है । बसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति और मौसम का मिजाज परिवर्तित होने लगता है ।

चारों ओर का मौसम स्वर्णिम एवं गुलाबी होने लगता है । प्रकृति सुंदर मनमोहक एवं आकर्षक प्रतीत होती है । शीत ऋतु के प्रभाव से आहत वनस्पतियाँ पत्तों एव फूलों के रूप में नए-नए परिधानों से युक्त सुहावने प्रतीत होते हैं ।

खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ निकल आती हैं । फूली सरसों का रंग बहुत आकर्षक लगता है जैसे प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो । लताएँ वृक्षों से लिपट कर झूमने लगती हैं । हल्की गरमाहट लिए मंद-मंद बहती वायु नव-विकसित पुष्पों आम्र मंजरियों की भीनी-मधुर सुगंध लिए वातावरण में घुल-मिल जाती है ।

यह सुंगधित वायु मनुष्यों एव जीव-जंतुओं के तन-मन में प्रवेश कर जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों एवं बागों में मखमली घास बिछी होती है । घास पर पड़ी ओस की बूँदों के स्पर्श से तलबों में सुखद अनुभूति होती है । उस पर आम के डाल पर बैठी कोयल की पंचम स्वर में ऐसी कूक उठती है कि तन-मन प्रसन्न हो उठता है ।

बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उम्र का बंधन तोड़कर बासंती सौंदर्य को निहारने लगते हैं । हालाकि जैसे-जैसे देश का शहरीकरण होता जा रहा है बसंत का मादक प्रभाव भी कहीं खोता जा रहा है । बसंत कब आया और कब चला गया किसी को पता नहीं चल पाता है । परंतु बसंत तो आता है ।

गाँवों में, बाग-बगीचों में, खेतों में और यहाँ तक कि प्रकृति प्रेमियों के लिए महानगरों में भी आता है । जहाँ भी बाग-बगीचे हैं पेड़ हैं लता-कुंज हैं वहाँ बसंत अवश्य आता है । गेंदा, गुलाब, सूरजमुखी, पलास आदि के फूल कहाँ नहीं खिलते । बसंती हवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करती ।

वह जहाँ से गुजरती है अपना मादक प्रभाव छोड़ जाती है । बसंत ऋतु पर्व-त्योहारों की भी ऋतु है । हमारा प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार ‘गणतंत्र दिवस’ इसी ऋतु के आरंभ काल में मनाया जाता है । देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह को खुशनुमा बनाने में खुले दिन वाले सुनहरे मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है ।

लगभग इसी समय में बसंत पंचमी का त्योहार आता है । लोग वीणापाणी माँ सरस्वती की पूजा-आराधना में जुट जाते हैं । सरस्वती पूजन समारोह एवं वसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेले वासंती रंग में रंग जाते हैं । युवतियाँ धनी एवं पीले वस्त्र धारण कर वसत की शोभा में चार चाँद लगा देती हैं ।

ऐसा लगता है जैसे वसंत सजीव होकर इधर-उधर डॉल रहा हो । फिर आता है मदमस्त होली का त्योहार । वसंत ऋतु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़ी हितकारी ऋतु है । इस ऋतु में असाध्य रोगी भी स्वस्थ होने लगते हैं । सामान्य जनों को भी सरदी-ज्वर आदि नहीं होता ।

इस समशीतोष्ण ऋतु में सभी नाचते-गाते और आनंदित होते हैं । गाँवों में ढोल-नगाड़े बज उठते हैं । होली के गीतों की थिरकन से जन-समूह उत्साहित हो उठता है । बसंत का गुणगान करने के लिए कवि की लेखनी चल पड़ती है ।

बसंत में कुछ भी असुंदर नहीं होता । यह ऋतु हमें प्रकृति सौंदर्य से परिचित कराती है । यह मानव को दु:ख-पीड़ा से निकलकर आनंदित होने क्य अवसर प्रदान करती है । पर मानव है कि प्रकृति विनाश के कार्यों में लगा हुआ है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 8

