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एकल परिवार के फायदे और नुकसान Advantages and Disadvantages of Nuclear Family in Hindi

एकल परिवार के फायदे और नुकसान Advantages and Disadvantages of Nuclear Family in Hindi

इस लेख में एकल परिवार के 10 फायदे और नुकसान को हिंदी में (Advantages and Disadvantages of Nuclear Family in Hindi) बेहद आसान भाषा में समझाया गया है। जिसमें एकल परिवार क्या है? तथा उसके फायदे और नुकसान को विस्तारपूर्वक से बताया गया है।

Table of Content

एकल परिवार क्या होता है? What is Nuclear Family in Hindi

मुख्य रूप से परिवार के दो प्रकार होते हैं, जिनमें एकल परिवार और संयुक्त परिवार का समावेश होता है। एकल परिवार की संरचना का अर्थ ऐसे परिवार से होता है, जिनमें सदस्यों की संख्या संयुक्त परिवार के मुकाबले कम हो।

एकल परिवार को पारिवारिक संरचना का सबसे छोटा रूप अथवा इकाई माना जाता है। इसमें सिर्फ पति-पत्नी और उनके बच्चे ही शामिल होते हैं। एकल परिवार संयुक्त परिवार की संरचना से ही टूट कर बना होता है।

विश्व की सबसे प्राचीन भारतीय संस्कृति में कभी भी एकल परिवार का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। हमारी संस्कृति में हमेशा ही ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को महत्व दिया गया है।

वास्तव में हमारा भारतीय समाज अपनी पुरानी व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है, कि आज दुनिया के सबसे महानतम संस्कृति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है।

जिस प्रकार एक ही सिक्के के दो अलग-अलग पहलू होते हैं, उसी प्रकार एकल पारिवारिक संरचना के कुछ नुकसान है, तो कई फायदे भी हैं। एकल परिवार के फायदे और नुकसान निम्नलिखित समझाएं गए हैं-

एकल परिवार के 10 फायदे Advantages of Nuclear Family in Hindi

आज के समय इस महंगाई भरे दौर में अपने निजी जरूरतों को पूरा कर पाना भी एक कठिन काम हो गया है। ऐसे हालात में एकल परिवार ही एक सरल और सुगम जीवन जीने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर सामने आता है।

1. जीवन में बेहतर गुणवत्ता

एकल परिवार में सदस्यों की संख्या कम होने के कारण उनकी निजी जरूरतों को पूरा कर पाना थोड़ा सरल हो जाता है। परिवार को चलाने के लिए माता पिता दोनों ही कार्य करते हैं। परिवार में सीमित सदस्य होने के कारण कार्य का ज्यादा बोझ भी नहीं रहता है।

परिवार की सीमित जरूरतों को सरलता से पूरा कर लिया जाता है, जिसके कारण जीवन में एक बेहतर गुणवत्ता देखी जाती है।

2. शिक्षा के उच्च स्तर

प्रत्येक माता-पिता की यह चाहत होती है कि उनके बच्चे एक अच्छे शैक्षणिक संस्थान में पढ़ें और आगे चलकर उनका नाम रोशन करें।

एक संयुक्त परिवार में काफी लोग होते हैं और सभी की जरूरत पूरी नहीं हो पाती हैं तथा बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानी होती है। लेकिन एकल परिवार में ऐसा नहीं होता। क्योंकि यहां माता पिता बच्चों के अच्छी शिक्षा के लिए पूरी तरह प्रयास कर पाते हैं।

3. शीघ्रता से निर्णय लेना

एकल परिवार में किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के पश्चात शीघ्रता से निर्णय लिया जाता है। निश्चित सदस्यों के बीच आपस में बातचीत के पश्चात सरलता से किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।

सभी के साथ चर्चा के पश्चात आपस में पारिवारिक कलह होने की संभावना भी कम हो जाती हैं और सदस्यों में मतभेद भी कम होता है।

4. वैचारिक स्वतंत्रता

यदि एकल परिवार की जगह संयुक्त परिवार की बात की जाए तो परिवार में बड़े बुजुर्ग तथा अन्य लोगों की विचारधारा काफी रूढ़िवादी होती है। संयुक्त परिवार के सदस्य किसी नए विचारधारा को अपनाने के लिए तैयार नहीं रहते हैं।

लेकिन एकल परिवार में सभी लोग एक नए और आशावादी जीवन शैली को अपनाने के लिए कभी भी पीछे नहीं हटते हैं। एक नए समाज से जुड़ कर एकल परिवार अपने विचारों में भी परिवर्तन लाते हैं।

ऐसा कहा जा सकता है, कि एकल परिवार के सदस्यों को अपने-अपने ढंग से कार्य और विचार करने की पूरी स्वतंत्रता होती है।

5. व्यक्तित्व का पूर्ण विकास

जब लोग किसी कारणवश अपने परिवार से दूर रहकर जीवन यापन करने लगते हैं, तो उन्हें एकल परिवार का दर्जा दिया जाता है।

ऐसे में एकल परिवार उन सभी रूढ़िवादी विचारधाराओं को पीछे छोड़कर समाज में एक नए तरीके से अपना जीवन व्यतीत करता है।

अपने जीवन में नए और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नई नई चीजों को सीखता है। परिणास्वरूप उसका जीवन न केवल और भी सरल तथा गुणवत्तामय हो जाता है, बल्कि उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास भी होता है।

6. कम पारिवारिक मतभेद

आज के समय में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं, कि उन्हें अपने कार्य के अलावा कहीं दूसरी जगह समय ही नहीं बच पाता है। ऐसे में एकल परिवार के सदस्य अपने परिवार के लोगों को भी समय नहीं दे पाते हैं।

व्यस्त जीवनशैली के कारण जब प्रत्येक सदस्य अपने-अपने कार्य में बिजी रहेंगे तो उन्हें किसी मुद्दे पर वाद-विवाद करने का समय ही नहीं मिलेगा। इसी कारण मतभेद और परिवारिक कलह की संभावनाएं एकल परिवार में बहुत हद तक घट जाती हैं।

7. परिवार में सुख शांति

एक प्रख्यात कहावत है, कि “छोटा परिवार सुखी परिवार” यह कहावत एकल परिवार पर एकदम सटीक बैठता है।

परिवार का मुखिया केवल अपने परिवार के हितों की पूर्ति करने के लिए उत्तरदाई होता है। कम सदस्यों के कारण सभी के व्यक्तिगत हितों की पूर्ति कर पाना संयुक्त परिवार के मुकाबले सरल बन जाता है। 

ऐसे स्थिति में परिवार के सदस्यों के बीच आपसी मनमुटाव होने की संभावना कम रहती है और सभी एक दूसरे के साथ मिलकर सुख और शांति से अपना जीवन बिताते हैं।

9. आर्थिक स्वावलंबन

संयुक्त परिवार में परिवार के सभी सदस्यों का बोझ केवल एक अथवा दो लोगों पर पड़ जाता है। ऐसी परिस्थिति में घर के मुखिया पर काम का दबाव तो बढ़ता ही है, साथ ही घर के अन्य सदस्यों में आर्थिक रूप से स्वावलंबी होने की भावना खत्म हो जाती है।

एकल परिवार का प्रत्येक सदस्य घर चलाने के लिए अपना निश्चित योगदान देता रहता है। जब माता पिता को उनके बच्चे परिश्रम करते हुए देखते हैं, तो उनके मन में भी बड़े होकर आर्थिक स्वावलंबी बनने की भावना विकसित होती है।

9. घरेलू कार्यों का कम बोझ

पुरुषों के साथ-साथ घर की महिलाएं भी घर के कामों में उतना ही सहयोग देती हैं, जितना की पुरुष अपने कामों में देते हैं।

यदि संयुक्त परिवार की बात की जाए तो वहां सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती है। जिसके कारण घर का सारा काम महिलाओं पर पड़ जाता है। घरेलू काम करते करते सुबह से शाम पूरे दिन का समय बीत जाता है।

किंतु एकल परिवार में घरेलू कार्यों का बोझ बहुत घट जाता है। जिसके कारण महिलाओं को काम के अलावा अपने लिए भी कुछ खाली समय बच जाता है।

10. अधिक आत्मनिर्भरता

एकल परिवार के लोग काफी आत्मनिर्भर होते हैं। महंगाई भरे दौर में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनना पड़ता है।

परिवार के सदस्य नई-नई क्षमताओं को विकसित करके अपने जीवन को और भी सरल रूप प्रदान करते हैं। जिससे आर्थिक स्वावलंबन के साथ ही लोगों में आत्मनिर्भरता का भी विकास होता है।

एकल परिवार के 10 नुकसान Disadvantages of Nuclear Family in Hindi

1. बड़े बुजुर्गों का सहारा नहीं.

