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रक्षा बंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Essay in Hindi)

रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा है। इस पर्व में बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महिने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है। यह श्रावण माह के पूर्णिमा में पड़ने वाला हिंदू तथा जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है।

रक्षा बंधन पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Raksha Bandhan in Hindi, Raksha Bandhan par Nibandh Hindi mein)

रक्षा बंधन पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)- raksha bandhan par nibandh.

श्रावणी पूर्णिमा में, रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षा बंधन कहते हैं। पहले के समय में, रक्षा के वचन का यह पर्व विभिन्न रिश्तों के अंतर्गत निभाया जाता था पर समय बीतने के साथ यह भाई बहन के बीच का प्यार बन गया है।

रक्षा बंधन का इतिहास

एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूप, देवताओं ने अपना राज-पाठ सब युद्ध में गवा दिया। अपना राज-पाठ पुनः प्राप्त करने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार करने लगे। तत्पश्चात देव गुरु बृहस्पति ने श्रावण मास के पूर्णिमा के प्रातः काल में निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।

“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चलः।”

इस पुजा से प्राप्त सूत्र को इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया। जिससे युद्ध में इंद्र को विजय प्राप्त हुआ और उन्हें अपना हारा हुआ राज पाठ दुबारा मिल गया। तब से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

रक्षा बंधन पर सरकारी प्रबंध

भारत सरकार द्वारा रक्षा बंधन के अवसर पर डाक सेवा पर छूट दी जाती है। इस दिन के लिए खास तौर पर 10 रुपये वाले लिफाफे की बिक्री की जाती है। इस 50 ग्राम के लिफाफे में बहनें एक साथ 4-5 राखी भाई को भेज सकती हैं। जबकी सामान्य 20 ग्राम के लिफाफे में एक राखी ही भेजी जा सकती है। यह ऑफर डॉक विभाग द्वारा बहनों को भेट है अतः यह सुविधा रक्षाबंधन तक ही अपलब्ध रहता है। और दिल्ली में बस, ट्रेन तथा मेट्रो में राखी के अवसर पर महिलाओं से टिकट नहीं लिया जाता है।

उपयुक्त पौराणिक कथा से यह स्पष्ट है की रेशम के धागे को केवल बहन ही नहीं अपितु गुरु भी अपने यजमान की सलामति की कामना करते हुए उसे बांध सकते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : रक्षा बंधन

रक्षाबंधन पर निबंध– 2 (400 शब्द)

वर्तमान समय में आपसी रंजिश दूर करने हेतु अनेक राजनेताओं द्वारा एक दूसरे को राखी बांधी जा रही है। साथ ही लोग पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़-पौधों को भी राखी के अवसर पर राखी बांधते हैं। प्राचीन समय में ब्राह्मणों व गुरुओं द्वारा अपने शिष्य और यजमान को राखी बांधी जाती थी। पर अब राखी का स्वरूप पहले की अपेक्षा परिवर्तित हो गया है।

रक्षा बंधन मनाने की परंपरागत विधि

इस पर्व पर बहनें सुबह स्नान करके पूजा की थाल सजाती हैं, पूजा की थाल में कुमकुम, राखी, रोली, अक्षत, दीपक तथा मिठाई रखी जाती है। तत्पश्चात घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठा कर उसकी आरती उतारी जाती है, सिर पर अक्षत डाला जाता है, माथे पर कुमकुम का तिलक किया जाता है फिर कलाई पर राखी बांधी जाती है। अंत में मीठा खिलाया जाता है। भाई के छोटे होने पर बहनें भाई को उपहार देती हैं अपितु भाई बहनों को उपहार देते हैं।

आधुनिकरण में रक्षा बंधन के विधि का बदलता स्वरूप

पुराने समय में घर की छोटी बेटी द्वारा पिता को राखी बांधी जाती थी इसके साथ ही गुरुओं द्वारा अपने यजमान को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता था पर अब बहनें ही भाई के कलाई पर यह बांधती हैं। इसके साथ ही समय की व्यस्तता के कारण राखी के पर्व की पूजा पद्धति में भी बदलाव आया है। अब लोग पहले के अपेक्षा इस पर्व में कम सक्रिय नज़र आते हैं। राखी के अवसर पर अब भाई के दूर रहने पर लोगों द्वारा कुरियर के माध्यम से राखी भेज दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल पर ही राखी की शुभकामनाएं दे दी जाती हैं।

प्यार के धागे का महंगे मोतियों में बदल जाना

रक्षा बंधन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेशम का धागा है, जिसे महिलाएं भावपूर्ण होकर भाई के कलाई पर बांधती हैं पर आज बाजार में अनेक प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं, जिसमें कुछ तो सोने-चांदी की भी हैं। रेशम के सामान्य धागे से बना यह प्यार का बंधन धीरे-धीरे दिखावें में तबदील हो रहा है।

रक्षा बंधन के महत्व को बचाए रखना आवश्यक है

स्वयं को नये जमाने का दिखाने के लिए, हम शुरु से हमारी सभ्यता को पुराना फैशन कह कर भूलाते आए हैं। हमने हमारी पूजा पद्धति बदली है। अतः अपने संस्कृति के रक्षा हेतु हमें हमारे पर्वों के रीति रिवाज में परिर्वतन नहीं करना चाहिए और राखी के पर्व की महत्व को समझते हुए हमें इस पर्व को बनाए गए पूजा पद्धति के अनुसार करना चाहिए।

हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए पर्वों, त्योहारों व उपवास के विधि-विधान हमारी सभ्यता, संस्कृति के रक्षक है। इन सब से हमारी पहचान है अतः हमें इसे बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

Raksha Bandhan par Nibandh – 3 (500 शब्द)

“बहना ने भाई के कलाई से प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है” सुमन कल्याणपुर के इस लोकप्रिय गीत ने इन दो पंक्ति में राखी के महत्व का वर्णन किया है। आज महिलाओं द्वारा देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को सीमा पर जाकर राखी बांधी जाती है क्योंकि वह बाह्य शक्ति से हमारी रक्षा करते हैं। राखी का त्योहार भाई बहन को भावनात्मक तौर पर जोड़ता है।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन किस-किस स्थान पर मनाया जाता है

राखी का पर्व मुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मलेशिया तथा अन्य देशों में (जहां भारतीय निवास करते हैं) मनाया जाता है।

रक्षा बंधन का महत्व

यह पर्व भाई-बहन को और समीप ले आता है तथा जिनसे हमारा कोई संबंध नहीं हम उन्हें भी इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन बना सकते हैं। राखी के पर्व का महत्व, इतिहास के इस कहानी से लगाया जा सकता है।

चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने जब देखा की उनकी सैनिक बहादुर शाह के सैन्य बल के आगे नहीं टिक पाएगी। ऐसे में रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से मेवाड़ की रक्षा हेतु हुमायूँ को राखी भेजा। सम्राट हुमायूँ अन्य धर्म से संबंध रखने के बावजूद राखी के महत्व के वजह से बहादुर शाँह से युद्ध कर रानी कर्णावती को युद्ध में विजय दिलवाया।

राखी के महत्व से जुड़ी प्रसिद्ध पौराणिक कथा

राखी का इतिहास बहुत पुराना है। राखी के प्रचलित कहानियों में द्वापर की यह कहानी सर्वाधिक प्रचलित है, एक बार श्री कृष्ण के उंगली कट जाने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी के एक कोने को फाड़ कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। कथानुसार द्रौपदी के सबसे मुश्किल समय में श्री कृष्ण ने उस साड़ी के एक टुकड़े का कर्ज, द्रौपदी का चीर हरण होने से बचा कर निभाया। वह साड़ी का टुकड़ा कृष्ण ने राखी समझ कर स्वीकार किया था।

स्कूल में राखी का त्योहार

राखी का पर्व अपने घर के अतिरिक्त स्कूलों में उतने ही प्यार से मनाया जाता है। यह विद्यालयों में राखी के अवकाश से एक दिन पहले आयोजित किया जाता है। इसमें बालकों की पूरी कलाई बालिकाओं द्वारा रंग-बिरंगी राखी से भर दिया जाता है। कुछ बालकों की इसमें सहमति नहीं होती है परन्तु परिस्थिति के अनुसार उन्हें यह करना पड़ता है। सच में यह रोचक दृश्य होता है।

जैन धर्म में रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाते हैं ?

जैन धर्म मे रक्षा बंधन का दिन बहुत शुभ माना जाता है इस दिन एक मुनि ने 700 मुनियों के प्राण बचाए थे। इस वजह से जैन धर्म से संबंध रखने वाले लोग इस दिवस पर हाथ में सूत का डोर बांधते हैं।

राखी के पर्व पर भाई-बहन क्या-क्या कर सकते हैं

  • भाई-बहन जहां भी निवास कर रहे हो राखी के समय पर एक-दूसरे से मिल सकते हैं और अवश्य ही मिलना चाहिए।
  • राखी के त्योहार को और ख़ास बनाने हेतु भाई बहन कहीं बाहर घुमने जा सकते हैं।
  • अपने-अपने जीवन में एक-दूसरे के महत्व को बताने के लिए वह उनके पसंद का उपहार उन्हें दे सकते हैं।
  • किसी पुरुष द्वारा महिला के प्रति भाई का फर्ज निभाने पर राखी के अवसर पर महिला उसे विशेष महसूस कराने के लिए राखी बांध सकती हैं।

बहन भाई का रिश्ता खट्टा-मीठा होता है। जिसमें वह आपस में बहुत झगड़ते हैं पर एक-दूसरे से बात किए बिना नहीं रह सकते। राखी का पर्व उनके जीवन में एक-दूसरे के महत्व को बताने का कार्य करता है अतः हम सभी को यह उत्सव परंपरागत विधि से मनाना चाहिए।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – रक्षा बंधन भाई बहनों के बीच निःस्वार्थ प्रेम का त्योहार है।

उत्तर – रक्षा बंधन की शुरुआत लगभग 6 हजार वर्ष पहले होने का अनुमान लगाया जाता है।

उत्तर – रक्षा बंधन श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

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रक्षाबंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Essay in Hindi) - कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए रक्षा बंधन पर निबंध

Updated On: September 29, 2023 12:37 pm IST

रक्षाबंधन कब है (Rakshabandhan Kab Hai?)

  • रक्षाबंधन पर निबंध 200 शब्दों में (Raksha Bandhan Essay in …
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निष्कर्ष (Conclusion)

रक्षाबंधन पर निबंध

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan): श्रावणी पूर्णिमा के दिन रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को 'रक्षा बंधन' कहते हैं। पहले के समय में, रक्षा के वचन का यह पर्व विभिन्न रिश्तों के अंतर्गत निभाया जाता था पर समय बीतने के साथ यह भाई बहन के बीच का प्यार बन गया है। जिसे बड़ी ही खुशी के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिससे भाई उसकी सुरक्षा का वचन देता है। यह पर्व उनके प्यार और संबंध को मजबूती देता है। इसके साथ ही भाई बहनों को उपहार भी देते हैं और खुशियों का त्योहार मनाते हैं। यह पर्व हमारे संबंधों को मजबूत बनाने का एक अच्छा मौका लेकर आता है और परिवार के बंधनों को मजबूत बनाता है। ये भी पढ़ें - महात्मा गांधी पर निबंध

रक्षाबंधन पर निबंध 200 शब्दों में (Raksha Bandhan Essay in Hindi in 200 words)

रक्षाबंधन पर निबंध 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है-

“रक्षाबंधन” भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो भाई-बहन के प्यार और संबंध को मनाता है। यह पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिसका मतलब होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा। इसके साथ भाई अपनी बहन को उपहार भी देता है।

राखी का यह परंपरागत आचरण भाई-बहन के प्यार और संबंध की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। रक्षाबंधन एक परिवार में खुशियों और एकता की भावना को बढ़ावा देता है। यह दिन भाई-बहन के बीच विशेष संबंध को मजबूती देता है और उनके प्यार को और भी गहराई देता है। इसके साथ ही, यह पर्व भाई-बहन के आपसी समर्थन और साथीपन की महत्वपूर्णता को भी प्रकट करता है। इस दिन प्रातः स्नानादि करके लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई, फूल और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष तैयार होकर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर फूलों को छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है और दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है। भाई बहन को उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबन्धन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। प्रत्येक पर्व की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्त्व रक्षाबन्धन में भी होता है। आमतौर पर दोपहर का भोजन महत्त्वपूर्ण होता है और रक्षाबन्धन का अनुष्ठान पूरा होने तक बहनों द्वारा व्रत रखने की भी परम्परा है। यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्त्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फ़िल्में भी इससे अछूते नहीं हैं। यह बहुत ही खास त्योहार होता है। इस त्योहार को बहुत खुशी से मनाते है और सभी रश्में पूरी करते है।

समारोह और खास त्योहारी व्यंजन इस दिन को और भी ज्यादा यादगार बनाते हैं। रक्षाबंधन के माध्यम से हम अपने परिवार के महत्वपूर्ण सदस्यों के साथ समय बिता सकते हैं और उनके साथ खुशियाँ मना सकते हैं। समानता, समर्पण और प्यार की भावना से भरपूर यह पर्व हमें एक दूसरे के प्रति आदर्श संबंधों की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है। इस त्योहार के माध्यम से हम भाई-बहन के बंधन को मजबूती देने के साथ-साथ परिवार के बंधनों की महत्वपूर्णता को भी समझते हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

रक्षाबंधन पर निबंध 500+ शब्दों में (Raksha Bandhan Essay in Hindi in 500+ Words)

हमारा देश अनेक रिश्तों के बंधनों में बंधा हुआ देश है, जिसमें से एक पवित्र रिश्ता भाई और बहन का भी है, जो प्रेम की एक ऐसी अटूट डोर से बंधा हुआ है जिसे चाह कर भी कभी तोड़ा नहीं जा सकता। रक्षाबंधन के दिन राखी का विशेष महत्त्व होता है। वैसे तो राखी कच्चे धागे से बनी होती है, पर जब ये रक्षाबंधन पर्व के दिन भाई की दाहिनी कलाई में बंधती है, तो वह बहन का रक्षासूत्र बन जाती है। जिसमें बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई भी जीवनभर अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले रक्षाबंधन के पर्व को राखी (Rakhi) का त्योहार भी कहते हैं।

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है (When is Raksha Bandhan celebrated?)

रक्षाबन्धन भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अगस्त के महीने में आती है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व होता है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड़ होती है और घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है।

रक्षाबंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Essay in Hindi) - भाई-बहन के प्यार का प्रतीक

रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम के प्रतीक को सदियों से दर्शाता हुआ चला आ रहा है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है रक्षा का बंधन। जब एक भाई रक्षासूत्र के समान राखी अपनी कलाई में बांध लेता है, तो वह इस पवित्र प्रेम बंधन से बंध जाता है और अपने प्राणों की चिंता किये बिना भी हर हाल में अपनी बहन की रक्षा करता है। रक्षाबंधन भाई और बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक के साथ-साथ भाई-बहन के रिश्ते की अटूट डोर का भी प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्योहार भावनाओं और संवेदनाओ का त्योहार है, जिसमें हर भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन उसे देता है। हर भाई-बहन को रक्षाबंधन के दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है जिसे बड़ें ही खुशियों के साथ मनाते है।

रक्षाबंधन की तैयारियाँ (Preparations for Rakshabandhan)

इस दिन बहने प्रात: काल में स्नानादि करके, कई प्रकार के पकवान बनाती है, इसके बाद पूजा की थाली सजाई जाती है। पूजा की थाली में राखी के साथ कुमकुम रोली, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई रखी जाती है। भाई को बिठाने के लिये उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है।

सबसे पहले अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है। भाई को चयनित स्थान पर बिठाया जाता है, इसके बाद कुमकुम हल्दी से भाई का टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है और अक्षत सिर पर छिडके जाते है, आरती उतारी जाती है और भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। सब अनूष्ठान पूरा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है। भारत के अन्य त्यौहारों की तरह इस त्यौहार पर भी उपहार और पकवान अपना विशेष महत्व रखते है।

रक्षाबंधन का महत्त्व (Importance of Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है, यह एक ऐसा बंधन है जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांधता है। रक्षा बंधन को भाई - बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है। भाई - बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना, एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है। आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है।

रक्षाबंधन का पौराणिक प्रसंग (Mythological of Raksha-Bandhan)

राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। एक बार दैत्‍य वृत्रासुर ने इंद्र का सिंहासन हासिल करने के लिए स्‍वर्ग पर चढ़ाई कर दी, वृत्रासुर बहुत ताकतवर था और उसे हराना आसान नहीं था। युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया। युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया।संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। इतिहास में श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी भी प्रसिद्ध है, जिसमें जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट में द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था और उसी के चलते कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबन्धन के पर्व में यहीं से प्रारम्भ हुई।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक प्रसंग (Historical context of Raksha-Bandhan)

रक्षाबंधन का साहित्यिक प्रसंग (literary context of raksha-bandhan), रक्षाबंधन का सामाजिक प्रसंग (social context of raksha bandhan).

ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मज़बूत करते है। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबन्धन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है। रक्षाबन्धन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है। यही कारण है कि इस अवसर पर न केवल बहन भाई को ही अपितु अन्य सम्बन्धों में भी रक्षा (या राखी) बाँधने का प्रचलन है। गुरु शिष्य को रक्षासूत्र बाँधता है तो शिष्य गुरु को। भारत में प्राचीन काल में जब स्नातक अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसे रक्षासूत्र बाँधता था। जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ रक्षासूत्र बाँधता था कि उसने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने भावी जीवन में उसका समुचित ढंग से प्रयोग करे ताकि वह अपने ज्ञान के साथ-साथ आचार्य की गरिमा की रक्षा करने में भी सफल हो। इसी परम्परा के अनुरूप आज भी किसी धार्मिक विधि विधान से पूर्व पुरोहित यजमान को रक्षासूत्र बाँधता है और यजमान पुरोहित को। इस प्रकार दोनों एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिये परस्पर एक दूसरे को अपने बन्धन में बाँधते हैं। रक्षाबन्धन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय रहा है।

स्वतंत्रता संग्राम में रक्षाबंधन की भूमिका (Role of Raksha-Bandhan in Freedom Struggle)

स्वतंत्रता संग्राम काल में रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, जो भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रीय एकता और आत्मनिर्भरता को संरक्षित करता था।

राष्ट्रीय एकता को समर्थन: स्वतंत्रता संग्राम के समय, रक्षा बंधन ने लोगों को राष्ट्रीय एकता और समरसता की भावना के साथ एकजुट किया। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भारतीयों ने एकत्र होकर विदेशी शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष किया। रक्षा बंधन के अवसर पर भाई-बहन एक-दूसरे के साथ आदर्श एकता का प्रतीक बन जाते थे। राष्ट्रीय भाव को उत्साहित करना: रक्षा बंधन स्वतंत्रता संग्राम के समय राष्ट्रीय भाव को उत्साहित करता था। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए जान की बाजी लगाई थी, और रक्षा बंधन के अवसर पर उन्हें समर्थन मिलता था और उनके लिए दुआएं बनती थी।

आत्मनिर्भरता की प्रेरणा: स्वतंत्रता संग्राम के समय रक्षा बंधन ने भारतीयों को आत्मनिर्भरता की प्रेरणा दी। देश को स्वतंत्र बनाने के लिए, भारतीयों को अपने आप को सशक्त बनाने और देश के लिए स्वयं को समर्पित करने की जरूरत थी। रक्षा बंधन ने इस आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को शक्तिशाली बनाया। संबंधों को मजबूत करना: रक्षा बंधन के त्योहार ने भारतीयों के संबंधों को मजबूत किया। भाई-बहन के प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देने से उनके बीच एक गहरा बंधन बनता था, जो आपसी समरसता को बढ़ावा देता था।

रक्षाबंधन पर सरकारी प्रबंध (Government arrangements on Raksha Bandhan)

भारत सरकार द्वारा रक्षा बंधन के अवसर पर डाक सेवा पर छूट दी जाती है। इस दिन के लिए खास तौर पर 10 रुपये वाले लिफाफे की बिक्री की जाती है। इस 50 ग्राम के लिफाफे में बहनें एक साथ 4-5 राखी भाई को भेज सकती हैं। जबकी सामान्य 20 ग्राम के लिफाफे में एक राखी ही भेजी जा सकती है। यह ऑफर डॉक विभाग द्वारा बहनों को भेट है अतः यह सुविधा रक्षाबंधन तक ही अपलब्ध रहता है। और दिल्ली में बस, ट्रेन तथा मेट्रो में राखी के अवसर पर महिलाओं से टिकट नहीं लिया जाता है। इसके अलावा और भी प्रदेशों में राखी के दिन महिलाओं के लिए बस की सुविधा फ्री की जाती है।

राखी और आधुनिक तकनीकी माध्यम (Rakhi and modern technical means)

आज के आधुनिक तकनीकी युग एवं सूचना सम्प्रेषण युग का प्रभाव राखी जैसे त्योहार पर भी पड़ा है। बहुत सारे भारतीय आजकल विदेश में रहते हैं एवं उनके परिवार वाले (भाई एवं बहन) अभी भी भारत या अन्य देशों में हैं। इण्टरनेट के आने के बाद कई सारी ई-कॉमर्स साइट खुल गयी हैं, जो ऑनलाइन आर्डर लेकर राखी दिये गये पते पर पहुँचाती है। इससे देश-विदेश रहने वाले भाई-बहनों के लिए भी यह त्योहार मनाना आसान हो गया है। इस तरह आज के आधुनिक विकास के कारण दूर-दराज़ में रहने वाले भाई-बहन जो राखी पर मिल नहीं सकते, आधुनिक तरीकों से एक दूसरे को देख और सुन कर इस पर्व को सहर्ष मनाते हैं।

उपसंहार (Epilogue)

रक्षाबंधन पर निबंध 10 लाइनों में (raksha bandhan essay in hindi in 10 lines).