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज से उसका अंतरंग रिश्ता है । मनुष्य के जन्म के समय सामाजिक उत्सव तथा मृत्यु के समय सामाजिक शोक मनाया जाता है । बच्चा समाज के अन्य हमउम्र सदस्यों के साथ खेलता है पढ़ता-लिखता है ।

जन्मदिन, विवाह आदि अवसरों पर समाज की भागीदारी प्रमुख होती है । संकटकाल में भी समाज ही सहायक होता है । यदि समाज इतना महत्त्वपूर्ण है तो समाजिक उत्थान का कार्य भी बहुत आवश्यक है । समाज की भलाई के लिए जो कार्य किए जाते हैं इन्हें हम समाज सेवा कहते हैं ।

समाज सेवा राष्ट्र सेवा का ही अंग है । बिनोवा जी ने भूदान आंदोलन चलाकर महान समाज सेवा की । करोड़ों ग्रामीण ऐसे थे जिनके पास कृषि-भूमि का एक टुकड़ा न था और कुछ लोग ऐसे थे जिनके पास सौ-पचास एकड़ भूमि थी । भूदान आदोलन के द्वारा यह भारी अंतर पाटने का प्रयास किया गया ।

उन्नीसवीं शताब्दी में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा बाल विवाह आदि कुप्रथाओं को समाप्त करने में समाज की बड़ी सहायता की थी । मुगलकाल में तुलसीदास जी ने अपने अमर काव्यों के माध्यम से हिंदुओं के बीच सामाजिक चेतना लाने का सफल प्रयास किया ।

कबीरदास जी ने सीधे-सादे विचारों के माध्यम से धर्म की कुरीतियों पर आघात किया । उनके प्रयासों से हिंदुओं और मुसलमानों में सामाजिक एकता की स्थापना हुई । मनुष्य जो कुछ भी ग्रहण करता है वह सब समाज की देन है । अत: हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाज की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करें ।

आज भी हमारे देश में कई तरह की सामाजिक समस्याएँ हैं । दहेज प्रथा अशिक्षा निर्धनता नशाखोरी आदि समस्याएँ हमें अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं । हमारी सामाजिक मान्यताएँ भी बदल रही हैं । आज का आदमी पहले से कहीं अधिक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गया है ।

समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं । सामाजिक अपराध का ग्राफ भी ऊँचा होता जा रहा है । ऐसे में समाज सेवकों का उत्तरदायित्व पहले से कहीं अधिक हो गया । समाज सेवा का दायरा विस्तृत है । बाल मजूदरी का अंत, स्त्री शिक्षा, निर्धन व्यक्तियों के लिए रोजगार का प्रबंध, बेसहारा महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाना आदि कार्य समाज सेवा के कार्य हैं ।

हमारे देश के कुछ क्षेत्रों में पेय जल का भारी अभाव है । यहाँ के लोग मीलों चलकर पानी लाते हैं । समाज सेवा के द्वारा ऐसे लोगों की मदद की जा मकती है । अनाथ बच्चों के लिए अनाथाश्रम खोलना, उन्हें शिक्षित करना तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाना समाज सेवा है ।

अपनों द्वारा परित्यक्त वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम खोलना विकलांगों के लिए रोजगार के साधन एवं आश्रय स्थल ढूँढ़ना आदि कार्य समाज के प्रति हमारे दायित्व हैं । एड्‌स के प्रसार को रोकने से संबंधित कार्य भी समाज सेवा के अंतर्गत आता है ।

समाज सेवा का कार्य दिखाऊ नहीं होना चाहिए । धन और सम्मान की प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया कार्य समाज सेवा नहीं है । समाज सेवा परोपकार की भावना से की जानी चाहिए । बीमारों वृद्धों, दलितों, शोषितों और आपदा से पीड़ित लोगों के प्रति जिनके मन में दया नहीं है वह समाज सेवा नहीं कर सकता ।