एकल परिवार के सदस्य अपने अनुभवी और बड़े बुजुर्ग सदस्य से दूर हो जाते हैं। जिसके कारण वह कई सारे विषयों और समस्याओं के उचित समाधान से वंचित रह जाते हैं।

एकल परिवारों का सबसे बड़ा नकारात्मक असर अथवा नुकसान यही होता है, कि ऐसी परिवारिक संरचना संयुक्त परिवार के अखंडता और एकता पर बहुत गहरा प्रहार करती है।

2. उचित संस्कारों की कमी

संयुक्त परिवार के टूटने और एकल परिवार के बनने का सबसे ज्यादा प्रभाव घर के सदस्य और बच्चों पर भी पड़ता है।

आज के लोग आधुनिकता को ही अपना संस्कार मान चुके हैं। समय के साथ परिवर्तित होना अति आवश्यक है, किंतु संस्कार पुराने ही अच्छे होते हैं। एकल परिवार अपनी संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति की ओर प्रभावित होता जा रहा है।

3. बच्चों की संगति

बच्चे एक कोरे कागज की भांति होते हैं, क्योंकि वह जो कुछ भी अपने आसपास घटता हुआ देखते हैं, उसे बहुत जल्दी सीख जाते हैं। जब अपने परिवार के पालन पोषण के लिए माता पिता घर से बाहर काम धंधे पर जाते हैं, तब उनके बच्चे घर पर अकेले होते हैं।

ऐसे हालात में बच्चों की संगति बिगड़ने का बहुत अधिक संभावना रहता है। एकल पारिवारिक संरचना बच्चों की संगति और संस्कार पर बहुत असर डालते हैं।

4. त्योहारों पर नीरसता

किसी भी उत्सव अथवा त्यौहार का आनंद तभी आता है, जब उसे पूरे परिवार के साथ मनाया जाए। संयुक्त परिवार में सभी त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अपने परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते हैं, तो त्योहारों को जैसे चार चांद लग जाते हैं।

लेकिन एकल परिवार बनने के बाद त्यौहार मात्र एक सामान्य दिन के जैसे बीत जाते हैं। लोगों में कोई उत्साह और उमंग नहीं रहता है।

एकल परिवारों में लोग बड़ा ही अस्तव्यस्त जीवन जीते हैं। उनके चकाचौंध भरी जिंदगी में भी सुख शांति नहीं रहती है।

कहने को तो लोग दूसरों के साथ घुलमिल कर अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन वास्तव में ऐसे लोग अंदर से बिल्कुल अकेले पड़ जाते हैं। संयुक्त परिवार एकता और अखंडता का एक अटूट उदाहरण है जहां सदस्य कभी भी अकेलापन नहीं महसूस करते हैं।

6. कठिन परिस्थितियों में सहारा नहीं

परिवार से अलग होने के बाद मुश्किल हालातों में सहायता प्राप्त कर पाना बहुत कठिन हो जाता है। कठिन परिस्थितियों में कोई भी जान पहचान का व्यक्ति अथवा परिवार के सदस्य भी किसी प्रकार की सहायता नहीं देते हैं।

आर्थिक विपत्तियों में जिस प्रकार संयुक्त परिवार में सभी एकजुट हो जाते थे, वही एकल परिवारों में ऐसा नहीं होता है। आर्थिक सहायता तो दूर कोई भावनात्मक सहायता देने की भी इच्छा नहीं जताता है।

7. विवाह के लिए उचित निर्णय

विवाह का निर्णय जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक होता है। यदि इसे सोच समझकर नहीं लिया गया तो भविष्य में बहुत परेशानी होती है।

बड़े बुजुर्गों के बिना एकल परिवार के सदस्य कई बार विवाह का उचित निर्णय नहीं ले पाते हैं।

8. अस्त व्यस्त जीवनशैली

एकल परिवारों में कई बार यह देखा गया है, कि लोगों की दिनचर्या का समय निर्धारित नहीं रहता है।

लोग अपने व्यवसाय अथवा कामों में इस प्रकार मग्न हो जाते हैं, कि उन्हें सही समय पर खाने-पीने तथा अन्य जरूरी काम करने का भी ध्यान नहीं रहता है।

9. वृद्धावस्था में माता पिता को सहारा

माता पिता अपने बच्चों का पालन पोषण इसीलिए करते हैं, कि उनके बच्चे बड़े होकर वृद्धावस्था में उन्हें सहारा दें।

लेकिन जिस प्रकार माता पिता ने संयुक्त परिवार से अलग होकर एक नया पारिवारिक जीवन बसाया था, उसी से सीख लेकर उनके बच्चे भी उन्हें अकेला छोड़ कर एक नई दुनिया बसा लेते हैं।

10. सामाजिक असुरक्षा

जब कभी संयुक्त परिवार में कोई विपत्ति आती है तो परिवार के सभी लोग एकजुट हो जाते हैं। लेकिन एकल परिवार में किसी का भी सहारा नहीं मिलता है।

सबसे अधिक बुजुर्गों और विधवा स्त्रियों को एकाकी जीवन बिताने पर समाज में असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। यह एकल परिवार की सबसे बड़ी हानि होती है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में एकल परिवार के 10 फायदे और नुकसान हिंदी में (Advantages and Disadvantages of Nuclear Family in Hindi) दिया गया है। आशा है, यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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nuclear family essay in hindi language

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(Joint & Nuclear) (Small & Large) family एकल परिवार और संयुक्त परिवार में अंतर !!

  • Post author: Ankita Shukla
  • Post published: December 24, 2018
  • Post category: Gyan
  • Post comments: 0 Comments

नमस्कार दोस्तों…भारतवर्ष जो की एक महत्वपूर्ण नाम है हम सब के लिए जिसे न केवल भारतीय ही अहमियत देते हैं बल्कि बाहरी मुल्क भी इसे काफी महत्व देते हैं और ये सब अभी से नहीं कलयुग के आरम्भ से ही शुरू हो गया था अर्थात हमारे धन, हमारी संस्कृति, हमारा प्यार सभी विदेशों में जाना जाता था इसलिए विदेशी लोगों ने हमपे कई बार कब्जा कर हमारी हर स्वत्रता को अपने भीतर कर खुद को शक्तिशाली साबित करने की कोशिश की और हमारे प्यार और संस्कृति को अपना बना खुद को सर्वश्रेष्ट साबित करने की कोशिश की. जिसमे वो सफल भी हुए क्यूंकि हमने कुछ कमियां कर दी थी जिसके कारण उनके ओछे विचारों ने हमे उनका दास बना दिया था लेकिन इनके विचार हमारी एकता से अधिक ताकतवर नहीं साबित हुए और फिर एक दिन ऐसा आया कि हम भारतियों ने मिल अंग्रेजों और दूसरे विदेशियों को यहां से मार भगाया।

भारतवर्ष में जब भी कोई विदेशी आता तो वो सबसे पहले सोने की चिड़िया भारत को उसके संस्कारों के लिए जानता। पहले के समय में सभी परिवार सयुंक्त रूप से रहते थे जिसमे बड़ों को आदर दिया जाता, छोटों को प्रेम मिलता और सभी को प्यार और आशीर्वाद मिलता। लेकिन बाद में जब विदेशियों ने हमपे अपना साम्राज्य बना लिया तब हमारी यही सब एकता धीरे धीरे उनके हिसाब से ढलती चली गयी और पता ही नहीं चला कब हमने उनके रीती रिवाज को अपनाना शुरू कर दिया.

जिसके बाद सयुंक्त परिवार आदि एकल परिवार में बदलने लगे और लोग अपने बड़े, भाई बंधुओं के साथ न रह के अपने बीवी बच्चों के साथ अलग अलग घर बनाने लगे जो भारत की संस्कृति नहीं थी जिसे विदेशियों ने अपनी कूटनीति से भारत में फैलाया. तो कुछ इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हम जानेगे कि संयुक्त परिवार और एकल परिवार क्या हैं और इनमे क्या क्या अंतर होते हैं और दोनों के क्या क्या फायदे और नुकसान हैं.

एकल परिवार क्या है | What is Nuclear (Small) Family in Hindi !!

एकल परिवार का अर्थ है कि एक ऐसा परिवार जिसमे एक से अधिक परिवार एक साथ न रह रहे हों जैसे कि: पति, पत्नी, और उनके बच्चे ही रहते हैं। ऐसे परिवार को Nuclear Family या एकल परिवार कहा जाता है. इस परिवार में एक ही वैवाहिक जोड़ी और उसके बच्चे रह सकते हैं इसमें सास, ससुर, बेटे, बहु आदि नहीं रह सकते। ये अधिकतर छोटे परिवार होते हैं।

सयुंक्त परिवार क्या है | What is Joint (Large) Family in Hindi !!

एक ऐसा परिवार जहाँ माता पिता, बेटे बहु, पोते पोती, चाचा-चाची और ताऊ ताई आदि एक साथ रहते हैं उसे हम सयुंक्त परिवार या Joint Family कहते हैं. ऐसे परिवार पुराने समय से चले आ रहे हैं इनमे बच्चे अपने माता पिता, दादा दादी के साथ अधिक समय बिता पाते हैं और बड़ों से अच्छी शिक्षा लेते हैं. ये परिवार अधिकतर बड़े होते हैं.

एकल परिवार और संयुक्त परिवार में क्या अंतर है | Difference Between Joint (Small) Family and Nuclear (Large) Family in Hindi !!

# एकल परिवार छोटे होते हैं जबकि सयुंक्त परिवार बड़े होते हैं.

# एकल परिवार में खर्चे कम होते हैं जबकि सयुंक्त में अधिक खर्चे होते हैं.

# एकल परिवार में लोगों को एकांत अधिक मिल पाता है जबकि सयुंक्त परिवार में इस चीज की कमी होती है.

# एकल परिवार में बच्चे अपने दादा दादी, नाना नानी के प्यार से वंचित रह जाते है जबकि सयुंक्त परिवार में उन्हें अपने दादा दादी, नाना नानी आदि का भरपूर प्यार और संस्कार मिल पाते हैं.

# एकल परिवार में सहायता के लिए कम लोग होते हैं जिनके कारण परेशानी आने पे दिक्क़ते बढ़ जाती हैं लेकिन सयुंक्त परिवार में बड़ी से बड़ी समस्या सभी मिल के सुलझा लेते हैं.

# एकल परिवार में अच्छी बुरी सलह के लिए किसी बड़े अनुभवी का साथ नहीं मिल पाता जबकि सयुंक्त में अनुभवी व्यक्ति की सलह से कई समस्या चुटकियों में सुलझ जाती हैं.

# एकल परिवार में बच्चे संस्कृति और संस्कारों में पीछे रह जाते हैं जबकि सयुंक्त परिवार में बच्चों को अच्छे संस्कार और संस्कृति को जानने का मौका मिल पाता है.