  • रक्षा बंधन का त्योहार सावन के महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
  • रक्षा बंधन का त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है, जिससे कई प्राचीन कहानियां जुड़ी हुई हैं।
  • राखी के साथ ही बहन अपने भाई को आशीर्वाद देती है और भाई भी उसकी सुरक्षा का वादा करता है।
  • इस त्योहार का महत्व न केवल प्यार और समर्थन को प्रकट करने में है, बल्कि यह भाई-बहन के बीच आदर्श संबंध की महत्वपूर्णता को भी दिखाता है।
  • इस दिन बहनें खासकर अपने भाई की रक्षा के लिए तैयारी करती हैं और भाई भी उन्हें उपहार और आशीर्वाद देते हैं।
  • रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहनों के प्रेम के साथ साथ एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास भी कराता है।
  • रक्षा बंधन पर बहने अपने भाई के लिए उपवास राखित है और उन्हें राखी बंधने के बाद अपना व्रत तोड़ती है।
  • जो बहनें अपने भाइयों के साथ नहीं रहती, वह अपने भाई को राखी डाक, ईमेल और ऑनलाइन भेजती हैं।
  • रक्षाबंधन पर सारे बाजार सज जाते हैं और दुकानों पर रंग बिरंगी मिठाइयां भी सजी होती है, हर तरफ प्यार का माहौल होता है।
  • हिंदू धर्म ग्रन्थों में रक्षा बंधन के पर्व का महत्व बताया गया है और इंद्रा देव और राजा बली की कहानी भी प्रचलित है।

अतः रक्षाबंधन आपसी प्यार सम्मान और एकजुटता को दर्शाने वाला त्यौहार है जिसके मनाने के तर्क तो बहुत है परंतु सब का उद्देश्य आपसी प्यार ही है। भाई बहन को मिलकर इस त्यौहार को बड़े प्यार से और अपनेपन के साथ पुराने सभी गिले-शिकवे भुलाते हुए मनाना चाहिए। समग्रता और सामाजिक सद्भावना के साथ, रक्षाबंधन एक परिवार के बंधनों को मजबूत करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इस त्योहार से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना कितना महत्वपूर्ण है और हमें उनके साथ खुशियाँ मनानी चाहिए। ऐसे ही और निबंध के लिए CollegeDekho के साथ जुड़ें रहें। निबंध संबधित आर्टिकल्स पढ़ें-

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रक्षाबंधन  30 और 31 अगस्त दोनों ही दिन मनाया जायेगा लेकिन भद्रा के साए की वजह से शुभ मुहूर्त का खास ख्याल रखना होगा। 30 अगस्त को लगभग पूरे दिन ही भद्रा का साया रहेगा और 31 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सिर्फ सुबह कुछ देर तक ही है। 

रक्षाबंधन का पर्व प्रेम और पवित्रता का पर्व है। यह पर्व भाई और बहनों के लिए एक दूसरे की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करने का दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई उन्हें कोई तोहफा देने के साथ-साथ जीवन भर के सुख-दुख में उनका साथ देने का वादा करते हैं। इस पर्व की वजह से भाई-बहनों के रिश्तों में और मजबूती आती है।

क्षा बंधन मनाने के पीछे की कहानी यह है कि जब यमुना ने यम को राखी बांधी, तो मृत्यु के देवता ने उसे अमरता प्रदान की। ऐसा कहा जाता है कि वह इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने घोषणा की कि जो भी भाई राखी बांधेगा और अपनी बहन की रक्षा करने की पेशकश करेगा, वह भी अमर हो जाएगा।

राखी बांधने के बाद बहनें अपने भाइयों को रोली (लाल तिलक), अक्षत और दीपक लगाती हैं। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा बांधती हैं, ऐसा माना जाता है कि इससे भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वादा करते हैं।

इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की शुरुआत की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूँ हैं।

रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन है। इस पर्व में बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महिने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है।

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रक्षाबंधन पर निबंध – (Raksha Bandhan Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे 10 lines Short and long Essay

essay on raksha bandhan hindi

Raksha Bandhan Essay in Hindi – रक्षा बंधन एक हिंदू त्योहार है जो आपसी प्रेम, देखभाल और सुरक्षा के भाई-बहन के बंधन का जश्न मनाता है। यह सावन महीने में मनाया जाता है Raksha Bandhan Essay और मानसून के आगमन को चिह्नित करता है, जो आमतौर पर अगस्त के ग्रेगोरियन महीने के अनुरूप होता है। परंपरागत रूप से, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर उनके प्यार और स्नेह के प्रतीक के रूप में “रक्षा” बांधती हैं। वहीं भाइयों ने अपनी बहनों की हर हाल में रक्षा करने का संकल्प लिया। 

Raksha Bandhan Essay – रस्में समाप्त होने के बाद, भाई अपनी बहन को भाव वापस करने के लिए उपहार देता है। कुछ समुदायों में भाई की अपनी बहन के ससुराल जाने की परंपरा है, अगर वह शादीशुदा है, और रक्षा बंधन मनाने के लिए उसे अपने माता-पिता के घर वापस ले जाती है। रक्षा बंधन के त्योहार में अन्य हिंदू त्योहारों की तरह धूमधाम और शो का अभाव है, लेकिन, यह एक प्रमुख पारिवारिक कार्यक्रम है और उत्साह के साथ मनाया जाता है, हालांकि निजी तौर पर।

निबंध सरल हिन्दी भाषा में लिखे गए हैं ताकि आप इसे आसानी से याद कर सकें और आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत कर सकें।

रक्षा बंधन निबंध के माध्यम से आपको त्योहार के बारे में सभी उपयोगी जानकारी मिल जाएगी, अर्थात रक्षा बंधन कब मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है, रक्षा बंधन का महत्व आदि।

आप इन निबंधों से एकत्रित जानकारी का उपयोग अपने स्कूल या कॉलेज में निबंध लेखन, वाद-विवाद या भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कर सकते हैं।

रक्षाबंधन निबंध पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Raksha Bandhan Essay in Hindi)

  • 1) रक्षा बंधन भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है।
  • 2) रक्षा बंधन अगस्त के महीने में श्रावण के अंतिम दिन मनाया जाता है।
  • 3) रक्षा बंधन भाइयों और बहनों के बीच बंधन, देखभाल और स्नेह का प्रतीक है।
  • 4) रक्षा बंधन के दिन बहनें कुमकुम, दीया, चावल, मिठाई और राखी से पूजा की थाली तैयार करती हैं।
  • 5) बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके माथे पर ‘रोली चावल’ लगाती है।
  • 6) रक्षा बंधन के त्योहार पर बहन अपने भाई की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।
  • 7) रक्षा बंधन पर भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का संकल्प लेता है।
  • 8) मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान भी रक्षा बंधन के त्योहार की महत्वपूर्ण प्रथाएं हैं।
  • 9) दिन के समय स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर भी रक्षाबंधन मनाया जाता है।
  • 10) इस अवसर को मनाने के लिए लोग विशेष रूप से महिलाएं जातीय कपड़े पहनती हैं।

रक्षा बंधन पर 100 शब्दों का निबंध (Shot Essay On Raksha Bandhan 100 Words in Hindi)

रक्षाबंधन भाई और बहन के बंधन का उत्सव है। यह भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है, हालांकि अक्सर धार्मिक सीमाएं कम हो जाती हैं, और हम इस त्योहार के अंतर-धार्मिक उत्सव को भी देखते हैं। त्योहार आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के सावन महीने के आखिरी दिन मनाया जाता है। यह आमतौर पर अगस्त में पड़ता है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा बांधती हैं और धागा रक्षा का प्रतीक होता है। भाइयों ने बहनों की रक्षा का वचन लिया और उन्हें उपहार दिए। मिष्ठान और व्यंजन भी बनाए जाते हैं। हवा में खुशी और आराम और खुशी की लहर है।

रक्षा बंधन पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Raksha Bandhan in Hindi)

Raksha Bandhan Essay – जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भाई-बहन हमारे दिल में एक खास जगह रखते हैं। हालाँकि, एक भाई और बहन का विशेष बंधन बहुत ही अनूठा होता है। एक-दूसरे के प्रति उनकी जो परवाह है, उसकी कोई सीमा नहीं है। वे जो प्यार साझा करते हैं वह तुलना से परे है। रक्षाबंधन सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। रक्षा का अर्थ है सुरक्षा, और बंधन का अर्थ है बंधन। इसलिए, यह त्योहार भाइयों और बहनों के बीच सुरक्षा, देखभाल और लंबे समय के बंधन का प्रतीक है।

त्योहार अगस्त में पड़ता है। त्योहार से पहले ही बाजार और दुकानें मिठाइयों, उपहारों और राखियों से सज जाती हैं। यहां भारी भीड़ है क्योंकि हर महिला अपने भाइयों के लिए सबसे खूबसूरत राखी चाहती है। जबकि पुरुष उन उपहारों की तलाश करते हैं जो उनकी बहनें चाहती हैं।

रक्षा बंधन के दिन

इस दिन हर कोई अपने नए कपड़ों में तैयार होता है और मिठाई और नमकीन पहले से ही खरीद लिया जाता है। बहनें भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा, राखी बांधती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी रक्षा करने और आजीवन उनकी देखभाल करने का वचन देते हैं। वे अपनी बहनों को नई ड्रेस, चॉकलेट या पैसे के रूप में उपहार भी देते हैं।

अंत में, रक्षा बंधन सबसे सुखद और सार्थक त्योहारों में से एक है। यह भाइयों और बहनों के बीच के बंधन को मजबूत करता है। इस दिन, जिन लड़कियों के भाई नहीं होते, वे पुलिस अधिकारियों, सेना के जवानों या यहां तक ​​कि हमारे प्रधान मंत्री को उनके आशीर्वाद और सुरक्षा के बदले में राखी बांधती हैं, जो त्योहार के सार और भावना को जीवित रखता है।

रक्षा बंधन पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Raksha Bandhan in Hindi)

रक्षा बंधन प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भाई-बहन के बंधन को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। यह सभी उम्र के भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है।

रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रक्षा बंधन श्रावण मास में आता है जिसे सावन महीने के रूप में भी जाना जाता है। यह श्रावण मास के अंतिम दिन मनाया जाता है जो ज्यादातर अगस्त के महीने में पड़ता है। सावन का पूरा महीना हिंदू धर्म के अनुसार शुभ माना जाता है।

रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षा बंधन दिन के समय मनाया जाता है। भाई-बहन इस पवित्र दिन को मनाने के लिए सुंदर पोशाक पहनते हैं। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करती हैं। इस रस्म को निभाते हुए बहनें अपने भाइयों की सलामती की दुआ करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और प्रतिज्ञा करते हैं कि वे उनके साथ खड़े रहेंगे और हर स्थिति में उनकी देखभाल करेंगे। दोनों भाई-बहन राखी बांधने से पहले व्रत रखते हैं। पूजा करने के बाद ही वे भोजन करते हैं।

अनुष्ठान ज्यादातर एक परिवार के ब्रंच के बाद होता है। इस प्रकार रक्षा बंधन अब केवल भाई-बहन के बंधन को मनाने का दिन नहीं है, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बंधने का एक अच्छा अवसर भी है। यह सिर्फ सगे भाइयों और बहनों के बीच ही नहीं बल्कि चचेरे भाई-बहनों के बीच भी मनाया जाता है। लोग ज्यादातर अपने पुश्तैनी घर में इकट्ठा होते हैं जहां सभी चचेरे भाई और उनके परिवार इकट्ठा हो सकते हैं और दिन मना सकते हैं। आज के व्यस्त जीवन में जब लोगों को अपनों से मिलने में मुश्किल होती है, तो इस तरह के अवसर उनके साथ बंधने का अच्छा मौका देते हैं।

रक्षा बंधन को लेकर महिलाएं विशेष रूप से काफी उत्साहित हैं क्योंकि यह उनके लिए सुंदर कपड़े और सामान खरीदने और सजाने का समय है। दूसरी ओर, पुरुष अपनी बहनों और चचेरे भाइयों से मिलने के लिए उत्सुक रहते हैं। यह वास्तव में सर्वश्रेष्ठ हिंदू त्योहारों में से एक है।

रक्षा बंधन पर 500 शब्दों का निबंध (Long Essay On Raksha Bandhan5 00 Words in Hindi)

Raksha Bandhan Essay – रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई और बहन के बंधन को सेलिब्रेट करता है। यह पर्व हिन्दू धर्म में मनाया जाता है। यह उनके सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। साथ ही बहन-भाई इसका साल भर बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत में लोग इसे भरपूर जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं।

इसी तरह, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप बच्चे हैं या वयस्क। सभी उम्र के भाई-बहन रक्षा बंधन मनाते हैं। इसके अलावा, यह उनके बीच के बंधन को भी मजबूत करता है। ‘रक्षा’ का अर्थ है सुरक्षा और ‘बंधन’ का अर्थ है बंधन। इस प्रकार, यह इस त्योहार का अर्थ बताता है।

रक्षा बंधन हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। यह सावन के महीने में आता है और लोग इसे महीने के आखिरी दिन मनाते हैं। यह शुभ पर्व आमतौर पर अगस्त के आसपास ही आता है।

रक्षा बंधन का महत्व

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भाई-बहन हमारे दिल में एक खास जगह रखते हैं। हालाँकि, एक भाई और बहन का विशेष बंधन बहुत ही अनूठा होता है। एक-दूसरे के प्रति उनकी जो परवाह है, उसकी कोई सीमा नहीं है। वे जो प्यार साझा करते हैं वह तुलना से परे है।

ये आपस में कितना भी लड़ लें, ये हमेशा इनके साथ खड़े रहते हैं। छोटी-छोटी बातों पर भाई-बहन आपस में लड़ पड़ते हैं। दूसरे शब्दों में, वे एक बंधन साझा करते हैं जो चिढ़ाने और प्यार से भरा होता है।

भाई-बहन हमें बढ़ने में मदद करते हैं। हमारे जीवन के हर चरण में, उनके बीच का बंधन मजबूत होता जाता है। वे हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। बड़े भाई अपनी बहनों के लिए बहुत प्रोटेक्टिव होते हैं। इसी तरह बड़ी बहनें अपने छोटे भाइयों का बहुत ख्याल रखती हैं। छोटे अपने बड़े भाई-बहनों की ओर देखते हैं।

रक्षा बंधन इस बंधन को मनाने के बारे में है। यह दोनों के बीच साझा किए गए अनूठे और विशेष रिश्ते का प्रतीक है। इस खूबसूरत बंधन पर अच्छा समय बिताने और ध्यान केंद्रित करने के लिए इस दिन को सही मान्यता दी गई है। यह उनके प्यार, एकजुटता और एक दूसरे में विश्वास के प्रतीक के रूप में कार्य करता है।

रक्षा बंधन का अवसर

रक्षा बंधन बहनों के लिए लाड़ प्यार का समय है। इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाई की कलाई पर पवित्र धागा यानी राखी बांधती हैं। यह अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन की कामना के इरादे से किया जाता है।

दूसरी ओर, भाई बदले में अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी रक्षा करने और जीवन भर उनकी देखभाल करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन बहनों को ढेर सारा प्यार और दुलार मिलता है। यह चॉकलेट, उपहार, पैसे, कपड़े और बहुत कुछ के रूप में है।

परिवार के सदस्य इस अवसर के लिए सजते-संवरते हैं, आमतौर पर एथनिक वियर में। हम बाजारों को रंगीन राखियों और उपहारों से भरते हुए देखते हैं। हर साल, फैशनेबल और ट्रेंडी राखी बाजार का चक्कर लगाती हैं। महिलाएं अपने भाइयों के लिए सही राखी की खरीदारी करती हैं और पुरुष अपनी बहनों के लिए उपहार खरीदने जाते हैं।

अंत में, रक्षा बंधन सबसे सुखद त्योहारों में से एक है। यह भाई और बहन को अपने बंधन को मजबूत करने के लिए देता है। आजकल जिन बहनों के भाई नहीं होते वे भी अपनी बहनों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाती हैं। त्योहार का सार फिर भी वही रहता है।

रक्षा बंधन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है.

A.1 रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार के बंधन को मनाने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा, यह इस बंधन की विशिष्टता को दर्शाता है और उन्हें एक दूसरे के लिए अपने प्यार और विश्वास का जश्न मनाने का दिन देता है।

Q.2 लोग रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं?

A.2 रक्षा बंधन भाई की कलाई पर राखी नामक पवित्र धागा बांधकर मनाया जाता है। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहारों से नहलाते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।

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रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में - Raksha Bandhan Essay in Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध (raksha bandhan essay in hindi): रक्षाबंधन भाइयों और बहनों के बंधन का त्योहार है। इस लेख में हम आपके लिए स्कूल और कॉलेज छात्रों के लिए हिंदी में आसान और सरल रक्षाबंधन निबंध लेकर आए हैं।.

रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में - Get Raksha Bandhan Essay in Hindi

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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) - रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakshabandhan in hindi): भारत त्योहारों का देश है। एक ऐसा देश जहां विभिन्न संस्कृतियाँ, धर्म, संप्रदाय एक साथ फल-फूल रहे हैं। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। तमाम विविधताओं के बावजूद रक्षाबंधन (rakshabandhan) एक ऐसा त्योहार है, जो धर्म, संप्रदाय और संस्कृतियों की सभी दीवारों को तोड़ कर सभी त्योहारों के बीच एक अलग ही स्थान रखता है। अपने सांस्कृतिक मूल्यों और प्रेमभाव की वजह से देशभर में रक्षाबंधन को सभी उत्साह से मनाते हैं। इस रक्षाबंधन निबंध (Essay on Rakshabandhan in hindi) में रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन कैसे मनाया जाना चाहिए, रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त (Rakhi shubmuhurat 2024) रक्षाबंधन के दिन में भद्रा कब है जैसे प्रश्नों के उत्तर भी मिलेंगे।

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) - रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

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रक्षाबंधन का त्योहार का महत्व भाई-बहन के आपसी स्नेह के चलते है। इसे मनाने के दौरान बहन अपने भाई को आसन पर बिठाकर तिलक लगाकर आरती करी हैं और भाई के सुखी और समृद्ध तथा लंबे जीवन की ईश्वर से प्रार्थना करते हुए भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं। रक्षाबंधन मंत्र (Rakshabandhan mantra 2024)- "ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल" का पाठ करते हुए बहनें रक्षा सूत्र भाई की कलाई पर बाँधती हैं। श्रावण पूर्णिमा 2024 की शुरुआत 19 अगस्त 2024 को सुबह 3.04 बजे से हो रही है लेकिन राखी का त्योहार मनाते समय शुभमुहूर्त और भद्राकाल का विशेष ध्यान रखकर राखी बाँधी जानी चाहिए। पूर्णामासी की तिथि 19 अगस्त को रात 11.55 बजे तक रहेगी। रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) के जरिए रक्षाबंधन 2024 त्योहार के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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रक्षाबंधन पर निबंध - राखी 2024 शुभ मुहूर्त (Rakhi 2024 Shubh muhurat)

रक्षाबंधन के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है इस हिंदी रक्षाबंधन निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) में रक्षाबंधन के शुभ समय की जानकारी दी गई है जिसके दौरान भाई को रक्षासूत्र बाँधने पर शुभ परिणाम मिलते हैं। भद्रा अवधि को अशुभ माना जाता है। भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसे में भद्रा के समय रक्षाबंधन नहीं बाँधा जाना चाहिए। रावण की बहन ने भद्राकाल में रावण को राखी बाँधी थी, कहते हैं इसके प्रभाव से पूरे कुल का विनाश हो गया। 19 अगस्त, 2024 श्रावणी पूर्णिमा है और इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। 2024 में भी राखी पर भद्रा का साया रहेगा। रक्षा बंधन के दिन भद्राकाल के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है इस बारे में प्रश्न किए जा रहे हैं।

19 अगस्त को राखी बांधने का पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे से आरंभ है और रात 9:07 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। हालांकि सूर्यास्त के बाद राखी नहीं बांधी जाती है। दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 1.42 बजे से 4.19 मिनट तक है।

रक्षा बंधन डेट 2024 राखी बांधने का समय

अन्य लेख पढ़ें-

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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakhsabandhan in Hindi) और विद्यार्थी

हिंदी में रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) का एक रोचक पहलू यह है कि इस त्योहार की जानकारी बच्चों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने में भी मददगार होती है। छोटी कक्षाओं की परीक्षा में कई बार रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) लिखने से संबंधित प्रश्न पूछा जाता है जो कि पेपर की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अक्सर कई छात्र जिन्हें निबंध लिखना नहीं आता, वे इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि रक्षाबंधन पर निबंध कैसे लिखें, या फिर ऐसे छात्र जिन्हें हिंदी विषय कठिन लगता है, वे भी इस दुविधा में रहते हैं कि रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (rakshabandhan essay in hindi) कैसे लिखा जाए? कई बार छात्रों को अभिभावक या शिक्षक हिंदी में रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) या राखी पर निबंध (essay on rakhi in hindi) लिखने के लिए भी कह देते हैं। रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) छात्रों को इस त्योहार का महत्व बताने का भी काम करेगा। हिंदी में लिखा गया यहा रक्षाबंधन निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) छात्रों के लिए सहायक होगा, ऐसी हम आशा करते हैं।