समाज को अपना समझकर तन, मन और धन से किए गए परोपकार के कार्य समाज सेवा के दायरे में आते हैं । अपने लिए तो सभी जीते हैं, बड़प्पन इसी में है कि हम दूसरों की भलाई के लिए जीएँ । यही मानवता है, यही समाज सेवा है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 9

वर्षा ऋतु बहुत सुहावनी ऋतु होती है । यह मानव पशु-पक्षी और समस्त जीव समुदाय के लिए आनंददायी ऋतु है । ग्रीष्म ऋतु में जब पेडू-पौधे झुलस जाते हैं तब यह ऋतु उनके लिए जीवनदायी जल लेकर आती है ।

प्यासी धरती की प्यास बुझाने वाली वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है । वर्षा ऋतु का आरंभ जुलाई मास से होता है । सितंबर में इस ऋतु का अत हो जाता है । इन तीन महीनों में आसमान प्राय: बादलों से घिरा रहता है । धूप और छाया का खेल चलता ही रहता है ।

कुछ दिन वर्षा फिर धूप यह क्रम जब चलता है तो किसानों को धान और मक्के की फसल उगाने में बहुत मदद मिलती है । खेतों में पूरा पानी रहता है तालाब लबालब भर जाते हैं । नदी-नालों में पूरा जल आ जाता है । छोटे-छोटे गड्‌ढों में भी पानी भर आता है ।

किसान वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । वे खेतों में बीज बोते हैं । धान की फसल के लिए खेत जोते जाते हैं । किसान उसका परिवार खेतिहर मजदूर आदि व्यस्त हो जाते हैं । वे भीगते हुए भी कृषि कार्य करते हैं । गाँवों में वर्षा ऋतु आरंभ होने पर लोक गीत गाए जाते हैं ।

श्रावण मास में शिव-भक्ति की लहर फैल जाती है । काँवरिए गेरुआ वस्त्र धारण कर शिव को जल चढ़ाने निकल पड़ते हैं । ग्रामीण स्त्रियाँ कजरी गीत गाती हैं । वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा आम नागरिक भी करते हैं । जब पहली बारिश होती है तो लोगों को भीषण गरमी से राहत मिलती है ।

खुले बदन पहली बारिश का आनंद लेने वाले भी कम नहीं । कभी अंधी-तूफान के साथ वर्षा होती है तो कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचता है । अत्यधिक वर्षा से जल-प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों तथा ऊँची भूमि का पानी नदी-नालों में जमा होने लगता है ।

कई नदियों में बाढ़ आ जाती है । नदी का पानी तटबंध फसलों को नुकसान पहुँचाता है । बाद का पानी आबादी वाले स्थानों में घुसकर भयंकर तबाही मचाता है । बाद से जान-माल की भारी क्षति होती है । सड़कें टूट जाती हैं, यातायात व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है ।

टेलीफोन बिजली आदि के खंभे गिर जाते हैं । कभी जब बादल फटते हैं तब भी काफी नुकसान हो जाता है । वर्षा में गंदे जल के जमाव से मच्छरों, मक्खियों एवं तरह-तरह के कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है । इस ऋतु में पेय जल अस्वच्छ हो जाता है ।

प्रदूषित जल पीने से तथा मच्छरों आदि के काटने से कई प्रकार के संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है । गली-कूचों और गिन में कीचड़ हो जाता है । कच्ची गलियों एवं सड़कों पर चलना कठिन हो जाता है । सड़कों पर भी जल-निकास की उचित व्यवस्था न होने से पानी भर आता है ।

कुछ खामियों और परेशानियों के बावजूद वर्षा ऋतु का स्वागत सर्वत्र किया जाता है । इस ऋतु में पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं । एक कहावत भी है कि सावन के अंधे को सर्वत्र हरा-भरा दिखाई देता है । श्रावणी मास की हरियाली सबका मन मोह लेती है ।

