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परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

परिश्रम का महत्व-importance of hard work in hindi.

essay on parishram ka mahatva in hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।

श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है । किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

परिश्रम का महत्व :   देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

परिश्रम और भाग्य :  क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम करने से आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है, हृदय पवित्र होता है, सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। हमारा इतिहास उद्यमी लोगों की सफलता के गुणगानों से भरा पड़ा है। अमेरिका तथा जापान जैसे देशो की सफलता का रहस्य उनके द्वारा किया जाने वाला अनवरत परिश्रम ही है।

परिश्रम करने से मनुष्य के अन्तः करण की शुद्धि होती है तथा सांसारिक दुर्बलताएँ तथा वासनाएँ उसे नहीं सताती। परिश्रमी व्यक्ति को यश तथा धन दोनों मिलते हैं। यदि शारीरिक श्रम करने वाला व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त-तन्दुरुस्त रहता है तो मानसिक श्रम करने वाला व्यक्ति भी पीछे नहीं रहता। बीमारी ऐसे व्यक्तियों के पास भी नहीं भटकती।

उपसंहार : परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, परिश्रम दो प्रकार के होते हैं एक मानसिक परिश्रम और दूसरा शारीरिक परिश्रम कई कामों में दोनों तरह के परिश्रम ओं का इस्तेमाल किया जाता है परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है।

जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

महापुरुषों के उदाहरण :  हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

उपसंहार :  जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है|

सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं।

परिश्रम का महत्व :  परिश्रम का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है वैसे तो यह जीवन मनुष्य का भगवान के द्वारा दिया गया एक उपहार है, परंतु इस जीवन को सार्थकता प्रदान करना ही हमारा धर्म है। परिश्रम से मनुष्य कुछ भी कर सकता है परिश्रम ही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बनाती है। परिश्रम का हमारे जीवन पर ही नहीं बल्कि हमारे देश पर भी असर होता है।

जिस देश के नागरिक पढ़े लिखे एवं परिश्रमी वह देश बड़ी ही तेजी से विकास एवं उन्नति करता है। वैसे तो सभी व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं एवं सभी लोगों का अपना एक सपना होता है लोग अपने जीवन में तरह-तरह की कल्पनाएं करते हैं परंतु केवल कल्पना मात्र करने से हमें सफलता नहीं मिलेगी उसके लिए केवल एक ही उपाय करना होगा वह है – परिश्रम।

आलस्य से हानियाँ :  आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

परिश्रम की आवश्यकता : जीवन में सफलता की कुंजी परिश्रम ही है, इसलिए हर क्षण हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है। खाना भी मुँह में स्वयं नहीं चला जाता, चबाना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति कोई भी कार्य करना ही नहीं चाहता, ऐसा आलसी, अनुद्योगी तथा अकर्मण्य व्यक्ति कहीं भी सफलता नहीं पा सकता। उसी मानव का जीवन सार्थक माना जा सकता है, जिसने अपने तथा अपने राष्ट्र के उत्थान हेतु परिश्रम किया हो। अनेक संघर्षों तथा उद्यमों के पश्चात् ही सफलता मनुष्य के कदम चूमती है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप : किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं। परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

उपसंहार : अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

परिश्रम और भाग्य :  कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद ही नहीं हो जाते हैं। परिश्रम के बिना कभी भी मनुष्य का काम सफल नहीं हो सकता है। जब मनुष्य किसी काम को करने के लिए परिश्रम करता है तभी मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य कर्म करके अपना भाग्य खुद बनाता है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है केवल वही अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाईयों पर परिश्रम से विजय प्राप्त कर सकता है।

परिश्रम के लाभ :   परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :  आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध – परिश्रम हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। अपने करियर, अपनी नौकरी, व्यवसाय आदि में सफल होने के लिए बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होती है। बैठना और आराम करना असंभव है, और यदि आप परिश्रम करते हैं, तो आप दिन के अंत में सफल होंगे। सरल शब्दों में, खाली बैठने वाले व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।

मेहनत की कीमत को समझना जरूरी है। आप को समझना चाहिए कि समय कितना महत्वपूर्ण है और एक बार जब यह पार हो जाता है तो सब कुछ आपके हाथ से निकल जाता है। परिश्रम पर निबंध लिखने से पहले अपने संदर्भ के लिए नीचे दिए गए नमूने देखें।

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

Table of Contents

परिश्रम का महत्व पर निबंध 100 शब्‍दों में

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग सोता रहता है। श्रम के वल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया ।

श्रम हर मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचा देता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा – अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी – समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी हुआ दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्दों में

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम करते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए भी परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो सिर्फ में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh 500 Words)

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्‍यंति, कार्याणि ना मनोरथि । न हीं सुप्‍तस्‍य सिंहस्‍य, प्रविशांति मुखे मृगा।।

क्या है परिश्रम? (What is Parishram)

शारीरिक व मानसिक रूप से किया गया काम परिश्रम कहलाता है। ऐ काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते हैं जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता – अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट, दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

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परिश्रम और भाग्य

कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। बे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता के बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमें इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिसर में क्या कमी थी।

परिश्रम के फायदे / लाभ

  • आपको जीवन की सारी सुख सुविधा मिलेगी लक्ष्मी की प्राप्ति होगी आज के समय में धन जिसके पास है वह दुनिया की हर सुख सुविधा खरीद सकता है।
  • परिश्रम से मानसिक व शारीरिक चुस्ती मिलती है। आज के समय में परिश्रम नहीं करने पर बहुत सी बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं। इसलिए फिर तंदुरुस्ती स्फूर्ति के लिए शारीरिक श्रम करने को बोला जाता है। जिस वजह से लोग फिर जिम में भी समय बिताने लगते हैं। मानसिक विकास के लिए उसका परिश्रम करते रहना बहुत जरूरी है इसी के द्वारा लोगों ने नए नए अनुसंधान दुनिया में किए हैं।
  • परिश्रम से हमारे जीवन में व्यस्ता रहती है। जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक बातें हमारे जीवन में नहीं आ पाती व इससे मन अंदर से शांति महसूस करता है।
  • परिश्रमी व्यक्ति हमेशा सफलता की ओर अग्रसर रहता है और समय-समय पर उसे सफलता का स्वाद चखने को मिलता है।

परिश्रमी व्यक्ति के गुण

एक मेहनती व्यक्ति होने का मतलब है कि आप अपने काम के लिए प्रतिबद्ध और कभी भी कुछ भी अपने रास्ते में नहीं आने देते हैं।

चाहे वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो होमवर्क खत्म करना हो या परिवार के कामों में समय से आगे निकलना हो हर कोई ऐसा व्यक्ति चाहता है जो अच्छा काम कर सके और आसानी से घर नमन।

आप सोच सकते हैं कि यह करना एक आसान काम है लेकिन ऊर्जा और प्रेरणा के सामान स्तर को बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता है।

जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, इमानदार, परिश्रमी और स्वावलंबी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोड़कर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है।परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

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आज के आर्टिकल में हमने परिश्रम का महत्व पर निबंध (Hard Work Essay in Hindi) के बारे में बात की है मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on the Importance of Hard Work in Hindi

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on Importance of Hard Work in Hindi!

परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।

परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार:

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

ADVERTISEMENTS:

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है ।

किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है । आज यदि हम देश-विदेश के महान अथवा सुविख्यात पुरुषों अथवा स्त्रियों की जीवन-शैली का आकलन करें तो हम यही पाएँगे कि जीवन में इस ऊँचाई या प्रसिद्‌धि के पीछे उनके द्‌वारा किए गए सतत अभ्यास व परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है ।

अमेरिका, चीन, जापान आदि विकसित देश यदि उन्नत देशों में हैं तो इसलिए कि वहाँ के नागरिकों ने अथक परिश्रम किया है। द्‌वितीय विश्वयुद्‌ध में भारी नुकसान के बाद भी आज यदि जापान न विश्व जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है तो उसका प्रमुख करग यही है कि वहाँ के लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति व अथक परिश्रम की भावना कूट-कूटकर भरी हुइ है ।

परिश्रमी व्यक्ति ही किसी समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना पाते हैं । अपने परिश्रम के माध्यम से ही कोई व्यक्ति भीड़ से उठकर एक महान कलाकार, शिल्पी, इंजीनियर, डॉक्टर अथवा एक महान वैज्ञानिक बनता है ।

परिश्रम पर पूर्ण आस्था रखने वाले व्यक्ति ही प्रतिस्पर्धाओं में विजयश्री प्राप्त करते हैं । किसी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता है ।

“विश्वास करो,

यह सबसे बड़ा देवत्व है कि –

तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो

और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका ।”

अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

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Parishram ka mahatva essay in hindi परिश्रम का महत्व पर निबंध.

Hello, guys today we are going to write Parishram Ka Mahatva essay in Hindi. परिश्रम का महत्व पर निबंध। As many students know the importance of handwork in Hindi. But they find difficulties in writing about Parishram. Parishram ka mahatva essay in Hindi can be asked in two ways parishram hi safalta ki kunji hai or Hard work is the key to success in Hindi which means one and the same thing.

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Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi 300 Words

परिश्रम का महत्व पर निबंध

मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। परिश्रम मानव जीवन का वह हथियार है जिसके बल पर वह भारी से भारी संकटों पर भी जीत हासिल कर सकता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है। विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। इसलिए ऐसा कहा गया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है वह सदैव दुःखी और दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

जीवन की दौड़ में परिश्रम करनेवाला हमेशा विजयी होता है लेकिन आलसी लोगों को हमेशा हर जगह पर हार का मुँह देखना पड़ता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो। इसलिए हमें परिश्रमशील और कर्मठ बनना चाहिए। परिश्रम करके हम अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है।

जीवन में कुछ लोग केवल अपने भाग्य पर निर्भर होते हैं। ऐसे लोग परिश्रम की जगह भाग्य को बहुत अधिक महत्व देते हैं। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य के भरोसे रहना जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य मनुष्य के जीवन लिए एक अभिशाप है, जो उन्हें परिश्रम करने से हमेशा रोकता रहता है। इसलिए हमें भाग्य के भरोसे न रहकर कठिन परिश्रम करके जीवन में सफलता रास्ता चुनना चाहिए। परिश्रम से कोई भी व्यक्ति अपने भाग्य को बदल सकता है।

जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है। वह संसार के लिए सड़क, भवन, मशीन और बाँध (डैम) इत्यादि का निर्माण करता है। अगर हम अपने जीवन, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति देखना चाहते हैं तो हम सभी को भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। सच्ची लगन और निरंतर परिश्रम से सफलता हमें अवश्य मिलती है। निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति कोई भी क्षेत्र में आसानी से सफलता पा सकता है। जीवन में सफलता पाने के लिए लगन और कठिन परिश्रम अति आवश्यक है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 700 Words

श्रम ही जीवन का मूल है

किसी ने ठीक ही लिखा है: “श्रम ही सों सब मिलत है, बिनु श्रम मिलै न काहि।”

संसार की समस्त उँचाइयों, उपलब्ध्यिों और शिखरों को आदमी अपने सतत् श्रम से ही प्राप्त करता है। बिना अथक श्रम के इनकी उपलब्धि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सारा मानव-इतिहास, मानवीय श्रम का ही इतिहास है। जो भी आज हमें दिखलायी पड़ता है या फिर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हमें प्राप्त होता है उसी के द्वारा वह सब कुछ अर्जित किया गया है।

श्रम ही मानवीय-जीवन का सार है। भृतहरि ने इस शाश्वत सत्य की अभिव्यक्ति निम्नोक्त पंक्तियों में की है।

“उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी: दैवे न देशमिति का पुरुषाः वदन्ति। दैवं निहत्य कुरूपौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृते यदि न सिद्धमति कोत्र दोष॥”

अर्थात् लक्ष्मी उसी पुरुष को प्राप्त होती है, जो उद्योगी या परिश्रमी होता है। हर वस्तु की प्राप्ति की आकांक्षा वे ही करते है जो कायर ओर श्रमहीन होते हैं। सफलता श्रम पर ही निर्भर करती है। यदि श्रम के बाद भी किसी विशेष कार्य में हमें सफलता की प्राप्ति नहीं होती, तब दु:खी और कुण्ठित होने के स्थान पर यह विचारना चाहिए कि उस कार्य की प्रक्रिया में वांछित श्रम करने से चूक कहाँ हुई है। भर्तृहरि की उपरोक्त पंक्तियाँ हमें निश्चित रूप से यह अवबोधित कराती है कि मानव-जीवन की निरन्तरता में एक ही शाश्वत वस्तु है, जिसे श्रम कहा जाता है। ऐसा नहीं है कि श्रम की यह वास्तविकता मात्र मानव-जगत की ही विशेषता है, श्रम की वास्तविकता समस्त गोचर जगत में परिलक्षित होती है। इस प्रसंग में एक साधारण जीव चींटी का उदाहरण लिया जा सकता है। हम सभी ने प्रायः इस तथ्य का अनुभव किया है कि एक साधारण सी, अतिसामान्य सी चींटी निरन्तर, बिना थके, अपने काम में लगी रहती है। वह अपनी शारीरिक क्षमता से बहुत ज्यादा काम प्रतिदिन सम्पन्न करती है। यह वैज्ञानिक सत्य भी है। इसी तरह जब हम पशु-पक्षियों को देखते हैं तो उन्हें भी श्रमयुक्त देख पाते हैं। वस्तुतः समस्त प्रकृति ही किसी न किसी रूप में सदैव श्रमशील रहती है। यही उसकी जीवटता और सजीवता का कारण और परिणाम है। अर्थात् वास्तविकता यही है कि श्रम की साधना करने वाले कभी भी असफल नहीं होते। वे सदैव उच्च शिखर का संधान करते हैं।

जैसा कि हम जानते हैं, मानव सभ्यता का विकास उसके अथक श्रम का परिणाम है। आज भी अपने कठोर श्रम का उपयोग अपनी सभ्यता को नये-नये रूपों में विकसित करने के लिए कर रहा है। वह इसके लिए किसी दैवीय चमत्कार की आशा नहीं रखता। एक अंग्रेजी कहावत इस बात को बेहद प्रमाणिक रूप से अभिव्यक्त करती है: ‘God helps those who help themselves’ यानि ईश्वर भी उन्ही की सहायता करता है जो स्वयं अपनी मदद करना जानते हैं।

मनुष्य ने परिचित, अपरिचित, ज्ञात और अज्ञात प्रकृति को अपने श्रम के द्वारा ही अपने अनुकूल बनाया है। उसने अनेकानेक रूपों में, मानव हित में, प्रकृति का उपयोग संभव किया। है। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि मानव-सभ्यता का सम्पूर्ण इतिहास मानव और प्रकृति के द्वन्द्व का ही फलित रूप है। प्रकृति की शक्ति किसी से छिपी हुई नहीं है। प्रकृति के अस्तित्व के सामने मनुष्य का अस्तित्व अत्यंत लघु है। किन्तु लघु होते हुए भी उसने अपने श्रम बल के माध्यम से प्रकृति को अपने अनुकूल बनाया और अपने हितार्थ उसका बहुआयामी उपयोग भी किया है।

भारतीय संस्कृति श्रम और कर्म की ही संस्कृति है। ‘गीता’ कर्मवाद का सिद्धांत प्रस्तुत करने वाला भारतीय संस्कृति का एक पवित्र ग्रंथ है। श्रीकृष्ण का यह गीता-उपदेश प्राचीन समय से ही समस्त मानव जाति को किसी न किसी रूप से सदैव गतिशील करता आया है। यथा:

“माम् अनुस्मर युद्धय च”

अर्थात जीवन में निरन्तर संघर्ष करो, युद्ध करो ताकि सफलता पा सको। श्री कृष्ण का यह आप्तवाक्य श्रम की सार्वभौम-महत्ता को उद्घाटित और रेखांकित करता है।

श्रम जीवन को सम्पूर्णता और समृद्धि प्रदान करता है। वह मनुष्य को समय का सदुपयोग करते हुए अपने जीवन के साथ-साथ अपने देश और समाज से हर प्रकार की अभावग्रस्तता को दूर कराने का प्रबल साधन बनता है। श्रम मनुष्य के आंतरिक और वाह्य खालीपन को भरता है, उसकी हर प्रकार की जरुरतों को पूरा करता है। अतः अपने व्यापक अर्थ में श्रम मनुष्य जाति के विकास और सार्थक होने का एकमात्र विराट साधन है। इसीलिए, किसी विद्वान कवि ने श्रम को एक कठोर साधना कहते हुए ठीक ही लिखा है।

“जितने कष्ट संकटों में हैं, जिनका जीवन सुमन खिला। गौरव-ग्रन्थ उन्हें उतना ही, यत्र-तत्र, सर्वत्र मिला।”