इसलिए हम आपके लिए यह हिंदी रक्षाबंधन निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) लेकर आए हैं। इस हिंदी रक्षाबंधन पर निबंध (rakshabandhan essay in hindi) से आपकी उपर्युक्त सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, ऐसी हमें आशा है। Essay on Raksha Bandhan in Hindi निबंध से न सिर्फ आपको रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में (essay on rakshabandhan in hindi) लिखने में सहायता मिलेगी, बल्कि आप इस निबंध का विश्लेषण कर निबंध लिखने का तरीका भी समझ सकते हैं। इसके अलावा इस लेख से रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) लेखन का कौशल बेहतर होगा और रक्षाबंधन (rakshabandhan) के पर्व को लेकर जानकारी भी बढ़ेगी, ऐसी हम उम्मीद करते हैं। हम अनुरोध करते हैं कि आप इस रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) की पूरी नकल करने से बचें और इस निबंध से लिखने की प्रेरणा लेकर, स्वयं ही रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में (rakshabandhan essay in hindi) लिखने की कोशिश करें। लेख शुरू करने से पहले आपको बता दें कि इस वर्ष यानी रक्षाबंधन 2024 (rakshabandhan 2024) में 19 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा।

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रक्षाबंधन पर निबंध : रक्षाबंधन 2024 (Rakshabandhan essay in hindi : Rakshabandhan 2024)

भारत को दुनिया भर में त्योहारों के देश के तौर पर जाना जाता है। इसकी एक खास वजह भी है। दरअसल यहां साल भर किसी न किसी त्योहार को लेकर हलचल हो ही रही होती है। यह सरगर्मी और बाजार व देश में होने वाली हलचल पूरी तरह से त्योहारों के महत्व पर निर्भर करती है। सीधे शब्दों में समझें तो त्योहार जितना बड़ा यानी महत्वपूर्ण होगा, देशभर में उसे लेकर उतनी ही ज्यादा हलचल देखने को मिलेगी। इनमें से ही एक महत्वपूर्ण त्योहार है रक्षाबंधन का यानी राखी का। रक्षाबंधन वैसे तो पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत के लोग इसे विशेष तौर पर मनाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई उन्हें कोई तोहफा देने के साथ-साथ मन ही मन एक वचन भी देते हैं कि वे अपने पूरे जीवन उनका सुख-दुख व मुश्किलों में साथ देंगे।

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इसके अलावा इस दिन भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को छोटी-छोटी बच्चियाँ राखी बांधती हैं। अब तो कई जगह पर इस दिन पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पेड़ों को भी राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई है। वैसे सही मायनों में देखा जाए, तो रक्षाबंधन असल में दो शब्दों के मेल से बना है, रक्षा और बंधन। रक्षा जिसका शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है बांधना। ऐसे में इस शब्द का मतलब ही यह है कि ऐसा धागा जो सुरक्षा की कामना के साथ बांधा गया हो।

रक्षाबंधन का यह त्योहार कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चूंकि यह प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इसलिए कई जगह पर इसे राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे श्रावणी या फिर नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र व उड़ीसा के ब्राह्मणों के बीच यह पर्व अवनि अवित्तम के नाम से भी प्रसिद्ध है। वहीं कुछ इलाकों में इसका एक और नया नाम उपक्रमण भी है। कई जगहों पर इसे श्रावण पूजन के तौर पर भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ के हाथों गलती से श्रवण कुमार की हत्या हो गई थी, जिसके बाद राजा दशरथ ने पश्चाताप करने के लिए इस दिन को श्रावणी पूर्णिमा के तौर पर मनाने की परंपरा शुरू की। मगर रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे महज एक नहीं, बल्कि कई लोकप्रिय कथा प्रचलित हैं।

एक कथा के अनुसार द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लगने पर, अपने साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनके हाथों पर बांध दिया था, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उसकी रक्षा का वचन दिया था। ऐसे में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा कर, अपना वचन पूरा किया। एक अन्य लोकप्रिय कहानी यह है कि इस दिन चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को रक्षाबंधन भिजवाया था, जिसके बाद हुमायूँ ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाते हुए गुजरात के सम्राट से चित्तौड़ की रक्षा में रानी कर्णावती की मदद की थी। हालांकि रक्षाबंधन के बारे में कहा जाता है कि यह प्रमुख तौर पर हिंदुओं का त्योहार है, लेकिन इस त्योहार की उत्पत्ति की एक कहानी जैन धर्म से भी जुड़ी है जिसके अनुसार बिष्णुकुमार नामक मुनिराज ने इस दिन 700 जैन मुनियों की रक्षा की थी जिसके बाद से ही रक्षाबंधन मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।

जैन धर्म से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी को अगर छोड़ दें, तो रक्षाबंधन की इन कहानियों में भले ही हमें तमाम तरह की विविधता देखने को मिलती है, लेकिन एक चीज जो समान रूप से सभी कहानियों में मौजूद है, वह है भाइयों का अपनी बहनों की रक्षा हेतु वादा तथा समय आने पर उस वादे पर अटल रहने की इच्छाशक्ति। भाइयों की ये इच्छाशक्ति और बहनों का प्रेम ही इस पर्व को और भी खास व पवित्र बना देता है। यह पर्व न सिर्फ भाई और बहनों के बीच मौजूद प्रेम को और भी गहरा करता है, बल्कि जीवन भर उनके साथ इसकी यादें भी जुड़ी रहती हैं, जिसकी वजह से उन्हें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होता है।

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इस दिन कई जगहों पर मेले लगते हैं। बाज़ारों में इस दिन की रौनक देखते ही बनती है। मगर आज के दौर में एक कड़वा सच यह भी है कि रक्षाबंधन एक पर्व से ज्यादा दिखावटी संस्कृति हो चला है, जहां कलाई पर बांधी जाने वाली रक्षासूत्र की जगह फ़ैन्सी राखियों ने ले ली है और बहनों को किए जाने वाले वादे की जगह आकर्षक तोहफों और सोशल मीडिया पर हँसती-मुसकुराती तस्वीरों ने ले ली है। भाई और बहन के इस पवित्र पर्व पर व्यापारीकरण हावी हो चला है। बाजार में और टीवी पर इस दौरान दुनिया भर के लुभावने उत्पादों का विज्ञापन चलाकर इस पर्व को इस तरह से पेश किया जाता है कि यदि आपने ये उपहार इस रक्षाबंधन अपनी बहन या भाई को न दिया, तो फिर इस त्योहार का महत्व ही नहीं रह जाएगा।

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जबकि इस पर्व का संदेश और सार इनसब चीजों से अलग, भाई और बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने से जुड़ा है। यह प्रेम का पर्व है, पवित्रता का पर्व है, जहां महंगे कपड़ों, उपहार, फ़ैन्सी राखियों से ज्यादा एक बहन का अपने भाई की कलाई पर धागा बांधना और भाई का इसके बदले अपनी बहन को उसकी मुश्किलों से दूर रखने के वादे का महत्व है। रक्षाबंधन साल में एक बार आता है, लेकिन भाई-बहनों का संबंध जीवन भर के लिए रहता है। मुमकिन है कि समय बीतने के साथ एक वक्त ऐसा भी आए जब भाई-बहन साथ न रहें, मगर उन दोनों के बीच चाहे कितनी भी दूरी हो जाए, वो हमेशा भावनाओं की एक डोर से जुड़े रहते हैं। यही भावनाओं की डोर रक्षाबंधन के दिन मन से निकल कर भाइयों की कलाई पर सजती है। यह पर्व एक तरह से उन भाई-बहनों के लिए भी साल भर में एक बार मिलने का एक बहाना भी बन जाता है, जिनके बहनों का विवाह हो गया है या फिर किसी भी वजह से उन दोनों को दूर-दूर रहना पड़ता है। निश्चित ही रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहनों के लिए किसी महापर्व से कम नहीं है।

हम उम्मीद करते हैं कि उपर्युक्त रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) के माध्यम से रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) से संबंधित आपकी सभी समस्याओं का सामाधान हो गया होगा। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग कर आप भविषय में रक्षाबंधन पर निबंध लिखने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं महसूस करेंगे। धन्यवाद।

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  • यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
  • यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
  • आरबीएसई 10वीं का सिलेबस
  • अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन
  • अग्निपथ योजना सिलेबस
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Frequently Asked Question (FAQs)

रक्षा बंधन के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है जिसके दौरान भाई को रक्षासूत्र बाँधने पर शुभ परिणाम मिलते हैं। भद्रा अवधि को अशुभ माना जाता है। भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसी कारण भद्रा के समय रक्षाबंधन नहीं बाँधा जाता है। रावण की बहन ने भद्राकाल में रावण को राखी बाँधी थी, कहते हैं इसके प्रभाव से पूरे कुल का विनाश हो गया था। 

सही ढंग से रक्षाबंधन मनाने के लिए राखी बंधवाने के समय भाई का मुख पूर्व दिशा की और बहन का पश्चिम दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले भाई को रोली, अक्षत का टीका लगाकर घी के दीपक से आरती उतारी जाती है, उसके बाद मिष्ठान खिलाकर भाई के दाहिने कलाई पर राखी बाँधनी होती है। रक्षाबंधन मंत्र - ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल; का पाठ करते हुए राखी बाँधनी होती है। रक्षाबंधन 2024 शुभ त्योहार के अवसर पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई इस दिन बहनों को तोहफा देने के अलावा यह वचन भी देते हैं कि वे जीवनभर एक-दूसरे के सुख-दुख में उनका साथ देंगे। बहनें इस दिन अपने भाइयों के लिए उपवास भी रखती हैं। रक्षाबंधन बांधने के बाद भाई-बहन एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं। रक्षा बंधन पर निबंध 2024 के जरिए इस पर्व को सही तरीके से मनाने की जानकारी ऊपर लेख में दी गई है। 

साल 2024 में रक्षाबंधन (rakshabandhan 2024) का पर्व सोमवार के दिन 19 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष इस पर्व को श्रावण माह के पूर्णिमा पर मनाया जाता है।

रक्षाबंधन मंत्र का पाठ करते हुए रक्षाबंधन 2024 को भाई की कलाई पर बाँधा जाना चाहिए। नीचे रक्षाबंधन मंत्र दिया गया है।

येन बद्धो बलिः राजा दानवेंद्रो महाबल। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

इस मंत्र का पाठ करते हुए पुरोहित भी अपने यजमान को रक्षासूत्र बाँधते हैं।

रक्षाबंधन का पर्व प्रेम और पवित्रता का पर्व है। यह पर्व भाई और बहनों के लिए एक दूसरे की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करने का दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई उन्हें कोई तोहफा देने के साथ-साथ जीवन भर के सुख-दुख में उनका साथ देने का वादा करते हैं। इस पर्व की वजह से भाई-बहनों के रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है।

किसी भी लेख को लिखने के लिए जरूरी है कि उसके बारे में जरूरी जानकारी जुटाई जाए। इस लेख में रक्षाबंधन पर निबंध उपलब्ध है। इस निबंध को पढ़ कर राखी पर निबंध (essay on rakhi) लिखने की जानकारी मिल जाएगी।

रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियाँ मौजूद हैं। उनमें से ऐतिहासिक तौर पर एक लोकप्रिय कथा यह है कि चित्तौड़ की महारानी कर्णवती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेज कर उनसे बहादुर शाह के हमले से सुरक्षा के लिए मदद मांगी थी, रक्षाबंधन के फ़र्ज को निभाने के लिए हुमायूँ ने चित्तौड़ की रक्षा के लिए सैन्य मदद भेजी।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। बचपन के इस चुलबुले,  इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने और एक-दूसरे के लिए संकट की हर घड़ी में साथ रहने के वादे को सशक्त बनाने के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार रिश्तों को मजबूत बनाने और दो परिवारों को घनिष्ठता के सूत्र में बाँधने का काम करता है। रक्षाबंधन को लेकर कई प्रचलित कहानियाँ मौजूद हैं जोकि इस लेख में दी गई हैं। हालांकि इसे हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है, लेकिन इस पर्व के शुरुआत की एक कहानी जैन धर्म में भी सुनने को मिलती है।

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Raksha Bandhan Essay in Hindi

Raksha Bandhan Essay in Hindi: रक्षाबंधन पर निबंध

क्या आप भी “Raksha Bandhan Essay in Hindi” की तलाश कर रहे हैं? यदि हां, तो आप इंटरनेट की दुनिया की सबसे बेस्ट वेबसाइट essayduniya.com पर टपके हो. यदि आप Raksha Bandhan Essay in Hindi, Raksha Bandhan Par Nibandh, Essay on Raksha Bandhan in Hindi यही सब सर्च कर रहे हैं तो आपका इंतजार यही पूरा होता है.

Raksha Bandhan Essay in Hindi

यहां हम आपको “Raksha Bandhan Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Essay on Raksha Bandhan in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Raksha Bandhan Essay in Hindi 100 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 100 शब्दों में)

रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। इसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन 30 अगस्त 2023 के दिन आ रहा है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है। इस त्यौहार के लिए बच्चे सबसे ज्यादा उत्साहित रहते हैं। रक्षाबंधन के दिन कई प्रकार के पकवान और मिठाइयां बनाई जाती है। इस दिन बहने अपने भाईयों की आरती उतारकर राखी बांधती हैं, एवम मिठाई खिलाती हैं। भाई भी अपनी बहनों को इस दिन उपहार देते हैं। यह भाई बहनों के बीच में प्रेम और स्नेह का त्यौहार है। 

रक्षा बंधन पर 10 लाइन निबंध गणेश चतुर्थी पर निबंध शिक्षक दिवस पर निबंध जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में जल ही जीवन है पर निबंध विज्ञान के चमत्कार निबंध स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

Raksha Bandhan Essay i Hindi 150 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 150 शब्दों में)

रक्षाबंधन जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार हर साल अगस्त के महीने में श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है-रक्षा का बंधन है। यह त्यौहार मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई भी बदले में अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह त्यौहार भाई-बहनों के रिश्तों को समर्पित है। इस दिन लोगों के घरों में पकवान और मिठाइयां बनाई जाती हैं, एवम सबके बुआ और मामा एक दूसरे के घर जाकर राखी का त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार बहन और भाई के प्रेम, स्नेह के रिश्ते का प्रतीक है। मुझे रखी का त्यौहार सभी त्यौहारों में से बहुत पसंद है, जिसका मैं पूरे साल इंतजार करती हूं।

Raksha Bandhan Essay in Hindi 20 0 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 200 शब्दों में)

रक्षाबंधन का पर्व हर साल अगस्त के महीने में आता है। यह हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसे देश भर में लोग अपनी परंपराओं के अनुसार मानते हैं। कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाईयों के लिए व्रत भी रखती हैं। यह त्यौहार भारत के अलावा भी कई जगहों पर मनाया जाता है। हर साल रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है। इस दिन सभी लोग नए वस्त्र पहनकर तैयार होते हैं और घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। यह त्यौहार पौराणिक समय से ही मनाया जाता रहा है।

पुराने समय में जब राजा और राजकुमार युद्ध पर जाया करते थे, तब बहनें उन्हें रक्षासूत्र बांधकर भेजती थीं। रक्षाबंधन का त्यौहार में भाई बहन के अलावा, बुआ अपने भतीजों को भांजी अपने मामाओं को भी राखी बांधती हैं। यूं तो यह त्यौहार मुख्य रूप से भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। लेकिन आज प्रकृति संरक्षण हेतु पेड़ों को भी रखी बांधने की परम्परा शुरू हो गई है। जिसमें हम पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं, वहीं पेड़ भी हमें शुद्ध वायु देकर हमें जीवन प्रदान करते हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं। 

Raksha Bandhan Essay in Hindi 2 50 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 250 शब्दों में)

रक्षाबंधन का अर्थ है, रक्षा + बंधन, यानी की रक्षा का बंधन। इसे राखी भी कहा जाता है। यह त्यौहार प्रमुख रूप से भारत में हिंदुओं, जैन और अन्य समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी रखी बांधती है। बहने इस दिन का पूरे साल इंतजार करती हैं। इस दिन वे सुबह जल्दी स्नान करके अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाती हैं, और आरती उतारकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं और कई सारे उपहार भी देते हैं। इस दिन घरों में सजावट की जाती है, सभी लोग नए वस्त्र पहनकर तैयार होते हैं, और पकवान मिष्ठान आदि खाते हैं। इस दिन कई लोग अपनी नानी के तो कई लोग अपनी दादी के घर जाते हैं। जहां वे मामा, मौसी, बुआ के साथ मिलकर राखी का त्यौहार मनाते हैं। 

खुद को एक नए जमाने का व्यक्ति दिखाने के लिए हम लोगों ने काफी सारी पुरानी सभ्यताओं में बदलाव करना शुरू कर दिया है। हम शिक्षित होने की आड़ लेकर अपनी पूजा पद्धति को बदलते जा रहे हैं। हमें कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए हमें हमेशा अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों को सही ढंग से मनाना चाहिए। राखी का त्यौहार भी आजकल नए तरीके से मनाया जा रहा है। इस त्यौहार की कई रस्मों में परिवर्तन कर दिया गया है। लेकिन हमें दोबारा से अपने त्यौहारों का महत्व समझ उन्हें पुनः वास्तविक रस्मों के साथ मनाना चाहिए।

हमारी संस्कृति में जितने भी पर्व आते हैं। उनका एक विशेष महत्व होता है इसके अलावा हमारे पूर्वजों ने जो भी पर्व बनाए हैं। वह सब किसी खास मकसद के साथ बनाए गए हैं। राखी का यह पर्व मुख्य रूप से भाई-बहन के लिए बनाया गया है। यह त्यौहार एक भाई के प्रति उसके बहन का प्यार एवं एक भाई का उसकी बहन के प्रति रक्षा के वचन को दर्शाता है। यह त्यौहार केवल आपसी खुशी के लिए नहीं है, बल्कि इसका महत्व आपसी खुशी से कई ज्यादा है। एक व्यक्ति या महिला जिसे भी अपना रक्षक समझती है, वह उसे राखी अपनी रक्षा की जिम्मेदारी उसे दे सकती है।

Raksha Bandhan Essay in Hindi 30 0 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 300 शब्दों में)

भाई-बहनों के रिश्तों को समर्पित यह राखी का त्यौहार हर साल अगस्त के महीने में आता हैं। यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। यह त्यौहार पौराणिक समय से मनाया जाता रहा है। इस दिन बहनों द्वारा अपने भाईयों के लिए व्रत रखने की भी मान्यता है, जो कई जगह पर मानी जाती है। अन्य त्यौहारों की तरह ही राखी का त्यौहार भी लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके और अंदाज में मनाया जाता है। इस दिन बहनें सुबह उठकर जल्दी स्नान कर नए वस्त्र धारण कर तैयार होती हैं, और फिर राखी की थाल तैयार करती हैं। इस थाली में कुमकुम, अक्षत (चावल), नारियल, रुमाल, राखी और मिठाई रखी जाती है।

बहनें अपने भाईयों के लिए कई प्रकार की राखी लाती हैं, जैसे फैंसी राखी, सोने या चांदी की राखी। सबसे पहले बहने अपने भाईयों के सिर पर रूमाल रखती हैं, और उन्हें टीका लगती हैं। इसके बाद वे नारियल पर टिका लगाकर भाई को देती हैं। फिर भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहन के पांव छूकर उसे उपहार देता है। कई घरों में लड्डु गोपाल को राखी बांधने की परंपरा होती है। जिसमें सबसे पहले लड्डु गोपाल को राखी बांधने के बाद ही भाईयों को राखी बांधी जाती है। रक्षाबंधन पर भाई के अलावा, लड़कियां अपने पिता, अपनी भाभी, मामी, अपने मामा या चाचा, बुआ अपने भतीजे, भांजी अपने मामाओं को भी राखी बांधती हैं।

यह त्यौहार अब रिशेतदारों और परिवार जनों को राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है। इस दिन प्रकृति संरक्षक द्वारा पेड़-पौधों को राखी बांधी जाती हैं, क्योंकि वे हमें शुद्ध वायु देकर और पर्यावरण में संतुलन रखकर हमारे जीवन की रक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी एक-दूसरे को राखी बाँधते हैं, जो भगवा रंग की होती है। यह त्यौहार प्रेम और सौहार्द का त्यौहार है, रक्षा का वचन देने और रक्षा करने वाले के लिए प्रेम प्रकट करने का त्यौहार है, जो पहले हमारे पूर्वजों द्वारा मनाया जाता था, आज हमारे द्वारा मनाया जा रहा है, और आगे भी मनाया जाता रहेगा।

Raksha Bandhan Essay in Hindi 50 0 Words ( रक्षाबंधन पर निबंध 500 शब्दों में)

राखी का यह त्यौहार आपसी प्रेम के लिए समर्पित है। वर्तमान के समय में आपसी रंजिश को दूर करने के लिए देश के कई बड़े राजनेताओं द्वारा एक दूजे को राखी बांधी जा रही है। राखी का यह त्यौहार नफरत को मिटाकर एकता का प्रतीक बनता है। यह त्यौहार प्रेम का त्यौहार है। एक इंसान जिस भी चीज से प्यार करता है, उसे राखी बांधता है। जैसा कि आजकल कई लोगों द्वारा पर्यावरण की रक्षा के लिए आस-पास मौजूद पेड़-पौधों को राखी बांधते हैं, अपने वाहनों को राखी बांधते हैं, कारखाने में उपयोग की जाने वाली मशीनों को राखी बांधते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है, पहले गुरुकुल में गुरुओं द्वारा अपने शिष्यों को राखी बांधी जाती थी।

रक्षा बंधन मनाने की विधि

राखी का त्यौहार सावन के पवित्र माह में मनाया जाता है। इसे मानने की विधि सबसे अलग होती है। यहां एक पावन त्यौहार है, जिसे पूरी पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा की थाली सजाती हैं। पूजा की थाली में कुमकुम, राखी, रोली दीपक, अक्षत मिठाई रखकर उस थाली को भगवान के आगे रखती हैं। उस राखी की थाल से सबसे पहले भगवान की आरती उतारी जाती है, एवं उन्हें एक राखी समर्पित की जाती है। उसके बाद बहने अपने भाईयों की आरती उतारती है। उनके सिर पर रुमाल रखती हैं, माथे पर तिलक कर अक्षत डाल उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। इसके बाद अंत में भाई अपनी बहन को उपहार देता है। दोनों भाई-बहन एक दूजे को मिठाई खिलाकर त्यौहार की बधाई देते है।

रक्षा बंधन कैसे मनाते है?