वनों में मोर नृत्य कर वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । पशुओं के लिए इस ऋतु में हरे चारे की कमी नहीं रहती । प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है । आसमान में यदा-कदा इंद्रधनुष अपनी अछूत छटा बिखेर कर मन को आह्वादित कर देता है ।

मेढक की टर्र-टर्र एवं झींगुर की आवाज से वातावरण गुंजित हो जाता है । साँप भी अपने बिलों से निकल कर हवाखोरी करने लगते हैं । मल्लाह अपनी नौका सँभालकर नदी तट पर आ जाते हैं । बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से विरहिणियों का मन डोलने लगता है ।

वर्षा ऋतु का आनंद अनूठा है । इस ऋतु में प्रकृति तरह-तरह की लीलाएँ करती है । हमें इस ऋतु का पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस ऋतु में स्वच्छता का पालन अवश्य करना चाहिए । स्वस्थ रहकर ही हम वर्षा ऋतु का पूरा लुल्क उठा सकते हैं ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 10

एकता में बड़ी शक्ति होती है । यदि परिवार में एकता होती है तो उसके सभी सदस्यों का उचित विकास होता है । यदि समाज में एकता होती है तो समाज उन्नति करता है तथा सामाजिक कार्य आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं ।

इसी तरह यदि राष्ट्र के लोगों में एकता होती है तो शत्रु उस राष्ट्र का बाल-बाँका तक नहीं कर पाते । राष्ट्रीय एकता की स्थिति में राष्ट्र का तेजी से विकास होता है । इतिहास गवाह है कि आपसी फूट का फायदा शत्रुओं को मिला है । रावण और विभीषण की आपसी फूट का लाभ राम को मिला ।

जयचंद और पृथ्वीराज की शत्रुता का लाभ मुहम्मद गौरी ने उठाया । सिकंदर ने भारत के राजवंशों के आपसी झगड़े का लाभ उठाकर भारत पर आक्रमण कर दिया । राजपूत राजा आपस में झगड़े तो मुगलों की बन आई । अँगरेजों ने भारतीय राजाओं नवाबों की अनेकता का भरपूर लाभ उठाया और भारत में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर ली ।

‘फूट डालो और राज करो’ उनकी प्रसिद्ध नीति थी । कांग्रेस में एकता न रही तो देश में अनेक दल बन गए और अंतत: देश का विभाजन हो गया । एकता में असीम बल है । बिखरे हुए लोग किसी बड़े काम को उसके अंजाम तक नहीं पहुँचा सकते ।

कहा भी गया है – ‘अकेला चना भीड़ नहीं फोड़ सकता ।’ यदि सम्मिलित शक्ति से प्रयास किए जाएँ तो असंभव से दिखाई देने वाले कार्य भी पूरे हो सकते हैं । मधुमक्खियाँ एक साथ मिलकर ही मधु संचय कर पाती हैं । सैनिक एकजुट होकर ही शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं । नागरिकों की एकजुटता किसी बड़ी क्रांति को जन्म देती है ।

यहाँ तक कि अपराधी भी दल बाँधकर गिरोह बनाकर अपने बुरे मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं । लेकिन हमें एकता को शुभ कार्यो में लगाना चाहिए । ऐसी एकता किसी काम की नहीं जिससे दूसरों का बुरा होता हो । एकता का उद्देश्य शुभ होना चाहिए ।

एकता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए संजीवनी शक्ति है । बड़े-बड़े बाँध, कारखाने, आलीशान महल, नहरें, खनन उद्योग, कृषि एवं औद्योगिक विकास की आधारभूमि राष्ट्रीय एकता है । जब राष्ट्र के लोग मिलकर प्रयास करते हैं तो उनकी समस्याओं का अंत होने लगता है ।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय एकजुटता अद्वितीय थी इसलिए हम विदेशियों को बाहर करने में सफल हुए । स्वतंत्रता के बाद हमें कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा हमने सभी आक्रमणों का डट कर एकजुट होकर मुकाबला किया । शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र को उसकी सम्मिलित शक्ति का आभास कराया ।