# एकल परिवार में यदि कोई एक व्यक्ति बीमार हो जाता है तो देखभाल के लिए कोई भी नहीं होता है जबकि सयुंक्त परिवार में यदि कोई बीमार हो जाता है तो सहायता और देखभाल के लिए कई लोग मिल जाते हैं और बड़ों का अनुभव भी मिलता है.

हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दिए गए इस आलेख को पढ़ कर अच्छा लगा होगा | अगर आपको इस आलेख में कोई गलती मिलती है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । बेहतरीन जानकारी पाने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में आप जिस के बारे में जानना चाहते हैं उसके बारे में जरूर बताएं |

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Ankita Shukla

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एकल परिवार पर निबंध – Ekal Parivar Essay in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध एकल परिवार पर निबंध – Ekal Parivar Essay in Hindi पर दिया गया हैं. एकल परिवार किसे कहते है महत्व उपयोगिता सदस्य कौन होते है आदि पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 Students के लिए न्यूक्लियर फॅमिली का एस्से दिया गया हैं.

एकल परिवार पर निबंध – Nuclear Family Essay in Hindi

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आज अधिकतर भारतीय परिवार एकल परिवार के स्वरूप बन चुके है जिनमें माता पिता और उन्के अविवाहित पुत्र पुत्रियाँ ही साथ रहते हैं. भारत में परिवार का आशय संयुक्त परिवार ही माना जाता था.

मैक्समूलर का कहना है कि भारत में परिवार का आशय संयुक्त परिवार से है जिनमें दो या दो से अधिक रक्त सम्बन्धी परिवार एक साथ रहते हैं.

21 वीं सदी के शुरूआती दौर में ही हमारे देश से संयुक्त परिवार प्रणाली का हास होना शुरू हो गया. बड़े परिवार तेजी से टूटकर एकांकी परिवार का रूप लेने लगे.

एकल परिवार को आदर्श परिवार मानने तथा जॉइंट फॅमिली के टूटने के अनेक कारण हैं जिनकी चर्चा आज हम यहाँ करेगे.

घर से बाहर दूसरे शहरों या राज्यों में नौकरी व्यवसाय लगने के कारण एकल परिवार को तेजी से प्रोत्साहन मिले हैं. अपने भरे पुरे परिवार को छोड़कर शहर में अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ रहने पर वो परिस्थति वंश एकल परिवार का रूप ले लेते हैं.

जिनकी मुख्य वजह गाँवों में रोजगार के अवसरों की कमी हैं.आजीविका के लिए अपने घर को छोड़कर लोगों को बाहर निकलना पड़ रहा हैं.

तेजी से टूटते संयुक्त परिवार और एकल परिवार को बढ़ावा मिलने का दूसरा बड़ा कारण आज के यूथ की संकीर्ण सोच भी जिम्मेदार हैं. शादी के बाद पति पत्नी को घर के अन्य लोगों से प्रोब्लम होनी आरम्भ हो जाती हैं.

माता पिता या बडो की बात उन्हें अपने जीवन में स्वतंत्रता की सीमाएं लगने लग जाती हैं. उन्हें लगता है वे बड़े घर में रहकर मनचाहे कपड़े, मनचाहा काम और खुलकर रोमांच नहीं कर पाते है.

इस तरह के संकीर्ण विचारों से प्रेरित होकर वे माता पिता से अलग हो जाती हैं और एक नयें एकल परिवार का जन्म विचारों की अपरिपक्वता से जन्म ले लेता हैं.

आम तौर पर बड़े आकार के परिवार होने के कारण घर में लड़ाई झगड़ा आम बात हैं. बड़ा परिवार होने के कारण बच्चों में बड़ो में छोटी मोटी बात पर कहासुनी हो जाती है.

जिन्हें अपने अपने बच्चों के माँ बाप पक्ष लेने से बात का बतंगड बन जाते हैं कई बार इस तरह की आपसी कलह एकल परिवार के जन्म की पृष्टभूमि तैयार कर देते हैं.

एकल परिवार के कई फायदे भी हैं. एक तरफ जहाँ संयुक्त परिवार में आर्थिक बोझ में बढ़ जाता हैं कमाने वाले बहुत कम होते हैं जबकि खर्च करने वालों व खाने वालों की संख्या अधिक होती हैं.

एकल परिवार के जन्म से हरेक व्यक्ति को किसी न किसी आर्थिक कार्य में संग्लन होने से जीवन जीने के साधनों और सुख सुविधाओं में वृद्धि हुई हैं.

दूसरी तरफ एकल परिवार के कुछ नुकसान भी हैं. छोटे और एकांकी परिवारों के बनने से परिवार में बच्चों की देखभाल उन्हें दादा दादी आदि का प्यार नहीं मिल पाता हैं.

माता पिता के काम पर चले जाने के बाद बच्चे अकेलेपन में जीवन बिताते हैं. एकल परिवारों से छोटी छोटी घटनाओं पर व्यतीत रहना, कोई सलाह देने वाला न होना, आपसी कलह पर कोई समझाइश न होने के कारण पति पत्नी के रिश्तों में दरार पड़ जाती हैं.

  • परिवार नियोजन पर कविता
  • परिवार नियोजन पर निबंध
  • परिवार पर बेस्ट 2 लाइन स्टेटस शायरी
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों एकल परिवार पर निबंध – Ekal Parivar Essay in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

One comment

अति सुन्दर रचना। पढ़ के परम आनन्द की अनुभूति हो गई।?

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Nuclear Family: Essay on Advantages and Disadvantages of Nuclear Family

एकाकी परिवार एक ऐसा परिवार होता है जिसमें 2-5 सदस्य होते हैं। यह एक छोटा समूह है जिसमें एक पत्नी और पति और उनके अपरिपक्व बच्चे होते हैं जो समुदाय का हिस्सा बनते हैं। शादी के बाद बच्चे अपने माता-पिता और अपने घर को छोड़कर एक नया घर बसाते हैं। आज के समय में एकल परिवार काफी आम हैं। यह एक स्वायत्त परिवार है जो बड़ों के किसी भी नियंत्रण से मुक्त है। हाल के दिनों में युवा अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं, और इसलिए विशेष रूप से शहरों में एकल परिवारों का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

Table of Contents

  • एकल परिवारों में व्यक्तित्व विकास की काफी गुंजाइश होती है । बच्चे माता-पिता के अधिक करीब हो जाते हैं और अपने विचारों पर खुलकर और स्वतंत्र रूप से चर्चा कर सकते हैं।
  • एकल परिवारों में महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल करने और अपने विचारों के अनुसार अपने घर का प्रबंधन करने के लिए अधिक समय मिलता है। बड़े घर के मामलों में दखल नहीं देते और पति भी अपनी पत्नी पर ज्यादा ध्यान दे सकता है।
  • एकल परिवार अधिक परिवार नियोजन करते हैं , और सभी सदस्य एक साथ खर्च और जिम्मेदारियां वहन करते हैं।
  • कम लोग होते हैं इसलिए गलतफहमी कम होती है और इसलिए उनके पास एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण और शांतिपूर्ण जीवन होता है।
  • माता-पिता अपने बच्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं और पति-पत्नी दोनों परस्पर जिम्मेदारियों को साझा करते हैं।
  • बचत और वित्तीय नियोजन प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
  • परिवार के सभी सदस्य एक स्वतंत्र जीवन शैली का आनंद ले सकते हैं ।
  • जैसे-जैसे परिवार विभाजित होता है, भूमि भी उप-विभाजित होती जाती है, और उपज कम होती है। साथ ही कई बार मजदूरों की कमी के कारण लोगों को बाहरी लोगों को काम पर रखना पड़ता है. इससे एकल परिवार के सदस्यों को काफी हद तक आर्थिक नुकसान होता है।
  • चूंकि पत्नी और पति दोनों को आर्थिक जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं, इसलिए बच्चों की अक्सर उपेक्षा की जाती है या नौकरों के साथ छोड़ दिया जाता है। बच्चे अकेलेपन और भावनात्मक असुरक्षा के साथ-साथ चिंता और अवसाद की भावना विकसित करते हैं। अगर कमाने वाला सदस्य मर जाता है या कमाने में असमर्थ हो जाता है, तो परिवार का समर्थन करने वाला कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है। साथ ही, आपात स्थिति या दुर्घटना या बीमारी के समय में कोई सहारा नहीं होता है।
  • इस स्वतंत्र इकाई में बहुत अधिक स्वतंत्रता है, और इसलिए बच्चे अपने कैदियों की नकल करके बुरे गुणों का विकास करते हैं। यह एक अनुशासनहीन जीवन शैली की ओर जाता है । साथ ही, वे असामाजिक हो जाते हैं और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घुलमिल नहीं पाते हैं।
  • अकेलापन इस प्रकार के परिवारों की एक बड़ी कमी है, और आपात स्थिति में कोई सहायता या सहायता नहीं होती है। साथ ही खाली समय में बात करने वाला भी कोई नहीं है।
  • एकल परिवारों में वृद्ध, तलाकशुदा और विधवाओं की उपेक्षा की जाती है क्योंकि किसी के पास उनकी देखभाल करने का समय नहीं होता है। इससे वे असुरक्षित महसूस करते हैं और बच्चे भावनात्मक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से भी कुसमायोजित हो जाते हैं। इससे बार-बार टकराव होता है ।

हालाँकि एकल परिवारों के अपने फायदे और स्वतंत्रता हैं , फिर भी इसमें पारंपरिक संयुक्त परिवारों के प्यार और गर्मजोशी का अभाव है। बच्चों को अपने बड़ों से पालन-पोषण और संस्कृति नहीं मिलती है, और वे अंत में बहुत अनुशासित और बिगड़े हुए हो सकते हैं। वे किस प्रकार का परिवार चाहते हैं, यह तय करना एक व्यक्तिगत पसंद है।