प्राचीन काल में रक्षाबंधन काफी अलग तरीके से मनाया जाता था। हमारे वेद पुराणों में राखी का महत्व कुछ अलग ही बताया गया है। राखी का धागा सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना गया है, क्योंकि एक बार कोई महिला अगर इस धागे को किसी भाई के हाथ पर बांधती हैं, तो वह भाई हमेशा उस बहन की रक्षा करता है। इसे बहन के प्रति भाई के समर्पण का प्रतीक भी माना जाता है। लेकिन आज यह त्यौहार काफी अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन सभी बहने नई नई फैंसी-फैंसी तरह की राखियां लाकर अपने भाईयों को बांधती हैं। कुछ बहनें अपने भाईयों को सोने व चांदी से निर्मित राखियां भी बांधती हैं, एवं राखी के बदले अपने भाई से अच्छे उपहार की भी मांग करती हैं।

रक्षाबंधन का महत्व

Raksha bandhan essay in hindi 1000 words ( रक्षाबंधन पर निबंध 1000 शब्दों में).

रक्षाबंधन या राखी का त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भारत में यहां त्यौहार मुख्य रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसके अलावा जैन धर्म के लोग भी इस त्यौहार को मनाया जाता हैं। भारत में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन का माहौल देखने लायक होता है, और हो भी क्यों ना आखिर या त्यौहार भाई और बहनों के लिए जो है। हिंदू संस्कृति में यह एकमात्र ऐसा दिन है, जो खासकर भाई बहनों के लिए बना हुआ है। इस दिन भाई और बहन आपसी प्रेम को दर्शाते हैं। भारत देश के अलावा विश्व के कई बड़े देशों में भी राखी का त्यौहार मनाना शुरू कर दिया गया है। इंसानों द्वारा इस त्यौहार को रक्षा का प्रतीक त्यौहार मानकर मनाना शुरू किया गया है। एक व्यक्ति जिस भी चीज पर निर्भर होता है, एवं जिसे वह अपना रक्षक समझता है, उसे वह राखी बांधता है।

यूं तो भारत में भाई बहनों का आपसी प्रेम दर्शाने के लिए किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं होती और ना ही भाई बहन का प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन पर मोहताज है। लेकिन किन्हीं खास धार्मिक मान्यताओं और महत्त्व के कारण यह रक्षाबंधन का त्यौहार इतना खास है। सदियों से चला आ रहा यह त्यौहार आज भी सारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा याने की जुलाई अगस्त के माह में यह त्यौहार मनाया जाता है। भारत की प्राचीन कथाओं में कई बार राखी का वर्णन किया गया है। यह एक ऐसी रसम होती है, जिसमें एक लड़की/महिला किसी व्यक्ति को अपना भाई मानकर उसे अपनी रक्षा का जिम्मा देती है। इस दिन भाई भी अपनी बहनों को जीवन भर रक्षा का वचन देता है।

रक्षा बंधन का इतिहास

राखी का सबसे पहले उल्लेख राजा बलि की कथा से मिलता है। एक बार की बात है, राजा बलि ने एक यज्ञ पूरा कर स्वर्ग पर अधिकार जमाने की कोशिश की, इस बात से चिंतित होकर देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर जाकर वामन अवतार लिया और यज्ञ समाप्त होते ही राजा बलि के पास जाकर भिक्षा मांगी। उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और राजा से यह वचन लिया कि तीन पग में जितनी भूमि आएगी वह उनकी होगी। राजा बलि ने उन्हें वचन दिया, तब भगवान ने एक पग में धरती और दूसरे पग में आकाश पाताल नाप दिया, जब तीसरा पग रखने के लिए कहीं जगह ना मिली तो राजा बलि ने भगवान से कहा कि आप मेरे सर पर पर रख दें। इस बात से चिंतित लक्ष्मी जी ने राजा बलि की भक्ति को देख उसके प्राण को बचाने का सोचा। तब नारद जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप जाकर राजा बलि को राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लें। माता लक्ष्मी ने ऐसा ही किया उन्होंने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। भगवान ने राजा बलि को रसातल भेज दिया और माता बदले में भगवान को वापस लेकर आ गई।

इतिहास में राखी की दूसरी कथा का वर्णन महारानी कर्मावती से जुड़ा हुआ है। एक बार की बात है, मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हिमायू को राखी भेजकर अपनी रक्षा की प्रार्थना की थी हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी के बंधन की लाज रखी। हुमायूं ने महारानी कर्मावती की राखी को स्वीकार किया। महाभारत काल के दौरान भी राखी का पर्व मनाया जाता था। जब श्री कृष्ण भगवान ने शिशुपाल का वध किया था तो उनकी तर्जनी उंगली में चोट आ गई थी तब द्रोपती ने भगवान कृष्ण का बहता हुआ लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ उनकी उंगली पर पर बांधा था। भगवान श्री कृष्ण ने उसे राखी के रूप में स्वीकार कर द्रोपती को रक्षा का वचन दिया था। उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा ही थी। जब द्रोपदी का चीर हरण किया जा रहा था तब, कृष्ण भगवान ने द्रौपदी की रक्षा कर अपना कर्ज चुकाया और इस त्यौहार को एक रक्षा का प्रतीक बनाया।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

भाई-बहन के आपसी संबंध और प्रेम भावना को दर्शाने के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन भाईयों को बहनों के लिए उनके कर्तव्य का एहसास होता है। बहने इस दिन अपने भाई की लम्बी आयु, खुशहाली और तरक्की की कामना करती हैं और अपने भाई के लिए अपने प्रेम को प्रकट करती हैं। यह त्योहार भाई और बहनों दोनों को ही उनके बीच के प्रेम और उनके प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है इसलिए ही रक्षाबंधन का इतना महत्त्व हैं। एक समाज में महिलाओं और लड़कियों की क्या महत्वता है, इसका एहसास भी उन्हें आज के त्यौहार के माध्यम से पता चलता है। इसके महत्व के कारण ही इसे पौराणिक काल से लेकर आज तक मनाया जाता रहा है और आगे भी इसी प्रकार मनाया जाता रहेगा। 

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार हिंदू संस्कृति के प्रतीक माने जाते हैं। यह त्यौहार सभी हिंदुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। सारे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर बहनों के लिए एक खास त्यौहार मनाया जाता है। दूसरी और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बेटियों को गर्भ में ही मार देते हैं। रक्षाबंधन के दिन लाखों भाईयों की कलाई सूनी रह जाती है, क्योंकि उनके माता-पिता उनकी बहन को गर्भ में ही मार देते हैं और बहन के प्यार को छीन लेते हैं। यह हम सभी भारतीयों के लिए काफी शर्म की बात है हमारे धर्म में कन्या पूजन सदियों से चला आ रहा है। हमारे वेद शास्त्रों में कन्या को एक देवी का रूप माना जाता है, फिर भी भ्रूण हत्या के मामले सामने आ रहे हैं। यह त्यौहार केवल भाई-बहनों का नहीं बल्कि सारे समाज का होता है। इस दिन समाज के सभी लोगों को एक दूजे की रक्षा का प्रण लेना चाहिए। सभी लोगों को समझ में मौजूद सभी बहन बेटियों की रक्षा का प्रण लेना चाहिए।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Raksha Bandhan Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Essay on Raksha Bandhan in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Raksha Bandhan Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay On Raksha Bandhan In Hindi)- हमारा देश अनेक रिश्तों के बंधनों में बंधा हुआ देश है, जिसमें से एक पवित्र रिश्ता भाई और बहन का भी है, जो प्रेम की एक ऐसी अटूट डोर से बंधा हुआ है जिसे चाह कर भी कभी तोड़ा नहीं जा सकता। भाई-बहन के इस पवित्र बंधन का ही पवित्र पर्व है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)। रक्षाबंधन दो शब्दों रक्षा और बंधन के मेल से बना हुआ है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई भी जीवनभर अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले रक्षाबंधन के पर्व को राखी (Rakhi) का त्योहार भी कहते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार मुख्य रूप से हिंदू धर्म के लोगों का त्योहार है, जिसे हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर और माथे पर तिलक लगाकर मनाती हैं। भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि ये भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला मुख्य अधार है। हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी रक्षाबंधन के त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं। रक्षाबंधन के त्योहार को राखी का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन कच्चे सूत्र से बनी राखी का महत्त्व सबसे अधिक होता है।

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पवित्र प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम के प्रतीक को सदियों से दर्शाता हुआ चला आ रहा है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है रक्षा का बंधन। जब एक भाई रक्षासूत्र के समान राखी अपनी कलाई में बांध लेता है, तो वह इस पवित्र प्रेम बंधन से बंध जाता है और अपने प्राणों की चिंता किये बिना भी हर हाल में अपनी बहन की रक्षा करता है। रक्षाबंधन भाई और बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक के साथ-साथ भाई-बहन के रिश्ते की अटूट डोर का भी प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्योहार भावनाओं और संवेदनाओ का त्योहार है, जिसमें हर भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन उसे देता है।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का त्योहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि ये हर भाई को अपनी बहन के प्रति उसके कर्तव्य को याद दिलाता है। रक्षाबंधन के मौके पर हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसके हमेशा खुश रहने और स्वस्थ रहने की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन को बदले में ये वचन देता है कि कोई भी विपत्ति आ जाये, वो भी अपनी बहन की हमेशा रक्षा करेगा।

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?

भाई-बहन के बीच का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन हर साल मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अगस्त के महीने में आती है।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन के त्योहार की शुरुआत सुबह से ही हो जाती है। भाई और बहन सबसे पहले भगवान की पूजा करते हैं। पूजा करने के बाद बहनें एक थाली में रोली, चावल, कुमकुम, दीपक, राखी और मिठाई रखकर उसे सजाती हैं। थाली सजाने के बाद बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, दीपक जलाकर उनकी आरती उतारती हैं और उनकी कलाई पर राखी बांधकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं। राखी बांधते वक्त बहनें अपने भाई की खुशी, लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलाता है और बदले में कोई उपहार या पैसे देकर उनके पैर छुता है। अपनी कलाई में रक्षासूत्र के समान राखी बंधवाकर भाई भी अपनी बहन को वचन देता है कि वह जीवनभर उसकी रक्षा करेगा। आखिर में भाई और बहन सैल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने वाली रस्म को पूरा करके रक्षाबंधन के त्योहार को पूरा करते हैं।

रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत कब से हुई?

रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई, ये तो निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और कहानियां सुनने को मिलती हैैं। ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत काल में इस पर्व का वर्णन है। भविष्य पुराण में भी रक्षाबंधन का वर्णन मिलता है, जिसमें बताया गया है कि एक बार देव और दानवों में युद्ध हुआ, तो दानव हावी होने लगे। तब भगवान इंद्र घबराकर बृहस्पति के पास पहुंचे। इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा अपने पति के हाथ पर बांध दिया था और वह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। रक्षाबंधन का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ भी बताया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस त्यौहार की शुरुआत लगभग छह हजार साल पहले हुई थी। ये भी सुनने को मिलता है कि रक्षाबंधन की शुरुआत सबसे पहले रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं ने की थी। इस त्योहार का एक और पौराणिक साक्ष्य मिलता है जो बताता है कि रक्षाबंधन का त्योहार भगवान कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ा हुआ है। अगर देखा जाए तो रक्षा बंधन पर्व के इतिहास से जुड़े हुए कई प्रसंग हमारे सामने आते हैं।

आज के जीवन में रक्षाबंधन या राखी का त्योहार केवल भाई-बहन के रिश्ते को ही नहीं दर्शाता बल्कि ये भी बताता है कि उस रिश्ते को पूरी श्रद्धा और विश्वास के धागे के साथ कैसे निभाया जाए। हर राखी बंधवाने वाले भाई को और राखी बांधने वाली बहन को यह कोशिश करनी चाहिए कि वह उस रिश्ते को पूरी निष्ठा और कर्तव्य के साथ निभाएं।

रक्षाबंधन पर निबंध 100 शब्दों में

रक्षाबंधन का त्योहार भारत के मुख्य त्योहारों में से एक है, जिसे राखी भी कहा जाता। ये त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन विशेष रूप से भाई-बहन का त्योहार होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से रक्षाबंधन अगस्त के महीने में आता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है। रक्षाबंधन वाले दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी हर इच्छा पूरी हो, ऐसी कामना भी करती है। बदले में भाई भी अपनी बहन को हर तरह की मुसीबत से बचाने का और उसकी जीवनभर रक्षा करने का वचन देता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और मजूबत बनाता है।

रक्षाबंधन पर निबंध 150 शब्दों में

रक्षाबंधन दो शब्दों रक्षा और बंधन के मेल से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है, रक्षा का बंधन या रक्षा करने वाला बंधन। रक्षाबंधन मुख्य रूप से हिंदू धर्म के लोगों का त्योहार है, लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इसे खुशी के साथ मनाते हैं। रक्षाबंधन के त्योहार से कुछ दिन पहले ही बाजार सजने शुरू हो जाते हैं। बाजारों में राखियों की दुकान लगना शुरू हो जाती है और मिठाइयों की दुकान में भी भीड़ लगी रहती है।

बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर-सुंदर राखी खरीदती हैं और भाई अपनी बहनों को देने के लिए कोई उपहार खरीदते हैं। रक्षाबंधन वाले दिन सभी घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है, माथे पर तिलक और चावल लगाती हैं और मिठाई खिलाकर उनकी लंबी आयु और जीवनभर खुश रहने की मंगल कामना करती है। राखी बंधवाने के बाद भाई भी अपनी बहनों को कोई उपहार या नकद पैसे देकर हर तरह से उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन पर निबंध 300 शब्दों में

रक्षाबंधन मुख्य रूप से भाई-बहन का त्योहार होता है। ये हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे राखी का त्योहार भी बोलते हैं। क्योंकि इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है। राखी का त्योहार भाई-बहन के रिश्तों को और भी मजबूत बनाने के लिए हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को भारत के लगभग हर राज्य में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के लोग ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी रक्षाबंधन का त्योहार मानते हैं।

रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई को कच्चे धागे से बनाई गई राखी या रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती है। राखी भले ही कच्चे धागे से बनाई जाती है लेकिन भाई की कलाई पर बंधने के बाद वह अटूट हो जाती है। रक्षाबंधन के त्योहार को मनाने का अपना एक विशेष नियम और तरीका होता है, जिसका हम सभी को पालन करना चाहिये। रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले भाई-बहन को भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद बहन को एक थाली तैयार करनी चाहिए जिसमें रोली, अक्षत, कुमकुम और एक दीपक जला हुआ हो। फिर बहनों को अपने भाइयों की आरती उतारनी चाहिए और उनकी लंबी उम्र तथा समृद्धि की मंगलकामना करते हुए उन्हें राखी बांधनी चाहिए और मिठाई भी खिलानी चाहिए। इसके बाद भाइयों को अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देना चाहिए कि वह उनकी हमेशा रक्षा करेंगे और उन्हें कोई उपहार भी भेंट करना चाहिए।

रक्षाबंधन का पर्व हर साल इसीलिए मनाया जाता है कि हमें इस बात का एहसास हो सके कि एक बहन द्वारा अपने भाई के प्रति उसके क्या कर्तव्य हैं और भाई भी इस बात को न भूले की उसे अपनी बहन की किस तरह से रक्षा करनी है। जो रक्षासूत्र एक बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है उसमें इतनी शक्ति होती है कि वह उसे इस बात का एहसास दिलाता है कि हर विकट परिस्थिती में भी वह रक्षासूत्र उसकी रक्षा करेगा और ठीक उसी तरह वह भी हर मुसीबत में अपनी बहन की रक्षा करनी की कोशिश करेगा।

रक्षा बंधन पर 10 लाइन निबंध

  • रक्षाबंधन का त्योहार मुख्य रूप से हिंदू धर्म के लोगों का त्योहार है।
  • हर साल रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • रक्षाबंधन के त्योहार को राखी का त्योहार भी कहा जाता है।
  • रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन का पर्व है जो उनके बीच पवित्र प्रेम के प्रतीक को दर्शाता है।
  • रक्षाबंधन वाले दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।
  • इस दिन बहनें अपने भाई की खुशी, लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं।
  • भाई भी अपनी बहन को वचन देता है कि वह जीवनभर उसकी रक्षा करेगा।
  • ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत लगभग छह हजार साल पहले हुई थी।
  • रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और मजूबत बनाता है।
  • हिन्दू धर्म के लोग ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी रक्षाबंधन का त्योहार मानते हैं।

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प्रश्न 1- हमारे देश में राखी का क्या महत्व है? उत्तरः राखी का त्योहार भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम का प्रतीक है।

प्रश्न 2- रक्षाबंधन का इतिहास क्या है? उत्तरः रक्षाबंधन के इतिहास को लेकर कई पौरणिक कथाएं और कहानियां सुनने को मिलती हैं।

प्रश्न 3- रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है निबंध? उत्तरः इस जवाब के लिए ऊपर दिए गए रक्षाबंधन निबंध हिंदी को पढ़ें।

प्रश्न 4- राखी कैसे मनाई जाती है? उत्तरः बहन के द्वारा भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर राखी का त्योहार मनाया जाता है।

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Raksha Bandhan- रक्षाबंधन पर निबंध (150, 300, 500 शब्दों में)

HP Jinjholiya

Raksha Bandhan- रक्षाबंधन हर भाई औऱ बहन के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व हैं जो एक बहन के लिए भाई औऱ भाई के लिए बहन की अहमियत को दर्शाता हैं और इस दिन कच्चे धागों के साथ पक्के रिश्तों को जोड़ा जाता हैं जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

रक्षाबंधन को भाई-बहन का त्यौहार माना जाता हैं क्योंकि इस दिन सभी बहने अपने भाईयो को राखी बांधती हैं और भाई उसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व लेता हैं इसलिए यह त्यौहार हर साल बहुत ही खुशी से मनाया जाता हैं।

रक्षाबंधन समाज मे फैली बहुत सारी कुर्तियों को समय-समय पर नष्ट करने के लिए भी प्रेरित करता हैं आज हम आपको रक्षाबंधन के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले है जैसे रक्षाबंधन क्या है, कैसे मनाया जाता है और रक्षाबंधन पर निबंध इत्यादी।

आज हम आपको Raksha Bandhan- रक्षाबंधन पर छोटा, मीडियम औऱ लंबा हर तरह की लम्बाई के निबंध प्रदान करने वाले हैं उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखे गए निबंध पसंद आयगे सबसे पहले कुछ जरूरी चीजें जान लेते है।

All Heading

रक्षाबंधन क्या है और क्यों मनाया जाता है

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) हिंदू समाज में मनाया जाने वाला भाई बहन का मुख्य त्यौहार है औऱ रक्षाबंधन के त्यौहार को राखी के नाम से भी जाना जाता है राखी के धागों में भाई-बहन के स्नेह की भावना भरी होती है यह त्योहार प्राचीन समय से चलता आ रहा है।

इस दिन भाई बहन के प्यार का कुछ अलग ही एहसास होता है क्योंकि रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर पूरी जिंदगी इस रिश्ते को इतने ही प्यार और साहस से निभाने का वचन याद दिलाती है और भाई की दीर्घायु की कामना करती हैं।

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) का इतिहास –

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) मनाने की प्रथा सन 1535 में शुरू हुई जब बहादुर शाह ने रानी कर्णावती का अपमान किया था तब कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपनी मदद करने के लिए पुकारा था तब से ही रक्षाबंधन भाई द्वारा बहन की रक्षा करने का पर्व बन गया।

इसी तरह रक्षाबंधन बंधन को मनाने की प्रथा से जुड़े और भी बहुत से तर्क पुराणों में दिए गए मुख्य रूप से यह त्यौहार हिंदू व जैन धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता है। जैन धर्म में भी रक्षाबंधन का बहुत महत्व है क्योंकि इस दिन ही जैन धर्म के 1 मुनि ने 700 मुनियों के प्राण बचाए थे इसलिए जैन धर्म से जुड़े लोग इस दिन हाथ में सूत की डोरी बांधते हैं।