परिश्रम का महत्व पर निबंध 800 Words

जीवन में परिश्रम ही सब कुछ है। बिना परिश्रम जीवन व्यर्थ और नि:स्सार है। संसार में जो कुछ स्थाई, श्रेष्ठ, महान् और हितकारी है, वह हमारे अथक परिश्रम का ही फल है। हमारी इतनी समृद्ध संस्कृति, सभ्यता और वैज्ञानिक विकास सभी कुछ इस परिश्रम की ही देन है। हमारे चाँद पर पहुँचने, एवरेस्ट पर विजय पाने, संचार क्रांति आदि सभी के पीछे परिश्रम खड़ा दिखाई देता है। पुरुषार्थ को ही लक्ष्मी और सरस्वती जैसी देवियाँ अपनी वरमाला पहनाती हैं। सफलता उद्यमी और कर्मवीर का ही वरण करती हैं। कर्मयोग के द्वारा ही सिद्धियाँ, मोक्ष और स्वर्ग प्राप्त किये जा सकते हैं। कर्महीन व्यक्ति नपुसंक होते हैं। वे पृथ्वी पर भार होते हैं और मानवता के लिए अभिशाप भी।

श्रम ही सफलता और सुख की सीढ़ी है। यही वह कुंजी है जिससे समृद्धि, श्रेय, यश और महानता के खजाने खोले जा सकते हैं। इतिहास और हमारा सारा जीवन ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है। इब्राहम लिंकन, महाकवि कालिदास, तुलसीदास, लालबहादुर शास्त्री, नेपोलियन बोनापार्ट, महात्मा गाँधी; मदर टेरेसा आदि के उदाहरण हम ले सकते हैं। इन सभी व्यक्तियों ने अपने खून-पसीने और श्रम से ही महानता प्राप्त की।

यह सभी श्रेष्ठता के उच्चतम शिखर तक पहुंचे इतिहास रचा और अमर हो गये। लिंकन का जन्म एक अत्यन्त निर्धन किसान परिवार में हुआ था। उसका परिवार एक लकड़ी की झोंपड़ी में रहता था। जब वह नौ वर्ष का था तभी उसकी माता का देहांत हो गया। उसे खेत और घर पर कठोर परिश्रम करना पड़ता था और वह शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल नहीं जा सकता था। उसने डाकिये के पद पर काम किया और वहां जो समाचार-पत्र आदि आते थे उन्हें उनके पतों पर पहुंचाने से पहले लिंकन उन्हें जल्दी से स्वयं पढ़ लेता था। उसने लोगों से पुस्तकें पढ़ी और इस तरह विद्या का अध्ययन किया। अपनी गहरी लग्न, अथक परिश्रम और पुरुषार्थ से लिंकन निरन्तर आगे ही आगे बढ़ता रहा और अपनी मेहनत के बलबूते अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का महान् राष्ट्रपति बना।

हमारी सभ्यता, संस्कृति, आर्थिक और वैज्ञानिक समृद्धि के मूल आधार ये ही स्त्री-पुरुष हैं। इन्हीं कर्मवीरों के हम सचमुच ऋणी हैं। उदाहरण के लिए हम कालिदास के जीवन को ले सकते हैं। शुरु-शुरु में कालिदास बिल्कुल मूर्ख था। वह इतना मूर्ख था कि जिस डाली पर बैठा हुआ था, उसी को काट रहा था। कुछ लोगों ने चालाकी से उसका विवाह प्रतिभा सम्पन्न राजकुमारी विद्योत्तमा से करवा दिया। जब विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला तो उसने दु:ख से अपना सिर पीट लिया और कालिदास को घर से निकाल दिया।

इस अपमान, निरादर और ताड़ना से कालिदास तड़प उठा, उसकी नींद खुल गई। वह काशी चला गया और वहां संस्कृति का अध्ययन किया, काव्य-सृजन सीखा और प्रकांड पंडित होकर अवंती लौटा। उसकी प्रखर प्रतिभा को देखकर विद्योतमा और दूसरे सभी दरबारी लोग आश्चर्यचकित रह गये। कालिदास ने अपने अथक और निरन्तर परिश्रम से वह कर दिखाया जो असंभव था। महामूर्ख से महापंडित की यह यात्रा परिश्रम का एक अद्भुत वस्तुपाठ है। हमें इससे शिक्षा लेनी चाहिये। इसका अनुसरण करना चाहिये तथा कर्मयोग को अपनाना चाहिये।

परिश्रम के अभाव में प्रतिभा का भी कोई महत्त्व नहीं। प्रतिभाशाली व्यक्ति को भी कड़े परिश्रम और पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है। सफलता में यदि 10 प्रतिशत भाग प्रतिभा का मान लिया जाए तो 90 प्रतिशत भाग परिश्रम के ही खाते में जाता है। सच्चाई तो यह है कि श्रम का कोई विकल्प नहीं। श्रम का ही दूसरा नाम श्रेष्ठता, सफलता और महानता है। परिश्रम की पहुंच से बाहर कुछ भी नहीं, न स्वर्ग, न मोक्ष, न सफलता, न श्रेष्ठता और न ही महानता। हीरा अमूल्य होता है। यह प्रकृति की एक अनुपम देन है। राजा-महाराजाओं के ताज इससे सुशोभित होते हैं। विश्व की सुन्दरतम नारियों का श्रृंगार बनता है। देवताओं का इससे अलंकरण किया जाता है। परन्तु हीरा मूलतः एक अनगढ़ पत्थर का टुकड़ा ही होता है। कारीगर अपने कठोर परिश्रम से कांट-छांट कर उसे हीरे का रूप देता है। उसे अपने श्रम और पसीने से चमकाता है। इस कठोर परिश्रम के पश्चात् ही हीरे का वास्तविक मूल्य और उपयोगिता प्रकट होती है।

मनुष्य अपनी नियति और भाग्य का स्वयं निर्माता है। नियति कभी पूर्वनिर्धारित या निश्चित नहीं होती। ग्रह-नक्षत्र हमारे भाग्यविधाता नहीं होते। हमारे पूर्व जन्मों के कर्म फल ही हमें भाग्य के रूप में दिखाई देते हैं। हम स्वयं ही अपने मित्र या शत्रु हैं। हमारे कर्म ही हमारी नियति निश्चित करते हैं। यह सारा संसार और इसके कार्य व्यापार कर्म प्रधान हैं। कर्मवीर अपने भाग्य का स्वयं निर्माण करते हैं।

मनुष्य का कर्म पर ही अधिकार है, उसके फल पर नहीं। मनुष्य स्वभाव से ही कर्मशील है। हमें कठोर परिश्रम करना चाहिये। काम से जी चुराना हमें शोभा नहीं देता। आलसी विद्यार्थी असफल रहते हैं और जीवन में कभी कुछ अच्छा नहीं कर पाते। इसके विपरीत परिश्रमी छात्र सफल होते हैं। वे पुरस्कार प्राप्त करते हैं और अपने विद्यालय का नाम रोशन करते हैं और जीवन में ऊँचे तथा महत्त्वपूर्ण पद प्राप्त करते हैं। कर्महीन और आलसी व्यक्ति ही भाग्य की दुहाई देते हैं। वे वस्तुओं और स्थितियों में दोष निकालते हैं और अपने दुर्भाग्य का रोना रोते हैं।

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essay on parishram ka mahatva in hindi

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essay on parishram ka mahatva in hindi – परिश्रम का महत्व पर हिंदी निबंध

आज के इस निबंध के माध्यम से हम सीखेंगे परिश्रम का महत्व पर हिंदी निबंध जो परीक्षा के दृष्टिकोण से कक्षा 2 ,3 ,4 ,5 ………. 12 तक लाभप्रद और सहायक सिद्ध होने वाली है | इस निबंध के माध्यम से हमने आप की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लघु मध्यम तथा दीर्घ ( short , medium and long essay )  परिश्रम का महत्व पर हिंदी निबंध 2021 प्रस्तुत करने जा रहे हैं आशा करता हूं आपको यह निबंध पसंद आएगा तो चलिए चलते हैं बिना समय गवाएं निबंध की ओर – 

परिश्रम का महत्व पर हिंदी निबंध – 2021 

निबंध 1 ( 100 शब्दों में ) –

परिश्रम के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं होता है | परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है | परिश्रम के बल पर ही मनुष्य किसी भी सफलता को प्राप्त कर पाता है |  परिश्रम के बिना फल की कल्पना नहीं की जा सकती है | परिश्रम ही वह कुंजी है जिसे सफलता के मार्ग खुल जाते हैं | 

दुखों का बड़ा से बड़ा पहाड़ भी परिश्रम  के आगे बिखर जाता है | इस संसार में जितने भी जीव है उन्हें जीवन के लिए परिश्रम करना ही होता है |  परिश्रम के बल पर ही एक साधारण इंसान सफलता के तमाम ऊंचाइयों को प्राप्त करते हैं |

निबंध 2  ( 200 शब्दों में ) –

परिश्रम करने से एक साधारण  मनुष्य भी असाधारण बन जाता है | किसी भी सफलता का रहस्य उसके पीछे की परिश्रम में छुपा होता है |  प्रकृति के अनुसार धरती पर पाए जाने वाले जितने भी जीव है उन्हें सतत परिश्रम करना ही होता है | कहते हैं परिश्रम कभी बेकार नहीं जाती , परिश्रम का फल हमेशा मीठा होता है |

इस संसार में जितने भी महान इंसान हुए हैं उनके पीछे परिश्रम ही उनका सबसे बड़ा कला था | परिश्रम के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं रह जाता है परिश्रम हमें पहले से और ज्यादा सशक्त और मजबूत बनाती है | परिश्रम से ही हम किसी भी परिस्थितियों में जीत हासिल करते हैं |

वेद पुराणों के अनुसार कहा जाता है परिश्रम करते जा फल की चिंता मत कर यह बातें उतनी ही सत्य है जितना कि जन्म के बाद मृत्यु क्योंकि परिश्रम के बल पर ही हम अपने जीवन की दिशा को बदल सकते हैं | परिश्रम से ही हम वह प्राप्त कर सकते हैं जिसे सिर्फ सपनों में देखा करते हैं | बिना परिश्रम हमारे सपने सच हो जाए ऐसा हो ही नहीं सकता है |

essay on parishram ka mahatva in hindi

पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव –  पक्षी , जानवर ,  सरीसृप आदि सभी को जीवित रहने के लिए परिश्रम करना ही होता है | एक छोटे से छोटे जीव को भी महज भोजन पाने के लिए परिश्रम करना ही होता है |

निबंध 3 (  500 शब्दों में ) –

प्रस्तावना –

कहते हैं परिश्रम कभी बेकार नहीं जाती यह बातें सत्य है क्योंकि आप जो बोते हैं वही काटते भी हैं | और आप जिन चीज़ो  पर मेहनत करते हैं वही  चीज आपके जीवन में वापस भी आती है |

और ऐसा तब हो पाता है जब आप शिद्दत से परिश्रम करते हैं ,परिश्रम करने से कभी अपने आप को गुरेज नहीं करते , भाग्य सहारे कभी नहीं बैठते बल्कि  परिश्रम के बल पर जीवन के दिशा को बदलने की भावना रखते है दरअसल वही सच्चा इंसान कहलाते हैं , वही सच्चे व्यक्तित्व कहलाते हैं और उन्ही की दुनिया में खूब नाम होते हैं |

परिश्रम का फल –

ऐसा कहा जाता है कि परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाती परिश्रम करने वाले को भले ही देर से मिलता है परंतु मिलता जरूर है|  और जब मिलता है तो उनका फल बहुत मीठा होता है | दरअसल इन का आशय इस बात से है जब हम मेहनत गलत  दिशा में करने लगते हैं तो उनका  फल हमें तात्कालिक मीठा लगता है और  बाद में हमें पश्चाताप के आग में जलना भी होता है |

  परंतु जब हम सही मार्ग को चुनते हैं तो मार्ग भले ही कठिन हो हमारे लिए परंतु उसका फल हमेशा मीठा होता है फिर हमें जीवन में कभी पश्चाताप नहीं करना पड़ता है |

परिश्रम करने के बगैर मनुष्य खुद को नहीं समझ पाता है परंतु जब वह मेहनत की आग में कूद जाता है तो फिर अपनी क्षमताओं को भलीभांति समझ भी लेता है | और फिर वही व्यक्ति जीवन में सफलताओं के मंजिल  को प्राप्त करने लग जाते हैं फिर उनका जीवन सुखदाई हो जाता है |

परिश्रम  हर कीमत पर हमें सफलता जरूर दिलाती है परंतु यह तब सार्थक हो पाता है जब हमारा परिश्रम सही दिशा में होता है बजाय इसके हमारा मेहनत गलत दिशा में अगर हो तो हमें सफलता नहीं मिलती है | परिश्रम करने से पहले हमें भली-भांति समझ लेना चाहिए कि कौन से मार्ग हमें सफलता तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगे हम चीजों को समझे बगैर ही परिश्रम करने में लग जाते हैं और समय निकल जाने के बाद हमें सफलता नहीं मिलती है और तब हम निराश हो जाते हैं |

सिर्फ शारीरिक मेहनत करने से हमें सफलता नहीं मिल जाती सफलता प्राप्त करने के लिए हमें हमारे मन और हृदय को भली – भाँती  खुली रखनी होती है ताकि हम चीजों को भलीभांति स्पष्ट रूप से समझ सके और फिर उस दिशा में सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सफलता अर्जित कर सके |

आज के बढ़ते आधुनिक दौड़ में सिर्फ शारीरिक मेहनत करने से सफलता हाथ नहीं लगती हमें हमारे कार्यो को विलक्षण तरीके से करना होता है तब जाकर हमें सफलता जरूर मिलती है | हमे परिश्रम फल की चिंता किये बगैर करते रहनी चाहिए जिससे हमे एक दिन सफलता जरूर मिल जाती है |

निबंध 4 ( 1000 शब्दों में ) –

मनुष्य के भीतर अमर्यादित शक्ति है परंतु उस शक्ति को परिश्रम से ही पहचाना या परखा जा सकता है क्योंकि संसार में अधिकतर इंसान अपनी शक्ति का मर्यादित उपयोग ही करते हैं क्योंकि वे आलस्य का शिकार होते है | उन्हें अपनी क्षमताओं का आभास नहीं होता है संसार में आज कितने ही लोग हैं जो असफल है क्योंकि वहआलस्य  से का चादर ओढ़े हुए और उन से बाहर निकलकर परिश्रम का रास्ता नहीं अपनाते हैं |

इसलिए जीवन में बड़ा नहीं कर पाते परंतु जिन मनुष्य के अंदर परिश्रम का पहाड़ होता है जीवन के किसी भी परिस्थितियों में स्वयं को सफल बना ही देते है | परिश्रम करने वालों के पास कोई बहाना नहीं होता परंतु वही आलस्य में पड़े रहने वालों के पास कई सारे बहाने होते है |

और बहाने बनाकर सफलता प्राप्त नहीं किया जा सकता सफलता प्राप्त करने के लिए हर कीमत आपको चुकाना ही होता है वैसे ही आदमी जीवन में सफल भी हो जाते हैं जिसके पास परिश्रम का अपारशक्ति मौजूद होता है |

परिश्रम का महत्व –

परिश्रम ही मनुष्य को सफलता के शिखर तक पहुँचता है |  अगर इंसान परिश्रम ना करें तो उसका जीवन दुर्लभ हो जाएगा किसी भी इंसान का जीवन अच्छा है या बुरा यह उसके परिश्रम पर निर्भर करता है | अधिक परिश्रम करने वाले व्यक्ति जीवन में सफल और सुखी रहते हैं तथा दूसरी ओर वे व्यक्ति  जो जीवन में परिश्रम से डरते हैं आलस्य को अपना साथी  मानते हैं वे जीवन में असफल होते हैं और दुखी रह जाते हैं| 

मनुष्य आज दुनिया में कई ऊंचाइयों को छू लिया है  इसका श्रेय उनकी परिश्रम को ही जाता है | लगातार परिश्रम के बल पर इंसान धरती से चांद तक तथा अन्य ग्रहों तक की यात्रा भी की है तथा अनगिनत उपलब्धिया अपने नाम किया है | दुनिया में आज जो भी उपलब्धियां और सफलताएं हैं वे सभी परिश्रम के बल पर ही संभव हो पाया बिना परिश्रम किए हमारे मुंह में भोजन तक नहीं जा सकता तो जीवन में हम सफलता के शिखर को बिना परिश्रम के कैसे प्राप्त कर सकते हैं|