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सयुंक्त व एकल परिवार में बच्चों के रहने के फायदे व नुकसान

सयुंक्त व एकल परिवार में बच्चों के रहने के फायदे व नुकसान

भारत के समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन हैं| विभिन्न धर्मों, जातियों में संपत्ति के अधिकार, विवाह, तलाक आदि की प्रथा की दृष्टि से अनेक भेद पाए जाते हैं। फिर भी संयुक्त परिवार का आदर्श सर्वमान्य है। भारत में संयुक्त परिवार का कारण कृषि प्रधान की अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त प्राचीन परंपराओं और आदर्शों में निहित है। एकल परिवार (Ekal Parivar) या जॉइंट फैमिली के कुछ फायदे-नुकसान ( Advantages and Disadvantages of Joint family ) हमें अवश्य पता चोना चाहिए जिसका वर्णन हम इस लेख में करने जा रहे हैं।

रामायण व महाभारत की गाथाओं द्वारा यह आदर्श जन-जन मे प्रेषित है। पर आज कल लोग एकल परिवार मे रहने लगे हैं। एकल परिवार से पहले लोग संयुक्त परिवार मे मिल जुल कर रहते थे। संयुक्त परिवार मे एक मुखिया होता था जिसकी बात हर कोई मानता था। संयुक्त परिवार आजकल खत्म होने लगे हैं व एकल परिवार की बढ़ोत्तरी हुई है जिसके बहुत से कारण है।

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संयुक्त परिवार में दादा-दादी, माता-पिता, भाई-बहन के अतिरिक्त चाचा-चाची, ताऊ-ताई और उनकी विवाहित संताने मिलाकर 10 से 15 या इससे भी ज्यादा सदस्य हो सकते हैं जबकि एकल परिवार में चार से पांच सदस्य हो सकते हैं। इसमें माता-पिता व भाई-बहन होते हैं। संयुक्त परिवार की रीढ़ दादा-दादी को माना जाता था।

परिवार की महत्ता

समाज के कई बड़े संयुक्त परिवारों से मिलने पर एक बात सामने आती है कि इन परिवारों में व्यक्ति से ज्यादा अहमियत परिवार की होती है। वहां व्यक्तिगत पहचान कोई मुद्दा नहीं होता। परिवार की कुछ बंदिशे होती है जिनको परिवार के सभी सदस्यों को मानना पड़ता है। समाजशास्त्री मानते हैं कि बड़े संयुक्त परिवार को सही ढंग से चलाने के लिए लोगों को खुद से ज्यादा परिवार को महत्त्वपूर्ण मानना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं एकल परिवार यानि सिंगल परिवार और जॉइंट फैमिली में रहने के फायदे और नुकसान (Joint or Single Family Mein rahne ke fayde)।

संयुक्त व एकल परिवार के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Joint family Vs. Nuclear Family)

#1. अनुभव व आत्मनिर्भरता.

संयुक्त परिवार यानि जॉइंट फैमिली में जहां माता पिता के रूप में अनुभवी शादीशुदा दंपति होते है जो नये दंपति को अच्छी सलाह दे सकते है। दादा-दादी, चाचा-चाची जैसे अन्य अनुभवी और बुद्धिमान सदस्य नए दंपति को उन समस्याओं से जूझने के लिए भी मदद कर सकते है।

इसके साथ ही संयुक्त परिवार में घरेलू समस्याओं को देखने का नजरिया भी अलग होता है| संयुक्त परिवार में दूसरों का अनुभव मिलता है जिससे आप समस्याओं को आसानी से और सही ढंग से हल कर सकते हैं जैसे कि बच्चों का पालन-पोषण, आर्थिक व वैवाहिक समस्याओं को सुलझाना।

वहीं दूसरी ओर एकल परिवार में दंपति को निर्णय स्वयं लेने की आजादी होती है। एकल परिवार में दंपति अपने हिसाब से वह सब नियम, रस्मे या परंपराये बना सकता है। इससे उन में आत्मनिर्भरता उत्पन्न होती है।

#2. बच्चों का पालन पोषण

संयुक्त परिवार में बच्चों का पालन-पोषण तो ठीक होता है पर उन्हें अनुशासन सिखाना मुश्किल होता है क्योंकि निर्देश देने वाले काफी होते हैं। परंतु एकल परिवार में बच्चे को अनुशासित करना आसान होता है क्योंकि बच्चों को सभी निर्देश उसके माता-पिता से ही मिलते हैं। ऐसे में बच्चा आसानी से माँ बाप की हर बात मान लेता है और ठीक ढंग से व्यवहार करता है।

#3. सबका साथ व अकेलापन

एकल परिवार में रहने वाला बच्चा अकेलापन महसूस करता है क्योंकि उसके पास संयुक्त परिवार की तरह खेलने के लिए कोई भाई-बहन नहीं होता हैं| इसके विपरीत संयुक्त परिवार में ऐसा नहीं होता। एकल परिवार में कई बार माँ-बाप गलती कर रहे होते हैं तो उसे ठीक करने वाला कोई नहीं होता है, जिसका बच्चों के पालन-पोषण पर बुरा असर पड़ता है।

#4. बाहरी दखल अंदाजी

एकल परिवार एक अलग दंपति परिवार होता है जो अन्य सुधारों की परेशानी से बचता है। एक परिवार में सदस्यों की कमी और दखल अंदाजी ना होने की वजह से दंपति को एक दूसरे को समझने का मौका मिलता है।

इसके विपरीत संयुक्त परिवार में ऐसा नहीं होता हैं| संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे की मदद करते हैं। जैसे नवजात शिशु को संभालने में आपको घर के दूसरे सदस्यों का भी सहयोग मिलेगा। इसमें संयुक्त परिवार काफी बेहतर होते है।

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#5. महिलाओं की स्थिति

संयुक्त परिवार में महिलाओं की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती वह सिर्फ रसोई और बच्चों के पालन-पोषण में ही अपना जीवन गुजार देती है जबकि एकल परिवार में औरतों को अपनी जिंदगी खुद की मर्जी से जीने का हक होता है।

जॉइंट फैमिली और सिंगल फैमली (Single Family) या एकल परिवार के फायदे नुकसान चाहे जो भी हो लेकिन आखिर में ये पूरी तरह से आप पर ही निर्भर करता हैं कि आप अपनी जिंदगी व अपने बच्चो का पालन पोषण किन परिस्थितियों में करना चाहती हैं|

इसमें कुछ भी सही या गलत नही हैं| कुछ लोग एकल परिवार में रहना पसंद करते हैं तो कुछ सयुंक्त परिवार (Joint Family) में|

क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

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परिवार का महत्व पर निबंध (Importance of Family Essay in Hindi)

परिवार में शामिल ज्यादातर सदस्य नैसर्गिक क्रियाओं द्वारा आपस में जुड़े होते हैं और कुछ जीवन के पथ पर चलते हुए समय के साथ (विवाह पश्चात) हमारे परिवार में शामिल हो जाते हैं। समाज में परिवार के दो स्वरूप पाए जाते हैं। पहला एकल (मूल) परिवार दूसरा संयुक्त परिवार। व्यक्ति के लिए परिवार व्यापक रूप में अपनी भूमिका निभाता है। किसी शिशु के जीवन में परिवार का अभाव होने पर उसका जीवन अनेकानेक कठिनाइयों से भर जाता है।

परिवार का महत्व पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Family in Hindi, Parivar ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

परिवार का महत्व पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक इंसान का परिवार उसके लिए संसार होता है। हम अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त कर पाते हैं, वह परिवार के सहयोग और समर्थन स्वरूप ही प्राप्त कर पाते हैं। हमारे पालन-पोषण को हमारा परिवार अपनी पहली प्राथमिकता समझता है और जब तक हम सक्षम नहीं हो जाते हमारी सभी जरूरतों की पूर्ति निःस्वार्थ भाव से करता है।

परिवार के प्रकार

परिवार के दो प्रकार है – मूल तथा संयुक्त परिवार। मूल परिवार की बात करें तो यह पश्चिमी देशों की सभ्यता है। जिसमें दम्पति अपने बच्चों के साथ निवास करता है, पर परिवार का यह स्वरूप अब विश्वभर में देखा जा सकता है। संयुक्त परिवार, संयुक्त परिवार की अवधारणा भारत की संस्कृति की छवि को दिखाता है। संयुक्त परिवार जिसमें दो पीढ़ी से अधिक लोग एक साथ निवास करते हैं जैसे दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ आदि।

परिवार की भूमिका

माता-पिता हमारा पालन पोषण करते हैं। ब्रश करने तथा जूते का फीता बाँधने से लेकर पढ़ा-लिखा कर समाज का एक शिक्षित वयस्क बनाते हैं। भाई-बहन के रूप में घर में ही हमें दोस्त मिल जाते हैं, जिनसे अकारण हमारी अनेक लड़ाई होती है। भावनात्मक सहारा और सुरक्षा भाई-बहन से बेहतर और कोई नहीं दे सकता है। घर के बड़े-बुजुर्ग के रूप में दादा-दादी, नाना-नानी बच्चे पर सर्वाधिक प्रेम न्यौछावर करते हैं। कटु है पर सत्य है, व्यक्ति पर परिवार का साया न होने पर व्यक्ति अनाथ कहलाता है। इसलिए समृद्ध या गरीब परिवार का होना आवश्यक नहीं पर व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना अतिआवश्यक है।

समाज में हमारे पिता के नाम के साथ हमें पहचान दिलाने से लेकर हमारे पिता को हमारे नाम से जानने तक, परिवार हमें हर प्रकार से सहयोग प्रदान करता है। परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, अतः हमें परिवार के महत्व को समझने की चेष्टा करनी चाहिए।