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) मनाने की प्रथा समाज को प्यार और अपनेपन का संदेश देती है इसलिए लोग इसे सदियों से मनाते आ रहे हैं रक्षाबंधन हर वर्ष हिंदू श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने लगा श्रावण मास या सावन में आने के कारण इस त्योहार को बहुत से लोग श्रावणी और सलोनी भी कहते हैं।

रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay Hindi Word 250

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) भारतीय समाज में मनाया जाने वाला प्राचीन त्योहार है यह त्यौहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। रक्षाबंधन धार्मिक पौराणिक और ऐतिहासिक भावनाओं से जुड़ा ऐसा पर्व है जिससे बहुत से तर्क जुड़े हैं।

वैसे तो भाई बहन का रिश्ता बहुत अतुल्य होता है वह आपस में चाहे जितना लड़ ले, परंतु रक्षाबंधन के दिन वह मिल ही जाते हैं। यह त्योहार ही भाई-बहन के प्रति आपसी स्नेह, एकजुटता और विश्वास का प्रतीक है।

रक्षाबंधन मनाने का कारण

वैसे तो रक्षाबंधन से बहुत से तर्क जुड़े हैं और उन तर्को में से एक प्रसिद्ध तर्क यह भी है कि एक युद्ध के दौरान श्री कृष्ण की उंगली पर चोट लग गई थी तो श्री कृष्ण की चोट पर द्रोपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा बांध दिया था तब श्री कृष्ण ने हर संकट से द्रोपदी की रक्षा करने का वचन दिया था।

रक्षाबंधन भाई बहन का पर्व

रक्षाबंधन, रक्षा करने का वादा देने का दिन होता है रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की परंपरा है औऱ जैन धर्म में भी रक्षाबंधन का बहुत उत्साह देखा गया है। यह आवश्यक नहीं कि बहने, अपने सगे भाई को ही यह रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधे। वह इच्छा अनुसार किसी को राखी बांधकर इस पवित्र रिश्ते की शुरुआत कर सकती हैं।

भाइयों और बहनों के लिए रक्षाबंधन एक विशेष महत्व रखता है। यह त्यौहार तो देवी देवताओं द्वारा भी मनाया जाता है जिसके कई तर्क हमें दिए गए हैं हमें इस पवित्र त्यौहार को अच्छी भावना के साथ खुशी-खुशी मनाना चाहिए।

रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay Hindi Word 500

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) से बहुत से तर्क जोड़े गए हैं कोई देवी-देवताओं से जुड़े हुए तो कोई राजा महाराजाओ से जुड़े हुए रक्षाबंधन बहुत से तर्को से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि राजा सिकंदर की पत्नी ने उसके एक हिंदू शत्रु पूरू को युद्ध के समय रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधकर अपना मुंह बोला भाई बना लिया और उस राखी के बदले उससे अपना सुहाग मांग कर युद्ध में उसे ना मारने का वचन ले लिया था।

तभी से यह रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधने की प्रथा शुरू हुई और भी बहुत से तर्क इस त्यौहार से जुड़े हैं जैसे रानी कर्णावती द्वारा हुमायूं को रक्षा सूत्र भेजने का तर्क, द्रोपदी द्वारा श्रीकृष्ण को रक्षा सूत्र बांधने का तर्क व लक्ष्मी देवी द्वारा राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने का तर्क यह एक त्यौहार बहुत से तर्को से जुड़ा है।

रक्षाबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

1. रक्षा और बंधन 2 शब्दों का मेल है।

2. यह शब्द रक्षाबंधन जिसमें रक्षा का अर्थ है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है बाध्य।

3. इस दिन भाई अपनी बहनों की हर हाल में रक्षा करने का वादा करते हैं।

4. रक्षाबंधन भाई बहन द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है जिसमें बहने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उसके मंगल जीवन की कामना करती हैं ।

5. पहले के समय में जब राजा महाराजा हुआ करते थे तब युद्ध का बहुत भय रहता था तब यह रक्षा सूत्र राजा महाराजाओं की युद्ध में रक्षा करने का प्रतीक हुआ करता था। आज के समय में युद्ध तो नहीं परंतु बहने भाई की अच्छे स्वास्थ्य और मंगलमय जीवन की प्रार्थना करती है।

6. यह त्योहार आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है कुछ पंक्तियाँ भाई बहन के इस पर्व के लिए-

भाई छोटा हो या बड़ा, राखी जरूर बंधवाता है। जितना चाहे हो व्यस्त जीवन में,पर रक्षाबंधन के दिन  बहन को मिलने जरूर आता है। भाई बहन को मिलवाने हर वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार भी आता है।

रक्षाबंधन से जुड़ी भाई-बहन की भावना-

पूरे साल चाहे भाई-बहन अपने व्यस्त जीवन में लगे रहे परंतु रक्षाबंधन के दिन वह एक दूसरे से जरूर मिलने की कामना करते हैं रक्षाबंधन मनाने का एक उद्देश्य भाई बहनों को मिलवाना भी होता है जो कई कारणवश पूरे साल एक दूसरे से नहीं मिल पाते परंतु यह रक्षाबंधन का त्योहार उन्हें मिलवा देता है।

आज के समय में रक्षाबंधन का अपना एक अलग ही महत्व बन चुका है पहले की अपेक्षा आज कल की पीढ़ी में अपनेपन और सम्मान की भावना खत्म होती जा रही है जिसमें रक्षाबंधन का त्योहार सम्मान देने और सम्मान लेने का प्रतीक है।

जहां एक ओर बहने भाई को सम्मान देते हुए एक रक्षा सूत्र बांधती हैं तो वहीं दूसरी ओर भाई भी बहनों को ताउम्र सम्मान देने और लोगों से भी दिलवाने का वादा करते हैं क्योंकि पहले के युग में स्त्रियां सुरक्षित थी परंतु आज तो स्त्रियों की सुरक्षा घर में ही संभव नहीं है तो बाहर तो बहुत ही मुश्किल है।

रक्षाबंधन से मिलने वाली सीख

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) का त्यौहार अपने घर की बहन, बेटी और बहू की रक्षा करते रहना का प्रतीक दर्शाता है और दूसरों में भी यह भावना उत्पन्न करने का प्रोत्साहन देता है रक्षाबंधन ना सिर्फ अपनी अपितु दूसरे की बहन ,बेटी व बहू को भी सम्मान की नजरों से देखने का ज्ञान देता है।

अतः रक्षाबंधन आपसी प्यार सम्मान और एकजुटता को दर्शाने वाला त्यौहार है जिसके मनाने के तर्क तो बहुत है परंतु सब का उद्देश्य आपसी प्यार ही है। भाई बहन को मिलकर इस त्यौहार को बड़े प्यार से और अपनेपन के साथ पुराने सभी गिले-शिकवे भुलाते हुए मनाना चाहिए।

रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay Hindi Word 700

भारत में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं साथ ही भारत में हिंदू समाज में मनाए जाने वाले त्योहार आपसी प्रेम को जागरूक करने वाले होते हैं जिसमें से रक्षाबंधन भी एक प्रमुख त्योहार है।

रक्षाबंधन का अर्थ-

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) राखी के नाम से भी जाना जाता है यह त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में रहने वाले भारतीय भी बहुत उत्साह और प्रेम के साथ मनाते हैं फिर चाहे दूसरे देश में होने के कारण अपनी बहनों से ना भी मिल पाए परंतु उन्हें बहुत दिल से याद करके और आजकल की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके उनसे जुड़े रहने की कोशिश करते हैं।

रक्षाबंधन से जुड़ी मान्यताएं

रक्षाबंधन मनाने के पीछे बहुत से तर्क है कई तर्क देवी देवताओं से जुड़े हैं, कई तर्क राजा-रानियों से जुड़े हैं इसमें से एक तर्क यह भी है कि पुराने समय में जब राजा महाराजा युद्ध पर जाते थे तो युद्ध पर जाने से पहले उनके घर की स्त्रियां उन्हें तिलक करके उनकी आरती उतार के और हाथ पर एक रेशम का धागा बांधकर उन्हें विजय होकर सकुशल वापस लौटने की प्रार्थना करती थी।

वही से ही राखी बांधने या रक्षाबंधन मनाने की प्रथा भी शुरू हुई जो भाई बहनों द्वारा मनाई जाती है रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा को हर वर्ष मनाया जाता है यह त्योहार श्रावणी नाम से भी जाना जाता है।

रक्षाबंधन मनाने की तैयारियां

1. रक्षाबंधन पर बाजारों में भी चहल-पहल देखी जाती है क्योंकि बहने अपने भाइयों के लिए अलग-अलग तरीके की सुंदर-सुंदर राखियां खरीदना चाहती हैं और भाई अपनी बहनों के लिए विभिन्न प्रकार के उपहार खरीदना चाहते हैं।

2. यह त्यौहार सभी भाई बहनों के लिए एक नया उत्साह और ऊर्जा पैदा करने वाले त्योहारों में से एक है।

रक्षाबंधन बनाने की विधि

1.  रक्षाबंधन पर बहने भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधती हैं और तिलक लगाती हैं।

2. बहने भाई की दीर्घायु आयु की कामना करती है।

3. भाई-बहन की हर हालत में रक्षा करने का संकल्प करते हैं।

4. संकल्प के साथ-साथ भाई उन्हें दक्षिणा के रूप में पैसे या उपहार देते हैं।

5. रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम को और मजबूत करने का एक प्रतीक भी समझा जाता है।

6.  पूरे वर्ष चाहे बहने अपने भाई से ना भी मिले पर रक्षाबंधन पर भाई से मिलने का उत्साह कुछ अलग ही होता है।

रक्षाबंधन के लाभ-

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) सिर्फ राखी बांधने मात्र का नहीं रह गया है बल्कि हमें इस रक्षाबंधन से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है क्योंकि जिस तरह से हमारे समाज में भ्रूण हत्या का गैर कानूनी काम चल रहा है आने वाले समय में यह सोचने की जरूरत है कि भाई आखिर बहनों से राखी कैसे बंधवाएंगे।

जब इस संसार में बहने आएंगी ही नहीं तो भाई किस से राखी बंधवाएंगे? रक्षाबंधन हमें यह सीख भी देता है कि हमें इस गैरकानूनी कार्य को रोकना चाहिए इस पर प्रतिबंध लगाने की बहुत जरूरत है नहीं तो आने वाले समय में रक्षाबंधन नाम के त्योहार का कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा।

रक्षाबंधन हमारे हिंदू समाज में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है यह ना सिर्फ हिंदुओं में बल्कि जैन धर्म में भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज के समय में लोग रक्षाबंधन पर पर्यावरण सुरक्षा और समाज में और कई प्रकार के होने वाले गलत कामों से समाज की रक्षा करने का भी संकल्प लेते हैं जो हमारे समाज के लिए बहुत जरूरी है।

इसलिए हमें यह त्यौहार बड़े प्यार, सच्ची भावना और उत्साह के साथ मनाना चाहिए क्योंकि यह छोटे-छोटे पल ही आपसी प्यार को बढ़ावा देते हैं और पुराने गिले-शिकवे को दूर करने के मौके भी देते हैं।

    आया आया सावन आया, लाया है राखी का त्यौहार। भूलो सारे गिले शिकवे, और मिलो सब प्रेम के साथ।

रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay Hindi Word 1000

रक्षाबंधन हिंदुओं का मुख्य पर्व है रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन मनाने की प्रथा सन 1535 में शुरू हुई जब बहादुर शाह ने रानी कर्णावती पर आक्रमण किया था। तब कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर अपनी मदद के लिए पुकारा था तब से ही रक्षाबंधन भाई द्वारा बहन की रक्षा करने का वादा करने का पर्व बन गया।

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) को मनाने के तर्क कई पुराणों में भी दिए गए हैं जिसमें से एक तर्क यह भी है कि एक समय की बात है जब राजा बलि ने एक विशाल यज्ञ करके स्वर्ग पर अपना राज करना चाहता था तो देवराज इंद्र ने स्वयं को बचाने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की तो विष्णु भगवान भी ब्राह्मण बन राजा बलि से भिक्षा लेने चले गए।

भगवान विष्णु के भिक्षा मांगने पर राजा बलि ने तीन पग जमीन उन्हें दान में दे दी तब भगवान विष्णु ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती को नाप कर राजा बलि को रसातल भेज दिया। राजा बलि भी बहुत चतुर था उसने अपने भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया।

विष्णु जी का दिया वचन सुनकर लक्ष्मी जी चिंतित हो गई तो नारद जी के सलाह देने पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और एक रक्षा सूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया औऱ रक्षा सूत्र बांधने के बदले बलि से विष्णु जी को मांग कर अपने साथ वापस ले आई।

उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी इसलिए रक्षाबंधन हर वर्ष हिंदू श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने लगा। सावन मास या सावन में आने के कारण इस त्यौहार को बहुत से लोग श्रावणी और सलोनी भी कहते हैं।

रक्षाबंधन का विभिन्न धर्मों में महत्व

मुख्य रूप से यह त्यौहार हिंदू और जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है जैन धर्म में भी रक्षाबंधन का बहुत महत्व है क्योंकि इस दिन ही जैन धर्म के 1 मुनि ने 700 मुनियों के प्राण बचाए थे इसलिए जैन धर्म से जुड़े लोग इस दिन हाथ में सूत की डोरी बांधते हैं।

सदियों से हमारे समाज में बहुत सी परंपराएं चलती आई है जो परंपराएं समाज को गलत संदेश देती है उन्हें यह समाज अपने से अलग भी करता आया है जैसे बाल विवाह ,सती प्रथा आदि। परंतु रक्षाबंधन मनाने की प्रथा समाज को प्यार और अपनेपन का संदेश देती है इसलिए लोग इसे सदियों से मनाते आ रहे हैं।

रक्षाबंधन से जुड़ी पुरानी धारणाएं-

Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) से कुछ पुरानी धारणा भी जुड़ी हुई है जैसे अगर किसी परिवार में रक्षाबंधन के दिन किसी पुरुष की मृत्यु हो जाए तो वह परिवार यह त्योहार मनाना बंद कर देता है और पुनः यह त्यौहार तभी शुरू करते हैं जब रक्षाबंधन के दिन उस परिवार को पुत्र धन की प्राप्ति हो तो।

जब रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की प्रथा शुरू हुई तो छोटी बेटी द्वारा पिता को राखी बांधी जाती थी परंतु अब बहनें ही भाई की कलाई पर राखी बांधती है। रक्षाबंधन त्योहार मनाने की प्रथा, भारत में ही नहीं यह त्योहार नेपाल और मॉरीशस में भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

रक्षाबंधन से मिलने वाली शिक्षा

अतः रक्षाबंधन का त्योहार हमारी संस्कृति को दर्शाता है हर भारतीय में यह त्योहार मनाने का एक अलग ही उत्साह देखा जाता है परंतु कई भाइयों को इस दिन उदास भी देखा जाता है क्योंकि उनके माता-पिता दुनिया में उनकी बहन को आने ही नहीं देते हैं।

यह त्यौहार हमें एक बहुत बड़ी सीख देता है कि हमें लड़कियों को गर्भ में ही नहीं मारना चाहिए क्योंकि बेटियों का महत्व हमें रक्षाबंधन पर पता लगता है और मनुष्य तो क्या यह त्यौहार तो, देवी देवताओं के समय से हमें कुछ न कुछ सिखाता चला आ रहा है। तो हमें इस पवित्र त्यौहार को सच्चे दिल और अच्छी भावनाओं के साथ मनाना चाहिए रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ पंक्तियां-

भाई बहन का रिश्ता प्यारा, कितने रंग दिखाता है। इस रिश्ते को मजबूत करने, हर वर्ष रक्षाबंधन आता है। स्नेह और अपनेपन का, प्रतीक है यह त्योहार। कभी न टूटे कभी न छूटे, बना रहे सभी भाई बहनों का प्यार।

रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का बंधन

– रक्षाबंधन हिंदू समाज में मनाए जाने वाला भाई बहन का मुख्य त्यौहार है।

– रक्षाबंधन के त्यौहार को राखी के नाम से भी जाना जाता है।

– राखी के धागों में भाई-बहन के स्नेह की भावना भरी होती है।

– यह त्योहार प्राचीन समय से चलता आ रहा है।

– प्राचीन समय में इस दिन लोग जनेऊ बदलते थे और यज्ञ करते थे।

– वैसे तो भाई बहन का प्यार किसी एक दिन का मोहताज नहीं होता परंतु इस दिन भाई बहन के प्यार का कुछ अलग ही एहसास होता है।

– रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर पूरी जिंदगी इस रिश्ते को इतने ही प्यार और साहस से निभाने का वचन याद दिलाती है और भाई की दीर्घायु की कामना करती है।

– इस त्यौहार पर बहनें अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई लेकर जाती है।

– बहन द्वारा भाई को राखी बांधे जाने के बाद बहन को दक्षिणा स्वरूप भाई रुपए और उपहार देते हैं।

– यह राखी और उपहार का आदान-प्रदान भाई बहन के रिश्ते में एक नई उमंग पैदा करता है।

– इस उत्साह के कारण साल भर फिर से राखी आने का इंतजार रहता है।

भाई बहन के प्यारे रक्षाबंधन पर कविता –

भाई बहन का रिश्ता प्यारा, कितने रंग दिखाता है।

भाई छोटा हो या बड़ा,हमेशा बड़ा ही कहलाता है। खुद चाहे जितना लड़ ले बहन से पर ,किसी के कुछ कहते ही बहन को सबसे पहले गले लगाता है।

अलग-अलग नामों से बहन को ,भाई ही चिढाता है। भाई बहन का रिश्ता प्यारा कितने रंग दिखाता है ।

बहन की चोटी खींच खींच कर ,उसको बहुत सताता है। पर जरूरत पड़ने पर ,बहन के सिर को प्यार से भी सहलाता है।

भाई बहन का रिश्ता प्यारा कितने रंग दिखाता है। अंदर से होता है चीनी सा मीठा,पर बाहर से खुद को करेला दिखाता है ।

चाहे जैसा भी हो भाई पर बहन के लिए सुपर हीरो भी बन जाता है। भाई बहन का रिश्ता प्यारा कितने रंग दिखाता है ।

मां मुझे करती ज्यादा प्यार, यह बोलकर बहन को बचपन में बहुत रुलाता है। फिर उसको चुप कराने को चॉकलेट भी लेकर आता है।

भाई बहन का रिश्ता प्यारा कितने रंग दिखाता है। भाई बहन का रिश्ता प्यारा । भाई बहन का रिश्ता प्यारा ।

तो दोस्तों हमने आपको Raksha Bandhan- रक्षाबंधन के बारे में अलग-अलग लंबाई के निबंध लिखे हैं अगर आपको हमारे यह निबंध पसंद आते हैं तो आप अपनी आवश्यकता के अनुसार स्कूलों में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही आपको भी इसके बारे में लोगों को अवगत करना चाहिए।

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2024 रक्षाबंधन पर निबंध – Raksha bandhan essay in Hindi

हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ रक्षाबंधन पर निबंध (Raksha bandhan essay in Hindi). प्रत्येक त्यौहार हमें प्रतिवर्ष अपना दिव्य सन्देश देकर विदा हो जाता है और अपनी मधुर याद हमारे लिए छोड़ जाता है. त्यौहारों का यह क्रम युगों से चलता आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा. इसी प्रकार रक्षा बंधन का त्यौहार हमें प्रेम व भाई-चारे का संदेश देने के लिए वर्ष में एक बार आता है. यह मानव को स्नेह के बंधन में बांधकर एक वर्ष के लिए पुनः विदा हो जाता है. उसके द्वारा स्थापित स्नेह व बंधुत्व सदा के लिए अमर हो जाता है.

तो और देरी न करते हुए चलिए हमारे आर्टिकल के और बढ़ते है जो है रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in Hindi ).

रक्षाबंधन पर निबंध – Essay on Raksha bandhan in Hindi         

रक्षाबंधन हमारे देश का एक पुराना पर्व है. श्रावण महीने की पूर्णिमा दिन यह पर्व बडी धूमधाम से मनाया जाता है.

धार्मिक दृष्टी से इस त्योहार का भी महत्त्व है. किम्बदन्ती के अनुसार भगवान विष्णु ने इस दिन वामन के रूप में दानव बलि को तीन पग भूमी मांगे थे. बलि को इसलिए सारा राज्य दान करना पडा था. इस महान त्याग की स्मृति में यह त्योहार भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. इस दिन वे यजमानों के हाथ में डोरी बाँध कर आशीर्वाद देते है.

देश के कोने – कोने में रक्षाबंधन बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. सभी बच्चे, स्त्री – पुरुष नयी पोषक पहनते हैं. बहनें अपने हाथ से भाइयों को राखी बांधकर मिठाई खिलाती है. भाई भी अपनी सामर्ध्य के अनुसार धन – राशि तथा अन्यप्रकार के उपहार प्रदान करते है. इसी प्रकार आनंद और हंसी – खुशी साथ यह त्योहार संपन्न होता है. रक्षा – बंधन के पवित्र लक्ष्य को हम नहीं भूलना चाहिए.

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रक्षाबंधन पर निबंध – Raksha bandhan essay in Hindi

पुराने समय से, भारतीय त्योहारों को वर्ष के विभिन्न समयों में मनाया जाता है. प्रत्येक पूर्णिमा एक त्योहार है. हर त्योहार की विशिष्टता अलग-अलग होती है. प्रत्येक पूर्णिमा का एक अद्वितीय नाम होता है. बुद्धपूर्णिमा, व्यासपूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, कुमारपूर्णिमा और दोलपूर्णिमा हिंदू लोगों के सबसे यादगार दिन हैं. इसी तरह, रक्षाबंधन एक उल्लेखनीय त्योहार है. इसे रक्षाबंधन कहा जाता है क्योंकि यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. भाईचारे का प्रतीक रक्षाबंधन. भाई और बहन का स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन है.