परिश्रम ही हमारा साथी होता है जो दुख के समय में हमें बाहर निकालने का एक माध्यम बन जाता है | एक छोटा जीव भी परिश्रम के बल पर ही बड़े से बड़े कार्य कर जाते हैं अर्थात परिश्रम ही हमारा वह साथी है जो दुख से बाहर निकालने में मदद करता है |

परिश्रम के लाभ –

कहते हैं परिश्रम करने वाले मनुष्य हमेशा स्वस्थ रहते हैं | परिश्रम करने से हमारे अंदर एक अलग ही शक्ति का संचार होता है जिस शक्ति से हम किसी भी मंजिल तक रास्ता तय कर लेते हैं | परिश्रमी मनुष्य अन्य अवसाद जैसे – उदासीनता ,खिन्नता आदि के शिकार नहीं होते क्योंकि परिश्रम करने से हमारा मस्तिष्क नकारात्मक बातों पर ध्यान आकृष्ट नहीं करता तथा अपने कार्य के ऊपर पूरा ध्यान रख पाना संभव हो पाता है |

इसलिए परिश्रमी इंसान हमेशा सुखी और समृद्ध रहते हैं परंतु वहीं दूसरी ओर आलस्य में गिरे लोग चिंता ,उदासी ,खिन्नता आदि का शिकार आसानी से हो जाते हैं | परिश्रम करने से एक निर्धन इंसान भी धनवान बन जाता है | परिश्रम से मनुष्य अपने सपने को को पूर्ण कर पाता है | परिश्रमी इंसान हर जगह हर पूजे जाते हैं | परिश्रम ही मनुष्य की पहचान होती है | परिश्रम के कारण ही मनुष्य की पूजा अर्चना की जाती है |

परिश्रम हि हमारा भाग्य –

भाग्य पर सब कुछ छोड़ देने वाले लोग जीवन में सफल नहीं होते मनुष्य का परिश्रम ही उनका भाग्य तय करता है | एक वह व्यक्ति जो भाग्य के भरोसे जीवन व्यतीत करते हैं वे जीवन में असफल और दुखी रहते हैं | वहीं दूसरी ओर जो परिश्रम में विश्वास करते हैं उनका जीवन सफल और सुखमय  हो जाता है क्योंकि इंसान का जीवन परिश्रम से ही  बदलता है | 

भाग्य के भरोसे बैठने से कुछ भी नहीं बदलता परिश्रम ही हमें हमारी लक्ष्य तक पहुँचाती  है | अर्थात हमारे भाग्य में जो नहीं है हम परिश्रम के बल पर अपने भाग्य में वह चीज प्राप्त कर सकते हैं |  संसार में कई ऐसे महापुरुष  है जिन के पास कोई भाग्य या कोई सुविधा , संसाधन पर्याप्त नहीं था| परंतु आज वह संसार में अपने परिश्रम के बल पर ही महान इंसान बने |

आज इस संसार में कितने ही सारे लोग हैं जो भाग्य के भरोसे अपना जीवन व्यर्थ कर देते हैं परंतु यह जीवन की सच्चाई नहीं है हमारा जीवन तभी उज्जवल हो सकता है जब हम परिश्रम का पहाड़ अपने सीने के अंतर आत्मसात कर ले फिर मनुष्य असाधारण काम कर जाता है जिसकी वह कभी कल्पना भी नहीं करता |

इस संसार में भाग्य  नाम की कोई चीज नहीं होती आज जो भी जहां  है वह सिर्फ और सिर्फ अपनी  परिश्रम और मेहनत के बल पर ही है| अब हमें भाग्य के भरोसे ना बैठकर परिश्रम के लिए तैयार रहना चाहिए तब जाकर हम अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं | परिश्रमी इंसान को उनका भाग्य पराजित भी करना  चाहे फिर भी वह विजेता ही होता है |

परिश्रमी मनुष्य कभी निराश नहीं होते बल्कि वे निराशाजनक स्थिति में स्वयं को सफल बनाने का प्रयत्न करते हैं | इसलिए हम सभी मनुष्यों को परिश्रम करने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि आलस्य ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु होता है |  जब हम मेहनत से डरते हैं तो इसका यह अर्थ होता है कि हम आलस्य के गुलाम हो चुके हमें आलस्य का त्याग करके परिश्रम करने के लिए तत्पर और दृढ रहने चाहिए | 

हमें अपने बच्चों को परिश्रमी बनने के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए क्योंकि परिश्रम के बिना एक सफल जीवन का कल्पना करना मूर्खतापूर्ण हैं | परंतु समाज में आज लोगों में बेरोजगारी की धारणा गढ़ कर गई है परंतु यह सत्य नहीं है हम अगर परिश्रम करना सीख जाए तो हमें हर वक्त रोजगार के अवसर मिलेंगे |

और सफलता को हम प्राप्त कर लेंगे जो लोग बेरोजगारी का रोना रोते हैं दरअसल वही लोग मेहनत से दूर भागते हैं अर्थात अपना रिश्ता आलस्य  से प्रगाढ़ कर बैठे हैं इसलिए हमें अपने बच्चों को हमेशा मेहनत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे जीवन के कठिन परिस्थितियों में भी सफलता के मार्ग तक पहुंच सकें |

परिश्रम कभी न कभी हमे फल अवश्य प्रदान करता है | परिश्रम से ही मनुष्य उन शक्तियों को प्राप्त कर लेता है जो किसी की कल्पना से भी बड़ी होती है |  

इस लेख को प्यार देने के  शुक्रिया !

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परिश्रम का महत्व पर निबंध – Parishram ka Mahatva

Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

परिश्रम अर्थात मेहनत, कर्म एवं क्षम के बिना कोई भी काम संभव नहीं है। जीवन में किसी भी काम को करने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है और परिश्रमी एवं स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर पाता है, लेकिन इसके लिए परिश्रम सही दिशा में और सही तरीके से किया जाना बेहद जरूरी है।

वहीं जो लोग सिर्फ किसी काम करने की फिक्र करते हैं और उसके बारे में सोचते रहते हैं, लेकिन उसके लिए मेहनत अथवा प्रयास नहीं करते, ऐसे लोग कभी अपनी जिंदगी में सफल नहीं हो पाते हैं –

वहीं संस्कृत के इस श्लोक में भी परिश्रम के महत्व को बताया गया है –

“आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः! नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति!!”

जिसका अर्थ है, आलस्य, इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है,जबकि परिश्रम मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त होता है क्योंकि जो लोग मेहनत करते हैं वे कभी दुखी नहीं रहते और अपने जीवन के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।

Parishram ka Mahatva

परिश्रम का महत्व पर निबंध – Parishram ka Mahatva

हर किसी के जीवन में परिश्रम में बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि परिश्रम के बिना मनुष्य की जिंदगी व्यर्थ होती है। मेहनत के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

अर्थात, परिश्रम मनुष्य की जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिस पर ही मनुष्य की जिंदगी का पहिया आगे बढ़ता है, अगर मनुष्य मेहनत करना छोड़ देता है तो उसका विकास रुक जाता है, अर्थात उसकी जिंदगी नर्क के सामान हो जाती है, क्योंकि परिश्रम से ही मनुष्य अपने जिंदगी के लिए जरूरी सभी कामों को कर पाता है।

वहीं हिन्दू धर्म के पवित्र महाकाव्य गीता में भी श्री कृष्ण ने अर्जुन को परिश्रम अथवा कर्म का महत्व को नीचे दिए गए इस उपदेश द्धारा समझाया था-

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:।”

अर्थात कर्म अथवा मेहनत ही मनुष्य की असली पूजा है और कर्म ही मनुष्य के सुखी जीवन का आधार है।

वहीं कर्महीन व्यक्ति हमेशा दुखी और दूसरों पर निर्भर रहता है इसके साथ ही वह दूसरों के अंदर बुराइयों को ढूंढता रहता है और दोषारोपण अथवा आरोप मड़ना उसकी आदत में शुमार हो जाता है, जबकि परिश्रमी व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए सदैव मेहनत करता रहता है और मुश्किल समय में भी हर समस्या का हल ढूंढ लेता है और सुखी जीवन व्यतीत करता है।

परिश्रम का समझो महत्व और आलस का करो त्याग:

जो व्यक्ति आलसी होते हैं, और किसी परिश्रम नहीं करना चाहते हैं, ऐसे लोगों का जीवन दुख और कष्टों में बीतता है।

वहीं जो मनुष्य कार्य-कुशल और परिश्रमी होते हैं और सदैव अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयास और मेहनत करते रहते हैं और एक दिन वे जरूर सफलता हासिल करते हैं इसलिए मनुष्य को आलस का त्याग कर अपने कर्मों को करना चाहिए।

वहीं आलस्य किस तरह मनुष्य के जीवन का विनाश कर देता है, इस संस्कृत के श्लोक द्धारा बताया गया है –

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रं, अमित्रस्य कुतः सुखम् – -योगवासिष्ठ

अर्थात अगर आलस्यरूपी अनर्थ न होता तो इस संसार में कोई भी व्यक्ति अमीर और विद्धान नहीं होता, क्योंकि आलस्य की वजह से ही यह दुनिया गरीब, निर्धन और अज्ञानी पुरुषों से भरी हुई है।

अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ते रहो:

जो व्यक्ति अपने कर्म पर भरोसा रखते हैं और अपने जीवन के कर्तव्यों को भली प्रकार से निभाते है। वही अपने जीवन में सफल हो पाते हैं। जो व्यक्ति कर्म नहीं करता और न ही अपने दायित्वों को पूरा करते हैं।

ऐसे व्यक्ति को जिंदगी जीने का कोई अधिकार नहीं होता है। हिन्दू धर्म के महाकाव्य गीता में भी कर्म के महत्व को बताया गया है। इसके अलावा बड़े-बड़े महापुरुषों ने भी अपने महान विचारों द्धारा परिश्रम और कर्म के महत्व को बताया है।

परिश्रम से बदलो अपना भाग्य, भाग्य के भरोसे कभी मत रहो:

जो लोग परिश्रम नहीं करते और सफलता नहीं प्राप्त होने पर अपने भाग्य को कोसते रहते हैं, ऐसे लोग हमेशा ही दुखी रहते हैं और अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हैं।

क्योंकि भाग्य की वजह से मनुष्य को सफलता तो मिल सकती है, लेकिन यह स्थाई नहीं होती, जबकि परिश्रम कर हासिल की गई सफलता स्थाई होती है और मेहनत के बाद सफलता हासिल करने की खुशी और इसका महत्व भी अलग होता है।

परिश्रम के बिना भाग्य सिद्ध नहीं होता है, इसको संस्कृत के इस श्लोक द्धारा बखूबी समझाया गया है जो कि इस प्रकार है –

यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्! एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति!!

अर्थात –

जिस तरह कोई भी रथ बिना पहिए के एक कदम की दूरी भी नहीं तय कर सकता है, उसी तरह बिना मेहनत अथवा पुरुषार्थ किये किसी भी मनुष्य का भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है।

उपसंहार

हम सभी को अपने जिंदगी में परिश्रम अथवा कर्म के महत्व को समझना चाहिए, क्योंकि कर्म करके ही हम अपने जीवन में सुखी रह सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं।

वहीं ईमानदार, परिश्रमी व्यक्ति ही न सिर्फ अपने कर्म से अपने भाग्य को बदल लेता है और सफलता हासिल करता है बल्कि वह अपने परिवार और देश के विकास की उन्नति में भी सहायता करता है।

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Hindi Essay on “Parishram ka Mahatva”, “परिश्रम का महत्त्व”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

परिश्रम का महत्त्व, parishram ka mahatva.

2 Hindi Essay on “Parishram ka Mahatva”

Essay No. 01

मानव जीवन में परिश्रम का बहुत महत्त्व है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जीवन में अगर हमें सफलता प्राप्त करनी है तो उसके लिए कठोर परिश्रम का मार्ग अपनाना होगा।

कठोर परिश्रम अर्थात् जी जान से किसी कार्य को पूरा करने के लिए मेहनत करना। एक दोहे के अनुसार-

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।

रसिर आवत जात् ते सिल पर परत निशान।।

अर्थात् परिश्रम करने से तो रस्सी भी पत्थर पर निशान डाल सकती है। फिर मनुष्य की तो बात ही कुछ निराली है वह अगर मेहनत करे तो क्या कुछ नहीं कर सकता। परिश्रम तो असंभव को भी संभव बना देता है।

हर व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य होता है। उसे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरा परिश्रम करना चाहिए। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने लिए, परिवार के लिए और देश के लिए कुछ भी कर सकता है।

एक विद्यार्थी के जीवन में तो इसका बहुत महत्त्व है। एक विद्यार्थी जब तक अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत से नहीं करता तब तक वह कक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकता। परीक्षा में वही विद्यार्थी असफल होते हैं जो आलसी व कमजोर होते हैं। मेहनती बच्चे अपनी मेहनत से अपना भाग्य खुद बनाते हैं।

हमें हमेशा कोशिश करते रहनी चाहिए। अगर कोई मनुष्य किसी कार्य में असफल हो जाता है तो उसे हार नहीं माननी चाहिए बल्कि सफलता प्राप्ति के लिए फिर से परिश्रम करना चाहिए। तब वह एक दिन जरूर सफल होगा।

परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सफल हो जाते हैं। अतः सभी को परिश्रमी होना चाहिए।

Essay No. 02

Importance of Labour

रूप – रेखा

परिश्रम से सफलता मिलती है , इससे हर काम बनता है , शेर भी शिकार करके खाता है , श्रम आलस्य और उदासी दूर करता है , श्रम से लाभ , आजादी के लिए किए गए श्रम का उदाहरण , श्रम से धन और यश मिलता है , महापुरुषों का उदाहरण ।

परिश्रम सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र है । श्रम करके हम अपने जीवन की अभिलाषा को पूरा कर सकते हैं । परिश्रम से हम उन सुखों को भी प्राप्त कर सकते हैं जो हमारे भाग्य में नहीं है। यह संसार कर्मक्षेत्र है। यहाँ कर्म ही प्रधान है। बिना श्रम किए कुत्ते-बिल्लियों को भी भोजन प्राप्त नहीं होता है । संस्कृत के एक श्लोक में कहा गया है :

“ उद्यमेन ही सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः

न हि सप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः। ”

अर्थात् उद्ययम (श्रम) से ही कार्य की सिद्धि होती है । केवल इच्छा करने से सफलता नहीं मिल सकती । सोये हुए सिंह के मुख में हिरण अपने-आप नहीं चला आता । उसे शिकार के लिए थोड़ी मेहनत करनी ही पड़ती है । हिरण की आशा में घात लगाकर बैठना पड़ता है । चतुराई दिखाकर उस पर अचानक हमला करना पड़ता है । इसी तरह प्रत्येक कार्य उचित श्रम की माँग करता है । बुद्धिमानीपूर्वक किए गए लगातार श्रम से कार्य पूरा हो जाता है।

श्रम हमारे जीवन को गतिमान रखता है। यदि हम श्रम को नकारते हैं तो हमारे जीवन की गति रुक जाती है। हमारा जीवन आलस्य और उदासी से घिर जाता है । मन में निराशा उत्पन्न हो जाती है । हम भाग्यवादी बन जाते हैं । तब कोई भी कार्य मन से नहीं किया जाता । तुलसीदास जी कहते हैं: “ दैव – दैव आलसी पुकारा। “ आलसी व्यक्ति खुद कुछ नहीं करना चाहते और हर समय ईश्वर से सहायता की याचना करते हैं । लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ईश्वर उसी की सहायता करते हैं जो मेहनती होते हैं।

परिश्रम करने से मनुष्य को बहुत लाभ होता है । उसे भीतरी शांति प्राप्त होती है। उसका हृदय निर्मल हो जाता है । उसके संकल्प दढ होने लगते हैं। उसके अंदर का विश्वास मजबूत बनता है । जीवन में उन्नति के लिए लोग बुरे से बुरा काम करते हैं । परिश्रम से बचने के लिए शार्ट कट रास्ता अपनाते है । यदि वह परिश्रम को अपने हाथ में ले ले तो धीरे-धीरे उन्नति करते हए विकास के शिखर पर चढ़ता जाता है । संसार में लोग उसका नाम आदर के साथ लेते हैं।

भारत के लोगों की लंबी गुलामी का कारण यही था कि यहाँ के निवासियों ने परिश्रम को भुला दिया था । लोग आलसी और निष्क्रिय हो गए थे। आज भी हम आलसी बने रहे तो फिर से अपनी आजादी खो देंगे । पर यदि हम परिश्रम करते रहे तो एक दिन भारत विकसित देश बन जाएगा।

परिश्रम से मनुष्य को धन और यश दोनों ही मिलता है । धन कमाने का सबसे आसान तरीका परिश्रम करना है । परिश्रम के बल पर कितने ही गरीब लोग अमीर बन गए हैं । जहाँ तक यश की बात है तो वह व्यक्ति को जीवित रहते हुए भी मिलता है और मृत्यु के बाद भी । अपनी मृत्यु के बाद . वह लोगों के लिए एक आदर्श छोड जाता है । प्रेमचन्द, महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू आदि महापुरुषों का संसार में बहुत सम्मान किया जाता है । इन लोगों ने अपने जीवन में बहुत श्रम किया था । इनके संघर्षों की कथा आज भी पढ़ी और सुनी जाती है । परिश्रम का महत्त्व बताते हुए कवि हरिऔध जी ने लिखा है:

“ देखकर बाधा विविध बहुविन घबराते नहीं ,

रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं ॥ ”

इसलिए हमें भाग्य भरोसे न रहकर कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करना चाहिए । परिश्रम से बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi : विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। वस्तुतः परिश्रम की सफलता की कुंजी है। जिस प्रकार सूरज अपने प्रकाश से अंधकार को दूर भगा दैता है ठीक उसी प्रकार परिश्रम से मानव-जीवन सुखमय हो जाता है और परिश्रमी व्यक्ति का भविष्य उच्चवल हो जाता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध। Parishram ka Mahatva Essay in Hindi

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Thank you @neha for pointing out my mistake. I will immediately correct it.