जीवन के विभिन्न पढ़ाव पर परिवार का सहयोग- निबंध 2 (400 शब्द)

एक छत के नीचे रहने वाला व्यक्तियों का समूह जो आपस में अनुवांशिक गुणों को संचरित करते हैं परिवार के संज्ञा के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा विवाह पश्चात या किसी बच्चे को गोद लेने पर वे परिवार का सदस्य हो जाते हैं। समाज में पहचान परिवार के माध्यम से मिलती है इसलिए हर मायने में व्यक्ति के लिए उसका परिवार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

जीवन के विभिन्न पढ़ाव पर हमारे परिवार का सहयोग

  • बचपन – हमारे लिए परिवार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि परिवार हमारी पहली पहचान है, बाह्य शक्ति से (जो हमें हानि पहुंचा सकती है) परिवार हमारी ढ़ाल के रूप में रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त हमारे सभी जायज जरूरतों की पूर्ति परिवार बिना कहे पूर्ण करता है।
  • किशोरावस्था – बच्चे के किशोरावस्था में कदम रखने पर जहां वह सबसे अधिक संवेदनशील स्थिति से गुज़र रहा होता है, परिवार, बच्चे को समझने का पूरा प्रयास करता है। उसे भावनात्मक सहयोग देता है। बच्चे के अंदर हो रहे उथल-पूथल का समाधान परिवार अपनी सूज बूझ से करता है।
  • युवावस्था – हमारे वयस्क हो जाने पर कई विषयों पर हमारी सहमति हमारे परिवार के साथ मेल नहीं खाती है, पर न चाहते हुए भी वह हमारे खुशी के लिए समझौता करना सीख जाते है और हमारे साथ हर परिस्थिति में खड़े रहते हैं।

परिवार और हमारे मध्य दूरी के कारण

  • परिवार की अपेक्षाएं – हमारे किशोरावस्था में पहुंचने पर जहां हमें लगने लगता है हम बड़े हो गए हैं वहीं परिवार की कुछ अपेक्षाएं भी हम से जुड़ जाती हैं। ज़रूरी नहीं हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतर पाए अंततः रिस्तों में खटास आ जाती है।
  • हमारा बदलता स्वरूप – किशोरावस्था में पहुंचने पर बाहरी दुनिया के प्रभाव में आकर हम स्वयं में अनेक परिवर्तन करना चाहते हैं, जैसे की अनेक दोस्त बनाना, प्रचलन में चल रहे कपड़े पहनना, परिस्थिति को अपने तरीके से हल करना आदि। इस सब तथ्यों पर हमारा परिवार हमारे साथ सख्ती से पेश आता है ऐसे में हमारी न समझी के कारण कई बार रिस्तों में दरार आ जाते हैं। यहां एक दूसरे को समझने की ज़रूरत है।
  • विचारधारा में असमानता – अलग पीढ़ी से संबंधित होने के वजह से हमारे विचार और हमारे परिवार जनों के विचारधारा में बहुत अधिक असमानता होती है। जिसके वजह से परिवार में क्लेश हो सकता है।

पीढ़ी अंतराल (Generation Gap) के कारणवश परिवार और हमारे मध्य अनेक चीजों पर सहमति एक-दूसरे से भिन्न होती चली जाती है। एक दूसरे को समय देने से हम एक दूसरे को समझ पाएगे। परिवार तथा बच्चों को एक दूसरे के दृष्टीकोण को समझने का प्रयास करना चाहिए।

समाज में परिवार का महत्व – निबंध 3 (500 शब्द)

आगस्त कॉम्त ( Auguste Comte) की शब्दों में, “ परिवार के अभाव में समाज की कल्पना नहीं की जा सकती, परिवार समाज की अधारभूत इकाई है”। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है परिवार के समूह से समुदाय तथा समुदायों से समाज का निर्माण होता है। इसलिए परिवार को समाज की इकाई के रूप में देखा जाता है।

समाज में परिवार का महत्व

सभ्य परिवारों के समूह से सभ्य समाज का निर्माण होता है। जबकी इसके विपरीत समाज में एक बुरे आचरण का अनुसरण करने वाला परिवार पूरे समाज के लिए श्राप सिद्ध हो सकता है। इस कारणवश स्वच्छ समाज के लिए अच्छे परिवारों का होना अति आवश्यक है।

नेल्सन मंडेला के अनुसार

“किसी समाज की आत्मा की सबसे अच्छी पहचान इसी से होती है कि वह अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

समाज पर परिवार का प्रभाव

बढ़ते उम्र के बच्चों के लिए परिवार का व्यवहार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। देश में होने वाले अपराधों में बाल अपराध के मामलात दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहें हैं। बाल अपराध से आशय बच्चों द्वारा किए गए अपराध से है। बच्चों के बाल अपराधी बनने के कई कारणों में से एक परिवारिक व्यवहार भी है। माता-पिता के आपसी तनाव या अपने में व्यस्त रहने के वजह से बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है तथा आगे चल कर वह समाज के प्रतिकूल काम कर सकते हैं।

इस कारणवश परिवार का सही मार्ग दर्शन बच्चे के साथ-साथ समाज के लिए भी अति आवश्यक है।

परिवार महत्वपूर्ण क्यों है ?

  • व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण निर्माण परिवार द्वारा होता है इसलिए सदैव समाज व्यक्ति के आचरण को देखकर उसके परिवार की प्रशंसा या अवहेलना करता है।
  • व्यक्ति के गुणों में जन्म से पूर्व ही उसके परिवार के कुछ अनुवांशिक गुण उसमें विद्यमान रहते हैं।
  • व्यक्ति की हर परेशानी (आर्थिक, समाजिक, निजी) परिवार के सहयोग से आसानी से हल हो सकती है।
  • मतलबी दुनिया में जहां किसी का कोई नहीं होता वहां हम परिवार के सदस्यों पर आख बंद कर के विश्वास कर सकते हैं।
  • परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है।
  • जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, परिवार द्वारा प्रदान की जाती है।
  • परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है।
  • हमारे जीत पर हमारी सराहना तथा हार पर संतावना परिवार से मिलने पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह हमारे भविष्य के लिए कारगर साबित होता है।

परिवार के प्रति हमारा दायित्व

परिवार से प्राप्त प्यार और हमारे प्रति उनका निस्वार्थ समर्पण हमें उनका सदैव के लिए ऋणी बनाता है। अतः हमारा, हमारे परिवार के प्रति भी विशेष कर्तव्य बनता है।

  • बच्चों को सदैव अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए और स्वयं की बात समझाने का प्रयास करना चाहिए। किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं।
  • परिवार के इच्छाओं और अपेक्षाओं पर सदैव खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए।
  • बच्चों और परिवार के मध्य कितना भी अनबन हो बच्चों को परिवार से दूर कभी नहीं होना चाहिए।
  • जिस बातों पर परिवार सहमत नहीं हैं, उन बातों पर पुनः विचार करना चाहिए और स्वयं समझने का प्रयास करना चाहिए।

हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद अनेक बंधनों, जिम्मेदारियों, प्रेम तथा प्रतिबंधों से बंधे होते हैं। एक परिवार का महत्व, समाज के लिए उतना ही है, जितना की एक बच्चे के लिए है, अतः हमारे जीवन के लिए परिवार महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

Essay on Importance of Family

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बच्चों की परवरिश के लिए जॉइंट फैमिली बेहतर या अलग रहना सही? जानें अनोखी बातें

बच्चों की परवरिश के लिए परिवार की जरूरत होती है. (Image-canva)

तमाम पैरेंट्स का मानना है कि उनके बच्चे एकल परिवार में खुश हैं तो बड़ी संख्या में पैरेंट्स जॉइंट फैमिली को बच्चों की पर ...अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 28, 2022, 06:41 IST
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Joint Family Versus Nuclear Family:  बच्चों की परवरिश के लिए एकल परिवार बेस्ट है या संयुक्त परिवार? इस बात पर लंबे समय से विवाद चल रहा है. हर किसी की राय इस मामले पर अलग होती है. बच्चे की परवरिश का हक उसके माता पिता के पास होता है. उनके बच्चे के लिए किस प्रकार का परिवार अच्छा होगा, यह बात उन्हें अपने परिवार के माहौल के हिसाब से पता होती है. किसी भी बच्चे का पालन पोषण आसान नहीं होता. संयुक्त परिवार या एक एकल परिवार में होने से चीजें आसान नहीं होती हैं. तमाम मुश्किलों के बाद भी अगर चाहें तो संयुक्त परिवार बच्चों को उनकी निजता के लिए आवश्यक स्थान और सम्मान प्रदान नहीं कर सकते हैं. जबकि एकल परिवार दूसरे परिवारों की तरह ही अच्छा और पालन-पोषण करने वाले हो सकते हैं.

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संयुक्त परिवार में पालन-पोषण के लाभ यूथ की आवाज के मुताबिक बच्चों को संयुक्त परिवार में लाने से उसको सहयोग और धैर्य के लिए सीखने का माहौल मिलता है.  संयुक्त परिवार में रहने से माता-पिता को इस बात की चिंता नहीं होती कि उनके दूर रहने के दौरान बच्चे की देखभाल कौन कर रहा है.  बच्चे की अधिक चिंता के बिना माता-पिता और अधिक तरीके से अपने काम पर फोकस कर पाते हैं.  साथ ही अपने शौक को पूरा करने आदि के लिए भी समय निकाल पाते हैं.  संयुक्त परिवार बच्चों को निस्वार्थ रूप से सहायक घर व्यवस्था प्रदान करते हैं. 