तात्पर्य व स्वरूप

रक्षा बंधन दो शब्द से बना है रक्षा और बंधन, जिसका अर्थ है रक्षा के लिए बंधन. जिसको रक्षा के लिए धागे की डोरी बांधी जाती है वह बांधने वाले की रक्षा के लिए सदा के लिए बंध जाता है. एहि रक्षा शब्द कालांतर में राखी के रूप में भी प्रयुक्त होने लगा है. कितना मर्यादापूर्ण है यह त्यौहार. एक छोटी-सी डोरी बांधकर वह स्नेह व बंधुत्व की डोर में बंध जाता है.

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रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व

रक्षाबंधन को लेकर पुराणों में कई रोचक और मर्मस्पर्शी कहानियां हैं. इंद्र-वृत्तासुर का युद्ध उनमें से एक है. वृत्तासुर के साथ युद्ध में इंद्र की हार के बाद, इंद्र की पत्नी शची ने अपने पति के पुन: विजय के लिए देव गुरु बृहस्पति की शरण ली. देवगुरु की सलाह पर, इंद्राणी ने अपने पति के हाथ में एक धागा बांध दिया. तब से इसे रक्षासूत्र या राखी के नाम से जाना जाता है.

महाभारत की एक और कहानी है. एक बार भगवान कृष्ण की उंगली पर एक घाव हो गया. पास में कृष्णा प्राणगता पांडव वधु द्रौपदी थी. इस घटना से परेशान होकर उन्होने अपने साड़ी के कुछ हिस्सों को फाड़ दिया और उन्हें घाव के ऊपर बांध कर उपचार किये थे. इसके बाद सर्वोच्च भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को भविष्य के खतरों से बचाने का वादा किये थे. कुरु सभा में द्रौपदी के वस्त्र हरण के समय, भगवान ने उन्हें वस्त्र देकर उनकी गरिमा की रक्षा किये थे. उस दिन भगवान कृष्ण की उंगली पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का कुछ हिस्सों फाड़कर घाव के ऊपर जो बांधी थी, वह कुछ हिस्से का कपडे भी राखी के नाम से जाना जाता है.

विष्णुभक्त दैत्यराज बलि पुर से विष्णु भगवान का किस्सा रक्षाबंधन से संबंधित है. देवी महालक्ष्मी ने ब्राह्मणी की रूप में खुद को निर्वासित कर ली अपने पति के मुक्ति के लिए. श्रावण पूर्णिमा पर राखी उत्सव बलि के पुर में मनाया जा रहा था, तब देवी लक्ष्मी ने बलि के हाथों में रक्षा बंधन करके अपनी  उद्देश्य व्यक्त किया. बलि बहुत खुश हुआ और उसने प्रभु को प्रणाम किया और अलविदा दिया. तब से, बहनों ने भाइयों के हाथ में राखी बांध कर घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है.

इतिहास में रक्षाबंधन      

 मध्यकालीन भारत में चित्तौड़ की विधवा कर्णावती गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ युद्ध में थी. उन्होंने हार के खतरे से खुद को बचाने के लिए हुमायूँ को एक राखी भेजा. उस राखी से प्रभावित होकर, हुमायूँ ने कर्णावती को अपनी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया और उनकी सुरक्षा के लिए सेना भेजा.

अलेक्जेंडर और पुरु के बीच युद्ध के बारे में रक्षाबंधन की एक और कहानी है. अलेक्जेंडर की पत्नी ने युद्ध में अपने पति के जीत के लिए, पुरु के हाथ में राखी बांध कर भाई बहन का संपर्क स्थापन कर ली. फिर युद्ध में अलेक्जेंडर रथ के नीचे गिर गए.  पुरु अलेक्जेंडर को मारने वाला था लेकिन जब उसने राखी को उसके हाथ से बंधा देखा तो अलेक्जेंडर की हत्या करने से पीछे हट गया.

भारत में रक्षाबंधन में अंतर

रक्षाबंधन भारत के लगभग सभी हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन स्थान में अंतर है. उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत में, इसे राखी पौर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. पश्चिमी भारत, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में, इसे नारील पौर्णिमा के रूप में जाना जाता है. इस दिन, लोग विष्णु भगवान की उद्देश्य में नारियल को समुद्र में फेंक देते हैं. मछुआरे इस दिन से मछली पकड़ना शुरू करते हैं. ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में ब्राह्मण अच्छे कर्म के लिए संपादन करते हैं. इसी तरह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में इस दिन को कजरी पौर्णिमा कहा जाता है. यहां के किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है.

रक्षाबंधन पालन का उद्देश्य

रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा की कई विशेषताओं में से एक है. यह रक्षाबंधन सिर्फ भाइयों और बहनों के बीच नहीं रहता है; बल्कि, इस दिन का दृष्टिकोण दूरगामी है. एक स्वस्थ परिवार के गठन पर राखी का प्रभाव देखा गया है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने में राखी की महत्वपूर्ण भूमिका है. नैतिकता, आध्यात्मिकता, मानवता के विकास और प्रसार में इस दिन की महत्वपूर्ण भूमिका है. रक्षाबंधन से पहले बाजारों में राखी की बिक्री ने इसके  विशेषताओं को कई गुना बढ़ा दिया है.

श्रावण पूर्णिमा हमारी परंपरा में धार्मिक चेतना की स्पष्ट अभिव्यक्ति है. इस महीने की पूर्णिमा कृषि विकास में मवेशियों की देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाती है. राखी वास्तव में सामाजिक एकजुटता का सुंदर सेतु है.

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ये था raksha bandhan par nibandh. उम्मीद है आपको पसंद आया होगा. और ये आर्टिकल को शेयर करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.

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Raksha Bandhan in Hindi : जानिए रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई

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  • Updated on  
  • अगस्त 24, 2023

Raksha Bandhan in Hindi

एक भाई और बहन के बीच का रिश्ता बिल्कुल अनोखा होता है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भाई-बहनों के बीच का रिश्ता असाधारण है और दुनिया के हर हिस्से में इसे महत्व दिया जाता है। हालाँकि, जब भारत की बात आती है, तो यह रिश्ता और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहाँ भाई-बहन के प्यार को समर्पित “रक्षा बंधन” नामक त्योहार है। रक्षा बंधन का त्यौहार अब ज़्यादा दूर नहीं। आइये जानें क्या होता है Raksha Bandhan in Hindi, रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है और रक्षा बंधन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। रक्षा बंधन क्या है जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

रक्षा बंधन क्या है, रक्षा बंधन से क्या तात्पर्य है, रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई, कैसे मनाया जाता है रक्षा बंधन.

यह एक विशेष हिंदू त्योहार है जो भाई और बहन के बीच प्यार के प्रतीक के रूप में भारत और नेपाल जैसे देशों में मनाया जाता है। रक्षा बंधन का अवसर हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अगस्त महीने में आता है।

रक्षाबंधन का मतलब क्या होता है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह त्यौहार दो शब्दों से मिलकर बना है, अर्थात् “रक्षा” और “बंधन।” संस्कृत शब्दावली के अनुसार, इसका अर्थ है “रक्षा का बंधन या गांठ” जहां “रक्षा” का अर्थ सुरक्षा है और “बंधन” बांधने की क्रिया को दर्शाता है। साथ में यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के शाश्वत प्रेम का प्रतीक है जिसका मतलब सिर्फ खून के रिश्ते से नहीं हैं। यह चचेरे भाई-बहनों, बहन और भाभी (भाभी), चाची (बुआ) और भतीजे (भतीजा) और ऐसे अन्य रिश्तों के बीच भी प्रचलित रूप से मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें – 2023 का रक्षाबंधन कब है?

किंवदंती है कि रक्षा बंधन का संबंध उस दिन से माना जा सकता है जब भगवान कृष्ण ने गलती से सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली काट ली थी। उन्हें आहत देखकर पांडवों की पत्नी द्रौपदी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने तुरंत अपने वस्त्र का एक टुकड़ा फाड़ा और भगवान कृष्ण की खून बह रही उंगली पर बांध दिया ताकि उनके दर्द को शांत किया जा सके और रक्त को बहने से रोका जा सके। भगवान कृष्ण उनके भाव से बहुत प्रभावित हुए और बदले में उन्हें दुनिया की सभी बुराइयों से बचाने का वादा किया। उन्होंने इसे रक्षा सूत्र कहा। और जैसा कि हम जानते हैं कि जब कौरवों ने उसे निर्वस्त्र करने का प्रयास करके दरबार में उसका अपमान करने की कोशिश की, तो भगवान कृष्ण ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और सुनिश्चित किया कि उसने जो साड़ी पहनी थी उसकी लंबाई अंतहीन हो। इस तरह उसके भाई ने उसे उन बुराइयों से बचाया – जैसा कि उसने वादा किया था। 

यह त्योहार भाई-बहनों का पसंदीदा बन गया है, जहां वे चंचल और हल्के-फुल्के मजाक में व्यस्त रहते हैं और पूरा परिवार विशेष क्षणों का गवाह बनने के लिए एक साथ आता है। बदलते समय के साथ अब सिर्फ भाई-बहन ही एक-दूसरे को राखी नहीं बांधते बल्कि दोस्त, दूर के रिश्तेदार भी इस परंपरा की शुरुआत कर चुके हैं। कई महिलाएं भी मंदिरों में जाती हैं और भगवान कृष्ण की मूर्ति पर धागे बांधती हैं, आशा करती हैं और प्रार्थना करती हैं कि भगवान उन्हें कठिनाइयों और बुराइयों से बचाएं। दिलचस्प बात यह है कि यह त्योहार अब किसी महिला द्वारा पुरुष को धागा बांधने तक ही सीमित नहीं रह गया है। यहां तक ​​कि जिन बहनों के भाई नहीं हैं, वे भी एक-दूसरे के हाथों पर राखी बांधकर और हमेशा प्यार और सुरक्षा का वादा करके त्योहार मनाने लगी हैं! माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे भाई-बहनों को इन त्योहारों को पूरे उत्साह से मनाने का महत्व समझाएं और इसकी भावना को कभी कम न होने दें। ताकि उनके जाने के लंबे समय बाद भी भाई-बहन रिश्ते और त्योहार की अनमोलता को बरकरार रखें।

यह भी पढ़ें – रक्षा बंधन पर निबंध

यह था Raksha Bandhan in Hindi पर हमारा ब्लॉग। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi : आप सभी को रक्षाबंधन 2024 के पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.

आज के रक्षा बंधन निबंध में हम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100 words, 150 words, 200 words, 250 words में सरल रक्षाबंधन का निबंध, भाषण, अनुच्छेद, लेख स्पीच यहाँ बता रहे है.

रक्षाबंधन को राखी का त्यौहार भी कहते हैं. यह हिन्दुओ के मुख्य त्यौहार में गिना जाता हैं, प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेडर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन देशभर में मनाया जाता हैं.

जो सम्भवत जुलाई या अगस्त महीने में आता हैं. भाई बहिन के पावन रिश्ते और उज्जवल प्रेम का प्रतीक यह पर्व भाई-बहिन के रिश्ते को बढ़ाने के साथ ही एक दुसरे का ख्याल रखने की याद भी दिलाता हैं.

प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन बहिन अपने घर से भाई के लिए अच्छी से अच्छी राखी लाकर भैया की दाहिनी कलाई पर बाधती हैं. तिलक कर भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती हैं, भाई अपनी बहिन की रक्षा करने का सकल्प लेता है इस दिन प्रत्येक भाई राखी बंधवाने का इन्तजार करता हैं,

तथा राखी बाधने के बाद बहिन को उपहार भी भेट करता हैं. रक्षाबंधन के पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं. जिनमे वामनावतार की कथा का बड़ा महत्व हैं. पृथ्वी लोक पर राजा बली ने ब्रह्मा की कठिन तपस्या कर स्वर्ग का पूर्ण अधि कार अपने कब्जे में कर लिया.

इससे चिंतित होकर इंद्र ने विष्णुजी से विनती कि वे बली के पास वामनावतार में जाए और दक्षिणा में पूरा राज्य छीन लेवे. इस पर बली ने वामनावतार जी को तीन पग रखने की जमीन भेट की, विष्णु जी ने एक पैर जमीन, आसमान और एक पाताल में रख लिया, जिसके कारण बली को रसातल में एक शर्त पर जाने के लिए तैयार हुआ

जिसमे जब वो चाहे विष्णु उनके साथ रहे. इस प्रकार ऐसे वर से परेशान लक्ष्मीजी बली के पास पहुची और उन्हें धागा बांधकर भाई बना लिया और भेट में अपने पति को मांग लिया. कहते हैं उस दिन श्रावण की पूर्णिमा थी.

उपसंहार : भारत की संस्कृति की दुनियां में अपनी अनूठी पहचान हैं. अपने इतिहास, परम्परा और मूल्यों के कारण भारतीय आज भी हजारों सालों की मान्यताओं और रिवाजों का पालन करते हैं. प्रत्येक भारतीय को अपने पर्व और त्योहारों पर गर्व हैं.

भारत की धरती पर बहिनों को समर्पित राखी का त्यौहार आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना किसी अन्य समय में हुआ करता था.

जिस तरह आज भी हमारी कुछ बहिनों बेटियों को संसार देखने से पूर्व ही गर्भ में मार दिया जाता हैं. राखी जैसे पर्व मनुष्य में रिश्तों की महत्ता को जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

रक्षाबंधन के दिन कई ऐसे भाइयों की कलाइयाँ खाली रह जाती है, जिन बहिनों को माता पिता ने दुनियां में आने ही नहीं दिया था, विश्व की सबसे समृद्ध और वैभवशाली संस्कृति वाली भूमि कही जाने वाले भारत में एक तरफ कन्या पूजन और देवी पूजा का विधान हैं.

वही दूसरी ओर बेटियों की गर्भ में हत्या, वधुओं के साथ दहेज़ की प्रताड़ना, और छोटी कन्याओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं निश्चय हमारे समाज को कलंकित करने वाली हैं.

रक्षाबंधन के इस त्यौहार पर हम प्रण ले कि हम कभी भी किसी भारतीय बहिन के साथ न अत्याचार करेगे न किसी को करने देगे, जीवन में कम से कम एक अनाथ या बिना भाई की बहिन से राखी बंधवाकर जीवन भर उनकी रक्षा का प्रण जरुर ले. तभी सही मायनों में इस तरह के उत्सवों के आयोजनों का उद्देश्य सार्थक सिद्ध हो सकेगा.

रक्षा बंधन निबंध Essay On Raksha Bandhan 2024 In Hindi

भारत त्योहारों का देश हैं, हमारे यहाँ पर विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं. हर त्यौहार अपना विशेष महत्व रखता हैं. रक्षा बंधन भाई-बहिन के प्रेम का प्रतीक त्यौहार हैं. यह भारत की गुरु-शिष्य परम्परा का प्रतीक त्योंहार भी हैं. यह दान के महत्व को प्रतिष्टित करने पावन त्यौहार हैं.

रक्षा बंधन इन्हे राखी का पर्व भी कहा जाता हैं, ये श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. कहते हैं इसी महीने ऋषि लोग आश्रम में रहकर यज्ञ और विद्या-अध्ययन किया करते थे.

श्रावण की पूर्णिमा के दिन मासिक यज्ञ का समापन होता था. इस यज्ञ की समाप्ति के पश्चात सभी शिष्यगण और यजमानों को राखी का धागा बाधा जाता था. सम्भवतया इसी कारण इस पर्व को राखी का त्यौहार रक्षाबंधन कहते हैं.

हजारों वर्षो की इसी परम्परा को आगे बढाते हुए आज भी राखी के दिन ब्राह्मण अपने यजमानों के राखी का धागा बांधते हैं. कालान्तर में इसी धागे को रक्षा सूत्र कहा जाने लगा. जब ब्राह्मण अपने यजमान को राखी बांधते हैं, तो निम्न मंत्र का उच्चारण करते हैं.

येन बद्दो बली राजा, दानवेंदरो महाबल: | तेन त्वां प्रति बच्चामि रक्षे, मा चल, मा चल ||

इस मन्त्र का आशय यह हैं, कि जिस रेशम के धागे से राजा बली को बाँधा था. आज वो तुम्हे बाँध रहा हु. हे रक्षासूत्र तू भी अपने कर्तव्य पथ से कभी मत डिगना, विचलित होना. यानि इनकी किसी भी मुशीबत या समस्या में मदद करना इसकी रक्षा करना.

वर्तमान समय में रक्षाबंधन को भाई-बहिन का पर्व भी माना जाता हैं, बहिन कई दिनों से अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने का इन्तजार कर रही होती हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर जो बहिने ससुराल जाती हैं,

वे अपने मायके आकर भाई की कलाई पर राखी का धागा बाँध उनका मुह मीठा कर तिलक लगाती हैं. भाई अपनी बहिन को उपहार भी देता हैं. इस दिन सभी जगह ख़ुशी का माहौल होता हैं. एक दुसरे के राखी बाँधने के साथ ही घर पर विशेष पकवान भी बनाएँ जाते हैं.

रक्षाबंधन के पर्व के आने से पूर्व ही बाजार राखी, मिठाई और नए वस्त्रो से सज-धज जाते हैं. बाजार की रौनक देखते ही बनती हैं. इस दिन बहिने बाजार जाकर अपने भाई के लिए अच्छी से अच्छी राखी लाने का प्रयत्न करती हैं. 

रक्षाबंधन के दिन देवालयों में विशेष पूजा अर्चना भी की जाती हैं. इसी तिथि को लोग पैदल कावड़ लेकर चलने का द्रश्य बड़ा मनोरम होता हैं. विभिन्न धार्मिक स्थलों पर इस दिन मेले लगते हैं. दान-पुण्य का कार्य भी सम्पन्न किया जाता हैं.

रक्षाबंधन के दिन पंडित को दान और भूखे दीन लोगो को भोजन और वस्त्र भेट करना शुभ माना जाता हैं. धार्मिक महत्व होने के साथ ही रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व भी हैं. इस दिन प्रत्येक परिवार के अधिकाँश सदस्य घर में एकत्रित होते हैं.

बहिने अपने ससुराल से माता-पिता के घर आती हैं. भाई-बहिन के राखी बंधन के साथ ही बचपन की यादे एक दुसरे के साथ सांझा की जाती हैं. भाई बहिन की रक्षा का वचन देता हैं. सारी रिश्तो की खटास समाप्त करने के साथ ही रक्षाबंधन परस्पर प्रेम बढाने वाला त्यौहार हैं.

इस तरह रक्षाबंधन का पर्व हमारे समाज और परिवार के सदसयों को एकता के सूत्र में बाँधने के साथ ही खुशियों से माहौल को खुशनुमा कर देता हैं.

रक्षाबंधन निबंध 500 शब्दों में

कहते है कि राजपूत रानी कर्णवती ने शत्रुओं से अपनी रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूँ ने मुसीबत के समय उसी रक्षा करने आया था. यह भाई बहिनों के पवित्र सम्बन्धों का त्योहार है. इससे प्रेम भाव और खुशहाली प्रकट होती है.

हिन्दू त्योहारों में दो त्योहार ऐसे है जो भाई बहिन के पवित्र प्रेम पर आधारित हैं ये हैं भैया दूज और रक्षा बंधन. रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को होता हैं. इसलिए इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं.

यह त्योहार वर्षा ऋतु में होता हैं. उस समय आकाश में काली घटाएं छाई रहती हैं. धरती हरियाली की चादर ओढ़ लेती हैं. सभी छोटे बड़े नदी तालाब पानी से भर जाते हैं.

रक्षा बंधन का इतिहास

रक्षा बंधन का इतिहास अति प्राचीन हैं. कहते है कि एक बार देवताओ और दैत्यो के युद्ध मे देवताओं की हार होने लगी. श्रावण की पूर्णिमा के दिन इन्द्राणी ने इद्र के पास एक ब्राह्मण के हाथ रक्षा सूत्र भेजा.

ब्राह्मण ने मत्र पढ़कर वह सूत्र धागा इद्र के दाहिने हाथ की कलाई में बाध दिया. उस रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवताओ की जीत हुई, तभी से प्रतिवर्ष बहिने भाइयो को और ब्राह्मण अपने यजमानो को राखी बाधने लगे.

हमारे इतिहास मे अनेक ऐसे उदहारण है जबकि राखी की पवित्रता की रक्षा के लिए एक भाई ने अपने जीवन को दांव पर लगाया हैं. भारत ही नहीं दुनियां की अन्य सभ्यताओं के लोगों ने भी रक्षा के सूत्र के महत्व को स्वीकार हैं. इतिहास में रानी कर्मावती एवं मुगल शासक हुमायूं का प्रसंग इसका प्रमाण देता हैं.

जब मुगल सम्राट ने कर्मावती की राखी की खातिर राजपूतों के साथ उनके बैर भाव को भुलाकर वह मदद के लिए निकला. मगर वह जब तक चित्तौड़ पहुँचता रानी कर्मावती अपनी संगी सहेलियों के साथ जौहर की ज्वाला में भस्म हो चुकी थी.