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Hindi Essay Writing – परिश्रम का महत्व (Hard Work)

    परिश्रम का महत्व पर निबंध – परिश्रम के आवश्यक तत्व, परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर, परिश्रमी व्यक्ति के गुण इस के बारे में जानेगे |   परिश्रम ही सफलता की कुंजी है , शायद यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण है, लेकिन कई बार परिश्रम भाग्य की छाया में अपनी महत्ता खो देती है, विशेषकर दक्षिण एशियाई देशों में। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों में आज भी भाग्यवादी विचारधारा है, विशेषकर उन देशों में जहां पर आस्था और श्रद्धा से युक्त जनसंख्या बसती है। अब उदाहरण अपने ही देश भारत का ले लें, यहां व्यावहारिक रूप से तो लोग भाग्यवादी हैं लेकिन हमारे पौराणिक ग्रंथों विशेषकर गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए बोलते हैं कि, “ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि”  अर्थात् हे अर्जुन आप कर्म करो क्योंकि आपका अधिकार कर्म पर है, फल पर नहीं है, अतः आप केवल कर्म करो फल की चिंता न करो।  इस श्लोक से साफ पता चलता है कि हमारे पौराणिक ग्रंथ हमको कर्म करने की शिक्षा देते हैं, भाग्य या फलवादी बनने की शिक्षा नहीं देते हैं। 

इस लेख में हम परिश्रम की उपयोगिता, परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर और परिश्रमी व्यक्ति के गुण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

संकेत सूची (Contents)

परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर, परिश्रमी व्यक्ति के गुण.

मेहनत का कोई विकल्प और शॉर्टकट नहीं है।  जब सफलता प्राप्त करने की बात आती है, तो कठिन परिश्रम करने के अलावा दिमाग में और कोई विचार नहीं आता है।  कड़ी मेहनत न केवल सफल होने का एक महत्वपूर्ण साधन है, बल्कि यह बेहतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण भी है। हम अपने जीवन के विभिन्न चरणों में चुनौतियों का सामना करते हैं। 

छात्र जीवन से लेकर पेशेवर जीवन तक, हर पहलू में हमें बाधाओं का सामना करना पड़ता है। सभी बाधाओं को दूर करने के लिए हमें संभावनाओं पर ध्यान देने की जरूरत है, फिर योजना को कड़ी मेहनत के साथ क्रियान्वित किया जाना चाहिए। 

छात्र सेमेस्टर में सभी परीक्षाओं को पास किए बिना अपनी डिग्री नहीं पा सकते हैं या जो कर्मचारी किसी कंपनी में काम कर रहा है, उसे बिना मेहनत के प्रमोशन नहीं मिलेगा। सभी सफल खेल हस्तियों, कलाकारों और लेखकों ने प्रसिद्धि या वांछित फल प्राप्त किया है क्योंकि उन्होंने इसके बारे में सपना देखने के अलावा पहले दिन से ही कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया था। दुनिया आजकल बहुत प्रतिस्पर्धी है। कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन हमें कुछ अन्य साधनों को भी याद रखना चाहिए जिन्हें कड़ी मेहनत के साथ जोड़ा जाना है। किसी भी कार्य की शुरुआत उचित योजना और उसका निष्पादन कठिनतम कार्य के साथ करना बहुत महत्वपूर्ण है। 

आज की दुनिया में स्मार्ट वर्क भी उतना ही जरूरी है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में जो कुछ भी करता है उसमें सफल होना चाहता है उसको अपने जीवन में आत्म-अनुशासन, समर्पण, प्रतिबद्धता और निरंतरता जैसे गुणों की जरूरत है। यह आपको उपलब्धि की भावना देता है। यह जानने से ज्यादा संतोषजनक और कुछ नहीं है कि आपने किसी चीज के लिए कड़ी मेहनत की है और उसे हासिल किया है। जब आप अपने लक्ष्यों तक पहुँचते हैं तो जो गर्व और उपलब्धि की भावना होती है वह बहुत अमूल्य होती है। 

परिश्रम के आवश्यक तत्व

कड़ी मेहनत ही एकमात्र तरीका है जिससे आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। 

हममें से जो लोग असाधारण रूप से अमीर, स्मार्ट या भाग्यशाली नहीं हैं, उनके लिए परिश्रम ही सुखी जीवन का एकमात्र तरीका है।  

परिश्रम निम्नलिखित तत्वों के बिना अधूरी है;

कोई भी व्यक्ति जब कोई परिश्रम करने जाता है तो कुछ समय बाद वह विचलित और हतोत्साहित हो जाता है, इस समय उसके परिश्रम की गाड़ी को प्रेरणा नामक पेट्रोल आगे खींचता है। 

प्रेरणा वह है जो कड़ी मेहनत को गति प्रदान करती है।  प्रेरणा वह है जो हमें भीषण संघर्ष और कठिन बलिदानों के बावजूद खुद पर विश्वास बनाए रखने में मदद करती है। 

एक समयबद्ध योजना

जब आप अपने बड़े लक्ष्यों के बारे में सोचते हैं, तो आप जीवन भर उनके बारे में सोचते हैं। लेकिन जब आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो आपको दिन प्रति दिन के लिए एक अलग समयबद्ध योजना चाहिए होती हैं। 

यह कड़ी मेहनत की जड़ है, और एक चीज जो कड़ी मेहनत को वास्तव में कठिन बनाती है। 

किसी भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण व्यक्तिगत बलिदान की आवश्यकता होती है। अपने रिश्तों, वित्त और आराम के स्तर में कम या खत्म करना ही असली परीक्षा है।    Top  

सफलता हमेशा लंबी अवधि में कड़ी मेहनत का परिणाम है।  सफलता धीरे-धीरे होती है, और केवल सही निर्णयों और छोटी जीत की एक श्रृंखला के बाद ही है। इसके विपरीत, भाग्य को आम तौर पर एक बार की घटना या संयोग माना जाता है। bबहुत से भाग्यशाली लोग अपने भाग्य का सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं और उनका जीवन दुखी हो जाता है क्योंकि वे लगातार अपने वास्तविक काम की उपेक्षा करते हैं। 

अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए और अपने प्रियजनों के साथ अपने जीवन का आनंद लेने के लिए आपको अपना काम रुचि के साथ करना चाहिए जो आपको अधिक से अधिक प्रेरित करता है। कभी-कभी हमें कुछ काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जो हमें पसंद नहीं है लेकिन इसे एक कार्य के रूप में आज़माएं और धीरे-धीरे इसके लिए अपने जुनून को विकसित करें तो आपकी मेहनत और भाग्य निश्चित रूप से आपको उड़ने वाले रंग प्राप्त करने में मदद करेगे। आप भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं, आप परीक्षा देने से पहले अपने माता-पिता या भगवान को याद करते हैं या आप किसी से मिलने जाते हैं और सकारात्मक उत्तर चाहते हैं तो आप कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपनी किस्मत में भी विश्वास करते हैं।

यदि आप अपने बिस्तर से उठकर अपना काम करते हैं जो आपको और अधिक उत्साह से भर देता है तो आप सही दिशा में हैं क्योंकि आपकी किस्मत आपकी कड़ी मेहनत के लिए निर्माण खंड बन जाएगी।

आप कह सकते हैं कि किस्मत एक पंच है और इसके पीछे कड़ी मेहनत है। इसलिए, मुझे लगता है कि कड़ी मेहनत महत्वपूर्ण है यदि आप अपनी भलाई के बारे में जानते हैं और आप वास्तव में जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। 

किस्मत और परिश्रम में से किसी एक पर कभी भी विश्वास न करें, अपनी किस्मत पर विश्वास करके काम करने की कोशिश करें और अपनी मेहनत से उसका सामना करें।    Top  

हमने कई जगहों पर लोगों को बहस करते देखा होगा – “क्या स्मार्ट वर्क से सफलता मिलती है या कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है?”  यह एक सही विषय है जिसके लिए एक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता है क्योंकि लोग कार्य करने के अपने दृष्टिकोण पर भ्रमित हो जाते हैं । स्मार्ट वर्क एक व्यक्ति को किसी कार्य को कुशलतापूर्वक पूरा करने में मदद करता है।  हम स्मार्ट वर्क कम संसाधनों और कम प्रयासों के साथ कम घंटों में अधिक कार्य करने को कह सकते हैं। 

कड़ी मेहनत भी एक व्यक्ति को किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करती है – लेकिन समय की खपत अधिक होगी और इस बात का कोई आश्वासन नहीं है कि कार्य कम संसाधनों के साथ पूरा किया जा सकता है या नहीं।  

मेहनत करने वाले व्यक्ति को किसी कार्य को पूरा करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। 

संक्षेप में, कड़ी मेहनत से हम किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं;  लेकिन लोगों के बीच प्रसिद्धि पाने और पहचान पाने के लिए स्मार्ट वर्क बहुत मायने रखता है।  स्मार्ट वर्कर अपने कार्यों को प्राथमिकता देते हैं, सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को पहले पूरा करते हैं और बाकी को बाद में पूरा करते हैं। 

इससे उनका काम आसान हो जाता है क्योंकि वे प्राथमिकता के आधार पर समाधान की दिशा में कार्य कर सकते हैं। 

स्मार्ट वर्क आपको कार्य करने से पहले ही समय की खपत को समझने देता है।  क्या किया जाना चाहिए, इस पर एक योजना के साथ, स्मार्ट वर्कर्स जल्द ही सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं।  एक मायने में, स्मार्ट तरीके से कड़ी मेहनत करने से हमें सौंपे गए किसी भी कार्य में सफलता मिलेगी। 

तो स्मार्ट वर्क और परिश्रम दोनों पर चर्चा करने के बाद, आपको क्या लगता है कि क्या पसंद किया जाना चाहिए?  यह ठीक है कि कुछ लोगों का मानना है कि केवल कड़ी मेहनत से उन्हें आवंटित समय सीमा में वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं जबकि स्मार्ट कार्यकर्ता उचित समय प्रबंधन के माध्यम से अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करते हैं। 

इसके विपरीत, कुछ लोगों की यह भी धारणा है कि यह कड़ी मेहनत का एक शॉर्टकट है और कड़ी मेहनत की तुलना में समान दक्षता और निरंतरता के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करने में कभी भी आपकी मदद नहीं कर सकता है।  खैर, हम जानते हैं कि आप दोनों के बीच पूरी तरह से भ्रमित हैं।  लेकिन चलिए इसका जवाब हम आपको देते हैं। 

यदि आप इनमें से किसी एक का व्यक्तिगत रूप से उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए एक समस्या पैदा कर सकता है लेकिन स्मार्ट और कड़ी मेहनत दोनों का सही मिश्रण आपको जरूर सफलता दिलाएगा।    Top  

एक मेहनती व्यक्ति होने का मतलब है कि आप अपने काम के लिए प्रतिबद्ध हैं और कभी भी कुछ भी अपने रास्ते में नहीं आने देंगे। 

चाहे वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो, होमवर्क खत्म करना हो या परिवार के कामों में समय से आगे निकलना हो, हर कोई ऐसा व्यक्ति चाहता है जो अच्छा काम कर सके और आसानी से हार न माने। 

आप सोच सकते हैं कि यह करना एक आसान काम है, लेकिन ऊर्जा और प्रेरणा के समान स्तर को बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता है।

एक परिश्रमी व्यक्ति में निम्न गुण होने चाहिए-

दृढ़ निश्चय

मेहनती व्यक्ति वह होता है जो तब तक नहीं रुकता जब तक कि काम पूरा नहीं हो जाता।  

यदि परिश्रमी व्यक्ति को एक रात देर से काम करना है, तो वह पूरी ऊर्जा और दृढ़ निश्चय के साथ देर रात तक काम करेगा।

एक समर्पित कार्यकर्ता अपने कार्य को पूरा करने के लिए कुछ भी करेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात, वह जो कुछ भी करेगा समय पर करेगा। 

 मेहनती व्यक्ति इस प्रकार के लोग होते हैं जिनके पास अपने पूरे दिन, सप्ताह या महीनों के लिए एक विस्तृत योजना होती है और वह यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अपने सभी कार्यों को अपनी निर्धारित योजना के अनुसार पूरा कर लें। 

खुद पर अनुशासन

परिश्रमी व्यक्ति में बहुत अधिक आत्म-अनुशासन होता है। वे उन चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं जो उनको अपने लक्ष्यों से भटका सकती है। 

वे अपने लिए निर्धारित पथ पर चलते रहते हैं जो अंततः उन्हें सफलता की ओर ले जाती है।

सकारात्मक मनोदशा

मेहनती व्यक्ति का नजरिया सकारात्मक होता है।  वे विपरीत परिस्थितियों में भी उत्साहित और खुश रहने में सक्षम होते हैं। 

मेहनती व्यक्ति रचनात्मक होता है। वे लगातार चीजों को करने या समस्याओं को हल करने के नए तरीकों के बारे में सोचते हैं और वे जोखिम लेने से डरते नहीं हैं जो उन्हें अपने क्षेत्र में सबसे आगे रखता है।

मेहनती व्यक्ति बहुत जिम्मेदार होता है। वे उस प्रकार के लोग होते हैं जो अपने दायित्वों को गंभीरता से लेंते हैं और जो कहते हैं वह जरूर करते हैं।

जिम्मेदारी एक मेहनती व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण गुण है क्योंकि यह आपको आत्मविश्वास के साथ निर्णय लेने की क्षमता देता है। यदि आप जिम्मेदार हैं, तो लोग आप पर भरोसा करने लगेगे। 

दृढ़ संकल्पित

मेहनती व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होता है।  जब तक वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, वे हार नहीं मानते हैं।

दृढ़ संकल्प में उद्देश्य की भावना भी शामिल होती है जो बदले में उन्हें सफलता की यात्रा के रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की प्रेरणा देती है। 

प्रतिबद्धता

एक मेहनती व्यक्ति अपने काम और योजनाओं के लिए प्रतिबद्ध होता है।  वे कुछ अधूरा नहीं छोड़ते हैं।

प्रतिबद्धता दृढ़ संकल्प का गुण पैदा करती है क्योंकि इसका मतलब है कि आपको अपने रास्ते पर बने रहना है चाहे आपको सफल होने के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता क्यों न पड़े।

एक मेहनती व्यक्ति वह होता है जो अपने विचारों को नहीं छोड़ता क्योंकि परिश्रमी व्यक्ति अपने उस विचार या दृढ़ संकल्प की सफलता के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। 

एक मेहनती व्यक्ति अपने जीवन में व्यवस्था बनाए रखता है।  वे दिन के लिए एक टू-डू सूची बनाकर खुद को व्यवस्थित रखते हैं और कुशल तरीके से कार्यों को पूरा करते हैं जो उन्हें अन्य योजनाओं या विचारों से विचलित होने से रोकता है। 

संगठन भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको अधिक उत्पादक बनने में मदद करता है। जिस दिन आप अधिक संगठित होगे, उस कार्य को शुरू करना और उस कार्य को पूरा करना आसान होगा क्योंकि किसी अन्य विचार या योजना से बाधित होने का जोखिम कम होता है। 

मेहनती व्यक्ति बहुत धैर्यवान होता है। वे मुश्किल परिस्थितियों और योजनाओं से निपटने में सक्षम हैं लेकिन वे तब तक परिश्रम करते रहते हैं जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता।

धैर्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको इस प्रक्रिया में निराश या खोए बिना अपने काम को सकारात्मक तरीके से करने में मदद करता है।    Top  

अगर हम दृढ़ संकल्प और ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम सभी बेहतर भविष्य के लिए कड़ी मेहनत कर सकते हैं। ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि हमारा काम समय पर और बेहतर तरीके से खत्म हो रहा है। इसलिए कड़ी मेहनत करके हम अपनी एकाग्रता शक्ति को बढ़ा सकते हैं और नए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं। 

अपने आप पर विश्वास करें और अन्य लोगों की उपेक्षाओं और आलोचनाओं पर ध्यान न दें। धैर्य और स्मार्ट वर्क के साथ परिश्रम करें आप एक दिन जरूर अपने जीवन में सफल होगें लेकिन यह भी ध्यान रखें कि जिंदगी को केवल किस्मत के सहारे न छोड़ें। 

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi

Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Essay on Parishram Ka Mahatva (Benefits of Hard Work) for all class in Hindi | Parishram Ka Mahatva Par Nibandh

भर्तृहरि ने आलस्य को मानव शरीर का सबसे बड़ा शत्रु बताया है. किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए उद्यम की आवश्यकता होती है, यह केवल चिंतन अथवा मनोरथ करने से पूर्ण नहीं होता. सोते हुए सिंह के मुख में हिरण स्वयं ही प्रवेश नहीं करता उसके लिए सिंह को प्रयास करना पड़ता है.