एकल परिवार में पालन-पोषण के लाभ स्वतंत्रता का मतलब होता है अकेलापन. स्वतंत्रता एक अच्छा गुण है जिसके साथ सभी बच्चों को बड़ा होना चाहिए. यह जीवन का एक तरीका है. यह वह ताकत है जो आपके जीवन को उस दिशा में ले जाती है, जिस दिशा में आप चाहते हैं. जबकि संयुक्त परिवारों में पले-बढ़े बच्चे अधिक लाड़ प्यार मिलता है जिससे वे अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं.  देखा जाए तो 21वीं सदी, बीसवीं सदी से थोड़ी अलग है. बच्चों को पालने के तरीके में फर्क आया है. अब आप बिना किसी की परवाह किए, अपने बच्चे को अपने हिसाब से संस्कार दे सकते हैं और बड़ा कर सकते हैं.  एकल परिवारों में पले बढ़े बच्चे जल्दी ही अपनी पहचान बनाना सीख जाते हैं.

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एक राय बनाना मुश्किल बच्चा चाहे एकल परिवार में बड़ा हो या संयुक्त परिवार में दोनों के ही अपने कुछ फायदे और कुछ नुकसान हैं. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि बच्चे के लिए कौन सा परिवार ज्यादा ठीक रहता है. यह बच्चे के परिवार के माहौल और सुविधाओं पर काफी हद तक निर्भर करता है.

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संयुक्त परिवार में रहने के 20 फायदे और नुकसान | Advantages and Disadvantages of Living in Joint Family

नृपेंद्र बाल्मीकि एक युवा लेखक और पत्रकार हैं, जिन्होंने उत्तराखंड से पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर (एमए) की डिग्री प्राप्त की है। नृपेंद्र विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद करते हैं, खासकर स्वास्... read full bio

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संयुक्त परिवार को समाज का अहम स्तंभ माना गया है, जहां लोग एकसाथ रहकर आपस में समय व्यतित करते हैं। वो बात और है कि बीतते समय के साथ ज्वॉइंट फैमिली टूटने लगे हैं। हर कोई अपनी जीवन शैली में इतना वयस्त है कि संयुक्त परिवार की परिभाषा तक भूलने लगा है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम संयुक्त परिवार की विशेषताएं लेकर आए हैं। साथ ही यहां हम ज्वॉइंट फैमली में रहने के फायदे और नुकसान के बारे में भी चर्चा करेंगे।

लेख के शुरुआत में हम ज्वॉइंट फैमिली की परिभाषा को समझने का प्रयास करते हैं।

संयुक्त परिवार किसे कहते हैं?

संयुक्त परिवार का मतलब ऐसे सुखी परिवार से है, जहां एक ही घर में दो-तीन पीढ़ी के लोग आपसी प्रेम के साथ रहते हों ( 1) । जहां एक ही रसोई में सभी के लिए खाना बनाता हो और सभी साथ में भोजन करते हो। संयुक्त परिवार में संपत्ति का कोई बंटवारा नहीं होता। सभी के पास एक-दूसरे के लिए समय होता है। यहां तक कि किसी में मन अपनों के लिए कोई द्वेष तक नहीं होता। सभी आपसी प्रेम और सौहार्द के साथ अपना जीवन व्यतित करते हैं। लेख में आगे हमने संयुक्त परिवार में रहने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में विस्तार से चर्चा की है।

आइए, अब जानते हैं कि ज्वॉइंट फैमिली की क्या-क्या खूबियां होती हैं।

संयुक्त परिवार की विशेषताएं

संयुक्त परिवार में रहने के कई लाभ हैं, जिनका जिक्र हम नीचे क्रमवार तरीके से कर रहे हैं:

  • संयुक्त परिवार में घर और वहां रह रहे लोगों की देखभाल के लिए एक मुखिया होता है, जो परिवार का सबसे बड़ा सदस्य होता है।
  • परिवार के किसी भी फैसले में सभी लोगों की राय ली जाती है। हालांकि, अंतिम निर्णय परिवार का मुखिया ही करता है।
  • संयुक्त परिवार में सभी का खाना एक साथ ही बनता है और लोग एक साथ ही खाना खाते हैं, जिससे प्यार बढ़ता है।
  • ज्वॉइंट फैमिली में परिवार के बड़े लोग मिलकर घर का खर्च चलाते हैं।
  • घर के कामों में सभी लोग हाथ बंटाते हैं। इससे किसी एक पर काम का बोझ नहीं होता।
  • अगर कोई एक मुसीबत में है, तो उसकी सहायता के लिए सभी उपस्थित रहते हैं, जिस कारण उसे अकेलेपन का सामना नहीं करना पड़ता ।

लेख के अगले भाग में हम संयुक्त परिवार फायदे और नुकसान विस्तार से बता रहे हैं।

20 संयुक्त परिवार में रहने के फायदे और नुकसान

ज्वॉइंट फैमली की परिभाषा समझने के बाद अब बारी आती है, इसके फायदे और नुकसान के बार में जानने की।

संयुक्त परिवार में रहने के फायदे 

  •  एकजुटता : सयुंक्त परिवार में रहने का सबसे पहला फायदा यह है कि लोगों के बीच एकजुटता होती है, जो आज के समय में कम ही देखने को मिलती है। संयुक्त परिवार में जहां बच्चों को दादा-दादी का प्यार मिलता है, वहीं बूढ़े मां-बाप को बच्चों का सहारा। सभी लोग एकजुट होकर एक ही छत के नीचे खुशी से रहते हैं। ऐसा एकल परिवार में संभव नहीं है।
  • आदर भावना : लोगों के बीच, खासकर बच्चों में आदर भावना का विकास होता है। बच्चे घर के बड़ों का सम्मान करना व अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना जैसी कई अच्छी आदतें सीखते हैं। इस सीख व आदत को जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
  • क्वालिटी टाइम : संयुक्त परिवार में रहने से आपस में समय बिताने का मौका मिलता है। आमतौर पर लोग अपने कामों में दिन भर व्यस्त रहते हैं। वहीं, शाम को काम खत्म करने बाद सभी परिवार वाले आपस में इकठ्ठा होते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। ऐसा न्यूक्लियर फैमिली में संभाव नहीं हो सकता है।
  • बच्चों का संपूर्ण पालन पोषण : संयुक्त परिवार में बच्चों का पालन-पोषण अच्छी तरह से हो सकता है। बच्चों को प्यार व दुलार के साथ-साथ सही मार्ग दर्शन भी मिलता है । अगर माता-पिता अपने काम में व्यस्त भी रहते हैं, तो परिवार के बड़े-बुजुर्ग उनका पालन पोषण करने के लिए मौजूद होते हैं। यही नहीं, इससे जुड़े शोध में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि ज्वाइंट फैमली में रहने वालों का कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर होता है ( 2) ।
  • काम का बोझ नहीं : संयुक्त परिवार में किसी एक सदस्य के कंधों पर काम का बोझ नहीं होता। यहां भले ही लोगों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन सभी के बीच घर का काम बराबर बांटा जाता है। जैसे रसोई का काम महिलाओं के जिम्मे आता है, तो घर के पुरुष बाहर के काम आपस में मिलकर करते हैं।
  • सुख-दुख में एक दूसरे का साथ : ज्वॉइंट फैमली में लोग हर पल एक दूसरे के सुख और दुख में साथ होते हैं। परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर किसी भी समस्या का हल निकाल लेते हैं। यही नहीं, संयुक्त परिवार में एकल परिवार के मुकाबले हंसी-खुशी का वातावरण भी अधिक रहता है। समय-समय पर किसी न किसी कार्यक्रम, जैसे – विवाह, पूजा या फिर नामकरण आदि का आयोजन होते रहता है। इससे परिवार में खुशियां बनी रहती है।
  • बड़ों का साथ और आशीर्वाद : संयुक्त परिवार में घर के बड़े-बुजुर्ग ही मुखिया होते हैं। अगर फैमली में किसी को किसी तरह की परेशानी या उलझन होती है, तो बड़े-बुजुर्ग उन्हें सही रास्ता दिखाते हैं। यही नहीं, वे अपने जीवन के अनुभव भी अपने बच्चों के साथ शेयर करते हैं। वैसे कहा भी जाता है कि संयुक्त परिवार में बड़े-बुजुर्गों से जो शिक्षा मिलती है, वह किताबों से मिली शिक्षा से बढ़कर होती है।
  • घर की सुरक्षा : एकल परिवार के मुकाबले संयुक्त परिवार में रहने से घर की सुरक्षा की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है। कई बार ऐसा होता है कि एकल परिवार के लोग इसी चिंता में घुमने या फिर किसी जरूरी काम से बाहर नहीं जा पाते हैं कि उनके नहीं रहने पर घर की देखभाल कौन करेगा, लेकिन ज्वॉइंट फैमली में ऐसा डर नहीं होता।
  • आर्थिक सहायता : संयुक्त परिवार में अन्य कामों की तरह घर चलाने का आर्थिक बोझ भी किसी एक के कंधे पर नहीं होता। यहां परिवार चलाने के लिए कई लोग मौजूद होते हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाना जानते हैं। इससे घर में आर्थिक समस्या भी कम होती है। वहीं, एकल परिवार में एक के कंधे पर ही आर्थिक बोझ होता है।
  • सामाजिक विकास : संयुक्त परिवार में हर तरह के लोग मिलते हैं। यहां सभी के व्यक्तित्व, स्वभाव व पसंद-नापसंद अगल हो सकते हैं। ऐसे वातावरण में रहने से सामाजिक विकास होता है । दरअसल, ज्वॉइंट फैमली में रहने से आपस में मिलजुलकर रहने की कला को आसानी से सीखा जा सकता है, जो जीवन में आगे चलकर बहुत मदद कर सकता है।