रक्षा बंधन मनाने का तरीका

रक्षा बंधन मुख्य रूप से ब्राह्मणों का त्योहार हैं. इस दिन ब्राह्मण नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं. वे अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधते हैं.

घरों में सेवइयाँ और चावल बनाए जाते हैं. कही कही पकवान भी बनते हैं. बहिने भाइयों को राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं, भाई इसके बदले उन्हें उपहार देते हैं.

रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह भाई बहिन के पवित्र प्रेम पर आधारित हैं. राखी के चार कोमल धागों प्रेम का कठोर बंधन बन जाते हैं.

राखी में प्रेम का वह कलश भरा होता हैं. जो सारे बैर विरोधों को भुला देता हैं. राखी के बहाने दूर दूर रहने वाले भाई बहिन वर्ष में एक बार मिल जाते हैं.

वर्तमान स्थिति

अब धीरे धीरे रक्षा बंधन का वास्तविक आनन्द कम होता जा रहा हैं. राखियों में चमक दमक तो पहले से बढ़ गई हैं. अब तो चांदी की राखियाँ भी बनने लगी हैं. किन्तु उसके पीछे छिपी भावना कम होती जा रही हैं, आजकल ब्राह्मण केवल डाक से राखी भेजकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं.

राखी तो वास्तव में रक्षा सूत्र हैं, इसका महत्व रूपये से मापना उचित नही हैं. यह त्योहार हमे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की शिक्षा देता हैं. यह बहिन और भाई को सदा के लिए प्रेम के धागे में बांधे रखता हैं.

भाई बहिन के सुपावन प्यार की पहचान राखी, देखने में चार धागे हैं बहुत बलशाली राखी.

रक्षाबंधन निबंध 750 शब्दों में 2024 | Short Essay On Raksha Bandhan For Kids In Hindi

राखी का त्यौहार रक्षा बंधन 2024 essay (निबंध) इन हिंदी.

त्योहार मनाने की हमारी परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है. आर्यों के सामजिक जीवन में थकावट व कार्य के प्रति उब को मिटाने की द्रष्टि से किसी न किसी बहाने व प्रंसग से जोड़कर त्यौहार मनाने की परम्परा शुरू हुई. इस प्रकार के पर्व से ख़ुशी और उल्लास की भावना का जन्म होता है.

प्राचीन आर्यों द्वारा वर्ण व्यवस्था के कारण प्रत्येक वर्ण का एक मुख्य त्यौहार हुआ करता था. जिस प्रकार दीपावली का सम्बन्ध विशेषकर वैश्य वर्ग से है.

उसी प्रकार रक्षा बंधन का सम्बन्ध विशेष रूप से हमेशा ब्राह्मणों से माना जाता रहा है. लेकिन यह हमारी संस्कृति की अच्छाई है. कि हम रक्षा बंधन या कोई और पर्व सभी देशवासी इसे बड़े धूमधाम से मनाते है.

रक्षा बंधन मनाने का कारण और समय (Reason and Time to Celebrate Raksha bandhan)

यह रक्षा बंधन वर्षा ऋतू में मनाया जाने वाला मुख्य त्यौहार है. यह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस त्यौहार की अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं है.

रक्षा बंधन को मनाने के पीछे कई दंत कथाएँ जुड़ी हुई है. वैसे तो प्राचीन समय में वैदिक आचार्य अपने शिष्य के हाथ में रक्षा का सूत्र बांधकर उसे वेदशास्त्र में पारंगत किया करते थे. परन्तु आज के समय में इस प्रकार की प्राचीन कथाओ का कोई विशेष महत्व नही है.

धीरे-धीरे इस त्यौहार की परम्परा ने सामाजिक रूप धारण कर लिया है. वर्षा ऋतू के सुहावने मौसम में रक्षाबंधन का त्यौहार उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

विशेषकर राजस्थान सहित सम्पूर्ण उत्तर भारत में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने की परम्परा है. इस दिन बहिने नवीन वस्त्र धारण कर और आभुष्ण से सज धज कर अपने भाई के ललाट पर मंगल टीका लगाती है.

अपने भाई का मुह मीठा कर दाहिने हाथ पर राखी का धागा बाँधा जाता है. रक्षाबंधन पर पर्व पर इस पवित्र राखी के धागे के बदले में भाई अपनी बहिन को कीमती गहने, वस्त्र भेट के रूप में देता है. इस प्रकार रक्षा बंधन का त्यौहार वास्तव में भाई-बहिन के प्रेम का सच्चा प्रतीक है.

रक्षा बंधन का महत्व (Raksha Bandhan Ka Mahatva)

  राखी का त्यौहार न सिर्फ एक धार्मिक त्यौहार भर है. इसका बड़ा सामाजिक महत्व भी है. यह सभी सम्प्रदायों धर्मो के लोगों के बिच प्रेम को बढ़ाता है.

एक पुरानी कथा के अनुसार रानी कर्णवती ने अपनी रक्षा के लिए मुसलमान बादशाह हुमायूँ को अपना राखी बंध भाई बनाया था. जिसने चित्तोड़ की इस रानी के मुश्किल वक्त में सहायता करने का सन्दर्भ पढनें को मिलता है.

रक्षाबंधन का आयोजन Rakshabandhan organized in Hindi

हमारे भारत में सदियों पुरानी परम्परा का पालन करते हुए आज भी रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे राष्ट्र में एक साथ श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं.

इस दिन बहिनें अपने भाई के घर जाकर उन्हें राखी अथवा कलावा बांधती है और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह उनके भाई को लम्बी आयु दे, इसके पश्चात वह गुड़ मिठाई आदि से मुहं मीठा करवाती हैं.

इस मौके पर भाई अपनी बहिन को सदा रक्षा का वचन देता है. त्यौहार के अवसर पर जीवन में नयापन आ जाता हैं. बाजार भिन्न भिन्न रंगों की बनी आकर्षक राखियों से भर जाते हैं.

लोगों की आवाजाही बढ़ जाती हैं. देश के प्रत्येक कोने में कुछ स्थानीय परम्पराओं के साथ राखी का त्योहार मनाया जाता हैं. देश के अधिकतर उत्तरी राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता हैं. लोग इस दिन विभिन्न तरह के खेल तमाशों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.

उपसंहार- इस प्रकार हम देखते है कि हिन्दू धर्म के मुख्य चार त्योहारों में इस रक्षा बंधन के पर्व को भी स्थान दिया गया है. इस दिन भाई-बहिन एक दुसरे के पवित्र स्नेह को स्वीकार करते है. तथा एक बहिन के प्रति भाई के कर्तव्य को अपनी आखिरी सास तक निभाने का संकल्प किया जाता है.

Best Short Essay On Rakhi In Hindi For Kids 2024

रक्षा बंधन का तात्पर्य रक्षा के लिए बंधन से है अर्थात जिसके हाथ पर राखी बाँधी जाती हैं. वह बाँधने वाले के लिए वचनबद्ध हो जाता हैं. रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने के कारण श्रावणी भी कहलाता हैं.

प्राचीन काल में स्वाध्याय के लिए यज्ञ एवं ऋषि मुनियों के लिए तर्पण कर्म करने के कारण इसका नाम ऋषि तर्पण पर भी पड़ा. यज्ञ के उपरांत रक्षा सूत्र बाँधने की प्रथा के कारण बाद में यह पर्व रक्षाबंधन के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यह भाई बहनों के प्रेम एवं सोहार्द का सूचक भी हैं. इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती हैं.

राखी के पर्व का आरंभ एवं इसका प्रचलन बड़ा प्राचीन माना गया हैं. इस सम्बन्ध में विष्णु पुराण में भगवान् विष्णु ने वामन का अवतार लिया था तब उन्होंने अभिमानी राजा बलि से केवल तीन पग जमीन दान के रूप में मांगी थी बलि द्वारा वामन को दिए वचन के अनुसार वामन देव ने पुरो पृथ्वी को एक ही पैर में नापते हुए बलि को पाताल लोक में भेज दिया था.

इस कथा के साथ कुछ धार्मिक भावनाओं को जोड़कर इसे रक्षा बंधन के रूप में याद किया जाने लगा. उसी स्मृति में इस त्योहार का प्रचलन हुआ परिणामस्वरूप आज भी ब्राह्मण अपने यजमानों से दान लेकर रक्षा सूत्र बांधते हैं. उन्हें भिन्न प्रकार आशीर्वाद भी देते हैं. इस त्योहार का सम्बन्ध गुरु शिष्य सम्बन्ध से भी हैं.

प्राचीन काल में जब शिष्य आश्रम में पढ़ने के लिए पहले दिन जाता था उस दिन शिष्य अपने गुरु के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर अपने जीवन का भार गुरु को सौपता था. आश्रम में अध्ययन के लिए प्रवेश करने के लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता था.

राखी का त्योहार हमारे भारत देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता हैं. हिन्दू समाज की देखादेखी अब कई अन्य मतों के लोगों ने इस पर्व को मनाना आरंभ कर दिया हैं. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि यह पर्व सम्बन्ध एवं धर्म की दृष्टि से काफी अहम माना गया हैं.

धर्म के दृष्टिकोण से राखी का पर्व गुरु शिष्य के आपसी नियम सिद्धांतों सहित उनके धर्म को बताता हैं. वही पारिवारिक संबंध की दृष्टि से यह त्योहार भाई बहिन के रक्त सम्बन्धों को और अधिक मजबूती प्रदान करने वाला श्रेष्ठ सामाजिक त्योहार हैं.

इस दिन बहिन अपने भैया के लिए मंगलकामना करते हुए उन्हें राखी का धागा बांधती हैं. भाई अपनी बहिन को रक्षा का वचन देता हैं. इस तरह से यह भारतीय पर्व भाई बहिन के स्नेह का प्रतीक उत्सव हैं.

इतिहास के नजरिये से रक्षा के पर्व की बड़ी महानता हैं. मध्य काल में जब दिल्ली की सत्ता मुगलों के हाथ में थी तब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था. उस समय मेवाड़ की सत्ता रानी कर्मावती के हाथ में थी.

उस वक्त अपने राज्य की सुरक्षा का कोई उपाय न मिलने पर रानी ने सम्राट हुमायूं को अपना भाई मानते हुए राखी भेजी. बादशाह रानी कर्मावती के ऐसे करने से बेहद प्रभावित हुआ और उसने रक्षा सूत्र को स्वीकार करते हुए उसके राज्य के बचाव में स्वयं सेना लेकर चित्तौड़ के लिए रवाना हुआ.

आज रक्षाबन्धन का पर्व समूचे भारत में प्रसन्नता एवं प्रेम के भाव के साथ वर्षा ऋतू में श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. इस अवसर पर प्रत्येक बहिन पवित्र भाव से अपने भाई को टीका लगाकर मुह मीठा करवाकर उनके हाथ पर राखी बांधती हैं.

बदले में भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें कुछ भेट देता हैं. इस दिन गुरु, आचार्य, पुरोहित व ब्राह्मण जाति के लोग अपने यजमानों के रक्षा सूत्र बांधकर उनको आशीष देते हैं. इस मौके पर यजमान उन्हें दान इत्यादि देते हैं.

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Raksha Bandhan Essay for School Students and Children

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Raksha Bandhan is a festival which celebrates the bond of a brother and sister. This festival is celebrated in the Hindu religion. It is one of their most important festivals. In addition, sisters and brothers wait eagerly for it all round the year. People celebrate it with abundant zeal and enthusiasm in India.

Raksha Bandhan Essay

Similarly, it does not matter if you are a kid or an adult. Brothers and sisters of all ages celebrate Raksha Bandhan. Furthermore, it strengthens the bond between them as well. ‘Raksha’ translates to the protection and ‘Bandhan’ translates to bond. Thus, this explains the meaning of this festival .

Raksha Bandhan is celebrated following the Hindu calendar . It falls in the month of Saawan and people celebrate it on the last day of the month. This auspicious festival usually falls around August only.

Importance of Raksha Bandhan

As we all know, siblings carry a special place in our hearts. However, the particular bond of a brother and sister is very unique. The care they have for each other knows no bounds. The love they share is beyond compare.

No matter how much they fight with one another, they always stand behind them in support. Brothers and sisters fight with each other over trivial matters. In other words, they share a bond which is full of teasing and love.

Brothers and sisters help us grow. At every stage of our lives, the bond between them grows stronger. They stand with each other through thick and thin. The elder brothers are very protective of their sisters. Similarly, elder sisters care a lot for their younger brothers. The younger ones look up to their elder siblings.

Raksha Bandhan is all about celebrating this bond. It is a symbolism of the unique and special relationship shared by the two. This day has been rightly recognized to have a good time and focus on this beautiful bond. It serves as a symbol of their love, togetherness, and confidence in each other.

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Occasion of Raksha Bandhan

Raksha Bandhan is a time for pampering for the sisters. On this auspicious occasion, the sisters tie a sacred thread i.e. rakhi, on their brother’s wrist. It is done so with the intent to wish good health and long life.

On the other hand, the brothers, in turn, bless their sisters and pledge to protect them and care for them all their lives. The sisters receive a lot of love and pampering on this day. It is in the form of chocolates, gifts, money, dresses and more.

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The family members dress up for this occasion, usually in ethnic wear. We see the markets flooded with colorful rakhis and gifts. Every year, fashionable and trendiest rakhis do the rounds of the market. Women shop for the perfect rakhis for their brothers and the men go out to buy gifts for their sisters.

In conclusion, Raksha Bandhan is one of the most enjoyable festivals. It gives the brother and sister to strengthen their bond. Nowadays, even sisters who do not have brothers celebrate Raksha Bandhan with their sisters. The essence of the festival remains the same nonetheless.

FAQs on Raksha Bandhan

Q.1 Why is Raksha Bandhan celebrated?

A.1 Raksha Bandhan is celebrated to celebrate the bond of brother-sister love. Furthermore, it marks the uniqueness of this bond and gives them a day to celebrate their love and confidence for each other.

Q.2 How do people celebrate Raksha Bandhan?

A.2 Raksha Bandhan is celebrated by tying a sacred thread called a rakhi on the brother’s wrist. Brother’s, in return, shower their sisters with gifts and pledge to protect them for all their life.

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रक्षाबंधन पर निबंध

रक्षाबंधन (कच्चे धागों का पक्का बंधन) raksha bandhan par nibandh.

“राखी के पावन धागों में, छिपा बहन का पावन प्यार। भगिनी की रक्षा का बंधन, है रक्षाबंधन त्योहार।।”

हमारा देश भारत ऋतुओं, त्योहारों और उत्सवों का जीता-जागता स्वरूप है। हर दिन नाचता गाता सा अनुभव होता है और हर पल एक खुशी लेकर आता है। प्रत्येक जाति के अपने-अपने उत्सव और त्योहार होते हैं। उनके मूल में भिन्न-भिन्न कारण होते हैं। उन्हें मनाने के ढंग भी पृथक्-पृथक् हो सकते हैं, लेकिन एक-दूसरे के त्योहारों के प्रति सबके मन में श्रद्धा होती है तथा उनमें लोग सहर्ष सम्मिलित भी होते हैं। इस प्रकार ये त्योहार जाति विशेष की संस्कृति तथा राष्ट्र की चेतना के भी अंग होते हैं। भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में कुछ राष्ट्रीय त्योहार हैं, कुछ का महत्त्व धार्मिक दृष्टि से है तथा कुछ त्योहार प्रांतीय स्तर पर भी मनाए जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले त्योहारों में से ही एक त्योहार रक्षाबंधन है।

त्योहार की पृष्ठभूमि -रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावण की पूर्णिमा को मनाए जाने के कारण इसे ‘श्रावणी पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है।

प्राचीन समय में आश्रमों में रहने वाले ऋषिगण श्रावण मास में स्वाध्याय और यज्ञादि करते रहते थे। पूर्णिमा के दिन मासयज्ञ की पूर्णाहुति और तर्पणकर्म होता था। साथ ही यज्ञोपवीत भी धारण किया जाता था। यज्ञ के अंत में रक्षासूत्र बाँधा जाता था। गुरुजन शिक्षासत्र का आरंभ करते थे और आशीर्वाद के रूप में पीले रंग का रक्षासूत्र अभिमंत्रित करके बाँधते थे। इसीलिए इस त्योहार को श्रावणी’, ‘ऋषितर्पण’, ‘उपाकर्म’ तथा ‘रक्षाबंधन’ के नाम से भी पुकारते हैं।

‘राखी’ शब्द संस्कृत के ‘रक्षा’ शब्द से बना हुआ है। ‘बंधन’ का तात्पर्य ‘बाँधने’ से है। इस प्रकार रक्षाबंधन वह सूत्र है, जिसका संबंध रक्षा के लिए तत्पर रहने से है। प्रचलित कथाएँ-रक्षाबंधन पर्व के साथ अनेक पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाएँ जुड़ी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार देव-दानवों के बीच होने वाले युद्धों में दानवों का पक्ष भारी होता जा रहा था, इससे देवता परेशान हो गए, तभी युद्ध के लिए प्रस्थान करते समय शची ने अपने पति इंद्र के मंगल और विजय की कामना से उनके हाथ में रक्षासूत्र बाँधा। इस युद्ध में इंद्र विजयी हुए और यही माना जाने लगा कि इंद्र की विजय उस रक्षासूत्र के कारण हुई। इस कथा में यह बात उल्लेखनीय है कि उस समय पुरुष के हाथ में स्त्री भी राखी बाँधती थी।

ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार सिकंदर की रक्षाभावना से प्रेरित एक यूनानी युवती ने महाराजा पुरु को रक्षासूत्र बाँधा था और महाराजा पुरु ने अवसर पाकर भी सिकंदर का वध नहीं किया था। एक अन्य ऐतिहासिक प्रसंग के अनुसार, महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद जब गुजरात के सुलतान बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर उसे चारों ओर से घेर लिया, तब मेवाड़ की महारानी कर्मवती ने दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी और मेवाड़ की रक्षा का मौन निमंत्रण भेजा था। बादशाह ने राखी के पवित्र महत्त्व को समझा और मेवाड़ के लिए तुरंत प्रस्थान किया। हुमायूँ ने मेवाड़ को पराजित होने से बचाकर और उदय सिंह को मेवाड़ का राजा बनाकर अपना कर्तव्य पूरा किया।

वर्तमान स्वरूप – वर्तमान समय में यह त्योहार भाई बहन के प्यार का द्योतक है। बहनें अपनी पूजा की थाली में चावल, कुमकुम, दही आदि रखकर राखी का पावन सूत्र बाँधती हैं। अब प्राचीन काल की तरह युद्धों का भय नहीं है, अतएव सुख और शांति की दशा में भाई भी बहन को यथाशक्ति धन या उपहार देता है। कई प्रदेशों में ब्राह्मण अपने यजमान को सूत्र बाँधते हैं और उनसे दक्षिणा आदि प्राप्त करते हैं।

“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे! मा चल, मा चल।” अर्थात् रक्षा के जिस बंधन से राक्षस राज बलि को बाँधा गया था, उसी से मैं तुम्हें बाँधता हूँ। हे रक्षा करने वाले सूत्र। तू भी अपने धर्म पर डटे रहना, उससे विचलित मत होना अर्थात् भली-भाँति रक्षा करना। स्पष्ट है कि रक्षाबंधन का मुख्य प्रयोजन और अर्थ रक्षा से ही जुड़ा है। सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता में राखी को देश की रक्षा से जोड़ा है

राखी का त्यौहार- रक्षाबंधन पर निबंध | Raksha Bandhan Hindi Essay

रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है।

यह राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। हम यह पर्व सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आजकल इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बाँधने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं। इस प्रकार आदान-प्रदान से भाई-बहन के मध्य प्यार और प्रगाढ़ होता है।

सन् 1535 में जब मेवाड़ की रानी कर्णावती पर बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया, तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर मदद की गुहार की थी। क्योंकि रानी कर्णावती स्वयं एक वीर योद्धा थीं इसलिए बहादुर शाह का सामना करने के लिए वह स्वयं युद्ध के मैदान में कूद पड़ी थीं, परंतु हुमायूँ का साथ भी उन्हें सफलता नहीं दिला सका।

राखी का त्यौहार रक्षाबंधन

इस दिन सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं। सभी का मन हर्ष और उल्लास से भरा होता है। बहनें अपने भाइयों के लिए खरीदारी करती हैं, तो भाई अपनी बहनों के लिए साड़ी आदि खरीदते हैं और उन्हें देते हैं। यह खुशियों का त्योहार है।  हमारे हिन्दू समाज में वो लोग इस त्योहार को नहीं मनाते, जिनके परिवार में से रक्षाबंधन वाले दिन कोई पुरुष-भाई, पिता, बेटा, चाचा, ताऊ, भतीजा-मर जाता है। इस पुण्य पर्व पर किसी पुरुष के निधन से यह त्योहार खोटा हो जाता है। फिर यह त्योहार पुनः तब मनाया जाता है जब रक्षाबंधन के ही दिन कुटुंब या परिवार में किसी को पुत्र की प्राप्ति हो।

हमारे हिन्दू समाज में ऐसी कई परंपराएँ हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं। उन्हें समाज आज भी मानता है। यही परंपराएँ हमारी संस्कृति भी कहलाती हैं। परंतु कई परंपराएँ, जैसे—बाल विवाह, नर-बलि, सती प्रथा-आदि को कुरीति मानकर हमने अपने जीवन से निकाल दिया है; परंतु जो परंपराएँ हितकारी हैं, उन्हें हम आज भी मान रहे हैं।