दैव दैव आलसी पुकारा- यह पूरी तरह सत्य है. अकर्मण्य तथा आलसी व्यक्ति ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं. केवल ईश्वर की कृपा से कार्य की सिद्धि चाहते हैं. जबकि सत्यता यह है कि ईश्वर भी उन्हीं की मदद करते हैं जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं. परिश्रमी तथा लगनशील व्यक्ति ही जीवन में सफल होते हैं तथा सफलता उनके चरण चुमती है. धरती के कायाकल्प के पीछे संकल्प की शक्ति कार्य करती है. यह धरती उन्हीं की है जो इनका अमृत मंथन करते हैं, जो रेत की छाती फाड़ कर और पर्वत का कलेजा चीर कर जल्द से धरती के सूखे अंचल को हरा-भरा कर देते हैं.

दृढ़ संकल्प एक गढ़ के समान है जो कि भयंकर प्रलोभन से हमें बचाता है और डावाडोल होने से हमारी रक्षा करता है.

~राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

कर्म ही श्रेष्ठ है विनोबा भावे ने कर्म की महत्ता बताते हुए कहा था.

कर्म ही मनुष्य के जीवन को पवित्र और हिंसक बनाता है.

जहां ध्येय हैं, वहां कर्म भी है. उससे कोई मुक्त नहीं है. समय उन्हीं के साथ होता है जो कर्मण्य है और जो भाग्य के भरोसे बैठना अपने पोरुष का अपमान समझते हैं. हमारा इतिहास साक्षी है कि कर्म पथ पर चलने वाले व्यक्तियों ने ही इतिहास का निर्माण किया है और समय पर शासन किया है. भगवान श्री कृष्ण , नादिर शाह, प्रेमचंद , शेरशाह सूरी, लाल बहादुर शास्त्री आदि ने जो कुछ भी पाया वह सब हमें दृढ़ शक्ति, साहस, धैर्य, अपने ध्येय में अटल विश्वास तथा कर्मशौर्य के कारण ही पाया.

उद्यम और परिश्रम आवश्यक है- उद्यम ही सफलता की कुंजी है. परिश्रम ही हमारा देवता है. बिना उद्यम के थाली की रोटी भी अपने मुख में नहीं आती है. इस प्रकार परिश्रम के बिना हमारी उन्नति नहीं हो सकती. उद्यमी पुरुष सिंह के समान होता है. लक्ष्मी भी उसका वरण करती हैं और उसी को सफलता प्राप्त होती हैं जो परिश्रम करता है.

आलसी मत बनो

आलस्य को अपना शत्रु मानने वाला कर्तव्य परायण व्यक्ति ही समय और परिस्थिति को अपने अनुकूल बना लेता है. आलस्य वह बीमारी है इसका कोई उपचार नहीं है. आलस्य सभी गुणों की जड़ है. आलस्य में लिप्त व्यक्ति कायर होते हैं. वह महान पुरुषों के वचनों का सहारा लेकर कर्तव्य कर्म से बचते रहते हैं. संत मूलकदास का यही दोहा इनका मूल मंत्र है-

अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम.

भाग्य के भरोसे मत रहो

भाग्यवादी लोगों के अनुसार शुभ सफलता अनायास ही भाग्य के सहारे मिल सकती है. जबकि कर्म के आधार पर मिलने वाली सफलता स्थाई होती है दुष्कर्म करने पर सफलता अवश्य मिलेगी. तुलसीदास जी ने कहा है-

सकल पदारथ है जग माही, कर्महीन नर पावत नाही.

कर्म पथ पर चलते रहो

वेदों में कहा गया है कि इस पृथ्वी पर कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की इच्छा रखो, क्योंकि कर्म करने वाला जीने का अधिकारी है. जो कर्म निष्ठा को छोड़कर भोग वृत्ति रखता है, वह मृत्यु का अधिकारी होता है. कर्म करते हुए दृढ़ संकल्प का सहारा लेकर साहस के साथ कार्य करने पर सफलता अवश्य मिलती है.

परिश्रम का महत्व

परिश्रम का जीवन में सबसे बड़ा महत्व है. कर्म करते रहने पर एक न एक दिन अवश्य सफलता मिलती है. प्रकृति भी भाग्य के बल से नहीं व्यक्ति के पुरुषार्थ के बल से झुकती है. राष्ट्रकवि दिनकर के अनुसार-

प्रकृति नहीं डरकर झुकती है, कभी भाग्य के बल से. सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से, श्रम-जल से.

परिश्रम द्वारा शिवाजी को सफलता मिली जबकि आलस्य के कारण उनका पुत्र संभाजी असफल रहा. झांसी की रानी की सफलता का श्रेय भी परिश्रमशिलता को जाता है.

विद्यार्थियों के लिए परिश्रम का महत्व

विद्यार्थी जीवन में परिश्रम का महत्व सबसे अधिक है. विद्यार्थी जीवन भावी जीवन की भूमिका है. जो विद्यार्थी इस समय जितना परिश्रम करेगा उसका भविष्य उतना ही सुखी होगा. परिश्रम की यात्रा के आधार पर उसकी सफलता की मात्रा आधारित है. महान वैज्ञानिक एडिसन से उसकी सफलता का रहस्य जानना चाहा कि उसकी सफलता का रहस्य क्या है. तो एडिसन ने हंसकर उत्तर दिया-

प्रतिभा क्या है, एक औंस बुद्धि और एक टन परिश्रम.

हमें आलस्य त्यागकर कर्म में लग जाना चाहिए. भाग्य के भरोसे बैठकर हम प्रगति के मार्ग पर अग्रसर नहीं हो सकते. आलसी व्यक्ति ही भाग्य को पुकारते हैं किन्तु कर्मयोगी व्यक्ति तो अपने कर्म तथा परिश्रम से भाग्य को ही बदल देते हैं. परिश्रमी व्यक्ति के लिए कुछ भी असाध्य नहीं हैं, असंभव नहीं हैं, वह तो अपने परिश्रम के बल पर सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं.

इसे भी पढ़े :

  • देश प्रेम पर निबंध
  • कारगिल युद्ध पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध

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1 thought on “परिश्रम का महत्व पर निबंध | Parishram Ka Mahatva Essay in Hindi”

Very best line thanks for uploading

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Parishram Ka Mahatva in Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध

जीवन में परिश्रम के महत्व पर हिंदी में निबंध पढ़ें? Essay on the Importance of Labor in Hindi – Parishram Ka Mahatva in Hindi (परिश्रम का महत्व पर निबंध)

अत्यन्त छोटे-से जीव चीटियों को हम सभी देखते है। शायद ही किसी ने चीटियों को सोते या आराम से बैठे देखा हो। चीटियों का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ होता है।

वे अनवरत श्रम करती है। वे जीवन की समस्याओ को अपने श्रम से सरलता से सुलझा लेती है। चीटियों का जीवन हमारे लिए आदर्श उदाहरण है। ऐसा कौन-सा कार्य है जो परिश्रम-साध्य न हो।

नेपोलियन की डायरी में असंभव जैसा कोई शब्द नहीं था। कर्मवीर, दृढ़-प्रतिज्ञ महापुरुषों के लिए संसार का कोई भी प्राप्तव्य कठिन नहीं होता। परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहता है।

उसके संकल्प कभी ठंडे नहीं होते, प्राकृतिक कारण भी विघ्न बनकर उसके मार्ग को अवरुध्द नहीं कर सकते। सफलता उसी मनुष्य का वरन करती है, जिसने उसकी प्राप्ति के लिए श्रम किया हो।

Parishram Ka Mahatva in Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध

प्रथम श्रेणी उन्ही विद्यार्थियों को गले लगाती है, जो उसकी प्राप्ति के लिए पूरे वर्ष श्रमपूर्वक अध्ययन करते है। भर्तृहरि के अनुसार,

उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैती लक्ष्मीः दैवेन देयमिति कापुरुषः वदन्ति। दैवं निहित्य कुरुपौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृति यदि न सिध्दयति को&त्र दोषः।।

अर्थात उद्योगी पुरुष को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है। दैव को छोड़कर मनुष्य को यथाशक्ति पुरुषार्थ करना चाहिए। यदि प्रयत्न करने पर भी कार्य-सिध्दि न हो तो यह विचार करना चाहिए कि हमारे प्रयास में क्या कमी रह गई।

जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है यो परिश्रमी होना नितान्त आवश्यक है। आलसी, अनुद्योगी, अकर्मण्य व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता। गति का ही दूसरा नाम जीवन है जिस मनुष्य के जीवन में गति नहीं है।

वह आगे नहीं बढ़ सकता। मानव-जीवन संघर्षो के लिए है, संघर्ष के पश्चात उसे सफलता मिलती है। जो व्यक्ति संघर्षो से, श्रम से डर गया, वह मानव नहीं पशु है, उसका जीवन व्यर्थ है।

केवल इच्छा करने से ही कार्य की सिध्दि नहीं होती, उद्योग और कठिन परिश्रम से ही कार्य की सिध्दि संभव है। अंग्रेजी में एक कहावत है-”God helps those who help themselves.”अर्थात ईश्वर उन्ही की सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करने में समर्थ होते है।

परिश्रम करने से मनुष्य को आत्मिवक शांति प्राप्त होता है। उसका ह्रदय पवित्र होता है, उसके संकल्पो में दिव्यता आती है, उसे सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। परिश्रम से मनुष्य को यश और धन दोनों ही प्राप्त होते है। परिश्रमी व्यक्ति जीवन में ही यश प्राप्त नहीं करता, मृत्यु के पश्चात वह अपना आदर्श भी छोड़ जाता है।

Final Thoughts –

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  • Education /

Importance of Hard work in Hindi : सफलता की एक मात्र कुंजी है परिश्रम

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 20, 2023

Importance of Hard Work in Hindi

हम अपने बड़ों, शिक्षकों यहां तक परिवार में भी सुनते आए हैं कि मेहन सफलता की एक मात्र कुंजी है। यह वाक्य इस बात का प्रमाण है कि अगर आप अपनी मंजिल के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं, राह में आने वाले नए चैलेंज के सामना कर रहे हैं और अपने लक्ष्य पर फोकस हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती इसका सिर्फ इतना ही मतलब होता है कि वह लक्ष्य और ज्यादा मेहनत मांग रहा है परंतु आपने उतनी मेहनत नहीं की है। अगर आप भी मेहनत का महत्व जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग में Importance of Hardwork in Hindi के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

This Blog Includes:

स्मार्ट वर्क या हार्ड वर्क, importance of hardwork in hindi: अपने लक्ष्य को दृष्टि में रखें , एडवांस में अपने कार्यों की योजना बनाएं, consistency, सुस्त व्यवहार के लिए नहीं कहो , एक अनुशासित दिनचर्या बनाएँ, आशावादी बने रहें, परिश्रम का महत्व, रंजीत रामचंद्रन की कड़ी मेहनत, कुछ hindi hard work quotes in hindi में, importance of hardwork in hindi पर निबंध 250 शब्द में.

एक केंद्रित और परिश्रमी रवैये के साथ अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करना अभिन्न है, लेकिन उन्हें साकार करने के लिए कुशल तरीकों की खोज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह वह जगह है जहाँ स्मार्ट वर्क काम आता है। जबकि यह सच है कि Importance of Hard work in Hindi सफलता की कुंजी है, स्मार्ट वर्क का लक्ष्य अपने गोल को पूरा करने के लिए नवीन तरीके और तकनीके तलाशना है। हार्ड वर्क या स्मार्ट वर्क के बीच के अंतर को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं, आप हर दिन तैयारी के लिए लगभग 8-10 घंटे समर्पित कर रहे हैं। लेकिन अगर आप अलग-अलग अवधारणाओं को तोड़-मरोड़ रहे हैं और कुशलता से उन्हें याद नहीं कर रहे हैं और अलग-अलग तरकीबों का इस्तेमाल करके उन्हें लंबे समय तक याद रख रहे हैं, तो आपके द्वारा समर्पित किए गए कीमती घंटे बर्बाद हो सकते हैं। इस प्रकार, समय बचाने के प्रभावी तरीकों का पता लगाना और इसे उन जगहों पर रखना जहाँ आप अतिरिक्त प्रयासों को समर्पित कर सकते हैं, आपको कम समय में अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं और स्मार्ट वर्क से हार्ड वर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें : अच्छे विद्यार्थी के 10 गुण

Importance of Hardwork in Hindi या Parishram in Hindi

जबकि सभी को अच्छी तरह से ज्ञात मंत्र पता है कि Importance of Hardwork in Hindi सफलता की कुंजी है, ऐसे कुछ कारक हैं जिन्हें आपको अपने प्रयासों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ध्यान में रखना चाहिए। सफल होने के लिए हार्ड वर्क कैसे करें? नीचे हमने इनमें से कुछ कारकों को सूचीबद्ध किया है, जो आपके प्रयासों में मदद कर सकते हैं।

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात जो आपको ध्यान में रखने की ज़रूरत है, वह है लक्ष्य जिसे आपने अपने लिए निर्धारित किया है। हालांकि, ऐसे विक्षेप हो सकते हैं जो जीवन की अनिश्चितता के साथ आ सकते हैं। आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप अपने लक्ष्य का लगातार पीछा कर रहे हैं, भले ही वे केवल छोटे कदम हों। 

अपने लम्बे समय और साथ ही कम समय वाले लक्ष्यों को सूचीबद्ध करने के साथ शुरू करें। फिर, अपने द्वारा निर्धारित प्रत्येक लक्ष्य के लिए अपनी योजना का ड्राफ्ट तैयार करना शुरू करें। आपके अल्पकालिक लक्ष्य आपको तुरंत संतुष्टि प्रदान करेंगे, वे आपको अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए सही आत्मविश्वास और मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। इसके अलावा, अपने हर लक्ष्य के लिए Importance of Hard Work मंत्र को लागू करते हुए, समय के आधार पर अपनी प्रगति की समीक्षा (परीक्षण) करना न भूलें, जो आपके आकलन का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की गणना करने में मदद करेगा।

Consistency का मतलब है कि आप लगातार कुछ न कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं चाहे कितनी बार आपको निराशाओं और असफलताओं का सामना करना पड़ा हो। इसलिए, सफलता पाने के लिए अपने रास्ते पर, आपको लगातार और दृढ़ रहने की आवश्यकता है, भले ही इसका मतलब है कि आप अपने रास्ते पर बड़ी संख्या में आ रहे हैं। Importance of Hard Work in Hindi के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं और याद रखें कि चमकने के लिए, आपको यह महसूस करने की आवश्यकता है कि हर असफलता यह परीक्षण करेगी कि आप कितने मजबूत हैं और आप एक बुरे दौर से कितना पीछे हट सकते हैं और यह अंततः आपको एक दृढ़ और अथक व्यक्ति में बदल देगा। 

यह भी पढ़ें : Importance of Value Education (मूल्य शिक्षा का महत्व)

सफलता का पहला नियम यह है कि एक मिनट की नींद छोड़ दें जो कि हम अक्सर स्नूज़ पर अलार्म लगाने के बाद करते हैं। आपको यह समझने की आवश्यकता है कि आलसी होने से आपको कहीं भी कुछ नहीं मिलेगा। आप जितने चाहें उतने बहाने बना सकते हैं लेकिन दिन के अंत में, आप हमेशा उस समय का सदुपयोग कर सकते हैं जो आपने बेकार काम पर बर्बाद कर दिया है। और अगर इसे संगठनात्मक स्तर पर देखने की बात आती है, तो विशेष रूप से सुस्त व्यवहार से बदतर कुछ भी नहीं है। यह संभावित रूप से अक्षमता को जन्म दे सकता है। इसलिए, केवल वे जो अपने उद्देश्यों का सक्रिय रूप से पीछा कर रहे हैं, उन्हें Importance of Hardwork in Hindi की पुरानी कहावत की वास्तविक अनिवार्यता का एहसास होगा। 

अपनी कड़ी मेहनत को सफलता में बदलने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि आप जो भी लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं उसके प्रति अनुशासन प्रकट करें। अपने लक्ष्यों की योजना बनाकर, आप उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण बना सकते हैं। अनुशासन आपको विशिष्ट समय अवधि के भीतर अपने लक्ष्य को महसूस करने में भी मदद करेगा और इस प्रकार बेहतर लक्ष्यों की दिशा में आगे काम करेगा और जीवन में और अधिक प्राप्त करेगा!