अब जरा संयुक्त परिवार के नुकसान के बारे में भी जान लीजिए।

सयुंक्त परिवार में रहने के नुकसान

संयुक्त परिवार के फायदे बताने के बाद यहां इससे जुड़ी कुछ खामियां भी बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • प्राइवेसी की कमी : आज के समय हर कोई अपने जीवन में कुछ टाइम के लिए प्राइवेसी चाहता है, लेकिन संयुक्त परिवार में रहने पर ऐसा संभव नहीं हो पाता। बड़ा परिवार होने के कारण हर समय आसपास कोई न कोई मौजूद होता है। ऐसे में अगर किसी को एकांत चाहिए होता है, तो वह नहीं मिल पाता है।
  • खुद की आजादी नहीं : संयुक्त परिवार में किसी भी बात का निर्णय घर का मुखिया लेता है। ऐसे में व्यक्ति की खुद की आजादी छिन जाती है और वह अपने फैसले नहीं ले पाता। उदाहरण के लिए, अगर किसी को अपनी पसंद की लड़की या लड़के से विवाह करना हो या फिर कोई कोर्स करनी हो, तो इसके लिए उसे बड़ों से आज्ञा लेनी होती है। वहीं, अगर घर का मुखिया पुराने ख्याल का हो, तो संभव है कि वह इस बात की आज्ञा न दें। ऐसे में कई बार पारिवारिक कलह होने की आशंका रहती हैं।
  • बच्चों की परवरिश में दखल : संयुक्त परिवार में बच्चों की परवरिश कई लोगों के हाथों में होती है। ऐसे में हो सकता है कि अगर माता -पिता अपने बच्चे को किसी चीज के लिए मना कर रहे हों, लेकिन वही चीज घर के दूसरे सदस्य की नजर में गलत न हो। इससे बच्चे के लिए सही-गलत की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। वहीं, माता-पिता का अपने बच्चों पर कंट्रोल नहीं रह पाता है।
  • आर्थिक मतभेद का डर : ऐसा जरूरी नहीं कि परिवार के सभी सदस्यों की कमाई एक बराबर हो। ऐसे में परिवार का खर्च चलाने के लिए अधिक कमाई वाले को कम कमाई वाले से अधिक आर्थिक मदद करनी पड़ रही हो । इस वजह से उनके मन में इस बात को लेकर मतभेद उत्पन्न हो सकता है।
  • विचारों में मतभेद : संयुक्त परिवार के सदस्यों में आपसी वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर घर की लड़की आज के समय के हिसाब से बाहर निकलकर नौकरी करना चाहती है, तो संभव है कि घर के पुराने ख्याल के लोग इस चीज के लिए मना कर दें। उनके हिसाब से ये चीजें गलत हो सकती हैं। इस तरह की कई अन्य बातें होती हैं।
  • घरेलू हिंसा : ज्वॉइंट फैमली और न्यूक्लियर फैमली पर हुए एक शोध की मानें, तो संयुक्त परिवार में महिलाओं को अधिक घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। आंकड़ों की बात करें, तो एकल परिवार में जहां 3.33 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, वहीं संयुक्त परिवार में यह प्रतिशत 19.09 है। कुल मिलाकर संयुक्त परिवारों में 95 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना करती हैं (3) ।
  • प्रसव पूर्व जागरूकता की कमी : इसके पीछे का कारण रीति-रिवाज, मान्यताएं और अंधविश्वास को माना जा सकता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि संयुक्त परिवारों की 27.4 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में एकल परिवारों की 31.6 प्रतिशत महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल हुई। इस आधार पर माना जा सकता है कि संयुक्त परिवार में प्रसव पूर्व जागरूकता की कमी होती है।
  • अवसाद की समस्या : एक अध्ययन में संयुक्त परिवार को अवसाद का भी कारण माना गया है (3) । कई बार यह देखा गया है कि संयुक्त परिवार में छोटी-छोटी बातों पर बहस हो जाती है, जिसे घर का वातावरण प्रभावित हो जाता है ।
  • खुद की प्राथिमकता पर रोक : यहां परिवार का कोई भी सदस्य अपनी पसंद का कुछ नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए अगर किसी को घर में कुछ बदलाव करना हो या फिर पसंद की कोई चीज लेनी हो, तो उसे पहले घर के दूसरे सदस्यों से पूछना पड़ता है। अगर वो मना कर दें, तो अपना मन मारना पड़ता है।

1. Indian family systems, collectivistic society and psychotherapy By NCBI 2. Family joint activities in a cross-national perspective By NCBI 3. A Study To Compare Various Aspects Of Members Of Joint And Nuclear Family By Researchgate

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संयुक्त परिवार पर निबंध- Essay on Joint Family in Hindi

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( Essay -1 ) Sanyukt Parivar Par Nibandh in 250 words | संयुक्त परिवार पर 250 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना

इस संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा, जो परिवार के बिना खुश रह पाए। चाहे गरीब व्यक्ति हो या फिर अमीर व्यक्ति, सभी के लिए परिवार काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। परिवार में रहकर ही व्यक्ति अपने सुख-दुख बांटता है।

संयुक्त परिवार का महत्व

चलिए हम आपको संयुक्त परिवार के महत्व के बारे में जानकारी देते हैं।

संयुक्त परिवार की खास बात यह होती है कि परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर रहते हैं। बेशक परिवार के पास इतना ज्यादा धन ना हो, लेकिन सुख शांति और प्यार के कारण जिंदगी अच्छे से कट जाती है।

संयुक्त परिवार का फायदा यह भी होता है कि परिवार के लोग एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। यदि परिवार का कोई भी सदस्य परेशानी में होता है, तो दूसरे सदस्य उसके लिए परेशान होते हैं और उसकी समस्या का हल कर देते हैं।

जो बच्चे संयुक्त परिवार में बड़े होते हैं, वह काफी संस्कारी होते हैं। उनके रहने और जीवन जीने के तरीके काफी अच्छा होता है। अगर हम एकल परिवार की बात करें, तो ज्यादा आजादी के कारण बच्चे बिगड़ जाते हैं। लेकिन संयुक्त परिवार में बच्चे बिगड़ते नहीं हैं। वह अपने संस्कारों को नहीं भूलते।

संयुक्त परिवार में सभी एक दूसरे को इज्जत देते हैं और सभी प्यार से मिलजुल कर रहते है।

संयुक्त परिवार की खास बात यह भी है कि इस तरह के परिवार में बच्चों की परवरिश काफी अच्छे तरीके से हो जाती है। क्योंकि संयुक्त परिवार में बच्चों की देखभाल करने के लिए काफी सारे लोग होते हैं।

इसीलिए बच्चों को अच्छे संस्कार तो मिलते ही हैं, साथ ही उनकी परवरिश भी अच्छी हो जाती है।

संयुक्त परिवार में काफी सारे लोग एक साथ रहते हैं, इसलिए उनका खर्चा भी कम आता है। संयुक्त परिवार में लोग मिलजुलकर खर्चा चला लेते हैं।

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( Essay -2 ) Essay on Joint Family in Hindi | संयुक्त परिवार पर निबंध

भूमिका

परिवार हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है। भारत में प्राचीन काल से ही लोग संयुक्त परिवारों में रहते आए हैं। संयुक्त परिवार एक अविभाजित परिवार होता है जिसमें एक ही घर में एक से ज्यादा पीढ़ी साथ मिल जुलकर रहती है। संयुक्त परिवार के अंतर्गत दादा, दादी, माता- पिता, चाचा- चाची और उनके बच्चे एक साथ रहते हैं। संयुक्त परिवार में 8 या 8 से ज्यादा सदस्य होते हैं।

संयुक्त परिवार के लाभ

संयुक्त परिवार में रहने वाले व्यक्ति को कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होता है और उसमें हमेशा एकता की भावना रहती है।

संयुक्त परिवार के बहुत से लाभ है ( Advantages of Joint Family in Hindi )

1. बच्चों को बड़ो और छोटो का प्यार और सहयोग मिलता है। 2. परिवार के सभी लोग घर खर्च चलाने में सहायता करता है जिससे जिम्मेदारी का भोझ किसी एक के कंधो पर नहीं पड़ता है। 3. किसी अकेले व्यक्ति को मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है। सभी लोग एक दुसरी की मुश्किल का हल निकालते हैं। 4. संयुक्त परिवारों में त्योहारों का आनंद दोगुना हो जाता है। 5. संयुक्त परिवार से एक पीढ़ी से दुसरी पीढ़ी में अच्छा समायोजन होता है और वो एक दुसरे का सहयोग करते हैं।

संयुक्त परिवार की हानियाँ ( Disadvantages of Joint Family in Hindi ) जहाँ संयुक्त परिवार में रहने के बहुत से लाभ है वहीं बहुत सी हानियाँ भी है-

1. संयुक्त परिवार में एक मुखिया होता है जो सभी निर्णय लेता है जिस कारण सभी लोगो की समान भागीदारी नहीं हो पाती है। 2. किसी सदस्य की आय होने पर वह कम आय वाले व्यक्ति को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। 3. संयुक्त परिवार में कोई भी व्यक्ति परिवार की पूर्ण रूप से जिम्मेदारी लेने को नहीं सोचता है। 4. पति पत्नी के बीच झगड़े से पूरे परिवार में अशांति का माहोल बन जाता है। 5. संयुक्त परिवार में आपसी मन मुटाव अधिक होते हैं।

निष्कर्ष

संयुक्त परिवार बच्चों के विकास के लिए एक अनुकुल वातावरण उपलब्ध कराता है। यहाँ पर बच्चों को मार्गदर्शक और सहभागी दोनों ही मिलते हैं। कुछ लोगों की नकारात्मक सोच और हीन भावना के कारण संयुक्त परिवार का अनुशासन भंग हो जाता है। यदि सभी व्यक्ति समान रूप से घर में भागीदारी दिखाए और किसी के प्रति हीन भावना न रखे तो संयुक्त परिवार उतम परिवार होता है। संयुक्त परिवार में व्यक्ति को कभी भी कुंठा और अकेलापन जैसी बिमारी नहीं होती है। संयुक्त परिवार व्यक्ति को बेहतर बनने में सहायता करता है।

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6 thoughts on “संयुक्त परिवार पर निबंध- Essay on Joint Family in Hindi”

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Essay on Nuclear Family

Nuclear Family

Family is regarded as the basic unit of society. It consists of a father, mother, grandparents and children all living together under one roof. Family forms an essential part of our life. It is the first institution of the children and thus inculcates the moral values in them so that they may grow up to become good citizens of the society. There is the existence of several types of families in the society like Joint family, Nuclear family, single-parent family, etc. Every type of family has its own merits and demerits.