कारगिल विजय हमारी संगठित शक्ति का प्रतिफल था । अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ तथा भारत का परमाणु शक्ति से संपन्न होना हमारे वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों का ही परिणाम कहा जा सकता है । आज पूरी दुनिया आतंकवाद का मुकाबला मिलकर कर रही है क्योंकि कोई अकेला देश अपने प्रयासों से इस समस्या पर काबू नहीं पा सकता ।

सामाजिक एकता के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी-अपनी जिद छोड़े और लक्ष्यों का निर्धारण कर उनके प्रति संकल्पित हो जाएँ । लेकिन ‘अपनी डफली अपना राग’ छेड़ने वाला समाज बिखर जाता है, उनमें फूट पड़ जाती है ।

मजदूर और कर्मचारी अपना सघ बनाकर अपनी माँगे मनवाने में सफल हो जाते हैं । परंतु जब उनमें फूट पड़ती है तो नियोक्ताओं को लाभ होता है । एकता के बल की महिमा अनंत है । जिन्हें यह समझ है, वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को सुखी-संपन्न और गौरवान्वित कर सकते हैं ।

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English Essay on "A Rainy Day" Best Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, and 12 Kids, Students for Examination.

A rainy day.

A rainy day in summer is a boon. A poet has written:

"After the dust and heat,  In the broad and fiery street, In the narrow lane,  How beautiful is the rain!”

In summer, it is very hot in the plains. The people are sweating all over. Everybody is crying for rain. Usually, it so happens that a small cloud appears on the horizon, slowly it begins to expand. After the sky is overcast with clouds, the people get relief from the sun and heat. Then the lightning flashes and the clouds begin to thunder. A cool breeze begins to blow. This is a sure sign of the impending rain.

Shortly afterward, a few drops of water seem to fall from the sky. Soon they take the shape of drizzling. Then drizzling slowly changes into a heavy down-pour. The people rush to their houses. Those who must move out, have umbrellas over their heads.

| The heavy down-pour may just last for two or three hours or sometimes for even one hour. But during this short period, the roads and streets are flooded. In low-lying areas, water enters people's houses. Roofs of some houses begin to leak. Some old buildings even collapse. Sometimes there is the loss of life and property. Little children come out of their houses. They bathe in the rain. Some of them even float paper-boats in flooded streets.

After the rain is over, people come out of their houses. In the rural areas, one can see ponds full of water frogs croaking in them. The trees and plants get bathed and offer a neat and clean look. The air is free from dust. In the big cities, the roads seem to have been washed. But pools of muddy water flood the streets where the drainage system is not in order. The katcha roads become slippery and it is dangerous to walk over them.

As the rain is over, the intensity of heat is mitigated. The air of fans becomes cooler. The people heave a sigh of relief. But, sometimes, the wind fails and there is stuffiness in the open. The mosquitoes fill the atmosphere. Sometimes, after the rain, a rainbow can be seen on the horizon. It provides great enjoyment to the young and old alike.

Rain in winter often increases discomfort by adding to the biting force of cold. The people have to remain indoors in front of a fire or room-heater. They, however, spend their time reading, gossiping, or preparing and eating dainty dishes with hot tea or coffee. But we poor wage-earners have to suffer a lot. They cannot earn anything. In any case, it is in summer that a rainy day is an occasion for relief and rejoicing.

rainy day essay for class 7 in hindi

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    A Rainy Day. A rainy day in summer is a boon. A poet has written: "After the dust and heat, In the broad and fiery street, In the narrow lane, How beautiful is the rain!" In summer, it is very hot in the plains. The people are sweating all over. Everybody is crying for rain.

  22. Essay On Rainy Day in English for Students and Children

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  23. Essay On Rainy Day In Hindi For Class 7

    They go through a challenging hiring process which includes a diploma check, a successful mock-task completion, and two interviews. Once the writer passes all of the above, they begin their training, and only after its successful completion do they begin taking "write an essay for me" orders. Article review, Ethics, 1 page by Robert Sharpe.