एक कड़ी मेहनत करने वाले व्यक्ति के रूप में, आपको अपने लिए निर्धारित लक्ष्य बनाने के लिए सकारात्मक और आशावादी होना चाहिए। सफलता की कोई राह आसान नहीं है और आप कई बाधाओं का सामना करेंगे जो आपको अपनी योजनाओं से दूर करने की कोशिश कर सकती हैं लेकिन एक आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए, आप उन बाधाओं को अवसरों में बदल पाएंगे। इस प्रकार बेहतर और अधिक दृढ़ बनें। आशावादी बने रहने के लिए, आप अपने जीवन में ध्यान को लागू कर सकते हैं, योग का अभ्यास कर सकते हैं या अपनी नीरस दिनचर्या में जितना हो सके सकारात्मकता लाने के अपने तरीके खोज सकते हैं!

परिश्रमी व्यक्ति किसी भी देश की अनमोल धरोहर होती है। वह किसी भी कार्य को पूरी लगन और मेहनत से करता है। मनुष्य के जीवन में परिश्रम बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। परिश्रम के बिना मनुष्य की गाड़ी रुक जाएगी वह कुछ भी नहीं कर पाएगा। मनुष्य अगर परिश्रम करना छोड़ दे तो वह अपना खाना-पीना, उठना- बैठना भी संभव नहीं हो पाएगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के कारण ही इस ऊंचाई पर पहुंचे हैं।

परिश्रम का दूसरा अर्थ है विकास और नई रचना। परिश्रम के बल पर आज बहुत से देश आज विकास के शिखर पर पहुंच रहे हैं। परंतु परिश्रम के लिए सही दिशा भी बेहद जरूरी होता है। बिना दिशा के किए गए परिश्रम का कोई मोल नहीं होता न ही उसका कोई रिजल्ट निकलता है। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को विकास के शिखर पर पहुंचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी इंसान का जीवन एक प्रकार से विनाश है।

कड़ी मेहनत की सही परिभाषा को जानने के लिए आप सभी को एक बार रंजीत रामचद्रंन की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए तो चलिए इस Importance of Hardwork in Hindi के इस ब्लॉग में आपको एक ऐसी कहानी सुनाते है जो आपको कड़ी मेहनत के लिए मजबूर कर देगी।

28 वर्षीय रंजीत रामचंद्रन ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट से जैसे खलबली मचा दी। इस पोस्ट में थी रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी। उनके पोस्ट के बाद लोगों का ध्यान खींचा जिसमें लिखा था कि  ” एक आईआईएम प्रोफेसर का जन्म यहां हुआ था ।”  पोस्ट में उसकी झोपड़ी की तस्वीर थी जो टपकती हुई बारिश के पानी को रोकने के लिए तिरपाल शीट से ढकी हुई थी। पोस्ट में यह भी विवरण था कि कैसे उसने अपने सपने को हासिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। आज भी हम में से कई लोग हैं जो गरीब परिवार से होने के बाद भी ऊंचाइयों तक पहुंचने का सपना देखते हैं और संघर्ष की मिसाल कायम करते हैं। इसी प्रकार रंजीत रामचंद्रन ने भी अपने संघर्ष को दुनिया के सामने जाहिर किया तथा बतायी रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी।आईआईएम प्रोफेसर रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी और जानने के लिए पढ़ना जारी रखें- झोपड़ी से आईआईएम प्रोफेसर बनने तक रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी

 एक सपना किसी चमत्कार से सच नहीं बनता है; यह पसीना, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत लेता है। कॉलिन पॉवेल
 ज्यादातर लोग अवसर गँवा देते हैं क्योंकि ये चौग़ा पहने हुए होता है और काम जैसा दिखता है | Thomas A. Edison
मैं  बहानो में विश्वास नहीं  करता मैं  जीवन  की  समस्याओं  को  सुलझाने  के  लिए  कठिन परिश्रम  को  प्रमुख  कारक  मानता हूँ । जेम्स कैश पेनी
मेरा  विचार  है  कि  मुझे  जो भी सफलता मिली  है उसके पीछे जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता  रही  है  वो  है  कठिन  परिश्रम .सचमुच , कठिन  परिश्रम का  कोई विकल्प नहीं  है।- मरिया बर्टीरोमोअगर कड़ी मेहनत इतनी अद्भुत चीज होती तो निश्चित रूप से अमीर उसे अपने पास ही रखते।  जोसेफ  किर्कलैंड
ये  सच  है  कि  कड़ी  मेहनत  ने  कभी  किसी  की  जान नहीं ली  , पर  मुझे  लगता  है  कि  खतरा  क्यों  उठाया  जाए ।
किसी  को  कोई  भी  मिलने  योग्य चीज  बिना  कड़ी  मेहनत के नहीं  मिलती।
आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बिमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है। ये आपको एक सफल व्यक्ति बनाती है।
कड़ी मेहनत के बिना जीवन हम मनुष्यों को कुछ भी नहीं देता।

Importance of Hardwork in Hindi पर 250 शब्दों में निबंध।

किसी व्यक्ति की सफलता में परिश्रम का बहुत बड़ा योगदान होता है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि सफलता पाने के लिए सही दिशा में किया जाने वाला परिश्रम कितना जरूरी है।

परिश्रम की परिभाषा

परिश्रम को यदि आसान शब्दों में कहा जाए तो यह कहा जा सकता है कि किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है। हर व्यक्ति कुछ न कुछ परिश्रम जरूर करता है लेकिन मायने है कि कौन कम परिश्रम करता है और कौन ज्यादा। परिश्रम की मात्रा यह तय करती है कि हम कितना जल्दी सफल हो पायेंगे। हम जितना अधिक परिश्रम करेंगे, सफलता मिलने में उतना ही कम वक्त लगेगा।

परिश्रम के प्रकार

परिश्रम दो प्रकार के होते हैं। जिसके बारे में आपको जान लेना चाहिए। 

  • वह परिश्रम जिसमें हम अपनी शारीरिक अंगों का उपयोग करते हैं शारीरिक परिश्रम कहलाता है। शारीरिक परिश्रम आमतौर पर मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक करते हैं।
  • दूसरा होता है मानसिक परिश्रम, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती होता है।

किसी भी नई चीज के निर्माण में शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों करना पड़ता है। पहले मानसिक परिश्रम किया जाता है उसके बाद उसे वास्तविक रूप देने के लिए शारीरिक परिश्रम किया जाता है।

परिश्रम नहीं करेंगे तो जीवन पशु के समान हो जाएगा। एक पशु भी अपने भोजन के लिए परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हममें और जानवर में क्या अंतर रह जाएगा।

उत्तर: परिश्रम का महत्व: परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा।

उत्तर: मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सड़क बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है।

उत्तर: वह कार्य जिसमें शारीरिक या मानसिक ऊर्जा खर्च को उसे परिश्रम करते हैं।

उत्तर: परिश्रम कामधेनु है जिससे मनुष्य की सब इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। मनुष्य को मरते दम तक परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जो परिश्रम के वक्त इन्कार करता है, वह जीवन में पिछड़ जाता है।

उत्तर: परिश्रम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलती है। परिश्रम करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। उसे मन-ही-मन प्रसन्नता रहती है कि उसने जो भी भोगा, उसके बदले उसने कुछ कर्म भी किया।

इस प्रकार, जितना यह सच है कि Importance of Hardwork in Hindi सफलता की कुंजी है, अपने सपनों को साकार करने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन प्राप्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसी तरह के अन्य  निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध

Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi : नमस्कार दोस्तों, परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। परिश्रम मनुष्य के जीवन को आवाज बनाता है। परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन फिजूल है। बिना परिश्रम ना तो सफलता मिलती है ना ही मनुष्य आगे बढ़ता है।

परिश्रम ही मनुष्य को कठोर और सफल बनाता है और परिश्रम से मिली हुई सफलता लंबे समय तक टिकती है। जिन लोगों को परिश्रम नहीं करना है, वह लोग किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं। लेकिन कर्म करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Essay-on-Parishram-Ka-Mahatva-in-Hindi

आज हम बात करने जा रहे हैं परिश्रम के महत्व के बारे में। परिश्रम का अर्थ होता है मेहनत करना। परिश्रम से ही हम अपने भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं। आइए इससे जुड़ी कुछ बातें जानते हैं। हम यहां पर परिश्रम का महत्व पर निबंध शेयर कर रहे है।

इस निबंध में परिश्रम का महत्व (parishram ka mahatva nibandh) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध | Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्द में (parishram ka mahatva par nibandh).

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

आसान शब्दों में कहा जाए तो परिश्रम का अर्थ है किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है। देखा जाए तो हर व्यक्ति ही परिश्रम करता है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कौन अधिक परिश्रम करता है और कौन कम परिश्रम करता है। परिश्रम ही तय करता है कि हम कितना सफल हो पाएंगे।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम कहते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए ही परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हम में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

parishram ka mahatva essay in hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Essay in Hindi)

हर मनुष्य परिश्रम से ही सफलता हासिल करता है। किस्मत से सफलता किसी को नहीं मिलती और यदि किसी को मिल जाती है तो वह लंबे समय तक नहीं दिखती है। परिश्रम से हासिल की गई सफलता जिंदगी को आबाद बना देती है। मनुष्य की असली दुनिया परिश्रम यह है। परिश्रम के जरिए ही मनुष्य अपने व्यक्तित्व को महान बनाता है।

परिश्रम किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व है?

किसी भी मनुष्य और व्यक्ति द्वारा किया गया शारीरिक और मानसिक रूप से कार्य परिश्रम कहलाता है। परिश्रम जो मनुष्य के जीवन के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है। आज के समय में परिश्रम सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं रहा है। मानसिक रूप से किया गया परिश्रम भी मनुष्य को अत्यंत महत्वपूर्ण सफलता दिलाता है।

पुराने जमाने में सिर्फ लोगों के पास शारीरिक परिश्रम ही एक विकल्प था और उसी के सहारे लोगों की जिंदगी निकलती थी। लेकिन आज के समय में शारीरिक परिश्रम से ज्यादा मानसिक परिश्रम की जरूरत है। हर मनुष्य के लिए परिश्रम बहुत जरूरी है।

हर व्यक्ति को अपने जीवन में परिश्रम करके जीवन को सरल और संगीन बनाना चाहिए। इस धरती पर ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो परिश्रम करने के बावजूद भी नहीं हो पाए या ऐसी कोई सफलता नहीं है। जो परिश्रम के बावजूद भी नहीं मिल पाए परिश्रम है तो सब मुमकिन है।

हिंदी में एक कहावत भी है “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती” यह पूरी तरह से इसी पर आधारित कहावत है।

परिश्रम करना क्यों जरूरी है?

हर मनुष्य को अपने जीवन में परिश्रम करते रहना चाहिए। परिश्रम करना ही मनुष्य के लिए एक उत्तम कार्य होता है और इसी से व्यक्ति आगे बढ़ता है। परिश्रम करने से आलस्य दूर होता है।

निरंतर परिश्रम करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है और नए-नए रास्ते मिलते हैं। परिश्रम करने से व्यक्ति को स्किल सीखने का मौका मिलता है। हर क्षेत्र में रिजल्ट परिश्रम के बाद ही मिलता है, इसलिए परिश्रम करना जरूरी है।

परिश्रम नहीं करने से क्या होगा?

यदि व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम नहीं करता है और किस्मत के भरोसे बैठा रहता है तो उस व्यक्ति को कभी सफलता नहीं मिलती और सफलता नहीं मिलने की वजह से व्यक्ति और ज्यादा हताश हो जाता है।

लेकिन परिश्रम के बिना सफलता मिलना असंभव है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति अपने लेवल को नहीं बढ़ा सकता है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति को ना तो नए रास्ते मिलेंगे और ना ही कोई नई स्कील सीखने का मौका मिलेगा।

व्यक्ति के लिए जितना भोजन करना जरूरी है। उतना ही परिश्रम करना जरूरी है। परिश्रम दो प्रकार का होता है। पहला शारीरिक परिश्रम और दूसरा मानसिक परिश्रम और यदि दोनों परिश्रम साथ हो तो व्यक्ति को सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 850 शब्द में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh)

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि न हीं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशांति मुखे मृगा

इसका मतलब है सिर्फ मन में कामना कर लेने भर से कोई कार्य संपन्न नहीं हो जाता है, उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे सोते हुए शेर के मुख में हिरण खुद नहीं आ जाता।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

परिश्रम से सिर्फ धनसंपदा की प्राप्ति नहीं होती बल्कि साथ में यश कीर्ति सुख और आनंद की भी प्राप्ति होती है। इसी के साथ परिश्रमी व्यक्ति सिर्फ अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप

देखा जाए तो हम सब इसी उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

परिश्रम के लाभ

सब लोग यही चाहते हैं कि हमें सफलता पाने का कोई भी आसान सा तरीका मिल जाए। लेकिन सफलता सिर्फ परिश्रम से ही पाई जा सकती है। इसीलिए आपको निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

आजकल के लोगों का रहन सहन बहुत ही आरामदायक हो गया है, जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझाना चाहिए कि परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है। परिश्रम से होने वाले कुछ लाभ निम्नलिखित हैं।

नई चीजें सीखते हैं

हमें पता है आज कल का जो दौर है, वह प्रतिस्पर्धा का दौर है। आए दिन हर कार्य में यहां पर दौड़ लगी हुई है। अगर हम मेहनत करके वह चीज सीख लेते हैं तो हमें भी नई चीज़ सीखने को मिलती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थाई रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा।

इसके लिए जरूरी है कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे। खुद में नए बदलाव लाने के लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहे।

स्थाई सफलता मिलती है

कहते हैं ना किस्मत के बल पर ही सब कुछ नहीं मिल सकता है। अगर हमें कुछ वाकई जिंदगी में कुछ चाहिए तो हमें परिश्रम करना ही होगा। परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अपनी और सफलता का दोषी किस्मत को नहीं मानता। वह खुद की कमियों को देखता है, जिनकी वजह से वह सफल हो रहा है।

उसके बाद इन पर काम करता है और सफलता मिले तो कोशिश करता रहता है। यदि परिश्रम करने के बाद भी कोई व्यक्ति और सफल हो रहा है तो उसे निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे द्वारा की गई मेहनत का परिणाम कभी न कभी हमें जरूर मिलेगा।

नए अवसर बनते हैं

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अवसर आने का इंतजार नहीं करता है, बल्कि वह अपने लिए खुद अवसर बनाता है। अच्छे अवसर की तलाश में बैठे रहना यह आलसी प्रवृत्ति के लोगों का काम है, जो लोग वाकई में मेहनत करना चाहते हैं। वह अपने लिए नए नए अवसर खोजते रहते हैं।

सकारात्मकता बनी रहती है

परिश्रमी व्यक्ति के जीवन में भले ही कितनी बड़ी मुश्किल क्यों ना आ जाए। वह परेशान नहीं होता है वह थोड़ी देर के लिए परेशान हो सकता है लेकिन उस परिस्थिति में भी सकारात्मक ही बना रहता है।

अच्छे चरित्र का निर्माण होता है

मेहनत करने से व्यक्ति के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। मेहनती व्यक्ति मेहनत के महत्व को समझता है, इसलिए वह कभी किसी के साथ धोखा नहीं करता। सफलता पाने के लिए कोई भी गलत तरीका नहीं अपनाता और सिर्फ उतनी ही चीजों पर अपना अधिकार जताता है, जितना उसने अपनी मेहनत से हासिल किया है।

परिश्रम से सफलता प्राप्ति के कुछ उदाहरण

इतिहास में हमें बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिलेंगे, जिनकी हम ने कल्पना भी नहीं की होगी। धरती पर कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया है, जिनमें से कुछ के उदाहरण इस प्रकार हैं।