10 Lines Essay on Nuclear Family

1) A nuclear family is one which consists of a mother, father and their children.

2) Nuclear family is a small family, also referred to as a conjugal or elementary family.

3) The concept of the nuclear family originated from England in 13 th century.

4) A nuclear family consists of only two generations.

5) The trend of nuclear families gained popularity in the 20 th century.

6) In a nuclear family, all the members are free to make their own decisions.

7) Privacy of members is well protected in this type of family.

8) However, children are deprived of the love of their grandparents.

9) Nuclear families are free from unnecessary quarrels and disagreements.

10) Urbanization and modernization are the main causes of increase in nuclear families.

Long Essay on Nuclear Family in English

These days the concept of the nuclear family is rising in society and so I have elaborated a long essay on the merits and demerits of the nuclear family. I hope that it might be an aid to students of all classes i.e. 1-12th in writing an essay, assignment, and project on this topic.

1800 Words Essay – Essentials, Merits and Demerits of Nuclear Family

Introduction

We cannot imagine our life without our families. It is the one that makes us feel secure, helps us in making decisions during difficulties and celebrates our joy and festivals. Many of us might be a part of extended families while many of us would belong to nuclear families. India is a nation where a joint family system has been common but nowadays it is being replaced by the concept of the nuclear family in most of the urban areas. We will be discussing below the concept of the nuclear family, its rising trend in India and its advantages and disadvantages.

What is meant by a Nuclear Family?

The nuclear family is stated as a small family that consists of father, mother, and children. It is also called an elementary family or conjugal family. The number of people in the nuclear family is very less as compared to the number of members of a joint family. The children after marriage leave their families and settle with their wife and children. In other words, a married couple with their biological children or adopted children lives together as a small family called a nuclear family. 

In a nuclear family, mother and father are only the head of the family. These families do not have any elder members like that of extended families. Thus the married couples are free to make decisions according to their own will. They live an independent life with any number of children.

Concept of Nuclear Family

The concept of the nuclear family is considered to have originated in the 13th century in England. This concept emerged in England after proto-industrialization. There was no concept of extended families having people of many generations living together. They adopted the concept of shifting into single families after marriage.

However, the term and trend of the nuclear family became popular in the 20th century. This family structure trend became more popular in the United States during the 1960s and 1970s. Later the trend of nuclear families started decreasing in America and people shifted to other types of family structures.

The Reason for calling it a “Nuclear Family”

The term nuclear family came into existence in the 20th century. Some sources state that the term originated in 1924 and 1925. This age was termed as the atomic age and thus the term nuclear has its connection with the noun ‘Nucleus’. The term nucleus means the core or center of something. Therefore, in the same context, a nuclear family means a family whose all members are part of one common core. This gives it the name nuclear family.

The Framework of the Nuclear Families

Nuclear family, unlike joint families, consists of members of two generations i.e. the one in which they are born and the second in which they marry. The other generation is not possible until and unless they marry their children in some other families. The nuclear family is basically formed of two types of nuclear families to exist in one single family.

  • Family of Orientation- The family in which an individual is born and raised.
  • Family of Procreation- The family formed after the individuals are married to a girl or boy who    belongs to another family.

Rising of the Concept of Nuclear Family in India

A nuclear family is a very simple structured family that consists of a small number of people as compared to the Joint family.  The term family when discussed in India it commonly refers to the Traditional or Joint family. The joint family has been a part of Indian culture and tradition from ancient times. Nowadays, the trend of nuclear families is rising in the urban areas of India.

This is happening at a fast pace in the cities. The children do not want to live under the supervision of their elders after their marriage. They want to live an independent life with full privacy and without any type of disturbance. The factors like modernization and urbanization are promoting the people to practice the concept of nuclear families in the cities rather than being a part of traditional families.

Advantages and Disadvantages of Nuclear Family

There are several types of family structures prevalent in society and the nuclear family is one among them. Some of the advantages and disadvantages of nuclear family enlisted below:

  • Freedom to Make Decisions- The members of a nuclear family are free to make any decision they want. They can decide everything by themselves without any interference of their elders. This is not possible in a joint family as there are elder members in the family and they advise the younger ones in their decision-making.
  • Development of Good Attributes- The development of different attributes in the children happens in a better way in nuclear families. Thus, this contributes to the good personality development of the children. Moreover, the children in nuclear families are close to their parents and thus can discuss every problem they are facing in an easier way.
  • Improved Status of Women- The women in the nuclear families get more time to after themselves and their children. They are not under pressure to work according to the elders of the family. They are free to do whatever they want. Husbands and wives get quality time to spend with each other in nuclear families that are not possible every time in joint families.
  • Loving and Peaceful Atmosphere- There are fewer members in a nuclear family than an extended family. Nuclear families with fewer people have very less chances of misunderstanding and conflicts. There is the existence of peace and harmony among the members and that is essential for living a happy family life.
  • Sole Responsibilities- The responsibilities in a nuclear family are on the parents, unlike the joint family. The parents are individually responsible for the income and every need of the children as they are only the head of the family.
  • Savings and Family Planning is Possible- The income of the house in the nuclear families is not shared among all like the joint families. It is safe in the hands of the parents and they can save it for the future of their children. Moreover, the number of children in nuclear families is limited as the parents can opt for family planning.

Disadvantages

  • Children are Devoid of Love from their Grandparents- The children in nuclear families are not able to get the love and affection of their grandparents. Children living in joint families are well-mannered and know well to tackle several difficulties easily.
  • No Elders to Guide in Difficulties- The nuclear families lack elders and experienced people and thus there is no one to guide the members during the time of difficulty. The parents themselves have to make decisions about everything and that is very difficult sometimes.
  • Financial Loss- The breaking of joint families in the nuclear families results in the division of property or land into different small parts. Every brother gets a small piece of land and thus the yield is also reduced. They have to employ laborers for carrying out all the agricultural work and thus paying for the same is a kind of financial loss.
  • Insecurity in Children- The children in nuclear families are devoid of love and care of their parents if both mother and father are working. They are raised and fed by the maids in the houses. This lack of love and time by the parents inculcates the feeling of insecurity and loneliness in the children. This causes many of them to be addicted to bad habits also.
  • Lack of Moral and Social Values- The children in the nuclear family many times lack social attributes and become undisciplined. They become habitual of living in freedom and do not like mixing with other family members.
  • Widows are Neglected- The widows in nuclear families do not get proper attention and care and they feel as if they are neglected. The children in such cases feel socially and emotionally insecure. This is not the case of widows in joint families. The widow gets good support from the other members of the family and thus forgets every pain gradually and starts living a normal life.

Nuclear Family v/s Joint Family

A joint family is one that consists of people up to three generations living together under the same roof while a nuclear family in contrast is small and simple with very only mother, father and children. There is the existence of mainly two types of family structures in India namely joint and nuclear families. The joint family also referred to as the traditional family has been in existence since ancient times in India. Earlier the people in India were confined to the villages and they were involved in the occupation of agriculture. Thus, they preferred to live together and the male members of the family were involved in the same family business. The concept of the nuclear family is however not a new concept but the structure of this kind of family was more prevalent in the western culture. It has become common in India at present because of modernization and changes in the lifestyle of people.

Is Nuclear Family A Perfect Family?

Every type of family structure present in society has its own benefits and drawbacks. Some of us desire to be a part of a nuclear family while others are a joint family and alternatives. It is wrong to say that the nuclear family is a perfect family. It depends upon the individual what he or she desires. There are conflicts, love, problems, etc in every type of family. It is we the members of the family who make the atmosphere of the family a peaceful and loving one.

According to me, both joint and nuclear families are good structures of families in society. I have always been a part of a nuclear family so I have a habit to dwell in the nuclear family but I had always felt the absence of my grandparents and other relatives too. The enjoyment of any type of celebration or festival in joint families is very interesting rather than the nuclear families. Therefore, being a part of the nuclear family I always have missed the warmth and love of a joint family. We can be part of nuclear families but remain in touch with our other family members and develop the habit of visiting our grandparents at a fixed interval of time.

The type of family that we desire to have is our individual choice. The nuclear family trend is rising but the importance of joint families is always felt. The love and care of different members in the joint family is really amazing. Moreover, the presence of grandparents in the joint families is a boon for the children as they teach them good values and morals. Children are also very close to their grandparents because of the love and affection they receive from them.

I hope this information would be helpful for you to know about the merits and demerits of Nuclear Family in a very convenient way.

FAQs: Frequently Asked Questions on Merits and Demerits of Nuclear Family

Ans. The word nuclear family came into existence in the thirteenth century.

Ans. The word family has been derived from the Latin word ‘Famulus’ that means servant.

Ans. The term ‘Nuclear family’ was coined by George P. Murdock, an anthropologist.

Ans. The love between the family members is stated as Storge(empathy bond).

Ans. Argentina is a country in the world that has the prevalent concept of nuclear families.

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