अत: रक्षाबंधन का त्योहार एक ऐसी परंपरा है, जो हमें आपस में | जोड़ती है इसलिए इसे आज भी सब धूमधाम और पूरे उल्लास के साथ मनाते हैं।

राखी (रक्षाबंधन) का इतिहास और  कुछ अन्य तथ्य 

पौराणिक :- राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है।

इतिहास मे कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमे युद्ध के दौरान श्री कृष्ण की उंगली घायल हो गई थी, श्री कृष्ण की घायल उंगली को द्रौपदी ने अपनी साड़ी मे से एक टुकड़ा बाँध दिया था, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था। स्कन्ध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है- दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकनाचूर कर देने के कारण यह त्योहार बलेव नाम से भी प्रसिद्ध है। कहते हैं एक बार बाली रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय बताया। उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति भगवान बलि को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। विष्णु पुराण के एक प्रसंग में कहा गया है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लेकर वेदों को ब्रह्मा के लिये फिर से प्राप्त किया था। हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

ऐतिहासिक :- राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा। राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है। कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की। एक अन्य प्रसंगानुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि जब ज्येष्ठ पाण्डव युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे आप हर आपत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। इस समय द्रौपदी द्वारा कृष्ण को तथा कुन्ती द्वारा अभिमन्यु को राखी बाँधने के कई उल्लेख मिलते हैं। महाभारत में ही रक्षाबन्धन से सम्बन्धित कृष्ण और द्रौपदी का एक और वृत्तान्त भी मिलता है। जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबन्धन के पर्व में यहीं से प्रारम्भ हुई।

साहित्यिक:- अनेक साहित्यिक ग्रन्थ ऐसे हैं जिनमें रक्षाबन्धन के पर्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है हरिकृष्ण प्रेमी का ऐतिहासिक नाटक रक्षाबन्धन जिसका 1991 में 18वाँ संस्करण प्रकाशित हो चुका है। मराठी में शिन्दे साम्राज्य के विषय में लिखते हुए रामराव सुभानराव बर्गे ने भी एक नाटक की रचना की जिसका शीर्षक है राखी ऊर्फ रक्षाबन्धन। पचास और साठ के दशक में रक्षाबन्धन हिंदी फ़िल्मों का लोकप्रिय विषय बना रहा। ना सिर्फ़ ‘राखी’ नाम से बल्कि ‘रक्षाबन्धन’ नाम से भी कई फ़िल्में बनायीं गयीं। ‘राखी’ नाम से दो बार फ़िल्‍म बनी, एक बार सन 1949 में, दूसरी बार सन 1962 में, सन 62 में आई फ़िल्‍म को ए. भीमसिंह ने बनाया था, कलाकार थे अशोक कुमार, वहीदा रहमान, प्रदीप कुमार और अमिता। इस फ़िल्‍म में राजेंद्र कृष्‍ण ने शीर्षक गीत लिखा था- “राखी धागों का त्‍यौहार”। सन 1972 में एस.एम.सागर ने फ़िल्‍म बनायी थी ‘राखी और हथकड़ी’ इसमें आर.डी.बर्मन का संगीत था। सन 1976 में राधाकान्त शर्मा ने फ़िल्‍म बनाई ‘राखी और राइफल’। दारा सिंह के अभिनय वाली यह एक मसाला फ़िल्‍म थी। इसी तरह से सन 1976 में ही शान्तिलाल सोनी ने सचिन और सारिका को लेकर एक फ़िल्‍म ‘रक्षाबन्धन’ नाम की भी बनायी थी।

कुछ लेख-lines यहाँ से लिया गया है [source-स्रोत:- https://hi.wikipedia.org/wiki/रक्षाबन्धन ]

रक्षा बंधन पर कुछ शायरी, कविता। 

-:happy raksha bandhan shayari in hindi 2020:-.

(रक्षा बंधन की शुभ कामनायें) राखी का त्यौहार है, हर तरफ खुशियों की बौंछार है, बंधा एक धागे में भाई बहन का अटूट प्यार है!
तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन है, इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है।
या रब मेरी दुआओं में इतना असर रहे, फूलों भरा सदा मेरी बहन का घर रहे।
ये लम्हा कुछ खास है, बहन के हाथ में भाई का हाथ है, तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है।
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता, वो चाहे दूर भी हो तो गम नहीं होता, अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते है, पर भाई-बहन का प्यार कभी कम नहीं होता।
याद आता है अक्सर वो गुजरा हुआ जमाना, तेरी मीठी आवाज में भाई कहकर बुलाना, वो सुबह स्कूल के लिए तेरा मुझको जगाना, अब क्या करे बहना यही जिंदगी का तराना।
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है, प्यार के दो तार से संसार बाँधा है, रेशम की डोरी से संसार बाँधा है, हमें दूर भले किस्मत कर दे, अपने मन से न जुदा करना, सावन के पावन दिन भैया, बहनों को याद किया करना।
हमारी खूबियों को अच्छे से जानती है बहनें, हमारी कमियों को भी पहचानती है बहनें, फिर भी हमें सबसे ज्यादा मानती है बहनें।
कच्चे धागों से बनी डोर है राखी, प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी, भाई की लम्बी उम्र की दुआ है राखी, बहन के प्यार का धुआं है राखी।
आज मेरे लिए कुछ खास है, तेरे हाथों में मेरा हाथ है, मुझे भाई होने का एहसास है, दिन है प्यारा रक्षा बंधन का, मेरी बहन है तो सब कुछ मेरे पास है।
मेरा भाई चंदा से भी प्यारा, मेरा भाई सूरज से भी न्यारा, भाई ने दिया इतना प्यार. ये जीवन मैंने उस पर वारा, माँ ने दिया जीवन मगर, तुमने ही उसे संवारा, दुआ है मेरी इतनी की खुशियों से भर जाये उसका सारा जहाँ।
कभी लगती है दादी अम्मा, तो कभी डांटती जैसे हो मेरी अम्मा, कभी गुस्सा तो कभी रूठ जाती है, तो कभी प्यार से पास बुलाती, कभी टप टप आंसू बहाती, तो कभी मंद ही मंद मुस्कुराती, दिल की बड़ी नेक है, सच कहूँ तो मेरी बहन लाखों में एक है।

रक्षाबंधन पर निबंध 10 लाइन 10 Lines on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन पर कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित है|

  • ⇒ रक्षाबंधन भाई बहन का सबसे अनोखा त्यौहार है।
  • ⇒ रक्षाबंधन सावन के माह में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • ⇒ रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम की राखी बांध कर अपने भाई की लमभी उम्र की दुआ करती है जिसके बदले भाई अपनी बहन की पूरे जीवन रक्षा करने का वचन देता है।
  • ⇒ रक्षा बंधन को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है।
  • ⇒ वैसे तो राखी के दिन लोग रेशम की राखी से लेकर सोने की राखी तक बांधी जाती है।
  • ⇒ राखी का त्यौहार हिन्दू धर्म में मनाया जाता है।
  • ⇒ राखी के दिन घरों में कई प्रकार के व्यंजनों को बनाया जाता है।
  • ⇒ रक्षा बंधन के दिन लोग अपने पेड़ों, मशीनों, गाड़ियों, आदि पर रखियाँ बांधते है जिससे उनका प्यार बरकरार रहता है।
  • ⇒ दिल्ली में रक्षा बंधन के दिन हर साल बसों, मेट्रो आदि का किराया नही लिया जाता है।
  • ⇒ भाई से दूर होने पर बहने अपने भाई के लिए राखी उनके लिए कोरियर करके भेज देती है।

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Essay on raksha bandhan in hindi रक्षाबंधन पर निबंध.

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Essay on Raksha Bandhan in Hindi

hindiinhindi Essay on Raksha Bandhan in Hindi

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 200 Words

रक्षाबंधन हिन्दुओं का मनाये जाने वाले एक प्रसिद्व त्यौहार है। ‘रक्षा’ का मतलब है ‘सुरक्षा’ और ‘बंधन’ का मतलब ‘बाध्य’ होता है। यह त्यौहार भाई और बहन का है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर एक राखी बांधती है और अपने भाई के लिए प्रार्थना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और हर स्थिति में अपनी बहन की रक्षा का वादा करते है। यह उनके प्यार, एकता और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बाजारों में कई प्रकार के उपहार बिकते है और कई दुकानों में मिठाईयॉ भी बिकती है।

रक्षा बंधन के बारे में इतिहास में कई कहनियॉ मौजूद है। उनमें से एक प्रसिद्व कहानी कृष्णा और द्रौपती की है जिसमें कृष्णा जी की उंगली युद्ध के दौरान घायल हो गई थी और द्रोपती ने अपनी साड़ी में से दुकडा बांध दिया था और कृष्णा जी ने हमेशा उसे किसी भी कठिनाई से बचाने का वादा किया था। आज की दुनिया में जहाँ हर कोई व्यस्त है यह त्यौहार सभी परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और खुशियां ही खुशियों फैलाता है।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 300 Words

भारत त्योहारों का देश है। यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। उसी में से एक प्रमुख त्यौहार है रक्षाबंधन। रक्षाबंधन प्रमुख रूप से भाई-बहन का पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है तथा दाहिने हाँथ पर राखी बाँधकर उनका मुँह मीठा कराती है। भाई भी इसके बदले में प्रसन्न होकर बहन को कुछ उपहार देता है। राखी बांधते समय बहन अपने भाई की सकुशल होने की कामना करती है और भाई अपने बहन की हमेशा देखभाल और रक्षा करने की वचन देता है। इस दिन पुरे परिवार में खुशी का माहौल होता है और इस दिन घर में विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं।

रक्षाबंधन के कुछ दिन पहले से ही बाजार में विशेष चहल-पहल शुरू हो जाती है। रंग-बिरंगी राखियों से दुकानों की रौनक बढ़ जाती है। बहनें दुकानों में जाकर अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की राखी खरीदती हैं। हलवाई की दुकान पर भी बहुत भीड़ होती है। सभी लोग एक दुसरे को उपहार देने के लिए मिठाइयों के पैकेट खरीदकर ले जाते हैं। रक्षाबंधन के दिन परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होते हैं। विवाहित बहनें मायके आती है अपने भाई को राखी बाँधने के लिए या अगर बहन मायके नहीं आ पाती तो भाई अपने बहन के घर जाता है रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए।

इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्रसंग हैं जिसमे से एक उल्लेख महाभारत में देखने को मिलता है: जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो कृष्ण के हाथ में हल्की चोट लग गयी और खून बहने लगा था। द्रौपदी श्री कृष्ण की मुंहबोली बहन थीं और जब द्रौपदी ने देखा कि श्री कृष्ण के हाथ से रक्त बह रहा है तो उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी को चीर फाड़कर थोड़ा सा कपडा निकलकर कृष्ण के हाथ पर पट्टी की तरह बांध दिया था। उस समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी को हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था और तभी से ही श्रावणमास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन बनाने की प्रथा चल पड़ी थी।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 400 Words

रक्षा-बन्धन भारतीय लोक-जीवन की सुन्दर परम्परा का पवित्र एवं प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र सनेह का प्रतीक है । प्राचीन आश्रमों में स्वाध्याय के लिए द्विज (ब्राह्मण) नया जनेऊ धारण करते थे । जनेऊ के तीन तारों में जनेऊ बांधी जाने वली ब्रह्म गांठ उन्हें अज्ञान रूपी गांठ को सुलझाने का प्रण याद दिलाती रहती थी । यह पावन पुनीत कार्य किसी नदी, जलाशय या वन में सम्पन होता था । इसे उपाकर्म संस्कार कहते थे । यज्ञ के बाद रक्षा-सूत्र बाँधने की प्रथा के करण इसका नाम ” रक्षा-बन्धन ” लोक-प्रचलित हो गया । संस्कृत के रक्षा शब्द को हिन्दी में ‘राखी’ कहा जाता है । यह श्राबणी पूर्णिमा को मनाया जाता है । इसलिए इसे है श्रावणी’ या ‘राखी’ भी कहते है । पुरोहित अपने यजमानों के हाथ में मौलि बाँधकर आशीष देते है ।

राखी है जुडी एक ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया तो वहाँ की क्षत्राणी-राज़मूतानी रानी कर्मबती ने हुमायूँ (मुगल सम्राट) को राखी भेजकर रक्षा केलिए सहायता माँगी थी । तब हुमायुँ ने हिन्दू-मुसलमान के भेदभाव को भुलाकर राखी के धागे का मूल्य समझा और उसकी रक्षा की थी ।

रक्षा बन्धन के दिन भाइयों के दूर होने पर बहनें डाक से राखी भेजती हैं । यदि भाई-बहन आस पास हों तो वे स्वय आकर राखी बाँधती हैं । जिस व्यक्ति की अपनी बहन नहीं होती, वह अपने रिश्ते की किसी बहन से राखी बँधवाता है । रक्षा बन्धन के दिन देशवासी राष्ट्रपति-प्रधानमन्ती आदि को राखी बाँधते है । जिनके कंधे पर देश का दायित्व है ।

बहने ईश्वर से अपने भाई की रक्षा के लिए मंगलकामना करती हैं । उसके बाद भाई को मीठा खिलाती हैं । वे अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके हाथ पर राखी बाँधती है । भाई बहन से राखी बँधवाकर उसकी रक्षा का भार अपने उपर ले लेते हैं । भाई अपनी बहनों को इस दिन धन और उपहार देते हैं ।

यह त्योहार सादगी और पवित्रता का प्रतीक है । इस त्योहार का उददेश्य नारी समाज की सुरक्षा होना चाहिए। आज के इस प्रगतिशील समय में इस बात की आवश्यकता है कि प्रत्येक भाई-बहन इस त्योहार का परम्परागत पालन करें । बहनों को केवल उपहार प्राप्ति की इच्छा से ही राखी बाँधने की लालसा नहीं होनी चाहिए। भाई की जेब तथा बहन की इच्छा में सन्तुलन जरूर होना चाहिए। भाई को भी नाक बचाने के लिए सामर्ध्व से ज्यादा ख़र्च करके बहनों के उपहार नहीं देना चाहिए । उसे न सिर्फ अपनी बहन, बल्कि समाज में हर कमजोर, व्यक्ति और मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए । यह विचार देश की एकता और विश्व-बन्धुत्व की भावना के प्रसार-प्रचार में लाभकारी होगा ।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 500 Words

हमारा देश त्योहारों का देश है। समय-समय पर विभिन्न त्योहारों के माध्यम से हम खुशियों का स्वागत करते है। कभी होली तो कभी दीवाली के माध्यम से हमें अपनों के साथ अमूल्य समय अमूल्य समय बिताने को मिलता है। रक्षाबंधन भी इन्ही त्योहारों में से एक है। यह भाई-बहन का त्योहार माना जाता है। इस त्योहार का संबंध वीरता और त्याग से हैं। यह भारत का एक सांस्कृतिक पर्व है।

यह त्योहार वैदिक काल में आरंभ हुआ, जबकि देवराज ने राक्षसों के साथ युद्ध आरम्भ किया। युद्ध में इन्द्र के जीतने के लिए उनकी पत्नी शची ने उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था और इस युद्ध में इन्द्र विजयी हुए थे। तभी से रक्षा सूत्र बांधने की परम्परा प्रचलित हो गई। यत्र और विभिन्न पूजा-पाठ में ब्रह्म रक्षासूत्र बांधते थे इसलिए आज भी पुरोहित और यजमान के संबंध का निर्वाह इस रक्षासूत्र से चलता आ रहा है।

राजपूत वीर जब युद्ध में जाते थे यूँ तब उनकी बहनें उनकी कलाइयों में रक्षासूत्र बांधती थीं। रानी कर्मवती ने हुमायूँ के हाथ में बाँधने के लिए रक्षाबंधन भेजा था और इस रक्षासूत्र अर्थात राखी का सम्मान करते हुए हुमायूँ ने रानी कर्मवती को बचाने का प्रयत्न किया था। यह एक ऐतिहासिक घटना थी लेकिन इसका महत्व आज भी उतना है जितना पहले था। यह त्योहार जातिगत भेद-भाव को नहीं मानता। सभी जाति के लोग इस त्योहार को प्रेम से मनाते हैं।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और यह त्योहार भाई-बहन के रक्षा बंधन के त्योहार के रूप में श्रावण मास की पूर्णमासी को मनाया जाने लगा। रक्षाबंधन के अवसर पर भाई बहनों की रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं। बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, मिठाई खिलाती हैं और भाई बदले में रूपये या कोई उपहार भेंट करते हैं। यह परम्परा बनी हुई हैं और इस त्योहार ने अपनी पवित्रता बरकरार रखी है।

इस त्योहार के शुभ अवसर पर हाट-बाजार रंग-बिरंगी राखियों से भर जाते हैं। दुकानें दुल्हनों की तरह सज जाती हैं। इस अवसर पर ब्राह्मण लोग अपने यजमानों के यहाँ जाकर दक्षिणा प्राप्त करते हैं। इस त्योहार का मूल भाव अपने देश और राष्ट्र को शत्रुओं से बचाना है। वीरों में वीरता का भाव कभी कम न हो इसलिए युद्ध के समय बहनें अपने भाईयों को राखी भेजती हैं और वीर योद्धा इससे भावनात्मक बल प्राप्त करता है। सन् 1965 में पाकिस्तान के साथ यद्ध के समय भारतीय वीरों के लिए देश भर से नारियों ने राखियां भेजी थीं और इसका परिणाम भारत की जीत के रूप में हमारे सामने आया। बहनों, माताओं के रूप में भारतमाता की रक्षा करता रक्षाबंधन का मूल उद्देश्य है। मिठाई खाने और बदले में रूपये देने की परम्परा के पीछे रक्षा की भावना का महत्व है। धन से या किसी भी वस्तु से राखी का मूल्य नहीं चुकाया जा सकता। किसी कवि ने कहा है-

बहन तुम्हारी इस राख का, मूल्य भला क्या दे पाऊंगा। बस इतना तेरे इंगित पर, बहन सदा बलि बलि जाऊंगा।

हमारी भारतीय संस्कृति में यह त्योहार सबसे प्राचीनतम त्यौहार है। रक्षाबंधन का त्योहार आज धीरे-धीरे अंतरास्ट्रीय रूप भी लेता जा रहा है। विदेशी लोग जब भी भारत आते है वे भी इस त्योहार से आकर्षित होकर भारतीय नारियों से राखी बंधवा लेते है। रक्षाबंधन के त्योहार को हम प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

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    रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay Hindi Word 500. Raksha Bandhan(रक्षाबंधन) से बहुत से तर्क जोड़े गए हैं कोई देवी-देवताओं से जुड़े हुए तो कोई राजा महाराजाओ से ...

  13. रक्षाबंधन पर निबंध

    Raksha Bandhan Essay In Hindi/Raksha Bandhan Per Nibandh: भारत में रक्षा बंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने वाला पर्व है। रक्षा बंधन का अर्थ है रक्षा का बंधन, यह का पर्व ...

  14. 2024 रक्षाबंधन पर निबंध

    रक्षाबंधन पर निबंध (raksha bandhan essay in Hindi): रक्षाबंधन हमारे देश का एक पुराना पर्व है. श्रावण महीने की पूर्णिमा दिन यह पर्व बडी धूमधाम से मनाया जाता है.

  15. Raksha Bandhan in Hindi : जानिए रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई

    Raksha Bandhan in Hindi : जानिए रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई, रक्षा बंधन से क्या तात्पर्य है, कैसे मनाया जाता है रक्षा बंधन यहां। ... Essay on Polio : छात्रों के ...

  16. रक्षाबंधन पर निबंध 2022

    रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi. रक्षाबंधन को राखी का त्यौहार भी कहते हैं. यह हिन्दुओ के मुख्य त्यौहार में गिना जाता हैं ...

  17. Raksha Bandhan Essay for School Students

    500+ Words Raksha Bandhan Essay. Raksha Bandhan is a festival which celebrates the bond of a brother and sister. This festival is celebrated in the Hindu religion. It is one of their most important festivals. In addition, sisters and brothers wait eagerly for it all round the year. People celebrate it with abundant zeal and enthusiasm in India.

  18. Raksha Bandhan Essay in Hindi: रक्षाबंधन ...

    Raksha Bandhan Essay in Hindi: रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है.रक्षा बंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बंधती और उसके ...

  19. Raksha Bandhan Essay in Hindi, रक्षा बंधन पर निबंध

    Essay on Raksha Bandhan in Hindi - रक्षा बंधन पर निबंध - इस निबंध में हम रक्षा-बंधन के बारे में विस्तार-पूर्वक जानेंगे। रक्षा-बंधन भारत के प्रसिद्ध ...

  20. रक्षाबंधन पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    राखी का त्यौहार- रक्षाबंधन पर निबंध |Raksha Bandhan Hindi Essay. रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक ...

  21. Essay on Raksha Bandhan in Hindi रक्षाबंधन पर निबंध

    Essay on Raksha Bandhan in Hindi 500 Words. हमारा देश त्योहारों का देश है। समय-समय पर विभिन्न त्योहारों के माध्यम से हम खुशियों का स्वागत करते है। कभी होली तो ...

  22. रक्षाबंधन पर निबंध

    Raksha Bandhan Essay. प्रस्तावना- राखी या रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन भाई-बहनों का वह त्योहार है ...

  23. रक्षाबंधन पर निबंध/Raksha Bandhan par nibandh/Raksha Bandhan essay

    Hello Friends Welcome to our you tube channel.This video is about Raksha Bandhan nibandh .This video is very helpful for all of us on Raksha Bandhan.Thank yo...