  • डॉक्टर ए . पी . जे . अब्दुल कलाम

डॉक्टर कलाम को मिसाइल मैन कहां जाता है। इन्होंने ही देश में मिसाइल के प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इनका बचपन अभावों में बीता था। एक समय ऐसी स्थिति आई थी, जब कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए 1000 रुपए भी नहीं थे, परंतु उन्होंने परिश्रम करके अपने आप को इस काबिल बनाया कि वह जाने माने वैज्ञानिक भी बने और देश के राष्ट्रपति भी बने।

  • जे . जे . थॉमसन

जे. जे. थॉमसन बचपन से ही मंदबुद्धि थे। इस वजह से उनको स्कूल में से भी निकाल दिया गया था, परंतु जे. जे. थॉमसन ने इतना परिश्रम किया कि उन्होंने बल्ब का आविष्कार किया। वह बल्ब बनाने में 1000 बार फेल हुए आखिरकार उन्होंने सफलता पाई। इसीलिए कहते हैं परिश्रम करने से सफलता अवश्य मिलती ही है।

कहते हैं भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं, जो कर्म हीन है। जो कर्म नहीं करना चाहते हैं, वह अपनी किस्मत का सहारा ही ले सकते हैं।

अतः हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु, अपने देश और समाज के नाम को ऊंचाई पर ले जाना चाहिए और निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

आज के आर्टिकल में हमने   परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

  • बुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता निबंध
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध
  • मेरा प्रिय खेल पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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essay on parishram ka mahatva in hindi

Essay on Parishram Hi Safalta Ki Kunji Hai in Hindi- परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

In this article, we are providing Essay on Parishram Hi Safalta Ki Kunji Hai in Hindi. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है moral story & essay

Parishram Hi Safalta Ki Kunji Hai

Essay on Parishram Hi Safalta Ki Kunji Hai in Hindi- परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

परिश्रम सफलता की कुंजी है पर निबंध

भूमिका- श्रम का अर्थ है-मेहनत। श्रम ही मनुष्य-जीवन की गाड़ी को खींचता है। चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव बिना श्रम के जीवित नहीं रह सकते। फिर मनुष्य तो अन्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है। संसार की उन्नतिप्रगति मनुष्य के श्रम पर निर्भर करती है। श्रम करने की आदत बचपन में ही डाली जाए तो अच्छा है।

जीवन की गाड़ी न चलती- परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल ही सकती। यहां तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं।

जरूर पढ़े-

Parishram ka mahatva nibandh

Shram Ka Mahatva Essay in Hindi

आलस्य जीवन का अभिशाप – परिश्रम का अभिप्राय ऐसे परिश्रम से है जिससे निर्माण हो, रचना हो, जिस परिश्रम से निर्माण नहीं होता, उसका कुछ अर्थ नहीं। जो व्यक्ति आलस्य का जीवन बिताते हैं, वे कभी उन्नति नहीं कर सकते। आलस्य जीवन को अभिशापमय बना देता है। हमारा देश सदियों तक पराधीन रहा। इसका आधारभूत कारण भारतीय जीवन में व्याप्त आलस्य एवं हीन भावना थी।

कलाओं का निर्माण -यदि छात्र परिश्रम न करें तो परीक्षा में कैसे सफल हों। मजदूर भी मेहनत का पसीना बहाकर सड़कों, भवनों, बांधों, मशीनों तथा संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। मूर्तिकार, चित्रकार अद्भुत कलाओं का निर्माण करते हैं। कवि और लेखक सब परिश्रम द्वारा ही अपनी रचनाओं से संसार को लाभ  पहुँचाते हैं। कालिदास, तुलसीदास, टैगोर, शैक्सपीयर आदि परिश्रम के बल पर ही अमर हो गए हैं। परिश्रम के बल पर ही वे अपनी रचनाओं के रूप में अमर हैं।

भाग्यवाद- कुछ लोग श्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्व मिलेगा, अत: दौड़-धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है। यह ठीक है कि भाग्य का भी हमारे जीवन में महत्व है, लेकिन आलसी बनकर बैठे रहना और असफलता के लिए भाग्य को कोसना किसी प्रकार भी उचित नहीं। परिश्रम के बल पर मनुष्य भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकता है।

समस्याओं का समाधान – आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं। उन सबसे समाधान का साधन परिश्रम है परिश्रम के द्वारा ही बेकारी की, खाद्य की और अर्थ की समस्या का अंत किया जा सकता है।

उपसंहार – परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान् और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपनी, परिवार की, जाति की तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग दे सकता है। अत: मनुष्य को परिश्रम करने की प्रवृत्ति विद्यार्थी जीवन में ग्रहण करनी  चाहिए।

Satsangati Essay in Hindi

Moral Story on Parishram Hi Safalta Ki Kunji Hai in Hindi

संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार-परिश्रम करने से मनोरथ सिद्ध होते हैं, केवल इच्छा करने से कार्य सफल नहीं होता है। निम्नलिखित कहानी इस तथ्य का प्रमाण हैं-

मोहन आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था। वह विज्ञान के विषय में बहुत कमजोर था। कक्षा में अध्यापक से प्रतिदिन उसकी पिटाई होती और भरी कक्षा में उसे प्रतिदिन अपमानित होना पड़ता था। विज्ञान अब उसके लिए एक भय का विषय हो गया था।

एक दिन स्कूल से वापिस जब घर पहुंचा तो वह बहुत उदास था। घर में उसका चचेरा भाई दीपक आया हुआ था। बड़ी खुशी से दीपक मोहन से मिलने को उठा तो मोहन का रुआंसा मुंह दीपक से छिपा न रह सका। कारण पूछने पर मोहन ने उसे सारी बात बताई कि वह विज्ञान के विषय में बहुत कमजोर है और सारी कक्षा के सामने उसे अध्यापक द्वारा अपमानित होना पड़ता है। दीपक ने मोहन से कहा-भई इसमें घबराने की क्या बात है। परिश्रम करने से क्या सम्भव नहीं हो सकता। तब उसने उसे समझाया-

करत-करत अभ्यास के जहुमति होत सुजान,

रसरी आवत जावत ते, सिल पर परत निसान।

अगर एक कोमल रस्सी कठोर पत्थर पर निशान डाल सकती है तो वह अभ्यास द्वारा क्या नहीं कर सकता। उसने मोहन को कहा कि वह रोज ही अध्यापक द्वारा पढ़ाया पाठ घर पर आकर दो-चार बार पढ़ा करे तो अवश्य ही विज्ञान का विषय ही क्या कोई भी कार्य उसके लिए सरल हो जाएगा।

मोहन ने दीपक की बात मान ली। प्रतिदिन घर में आकर वह नित्य प्रति अध्यापक द्वारा पढ़ाया पाठ याद करता याद करने के बाद उसे लिख कर भी देखता। कक्षा में पढ़ाया पाठ नित्य प्रति याद कर लेता। उसे अब विज्ञान कठिन नहीं लगा। उसका विज्ञान के प्रति भय भी अब समाप्त हो गया।

अर्द्ध-वार्षिक परीक्षा में विज्ञान का पेपर अन्य विषयों की अपेक्षा सुन्दर हुआ। परिणाम आने पर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब उसे विज्ञान में 80% अंक प्राप्त हुए। उसके अध्यापक को भी बहुत प्रसन्नता हुई। उन्होंने बालसभा प्रोग्राम में स्टेज पर मोहन को खड़ा कर अपनी ओर से 20 रू. का विशेष पुरस्कार दिया और उसका उत्साह बढ़ाया। उनके प्रधानाध्यापक ने भी उसे पुरस्कार दिया। सच ही है परिश्रम ही सफलता का रहस्य है। परिश्रम द्वारा मनुष्य जीवन की हर कठिनाई का सामना कर सकता है।

शिक्षा – परिश्रम सफलता की कुंजी है।

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Essay on Parishram ka Mahatva परिश्रम का महत्व पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Parishram ka Mahatva पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। परिश्रम करना बहुत ही जरुरी है क्योकि बिना परिश्रम के कोई चीज़ नहीं मिलती। इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है परिश्रम का महत्व की पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।

Essay on Parishram ka Mahatva

  • Essay on Parishram ka Mahatva

जीवन में परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम के बिना तो खाना भी नहीं पचता। परिश्रम के बिना कोई भी व्यक्ति मंजिल तक नहीं पहुँच सकता। इतिहास गवाह है कि हमने आज जो कुछ भी प्राप्त किया है, परिश्रम द्वारा ही प्राप्त किया है। विज्ञान के नए-नए अविष्कार, परिश्रम द्वारा ही संभव हुए हैं।

परिश्रम के प्रकार :

हर व्यक्ति अपने जीवन में दो प्रकार के परिश्रम करता है-बोद्धिक तथा शारीरिक। दोनों ही श्रम अपना-अपना विशेष महत्व रखते हैं। केवल शारीरिक-श्रम ही परिश्रम नहीं है, अपित् जो व्यक्ति पर दिन ऑफिस में बैठकर फाइलों के साथ माथापच्ची करता है, वह भी श्रम ही है। मानसिक श्रम हमारे बौद्धिक विकास के लिए लाभदायक है, तो शारीरिक श्रम करने से हमारा शरीर चुस्त रहता है, पाचन क्रिया ठीक रहती है तथा आलस्य भी दूर रहता है। आज जितने भी वकील, डॉक्टर इत्यादि, जो केवल मानसिक श्रम करते हैं, अपने शारीरिक विकास के लिए प्राणायाम, प्रातःकालीन भ्रमण इत्यादि क्रियाएँ करते हैं, इससे उनका मन तथा शरीर दोनों तंदुरुस्त रहते हैं।

परिश्रम के लाभ :

जो मनुष्य पुरुषार्थी होता है तथा पूरे लगन से तन, मन, धन तथा कर्म से कठोर परिश्रम करता है, उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। आलसी व्यक्ति जीवन में कुँए के मेंढक की भाँति होता है और उसका जीवन निरर्थक चला जाता है। कठोर परिश्रम, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, मनुष्य को निराशाओं से दूर रखकर आशा तथा उत्साह से भरा जीवन जीना सिखाता है। इतिहास साक्षी है कि जितने भी देश आज विकसित हैं, वे सब उस देश के मनुष्यों की मेहनत का ही परिणाम है। अमेरिका तथा जापान इसके सबसे ज्वलंत उदाहरण हैं। ये देश आज धन-धान्य से परिपूर्ण हैं तथा साथ ही नई से नई तकनीकों द्वारा अच्छा धन कमा रहे हैं। महाकवि तुलसीदास ने सच कहा है-‘सकल पदार्थ है जग माहीं। कर्महीन नर पावत नाही।’ अर्थात् इस संसार में सभी पदार्थ, सुख-सुविधाएँ, धन-दौलत सब कुछ है लेकिन उन्हें आलसी व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। परिश्रम से ही सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है।

कुछ परिश्रमी व्यक्तियों के उदाहरण :

संसार के सभी महापरुषों ने परिश्रम से ही सफलता प्राप्त की है। बालगंगाधर तिलक, नेपोलियन, जॉर्ज वॉशिंगटन, अब्राहिम लिंकन, महात्मा गाँधी, हिटलर, इंदिरा गाँधी, मदर टेरेसा सभी ने प्रसिद्धि की ऊँचाईयों को केवल परिश्रम करके ही छआ था।

परिश्रम की शक्ति :

परिश्रम में अपार शक्ति होती है जिस व्यक्ति ने इसे प्राप्त कर लिया, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। परिश्रम से मूर्ख विद्वान बन जाता है, निर्बल बलवान बन जाता है। सफलता परिश्रमी व्यक्ति के कदमों में स्वयं आकर गिर जाती है, तभी तो कहा भी गया है-‘पुरुष सिंहभुषैति लक्ष्मी।

वास्तव में सिंह के समान वीर पुरुष ही धन लक्ष्मी पाता है। सिंह भी तो परिश्रम करके अपना शिकार स्वयं ही ढूँढता है। अतः यदि हमें अपने जीवन में कुछ पाना है, आगे बढ़ना है, तो हमें परिश्रम के महत्व को समझना चाहिए।

  • परिश्रम का महत्व पर निबंध

परिश्रम से अभिप्राय उस प्रयल से है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। मनुष्य की उन्नति का एकमात्र साधन उसके द्वारा किया गया परिश्रम ही है। सभी प्रकार की धन-सम्पत्तियाँ और सफलताएँ निरन्तर किए गए परिश्रम से ही प्राप्त हुआ करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि “उद्योगिनम् पुरुष सिंहनुपैत्ति लक्ष्मीः” अर्थात् उद्योग या परिश्रम करने वाले पुरुष सिंहों का ही लक्ष्मी वरण किया करती है। यह कटु सत्य है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।

निरन्तर परिश्रम व्यक्ति को चुस्त-दुरुस्त रख कर सजग तो बनाता ही है, निराशाओं से दूर रखकर आशा-उत्साह भरा जीवन जीना भी सिखाया करता है। उद्यमी या परिश्रमी व्यक्ति जो भी चाहे कर सकते हैं। जो मनुष्य पुरुषार्थी हैं और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से लगातार कठोर परिश्रम करते रहते हैं, सफलता उनके कदम चूमती है। उसके विपरीत जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करते हैं उनका जीवन दुःखी बना रहता है। संसार का इतिहास साक्षी है कि जो जातियाँ आज उन्नति के शिखर पर हैं, उनकी उन्नति का एकमात्र रहस्य उनका परिश्रमी होना है।

अमेरिका तथा जापान देशों के उदाहरण हमारे सम्मुख हैं। ये देश आज धन-धान्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं।

परिश्रम किसी भी प्रकार का हो, शारीरिक या मानसिक, दोनों ही प्रकार के परिश्रम गौरव प्राप्त करने के कारण हैं। प्रायः देखा गया है कि रस्सी की लगातार रगड़ से कुएँ का भारी-से-भारी पत्थर भी घिस जाता है। यह भी परिश्रम का एक उत्तम उदाहरण है। संसार में अनेकों ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने कठोर परिश्रम द्वारा अपने जीवन को उज्ज्वल बनाया है।

उनमें से बाल गंगाधर तिलक, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, जार्ज वाशिंगटन, नेपोलियन बोना पार्ट, हिटलर, अब्राहिम लिंकन आदि महापुरुषों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

महाकवि तुलसीदास जी ने ठीक ही कहा है – ‘सकल पदारथ हैं जग माहीं. कर्महीन नर पावत नाहीं।’ अर्थात् इस संसार में सभी प्रकार के पदार्थ मौजूद हैं, जो लोग कर्म नहीं करते, इन्हें नहीं पा सकते। परिश्रम के सामने तो प्रकृति भी झुक जाती है और दासी की तरह कार्य करने लगती है। परिश्रम ही ईश्वर की सच्ची उपासना है। इससे हमारा लोक-परलोक भी सुधर जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिश्रम करने वाले के सामने कभी कोई बाधा नहीं टिक सकती।

अतः यदि हम अपने जीवन पथ पर निर्बाध गति से आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें निरन्तर परिश्रम करते रहना चाहिए। दृढ़ निश्चय करके परिश्रम करने वाले व्यक्ति ही सदैव असफलताओं और पराजयों को पीछे ढकेल कर विजय का आलिंगन करते हैं।

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • अनुशासन पर निबंध
  • बाल श्रम पर निबंध

कभी मानव जंगलों में जानवरों के समान विचरण किया करता था। आज वह गगनचुंबी इमारतों में सुविधा सम्पन्न जीवन व्यतीत कर रहा है। आदिकाल से मानव-समाज निरन्तर उन्नति की ओर बढ़ रहा है। आज मानव पृथ्वी से अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है।

इस उन्नति की मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। लेकिन मानव को यह सफलता अकस्मात् नहीं मिली है। यह उसके निरन्तर परिश्रम का परिणाम है, जो आज मानव-समाज सभ्य है, शिक्षित है, नयी-नयी सफलताएँ प्राप्त कर रहा है। वास्तव में बिना परिश्रम के मनुष्य जीवन के किसी भी मंच पर सफल नहीं हो सकता। परिश्रम को इसीलिए सफलता की कुंजी अर्थात सफलता का द्वार खोलने वाली चाबी माना जाता है।

एक किसान खेतों में हल चलाता है, बीज बोता है, अपनी फसल की सिंचाई करता है। दिन-रात के कड़े परिश्रम के उपरान्त उसे फसल प्राप्त होती है। मनुष्य को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए निरन्तर परिश्रम करना पड़ता है।

आज मानव-समाज की उन्नति उसके निरन्तर परिश्रम के कारण ही सम्भव हो सकी है। आज हम जो ऊँची-ऊँची इमारतें, बड़े-बड़े कारखाने, यातायात के आधुनिक साधन, संचार की नयी-नयी सुविधाएँ देख रहे हैं, इनके पीछे मनुष्य का अनवरत परिश्रम लगा हुआ है।

वास्तव में परिश्रम के बिना मनुष्य के लिए बड़ी सफलता प्राप्त करना तो दूर, अपने परिवार का पालन-पोषण करना भी सम्भव नहीं है। एक आलसी व्यक्ति, जिसे हाथ-पैर हिलाने में शर्म महसूस होती है, अपने सगे-सम्बंधियों के लिए भी बोझ बन जाता है। अपने पेट की भूख शान्त करने के लिए मनुष्य को न चाहकर भी परिश्रम करना पड़ता है। महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों को तो अपनी आकांक्षा पूर्ण करने के लिए निरन्तर संघर्ष करना पड़ता है।

इस पृथ्वी पर मनुष्य ने जो नये-नये कारनामे करके दिखाए हैं, वह उसके निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सके हैं। इसीलिए परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। परिश्रमी व्यक्तियों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती हो, यह आवश्यक नहीं है। परन्तु परिश्रमी व्यक्ति असफलताओं से घबराते नहीं हैं।

अज्ञानतावश अथवा अनुभवहीनता के कारण प्रायः परिश्रम का सुखद परिणाम नहीं मिलता। परन्तु जिन व्यक्तियों के लिए सफलता ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है, वे असफल होने पर अपनी गलतियों का आकलन करके उनमें सुधार करते हैं और पुनः उत्साहित होकर प्रयत्नशील हो जाते हैं। वास्तव में जीवन के किसी भी क्षेत्र में मनुष्य को तत्काल सफलता प्राप्त नहीं होती। मनुष्य निरन्तर अभ्यास से योग्यता प्राप्त करता है। योग्य व्यक्ति सही दिशा में प्रयत्न करता है, इसलिए अपने कार्य को पूर्ण करने में उसे अधिक कठिनाई नहीं होती। कई बार योग्य व्यक्ति भी जाने-अनजाने में भूल कर बैठता है और सफलता उससे दूर हो जाती है।

वास्तव में मनुष्य के सफल होने के अन्य भी कई कारण होते है। अनुकूल परिस्थितियों में सफलता सरल होती है, जबकि प्रतिकूल परिस्थितियाँ बना बनाया काम बिगाड़ देती हैं। आंधी-तूफान और तेज वर्षा से तैयार खड़ी फसल नष्ट हो जाती है और किसान का परिश्रम व्यर्थ चला जाता है। परन्तु सफलता के लिए मनुष्य को पुनः परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ती है। आलसी एवं कामचोर व्यक्तियों को इस जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं होती। मानव-समाज ने जो भी उन्नति की है, वह मनुष्य के निरन्तर परिश्रम से ही सम्भव हो सकी है। मनुष्य के परिश्रम ने पर्वतों को काटकर सड़के बनाई हैं, विशाल नदियों पर ऊँचे पुलों का निर्माण किया है, समुद्र की गहराई में जाकर मूल्यवान मोतियों को खोजकर निकाला है।

मनुष्य के निरन्तर परिश्रम ने ही अनुसंधान के द्वारा वैज्ञानिक उन्नति की है। सत्य यही है कि बिना परिश्रम के मनुष्य सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। जो व्यक्ति शीघ्र ही हार मानकर बैठ जाते हैं, उन्हें कदापि सफलता का सुखद अनुभव प्राप्त नहीं होता। सफलता के लिए मनुष्य को अथक परिश्रम करना ही पड़ता है।

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सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मेहनत कर विशेष रूप से मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम कहलाता है। सृष्टि की रचना से लेकर आज की विकसित सभ्यता मानव परिश्रम का ही परिणाम है। जीवन रूपी दौड़ में परिश्रम करने वाला ही विजयी रहता है। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में परिश्रम करने वाला ही पास होता है। उद्यमी तथा व्यापारी की उन्नति भी परिश्रम में ही निहित है।

मानव जीवन में समस्याओं का अम्बार है। जिन्हें वह अपने परिश्रम रूपी हथियार से दिन-प्रतिदिन दूर करता रहता है। कोई भी समस्या आने पर जो लोग परिश्रमी होते हैं वे उसे अपने परिश्रम से सुलझा लेते हैं और जो लोग परिश्रमी नहीं होते वह यह सोचकर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं कि समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। ऐसी सोच रखने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। परिश्रमी व्यक्ति को सफलता मिलने में हो सकता है देर अवश्य लगे लेकिन सफलता उसे जरूर मिलती है। यही कारण है कि परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर परिश्रम करता रहता है।

सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता मानव के परिश्रम का ही फल है। पाषाण युग से मनुष्य वर्तमान वैज्ञानिक काल में परिश्रम के कारण ही पहुंचा। इस दौरान उसे कई बार असफलता भी हाथ लगी लेकिन उसने अपना परिश्रम लगातार जारी रखा। परिश्रम से ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। आजकल के समय में जिसके पास लक्ष्मी है वह क्या नहीं पा सकता। परिश्रम से शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कार्य में दक्षता आती है। साथ ही साथ मानव में आत्मविश्वास जागृत होता है।

परिश्रम का महत्व जीवन विकास के अर्थ में निश्चय ही सत्य और यथार्थ है। आज विज्ञान प्रदत्त जितनी भी सुविधाएं मानव भोग रहा है वे परिश्रम का ही फल है। विज्ञान की विभिन्न सुविधाओं के द्वारा मनुष्य जहां चांद पर पहुंचा है वहीं वह मंगल ग्रह पर जाने का प्रयास किये हुए है। यदि परिश्रम किया जाय तो किसी भी इच्छा को अवश्य पूरा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि सफलता मिलने में कुछ समय लग जाय। वर्तमान में विश्व के जो राष्ट्र विकासशील या विकसित हैं उनके विकासशील होने या विकसित होने के पीछे उनके परिश्रमी व कर्मठ नागरिक हैं।

इन कर्मठ व परिश्रमी नागरिकों के कारण ही वे राष्ट्र विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बनाये हुए हैं। जरूरी नहीं कि शारीरिक कार्य करने में ही परिश्रम होता है। इंजीनियर, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ भी परिश्रम करते हैं। ये लोग परिश्रम शारीरिक रूप से न करके मानसिक रूप से करते हैं।

अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि राष्ट्रों की महानता अपने-अपने परिश्रमी नागरिकों के कारण ही बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम के कारण जापान के हिरोशिमा व नागासाकी क्षेत्र ध्वस्त होकर नेस्तोनाबोद हो गये थे। लेकिन वहां के परिश्रमी लोगों ने परिश्रम कर आज जापान को विश्व के विशिष्ट राष्ट्रों की गिनती में ला खड़ा किया है। परिश्रमी व्यक्ति को जीवन में हमेशा सफलता मिलती है। इसलिए कहा जा सकता है जीवन में सफलता के लिए परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है।

जीवन में सुख और शान्ति पाने का एक मात्र उपाय परिश्रम है। परिश्रम रूपी पथ पर चलने वाले मनुष्य को जीवन में सफलता संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्ति होती है। वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। आलसी व्यक्ति जीवन भर कुण्ठित और दुःखी रहता है। क्योंकि वह सब कुछ भाग्य के भरोसे पाना चाहता है।

वह परिश्रम न कर व्यर्थ की बातें सोचता रहता है। ठीक इसके विपरीत परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वावलंबी तो बनाता ही है श्रेष्ठता भी प्राप्त करता है।

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Romi Sharma

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Parishram ka mahatva essay

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परिश्रम को सफलता की चाबी माना जाता है।हर मानव की कुछ इच्छाएँ व आवश्यकतायें होती हैं। वह सुख शान्ति की कामना करता है, दुनियाँ में नाम की इच्छा रखता है।किन्तु कलपना से ही सब कार्य सिद्ध नहीं हो जाते। इसके लिये परिश्रम करना पड़ता है। जैसे सोये हुए शेर के मुख में पशु स्वयं ही प्रवेश नही करता उसे भी परिश्रम करना पड़ता है, वैसे ही केवल मन की इच्छा से काम सिद्ध नही होते उनके लिये परिश्रम करना पड़ता है। परिशम ही जीवन की सफलता का रहस्य है। कठिन परिश्रम ही भाग्य को बनाता है। किया गया परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह अपना रंग अवश्य दिखाता है। परिश्रम का महत्व परिश्रम करने वाले से अधिक कोई नहीं जानता है। परिश्रम के सहारे मनुष्य किसी भी प्रकार की कठिनाई को अपने मार्ग से दूर हटा देता है।परिश्रम के बल पर मानव अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है। एक आलसी व अकर्मण्य मानव कभी अपना लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सकता।मानचित्र में जापान बहुत ही छोटा देश है परन्तु उसका लोहा पूरा विश्व मानता है। आज जापान हर क्षेत्र में अग्रणीय है। ऐसा वहाँ के लोगों के कठोर परिश्रम के कारण ही संभव हो पाया है। भारत जिसने कई वर्षों की गुलामी सही। उसकी अतुल धन-संपदा को लुट लिया गया परन्तु इस देश के नागरिकों ने पुन: स्वयं को विश्व के यूरोपीय देशों की कतार में ला खड़ा किया है। परिश्रम अपनी कहानी स्वयं कहता है। यदि हम कहीं सफल नहीं हो पाते हैं, तो समझ लेना चाहिए कि हमने पूरी तरह से परिश्रम नहीं किया है। विद्यार्थी जीवन में भी परिश्रम बहुत महत्व रखता है। यदि विद्यार्थी पढ़ने में मन नहीं लगाता है और निरंतर अभ्यास नहीं करता, तो परीक्षा में उसके हाथ असफलता ही लगती है। परिश्रम जितना अधिक किया होगा, सफलता का स्वाद उतना ही रसीला होगा।।मानव परिश्रम से अपने भाग्य को बना सकता है ,कहा जाता है कि ईश्वर भी उन्ही की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।मानव का शारीरिक व मानसिक विकास भी परिश्रम पर निरभर करता है। आधुनिक मनुष्य वैज्ञानिक यंत्रों का पुजारी बनता जा रहा है।परिश्रम की ओर से लापरवाही इसमें घर करती जा रही हैं। नैतिक पतन हो रहा है जिससे अशांति फैलती जा रही है। फलस्वरूप समाज और रष्ट्र की प्रगति के लिये भी परिश्रम आवश्यक है।सच्चे सुख व विकास के लिये परिश्रम के महत्त्व को समझना अत्यन्त आवश्यक है।अत: हमे परिश्रम महत्व को समझते हुए परिश्रम को जीवन में महत्व देना चाहिए।

written by Deep prabhat Tirkey

Parishram ka mahatva essay in Hindi ke antargat parishram ka mool tatva vyakti ki pragati ke liye avashyak hai. Parishram se hi insaan apne lakshyaon ki aur badh sakta hai aur safalta prapt kar sakta hai. Parishram ke madhyam se vyakti apni kshamata ko viksit kar sakta hai aur samaj mein yogdan de sakta hai. Isliye, parishram ka mahatva anivarya hai.

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Vidhyarthi ke jeevan mai manoranjan ka mahatav- essay?

Vidhyarthi ke jeevan mai manoranjan ka mahatva yaani entertainment ka mahatva bhi hai kyunki yeh unka stress release karta hai aur unki creativity ko badhata hai. Sahi manoranjan unke man ko shant aur khush rakhne mai madad karta hai, jo unke padhai aur career ke liye bhi zaruri hai. Isi liye, vidhyarthi ko balanced tarah se padhai aur manoranjan dono ko apnana chahiye.

Essay of shram ka mahatva in Hindi?

श्रम का महत्व है क्योंकि यह हमारे जीवन में स्वास्थ्य और सफलता की मुख्य ऊर्जा स्रोत है। श्रम से हम स्वावलंबी बनते हैं और समाज में योगदान करने की क्षमता विकसित होती है। इसलिए, हमें श्रम का सम्मान करना चाहिए और इसे समर्पित करना चाहिए।

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How do you say how are you today in Philippines?

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What is real name of babita?

The real name of the actress who plays Babita in the Indian TV show "Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah" is Munmun Dutta.

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[ 750 शब्द ] Essay on parishram ka mahatva in Hindi - Parishram ka mahatva par nibandh Hindi mein

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parishram ka mahatva nibandh

Essay on parishram ka mahatva in Hindi - parishram ka mahatva par nibandh Hindi mein

भूमिका:- परिश्रम के द्वारा आप अपने जीवन में कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। दुनिया के महानतम महापुरुषों के जीवनी के बारे में अगर आप किताबों में पड़ेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि दुनिया के जितने भी बड़े लोग जो अपने क्षेत्र में सफल हुए हैं उसका सबसे प्रमुख कारण था कि उन्होंने दिन-रात परिश्रम किया। जिसके फलस्वरूप वह अपने क्षेत्र में सफल हो पाए। इसलिए अगर आप भी अपने जीवन के किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको परिश्रम तो करना ही होगा।

परिश्रम के द्वारा ही आप अपने द्वारा निर्धारित सभी लक्ष्य को प्राप्त करेंगे जिसके कारण आप सफलता के मुकाम पर पहुंच पाएंगे। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है।

परिश्रम का महत्व:- परिश्रम के द्वारा आप दुनिया के असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं। परिश्रमी व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर सफलता प्राप्त होती है। परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के प्रमुख चीजों को प्राप्त करता है, जैसे धन, संपदा, यश, मान-सम्मान और देश के निर्माण में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है।

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी भाग्य भरोसे नहीं रहता है कि उसके भाग्य में यह चीज नहीं है बल्कि वह अपने भाग्य को भी बदलने का सामर्थ रखता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति भाग्यवादी नहीं बल्कि कर्म वादी होते हैं। वह अपने कर्मों और परिश्रम के माध्यम से जीवन के कठिन से कठिन चीजों को भी प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।

परिश्रम करने के लाभ:- परिश्रम के द्वारा व्यक्ति को अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं जब कोई मनुष्य अपने जीवन में परिश्रम करता है तो उसका चौमुखी विकास होता है। जिस देश के नागरिक परिश्रमी होते हैं उस देश के विकास को कोई भी रोक नहीं सकता है। इसका ज्वलंत उदाहरण है कि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है लेकिन भारत जिस प्रकार तेजी के साथ विकास कर रहा है ऐसे में आने वाले दिनों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा विकसित देश बन जाएगा।

इसके पीछे की वजह है कि भारत में रहने वाले व्यक्ति काफी परिश्रमी होते हैं। परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा व्यस्त रहता है। उसके पास बेकार की चीजों के लिए कोई वक्त नहीं होता है। परिश्रम के द्वारा आप सिर्फ धन की प्राप्ति ही नहीं कर सकते हैं बल्कि समाज में आपका मान प्रतिष्ठा भी बढ़ता है। सबसे बड़ी बात है कि परिश्रम करने वाला व्यक्ति हमेशा निरोगी रहता है उसे किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं होती है।

परिश्रम करने वाले लोगों के उदाहरण: इतिहास में आपको ऐसे अनेकों महापुरुष के उदाहरण मिल जाएंगे जिनका जीवन शुरुआत के दिनों में काफी सामान्य था लेकिन उन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। इस बात का सबसे ज्वलंत उदाहरण हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं । जिनका जन्म एक काफी गरीब परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने अपने अथक प्रयास और परिश्रम के माध्यम से अपने जीवन में उन्होंने जो भी लक्ष्य निर्धारित किए थे उसे पूरा किया।

आज की तारीख में वह देश के प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा भी इतिहास में आपको कई ऐसे महान व्यक्ति मिल जाएंगे जैसे महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, रानी लक्ष्मीबाई, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद, भगत सिंह इत्यादि। इसलिए अगर कोई व्यक्ति गरीब भी है तो उसे इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि वह गरीब है उसका जीवन हमेशा गरीबी में ही व्यतीत होगा। अगर उसके मन में कुछ बनने और करने की इच्छा है तो अपने परिश्रम के माध्यम से जीवन में वह सभी चीजें प्राप्त कर सकता है।

उपसंहार:- परिश्रम के महत्व के बारे में कबीर दास के दोहे हैं- श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर। श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रागटै नीर। इस दोहे के माध्यम से कबीरदास कहना चाहते हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम तो करना ही होगा परिश्रम के अलावा उसे धैर्य भी रखना होगा। तभी जाकर वह अपने जीवन में सफल हो पाएगा।

इस दोहे के माध्यम से शिक्षा यह मिलती है कि अगर आप अपने जीवन में किसी चीज को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं तो आप कभी भी हार ना माने और धैर्य बनाकर रखें यकीन मानिए एक न एक दिन आपको उस काम में सफलता जरुर प्राप्त होगी। अगर व्यक्ति को अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है उसे परिश्रम जैसे उपयोगी उपकरण का इस्तेमाल करना होगा।

essay on parishram ka mahatva in hindi

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